मिस्त्री की बीवी को बांधकर चोदा

मेरा नाम मनोहर है मेरी उम्र अभी 26 साल है। मैं पेशे से एक मजदूर हूं और थोड़ा बहुत लिखना पढ़ना जानता हूं। वैसे तो मैं यूपी का रहने वाला हूं। लेकिन काम के सिलसिले में बैंगलोर में हूं। अभी मैं मैं जिस जगह काम करता हू। वहां एक सोसायटी बन रही है। जिसमे ऊंची ऊंची रिहायशी इमारतें बन रही है।

मिस्त्री की बीवी को बांधकर चोदा

मैं वहां एक मिस्त्री के हेल्पर का काम कर रहा हूं। सोसायटी जहां बन रही है वह इलाका जंगल में है और शहर से थोड़ा दूर है। तो हम सभी मिस्त्री और मजदूरों का रहने खाने का इंतजाम बिल्डर ने यही कर रखा है। इतनी ऊंची ऊंची इमारतें बनाने में लगभग 4 साल का वक्त लगेगा। मुझे भी अच्छा पैसा और लंबा काम मिल गया था।

करीब 3 महीने से मैं यहां हूं। यूं ही दिन बीत रहे थे। दिन भर काम और रात को अपने अस्थिर ईंटो से घेरकर बने झोपड़े में आराम । मैं जिस कुंवारी लड़की के बारे में बताने जा रहा हूं। दरअसल वो उसी मिस्त्री की बेटी है मैं जिसका हेल्पर बनकर काम कर रहा हूं।

मैं जिस मिस्त्री के अंदर हेल्पर था उसी मिस्त्री की बीवी भी उसके साथ हेल्परी करती है। दोनों मियां बीवी और मेरी एक टीम है। मैं दिनभर उसकी बीवी को ताड़ता रहता था और उसकी चूचियों के उभारों और बीच वाली गहरी गुफा को देखकर मजे लेता था। शुरू से ही मुझे उसकी बीवी भा गई थी उसका गदराया हुआ बदन देखकर मेरी नियत खराब हो जाती थी।

मुझे उसके जिस्म से प्यार हो गया था उस अधेड़ उम्र में भी मुझे कामुक लगती थी। मैंने कई बार काम के बहाने से उसकी गांड पर अपना हाथ साफ किया था। एक दो बार जानबूझकर उसकी गांड से अपना लंड सटाकर खड़ा भी हुआ लेकिन उस मंद बुद्धि को कुछ समझ नहीं आया।

मिस्त्री और उसकी बीवी से मेरी अच्छी तालमेल बैठ गई थी। लेकिन उन दोनों में एक बुरी आदत थी। वो काम खतम होने के बाद शाम को एक साथ शराब पीते थे और आपस में झगड़ा लड़ाई मार पीट करने लगते थे। वो हर दूसरे दिन की कहानी थी। मैं उनका झगड़ा छुड़ाने चला जाता और जान बूझकर मिस्त्री की बीवी को पकड़ लेता था। उन्हें लगता था की मैं उनका झगड़ा शांत करने की कोशिश कर रहा हूं।

लेकिन मैं मिस्त्री की बीवी को अपने दोनों हाथों से बांध लेता था और जान बूझकर कभी उसकी चुचियों को दबाता तो कभी उसकी गांड पर अपना लंड सटाता। नशे की हालत में वो कुछ समझ नहीं पाती थी। एक रात उन दोनों के बीच ऐसी ही लड़ाई छिड़ गई थी। मैं बीच बचाओ करने पहुंचा तो देखा मिस्त्री की शर्ट फटी हुई हैं और उसकी बीवी की ब्लाउस फटी हुई है।

उसकी बीवी की ब्रा साफ़ दिखाई पड़ रही थी। वो दोनो तब भी नही रुके थे और आपस में एक दुसरे के कपडे खींचा तानी कर रहे थे। मैंने फिर से मिस्त्री की बीवी को पकड़ लिया और उसे मिस्री से दूर करने के लिए अपनी दोनों बांहों में कस लिया। इसबार मैंने अपनी उंगलियों को सीधे उसकी ब्रा में डाल दिया और उसे पलटकर घुमा दिया।

