चाची को चोदते हुए मां ने पकड़ा

मेरा नाम सुमित शर्मा है मैं बिहार का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 22 साल है। मैं सरकारी कॉलेज में M.A की पढ़ाई कर रहा हूं। पहले मैं अपने परिवार के बारे में बताता हूं। मेरे परिवार में मां पापा , चाचा चाची और मैं और मेरी एक 14 साल की चचेरी बहन है।

ये कांड तब का है जब मैं अपनी सगी चाची को एक रात चोद रहा था। तभी आकर मेरी मां ने मुझे और मेरी चाची को नंगी हालत में चुदाई करते हुए पकड़ लिया था। चलिए मैं आप सभी को ये सब कांड शुरुआत से बताता हूं।

चाची को चोदते हुए मां ने पकड़ा

कुछ लगभग एक साल पहले मेरे चाचा और पापा एक साथ काम करने के लिए सऊदी चले गए थे। तब से वो वहीं रहकर काम करने लगे। जिस कंपनी ने चाचा और पापा को सऊदी भेजा था। उस कंपनी ने उन दोनों का एक कॉन्ट्रैक्ट बनाया था। जिसके मुताबिक चाचा या पापा 5 साल से पहले वहां से नही आ सकते थे।

पापा और चाचा के घर से जाने के बाद मुझे काफी आज़ादी मिल गई थी। मैं अब अपने घर का मुखिया बन चुका था। मेरे बिना बाहर का कोई काम नही होता था क्योंकि मेरे घर में मैं अब अकेला मर्द था। अब घर में मैं मेरी मां चाची और मेरी चचेरी बहन हम चार लोग ही थे।

आज़ादी मिलने पर मैं थोड़ा गलत संगत में पड़ चुका था। क्योंकि मुझे कोई रोकने समझने वाला नही था और अब न ही पापा और चाचा का डर था। गलत संगत में आकर मैंने लड़कियों और औरतों को गंदी नजरों से देखना चालू कर दीया। मेरे दोस्त जैसे औरतों को और लड़कियों को हवस की भूखी नजरों से देखते थे। मैं भी औरतों और लड़कियों को गंदी और हवस की नजरों से देखने लगा।

उसका नतीजा ये हुआ की अब मैं अपने घर की औरतों को भी गंदी नजरों से देखने लगा। मैं अक्सर चाची और अपनी मां को भी हवस भरी नजरों से देखने लगा। जब भी मेरी मां और चाची आंगन में नहाती थी तो मैं जान बूझकर उसी वक्त आंगन में चला जाता था। मेरे मन में ये आ चुका था की कहीं बाहर आंख सेकने से अच्छा है। घर के माल को ही देखूं।

लाख कोशिश करने के बाद भी मुझे कभी चाची की और मां का नंगा बदन देखने को नहीं मिला। मुझपर हवस इतनी हावी हो चुकी थी की जब मेरी मां या चाची अपनी ब्रा या चड्डी सूखने को डालती थी। तब मैं चोरी से कभी मां या कभी चाची की ब्रा और चड्डी छुपकर उठा लेता था और उनकी चड्डी और ब्रा को सूंघते हुए। मैं अपना मुट्ठ मारकर उनकी ब्रा और चड्डी में पोंछ कर फिर से उन्हें उसी जगह पर टांग देता था। जहां उन्होंने सूखने के लिए टांगी होती थी।

मेरी चाची पूर्णिमा की उम्र 36 साल है उनके शरीर का रंग गोरा और वो न ही मोटी और न ही पतली है। सुडौल गांड, चिकना पेट और एक हाथ में पूरी तरह सामने वाली चूंचियां और मेरी मां कल्पना जिनकी उम्र इस समय 46 साल है वो दिखने में थोडी कम हाईट की भरी पूरी दिखने वाली एक कामुक औरत है। उनकी चुचियों को उनकी ब्लाउज़ के उपर से ही देखने से पता चलता है की उनकी चूंचियां उनके ब्रा में पूरी तरह नही अटती। मां की गोल बड़ी गांड देखकर मेरा लंड हमेशा खड़ा हो जाता था।

