माँ की लाचारी का फायदा उठाया बेटे ने

माँ की लाचारी का फायदा उठाया बेटे ने

नमस्कार दोस्तों,
मैं कविता आज मैं आप सबको एक ऐसी अनहोनी के बारे में बताने जा रही हूँ। जिसे मैंने अपने मन में कई सालों से छुपा रखा था।

मेरे कमीने बेटे ने मेरी लाचारी का फायदा उठाया और मेरे साथ गंदी करतूत की। ये बात 3 साल पुरानी है। मेरे घर में मैं और मेरा बेटा बस दो ही लोग है। पति कुछ सालों पहले ही हमें छोड़कर ऊपर वाले के पास चले गए थे।

यानी मैं एक विधवा गृहणी औरत हूँ। 3 साल पहले मेरे साथ एक दुर्घटना हुई थी। जिसका फायदा मेरे बेटे ने उठाया उस वक़्त मेरी उम्र यही कोई 50 के आस पास होगी और मेरे बेटे की उम्र 25-26 साल की होगी।

एक शाम को मैं बाजार से घर का सामान लेकर लौट रही थी तभी एक तेज़ रफ़्तार कार मुझे टक्कर मारकर चली गयी। जिसमे मुझें काफी चोट लगी। मौके पर मौजूद लोगों ने मुझे अस्पताल में भर्ती करवाया। वैसे मैं अब बिल्कुल ठीक हो चुकी हूँ।

कुछ दिन अस्पताल में रहने के बाद मैं घर आ गयी। उस वक़्त मेरी बाहरी चोट तो ठीक हो गयी थी। पर मेरे शरीर का सारा हिस्सा यानी हाथ , पैर ने पैरालिसिस के कारण काम करना बंद कर दिया था और साथ ही मैं बोल नही पाती थी।

बस नज़रो से ही इशारों में अपनी जरुरतों को दूसरों से बताती डॉक्टर ने कहा था कि मैं ठीक हो जाऊंगी लेकिन समय लगेगा और डॉक्टर ने दवाएं भी जारी रखने को कहा।

मेरा बेटा मेरे लिए व्हीलचेयर ले आया था। मैं दिन भर व्हीलचेयर पर ही पड़ी रहती थी। मैं मन ही मन हताश हो चुकी थी। जिस दिन से मेरा एक्सीडेंट हुआ था उसके बाद से मेरा बेटा अपने काम पर नही जा रहा था। लेकिन कब तक ऐसे चलता तो मेरे बेटे ने एक काम वाली को मेरा ध्यान रखने के लिए काम पर रख लिया।

इससे मेरी तकलीफ थोड़ी कम हुई आप समझ ही सकते होंगे कि एक औरत को किसी मर्द के साथ बॉथरूम वगैरह जाने में कैसा लगता होगा मुझे भी अपने बेटे के सामने रोज़ सुबह शर्मिंदा होना पड़ता था। लेकिन और कोई चारा भी तो नही था।

काम वाली सुबह ही आ जाती थी। जो दिनभर मेरी देख रेख करती और मेरे बदन की मालिश करती फिर मुझें नहला देती। फिर शाम को जब मेरा बेटा आ जाता तो वो चली जाती। उस दिन काम वाली ने मुझे नहलाकर सिर्फ एक पतली सी नाइटी पहना दी थी। मैंने अंदर कुछ भी नही पहना था न ही चड्डी और न ब्रा।

क्योंकि जरूरत पड़ने पर मैं उन्हें अपने हाथों से उतार भी नही सकती थी। रात में मैं अपने व्हीलचेयर पर बैठी थी तभी मेरा बेटा मुझें खिलाने के लिए खाना लेकर आया और व्हीलचेयर पर ही मुझे चम्मच से खाना खिलाने लगा।

पर मेरा मुँह ठीक से नही खुलने की वजह से ज्यादातर खाना मेरे मुँह से बाहर मेरी नाइटी पर गिर रहा था। जिससे नाइटी गंदी हो गयी थी। तभी मेरे बेटे ने कहा माँ आप खाना खा लो इसके बाद मैं आपकी नाइटी चेंज कर दूंगा। वरना बिस्तर भी गंदा हो जायेगा।

