हैलो, मेरा नाम सुगंधा और मेरी उम्र 45 साल है आज मैं जो कहानी आप सभी को बताने वाली हूं। उस घटना से उबरने में मुझे 6 महीने लग गए। लेकिन मैं अब उसे अपने दिल में रखकर अपने बोझ को बढ़ाना नहीं चाहती।
दरअसल मैं एक विधवा सिंगल मदर हूं। मेरी एक बेटी थी। जिसकी 8 महीने पहले शादी हो गई। बेटी के जाने के बाद मैं घर में बिल्कुल अकेली रह गई। मैंने अपना अकेलापन दूर करने के लिए।
अपनी बहन के लड़के को अपने पास रख लिया। मैंने उसका एडमिशन यही के एक कॉलेज में करवा दिया। उसका नाम संदीप है उसकी उम्र यही 19 के आस पास थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि वो लड़का मेरे साथ ऐसा कुछ करेगा।
मैं दिखने में गोरी चिट्ठी और थोड़े बड़े से स्तन और चौड़ी कमर वाली औरत हूं। जब मैं मार्केट में चलती हूं। तो मर्द से ज्यादा यंग लड़के मुझे देखते और घूरते रहते थे। मुझे उनकी हरकत पसंद नही आती थी। कभी कभी तो वो छिछोरे ऐसी हरकतें करते थे की।
जैसे कभी कभार भीड़ में अचानक से मेरी छातियों पर हाथ लगाना तो कभी मेरी गांड़ को छूना। उनकी हरकते कभी कामयाब नही होती। यहां तक कि एक दो ने मुझसे दोस्ती करने की इच्छा भी रखी लेकिन मैं उनका इरादा जानती थी कि वो मुझसे क्या चाहते है।
उनकी हरकतों से मुझे कोई फर्क तो नही पड़ता था। लेकिन जब मैं भीड़ भाड़ में छेड़खानी का शिकार होती थी कभी कोई मेरी चुचियों को तो कभी मेरी गांड़ को छू जाता था। उस दिन मेरा दिल भी लन्ड का स्वाद चखने को तरस कर रह जाता।
मैंने अपनी वासना को काफी कंट्रोल किया और अपने आप को बाहरी गैर मर्दों से बचाकर रखा। मैंने वासना में आकर ऑनलाइन एक डिल्डो ऑर्डर कर दिया जिसमें वाइब्रेटर भी था।
मैं अब हर रोज बॉथरूम में जाकर आधे घंटे तक अपनी बुर में डिल्डो को डालकर वाइब्रेटर ऑन करके अपने बुर का पानी निकाल लेती थी। इसी तरह मेरी वासना शांत होती थी।
संदीप मेरे साथ ही बिस्तर पर सोया करता था। एक रात अचानक मेरी बुर में खुजली होने लगी। मैंने देखा संदीप गहरी नींद में है। तो मैंने बाथरूम में न जाकर अपने रूम में ही डिल्डो को अपनी बुर में डालकर वाइब्रेटर ऑन कर दिया।
और मैं फिर से बिस्तर पर लेट गई। अब मैं लेटे हुए ही डिल्डो का मजा ले रही थी। मेरी बुर से रस निकल रहा था। लेकिन वाइब्रेटर से हल्की हल्की घन्न घन्न्न की आवाज आ रही थी।
मैंने सोचा संदीप इतनी गहरी नींद में है उसे क्या पता चलेगा। तो मैं डिल्डो के मजे लेती हुई पता नही कब सो गई। अचानक एक अजीब से एक छुअन से मेरी आंख खुली लेकिन मैंने कोई हरकत नहीं की।
ऐसा लगा की मेरी नाइटी मेरी गांड़ के उपर तक उठी हुई है। फिर मेरी बुर में से डिल्डो को कोई खींच रहा हो ऐसा महसूस हुआ। तब मैंने अपनी नज़रें अपनी कमर की तरफ घुमा दी।
तो देखा संदीप मेरी गांड़ को नंगा किए मेरी दोनो जांघो के बीच दबी हुई डिल्डो को अपनी उंगलियों से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। मैं पकड़ी गई थी। मैं उस वक्त ऐसी हालत में थी ना कुछ कहे जा रहा था न ही उसे रोका जा रहा था।
