आंधी वाली रात चाची की चूत का साथ

नमस्ते दोस्तों मेरी हिंदी थोड़ी कमजोर है अगर कहानी लिखने में कोई गलती हो तो माफ करना।

मेरा नाम मोनू है मैं ओडिशा के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं। पेशे से मैं एक मछुवारे परिवार से हूं। हमारा गांव समुद्र के किनारे बसा हुआ है।

आंधी वाली रात चाची की चूत का साथ

मेरी उम्र उस वक्त 22 की रही होगी। मेरे परिवार में मेरे पापा मैं चाचा चाची थे। मेरी मां की मृत्यु हो चुकी है। मेरे पिता और चाचा मछुवारे है।

मेरी चाची लगभग 35 वर्ष की है देखने में थोड़ी सांवली और सुडौल शरीर की मालकिन है। अभी तक चाचा चाची ने गरीबी के कारण बच्चा नहीं किया। क्योंकि चाची के बच्चेदानी में कोई दिक्कत थी और उसके इलाज में बहुत खर्च था।  इलाज का खर्च उठाना अभी हमारे लिए मुस्किल था आप सभी को पता है। मछुवारे कितना कमा लेते होंगे।

हम छोटे मोटे मछुवारे है हमारी रोजी रोटी भी दिहाड़ी पर चलती है।

मैं सच सच बताऊं तो मैं अपनी चाची पर बहुत पहले से ही गंदी  नजर रखता था। हमारा घर पक्का नहीं है झोपड़ी है जब पापा और चाचा काम पर चले जाते थे और मैं और चाची घर पर अकेले रहते थे। तो मैं छुप छुप कर चाची के ब्लाउज के गले से उभर कर खिले हुए मम्मो को देखता था।

जब मेरी चाची घर में झाड़ू या पोंछा लगती तब तब मुझे चाची के बड़े बड़े चुचियों के दर्शन करने को मिलते जी तो करता था की अभी जाकर उनकी ब्लाउज में हाथ डालकर कसकर उनकी चूचियों को मसल दूं

लेकिन उनके डर से अपने आप को रोक लेता। सबसे ज्यादा मजा गर्मियों के दिन में आता है। उमस काफी ज्यादा होती है और उस समय चाची हमेशा नाइटी पहन कर रहती है और जब वो झुककर घर में झाड़ू पोंछा करती है तो मुझे उनकी नाइटी के गले से उनकी मस्त सुडौल चूचियां कभी कभी तो उनके गहरे काली काली निप्पल भी दिख जाती थी।

एक दिन वैसे ही चाची नाइटी पहने झुककर घर में झाड़ू लगा रही थीं। मैं बिस्तर पर बैठकर टीवी देख रहा था। उस वक्त चाची ने सिर्फ नाइटी ही पहनी थी। जैसी ही वो मेरे सामने आकर झाड़ू लगाने को झुकी मुझे उनके नाइटी के गले से उनकी कमर तक का हिस्सा दिख गया।

शायद मुझे 1 सेकेंड ही देखने को मिला होगा। लेकिन उतने ही समय में मेरी नजर उनकी जांघो की गहराई में उतर गई। मुझे चाची की काली काली घनी झांटे साफ़ दिख गई। अब क्या था मेरा लंड सनक गया। ऐसा पहली बार हुआ था की मैंने अपनी चाची की झांटे देखी थी।

चाची जब तक मेरी आंखों के सामने झाड़ू लगाती रही तब तक मुझे उनकी नाइटी में आपस में टकराती हुई चुचियों के दर्शन मिले। उस समय मेरे अंदर चाची को नंगा देखने का ऐसा भूत सवार हो गया था की मैं बता नहीं सकता।

मैं चाची पर नजर रखने लगा मैं सोच रहा था की चाची कब नहाने जायेगी। चाची 1 घंटे तक घर का सारा काम करके नहाने के लिए बाथरूम में चली गई। मैं भी चाची को नंगा देखने को उत्सुक था।

मैं चुपके से बाथरूम के घास फूस वाली दीवार के पीछे छिप गया घास की दीवार के बीच फांक बनाकर चाची के उपर अपनी नजर गड़ा दिए। चाची ने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपनी नाइटी को अपने बदन से उतार कर हटा दिया।

नंगी होते ही मुझे चाची की सांवली चौड़ी गांड़ दिखाई दे गई। अब मेरे लंड से पानी रिसने लगा। चाची की गांड़ का साइज (इलियाना डिक्रूज) जैसा था। मैं चाची की गांड़ देखकर पगला गया था। मैंने कभी नंगी औरत और उनकी गांड़ नही देखी थी। अब तक मैं वर्जिन था।

लेकिन चूत चोदने का सारा तरीका पता था लेकिन कभी प्रेक्टिकल करने का मौका हाथ नही लगा था। मैं चाची की नंगी गांड़ देखकर इतना बेसब्र हो गया की मैंने अपनी पैंट से अपना लंड बाहर निकाला और सटासट मुट्ठी मारने लगा।

