चाची की बड़ी चुचियों का दूध-1

चाची की बड़ी चुचियों का दूध-1

मैं कमलेश मेरे परिवार में माँ पापा और एक छोटा भाई है। वैसे हमलोग तो शहर में रहते है। लेकिन मैं कुछ दिन पहले ही बिहार अपने गाँव अपने चाचा चाची के पास घूमने आया हूँ।

मेरी उम्र 22 साल की हो चुकी है। यानी कि मैं अब जवान हो चुका हूँ। ये कहानी मेरी चाची की और मेरी है।

मेरे चाचा और चाची को 4 बच्चे है उनका छोटा बेटा 2 साल का है। वो लोग गाँव में खेती करते है और किसान है।

मेरे चाचा एक नंबर के शराबी है जिन्हें अपने परिवार या बीवी बच्चों से कोई लगाव नही है। दिनभर शराब पीकर कही पड़े रहते है। लोगों ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन उनकी पीने की लत छुटती ही नही है।

यानी कि चाची पर ही घर और खेती के काम का सारा बोझ था। एकदिन सुबह जब चाची खेत की सोहनी करने के लिए जा रही थी। तो मैं भी उनके साथ चल दिया मुझे खेती करना नही आता पर मैं उनके साथ चल पड़ा।

जब चाची खेत में बैठकर बेकार उगे घांस को साफ कर रही थी। तब उनके घुटनों से दबकर उनके दोनों बड़े-बड़े स्तन चाची के ब्लाउज के गले से आधे से ज़्यादा निकल गए थे। जब अचानक मेरी नज़र उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों पर पड़ी तो मेरी नज़र उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों पर अटक गई।

चाची के चुचियों का आकार देखकर मेरे अंदर सुगबुगी सी जाग गयी इतनी बड़ी बड़ी चुचियाँ मैंने कभी नही देखी थी। चाची ने अंदर ब्रा नही डाली थी। उनका ब्लाउज उनकी चुचियों को संभाल नही पा रहा था। मुझे उनको ऐसी नज़रों से देखना अच्छा तो नही लग रहा था। पर बार बार मेरी नज़र उनकी चुचियों की तरफ घूम ही जा रही थी।

उनकी चुचियों का आधा रंग गोरा था और ऊपर के हिस्से का रंग धूप में काम करने की वजह से थोड़ा सावला हो चुका था। उनके घुटनों से दबे होने के कारण उनकी चुचियाँ कुछ ज़्यादा ही बाहर आ चुकी थी क्योंकि उनकी चुचियों का गोरा हिस्सा कुछ ज्यादा बाहर आ चुका था। जिससे मुझे चाची की चुचियों के आकार का अंदाजा लग रहा था।

कुछ देर बाद जब चाची उठी तो मैंने देखा कि उनकी ब्लाउज के दोनों तरफ का हिस्सा गोलाई में भीगा हुआ था। पर उस वक़्त मैंने भीगें हुए ब्लाउज की तरफ ध्यान नही दिया लेकिन!!

तभी बगल के खेत मे काम कर रही एक औरत ने कहा कि तेरा तो दूध बह रहा है। गाँव की औरतों को तो जानते ही होंगे आप एक दम गवार, बेबाक और बेशर्म उसके मुँह की बात मैंने सुन ली तब मुझे समझ आया कि चाची के चुचियों से बहे दूध के कारण उनकी ब्लाउज भीगीं हुई थी।

फिर उस औरत ने कहा क्या तेरा बच्चा तेरा दूध नही पीता तो चाची ने कहा नही मुआ मुँह ही नही लगता मैं ही कभी कभी जबरदस्ती पिलाती हूँ। तो फिर उस औरत ने कहा देख न कितना दूध बह रहा है। तेरी चुचियों का आकार बड़ा है इस लिए उनमें दूध भी ज़्यादा उतरता है।

चाची ने कहा मुआ मेरा बच्चा दूध ही नही पीता है ज़्यादा दूध जमा हो जाने पर कभी कभी बहुत दर्द होता है या फिर अपने आप बहने लगता है।