ताकि उसका पति और उसकी बेटी न देख सके उन दोनों में अभी भी गली गलौज चल रही थी। मैं मिस्त्री की बीवी को अपनी बांहों में पकड़े हुए अपना लंड उनकी गांड पर दबा रहा था और अपने उंगलियों से उसकी चूचियों को दबा रहा था। लेकिन मिस्त्री की बीवी मेरी बांहों से छूटने की कोशिश कर रही थी और किसी तरह अपने पति को पीटने की कोशिश कर रही थी। उसकी इसी कोशिश में उसकी एक चूंची उसकी ब्रा के कटोरे से बाहर आ गई।

मैंने मौका न गवाते हुए झट से अपना हाथ उसकी चूची पर रखा और उसकी चूंची को ढक दिया। फिर मैं धीमे धीमे उसकी नंगी चूची को अपने पंजे से दबाने लगा। उसे थोड़ा भी अंदाज नही था की मैं किस नियत से उसे पकड़े हुए हूं। मैं उसके निप्पलों को अलग ही अंदाज में छेड़ रहा था। अब मेरा लंड तन चुका था और मेरा लंड पैंट के अंदर से ही उसकी गांड के बीच साड़ी समेत घुसा हुआ था।

तभी मिस्त्री ने अपनी बीवी को कहा भाग जा साली रंडी कही की मेरे घर से अगर तू रहेगी तो मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा। तैश में आकर उसकी बीवी ने मुझे पीछे धकेला और अपने पति को गालियां देते हुए झोपड़े से बाहर भागी। मैं भी उसके पीछे गया और उसे रोकने और मनाने की कोशिश करने लगा।

वो नशे में चूर जिद्दी बनी हुई थी और उसी वक्त अकेली गांव जाने की जिद्द कर रही थी। मैं उसे समझा रहा था तभी मिस्त्री की बेटी झोपड़े से बाहर आई और मुझसे बोली आप मां को समझाकर अपने पास रख लो। मां और पापा दोनों अभी नशे और गुस्से में है। मैं पापा को समझाती हूं आप मां को समझाकर अपने पास रोक लो।

मैंने बड़ी मसक्कत के बाद मिस्त्री की बीवी को मना लिया और वो मेरे झोपड़े में रुकने के लिए मान गई। मैं उसे अपने झोपड़े में लेकर गया वो अभी भी नशे में चूर थी। मैंने चटाई बिछाई और कहा भाभी जी आप सो जाइए। वो चटाई पर लड़खड़ा कर गिरी और बेहोश हो गई । मैंने उसे ठीक से लिटा दिया और वापस मिस्त्री के घर आया और उसकी बेटी को बोला तुम्हारी मां मेरे झोपड़े में सो गई है। तुम अपने पापा को समझाकर सो जाओ।

वो बोली ठीक है साथ ही उसने शुक्रिया वाली हल्की मुस्कान दी। मैं उसके चेहरे के हाव भाव से समझ गया। मैं वापस अपने झोपड़े में आ गया और दरवाजा बंद करके मिस्त्री की बीवी के पास बैठकर उसके बदन को देखने लगा। बेसुध नशे की हालत में उसके तीतर बित्तर पड़े कपड़ो को देखकर मेरे लंड में ताव आने लगा।

मैंने थोड़ी देर इंतजार किया जब पूरा एरिया शांत हो गया तब मैंने उसके सीने पर से पल्लू को हटा दिया। अब मुझे उसकी फटी हुई ब्लाउस से उसकी ब्रा दिखने लगी। मैंने उसकी ब्लाउस को थोड़ा आगे से और चीर कर फाड़ दिया अब मुझे ब्रा से ढकी उसकी दोनों सावली बड़ी बड़ी चूंचियां दिखने लगी। मैंने तुरन्त उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा को उसकी दोनों चूचियों के उपर कर दिया।

अब जो मैंने देखा वो मुझे सपना लग रहा था। मेरे सामने उसकी दोनों सावली मखमली बड़ी बड़ी चुचियां नंगी हो चुकी थीं। मेरे हाथ कपकपाने लगे। मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और सलीके से दोनों चूचियों को मसलने लगा।

कुछ देर मसलने के बाद मैं बारी बारी से उसकी चूचियों को अपने मुंह में लेकर तसल्ली से चूसने लगा। मैं सब आराम आराम से कर रहा था । क्योंकि अब मेरे पास पूरी रात थी। मैंने उसके चुचियों के दानों को चूस चूसकर साफ कर दिया उसकी दोनों निप्पलें और चुचियाँ मेरे थूक से लबलबा गई थी।