मैं अपनी मां को देखकर ज्यादा उत्तेजित होने लगता था। लेकिन उनके कड़क स्वभाव के कारण उनसे ज्यादा डर भी लगता था पर मेरी चाची थोड़ी हसमुक किस्म की औरत थी पर फिर भी मैं उनसे खुलकर ये सब बातें नही कर सकता था। लेकिन जब मेरी चाची और मेरी मां मेरे वीर्य से सनी अपनी चड्डी और ब्रा पहनती थी तो मेरे दिल को सुकून आता था और मैं अब तक इसी में खुश था। ये मैं उनके ब्रा और चड्डी के साथ रोज करता था।

ये सब काफी दिनों तक चलता रहा लेकिन एक दिन की बात है उस दिन सन्डे था। मैं सन्डे को थोड़ा लेट ही उठा करता था। मैं उस दिन भी 9 बजे तक सोया हुआ था। तभी मेरी चाची आवाज देती हुई मेरे कमरे में आई और बिस्तर पर बैठ गई। चाची की आवाज के कारण मेरी नींद तो खुल गई और अंजाने में चाची को चोदने का रास्ता भी मिल गया।

चाची गलती से मेरे हाथ पर अपनी गद्दीदार गांड रखकर बैठ गई थी। मेरे मन में तुंरत एक शरारत सूझी मैंने उनकी गांड के नीचे दबे अपने हाथ की उंगली को उपर उठाकर उनकी साड़ी समेत उनकी चुत में ठेल दिया। चुत में उंगली जाते ही चाची सकपकाकर तुंरत उठ खड़ी हो गई और एक शरारती मुस्कान देकर शर्माती हुई मेरे कमरे से बाहर निकल गई।

मैंने जान बूझकर इस मौक़े का फायदा उठाया था। अगर चाची गुस्सा होती तो मैं कहता आप ही मेरे हाथ पर बैठी हो। लेकिन ऐसा कुछ नही कहा चाची ने सिर्फ शर्माकर बाहर चली गई। लेकिन मैंने उतनी ही देर में चाची की चुत की गरमी को भांप लिया था। मेरे मन में चाची के नंगे बदन की तस्वीर चलने लगी और मैंने बिस्तर पर ही मुठ मारनी शुरू कर दी।

कुछ देर बाद मेरा माल झड़ गया और मैं चुपचाप कमरे से बाहर आ गया। सुबह इतनी अच्छी शुरूआत हुई थी की मेरा सारा दिन मेरा अच्छा ही गया मैं हर वक्त चाची को चोरी छिपे ताड़ता रहा। जिस वजह से बार बार मेरा लंड खड़ा होता रहा।

रात के खाने के बाद सभी अपने अपने कमरे में चले गए। मैं भी अपने कमरे में सो गया। रात के करीब 12 बजे अचानक लाईट चली गई आप लोग तो जानते ही होंगे गांव में लाईट का एक अलग ही प्राब्लम है। मुझे गर्मी लगने लगी और मेरी नींद खुल गई। मैं पसीना पोंछते हुए अपने कमरे से निकल ही रहा था की मुझे छत पर जानें वाली सीढ़ियों पर किसी की चलती परछाई दिखी।

मैं भी उस परछाई के पीछे छत पर चला गया। मैंने देखा वो मेरी चाची थी। वो छत की रेलिंग से सटकर खड़ी थी। मैं चुपचाप उनके पास गया और इधर उधर देखने लगा जब रास्ता साफ दिखा तो मैंने झट से अपना एक हाथ चाची की गांड पर रखा और चाची की गांड को सहलाने लगा। जब चाची पीछे मुड़ी और मुझे देखा और कुछ कहना चाहा तभी मैंने अपनी एक उंगली को चाची की साड़ी समेत उनकी चुत पर दबा दिया।

चाची बिना कुछ बोले मुझे अपनी गांड और चुत सहलाने दे रही थी। अचानक मैंने अपना हाथ उनकी ब्लाउस पर रख दिया और आराम आराम से उनकी चुत को साड़ी के उपर से ही सहलाते हुए उनकी चुचियों को भी ब्लाउज के उपर से ही दबाने लगा। कुछ ही देर में चाची मस्त होने लगी और उनके मुंह उम्ह उम्ह्… की मादक आवाज आने लगी।