उनदोनों की बातें सुनकर मुझें सारा माजरा समझ में आ गया। मेरी चाची की चुचियों ने मेरा मन लुभा लिया था। अब मेरे दिमाग़ में चाची की दूध से लबालब भरी चुचियाँ घूमने लगी।

तभी उस औरत ने मेरी चाची को कहा कि तेरा दूध तो वैसे भी बह कर बेकार जा रहा है। तू मेरी मेमने को ही पिला दे उसका भी पेट भर जाएगा और तेरी तकलीफ भी कम होगी।

उस औरत की बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया ऐसा लग रहा था कि मेरी चीज पर कोई और हक जमा रहा है। पर मैं कर भी क्या सकता था। चाची ने मेमने को गोद में उठाया और पेड़ के अलोत में जाकर अपनी चुचियाँ का दूध उस मेमने को पिलने लगी।

मैं दूर बैठा अपनी किस्मत को कोस रहा था। और चाची की तरफ चोरी निगाहों से उनकी चुचियों को देख रहा था। फिर मेरी नज़र चाची की एक चूची पर जो उनके बाजू के नीचे से साइड से थोड़ी दिखाई दे रही थी। जिसका आकार बहुत बड़ा था। चाची अपनी चुचियों को दबा-दबा कर मेमने को अपना दूध पिला रही थी।

चाची ने अपना सारा दूध उस मेमने को पीला दिया उसके बाद अपनी ब्लाउज के हुक को बंद करके मेरी तरफ आयी और घर चलने को कहा मैं चाची के पीछे पीछे घर आ गया।

चाची आंगन में गंदे कपड़े धो रही थी मैं समझ गया कि चाची अब नहाने की तैयारी कर रही थी। मैंने सोचा कि अभी ही मुझे चाची की नंगी चुचियों को देखने का मौका मिलेगा तो मैं पहले से ही छत पर चढ़कर छिप गया।

चाची जब अपने कपड़े उतारने लगी तो मेरी खुशी का ठिकाना नही रह और साथ ही मेरी हालत बिगड़ने लगी मेरी होठों में कंपकपी आने लगी और शरीर मे एक अजीब से बेचैनी छाने लगी। चाची ने जब अपनी साड़ी पूरी उतारी तो मुझे उनका गोरा पेट दिख गया। फिर चाची ने इधर उधर देखा और अपनी ब्लाउज का हुक खोलने लगी।

जैसे ही उनकी ब्लाउज खुली तो उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ अपने भार की वजह से लटककर नीचे तक आ गयी। अब मुझे पहली बार अपनी चाची की बड़ी बड़ी बिल्कुल नंगी चुचियों को देखने का मौका मिला। चाची के चुचियाँ का साइज XXL था। मुझे उनकी सख्त तने हुए काले लंबे निपल साफ दिख रहे थे। जिनकी लंबाई डेढ़ इंच की होगी।

मैं अपनी चाची की नंगी चुचियों के मस्त नजारे देखने लगा। फिर चाची ने अपनी पेटिकोट का नाड़ा खोलकर अपनी पेटिकोट ढीली की। फिर उन्होंने अपनी पेटीकोट को अपनी कमर पर अटका दिया। और अपनी चुचियों को खुला छोड़कर नीचे बैठकर अपनी साड़ी धोने लगी। जब चाची अपनी साड़ी को अपने हाथों से निचोड़ निचोड़कर धो रही थी। तो उनकी चुचियाँ हिलोरे मारती हुई हिल हिलकर एक दूसरे से टकरा रही थी।

चाची की चुचियों को देखकर मानो मेरे मुँह से लालच के मारे लार टपकने लगा। मुझे अपनी चाची को छुपकर नंगा देखकर अच्छा तो नही लग रहा था। पर उनकी चुचियों ने मेरे दिमाग में घर कर लिया था। मैंने कभी भी अपनी चाची के बारे में गंदी सोंच नही रखी। मुझे तो बस उनकी दूध से भरी चुचियों में दिलचस्पी थी।

मैंने जी भर चाची की चुचियों को छत पर खड़े रहकर ताड़ा जब तक चाची नहाती रही तब तक मुझे उनकी बड़ी बड़ी नंगे चुचियों के दर्शन हुए।