अब मैं उतावला हो रहा था। मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पूरा नंगा हो गया और उसके बदन पर लेट गया और उसके बदन के हर हिस्से को दबाने और मसलने लगा। फिर मैं उसके सीने पर उसकी चुचियों को अपनी गांड से दबाकर अपना लंड उसके मुंह में डालने लगा। मैं उसकी चूचियों पर उछलकर उन्हें दबा रहा था और अपना लंड उसके मुंह में चोद रहा था।

जब तक मेरे मन नही भरा तब तक मैं उसके मुंह में अपना मोटा लंड डालकर चोदता रहा अब मेरे लंड का पानी निकलने वाला था। तो मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाला और अपना सारा माल उसके चेहरे पर निकाल दिया। अब उसकी चुदाई करने की बारी आ चुकी थी। मैंने उसकी साड़ी और पेटिकोट को कड़ी मेहनत करके निकाल दिया।

अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी बेहोश पड़ी थी। मैं उसकी वो मोटी जांघों को देखकर पागल हो गया और पागलों की तरह उसकी जांघों को चाटने लगा आखिर में मैंने अपना मुंह उसकी दोनों जांघों के बीच उसकी चुत पर लगा दिया और जमकर उसकी चुत की चुसाई करने लगा।

उसकी चुत मेरे थूक से लबलाबा चुकी थी मेरा लंड भी पानी छोड़ रहा था। लेकिन मैं इतनी जल्दी नही करना चाहता था। मैंने उसकी दोनों टांगें घुटनों से मोड़ी और फैला दी। अब मैं उसकी दोनों जांघों के बीच उसकी चुत से अपना लंड सटाकर बैठ गया। अब मैं एक हाथ में अपना लंड पकड़े दुसरे हाथ की दो उंगलियों को उसकी चुत में डालकर उसकी चुत खोदते हुए अपना लंड हिलाने लगा।

5 मिनट में ही उसकी चुत की गरमी ने मेरे उपर अपना जादू चला दिया और उसके चुत की गरमी ने मेरे लंड को पानी उगलने पर मजबूर कर दिया। मैं झडने वाला था तो मैंने अपनी उंगलियों को उसकी चुत से निकाला और अपना लंड उसकी चुत की गहराई में उतार दिया। मेरा लंड थोड़ा भी बाहर नहीं था पूरा का पूरा उसकी चुत में खो चुका था। हम दोनों की झांटे आपस मे मिल रही थी।

कुछ ही पलों में मेरे लंड का सारा माल उसकी चुत में भर गया और अपने आप ही मेरा लंड सिकड़ने लगा। फिर मैंने अपना वीर्य से सना हुआ लंड उसकी चुत से निकाल लिया। अब फिर से मैं उसके गदराये हुए बदन को देखने लगा। तभी मेरी नजर उसकी वजन से दबी हुई उसकी गांड पर गई जो उसके शरीर के भार से दबकर किनारों से और बड़ी लग रही थी।

मैंने उसे पलटकर पेट के बल लिटा दिया। उसके बाद जो मैंने देखा मेरे होश ही उड़ गए। मैंने कभी किसी औरत की इतनी चौड़ी गांड कभी नहीं देखी थी। मैं उसकी गांड को देखकर पागल हो गया मैं उसकी गांड पर अपना हाथ फेरने लगा। बड़ी गुलगुली गांड थी जहा दाबो वही स्पंज की तरह दब जाए।

मैं अपनी जीभ से उसकी गांड के दोनों हिस्सों को चाटने लगा। अब मेरे लंड में फिर से ताव आने लगा। मैंने किसी भूखे दरिंदे शेर कि तरह उसकी दोनों टांगों को अलग अलग फैला दिया और उसके दोनों चूतड़ों को अपने हाथों से फैलाकर अपना मुंह उसकी गांड के बीच डाल दिया। अब मैं उसकी गांड की छेद पर अपनी जीभ गोल गोल घुमाने लगा।

उस वक्त कामवासना की आग में मुझे घिन्न नही आ रही थी। मेरे सामने एक औरत पड़ी थी जिसका मैं भरपूर मजा लेना चाहता था। मैंने उसकी गांड में अपनी जीभ घुसानी चाही मगर जीभ अंदर नही गई। मैंने उसकी गांड की छेद को थूक से लबालब कर दिया। अब मैंने उसकी गांड में अपनी एक उंगली डाली और उसकी गांड में अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। ताकि उसकी गांड के छेद थोड़ी खुल सके।

