कमसिन चूत की प्यास

आज जो मैं एक कहानी लिखने जा रहा हूं ये कहानी मेरी बाकी की कहानियों से अलग है। मैं अक्सर sexykahani.xyz से गंदी कहानियों को पढ़कर रात को कभी अड़ोस पड़ोस की औरतों तो कभी अपनी मम्मी, बहन और बहुत सारी लड़कियों की चूत और गांड़ के अपनी खुली आंखों से सपने सोंच सोंचकर रोज मुट्ठ मारता हूं।

कमसिन चूत की प्यास

मेरा नाम मोनू है मैं 5वी क्लास तक पढ़ा लिखा हूं। क्योंकि गांव के माता पिता पढ़ाई से ज्यादा कमाई के बारे में सोचते है और मेरा भी पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल मन नहीं था। इसलिए मैंने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी।

मैं दिनभर भैंसो और बकरियों को चराता और दिन भर आवारा गर्दी करता। हमारे तबेले में दूध देने वाली गाय, भैंसे और बकरियां बहुत थी। जिनका दूध बेचकर अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी।

गाय, भैंसो और बकरियों के पीछे पता ही नही चला की मैं कब 25 साल का हो गया। मेरे साथ से लड़के सारे लड़के शहर कमाने चले गए। मैं गांव में ही रह गया क्योंकि मेरा भैंसो और बकरियों से दूर होने का मन ही नही किया और एक वजह ये भी थी की नौकरी में मुझे गदहे की तरह काम करना पड़ता और यहां जिंदगी मौज में कट रही थी।

गांव में अब उम्र में मुझसे छोटे लड़के ही थे। जिनसे मेरा कोई लेना देना नही था। अब मैं गांव की स्कूल कॉलेज की लड़कियों जो मुझसे उम्र में छोटी थी उनको ताड़ता या लाइन मारता था। कभी कभार किसी औरत पर भी मेरा मन डोल जाया करता था।

एक दिन की बात है भरी दोपहरी में मैं अपने तबेले में खाट पर लेटा हुआ था। तभी मुझे तबेले के पीछे से सरसराहट सुनाई दी क्योंकि मेरे तबेले की दीवार टीन वाली अल्बेस्टर से बनी हुई थी। वो आवाज फिर से मुझे सुनाई दी ऐसा लगा की मेरी टीन वाली दीवार पर झाड़ियों की लकड़ियां रगड़ रही हो।

मैं उस दीवार के पास गया और खड़े खड़े उस दीवार को देख ही रहा था। तभी मुझे हल्की सी फिर से सरसराहट की आवाज सुनाई दी। वो टीन की दीवार बांस के खंभों पर ठूकी हुई थी। अल्बेस्टर की दीवार जमीन से तीन उंगली ऊंची थी।

मेरे मन में आया की क्यों न पहले नीचे से झांक कर देख लूं। मैं जैसे ही झुका और अपनी नजरे बाहर दौड़ाई तो मेरी आंखों के सामने दो पैर थे। ये कोई लड़की थी वो भी टीनेज वाली। मैं वैसे ही झुका रहा कुछ देर बाद वो लड़की झाड़ियों में छुपकर बैठ गई।

उसने t-shirt और घुटने तक टाइट वाली हाफ पैंट पहनी हुई थी। मैंने उत्साहित हो गया। मैंने अपनी आंख को टीन की उस फांक के और करीब कर दिया। अब मुझे उस लड़की का चेहरा दिखाई दे गया और मैं उसे पहचान गया।

वो प्रीति थी मेरे घर के बगल घर की थी। मैं उसे वहां देखकर थोड़ा चौक सा गया। उतने ही देर में वो अपनी गांड़ जमीन पर रखकर नीचे बैठ गई थी। उसने अपनी टीशर्ट उठाई और अपनी पैंट का नाड़ा पकड़कर खोल दिया।

फिर उसने अपनी टांगे जैसे ही फैलाई मुझे कुछ ऐसा दिखा की मैं भौचक्का और वासना से भर गया। उसकी टांगों के बीच की उसकी गुलाबी पैंट बिल्कुल गीली थी। मुझे ये भी समझ आ गया की ये कोई आम चीज नही बल्कि उसकी फुदकती चूत का रस है।