चाची अपने आप ही अब काबू आ रही थी। उन्होंने अपनी पीठ मेरे सीने से चिपका दी और मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर अपने चुचियों पर मेरे हाथ को और जोर से दबाने लगी। अब चाची गर्म हो चुकी थी। ऐसा मुझे उनकी अदाओं और मादक सिसकियों से पता चल रहा था।

मैंने ज्यादा देरी न करते हुए चाची को पलट कर उनका चेहरा अपने तरफ कर दिया। अब हम दोनों चुदाई की आग में सुलगते एक दूसरे के आमने सामने एकदम चिपक कर खड़े थे। चाची की गरम सांसें मेरे मुंह पर टकरा रही थी। मैंने तुरंत अपनी पैंट पूरी नीचे करदी और अपना लंड चाची के एक हाथ में पकड़ा दिया।

चाची के हाथ में मेरा लंड पड़ते ही चाची मेरे लंड की चमड़ी को आगे पीछे सरकाने लगी। उसके अगले ही पल मैंने चाची की ब्लाउज़ के बटनों को खोल दिया और उनकी चुचियों पर से उनकी काली ब्रा उपर उठा दी। मैं उनकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा। चाची की सिसकियां और तेज हो गई थी। वो लगातार धीमी आवाज में सस्स…ह ह ह… अमम इश्स… करने लगी।

फिर मैंने चाची की एक चूंची के निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा चाची की चूंची का निप्पल मेरे होठ से दबते ही चाची ने मेरे सर को पकड़ लिया और मुझे अपनी चुचियों पर दबाने लगी। मैं चाची की चुचियों को बारी बारी से चूसने लगा। अचानक चाची झटके खाने लगी और आहिस्ते से कहा अब मेरा निकल गया है।

मैंने उनके मुंह से ये बात सुनते ही सोचा की कही चाची बीच में ही अपना मन न बदल ले। इसलिए मैंने उनको और गरम करने का सोच लिया। मैंने तुरंत चाची की साड़ी उठाई और खुद घुटनों के बल बैठ गया और उनकी साड़ी के अंदर घुस गया। चाची अब भी मुझे कुछ नहीं बोली वो वैसे ही खड़ी रही।

फिर मैंने चाची को उनकी दोनों जांघों को थोड़ा खोलने को कहा चाची ने वैसा ही किया। फिर मैंने उनकी चुत पर अपनी जीभ लगा दी और बुरी तरह उनकी चुत को चाटने लगा और उनकी चुत से रिसता हुआ माल भी पीने लगा। बीच में ही चाची अपनी दोनो जांघों को आपस में चिपकाने लगी। वो मेरा मुंह अपनी चुत से हटाने की कोशिश करने लगी। शायद अब उनसे मेरा उनकी चुत को चाटना बर्दास्त नहीं हो रहा था।

चाची का पूरा बदन शोले की तरह भड़क रहा था। उनकी चुत भी काफी गरम हो चुकी थी। दुबारा से उनकी चुत में रिसाव होने लगा था। लेकिन मैंने उनकी दोनों जांघों को पकड़ लिया और अपनी जीभ को उनकी चुत पर और चुत के अंदर चलाता रहा। चाची अब मेरा सर अपनी चुत पर दबाने लगी थी और साथ ही अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी चुत को मेरे मुंह पर रगड़ रही थी।

अब चाची की चुदाई का वक्त आ चुका था। मैं चाची से अपना लंड चुसवाना चाहता था। मगर चाची का मन बदले उससे पहले मैं उनकी चुत चोदना चाहता था। मैं उठकर खड़ा हो गया और चाची के होठों पर अपने होठ रखकर एक लंबा किस किया। चाची अब ज्यादा गरम हो चुकी थी। वो अपने एक हाथ से अपनी चुत और एक हाथ से अपनी चूचियां और अपना गला रगड़ रही थी।