जब चाची नहाकर कमरे में चली गयी तब मैं चुपके से छत से नीचे आ गया। उसके बाद जब चाची घर के काम में लग गयी। तो मैं जान बूझकर अपनी चाची के आस पास ही भटकता रहा। जिससे मुझे चाची की चुचियों के उभार और उनकी चूची के बीच की गहरी रेखा देखने के बहुत मौके मिले और मैं चाची की चुचियों के दर्शन कर मनमुग्ध होता रहा।

रात हो गयी सब सोने के लिए बिस्तर पर आ गए चाची के तीन बच्चें अंदर कमरे में सो गए। आज भी चाचा बहुत शराब पीकर आये थे तो वो भी कमरे में ही सो गए। चाची ने आंगन में दो खाट बिछाई गर्मी के दिन थे। आंगन में हवा आती थी। इसलिए चाची ने मेरा बिस्तर भी आंगन में ही लगाया।

और एक खाट पर वो अपने छोटे वाले बेटे के साथ जो अभी 2 साल का था उस खाट पर वो दोनों लेट गए और दूसरे खाट पर मैं लेट गया। दोनों खाट अगल बगल ही एक दूसरे से 2 से 3 फिट की दूरी पर बिछे थे।

मैं चुपचाप लेट गया चाची भी चुपचाप थी। करीब 10 मिनट बाद चाची ने अपनी ब्लाउज का बटन खोला और धीमी आवाज में चाची ने अपने बच्चे से कहा ले पी मैंने उनके मुँह की बात सुन ली थी। और तब मेरा भी ध्यान चाची की तरफ चला गया।

चाची अपनी चूची पकड़ पकड़कर अपने बच्चें के मुँह में जबरदस्ती दे रही थी। पर उनका बच्चा बार बार तंग होकर अपना मुँह हटा लें रहा था। कुछ देर वैसे ही कभी चाची की और कभी उनके बच्चें की आवाज आती रही।

लेकिन आधे घंटे बाद उन दोनों की आवाज आनी बंद हो गयी। तब मेरी भी आँख लग गयी। और मैं सपने में खो गया जैसे ही मुझे सपने में अपनी चाची की बड़ी-बड़ी चुचियाँ दिखी अचानक से मेरी आँख खुल गयी।

मैं तुरंत करवट लेकर अपनी चाची की तरफ मुड़ा तो मैंने देखा चाची अपनी चुचियों को खुला छोड़कर सो गई थी। मैंने खाट से थोड़ा उठकर देखा तो मुझे मेरी चाची की नंगी चुचियाँ दिखाई दी।

उनकी चुचियाँ उनके बच्चें के मुँह के सामने थी। और वो दाहिनी करवट लेकर सो रही थी। उनकी चुचि के निप्पल से दूध बूंद के रूप में छनकर बाहर आ रही थी। मैं उनकी नंगी चुचियों को सामने से देखकर पागल सा होने लगा। मेरे होठो सूखने लगे गला प्यास के मारे सूखने लगा। ऐसा लग रहा था कि अभी लपककर उनकी चुचियों का सारा दूध पी लूँ।

पर चाची अभी करवट लेकर सो रही थी। जिससे उनका दूध पीना मुश्किल था। लेकिन मुझे अपनी चाची के साथ ऐसा करने से डर भी लग रहा था। मेरी नींद उड़ चुकी थी। मैं बेचैनी में खाट पर करवटें बदलने लगा।

करवट बदलते बदलते आधी रात हो चुकी थी पर चाची के नंगी चुचियों के नजारे ने मेरी नींद ही उड़ा दी थी। मैं छुप छुपकर बीच बीच में उठकर अपनी चाची की चुचियों को देखता और वापस लेट जाता उसके कुछ देर बाद चाची ने करवट बदली और सीधी होकर लेट गयी। अब उनकी चुचियाँ ऊपर हो गयी थी और बड़ी गोलाई में उनके सीने पर फैल गयी थी।

ब्लाउज खुले होने के कारण उनकी चुचियाँ पूरी तरह नंगी थी। जब मैंने चाची को उस हाल में सोते देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए। मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था। कभी मन कर रहा था कि चाची के पास जाकर उनके नंगे चुचियों को छूलूँ तो कभी डर के मारे मैं अपना मन खींच लेता।