मेरे दिमाग़ में ये सब चल ही रहा था तब तक उसने अपनी पैंट पूरी उतार दी और मेरी आंखों के सामने अपनी दोनों टांगों को फैलाकर बैठ गई। साली की चूत थी वाह्ह्ह… देखकर मजा सा आ गया लंड पानी पानी हो गया।

वो गहरे गेहूवे रंग की थी लेकिन उसकी चूत थोड़ी सांवली और उसकी चूत के बीच की चमड़ी बिल्कुल काली उसकी चूत पर छोटे छोटे झांट के बाल थे। मेरा 7 इंच का लंड प्रीति की कमसिन चूत को देखकर खड़ा हो गया। साली ने अपनी चूत से बहते हुए पानी को अपनी उंगली पर लगाया और सीधा अपनी उंगली को अपने मुंह में ले गई।

वो साली मजे से अपनी उंगली को चाट रही थी। फिर उसने अपनी उसकी उंगली से अपने मुंह से थूक निकाला और अपनी चूत की छेद पर मलते हुए उंगली को सीधा अपनी चूत में डाल दिया। उंगली चूत में घुसते ही अअह्हह्हह…. की मादक आवाज से साथ उसने अपनी गांड़ को हल्का सा उपर उठा लिया।

साली की क्या मस्त टाइट चूत थी उसकी चूत की लंबाई 3.5 इंच की होगी। उसी चूत में उसकी पतली सी उंगली आआह्ह्ह… उसने अपनी चूत के अंदर अपनी उंगली को अंदर बाहर करना स्टार्ट कर दिया। दो से तीन बार में ही उसकी चूत से फचर फचर…. की आवाज आने लगी।

वो अह.. अह.. अह की धीमी आवाज करती हुई अपनी चूत में लगातार उंगली मारने लगी। कुछ ही देर में उसकी चूत से फच्च की आवाज के साथ माड़ जैसा पानी उड़कर उसकी जांघ पर लग गया और उसकी चूत के नीचे की जमीन उस माड़ से गीली हो गई।

मेरा तो मन कर रहा था की साली की दोनों टांगों को पकड़कर अभी अपना लंड डाल दूं। लेकिन मैंने खुदको रोक लिया। मैंने उसको चोदने का मूड बना लिया। लेकिन मैं उसकी चूत की तड़प अच्छे से शांत करना चाहता था।

साली अभी अभी तो 11वी में गई थी और अभी से इसकी चूत में आग लगने लगी। उसकी हाइट करीब 4.5 फुट की होगी और कमर 28 की शरीर तो ऐसा है की कसकर थपड़ मारो तो बेहोश हो जाए।

मैं उसपर नजर रखने लगा। वो गांव के लड़कों को रिझाने की कोशिश करती रहती थी। उसे उम्र का भी ख्याल न था। अपने बाप के उम्र के मर्दों को भी इतराकर देखती या उनसे बातें करती।

प्रीति में छिनार वाली हरकते आ गई थी। मैं दिन भर में ज्यादातर उसके चक्कर में रहने लगा। जब वो चलती तो उसके छातियों को देखता जो अभी अभी उभर रही थी। उसकी चूचियों की वो नुकीली आकारों को देखकर मुझे उस दिन की याद आ जाती थी।

मैं कई दिनों तक मौके के तलाश में रहा और ना जाने कितने दिनों से मुट्ठ मार मारकर उसकी चूत का इंतजार किया। फिर एक दिन गांव में एक शादी थी। गांव छोटा है इसलिए सब एक दूसरे को जानते है।

गांव से सभी लोग शादी में व्यस्त थे मेरे घर के लोग भी वही गए थे। प्रीति सजधज कर अपने उम्र की लड़कियों के साथ आना जाना कर रही थी। तभी मैंने उसे एक चिट्ठी बिना किसी के नजर में आए पकड़ा दी।

उसने भी चिट्ठी को अपनी मुट्ठी में ऐसे दबा लिया की कोई देख नहीं पाए। उस वक्त उसने मुझे भी इतरा कर देखा और मुस्कुराते हुए चली गई। मुझे उस छिनार से यही उम्मीद भी थी। वो साली अपनी चूत के लिए लंड का जुगाड कर रही थी।