मैंने छत पर रखी चटाई को वहीं बिछा दिया और मैं चाची को चटाई पर लेटाकर उनके कपड़े उतारने लगा। मैंने उनकी साड़ी और पिटीकोट को खोल दिया और चाची ने अपनी ब्रा और ब्लाउज खुद ही निकाल दी। मैं भी पूरा का पूरा नंगा हो गया। चाची का नंगा बदन मेरे सामने किसी दीपक की तरह जगमगा रहा था।

चाची अपनी दोनों टांगें खोले मुझे बुला रही थी। चाची ने कहा आओ जल्दी से मुझसे अब चुदाई की तड़प बर्दास्त नहीं हो रही हैं। मैं चाची की दोनों टांगों के बीच बैठ गया और अपना लंड चाची की चुत पर रख दिया। जब मैंने चाची की चुत पर अपना लंड रखा तो चाची ने अपनी आंखें बन्द कर ली और अपने होठों को आपस में दबाने लगी। चाची ने आंखे बंद किए हुए ही कहा अब डालो जल्दी से इसे मेरी बुर में।

मेरे अंदर वासना की आग भड़क उठी थी। मैंने चाची की चुत की छेद पर अपना लंड अटकाया और एक कस का धक्का मारा चाची सरककर उपर हो गई। आचनक के धक्के से उनकी चीख निकली पर मैंने तुरन्त अपने होठों को चाची के होठों पर दबा दिया ताकि चाची की आवाज नही निकले। चाची की चीख उनके मुंह में ही दबकर रह गई।

चाची ने दर्द भरी आवाज़ में कहा सुमित तेज़ तेज़ मत करो बहुत दर्द हो रहा है। पहले धीरे धीरे चलो बहुत दिनों बाद मेरी बुर लंड खा रही है। मैंने धीरे धीरे चाची की चुत में धक्के लगाना शुरू कर दिया। अब उनको भी कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। ऐसे ही उनकी चुत चोदते चोदते उनकी चुत का रस फिर निकल गया और उनकी चुत गीली हो गई।

अब चाची की चुत में मेरा लंड फकफक फिसल रहा था। मैंने धक्कों की रफ़्तार इतनी तेज कर दी की मैं बता नही सकता। अब चाची को ज्यादा दर्द नही हो रहा था। चाची भी अब खुलकर अपनी चुत चुदाई के मजे ले रही थी। उन्होंने मेरा सर अपने गले पर दबा लिया और अपनी टांगों को मेरी कमर पर बांधकर मुझे और कस के और कस के… चोदो सुमित मेरी बुर और जोर से आह… आ आ…आह्ह्ह …

मैं उनकी मादक आवाज सुनकर और उत्तेजित हो गया और मैं और तेज तेज झटके देकर अपनी चाची की चुत को चोदने लगा गया। अब मैं झडने वाला था मैंने चाची को बताया तो चाची ने कहा प्लीज़ सुमित बाहर ही निकालना नही तो कुछ गड़बड़ हो जायेगी । तुम्हारे चाचा भी यहां नही है जो मैं ये इल्जाम उनपर लगाऊंगी। मैं अंतिम चरण में था इसलिए अपनी पूरी ताकत झोंककर चाची की चुत में अपने लंड के धक्के मारे जा रहा था।

हम दोनों वासना की आग में इतने उत्तेजित हो गए थे की हम भूल गए थे की चुदाई की ठप्प ठप्प… फच्च फच्च की आवाज इतनी तेज हो गई थी की कोई भी सुनकर समझ जाएगा की यहां चुदाई चल रही है। मैं सब कुछ भूलकर बस चाची की चुत चोदने पर ध्यान दे रहा था। मैं झडने ही वाला था। आप लोग उस समय का जोश तो समझते ही होंगे। चुदाई की ठप्प… ठप्प… फच्च… फच्च….की आवाज पूरे छत पर गूंज रही थी।

मैं अब झड़ने वाला था। मैं भी हर धक्के के साथ आह… आह… कर रहा था। चाची भी अपनी टांगें फैलाए अपना सर उठाकर मेरे लंड को देख रही थी। तभी किसी ने बड़े ज़ोर से मेरे कान मरोड़े दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई। मैंने जब अपना सर घूमाकर देखा तो मां खड़ी थी और चाची की चुत में घुसे मेरे लंड को और हमें नंगे देखकर आश्चर्यचकित थी।