फिर मैंने सोचा कि अगर चाची फिर से करवट बदल लेगी तो ये मौका मेरे हाथ से निकल जायेगा। तो मैंने हिम्मत बांधी और धीरे से उठकर चाची के बगल में उनके खाट के पास गया और जी भरके उनकी चुचियों को निहारने लगा।

फिर मैंने उनकी एक चूची पर मैंने अपनी एक उँगली रखी और हल्के से मैंने उस उँगली से चाची की चूची को दबा दिया। जैसे ही मेरी उँगली का जोर उनकी चूची पर लगा तुरंत उनकी चूची से दूध का फवारा निकला और मेरी बांह पर उड़कर आ गया। चाची की चुचियों में दूध भरा हुआ था जिससे उनकी चुचियाँ थोड़ी सख़्त और भारी लग रही थी।

मैं पहली बार किसी औरत की चूची को अपने हाथ से छू रहा था। पहली बार चूची को छूने का वो मजा मैं शब्दों में नही बता सकता चाची चूची इतनी नरम और मुलायम थी जैसे मानो किसी नरम ब्रेड की तरह जैसे ही मैंने फिर से अपनी उंगली से उनकी चूची को थोड़ा ज़ोर लगाकर दबाया तो इसबार तेज़ धार के साथ उनकी चूची से दूध का फवारा निकला। मन तो कर रहा था कि अपने दोनों हाथों से उनकी दोनों चुचियों को जकड़ लूँ। और मिस मिसकर उनका सारा दूध निकालकर पी लूँ।

पर ऐसा करने से चाची जाग जाती इसलिए मैंने थोड़ा कण्ट्रोल किया अब मुझमे चाची का दूध पीने का नशा चढ़ गया। फिर मैं चुपचाप चाची के खाट के बगल में नीचे बैठ गया। अब मेरा मुँह चाची के चुचि के नजदीक आ चुका था। अब बस मुँह लगाकर पीने की देर थी।

मैं धीरे धीरे अपना मुँह चाची के चुचियों के नजदीक ले जाने लगा और फिर मैंने चाची की बायीं चूची के निप्पल को अपने होठ से छुने और अपने होठ से निप्पल को चूमने लगा। मेरे होठों से टकराकर चाची का निप्पल किसी रबड़ की चीज की तरह इधर उधर लचक रहा था।

फिर मैंने आहिस्ते से चाची की बायीं चूची के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और चाची के चूची के दूध को अपने मुँह में खींचने लगा। चाची के चूची से दूध का फ़वारा निकलकर मेरे मुँह में भरने लगा और मैं धीरे धीरे करके चाची के एक चूची का दूध पीने लगा।

करीब 10 मिनटों में ही मैं चाची के उस चूची का सारा दूध चूस चूसकर पी गया। अब उनकी बायीं चूची में लचक आ गयी थी दूध खत्म होने के कारण उनकी चूची ढीली हो गयी थी। मैंने उनकी एक चूची का सारा दूध पी लिया था।

वैसे ही मैंने चाची की दूसरी चूची के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया। और उनकी दूसरी चूची का दूध को भी धीरे-धीरे सुड़कने लगा। कुछ ही देर में मैंने उनकी दूसरी चूची का दूध भी खाली कर दिया। उसके बाद मैं चुपचाप अपने खाट पर आकर सो गया। खाट पर लेटे हुए मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि जैसे मैंने कोई जंग जीत ली हो।

चाची की चुचियों का दूध बड़ा स्वादिष्ट था। पता नही कैसे पर आज मेरी किस्मत मेरा साथ दे गयी थी। फिर मैं सोचने लगा कि चाची दिनभर काम करके थक जाती है इसलिए वो गहरी नींद में थी और उन्हें पता ही नही चला कि मैंने कब उनका सारा दूध पी गया। वो अभी भी उसी तरह बेसुध गहरी नींद में सोई हुई थी।

फिर मैंने सोचा कि दुबारा कभी मौका मिले न मिले आज तो मैंने अपनी सगी चाची के दूध का भोग तो लगा लिया। अगर मैं आज अपनी चाची का दूध नही पीता तो शायद जिंदगी भर इस मौके के लिए पछताता।

