बिन ब्याही बूढ़ी बुआ की चुत में पहला लंड-1

मैं कुणाल आप सभी अपनी इस सच्ची कहानी पर स्वागत करता हूं। मेरी उम्र अभी 23 साल है। मैं कॉलेज में M.COM की पढ़ाई कर रहा हूं। मेरी हाईट 5.8″ की है मैं दिखने में सावला और उम्र के हिसाब से थोड़ा हट्टा कट्टा दिखता हूं। लेकिन मुझे मेरे काले रंग से काफी एतराज है पर क्या करूं मेरे खानदान में सभी काले है। तो मैं कहा से गोरा पैदा होता।

बिन ब्याही बूढ़ी बुआ की चुत में पहला लंड-1

सांवले रंग के कारण मेरी कॉलेज की लड़कियां कभी मुझे भाव नहीं देती थी और सांवला रंग होने की वजह से मेरा आत्म विश्वास भी खत्म हो चुका था। मुझमें खुद ही हिम्मत नही होती थी की मैं सामने से किसी लड़की से बात करूं। जब सुंदर सुंदर लड़कियां दूसरे लड़को के साथ घूमती है। तो वो सब देखकर मेरा मन ललच जाता है।

अब मेरे अंदर सेक्स की आग इतनी भड़कती थी की मुझे मोबाइल पर PORN और मुट्ठी में अपना लंड पकड़कर हिलाना ही सेक्स था। मैं रोज दिन में 2 बार मुट्ठ मारता हूं। लेकिन तब भी मेरे लंड की प्यास नहीं बुझती। एक तो मेरा रंग सांवला और उपर से इतना काला लंड जिसे थोड़े अंधेरे में भी बाहर निकाल दो तो कोई देख नहीं पाए।

एक तो मुझे अपने काले लंड को देखकर खुद पर नाज होता था। तो दूसरी ओर शरीर का काला रंग देखकर उतना ही दुख होता था। चलो अब मैं आप सभी को अपने परिवार के बारे में बताता हूं। मेरे परिवार में मैं मां , पापा और एक बड़ी बुआ है। बड़ी दीदी की शादी हो चुकी है और वो अब अपने ससुराल में रहती है।

मेरी बड़ी बुआ की उम्र तकरीबन 50 साल से उपर है। लेकिन वो अभी तक कुंवारी है। ये पढ़कर आपको झटका लगा होगा। चलिए मैं अपनी बुआ के बारे में बताता हूं। मेरी बुआ मेरे दादा दादी की सबसे पहली औलाद है। उनके बाद मेरे पिता जी का जन्म हुआ। दरअसल जब मेरी बुआ जवान 18 – 19 हुई। तब अचानक उनकी तबियत खराब हो गई।

पता चला की उनको टीवी की शिकायत है। दोस्तों उस ज़माने में टीवी का सही इलाज नहीं था। फिर भी मेरे दादा जी ने बहुत कोशिश की उनका इलाज कराने की लगभग मेरे दादा दिवालिया होने की नौबत आ चुकी थी। लगभग सन् 2000 में बुआ को सही इलाज मिल पाया और वो पूरी तरीके से ठीक हो गई।

लेकिन उस समय उनकी उम्र ज्यादा हो गई थी। वो लगभग 30 साल से उपर की हो चुकी थी। उस जमाने में लोग जल्दी ही शादी कर लेते थे। तो उस हिसाब से मेरी बुआ की शादी की उम्र निकल चुकी थी। बहुत रिश्ते देखें गए लेकिन किसी ने उनकी बड़ी उम्र और उपर से सांवला रंग देखकर उनको पसंद नही किया।

बस ऐसे ही वो बिन ब्याही रह गई। अब उनकी उम्र 50 साल से उपर हो चुकी है। वो अब तक कुंवारी है क्योंकि पुराने ज़माने के लोगों को शादी के बाद भी सेक्स की उतनी जानकारी नहीं होती थी। जितनी अभी के 15 – 16 साल के लड़के लड़कियां जानती है।

जिस वजह से बुआ का बदन एकदम सुडौल और गठिला है। उनकी बड़े बड़े बूब्स उनकी ब्लाउस में नही आते और ब्लाउस के गले से बाहर तक झाँकते है। उनकी गोल मोटी गांड किसी Milf Pornstar से कम नही दिखती है। कुल मिलाकर मेरी बुआ 50 साल की एक कुंवारी लड़की है शायद जिसने कभी लंड का स्वाद नहीं चखा था।