मेरी बहन का लड़का मेरी इज्जत को नंगा अपनी आंखों से देख रहा था। अब मुझे इस बात का डर था कि वो मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा न कर दे। शर्म और डर के मारे मेरी आंखों से आंसू आने लगे।
लेकिन मैंने उसे जाहिर नही होने दिया की मैं जाग रही हूं। कुछ ही देर में उसने मेरी बुर से डिल्डो को निकाल लिया और उसे अपनी नाक के नजदीक ले जाकर सूँघते हुए। एक शैतानी मुस्कान के साथ मेरी बुर और गांड़ को देखने लगा।
संदीप मेरे बगल में मेरी पीठ के पीछे लेट गया। कुछ देर बाद मैंने जैसे ही सोचा की करवट बदलने के बहाने मैं अपनी गांड़ को ढक लेती हूं। वैसे ही संदीप ने अपनी उंगलियों को मेरी चूतड की दरार में डाल दिया।
वो मेरी गांड़ की दरार में अपनी उंगली को उपर नीचे करता। कभी अपनी उंगली को मेरी गांड़ की छेद पर रोक देता जिससे मेरी धड़कन बहुत तेज हो जाती और मैं बिना आवाज किए मन ही मन जोर से रोती रही।
संदीप की नजर में मैं गहरी नींद में थी। फिर उसने अपनी एक उंगली मेरी गांड़ की छेद में दबाई उंगली मेरी गांड़ के अंदर तो नही गई। लेकिन गांड़ चुदने का खौफ मेरे मन में भर गई।
अचानक मेरी गांड़ के दाहिने हिस्से पर गरम मोटा और लोहे जैसा सख्त कुछ सटा ये समझते मुझे देरी नहीं लगी की ये संदीप का लन्ड है। मैं कई सालों से अपने पति का लन्ड ऐसे ही फील करती जब वो पीछे से मेरी गांड़ पर रगड़ते थे।
संदीप ने अपने लन्ड को मेरी दोनों चूतड़ों के बीच में डाला और अपना थूक लगाया। क्योंकि मेरी चूतड़ों के बीच मुझे लटलटा सा गीला महसूस हुआ साथ ही उसके लन्ड का नर्म हिस्सा मेरी चूतड़ों की फांकों में फंस गया।
मेरा घबराहट से बुरा हाल हो चुका था। मैं सोच ही रही थी की मैंने बिस्तर पर वो भी संदीप के बगल में डिल्डो बुर में नही डाला होता तो ये सब करने की इसकी हिम्मत नही होती।
मैं ये सब सोच ही रही थी की संदीप ने अपना मोटा लन्ड मेरी गांड़ की छेद में दे मारा मैं दर्द से अंदर ही अंदर चीख पड़ी। लेकिन मैंने आवाज बाहर नहीं आने दी।
मैं रोने लगी मेरे आंखों से आंसू बह रहे थे। लेकिन मैं खुलकर रो भी नही सकती थी। एक तो गांड़ में लन्ड घुसने का दर्द उपर से अपनी इज्जत की धजिया उड़ने का दुख दोनों मेरे लिए सहनिया नही था।
अचानक संदीप ने मेरी कमर को पकड़ा और एक कस का धक्का मेरी गांड़ में पेल दिया। दर्द के मारे मेरी आंखों से आंसुओ की धारा फूट गई। मेरी गांड़ में लन्ड डालने के तरीके से पता चल रहा था। की वो नौसिखिया है क्योंकि जैसे तैसे उसे मेरी गांड़ में लन्ड डालना था।
एक तो उसका लन्ड इतना मोटा था की मैंने कल्पना भी नहीं की हो। संदीप लगभग आधा लन्ड मेरी गांड़ में धकेल चुका था। संदीप ने मेरी चूतड के बाए हिस्से को अपनी उंगलियों से उपर उठकर मेरी गांड़ की छेद को फैला दिया।
मैं समझ गई कि इसबार ये अपना मोटा लन्ड पूरा का पूरा मेरी गांड़ में डाल देगा। उसने अगले कुछ पलों में वैसा ही किया उसने अपना पूरा जोर लगाकर अपना लन्ड मेरी गांड़ में धकेल दिया।