चाची अभी भी मेरी तरफ अपनी गांड़ किए खड़ी थी और अपने बदन को छू छूकर देख रही थी। कभी अपनी चुचियों को अपने दोनों हाथों से उपर उठाती तो कभी अपनी गांड़ को सहलाती फिर उन्होंने अपनी जांघें खड़े खड़े खोली और अपनी चूत के बालों को साइड करके अपनी चूत को छुआ

और उस हाथ को अपनी नाक पर लगाकर सूंघने लगी।  कुछ देर बाद चाची बैठकर नहाने लगी। चाची ने अपने मम्मे पर अच्छे से साबुन लगाया और फिर अपनी गांड़ और गांड़ की फांकों के अंदर भी अच्छे से साबुन को रखा और नहाने लगी।

मैं चाची को नंगा देखकर 2 बार अपना माल झाड़ चुका था। चाची के बाथरूम से निकलने के पहले मैं वहां से रूम में आकर टीवी देखने लगा। मैंने रोज का रूटीन बना लिया क्योंकि मुझे चाची को नंगा देखकर मजा आने लगा था।

उसी तरह मैंने चाची को पूरा का पूरा नंगा देख लिया उनके हर गुप्त अंग को मैं अब बिना कपड़े के देख चुका था। चाची ने अब अपने झांटों को भी साफ कर लिया था। जिससे उनकी चूत आसानी से दिखाई दे जाती थी।

रोज मुट्ठी मारने से मेरे लंड में भी बदलाव आने लगा था। मेरा लंड अब और मोटा और लंबा हो चुका था। मेरे लंड की चमड़ी अब कुछ ज्यादा ही पीछे तक खुलने लगी थी। लेकिन अफ़सोस अभी तक मेरे लंड को चाची की चूत नही मिली थी।

लेकिन शायद मेरी किस्मत मुझपर मेहरबान थी। एक दिन मेरे पापा और चाचा 3 दिन की समुद्री यात्रा पर बड़ी बोट में मजदूरी करने गए थे। जिस दिन वो लोग निकले उसी रात जोर की आंधी और तूफान आने लगी।

करीब रात के 9 बजे कसकर आंधी आई और अचानक हमारे घर की घास वाली कच्ची छत और दीवारे ढह गई। अचानक चाची के चिलाने की आवाज आई मैं जब उनके पास गया तो देखा की चाची के उपर की छत भी गिरने वाली थी। मैं जल्दी से उनके पास गया।

जैसे ही मैंने उनका हाथ पकड़कर उन्हें बाहर निकालना चाहा चाची की नाइटी दीवार में लगे बांस के फट्ठे में फंस गई और जब मैंने उनको खींचा तो उनकी नाइटी उनकी कमर तक उनकी नाइटी फट गई और बांस के फट्टे में फंसी रह गई।

अब चाची नीचे से अध नंगी हो चुकी थी चाची की नाइटी आगे से उनकी जांघों के उपर तक और गांड़ को आधा ढक रही थी।
उस टेंशन भरे और खतरे वाले माहौल में भी चाची शर्म के मारे पानी पानी हो गई।

मैंने उनके उपर से उस वक्त ध्यान हटाते हुए उन्हें बाहर जैसे ही खींचा तो छत भरभराकर हमारे उपर ही गिर गई। हम दोनों छत के नीचे ऐसे दबे हुए थे। जैसे भीतर हवा भी न आ पाए।

जैसे तैसे हम दोनों ने अपना होश संभाला और जब होश आया तो देखा चाची मेरे नीचे दबी हुई थी। हमारे शरीर के उपर वाले हिस्से से छत सटी हुई थी। अब हमारा हिलना मुस्किल था न ही उतनी जगह थी।

बस हमारे पैर हिल सकते थे। क्योंकि छत दीवार से अटक गई थी। मैंने जब पूरा होश संभाला तो देखा की चाची की गांड़ पूरी तरह से नंगी मेरी कमर के नीचे दबी हुई थी।

हर तरफ चिलम चिल्ली थी पूरे गांव के कच्चे मकान ढह चुके थे और सब अपने आप को बचाने में परेशान थे तो हमारी मदत कौन करता।

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए अपने हाथ से चाची की गांड़ को छू लिया। चाची एकदम से सिहर गई। मैंने जैसे तैसे करके अपने पैंट खोल दी और अपना नंगा लंड चाची की गांड़ पर मलने लगा। चाची डर गई और लड़खड़ाती आवाज में बोली क्या कर रहे हो।