सब कुछ कई सालों से समान्य ही चल रहा था। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ। जिससे मेरे अंदर बुआ के जिस्म के लिए हवास की भूख जाग गई। एक दिन मुझे तेज बुखार था। मैं अपने कमरे में बुखार से तप रहा था। पापा ने मुझे दवा दी पर मेरा बुखार नही उतरा और संयोग से उस दिन रविवार था। जिससे कोई डॉक्टर की क्लिनिक नही खुली हुई थी।

उसी दिन दोपहर में बुआ मेरे कमरे में मुझे देखने और मेरा हाल चाल लेने आई। बुखार से मेरा गला सुख रहा था। मैं अपने कमरे में टेबल पर रखे पानी को लेने को बिस्तर से उतरा ही था की मैं लड़खड़ा कर गिर गया। उसी वक्त बुआ मेरे कमरे में अंदर घुसी उन्होंने मुझे गिरता देख लिया। लेकिन वो मुझे संभाल पाती उससे पहले मैं धम से गिर चुका था।

वो हड़बड़ाती हुई मेरे पास आई और मुझे उठाकर बिस्तर पर बैठा दिया। वो मुझसे पूछने लगी इतनी तेज बुखार में तू कहा जा रहा था। मैंने उनको सब बताया और उन्होंने मुझे ग्लास में पानी भरकर अपने हाथों से पिलाया और बोली इतनी तेज बुखार है और तुझसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा है। तू किसी को बुला लेता। मैंने कहा बुआ मेरा कमरा घर के अंतिम कोने में है।

मुझमें इतनी ताकत नहीं है की मैं इतनी जोर से चिल्ला पाऊं। ताकि आगे के कमरों तक मेरी आवाज़ जाए। तब बुआ ने कहा चल सो जा मैं यही तेरे पास सो जाती हू ताकि जब तुझे किसी की जरूरत हो तो मैं तेरे पास ही रहूं। वैसे भी घर का सारा काम अब खत्म हो गया है शाम को ही काम है। दोपहरी का वक्त था मेरे घर में सभी दोपहर के वक्त सो जाते है और शाम को ही उठते हैं।

मैं बिस्तर पर दूसरे छोर पर दीवार की तरफ लेट गया। बुआ एक किनारे लेट गई। मेरी कुछ देर बाद मेरी आंख लग गई। अचानक मुझे तेज ठंड लगने लगी और मेरी नींद खुल गई। मैंने बिस्तर पर देखा कुछ ओढ़ने को नही दिखा। सामने बुआ सोई हुई थी जिनकी पीठ मेरी तरफ थी और चेहरा दूसरी तरफ। जब कुछ ओढ़ने को नही मिला और ठंड बर्दास्त नही हुई।

तो मैं बुआ के तरफ घिसटकर गया और बुआ को पीछे से अपनी बांहों में भरते हुए उनके पिछवाड़े से अपने आगे के बदन को चिपकाकर लेट गया। अब बुआ के बदन की गर्मी के कारण मुझे कम ठंड लग रही थी। मेरा सीना बुआ की बुआ की पीठ से और मेरी कमर उनकी गांड से चिपकी हुई थी। जिनके बीच से एक उंगली भी पार करने की जगह नही थी।

जब मेरी ठंड कम हुई तो मुझे एक अलग सा एहसास होना चालू हो गया। अब मुझे एक अलग सी मस्ती जैसी चढ़ने लगी थी। मेरा लंड धीरे धीरे टाईट होने लगा और बुआ की गांड पर अपना दबाओं बनाने लगा। एक बार तो मुझे ये सब गलत लगा। लेकिन उस मस्ती के आगे सही गलत का फर्क खतम हो गया।

मैंने अपनी पैंट में हाथ डाला और अपने लंड को सीधा कर के पैंट में तंबू जैसा कर लिया और अब मैं अपने लंड को वैसे ही बुआ की गांड पर दबाने लगा। मैं धीरे धीरे वैसे ही अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा और अपना लंड कभी बुआ के गांड के दोनों हिस्सों पर तो कभी उनकी गांड की दरार में दबाने लगा।

साफ शब्दों में बताऊं तो मैं बिना कपड़ा खोलें कपड़ों के उपर से ही बुआ को चोदने लगा। मैं धीरे धीरे अपनी क़मर आगे बढ़ा बढ़ाकर उनकी गांड में अपना लंड दबा रहा था। मेरी कमर के धक्कों की वजह अब बुआ के शरीर का निचला हिस्सा भी हल्का हल्का हिलने लगा था। लेकिन उनकी आंखें अभी भी बंद थी। फिर मैंने अपना एक हाथ उनकी पेट पर रखा और अपने आप को खींचकर उनसे और चपक गया।