इस बार का दर्द मेरी सहन शक्ति से बाहर हो गया मैं तुरंत बिस्तर पर से कूद गई और अपनी गांड़ को ढकती हुई। चीख कर बोली संदीप ये सब क्या कर रहे हो।
ये बोलते बोलते मेरी नजर उसके तने हुए लन्ड पर गई। मैं उसका लन्ड देखकर भौचक्का रह गई। उसका लन्ड 5 इंच की गोलाई का और 7 इंच लंबा था।
तभी संदीप ने डिल्डो मुझे दिखाई और शैतानी मुस्कान लिए बोला मौसी ये क्या है। मैं शर्म से पानी पानी होते हुए भी बोली मेरी मर्ज़ी मैं जो करू। तू मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता।
इतना सुनकर वो भी बिस्तर पर से ठीक मेरे सामने कूद गया और बिल्कुल मुझसे चिपक कर खड़ा हो गया। उसने मेरी नाइटी पीछे से पकड़ी और फाड़कर मुझे नंगा कर दिया।
मैं उससे दूर हट गई। लेकिन वो मुझपर कूद गया। काफी देर हम दोनों में हतापाई हुई। लेकिन उसने मेरी फटी हुई नाइटी से मेरे दोनों हाथों को पलंग के पौवे से बांध दिया।
मैं बंधी हुई नंगी जमीन पर पड़ी रो और गिड़गिड़ा रही थी। लेकिन उस वहशी को मेरी आंखों के आंसू नहीं दिख रहे थे। मैं अपनी दोनों जांघों को आपस में चिपकाकर अपनी इज्जत को बचाने की आखिरी कोशिश कर रही थी।
वो मेरे सामने ही नंगा हो रहा था। उसने अपने सारे कपड़े उतारकर फेंक दिए। वो मुझे अपना मोटा तना हुआ लन्ड दिखाकर मेरी बेबसी का मजाक बना रहा था। उसने मेरी जांघें फैलाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया।
फिर उसने जान बूझकर मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनो हाथों से दाब दाबकर मसलने लगा। इतना तेज दर्द हो रहा था की मैं कराह कराह कर मानों बेहोश हो जाती। उसने मेरी दोनों चूचियों का वही हाल किया।
उसने मेरी चूचियां ऐसी लाल की मानों अब तब खून निकल आएगा। अपनी चुचियों को और खुद को दर्द से बचाने के लिए मैंने अपनी जांघें को ढीला कर लिया क्योंकि अब चुद जाना मंजूर था। लेकिन चूचियों का दर्द झेलना नही बर्दास्त था।
मैंने अपनी जांघें खोल दी संदीप के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई। उसने मेरी दोनों टांगों को फैलाते हुए अपने मोटे लन्ड को मेरी बुर में लगाया। और एक दमदार धक्का मारा जिससे उसका मोटा तगड़ा लन्ड मेरी बुर को फाड़ता हुआ अंदर चला गया।
मैं दर्द के मारे चिल्लाई आआआआहहहह…. हह्ह… हह्ह्ह… संदीप नही बेटा… पर संदीप कहा सुनने वाला था। उस नौसिखिए को जैसे आड़े तिरछे समझ आ रहा था। वैसे ही वो मेरे बुर में अपना लन्ड डाल और निकाल रहा था।
कुछ ही देर में मेरी बुर भी जवाब देने लगी। भला गरम खून और गरम लन्ड के आगे बूढ़ी बुर कितनी देर टिकती मेरी बुर से फच्च फच्छ करके आवाज आने लगी और मेरी बुर ने मलाई बाहर फेंक दिया।
संदीप का लन्ड भी अब ढीला हो चुका था। लेकिन वो अपने ढीले लन्ड को भी मेरी बुर में जबरदस्ती ठेल रहा था। मैं अब न चाहते हुए भी उत्तेजित हो चुकी थी। मुझे भी अब संदीप की चुदाई से मजा आने लगा था।
मैं शायद पहली औरत थी जिसका रे//प हो रहा हो और उसे मजा भी आ रहा हो। अब संदीप तो मेरी इज्ज़त लूट ही चुका था। अब क्या शर्म हया करूं।