मुझें खाना खिलाकर वो मेरे लिए दूसरी नाइटी ले आया और बोला माँ मैं आपकी नाइटी चेंज कर देता हूँ। फिर वही हुआ जिसका डर मेरे मन में था। मैं जानती थी कि अगर ये मेरी नाइटी उतारेगा तो मैं बिल्कुल नंगी हो जाऊँगी। लेकिन मैं ये बात उसे अपने मुँह से नही बता सकती थी।

और न ही उसे पता था कि मैंने अंदर कुछ नही पहना है। फिर वो आकर मेरे व्हीलचेयर के पास घुटनों के बल बैठ गया और फिर उसने मेरी टाँगों के पास से नाइटी को पकड़ा और ऊपर करने लगा। कुछ ही छन में उसने मेरी नाइटी को मेरी जाँघों तक उठा दिया था।

अब मैं नीचे से जाँघों तक नंगी उसके सामने बैठी थी। पर मेरे बैठे होने के कारण उसे पता नही चला कि मैंने अंदर चड्डी नही पहनी थी। मैं उस वक़्त शर्म के मारे मेरी हालत कैसी हो रही थी बता भी नही सकती। फिर उसने मेरी दोनों जांघो के नीचे अपने दोनों हाथ डाल दिये। क्योंकि मेरी नाइटी मेरी जांघो और मेरी चूतड़ों से दबी हुई थी।

फिर उसने अपने हाथों का जोर लगाते हुए मेरी जांघ के नीचे दबी नाइटी को सरकाते हुए अपना हाथ मेरी चूतड़ों तक ले गया अब उसके हाथ मेरी चूतड़ों पर थे। फिर उसने अपने हाथों का पूरा जोर लगाकर मेरी चूतड़ को हल्का सा उठाकर एक झटके में ही नाइटी को मेरी कमर के ऊपर तक उठा दिया।

जिससे मैं नीचे से बिल्कुल नंगी हो गयी और तभी मेरे बेटे की नज़र मेरी दोनों जाँघों के बीच दबी मेरी चुत पर जमे गुंघराली लंबी काली झांटो पर पड़ी। एक पल के लिए तो उसकी नज़र मेरी झांटो पर अटक सी गयी और ऐसा लगा कि वो मेरी चुत को तलाश रहा हो।

फिर उसने अपना ध्यान मेरी झांटो पर से हटाया और फिर वो उठकर खड़ा हो गया और फिर उसने मेरे शरीर से नाइटी को पूरी तरह से निकाल दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी उसके सामने व्हीलचेयर पर बैठी थी। मेरी चुत तो अभी तक मेरी जाँघों के बीच छुपी हुई थी।

लेकिन मेरी बड़ी बड़ी चुचियाँ मेरे बेटे के सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। वो अब मेरी चुचियों को देख रहा था। शायद मेरी चुचियों को देखकर उसका मन ललच रहा था। फिर एकदम से उसने कहा कि माँ पहले मैं आपके शरीर की मालिश कर देता हूँ। फिर आपको कपड़े पहना दूँगा।

फिर उसने मेरी मालिश वाली तेल की सीसी उठायी और अपने हाथों में तेल लेकर वो मेरे पैरों की मालिश करने लगा। वो मेरे पैरों की एड़ियों से मालिश करता हुआ ऊपर आ रहा था। मुझें उस वक़्त थोड़ा भी ये अंदाजा नही था कि अब मेरा बेटा मेरे साथ क्या करने वाला है।

वो अब मेरी जांघो की मालिश करने लगा कुछ देर मेरी जाँघों की मालिश करने के बाद उसने मेरी दोनों जाँघों को फैला दिया जिससे मेरी चुत का रास्ता साफ हो गया और उसे मेरी घनी झांटो से भरी चुत दिखने लगी। मैं समझ गयी कि उसने मेरी चुत देखने के लिए ऐसा किया वो मेरी चुत के नज़ारे ले लेकर मेरी जाँघों की मालिश कर रहा था।