अब मैंने उसकी गांड मारने की सोच ली थी। लेकिन मैं ये जानता था की ये गांड चोदने से उठ जायेगी और मुझे चोदने नही देगी या हल्ला मचा देगी। तो मैंने पहले उसकी दोनो टांगों को और उसकी दोनों हाथों को छप्पर को सपोर्ट देने वाले चारों खंभों से बांध दिया ताकि वो हिल न पाए।

अब मैं उसकी गांड चोदने के लिए तैयार था। मैं उसकी टांगों के बीच जाकर बैठ गया और उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दिया ताकि उसकी गांड थोड़ी उपर हो जाए और मुझे उसकी गांड में लंड चोदने में आसनी हो। फिर मैंने एक हाथ से उसके गांड के एक हिस्से को फैला दिया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़कर उसकी गांड की छेद पर लगा दिया।

अब मैं उसकी गांड में लंड डालने को तैयार था। तो मैं हल्का सा उसके उपर चढ़ा जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड की छेद पर लगा। अब निशाना सटीक था तो मैंने हल्के से अपनी कमर दबाई और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड की छेद को दबाने लगा। अब मैंने जोर का एक धक्का मारा जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया।

वो एक दम सकपका कर होश में आ गई और जैसे ही उसने चिल्लाना चाहा मैंने उसका मुंह अपने हाथ से पूरी ताकत के साथ बंद कर दिया। वो अमममममम्म…. म्म्म्म्म…..म्म्म्म्म्म… करने लगी तभी मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा जिससे मेरा बचा हुआ लंड भी उसकी गांड में समा गया। वो अपनी दबी चीख में म्म्म्म…म्म्म्म्म्…. उह्ह्ह… उह्ह्ह्ह… चीखती रही।

मैं उसकी गांड में धक्के मारता हुआ कहने लगा। देख भाभी जब से मैंने तुझे देखा है तुझे चोदने के बारे में ही सोचता रहता हूं। अब तू घबरा मत मैं तुझे बड़े आराम से चोदूंगा ज्यादा छटपटाएगी तो तुझे ही तकलीफ होगी। मैं उसके उपर लेट गया और उसके गालों पर चूमने लगा क्योंकि उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी।

मुझे उसकी गांड लंबे समय तक लेनी थी। इसलिए मैंने अपनी रफ्तार धीमी करदी और पूरा समय लेकर मैं धीरे धीरे उसकी गांड में धक्के लगाने लगा। मैं उसकी स्पंज जैसी उसकी गांड को अपनी कमर से दबा दबाकर अपना लंड उसकी गांड में पेलने लगा। मैं उसकी गांड से नर्मी से पेश आ रहा था और अब बड़ी आसानी से मेरे लंड उसकी गांड के अंदर बाहर हो रहा था।

अब मैंने उसके मुंह से अपना हाथ हटा लिया और धीमे रफ्तार से उसकी गांड को चोदने लगा। अब उसके मुंह से चीख की जगह आह… उह्ह… अह्ह्ह… म्म्म अ…. की मीठी आवाजें आने लगीं। मैंने कहा देख भाभी तुझे भी मजा आने लगा ना अगर तुझे आज मजा आया तो मैं रोज तेरी इसी तरह चुदाई किया करूंगा।

अब वो पूरे होशो हवास में आ चुकी थी। तभी वो बोली साले तू कैसा देवर है की अपनी भाभी के हाथ पैर बांधकर मेरी गांड का बला/तकार कर रहा है। इतने दिनों बाद मुझे कोई जवान मर्द का लंड मिला है। तू मेरे हाथ पैर खोल मुझे भी थोड़ा खुलकर मजा लेने दे। मैंने कहा नही तू भाग जायेगी।

वो बोली नही पागल मैं तुझे मना नहीं करती वो तो तूने आचनक मेरी गांड में लंड डाल दिया इसलिए मुझे तेज दर्द हुआ और मैं चीखने लगी। तू मुझे बताकर मेरी गांड भी मारता तो मैं तुझे मना नहीं करती। मैंने उसकी गांड में तेज़ी से धक्के देने शुरू कर दिए वो आह… आह.. ओह… ओ… करने लगी।