मैंने कहा कुछ नहीं चाची अब मुझे मजा लेने दो। चाची रोने लगी और कुछ भी करने से मना करने लगी। उन्होंने धमकाया डराया लेकिन मेरे अंदर जो इतने दिनों से तूफान उठा था वो कहा थमने वाला था। मैंने अपना लंड अंदाजे से चाची की गांड़ की दरार में डालते हुए

उनकी गांड़ की छेद पर लगाया और एक धक्का देकर दबाते हुए मैंने अपना लंड पूरा का पूरा चाची की गांड़ में डाल दिया चाची अपना मुंह फाड़कर चिलाने लगी दर्द के मारे चाची रो रही थीं। मुझे अब कुछ न करने को कह रही थी।

मैंने अपनी कमर को जैसे तैसे उपर उठाया और अपना आधा लंड उनकी गांड़ से बाहर निकालते हुए मैंने दुबारा अपनी कमर को दबाते हुए उनकी गांड़ से चिपका दिया मेरी कमर चाची की गांड़ पर चिपकाते ही ठाप…. की आवाज आई।

उसी वक्त चाची के मुंह से आआआह्हह्ह… मार डाला रे… मैंने धमाधम चाची की गांड़ चोदनी शुरू की चाची कभी रोती तो कभी दर्द भरी आआह्ह… आह… माह…. मारदेगाआ….. हराम…. खोर….  मैं उनकी गालियां सुनकर और जोर जोर से अपना लंड उनकी गांड़ में डालता।

कुछ ही देर में मैंने उनकी गांड़ की छेद को फाड़ कर फ्री कर दिया अब चाची की गांड़ में लंड बड़ी आसानी से जाने लगा।

चाची ने अपने अंदर का सब्र खो दिया और मुझे ऐसे बात बोली जो मैं कभी भी सोच नही सकता था। मैं कस कसकर चाची की गांड़ चोद रहा था तभी उन्होंने कहा मादरचोद साले तू अपने बाप से बड़ा हरामी है। उसने मुझे दो रातों तक बांधकर जबरदस्ती चोदा था।

तू भी मुझे जबरदस्ती चोद ले साले इस घर के तीनों मर्द एक ही औरत पे चढ़ते है। तेरे बाप को तो मैंने माफ कर दिया ये सोचकर की बीवी मर गई है तो कही पागल हो गया है।
लेकिन तू तो बच्चा है न तूने भी मेरा जबरदस्ती रे* कर दिया।

मैं पापा की हरकतें सुनकर सन हो गया। कुछ देर मैं चाची की गांड़ में लंड डाले हुए सोच में पड़ गया। फिर मैंने सोचा फसना तो वैसे भी है तो क्यों न पूरा मजा लेकर फंसा जाए।

मैंने कहा की चाची मुझे माफ करना लेकिन मैं आपको बहुत पसंद करता हूं। मुझे आपको एक बार चोदना था। क्या करू मुझसे आपको ऐसा देखकर बर्दास्त नही हुआ। प्लीज़ चाची मुझे एक बार अच्छे से अपनी चूत दे दो।

चाची मेरी बातें सुनकर थोड़ी शांत हो गई। मैंने चाची की टांगों को अपनी टांगों से फैला दिया और अपना लंड उनकी दोनों जांघों के बीच से उनकी चूत में डाल दिया।

चाची की चूत बहुत गीली थी। जैसे ही मैंने अपना लंड चाची की चूत में दबाया सट से मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया। एक तो मैं उनकी जबरदस्ती ही सही लेकिन चूदाई कर रहा था। उपर से भले ही वो गुस्सा दिखा रही थी।

लेकिन उनकी चूत को थोड़े पता था की लंड किसका है या प्यार से चूद रही है या जबरदस्ती। वो तो वासना की आग में भड़क कर न जाने कितनी बार गीली हो चुकी होगी।

मैं सटासट अपना लंड उनकी चूत में डालने लगा। मैं मन ही मन सोच रहा था की साला अच्छा हुआ मैंने पहले ही चाची की टाईट गांड़ मार ली। चाची की चूत को तो चाचा और पापा ने फाड़ रखा था।

उनकी चूत में थोड़ा भी कड़ापन नही था ऐसा लग रहा था की किसी गीले गरम मांस के छेद में अपना लंड डाल रहा हूं। वरना और कोई मजा नही था। बस ये संतुष्टि थी की मैंने अपनी चाची की गांड़ और चूत चोद ली।

मैं सारी रात चाची की चूत और गांड़ चोदता रहा। चाची दर्द के मारे कभी बेहोश होती तो कभी उनको होश आता मुझे कोई परवाह नहीं थी मैं उनकी गांड़ और चूत वो बेहोश रहती तब भी मारता।

अब मेरे पास 3 दिन और रात का समय था। मैंने अपने अंदर की सारी वासना ठंडी कर ली। उम्मीद है दोस्तों आप सभी को ये मेरी छोटी सी कहानी।

error: Content is protected !!

DMCA.com Protection Status