वो मेरी जाँघों की मालिश करता हुआ अपनी उँगलियों को मेरी चुत के और करीब ले जाता मालिश करते हुए कभी कभी उसकी उंगलियाँ मेरी झांटो में फंस जाती तो उसकी उँगली मेरी चुत के उभारो पर भी चली जाती। मेरे लिए ये एक शर्मनाक बात थी कि मेरा बेटा जहां से निकला है उस जगह को देख और छू रहा था।

फिर उसने कहा माँ ऐसे मालिश करने में दिक्कत हो रही है। मैं आपको बिस्तर पर लिटा देता हूँ। फिर उसने मुझे व्हीलचेयर से उठाया और बिस्तर पर सीधा पीठ के बल लिटा दिया।

फिर उसने ढेर सारा तेल मेरे पेट पर उझल दिया और अपने हाथों से मेरे पेट पर गिरे तेल को फैलाकर मेरे पेट और कमर की मालिश करने लगा। फिर से उसका हाथ मेरी जांघो पर चला गया और उसने इसबार अपने दोनों हाथों के अंगूठो को मेरी भीतरी जाँघों पर फेरने लगा। फिर आहिस्ते से उसने अपने दोनों अंगूठों को मेरी चुत पर रख दिया और मेरी चुत की मालिश करने लगा।

मुझे शक न हो इसलिए जल्दी ही उसने अपने अंगूठों को मेरी चुत से हटा लिया। फिर उसने थोड़ी देर मेरे पेट की मालिश की और उसके बाद धीरे धीरे अपने हाथों को ऊपर लेने लगा। वो ऐसे मालिश कर रहा था कि मुझे उसके इरादों पर शक न हो उसने अपने हाथ मेरी चुचियों पर रख दिये और मेरी चुचियों को दबा दबाकर उनकी मालिश करने लगा।

वो मेरी बड़ी-बड़ी चुचियों को अपना पूरा जोर लगाकर मसल रहा था। उसके ज़ोर के कारण मेरी चींख निकल रही थी। पर मेरे मुँह से कोई आवाज नही आ रही थी। तेल की वजह से मेरा पूरा बदन चमकने लगा था। काफी देर तक उसी तरह मालिश करने के बहाने वो मेरे नंगे शरीर से खेलता रहा। फिर उसने मेरी कमर के बगल में एक ऊँचा तकिया रख दिया और फिर मुझे मुँह के बल उस तकिये पर पलट दिया।

वो तकिया मेरी कमर के नीचे आ चुका था। और मैं मुँह के बल लेटी हुई थी। मेरी चूतड़ नीचे तकिया लगाने की वजह से ऊंची हो गयी थी। मुझे लग रहा था कि वो मेरी पीठ की मालिश करने वाला है। वो मुझे वैसे लिटाकर वहाँ से चला गया।

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। कि ये मालिश करते करते कहाँ गया। मेरा चेहरा नीचे था जिसे मैं कुछ देख भी नही पा रही थी। करीब 5 मिनट के बाद मुझे महसूस हुआ कि बिस्तर पर कोई चढ़ा है। फिर उसने मेरी दोनों टाँगों को फैला दिया और मेरी दोनों टाँगों के बीच बैठ गया।

उसने ढेर सारा तेल मेरी चूतड़ों पर गिरा दिया और अपने पंजों से कस-कस के मेरी गांड की मालिश करने लगा। वो मेरे चूतड़ के दोनों हिस्सों को फैला-फैलाकर उनकी मालिश करने लगा। फिर उसने अपनी तेल से सनी हुई उँगली को मेरी गांड की दरार में फेरने लगा और मेरी गांड की छेद पर बार-बार उँगली फेरने लगा।

ऐसा लग रहा था कि मानो वो अपनी उंगली को मेरी गांड के अंदर डालना चाहता हो। पर फिर उसने अपनी उंगली मेरी गांड की दरार से निकाल ली और मेरी चुत के बाहर लटकती हुई लीबिया पर फिराने लगा।

