बुआ की लड़की की सील तोड़ी

नमस्ते मित्रों, आप सभी का मेरी इस छोटी सी कहानी में स्वागत है। मेरा नाम कृष है मैं केरला का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 25 साल है। मैं दिखने में सांवला सा और हट्टा कट्टा हूं। मेरी हाईट 5.9 इंच की है।

बुआ की लड़की की सील तोड़ी/ Bua Ki Ladki Ki Seal Todi
बुआ की लड़की की सील तोड़ी/ Bua Ki Ladki Ki Seal Todi

मैं पढ़ाई के साथ साथ अपने पापा के बिसनेस में भी उनका हाथ बटाता हूं मेरे पापा का नारियल के पाउडर बनाने का बिज़नेस है। जहां मर्द से ज्यादा औरतें काम करने आती है।

जब से जवानी चढ़ी थी तभी से मैं अपने यहां काम करने वाली न जाने कितनी ही औरतों के गांड़ और कई प्रकार के चूत को देख चुका था। जैसे की कुंवारी लड़कियों , शादी शुदा औरतों, झांटों वाली और बिना झांटों वाली हर तरह की चूत को देख चुका था।

जब वो बाहर पिसाब करने जाती तो मैं छुप छुपकर उनकी गांड़ और चूत को निहारता रहता था। मुझमें सेक्स की सनक इतनी बढ़ चुकी थी की मैं नींद में भी उनकी गांड़ और चूत के सपने देखते हुए कभी मुट्ठ मार देता था। तो कभी उत्तेजना के मारे अपने आप ही मेरे लंड का सिरका बह जाता था।

बहुत सालों बाद एक दिन ऐसा आया की शायद अब मेरे लंड की आग शांत होने वाली थी। मेरी बुआ और उनकी बेटी बड़े सालों बाद हमारे यहां आईं थी। बुआ ने दिल्ली के एक आदमी से शादी कर ली थी और दिल्ली में ही शुरु से रहती आ रही थीं।

उनकी बेटी क्या मस्त चौकस माल थी। दूध की तरह गोरी चौड़ी कमर , सुडौल पेट और बूब्स भी जो एक पंजे में समा जाएं। उसको देख मेरा लंड फांफना गया। मैं उसको अपनी भाषा में अक्का ( दीदी ) बोलता था। हालाकि उसको कुछ समझ नहीं आता था।

मैं हमेशा उसको गंदी नियत से देखता। उसकी टी शर्ट के नीचे से झलकती उसकी गहरी नाभी तो कभी उसके पतले पतले से होठ, सबसे ज्यादा मुझे उसकी चौड़ी गांड़ मजा देती थी। जब वो लोअर पहनकर घर में चलती थी। तो उसकी गांड़ की माया मेरे मन को मोह लेती थी।

एक दिन घर में सिर्फ हमदोनो ही थे। एक ही रूम में दो अलग अलग बेड लगे हुए थे। एक पर मैं और एक पर वो जब मैंने उसकी ओर देखा तो मेरा लंड टाइट हो गया। वो भी कभी कभी मुझे देखकर हल्की से मुस्कान देती थी।

मैंने उसको चोदने का मन बना लिया। मैंने अपनी कामिनेपन पर उतर गया। मैंने अपनी पैंट में से अपना मोटा और काला लंड निकाला और जान बूझकर उसको दिखा दिखाकर मुट्ठ मारने लगा।

कुछ देर तक तो उसने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब उसकी नजर मेरे काले सख्त लंड पर पड़ी तो वो अपनी आंखें बड़ी करते हुए चौक गई। उसने फिर ऐसा बर्ताव किया की जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं हो।

मैं अपने लंड से खेलता रहा ऐसा लग रहा था की वो भी लंड के लिए लालची हो रही हो। लेकिन शायद शर्म और हया के कारण हिचक रही हो।

अचानक उसने अपनी पीठ मेरी तरफ की और अपनी मोटी और चौड़ी गांड़ मेरी तरफ घुमाकर मुझे ललचाती हुई सोने का नाटक करने लगी।

मैंने आधे घंटे तक इंतजार किया। जब उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। तो मैं चुपके से उसके बिस्तर पर गया और अपना लंड उसकी गांड़ पर पैंट के उपर से ही उसकी गांड़ की दरार में दबाने लगा।

मेरे लंड के प्रीकम से उसकी गांड़ की दरार में घुसी उसकी पैंट गीली हो गई थी। मैंने ध्यान दिया तो उसकी सांसें उच्च स्तर पर थी। वो लंबी लंबी और गहरी सांसे ले रही थी।

मैं उसकी इच्छा समझ चुका था। मैंने देखा वो अपनी आंखों को हल्का सा खोलकर किनारे से मुझे देख रही थी। क्योंकि की उसकी आंखों की पुतलियां हिल रही थीं। मैंने उसकी लोअर को उसकी कमर से पकड़ा और एक ही झटके में नीचे खींच दिया।

जिससे उसकी गांड़ का दाहिना हिस्सा नंगा हो गया था। मैंने अपना लंड अब उसकी गांड़ की नंगी दरार में डाल दिया और अपने लंड से उसकी गांड़ की दरार में उपर नीचे घर्षण करना चालू कर दिया।

वो थोड़ी असहज हो गई। लेकिन मैंने अपनी मेहनत नही छोड़ी मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गांड़ की दरार में डाले अच्छे से रगड़ घस करते हुए मजे ले रहा था।