अब मेरा चेहरा उनके कानों के उपर आ चुका था। मैं खुद को बहुत गरम महसूह कर रहा था। जिस वजह से मैं बुआ के कान पर गहरी लंबी और गर्म सांसें छोड़ रहा था। मैंने हल्के हल्के बुआ के पेट को सहलाया लेकिन बुआ नही जागी। तब मेरी हिम्मत और बढ़ी मैंने अपनी दाहिनी टांग को बुआ की दाहिनी टांग पर चढ़ा लिया।

फिर मैंने एक हाथ से उनकी कमर पकड़ ली और कपड़ों के उपर से ही मैं बुआ की गांड की दरार में अपना लंड दबाने लगा। लगातार उनकी गांड की दरार में लंड घुसाने से अब बुआ की साड़ी उनकी गांड की दरार में घुस चुकी थी। जिससे मेरा लंड पूरा का पूरा मेरी पैंट समेत उनकी गांड की दरार की गहराई में घुस रहा था।

अब मैं बैचेन होने लगा था क्योंकि ये सब करने से मेरी गर्मी ठंडी नहीं हो रही थी। मैंने बुआ की गांड देखने का फैसला किया। लेकिन मुझे डर भी लग रहा था। लेकिन उस वक्त 2 पल की खुशी के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार था। सही गलत सब बुआ की गांड में घुसा हुआ था। मैं धीरे धीरे बिना अपने हाथ बुआ के पैरो को टच कराए। पीछे से उनकी साड़ी को एड़ियों के पास से दो उंगलियों से पकड़ के उपर करने लगा।

कुछ हिम्मत और कुछ इंतजार का फल अब मेरे सामने आने वाला था। मैंने बुआ की साड़ी को पीछे से उनकी जांघों के उपर तक उठा दिया था। उनकी दोनों जांघों पीछे से नंगी हो चुकी थी और मुझे उनकी जांघों का हर हिस्सा और रेसा ( छोटे रोंगटे ) दिखाई देने लगा था। अब बस उनकी गांड की उभार दिखाई देने वाली थी। मैंने हिम्मत की और धीरे से एक बार में ही उनकी गांड से उपर तक साड़ी उठा दी। उन्होंने अंदर कुछ नही पहना था उनकी गांड सीधी नंगी हो गई।

जो मुझे दिखा मैंने कभी उसकी कल्पना नहीं की थी। बुआ की इतनी बड़ी और चौड़ी गांड देखकर मैं भौचक्का रह गया। अब मुझे उनकी गांड की दरार की गहराई साफ दिख रही थी। जो उनकी साड़ी ने ढक रखी थी। उनकी गांड के दोनों हिस्से एक दूसरे से किसी कटे खरबूजे के दोनों हिस्सों की तरह आपस में चिपकी हुई थी।

मैंने हिम्मत करके बुआ की नंगी गांड को पहली बार छुआ और छूते ही मेरे अंदर करेंट दौड़ गया। मेरी सांसे घबराहट और उत्तेजना के मारे तेज़ हो गई थी। मैंने शुरू के 5 मिनट तो जीभर बुआ की नंगी गांड को देखा और उनकी गांड के आकार का जायजा लेने में निकाल दिया। अब मेरे अंदर सब जल्दी करने की इच्छा जाग गई।

मैंने तुरंत अपनी पैंट घुटनों तक कर दी। फिर मैंने अपना खड़ा लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ा और लंड के सुपाड़े पर से चमड़ी पीछे करके लंड को बुआ के गांड के दोनों हिस्से पर दबाने लगा। अब मैं पीछे होकर अपनी कमर को बुआ के गांड के नीचे ले गया। फिर मैंने अपने एक हाथ की चार उंगलियां बुआ की गांड की दरार में डाली और बुआ के गांड के उपर वाले हिस्से को थोड़ा उपर उठा लिया।

एक हाथ से अपने लंड पर थूक लपेटकर लंड को पकड़ लिया। फिर मैंने अपना लंड बुआ के गांड के निचले उभारों से उनकी गांड की दरार में डाला और उनकी गांड के ऊपरी हिस्से को छोड़ दिया। अब मेरा लंड बुआ की भरी भरकम गांड के दोनों हिस्सों के बीच सेंडविच बन गया।

अब मैं नीचे से अपनी कमर आगे उठाता और मेरा लंड बुआ की गांड की दरार में रगड़ता। बुआ के गांड के भार से मेरे लंड पूरा दबा हुआ था और जब मैं अपनी कमर चलाता तो मेरे लंड की चमड़ी बुआ की गांड की दरार में दबकर आगे पीछे होती। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं काफी देर तक बुआ की गांड की दरार में अपना लंड पिसवाता रहा।