अचानक तेल की चिकनाई की वजह से उसकी उँगली सटाक से मेरी चुत के अंदर चली गयी उँगली मेरी चुत में घुसते ही मैं उचक गयी। जिससे वो भी घबरा गया और तुरंत ही अपनी उंगली को मेरी चुत से निकाल दिया।

फिर कुछ देर सब कुछ सांत रहा उसके बाद करीब आधी रात को मैं अभी तक वैसे ही औंधे मुँह पेट के बल लेटी हुई थी। अभी भी मेरी कमर के नीचे तकिया लगा हुआ था। जिससे मेरी गांड थोड़ी ऊपर उठी हुई थी।

फिर से अचानक मेरी पैरों के बीच मे कुछ हलचल हुई मेरी चुत पर कुछ नरम नुकीला सा कुछ सटने लगा जो कि थोड़ा गरम भी था। इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती मेरे बेटे ने मेरी चुत पर अपना लंड सही से निशाने पर लगा दिया।

और एक जोरदार धक्का मारते हुए उसने अपना आधा लंड मेरी चुत में डाल दिया। मैं सकपका सी गयी थी मैं पूरी हिल चुकी थी उस वक़्त मेरी मन की दुर्दशा क्या थी मैं कैसे बताऊं मैं मन से पूरी तरह उसका विरोध कर रही थी पर मैं शरीर से लाचार थी।

अभी उसका आधा ही लंड मेरी चुत में घुसा था तब तक उसने फिर से एक धक्का दे मारा जिससे उसका लंड 8″ तक मेरी चुत में समा गया।

फिर वो अपना लंड मेरी चुत में डाले हुए मुझपर लेट गया और मेरे गले मे अपना हाथ डालकर मेरी चुत में चढ़ाई करने लगा। वो मेरे गले में हाथ डालकर अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से उछालकर मेरी चुत में अपने लंड की बौछारें करने लगा।

अब पूरे कमरे में मेरी गांड पर टकराती उसकी कमर की ठाप.. ठाप… फट फट… की आवाजें गूंजने लगी। वो पूरी आजादी से मेरी चुत चोद रहा था। उसे रोकने वाला कोई नही था न ही चुदाई की वो ठाप.. ठाप ..फट.. फच्च.. की बेरहम आवाजें सुनने वाला था।

अब बस मुझे मेरी बच्चेदानी तक सरपट दौड़ता हुआ उसका मोटा लंड महसूस होने लगा। कुछ देर मेरे मन मे तो अपने बेटे के लिए विरोध था। पर अब मैं चुदाई की वजह से मदहोश होने लगी थी। मेरी चुत पर उसके लंड का जादू चल गया था अब मुझें अपनी चुत में दौड़ता हुआ उसका लंड अच्छा लगने लगा था।

मैं भी चुदाई के मज़े लेने लगी पर अपने बेटे से चुदवाना मुझे गवारा नही था। पर मैं उसवक्त एक जवान मर्द का लंड समझकर चुदाई के मज़े लेने लगी। 1 घंटे तक वो मेरी चुत को रुक-रुक कर चोदता रहा।

कुछ देर बाद उसने मेरी चुत को अपने वीर्य से भर दिया और उसने अपना सारा बीज मेरी चुत में निकाल दिया। मैं भी करीब दो बार झड़ चुकी थी। फिर उसने अपना लंड मेरी चुत से निकाल लिया और उठकर चला गया।

अब मेरी चुत की चुदाई रुक चुकी थी। फिर से मेरे मन में अपने बेटे की इस हरकत के लिए गुस्सा उबलने लगा। मैं वैसे ही लेटी रही मेरी चुत से उसके वीर्य के बुलबुले धीरे धीरे निकल रहे थे। मैं अब सोंच में पड़ गयी की अब मैं अपने बेटे का सामना कैसे करूँगी।

पर ये आज आखिरी बार नही था। आज तो शुरुआत थी उसने उसके बाद भी मुझें कई बार चोदा वो मैं आपको अगले कहानी में बताऊँगी।
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