अब मेरे अंदर की बेचैनी बढ़ने लगी थी। तो मैंने अपना पूरा पैंट निकालकर नंगा हो गया। फिर मैंने अपने बुआ की लड़की की गांड़ की छेद में अपनी एक ऊंगली हल्की सी डाली। जिससे वो फड़फड़ा गई और मचलकर अपनी गांड़ उपर करके पेट के बल लेट गई।

मैं समझ गया की ये खुला इशारा था मुझे की उसे अब चूदाई चाहिए। मैंने देरी ना करते हुए। उसकी ऐडियो के पास से उसकी लोअर को पकड़ा और खींच कर नीचे कर दिया।

अब उसकी लोअर उसकी जांघो तक आ चुकी थी। अब मेरी नजर उसकी चौड़ी सी गांड़ पर पड़ी जो लेटने के बाद और चौड़ी दिखाई दे रही थी। मैंने उसकी जांघों के बीच हाथ फेरकर उसको जांघें खोलने का इशारा किया।

एक समझदार लड़की की तरह उसने भी अपनी जांघें फैला दी। मैं उसकी दोनों जांघों के बीच घुटनों के बल आ चुका था और मेरा लंबा, मोटा काला लंड उसकी चूतड़ों पर गिरा हुआ था।

उसकी दोनों चूतड बहुत ही मुलायम और गदगद थी। मैंने अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ की दरार में फेरते हुए नीचे उसकी दोनों जांघों की के बीच उसकी चूत पर ले गया।

उसकी चूत पर हल्की सी झांटे थी। मैंने उसकी चूत के दोनों हिस्सों के बीच अपनी एक उंगली डाली जिससे इसशश्स….. की सीत्कार उसके मुंह से निकल गई।

मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की छेद में ठेल दिया जिससे वो अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह… की सीतकार भरने लगी। मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और अपने लंड के सुपड़े को चूत पर निशाना लगाकर एक धक्का मार दिया।

उसकी गीली चूत मेरे लंड के सुपड़े को तो निगल गई। लेकिन उसकी चूत से खून बहने लगा। झटके के साथ ही उसके मुंह से आआआह्हह्ह्हह… की आवाज उठी लेकिन मैंने उसको संभालने का मौका न देते हुए।

अपना बचा हुआ बाकी का लंड की उसकी कसी हुई चूत में धकेलने लगा। मेरा काला लंड उसकी चूत के खून से भीग गया था। वो काफी दर्द में थी।

लेकिन अभी तक हम दोनों के बीच एक शब्द बात नही हुई थी। सब कुछ ऐसे ही चल रहा था। मैंने एक और धक्का मारा जिससे मेरे लंड का बीच वाला मोटा हिस्सा उसकी चूत में घुस गया।

मेरा लंड आगे और पीछे थोड़ा पतला है और बीच में मोटा है। लंड का बीच का हिस्सा उसकी चूत में घुसते ही वो छटपटाने लगी। मैंने उसकी दोनों बांहों को अपने हाथों से दबा चुका था।

उसकी गांड़ के उपर से मैं अपनी कमर उठाए हुए अपना बचा हुआ लंड उसकी चूत में ठेलने की फिराक में था। जैसे ही उसका दर्द थोड़ा कम हुआ। मैंने अपना बचा हुआ लंड भी उसकी चूत में धकेल दिया।

इस झटके से मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया था। उसका सारा बदन और माथा पसीने की बूंदों से भर चुका था।

मैं अपना पूरा लंड उसकी चूत में डालकर उसके उपर लेट गया था। और बिना कुछ कहे उसके होठों को अपने होठों से मिसकर उसको शांत करने की कोशिश कर रहा था। करीब 10 मिनट के बाद उसको थोड़ा आराम मिला।

मैंने उसके उपर लेटे हुए ही हल्का हल्का अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा। अब उसको भी थोड़ा अच्छा लग रहा था।

काफी देर तक मैं उसको धीरे धीरे वैसे ही चोदता रहा। कुछ देर बाद उसने अपनी गांड़ थोड़ी उपर उठाई और डॉगी वाली पोजीशन में अपने आप आ गई।

मैं समझ गया की अब मुझे क्या करना है। मैंने उसकी चौड़ी सी कमर को दोनों तरफ से अपने हाथों से पकड़ लिया और अपनी कमर को तेज तेज झटके देकर उसकी गांड़ पर टापने लगा।

उतनी ही तेजी में मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा। अब उसकी चूत से खून की जगह वीर्य बहने लगा। जिससे मेरा पूरा लंड फिर से भीग गया।

करीब आधे घंटे तक पहला राऊंड चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था। आखिरी उत्तेजना में मैंने कस कसकर 2 – 3 राऊंड अपने लंड को उसकी चूत में मारा और जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गांड़ के बीचों बीच रख दिया।

मैंने अपने लंड का सारा वीर्य उसकी गांड़ की दरार में निकाल दिया। वो मेरे यहां एक हफ्ते तक रुकी और रोज मैंने उसकी चूत चूदाई की उसे भी मेरे लंड का चस्का चढ़ चुका था। वो रात को अपनी पैंट उतारकर ही सोती थी। ताकि उसकी चूत चोदने के लिए मुझे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े।

तो दोस्तों कुछ इस तरह मैंने अपनी सगी बुआ की लड़की की सील तोड़ी । उम्मीद करता हूं आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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