मैंने सोच रखा था की आज इस छिनार की चूत की आग बुझाकर ही रहूंगा चाहे इसकी मर्जी से या फिर जोर जबरदस्त/ई से । मैंने उस चिट्ठी में लिखा था की अकेले मेरे तबेले में आकर मिलो।

सांझ के समय वो चुपके से मेरे तबेले में आ गई। मैं उसका इंतजार ही कर रहा था। जैसे ही वो अंदर आई मैंने तबेले का दरवाजा बंद कर दिया। वो मुझे देख रही थी मैं भी उसे देख रहा था।

मेरी सांसें तेज़ होने लगी थी। शायद घबराहट के कारण मैंने अपने दिमाग से सबसे पहले उसकी कमजोरी पर हमला किया। अपना तना हुआ लंड उसकी आंखों के सामने अपनी पैंट से निकालकर खड़ा हो गया।

लंड देखते ही उसकी सांसे तेज हो गई। दो पल उसने चैन से मेरे लंड को घूरा उसके बाद छीनार शरीफ बनते हुए अपनी आंख ढककर बोली छी ये क्या कर रहे हो। मैंने कहा साली प्रीति मैंने जब से तेरी चूत देखी है। उसके बाद से मेरी नींद उड़ चुकी है।

जब तू अपनी चूत को झाड़ियों के अंदर सहला रही थी तब मैंने तेरी पूरी फिल्म देखी है। मुझे तेरी चूत की हर बारीकी याद है भुला नहीं। मैं उसके पास जाकर उससे सट गया। उसका सर मेरे सीने के नीचे सट गया और फिर मैंने उसके हाथ को पकड़कर अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया।

वो छिनार अभी भी सराफत का नाटक कर रही थी। मैं जानता था ये सब उसका नाटक है। मैंने कहा साली तू जो अपनी चूत के लिए लंड खोज रही थी वही मैं तुझे दूंगा। वैसे भी अब तक तेरी चूत से रस निकलना शुरू हो गया होगा।

ये कहकर मैंने अपना एक हाथ उसकी दोनों जांघों के बीच घुसा दिया। जब मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को छुआ तो पता चला की साली की चूत ने बहुत सारा पानी झाड़ा था। जिससे उसकी सलवार गीली हो चुकी थी।

मैंने उसके सलवार के नाड़े को एक झटके में खींच दिया और उसे भूसे के ढेर पर धकेल दिया। जैसे ही वो भूसे की ढेर पर गिरी मैंने उसकी सलवार को पूरा खींचकर उसकी टांगों से निकाल दिया।

वो अब अपनी चूत को अपने समीज के निचले हिस्से से छुपा रही थी। और सराफत का ढोंग करती हुई बोल रही थी गलत है ये सब जाने दो मुझे … मेरे पास मत आओ लेकिन मैंने उसी वक्त अपने सारे कपड़े निकाल दिए।

मैं उसके सामने पूरा नंगा खड़ा था। उसके मुंह से ना ना निकल रही थी। लेकिन उसकी नजरें मेरे मोटे 7 इंच के लंड पर थी। लंड देखकर उसकी आंखों में एक अलग सी चमक आ गई।

मानों उसकी आंखें हामी भर रही हो और मेरे लंड को लेने को उतावली हो। लेकिन जुबान मना कर रही हों। मैंने इन सब में नही पड़ना चाहता था। मैंने उसकी दोनों टांगें पकड़ ली और उसके उसकी टांगों से पकड़कर नीचे खींचा।

उसको खींचने के बाद मैंने उसकी टांगें फैलाई और उसके ऊपर चढ़ गया। मैं जानता था साली भले ही लंड की प्यासी है लेकिन जब इसकी सील फटेगी तो चिलाएगी बहुत। हालांकि लाउड स्पीकर तबेले के पास ही बड़े जोर की आवाज में बज रहा था।

लेकिन जब मैंने उसकी चूत में अपने लंड को उतारने की तैयारी कर ली। तो मैंने उसके मूंह को अपने एक हाथ से कसकर दबा लिया। और दूसरे हाथ से अपने लंड को उसकी चूत से छेद पर लगाकर।

अपनी पूरी ताकत झोंककर अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया। एक ही धक्के  में मेरा लंड प्रीति की चूत को फाड़कर पूरा का पूरा उसकी चूत में समा गया। प्रीति साली जोर से चिलाई लेकिन मैंने उसके मुंह को दबा रखा था।

