चाची की बड़ी चुचियों का दूध-2

चाची की बड़ी चुचियों का दूध-2

पिछली कहानी पढ़े-चाची की बड़ी चुचियों का दूध-1

आप सभी ने पिछली कहानी में पढ़ा ही होगा कि मैंने कैसे अपनी सगी चाची का दूध पिया। लेकिन एक रात जब मैं चुपके से उनकी चूची को मुँह में लेकर उनका दूध पी रहा था। तो अचानक वो जाग गयी और उन्होंने मुझे उनका दूध पीते पकड़ लिया जिसके बाद मेरी हालत खराब हो गयी थी। उस पूरी रात मैं ठीक से सो नही पाया।

सारी रात मैं शर्म के मारे अपने किये पर पछता रहा था। कि कैसे मैंने अपनी चाची के साथ ऐसा किया!! मेरा दिल डर के मारे तेज़ी से धड़कने लगा था। मैं अंदर ही अंदर खुद को कोस रहा था। और चाची की नज़रो में मेरी जो छवि खराब हुई थी उसके बारे में ही सोंच रहा था। पता नही भोर के वक़्त कब मेरी आँख लग गयी।

जब मैं सुबह उठा तो मैंने पहले ही सोच लिया था। मेरा आज का दिन बेकार होगा और शायद गाँव मे मेरा आज आखिरी दिन होगा। मैं उठकर खाट पर बैठा तो देखा चाची अपने घर के कामों में लगी हुई है। और चाचा ने भी मुझसे अच्छे से बात की और जल्दी से फ्रेस होने को कहकर बाहर चले गए।

मतलब घर का माहौल नार्मल था। शायद चाची ने कल रात की बात चाचा को नही बताई थी। पर मुझमें चाची से नज़रे मिलाने की हिम्मत नही हो रही थी। मेरा मन अब मुरझाये हुए फूल की तरह हो गया था। चाची रोज़ जब मैं उठता तो मुझे जल्दी नहा धोकर तैयार होने को कहती पर आज वो कुछ नही बोली और शायद वो मुझे अनदेखा करके अपने काम में लगी रही।

मैं उठकर नहा धोकर आंगन में खाट पर चुपचाप बैठा था। कुछ देर बाद चाची आई और नास्ता देकर चुपचाप चली गयी। चाची की चुप्पी मेरे मन को और तोड़ रही थी। मैंने नास्ता किया और घर के बाहर जाकर पेड़ के नीचे खड़ा होकर खेतों को देख रहा था।

कुछ देर बाद चाची खेत में घास साफ करने वाला औजार लेकर घर से निकली और मुझे देखती हुई कुछ दूर आगे चली गयी। वैसे तो मैं रोज़ चाची के पीछे पीछे खेत जाया करता था। क्योंकि मेरा भी समय पास हो जाता था। लेकिन आज मुझमें चाची के साथ खेत में जाने की हिम्मत ही नही हो रही थी।

मैं फिर खेतों की तरफ देखने लगा। कुछ दूर चले जाने के बाद चाची पलटकर मेरी तरफ आयी और मुझसे कहा तुम चलो मेरे साथ कुछ बात करनी है। चाची ने ये बात थोड़ी गंभीर और भारी आवाज में कही।

मैं समझ गया कि चाची जरूर कल रात के बारे में ही बोल रही है। मेरे पास उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा नही था। मैं चुपचाप उनके पीछे चल पड़ा

थोड़ी दूर चलने के बाद हम अपने खेत पर पहुँच गए चाची खेत के बीच में बैठकर घास साफ करने लगी। उसदिन की तरह आज भी उनकी बड़ी-बड़ी चुचियाँ उनके घुटनों से दबकर ब्लाउज से बाहर आने को हो रही थी। मन तो कर रहा था जीभर उनकी चुचियों को देखने का लेकिन फिर कल रात वाली बात याद आ गयी जिससे चाची अभी तक नाराज़ थी।