फिर वो गुस्से में चाची को शोर न करते हुए धीमी आवाज में गालियां देने लगी। मां चाची को रण्डी तेरे पति के पीछे तू ये सब कर रही है। तुझे चुदाई की इतनी गर्मी चढ़ी है की तू मेरे बेटे से ही चुदवा रही है। मां के डर से मेरा लंड सिकुड़कर अपने आप ही चाची की चुत से बाहर आ गया। उस वक्त मैं पकड़े जाने से चाची की चुत में ही झड गया था।

मेरा लंड बाहर आते ही चाची की चुत से मेरे लंड का माल बाहर रिसने लगा। जिसे देख मां और आग बबूला हो गई और चाची को गालियां देने लगी और बोली रंडी तूने ये नही सोचा की अभी तेरा पति यहां नही है। अगर तेरे कोंख में बच्चा ठहर जाएगा तो तू क्या मुंह दिखाएगी। मां चाची पर बरसते हुए मुझे थप्पड़ मारने लगी।

मां मुझे मारे जा रही थी और चाची और मैं अभी भी नंगे उसी अवस्था में पड़े हुए थे। तभी चाची ने मुझे बचाने के लिए मां को पीछे धक्का दे दिया। चाची उठकर खड़ी हुई और उल्टे मां को गालियां बकने लगी। चाची बोली असल की रंडी तो तू है। तेरी तो लंड खाने की इच्छा पुरी हो गई है। लेकिन मैं तो अभी जवान हूं। तुझे क्या पता मैं साल भर से इस चुदाई के लिए कितना तड़पी हूं।

मां और चाची में धक्का मुक्की होने लगी। मैं चटाई पर बैठा चुपचाप सब देख रहा था। क्योंकि मां के सामने मेरी बोली नही निकल रही थी। दोनों आपस में बाल नोचा नोची करने लगे। चाची नंगी ही मां से लड़ाई कर रही थी। काफी देर बाल नोचा नोची करने के बाद चाची ने मां को चटाई पर पटक दिया।

चाची मां के उपर चढकर मां को थप्पड़ मारने लगी। चाची मां को गालियां देकर कह रही थी। साली रंडी कितने दिनों बाद एक लंड मिला है तू उसे भी मार पिटकर डराकर मुझसे दूर करना चाहती है। मां बोली रंडी कुतिया ये तुम दोनों ने जो किया है वो पाप है। चाची बोली साली रंडी पाप है तो तू भी इस पाप की भागीदार बनेगी।

ये कहते हुए चाची मां के कपड़े नोचकर उतारने लगी। उन दोनों में पटका पटकी चल रही थी। लेकिन चाची मां पर हावी थी। वो फिर से मां के उपर चढकर बैठ गई। उस खींचातानी में मां की साड़ी उतर चुकी थी। फिर चाची ने मां की ब्लाउस की सारी हुकें एक झटके में तोड़ डाली। मां के दोनों विशाल गोरे चूंचे अब आजाद हो चुके थे।

चाची मां के पेट पर बैठी थी और उन्हें थप्पड़ मार रही थी। मैं मां के नंगे गोरे दोनों दुधो को ताड़ रहा था। तभी चाची ने अपना हाथ पीछे करके मां की पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और मुझसे कहने लगी। सुमित उतार इस रंडी की पेटिकोट को। मैं पहले से ही डरा हुआ था और उनके झगड़े ने मुझे और डरा दिया था। चाची के बार बार कहने पर भी मैं नहीं हिला और मां की पेटिकोट नही उतारी।

चाची ने कहा सुमित अगर तुम इस रंडी की पेटिकोट नही उतारोगे तो तुम्हें फिर कभी मेरी बुर नही मिलेगी। मुझे चाची की बातें सुनकर थोड़ा ताव आ गया। लेकिन मैंने चाची से कहा मां पापा और चाचा को सब बता देगी। तो चाची ने कहा तुम उसकी चिंता मत करो। इस साली रंडी की भी बुर की चुदाई होगी तो ये किस मुंह से कहेगी की इसकी चुदाई भी हुई है।