तेज़ी से उसकी गांड मारते हुए मेरे मुंह से भी आह आह… की आवाज आने लगी और मैं उसकी गांड में ही झड़ गया। उसकी गांड की छेद से माल रिस रहा था। मैंने उसके दोनों हाथ और पैर खोल दिए। वो उठकर बैठ गई और मुझसे मजाक करती हुई बोली साली तू कितने दिनों से मेरे उपर गंदी नज़र रखे हुए था।

मैं मुस्कुरा दिया मैंने अपना हाथ आगे बढाया और उसकी चुत छुने लगा। तभी उसने कहा साले हाथ क्या लगाता है लंड चाहिए इसको लंड डाल बहुत दिनों की बुखी है। मैंने उससे कहा भाभी तू चुदाई के लिए राज़ी है लेकिन हम दोनों एक खेल खेलते है तो वो बोली कौन सा खेल? मैंने कहा तू ऐसा नाटक कर की मैं तुझे जबर्दस्ती चोद रहा हूं। वैसे में तेरी चुत की भूख भी मिट जायेगी और मेरे लंड की आग भी शांत हो जायेगी।

तो वो बोली की जब मैं अपनी मर्जी से तुझे अपनी चुत और गांड़ देने को तैयार हूं। तो ये सब क्यों? मैंने कहा खेल है भाभी इसमें ज्यादा मजा आयेगा। वो बोली ठीक है तुझे जैसा ठीक लगे! उसके राज़ी होने के तूरंत बाद मैंने खेल शुरू कर दिया।

मैंने उसके केश को कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और उसके गाल पर कसकर एक थप्पड़ मारा जिससे वो चटाई पर धूल चटाने लगी। वो भी सही अदाकारी करते हुए मेरा विरोध करने का नाटक करने लगी। मैंने उसके बाल को पकड़ रखा था। मैं उसकी चूचियों को अपने हाथों में लेने की कोशिश कर रहा था।

लेकिन वो चटाई पर लोटपोट होकर अपनी चुचियों को मुझसे बचाने की कोशिश कर रही थी। अब मैं भी उसके बदन पर चढ़ गया और उसकी दोनों चूचियों को निचोड़ने और पीने लगा। वो विरोध का नाटक बड़े अच्छे से कर रही थी वो मुझे पूरा मर्द होने का फिल दे रही थी।

अब मैं फिर से उसकी छाती पर अपनी गांड रखकर बैठ गया और अपनी गांड से उसकी दोनों चूचियों पर बाउंस करने लगा। मैंने एक मुट्ठी में अपना लंड पकड़ा और उसको चूसने को कहा पर वो नाटक करने लगी और मेरा लंड मुंह में नही ले रही थी। तभी मैंने एक झन्नाटेदार थपड़ से उसके गाल को लाल कर दिया।

थप्पड़ के डर से उसने अपना मुंह खोला और मैंने जड़ तक अपना लंड उसके मुंह में ठेला। अब मैं अपने घुटनों के सहारे अपनी कमर को लहरा कर अपना लंड उसके मुंह में चोदने लगा। कुछ ही देर में उसके मुंह से थूक और मेरे लंड के पतले रस का मिश्रण उसके मुंह से उसके गालों पर बहने लगा।

मैं बेदर्दी की तरह उसके मुंह में अपना मोटा हतियार (लंड) चोदता रहा। कुछ ही देर में उसकी सांसे उखड़ने लगी और सचमुच उसकी आंखें लाल हो गई थी और उसकी आंखों से आंसू निकलते जा रहे थे। वो मुझे इशारे में लंड को उसके मुंह से निकालने को कह रही थी। लेकिन मेरे अंदर का जोश आसमान पर चढ़ा हुआ था। मैं अपनी हवस मिटाने के लिए उसके मुंह में लंड तेज तेज अंदर बाहर कर रहा था।

उसको अपना लंड चुसाते चुसाते मेरा लंड अब विराट रूप ले चुका था। अब मुझसे उसकी चुत चोदे बिना रहा नही जा रहा था। मैं उठकर बैठ गया और उसकी दोनों टांगों को फैलाने की कोशिश की मगर वो ताकत से अपनी दोनों टांगों को आपस में चिपकाए हुए थी। मैं अपनी ताकत की आजमाइश करते हुए बड़ी ताकत के साथ उसकी दोनों चिपकी टांगों को खोलकर फैला दिया।