मैंने अपने आप को संभाला और चुपचाप चाची के बगल में खड़ा रहा मैं अपनी आँखें फेरकर इधर उधर देख रहा था। ताकि मेरा धयान चाची की चुचियों पर न जाये।

कुछ देर बाद चाची ने कहा खड़े क्यों हो बैठो मैं तुरंत बैठ गया। थोड़ी देर वहाँ चुप्पी रही। फिर चाची ने कहा कि कल रात जो तुमने किया वो गलत है। ये हमारे रिश्ते की सीमा के बाहर है। मैं चुपचाप अपनी नज़रे झुकाये बस उनकी बातों को सुन रहा था। मैं बोल भी क्या सकता था शर्म से मेरी नज़रे झुकी की झुकी रही।

कुछ देर चुप रहने के बाद फिर चाची ने कहा अच्छा ये बात किसी को बताना नही मैं भी चुप रहूंगी। मैंने बिना कुछ बोले सर हिलाकर हाँ कहा।

अभी भी मेरी नज़रे बीच-बीच में चाची की छातियों पर चली जा रही थी। मैं उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ जो उनके घुटनों से दबकर बड़े आकार में उभरकर ब्लाउज से बाहर निकल रही थी। जिसपर चाची उस वक़्त ध्यान नही दे रही थी। फिर मैंने सोचा कि अगर चाची मुझे उनकी चुचियों को घूरता हुआ देख लेगी तो फिर से नाराज़ हो जाएगी।

चाची ने मुझे कल रात के बात के लिए मुझे माफ़ कर मेरे ऊपर एहसान किया था। मैं उनके एहसान के तले दबा हुआ था। तो मैं चुपचाप वहाँ से उठकर थोड़ी दूर जाकर बैठ गया। ताकि मेरी नज़र उनकी फड़कती हुई भारी चुचियों पर न पड़े।

खेत का काम करके हमलोग घर चले गए रात हो चुकी थी। सब लोग खा पीकर सोने की तैयारी में थे। रोज़ की तरह चाची ने मेरा बिस्तर आंगन में खाट पर लगाया। बगल में एक खाट पर अपना बिस्तर लगाया।

मैं अपने बिस्तर पर आंख बंद करके नींद आने का इंतजार करने लगा। चाची भी बगल वाली खाट पर अपने छोटे बच्चे के साथ सो गयी। आज भी चाची अपने बच्चे को जबरदस्ती अपना दूध पिलने की कोशिश कर रही थी पर उनका बच्चा चुचियों को मुँह ही नही लगा रहा था जिससे तंग होकर चाची बच्चे पर झिल्ला रही थी। मैं उनकी तरफ देख नही रह था। मगर मुझे उनदोनों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी।

फिर मैं अपना मुँह दूसरी तरफ करके सोने की कोशिश करने लगा। पर मुझे नींद नही आ रही थी। चाची बेचैनी से अपने खाट पर बार बार करवटें बदल रही थी जिससे मुझे उनके पायल की खनखनाहट सुनाई दे रही थी। मैं जानता था कि चाची को नींद नही आ रही थी।

कुछ देर बाद मुझे हल्की नींद सी आने लगी थी तभी किसी ने आहिस्ते से मेरा नाम पुकारा कमलेश.. कमलेश.. और तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे पीछे खाट पर कोई बैठा है। रात के वही कोई 12 बजे होंगे। मैं नींद की मदहोशी में था। मैंने हम्म… की आवाज में जवाब दिया। फिर एक हाथ मेरे कंधे पर आया।

मैंने तुरंत पलटकर देखा तो वो मेरी चाची थी जो मुझे आवाज दे रही थी। जब मैं पलटा तो मेरी और चाची की नज़रे आपस में मिली मैं अब तक समझ नही पाया कि क्या बात है चाची मेरे खाट पर क्यों आयी है।