मुझे चाची की बातें थोड़ी समझ आने लगी। तभी मां ने मेरी तरफ अपनी आंख तरेरते हुए देखा और मुझे उनकी पेटिकोट उतारने पर चेतावनी देने लगी। सुमित तूने अगर मुझे नंगा किया तो तेरे और तेरी चाची के लिए ठीक नहीं होगा।

लेकिन तब तक मुझे चाची की बात सही लगी थी यही एक रास्ता था बचने का की मां की भी चुदाई हो जाए। फिर तो ये किसी को नही बताएगी। मैंने मां की पेटिकोट को पकड़ा और खींचकर उनके पैरों के नीचे से निकाल दिया। अब मेरी मां बिलकुल नग्न अवस्था में मेरे सामने पड़ी थी। मैं जिस चुत को देखने के लिए सालों से तड़प रहा था।

आज उस चुत की मालकीन मेरे सामने नंगी पड़ी थी। मैं मां की हरी भरी गदराई चुत को देख पा रहा था। ये सब मुझे सपने जैसा लग रहा था। मां की चुत पर काले घने बाल थे। चाची ने कहा चोद रंडी की बुर को पर डर की वजह से मेरा लंड ही खड़ा नही हो रहा था। मां लगातार मुझे और चाची को धमका रही थी। मैंने हिम्मत की और मां की दोनों टांगों को फैला दिया और मैं उनकी टांगों के बीच बैठ गया।

मैंने अपना लंड पकड़कर मां की चुत पर रखा और एक धक्का दिया मगर में लंड मां की चुत में नही गया। अभी भी मेरा लंड डर के मारे मुरझाया हुआ था। तभी चाची ने कहा क्या हुआ ये रंडी चीखी क्यों नहीं फाड़ दे इसकी बुर को। मैंने कहा चाची पता नही मेरा लंड खड़ा ही नहीं हो रहा है। चाची ने कहा रुक मैं तेरे लंड को तैयार करती हूं।

चाची घूमकर अपना चेहरा मेरी तरफ और गांड मां की तरफ करके बैठ गई। उन्होंने मेरे लंड को हाथ में लिया और मुट्ठ देने लगी। मैंने कहा चाची कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है। तभी चाची ने कहा एक और तरीका है। चाची ने मां को चिढ़ाते हुए कहा। आज तो मेरी बुर की दीवार इस लंड से ढह के रहेगी। मैं तेरे जवान बेटे का लंड तैयार कर रही हूं। तब तक ले तू मेरी बुर सूंघ और चाट।

ये कहकर चाची ने अपनी गांड उठाई और अपनी चुत को मां के मुंह पर रखकर अपनी गांड को मां के मुंह पर दबाने लगी। न चाहते हुए भी चाची की चुत मां के मुंह पर थी। चाची अपनी कमर आगे पीछे हिला हिलाकर अपनी चुत को जबरदस्ती मां से चटवाने लगी। साथ ही मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर मेरा लंड चूसने लगी।

चाची के लंड चूसने के अंदाज से मैं सातवे आसमान पर पहुंच गया। मुझे एक अजीब और नया सा सुकून मिल रहा था। अब मेरे लंड में जान आ गई। अब मेरा लंड बिलकुल तनकर टाईट और सीधा हो चुका था। चाची ने कहा ले सुमित तेरा लंड फिर तैयार हो गया है। अब इस कुतिया रंडी की चुदाई कर और चाची ने मेरे कान में आहिस्ते से कहा तू इसकी गांड़ मार इसकी सारी हेकड़ी निकल जायेगी।

चाची ने कहा मैं इसके मुंह पर अपनी चुत दबाकर रखूंगी ताकि इसकी आवाज बाहर न आए। तू इसकी गांड में लंड डाल देना। चाची ने ठीक वैसा ही किया वो मेरी मां के मुंह पर अपनी चुत रखकर बैठ गई और अपने दोनों हाथों से मां की दोनों टांगों को पकड़कर उपर उठा लिया।