सुबह हो गयी चाची घर के कामों के बाद फिर खेत के लिए निकल गयी मैं भी उनके साथ निकल गया। आज फिर वो दूसरी औरत हमारे बगल वाले खेत में काम कर रही थी। चाची भी अपने खेत से घास साफ कर रही थी। मैं उनसे कुछ दूरी पर ही बैठा था।

तभी मेरी चाची ने उस औरत से बात करनी शुरू की बातों बातों में ही मेरी चाची ने अपनी चुचियों को अपने हाथों में ब्लाउज के ऊपर से ही पकड़कर उस औरत को दिखाने लगी। चाची ने देख न आज ये बड़ी हल्की लग रही है वैसे तो रोज ये पानी से भरे ग़ुब्बारे की तरह भारी लगती है। आज ये हल्की हो गयी है और आज दूध भी नही रीस रहा है।

तो उस औरत ने कहा कि ये तो अच्छी बात है क्या अब तेरा बच्चा तेरा दूध पी रहा है। तो चाची थोड़ी देर की चुप्पी के बाद बोली कल रात को मैंने उसे दूध दिखाया था। तो वो औरत बोली तब लगता है तेरा बच्चा दूध पी रहा है। चाची भी थोड़ा सोचने के बाद बोली हाँ शायद…

फिर उस औरत ने कहा तो तू एक काम कर रोज़ रात को उसे दूध पिलाने की कोशिश कर तो चाची ने भी हामी भरी फिर वो अपने अपने कामों में लग गयी। मैं भी समझ गया कि अब मुझे चाची का दूध पीने के और भी मौके मिलेंगे

फिर उस रात को चाची ने दो खाट अगल बगल बिछाकर बिस्तर लगा दिया। एक पर वो और उनका बच्चा और दूसरे पर मैं फिर से चाची ने अपनी ब्लाउज के बटन खोलकर अपने बच्चें के मुँह में अपनी चूची देने लगी। मैं आँखे बंद करके सोने का नाटक करते हुए सारा कुछ देख रहा था।

वो जबरदस्ती अपने बच्चे के मुँह में अपनी चूची घुसा रही थी। लेकिन बच्चा चिढ़कर अपना मुँह हटा दे रहा था। कुछ देर वैसे ही चलता रहा फिर उन दोनों की आवाज आनी बंद हो गयी। मैंने उठकर देखा तो चाची और उनका बच्चा सो चुके थे। कल की तरह आज भी चाची दूध पिलाती हुई अपनी चुचियों को खुला छोड़कर सो गयी थी।

मैंने थोड़ी देर उनको गहरी नींद में जाने इंतेजार किया उसके बाद मैं फिर से उठकर उनके पास गया। लेकिन अभी भी वो अपने बच्चे की तरफ करवट करके सोई हुई थी। मुझे उनकी नंगी चुचियाँ दिख तो रही थी। मगर मैं उस वक़्त कुछ कर नही पाता तो मैंने फिर से उनके करवट बदलने का इंतेजार किया पर काफी देर तक चाची ने करवट नही बदली।

फिर मैंने सोचा कि क्यों न मैं ही धीरे से इनकी करवट बदल दु। तो मैंने धीरे से चाची की कमर और गर्दन में हाथ डाला और धीरे से उनको सीधा करके पीठ के बल कर दिया। अब फिर से उनकी चुचियाँ बिल्कुल नंगी मेरी नज़रों के सामने थी। मैं फिर से चुपचाप चाची के बगल में खाट के नीचे बैठकर एक एक करके उनकी दोनों चुचियों का दूध बड़े आराम से पीने लगा।

करीब आधे घंटे में मैं उनकी दोनों चुचियों का दूध चूस गया और उनकी चुचियों को खाली करके अपने खाट पर आकर सो गया। अब मेरी हिम्मत बहुत बढ़ चुकी थी। क्योंकि चाची इतनी गहरी नींद में सोती है कि कोई उनकी करवट भी बदले तो वो नही जागेगी। चाची जब सुबह उठी तो सबसे पहले उन्होंने अपनी चुचियों को अपने हाथ मे लेकर तोलने लगी।