वो अब भी अपनी दोनों जांघों को आपस में चिपकाकर अपनी चुत छुपाना चाह रही थी। लेकिन तब तक मैं उसकी टांगों के बीच घुस चुका था। मैंने अपना लंड पकड़ा और अंदाजे से उसकी चुत की छेद को अपने लंड के सुपाड़े से ढूंढने लगा। फिर अचानक से मैंने एक तेज धक्का मारा और एक बार में ही अपना मोटा लंड उसकी चुत में पूरा धकेल दिया।

धक्के की ताकत से पूरा लंड जब एक बार में उसकी चुत में घुसा तो कुछ देर के लिए उसकी सारी हरकतें रुक गई। वो बड़ी बड़ी आंखें किए मुझे गुस्से से देखें जा रही थी। मैं जानता था की उसे इतना तेज धक्का अपनी चुत में खाकर बहुत दर्द हुआ होगा। लेकिन मुझे उससे कहां कुछ फर्क पड़ने वाला था। कुछ देरी में जैसे कोई दौड़ते हुए घोड़े की पीठ पर उछलता है। मैं भी उसकी चुत में अपना लंड डाले हुए उसके बदन पर उछलने लगा।

मैं शुरू से ही उसकी चुत में तेज तेज धक्के मारने लगा। वो सच में कराहने की आवाज में आह… आआह्ह्ह…. आआ…. माआआ…. आ ह!…. आह.. ह।।। कर कराह रही थी। अपने हाथ से मेरे चेहरे को ऊपर धकेलकर मुझे अपने ऊपर से हटाना चाह रही थी। हर धक्के पर उसकी चेहरे के हाव भाव बदल रहे थे।

मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसे पूरी तरह अपने नीचे दबाकर उसके उपर लेट गया। अब मैं सिर्फ अपनी कमर को उठा उठाकर अपना लंड उसकी चुत में चोदने लगा। कुछ देर उसी तरह उसकी चुत को रगड़कर चोदने के बाद उसकी चुत में दबाव बनने लगा और उसकी चुत कसी कसी लगने लगी। उसके कुछ देर बाद जब मैं उसकी चुत में लंड अंदर बाहर करता तो उसकी चुत से फ़च फच.. पच्च पच्च और भी तरह की अजीब आवाजें आने लगी।

वो अब मुझे हटने के लिए कहने लगी और बोली आज के लिए बहुत हो गया अब छोड़ो और मुझे जानें दो। मैं समझ गया की अब ये झड़ गई है और इसकी चुत की आग बुझ गई है। लेकिन मैं उसके चुत को रगड़ रगड़कर अपना लंड उसकी चुत में घिसता जा रहा था। करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चुत को रगड़ रगड़कर चोदा।

मैं अब झड़ने वाला था तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और मैं तेज़ी से सांसे लेता हुआ धक्के मारते हुए हांफने लगा। वो समझ गई की अब मैं झडने वाला हूं। तो वो लंड को अपनी चुत से निकालने के लिए कहने लगी। लेकिन जब मैंने उसकी एक नही सुनी और धक्के लगाए जा रहा था। तब उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और अपनी चुत से निकालने लगी।

मैंने उसे फिर से एक झन्नाटेदार थप्पड़ मारा और कहा मादरचोद भाभी शांत हो जा नही तो इससे बत्तर हालत करूंगा तेरी चुत और गांड की। आज मैं अपने लंड का बीज तेरी चुत में बोऊंगा। चुप चाप लेटी रह साली । उसके बाद मैंने एक दो धक्के कसकर उसकी चुत में मारे और अपनी झांटे उसकी झांटों से मिलाकर अपना लंड उसकी चुत की गहराई में उतारकर उसके उपर ही लेट गया।

मेरे लंड माल रह रहकर उसकी चुत में प्रेशर के साथ निकलता रहा करीब 10 मिनट तक मेरे लंड से वीर्य उसकी चुत में निकलता रहा। उसके बाद मैंने अपना लंड उसकी चुत से निकाल लिया। वो भी तूरंत उठकर खड़ी हो गई और अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने उसकी साड़ी पकड़ ली। मैं बोला भाभी अभी कहा? अब तो तुम्हारी गांड की बारी है।