अब मुझे मजा आने लगा अब मेरा पानी निकलने वाला था। मैं हअ… हअ… करके बुआ की गांड की दरार में अपना लंड चोदने लगा। अब बुआ का बदन मेरे धक्कों से फिर से हिलने लगा। उनकी गांड पर मेरे पेट की टकराने की चट… चट…. आवाज आने लगी। मैं चाह कर भी अपने आप पर कंट्रोल नही कर पा रहा था।

मेरे अंदर जोश इतना बढ़ चुका था की मैं हआ…. हअ…. हअ…. करता हुआ धक्के देने लगा। अब मेरा लंड बुआ की गांड के निचले उभार से घुसता और उनके गांड़ के उपरी उभार से मेरा सुपाड़ा उपर निकलता। मैंने जोश जोश में गलती से बुआ की चूंची को उनकी ब्लाउज़ के उपर से ही पकड़ लिया और अपने पंजे में कसते हुए उनकी गांड की दरार में अपना लंड घसीटने लगा।

मैं वासना में इतना लिप्त हो चुका था की मुझे ये भी खयाल नहीं था की मैं बुआ की नींद का फायदा उठाकर ये सब कर रहा हूं। शायद जब मैंने बुआ की चूंची पर अपने पंजों का जोर लगाया और कस कस के अपना लंड उनकी गांड की दरार में रगड़ा। तभी बुआ की आंख खुल गई और वो जाग गई।

तब भी मेरा ध्यान बुआ पर नही गया मैं अपनी वासना शांत करने में लगा हुआ था। अचानक बुआ का हाथ मेरी आंखों के सामने आया पहले उन्होंने अपना हाथ गांड पर रखकर अपनी गांड को टटोला और जब उनको समझ आया की उनकी गांड पर साड़ी नही है और उनकी गांड बिल्कुल नंगी है। तब उन्होंने अपनी उंगलियां आगे बढ़ाई और मेरी कमर को छूते हुए अपनी उंगलियों को मेरे लंड पर रखते ही और वो सारा कांड समझ गई।

आश्चर्य की बात ये थी की बुआ अपनी उंगलियों से अपनी गांड और मेरे लंड को छू चुकी थी। लेकिन अभी तक उन्होंने पलटकर मेरी तरफ देखा नही। जब उन्हें सब कुछ समझ आ गया। तो उन्होंने अपना हाथ फिर हटा लिया और बिना कुछ बोले चुपचाप लेटी रही। जैसे ही वो पहले वाले पोजिशन में आई। मैंने फिर से उनकी गांड की दरार में अपना लंड चोदना चालू कर दिया। 5 मिनट के बाद मेरा पानी निकल गया।

मैंने अपना सारा वीर्य बुआ की गांड की दरार में ही छोड़ दिया। फिर मैंने अपनी पैंट चढ़ा ली और बिस्तर के एक कोने में लेटकर बुआ की गांड को देखने लगा। बुआ की काली गांड की दरार से सफ़ेद गाढ़ा वीर्य बहता हुआ। मेरे मन को सुकून दे रहा था। 5 मिनट बाद लेटे हुए ही बुआ ने अपनी दाहिनी टांग हवा में उपर उठाई और अपने दोनों टांगों के बीच एक हाथ लाकर सीधी अपनी गांड तक ले गई।

बुआ अपना हाथ अपनी गांड की दरार में डालकर वीर्य को अपने हाथ से काछकर साफ करने लगी। फिर उन्होंने अपनी साड़ी से अपनी गांड की दरार को पोंछा और अपनी गांड साड़ी से ढककर कमरे से बाहर निकल गई। बुआ ने न कोई खुशी दिखाई थी ना ही कोई नाराजगी जताई। पूरे कांड के समय बुआ ने न अपना चेहरा मुझे दिखाया और न मैंने उनको अपना चेहरा दिखाया।

सारा खेल उनके पीठ के पीछे ही हो गया। दोस्तों कहानी पूरी नहीं हुई है। कहानी ज्यादा लंबी न हो इसलिए इसे दुसरे भाग में लेकर आऊंगा। दुसरे भाग में आपको पता चलेगा। कैसे मैंने और मेरी बूढ़ी बुआ ने एक साथ अपनी वर्जिनिटी खो दी। उस रात बुआ को पहली बार किसी लंड का स्वाद उनकी बुर में मिला था। आगे की कहानी जल्द ही लेकर आऊंगा।

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