लेकिन मैंने जानबूझकर उसको थोड़ा आह आह.. की कराह निकाल निकालकर उत्तेजित कर दिया। मेरी आवाज़ें सुनकर उसका ढीला पड़ा लन्ड फिर से जागने लगा था।
इस बार उसने मुझे पलटकर घोड़ी बना दिया और अपने लन्ड पर थूक मलते हुए उसने अपना लन्ड मेरी गांड़ की छेद पर लगाया और एक ही धक्के में मेरी गांड़ की सारी हवा निकाल दी।
संदीप का पूरा का पूरा लन्ड मेरी गांड़ में धस चुका था। दर्द के मारे मेरी आंखों ने आंसू छोड़ने शुरू कर दिए। मैं चीखने चिलाने लगी ममामामामम आआह्ह्ह…. गांड़ में दर्द आह्हह्हह्ह…. हो रहा… अआआआआआ …
संदीप गचागच मेरी गांड़ में लन्ड पेलने लगा। मेरी गांड़ को आधे घंटे तक झटके दे देकर मेरी गांड़ मरता रहा। उसने अपने लन्ड का सारा वीर्य मेरी गांड़ में भर दिया था। मेरी गांड़ में झड़ने के बाद उसने अपना लन्ड मेरी गांड़ से निकाला तो।
मेरी गांड़ से हवा निकलने लगी। ऐसा लग रहा था की मेरी गांड़ की छोटी सी छेद अब सुरंग बन गई है। मैं हांफ रही थी और मुंह के बाल ही जमीन पर गिर गई।
कुछ देर बाद संदीप फिर मेरे पास आया और उसने मेरी नाइटी के कपड़े से मेरी दोनों टांगों को पलंग के दोनों पौवे से फैलाकर बांध दिया।
अब मैं पेट के बाल जमीन पर अपनी टांगें फैलाए पड़ी हुई थी। मेरी आंखों के आंसू अभी मेरे चेहरे पर सूखे ही थे की न जाने उसने फिर मेरी बुर या गांड़ चोदने की तैयारी कर ली।
वो मेरी जांघों के बीच गुटनो पर बैठ गया और अपनी उंगली से गांड़ के नीचे से मेरी बुर में अपनी एक उंगली डाल दी। जैसे ही मैंने हिलने की कोशिश की उसने अपना लन्ड मेरी गांड़ के नीचे से मेरी बुर पर लगा दिया।
मेरे दोनों हाथ और पैर बंधे हुए थे। उसने अपना लन्ड मेरी बुर में दबा दिया। मेरी बुर भी उसके मोटे लन्ड को अपने अंदर सोंखती गई। अंत में वो मेरी उपर चढ़ गया।
वो मेरे ऊपर लेट चुका था और मेरी छाती के नीचे अपने दोनों हाथों को घुसाकर मेरी बड़ी बड़ी चुचियों को मसलते हुए अपनी कमर उपर उठा उठाकर रे//प करने के अंदाज में किसी भुखे दरिंदे की तरह मुझे चोदे जा रहा था।
आधे घंटे की चुदाई के बाद वो मेरी बुर में ही झड़ गया। मैं कुछ देर बेहोशी के आलम में थकी हारी पड़ी थी। फिर वो मेरे ऊपर सवार हो गया और फिर उसी बेरहमी और ऊर्जा के साथ मेरी चुदाई करने लगा।
वो हर आधे घंटे में टेबलेट खाकर मुझे जमकर चोदता। मैं उस रात सारी रात चूदी और अगले दिन तक उसने मुझे बांधकर चोदा ।
मेरी बुर सुझकर बे पानी और लाल हो गई थी। उसने मुझको खूब रगड़कर चोदा था। मैं सोचती रही शायद वो ये सब आराम आराम से करता तो मुझे मजा आता। लेकिन उसकी जबरदस्ती करने का तरीका मुझे पसंद नही आया।
उसी दिन वो मुझे बिना बताए अपने मां बाप के पास भाग गया। लेकिन 10 दिन बाद मुझे समझ आया की डिल्डो से बेहतर तो उसका लन्ड ही है मैं भी तो लन्ड की प्यासी थी। मैं समझ सकती थी की उत्साह के मारे उसने मेरा रे//प किया था।
मैंने उसे समझा बुझाकर अपने पास बुला लिया। और इस बार मैंने खुद उससे कहा की तू आराम आराम से करता तो मुझे उतना बुरा नही लगता। तो कुछ इस तरह है भांजे ने चोदा बांध के की ये कहानी