जिसके बाद उनके चेहरे पर एक हल्की सी खुशी वाली मुस्कान आ गयी। उन्होंने अपनी ब्लाउज ठीक की और अपने घर के कामों में लग गयी। उस दिन के बाद से मैं हर रात को चाची की चुचियों का दूध निचोड़कर पी जाता था। करीब मैं लगातार 10 दिन से उनका दूध पी रहा था।

आज की रात भी मेरा यही प्लान था कि आज भी मैं मस्ती से चाची की चुचियों का दूध पिऊँगा और सुकून की नींद सोऊँगा। चाची की चुचियों का दूध रोज़ पीने से मेरे शरीर में ताकत बढ़ने लगी थी। जो मुझे साफ समझ आ रहा था।

आज की रात रोज़ की तरह चाची ने अपना और मेरा बिस्तर लगाया। मैं अपने खाट पर आकर लेट गया। और चुपचाप लेट गया। मैं बस इंतेजार करने लगा कि चाची कब चाची अपने बच्चें को दूध पिलाने के लिए अपनी ब्लाउज खोलें और सो जाएं। ताकि मैं उनका दूध पी सकू।

पर चाची आज अपने बच्चें को बिना दूध पिलाये सो गई थी। शायद आज वो ज्यादा थक गई थी। लेकिन अब मेरी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। कुछ देर खाट पर बेचैनी से करवटें बदलते हुए मैंने फैसला किया कि आज मैं खुद ही चाची की ब्लाउज को खोल कर उनके दूध पीने का फैसला किया।

फिर मैं अपने खाट से उठकर चाची के बगल में उनके खाट के पास पहुंचा। मैंने हिम्मत करके चाची को सीधा पीठ के बल लिटा दिया जिसमें मुझें काफी मेहनत और समय लग गया।

अब चाची सीधी होकर पीठ के बल होकर लेट गयी थी। फिर मैंने उनके एक हाथ जो उनकी छाती पर था। धीरे से हटाया और फिर मैं अपने दोनों हाथों से बड़े आराम से उनकी ब्लाउज के हुकों को खोलने लगा। जैसे ही उनकी ब्लाउज का आखिरी हुक खुला चाची की चुचियाँ आजाद होकर उनके सीने पर फैल गयी।

फिर मैं चाची के खाट के बगल में बैठ गया और अपना चेहरा उनके सीने के समानांतर कर के अपना मुँह उनकी रस भरी चुचियों की तरफ बढ़ाने लगा। फिर मैंने अपने मुँह में चाची के बायीं चूची के निप्पल को भर लिया। और उनका दूध सुड़कने लगा। अभी 2-4 बार ही उनके दूध का फ़वारा मेरे मुँह में भरा था। कि..

चाची ने नींद में ही करवट बदली और उनकी चूची का निप्पल मेरे मुँह में दबे होने के कारण उनकी निप्पल खींच गयी। जिससे चाची की आँख खुल गयी एक पल के लिए हमारी नजरें मिली चाची ने मेरे मुँह में दबी अपनी निप्पल देख ली। फिर तुरंत चाची ने अपनी चुचियों को साड़ी से ढक लिया।

और उठकर खाट पर बैठ गयी। चाची ने अपनी चुचियों को अपने साड़ी से ढक लिया था। वो बिल्कुल चुपचाप खाट के सिरहाने बैठ गयी। मैं वही शर्म के मारे नज़रे झुकाए वही बैठा रहा। मुझें लग रहा था कि चाची हंगामा करेगी। लेकिन वो अब भी चुपचाप थी। कुछ देर बाद उन्होंने थोड़े धीमें गंभीर आवाज मुझें अपने खाट पर जा कर सोने को कहा।

मैं डर चुका था बस कल क्या होगा यही सोंच रहा था। सच कहूँ तो मुझे पक्का यकीन था कि चाची कल चाचा को ये सब जरूर बता देगी। और मुझे मार और डांट खानी पड़ेगी। मुझे नींद ही नही आ रही थी। मैं बस कल बद से बत्तर दिन के सोंच में पड़ गया

अगले दिन जो मेरे साथ हुआ वो मैंने कभी सोचा नही था। अगले दिन की कहानी आपको अगले भाग में बताऊँगा। चाची की बड़ी चुचियों का दूध-2

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