वो बोली तू हरामी है साले जब मैं तुझे आराम से देने के लिए तैयार हूं। तो तुझे मस्ती चढ़ रही थी। मैं कोई रंडी हूं क्या जो तू मुझे ऐसे चोद रहा है। मैंने कहा तू रंडी है या नही मुझे नही पता पर आज तू बिना अपनी गांड मरवाए यहां से नही जा सकती।

ये बोलते ही मैं उसपर झपट पड़ा और उसे फिर से चटाई पर पटक दिया । वो उठकर भागने की कोशिश करने लगी। मेरा लंड अब फिर से तन चुका था। मैंने उसे फिर से चटाई पर पटक दिया। लेकिन फिर वो भागने के लिए घुटनों के बल ( डॉगी वाली पोजिशन) उठने को हुई मैंने अपना एक हाथ उसके पेट के नीचे लगाया और उसकी कमर पकड़ ली।

अब मैंने देरी न करते हुए अपना लंड उसकी बड़ी गांड़ की दरार में घुसाया और अपना लंड उसकी गांड की छेद पर लगाया। फिर मैंने अपने शरीर का भार उसके कूल्हों पर डाल दिया। जिससे वो धम से चटाई पर मुंह और पेट के बल गिरी साथ ही मैं भी उसके उपर गिरा उसकी दोनों टांगें मेरे टांगों के बीच सीधी पसर गई। मेरा गोटा लंड साबुत उसकी गांड में घुस गया।

वो चिलाने लगी छोड़ हरामी साले साथ ही रोनी आवाज़ में कराहने लगी। आह्ह्ह…. म्म्म्म्म…. उह्ह्ह्…. माआआ…. छोड़ ड…आह… मैंने तुरंत उसका मुंह दाब दिया और उसकी चीख बाहर नहीं आने दी। मैं गुस्सैल सांढ की तरह फुफकारता हुआ उसकी गांड पर अपनी कमर को उठा उठाकर पटकने लगा।

अब वो सच में रोने लगी लेकिन मैं जानता था। वो बाद में मान जायेगी और उसे भी मजा आने लगेगा। मैं उसकी गांड को चोदता रहा उसकी गांड बहुत टाइट थी। जिस वजह से मैं जल्दी झड़ गया। लेकिन फिर भी मैंने अपना लंड उसी गांड़ से नही निकाला। झड़ने के तूरंत बाद ही उसकी गांड की कसाव और गर्मी मेरे लंड को फिर जगा दे रही थी।

मैं फिर से उसकी गांड चुदाई चालू कर दे रहा था। दुसरे ट्रिप में उसने चिल्लाना बंद कर दिया वो अब हल्की हल्की आह… उस्स… इश्ह… आह… म्म्म्म.. ओह्ह्… की आवाजें कर रही थी। जब मैं उसकी गांड में धक्के मार रहा था। तब वो चुपके से अपना हाथ अपने पेट के नीचे से ले जाकर अपनी चुत को अपनी उंगलियों से रगड़ रही थी।

मैंने उसकी गांड चोदते हुए जब जब उसकी चुत को छुआ तब तब उसकी चुत से निकलता पानी मेरी उंगलियों में लग गया। अब मैं समझ गया की अब इस मादरचोद रंडी को भी मजा आ रहा है। उस रात मैंने तीन राउंड उसकी गांड मारी और भोर के समय एक राउंड फिर से उसकी चुत चोदी।

सुबह की पहली किरण के साथ ही वो अपने कपड़े पहनकर वापस अपने घर लौट गई। उसके कुछ दिन बाद उसने काम पर ही बताया की उसे उस रात बहुत मजा आया था। पहली बार किसी मर्द ने उसकी चुत और गांड इतने बुरे तरीके से चोदी थी। उसने कहा की दो दिनों तक उसको हगने मूतने में दिक्कत हुई।

लेकिन उसने कहा की अब वो हमेशा मुझसे ही चुदना चाहती है। मैं उसकी बातें सुनकर ताव में आ गया। मैंने उसी वक्त उसको पकड़ा और तूरंत झाड़ियों में लेजाकर एक एक राउंड उसकी गांड और चुत चोदी। अब तो मेरी और उसके बीच चुदाई आम हो गई है। दिन में मैं कम से कम उसे एक बार तो चोद ही लेता हू।

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