अब मां की गांड की दरार खुल चुकी थी और उनकी गांड का गोल भूरा छेद साफ दिखाई पड़ रहा। मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और अपना लंड सीधे मां की गांड की छेद पर जमा दिया। चाची ने मां की दोनों टांगों को ऊपर करके पकड़ रखा था। जिससे मुझे आसनी हो रही थी। मैंने मां की कमर पकड़ी और एक झटके में अपना आधा लंड मां की गांड में घुसा दिया।

मां खींचकर रोने लगी पर उनकी आवाज चाची की चुत ने दबा ली जो अभी भी उनके मुंह पर थी। मैंने लंड के मोटे हिस्से पर निशाना लगाकर थोड़ा थूक गिराया और फिर एक झटके में अपना पूरा लंड मां की गांड में पेल दिया। इतना मोटा लंड गांड में खाकर मां के बदन में गरमी छितरने लगी। मां अभी और गालियां बकने लगी। जो मुस्किल से मेरे कानों तक पहुंच रही थी।

मैं मां की कमर को पकड़कर अपनी कमर को हवा में खींच खींचकर मां की गांड चोदने लगा। मां की टाईट गांड चोदने में मुझे इतना मजा आ रहा था की मैं क्या बताऊं। मैं जान बूझकर लंड को आधा टेड़ा तिरछा मां की गांड में पेल रहा था। मैंने महीने भर का कोटा एक रात में पूरा कर दिया। मैं जोश जोश में आधे घण्टे तक मां की गांड लेता रहा।

मां दर्द से चिखती चिल्लाती रह गई पर चाची ने मुझे उनकी आवाज को मेरे कानों तक साफ साफ नही आने दिया न ही मुझे उनकी गांड पर रहम करने दिया। जब मेरी रफ्तार कम होती तो चाची बोलती और जोर चोद इसकी गांड तभी तुझे मेरी बुर चोदने को मिलेगी। मैं चाची को खुश करने के लिए और जोर जोर से मां की गांड को चोदता।

आखिरकार मैं आधे घंटे तक मां की गांड चोदता रहा। अब मैं झडने वाला था। तो चाची ने कहा बाहर मत निकाल इसकी गांड में अपना माल भर दे। मैंने वैसा ही किया मैंने अपने लंड का सारा माल मां की गांड में ही निकाल दिया। मां की गांड में माल झड़ने के बाद जैसे ही मैंने अपना लंड मां की गांड से निकाला। चाची बोली चुसवा इसकी गांड से निकाला लंड इसे।

चाची ने अपनी चुत को मां के मुंह पर से हटाया और साइड हो गई। चाची ने मां से कहा साली अगर कोई होशियारी दिखाई तूने तो फिर से तेरी गांड में लंड घुसेगा। मैं अब मां के सीने पर उनकी गद्दीदार चुचियों पर बैठ गया और अपना लंड पकड़कर मां के मुंह पर दबाने लगा। मां अब गांड चुदाई के डर से डरी हुई थी। उन्होंने चुपचाप अपना मुंह खोला और मैंने अपना लंड उनके मुंह में धकेल दिया।

मैं अपनी कमर उठा उठाकर मां के मुंह में अपना लंड चुसवाने लगा। मां के मुंह में मेरे लंड का बचा थोड़ा सा माल निकल गया और मेरा लंड मुरझाने लगा। लेकिन मैंने मां के मुंह में अपना लंड अंदर बाहर करना नही रोका कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मां के गले तक उतरने लगा। मां के मुंह में लंड घसीटने से उनके मुंह में लार भर गया था। मैंने अपना लंड मां के मुंह से बाहर खींच लिया।

चाची ने मुझसे कहा तू हट अब मैं इसे सबक सिखाती हूं। चाची मां के उपर लेट गई और मां की बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों से मसलने लगी। मां दर्द से कराह रही थी। लेकिन चाची ने मां को किश करना चालू कर दिया। मुझे ये सब थोड़ा अजीब सा लग रहा था। लेकिन मैंने सोचा मुझे तो दो दो चुत मिल रही है।