मैं कुछ बोलता उससे पहले चाची मेरे बगल में जगह बनाकर लेटने लगी। मैंने भी थोड़ा खिसककर उनको जगह दे दी। फिर उन्होंने मेरे सर के ऊपर से एक हाथ बढ़ाकर कोहनी के बल बायीं करवट लेकर मेरे बगल में लेट गयी।

मैं एक टक उनको देखता रहा फिर वो इधर उधर कमरों की तरफ देखने लगी। आंगन और घर में एकदम शांति छाई हुई थी। फिर उनका एक हाथ उनकी छातियों पर आ गया। उनकी छाति मेरे मुँह के करीब थी जब वो साँसे ले रही थी तो उनकी गर्म चुचियाँ मेरे गालों को छू रही थी। हालांकि उनकी चुचियाँ अभी ब्लाउज में ही थी लेकिन गर्माहट मेरे गालों पर महसूस हो रही थी।

फिर चाची अपनी ब्लाउज के बटन खोलने लगी कुछ ही पल में उनकी नंगी चुचियाँ मेरे चेहरे पर लटकने लगी। चाची की दूध से भरी भारी चुचियों में बहुत वजन था। उनकी नंगी चुचियाँ देखकर मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी।

मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था। फिर चाची ने धीरे से कहा लो पी लो वो तो पी नही रह है। तुम ही पी लो दूध बह रहा है। फिर चाची ने अपनी एक चूची को अपने हाथ से पकड़कर मेरे मुँह के ऊपर रख दिया। मैं करता भी क्या आखिर चाची का एहसान था। मुझपर तो मैं चुपचाप उनका दूध पीने लगा।

मैं आराम आराम से उनकी निप्पल को अपने होठों से दबाकर उनकी चूची का दूध अपने मुँह में घिचने लगा। मेरे जीभ का लार चाची की निप्पल पर लिपट चुका था। मैं बड़े आराम से चाची की चुचि का दूध निचोड़ कर पीने लगा।

पता नही चाची को क्या हुआ जब मैं अपनी जीभ और होठों से चाची की निप्पल को चूस चूसकर उनका दूध पी रहा था। तो चाची के बदन में सिहरन सी हो रही थी। मुझे साफ समझ आ रही थी। चाची का निप्पल अब थोड़ा सख्त हो चुका था। शायद चाची उतेजित हो रही थी।

उन्होंने अपनी एक टांग मेरे टांग पर चढ़ा दी। और फिर अपनी दूसरी चूची को अपने हाथ से मेरे मुँह में देकर उसे पीने को कहने लगी। मैंने भी चाची की दूसरी चूची को पीने लगा। उनकी दोनों चुचियाँ मेरे चेहरे पर झूल रही थी। जिससे मुझे और कुछ दिखाई नही दे रहा था।

फिर मुझे महसूस हुआ कि चाची ने अपनी टांग जो मेरी टांग पर चढ़ा रखी थी। वो अपनी टांग को मोड़कर ऊपर की ओर सरका रही थी। अब उनकी जांघ मेरी जांघ पर थी। फिर वो रुक गयी और मुझें अपना दूध पिलाती रही फिर वो अपनी उस टांग की जांघ को खुजलाने लगी और अपनी जांघ खुजलाते हुए एक बार उनका हाथ मेरे लंड पर लग गया। मुझे ऐसा लगा कि उन्होंने जान बूझकर ऐसा किया।

मैं चुपचाप चाची की चुचियों का दूध पी रहा था। फिर उन्होंने अपनी जांघ को ऊपर लेकर मेरी कमर तक ले आयी और फिर अपनी जांघ को मेरे लंड के ऊपर रख दिया। और हल्का हल्का सा अपनी जांघ को मेरे लंड पर दबाने लगी। मुझे सब पता चल रहा था पर मैं चुपचाप पड़ा उनकी चुचियों को दुह रहा था।

मैं चाची के इरादे समझ चुका था लेकिन मैं पहले अपने तरफ से कुछ ऐसा नही करना चाहता था। जिससे मैं मुश्किल में आ जाऊं। चाची अपनी जांघो से मेरे लंड को टटोल रही थी। मेरा लंड तो अब तक कड़क बन चुका था। लेकिन चड्डी की वजह से उठा नही था। लेकिन अपना आकार बड़ा कर मेरी नाभि तक आ चुका था।