साली छिनार की चूत से ब्लड आने लगा रहा उसका सारा बदन पसीने से भीग चुका था। प्रीति की चूत अब बड़ी हो गई थी। मैंने हल्का सा अपने लंड को बाहर किया और दुबारा ताकत के साथ अपने लंड को प्रीति की चूत में झोंक दिया।

प्रीति की चूत का ब्लड भूसे की ढेर पर टपक रहा था। प्रीति तेज तेज सांसें लेती हुई आआह्ह्हह आआआह्ह्हह… अमामामामा… आआ आआ अह.. अह…. चिलाती हुई रो रही थीं।

मैंने उसका मुंह अच्छे से दबा लिया और अपनी कमर को ऊपर उठा उठाकर नीचे दाब रहा था और मेरा मोटा लंबा लंड प्रीति छिनार की चूत में गोते मारते हुए उसकी चूत को फाड़ रहा था।

पता ही नहीं चला की चोदते चोदते छिनार की चूत ने अपना रस कब छोड़ना शुरू कर दिया। अब मेरे लंड पर लगा ब्लड हर धक्के के बाद कम होता जा रहा था और उसकी चूत का माड़ जैसा रस मेरे लंड पर फैलता जा रहा था।

अब शायद प्रीति को भी मजा आ रहा था। मैंने उसकी समीज उसकी नुकीली छातियों पर से हटाकर उसके गले तक कर दी। अब मैं उसकी उभरती हुई नुकीली चुचियों को मसलता, चूसता और दबाता साथ ही उसकी चूत में अपनी पूरी ताकत लगाकर अपना लंड ठेलता।

वो बस आआह्हह्… आह्ह्ह… मम्मामा…. ममा….. आह.. कर सिसकसिसक कर अपनी चूत चुदवाती रही। मैंने करीब एक घंटे तक उसकी उभार लेती हुई चुचियों को मसला और लाल लाल कर दिया।

उसकी चूत को मैंने दो घंटों तक रगड़ रगड़कर चोदा उसकी चूत की बीच की काली चमड़ीयां लगातार चूदाई के कारण रगड़ रगड़कर गरम और लाल होकर फुल चुकी थीं।

मैंने आधे घंटे तक उसको रेस्ट करने दिया और तब तक मैंने उसके भी सारे कपड़े उतार दिए और उसे समझाने लगा। देख मैंने तेरा सारा खेल और लंड के लिए तुझे तड़पते देखा है। मुझे पता है तुझे मैं नहीं तो आज या कल कोई और चोद ही देता।

लेकिन तुझे मुझसे चुदवाकर जो खुशी मिली है कोई और नहीं दे सकता। जब भी तू चुदवाना चाहेंगी मैं तेरी चूत की प्यास बुझाऊंगा। ये बात हमदोनों के बीच ही रहेगी।

मैंने उसे बहला फुसलाकर मना लिया अब वो लेटे लेटे मेरे लंड को अपने हाथ से छू रही थी। अब वो मन से मुझे अपनी चूत देने को तैयार थी। फिर क्या मैं उसके ऊपर फिर से चढ़ गया और इस बार भी मैंने पहली बार जैसे ही एक झटके में अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया।

वो दर्द के मारे फिर रोने लगी। मैंने अपने लंड की उसकी छोटी सी चूत में फिर से बौछार कर दी। जोश जोश में मैंने अपना होश खो दिया और अपना माल उसकी चूत में ही झाड़ दिया।

मेरे वीर्य से उसकी चूत लबलबा गई। मेरा लंड भी दुखने लगा था और आज अब मन भर गया था। मैंने उसको जानें दिया। उसके जाने के बाद मेरे चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी। मैं यही सोच रहा था की चलो अब एक परमानेंट कसी हुई कमसिन चूत का जुगाड हो गया।

मैं जब चाहूं उसकी चूत से अपने लंड की भूख मिटा सकता हूं। मैं एक दो दिन बीच करके दोपहरी में उसकी चूत चोदने लगा। साली की 3.5 इंच की बूर फटकर अब 5 इंच की हो गई है।

उम्मीद करता हूं दोस्तो आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। धन्यवाद

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