तभी चाची ने अपनी दोनों टांगों से मां की दोनों टांगों को फैलाकर अलग अलग किया और अपने चुत के दाने से मां के चुत के दाने को रगड़ने लगी। उन दोनों की सिसकियां निकल रही थी। दोनो की चुत एक दूसरे की चुत से रगड़ खा रही थी। अब दोनों मस्त होने लगी थी। लेकिन अब भी मां विरोध कर रही थी।

चाची अच्छे से अपनी चुत से मां की चुत को रगड़े जा रही थी। चाची ने मेरी तरफ देखते हुए कहा अब डाल दे इसकी बुर में अपना फड़कता लौड़ा मैंने भी आव देखा ना ताव मैं उन दोनों के टांगों के बीच आकर बैठ गया। फिर मैंने अपनी मां की चुत पर लंड रखा और चाची की चुत पर अपनी दो उंगलियां और एक धक्के में मैंने मां की चुत में अपना पूरा लंड डाल दिया और चाची की चुत में अपनी दो उंगलियां।

मैं चाची की चुत को उंगली से चोदता तो मां की चुत को अपने मोटे लंड से मैं दोनों चूतों का भरपूर मजा ले रहा था। फिर मैंने अपना लंड मां की चुत से निकाला और चाची की चुत में डाल दिया। अब मैं लंड से चाची की चुत को चोदने लगा कुछ देर बाद मैने अपना लंड चाची की चुत से निकालकर मां की चुत में डाल दिया।

मैं ऐसे ही बारी बारी से अपने घर की दोनों औरतों की चुत चोदता रहा। आधे घंटे तक बारी बारी दोनों की चुत चोदने के बाद मैं झडने वाला था। तो चाची ने कहा तू मेरी बुर से निकाल और अपनी मां की बुर में डाल के सारा बीज इसकी बुर में निकाल दे। अब इसके प्रेगनेंट होने का खतरा नहीं है। इसके बाद चाची अपने कपडे लेकर नीचे चली गई।

और बोलती हुई गई की अब रात भर ये तेरी है एक बार तो हो ही चुका है। अब क्या शर्म जितनी बार तेरा लंड खड़ा हो जाए उतनी बार चोदना सुबह तक ये तेरी है। कोई रोकने टोकने वाला नही है। मैं मां की चुत में लंड डालकर मां के उपर लेट गया।

रात के 2 बजे मेरी नींद खुली तो मां नंगी थकी हुई टांगें चौड़ी करके सोई हुई थी। मैंने पहले तो जीभर उनकी चूंचियां पी उसके बाद उन्हें उल्टा लेटाकर फिर से उनकी गांड में लंड डाल दिया। मैं उनकी गांड पर कूद कूद कर उनकी गांड़ मार रहा था। मैंने उनका मुंह दबा रखा था जिससे उनकी चीख और कराहो की आवाज नही निकल रही थी। फिर से मैंने अपना माल उनकी गांड में छोड़ दिया।

उसके बाद 4 बजे भोर में मैंने उनको अपनी गोद में बैठाया और अपना लंड उनकी चुत में डालकर उनको अपनी गोद में उछाल उछालकर चोदने लगा। रातभर ठुकाई के बाद मैंने मां को छोड़ दिया। मां सुबह के 7 बजे तक छत पर चटाई पर नंगी पड़ी थी। चटाई पर लिसलिसा वीर्य ही वीर्य फैला हुआ था।

उस रात के बाद से मां एक दम सीधी हो गई उसके बाद से मैं और चाची हर रात मेरे कमरे में आवाजें निकाल निकालकर खुलकर चुदाई करने लगे। मां को मेरे कमरे में पलंग के चरचराने और चुदाई की ठप्प…ठप्प… फच्च फच्च.. और आह… आ..आह्ह्ह .. आवाजें साफ सुनाई देती है। लेकिन उसके बाद मां ने मुझे और चाची को कभी नहीं रोका।

दोस्तों उम्मीद करता हूं की आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। फिर मिलता हूं। कोई और कहानी लेकर धन्यवाद।

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