फिर से चाची अपनी जांघ खुजाने के बहाने से बार बार मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही छू रही थी। और अपनी चुचियों का सारा भार मेरे चेहरे पर डालकर मेरी आँखें अपनी चुचियों से ढक चुकी थी। चाची अब गहरी सांसें लेने लगी।

आगे जो उन्होंने किया वो मैंने कभी सोंचा ही नही था। उन्होंने तुरंत अपना एक हाथ मेरी पैंट में डाल दिया और पलक झपकते ही उन्होंने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और मेरे लंड को मुठियाने लगी। जैसे ही उनके हाथ ने मेरे लंड को छुआ मेरे बदन में एक सुगबुगी सी जागने लगी। मैं बोल भी क्या सकता था। मैं चुपचाप नीचे लेटा रहा और चाची की चुचियों को पीने में व्यस्त रहा चाची की उस हरकत पर मैंने कोई प्रतिक्रिया या उत्सुकता नही दिखाई।

चाची की हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लंड और भी बड़ा और मोटा होकर खिल गया। जैसे ही चाची को लगा की मेरा लंड अब तैयार है। तो उन्होंने झट से आगे से अपनी साड़ी उठाई और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को अपनी मुठी में लेकर अपनी बूर में डाल लिया।

फिर चाची मेरे ऊपर लेट गयी और अपनी कमर आगे पीछे खींचकर झटके देने लगी। मेरा लंड उनकी बूर की गहराइयों में उतरने लगा। चाची वासना में लिप्त थी जैसे कई जन्मों की प्यासी हो फिर उन्होंने मेरी टीशर्ट को ऊपर उठा दिया और अपनी चुचियों को मेरे सीने पर दबा दबा कर मेरे लंड पर उछलने लगी।

मैं चुपचाप सीधा लेटा रहा जो कर रही थी चाची ही कर रही थी। चाची लगातार उछल उछल कर मेरा लंड अपनी बूर में घप्पा घप ले रही थी। फिर उन्होंने अपनी चुचियों को अपने हाथों में पकड़ा और अपनी दोनों निप्पलों को मेरे निप्पलों पर घुमाने लगी जिससे मुझे बहुत आनद मिल रहा था। लेकिन मैं अपने चेहरे पर जाहिर नही होने दे रहा था।

चाची मेरे लंड पर उछल कूद करती रही और मेरा लंड अपनी बूर में लेती रही कुछ देर बाद चाची ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी फिर मेरे लंड पर कुछ गिला गिला लगने लगा। तो चाची मेरे ऊपर से उठ गई और मेरा लंड अपनी बूर से निकाल लिया। लंड उनकी बूर से निकलते ही उनकी बूर से सफेद पानी निकलने लगा।

चाची झड़ चुकी थी उनकी बूर का सारा माल मेरे लंड और मेरी झांटो पर फैल चुका था। फिर उन्होंने अपनी पेटीकोट से मेरा लंड पोंछकर साफ किया और फिर जब उन्होंने अपनी बूर को साफ करने के लिए अपनी साड़ी उठाई तो मैंने पहली बार उनकी बूर को देखा जिसपर छोटी छोटी पर घनी झांट थी उनकी बूर की बनावट लंबी थी या शायद 4 बच्चें पैदा करने से थोड़ी फैल सी गयी थी।

मैंने तो सोंच चाची अब झड़ गयी है तो सारा खेल खत्म हो चुका है पर फिर से चाची ने मेरे लंड को पकड़ा मेरा लंड अभी भी खड़ा था और कड़क भी था। वो फिर से मेरे लंड को अपनी बूर घुसा कर बैठ गयी।

फिर चाची अपनी हवा में लहराती चुचियों को मेरे मुँह पर रख झुक गयी। शायद वो मुझे चूसने का इशारा कर रही थी। तो मैं उनकी चुचियों को चूसने लगा चाची मेरा लंड अपनी बूर में डाले झुककर अपनी चुचियाँ चुसवाने लगी। कुछ देर मैंने उनकी चुचियों को चूसा फिर वो मेरे सीने पर अपनी चुचियाँ चिपकाकर मुझसे लिपटकर मेरे ऊपर सो गई।

चाची अब मेरे सीने से लिपटकर सोई हुई थी और बस अपनी कमर को मेरे लंड पर पटककर अपनी बूर में मेरा लंड घुसवा रही थी। चाची ज़ोर ज़ोर से अपनी गरम साँसे मेरे चेहरे पर छोड़ते हुए कस कसकर अपनी कमर को मेरे लंड पर पटक पटककर अपनी बूर को चोद रही थी।

कुछ ही धक्कों में चाची ने मेरे लंड को निचोड़ दिया अब मैं झड़ने को आ चुका था। मैंने अपने आप को बहुत संभाला था। पर अब जब मैं झड़ने वाला था तो मेरे चेहरे पर उतेजना के भाव आने लगे। चाची ने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी थी।

चाची के रफ़्तार बढ़ाने से तेज़ी से मेरा लंड उनकी बूर के अंदर बाहर होने लगा। जिससे मैं चरम सीमा तक आ गया उस आंनद के वक़्त अपने आप ही मेरा हाथ चाची की गांड पर चला गया। मैं चाची की गांड पर अपने दोनों हाथ फेरकर उनकी गांड सहलाने लग गया और नीचे से अपनी कमर उठा उठाकर उनकी बूर चोदने लगा।

अब दोनों तरफ से धक्के लग रहे थे। चाची भी अपनी कमर उछाल उछालकर अपनी बूर को मेरे लंड पर पटक रही थी। इधर मैं भी नीचे से अपना पूरा ज़ोर लगाकर अपनी कमर उठा उठाकर अपना लंड तेज़ी से उनकी बूर में डालने लगा।

कुछ ही देरी में मेरा लंड उनकी बूर में ही झड़ गया फिर चाची ने अपनी बूर से मेरा लंड निकाल कर साफ किया और अपनी बूर को साफ करके अपने कपड़े ठीक किये और अपनी खाट पर जा कर सो गयी। मैं अपना हाथ पैंट में डालकर अपने लंड पर लगे चाची की बूर की खुसबू को महसूस कर के मन ही मन खुश हो रहा था।

आज चाची ने अच्छे से मेरे लंड की मरम्मत कर दी थी। ऐसा लग रहा था चाची सालों से इस तरह चुदी नही है। उन्होंने आज अपनी बूर की चुदाई की प्यास बुझा ली थी। मैंने एक बार पलटकर चाची की तरफ देखा तो वो भी मेरी तरफ ही देख रही थी। मुझे देखकर उन्होंने एक हल्की सी मुस्कान दी।

अगली रात फिर से चाची मुझे अपना दूध पिलाने आयी और फिर से उन्होंने मेरे लंड के साथ छेड़छाड़ करने लगी। फिर अचानक से मेरे लंड पर टूट पड़ी पहले उन्होंने अपनी चुदाई की भड़ास निकाली उसके बाद मैं भी चाची को खाट पर लिटाकर चाची के ऊपर चढ़ गया और जमकर उनकी चुदाई की उस रात मैंने चाची की कमरतोड़ चुदाई की।

अब मैं चाची को छत पर लेजाकर चोदता हूँ। क्योंकि मैं जब ज़ोर ज़ोर से उनकी बूर में धक्के मारता हूँ। तो खाट की ज़ोर ज़ोर से चर्चराने की आवाज आने लगती है। और चाची भी ज़ोर से चीख़ने लगती है। कोई हमें ये सब करता हुआ देख न ले इस वजह से मैं रात के अंधेरे में छत पर उन्हें चोदता हूँ।

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