लंड देखकर चुद गई पड़ोस की दीदी

आज जो कुछ भी इस कहानी में पढ़ने वाले है। वो एक सच्ची घटना है। जिसको मैं शब्दों के ज़रिए आप सभी के बीच ला रहा हूं। मैं नितिन एक छोटे से शहर का रहने वाला हूं। मैं जिस मौहल्ले में रहता हूं वहां सभी तरह के लोग है। कुछ गरीब तो कुछ पैसे वाले। लेकिन सब आपस में मिल जुलकर रहते है।

लंड देखकर चुद गई पड़ोस की दीदी
लंड देखकर चुद गई पड़ोस की दीदी

मेरी उम्र 26 साल है। रंग थोड़ा सांवला सा है पर लंबाई चौड़ाई में ठीक ठाक हूं। मेरे घर में मेरी मां पापा और मैं है। मेरा परिवार छोटा सा परिवार है। दरअसल मैं अब रोज जिसकी चुत चोदता हूं। उनके बारे में और हमारे बीच ये सब कुछ हुआ कैसे बताता हूं।

उनका नाम शिल्पी है और उनकी उम्र करीब 36 से 38 साल होगी। दिखने में वो कम हाईट की लेकिन उनका बदन भरा फुला हुआ है। उनकी लंबाई करीब 4.8 ” की होगी। रंग गोरा और चेहरा एकदम मासूम भोली भाली दिखने वाली। लेकिन उनका बदन किसी रसभरी औरत की तरह है उनकी गांड़ बहुत मोटी और उभरी हुई थी।

उनका बदन दिखने में बिलकुल कंचन आंटी की तरह लगता है। हालाकि उनकी हाईट थोड़ी कम है लेकिन बड़ी और चर्बी से लदी हुई गांड जो उनके चलने पर बाउंस होने लगती है साथ ही उनकी चूचियां भी बड़ी बड़ी है। उनकी चुचियों को देखने से लगता है की उनकी एक एक चूंची में कम से कम 2 – 2 लीटर दूध भरा होगा।

उनका गोरा पेट देखकर मैं मन ही मन खुश हो जाता था। पति से अनबन होने के कारण करीब 4 – 5 महीनों से वो अपने मायके आई थी और तब से वो यही है। वो मेरे घर आना जाना करती थी। कभी कभी तो कई कई घंटो तक मां से बातें करती थी। इस तरह उनका दिन का ज्यादा समय मेरे घर में बीतता था।

मैं मुंह पर तो उनको दीदी कहता था लेकिन मैं मन ही मन उनके उपर गंदी नजर रखता था। वो भी मुझे भाई ही बुलाया करती थी वो मेरी नीयत से उस समय अनजान थी। लेकिन जब भी वो मेरे घर आती। तो मैं जान बूझकर उनके आस पास ही रहता या उनके पास से होकर बार बार गुजरता। ताकि मुझे उनकी चुचियों की कुछ झलक दिख जाए।

जब वो मां से खड़ी खड़ी बातें करती तो मैं पीछे से उनकी चौड़ी गांड़ की विडियो बनाता था और बाद में अकेले में वीडियो देख देखकर अपना लंड झाड़ा करता था। मैं इसी तरह किसी किसी बहाने उनके आस पास होता था। जब वो बैठकर मां से बातें करती तो मैं उसी वक्त उनके पास से गुजरता और उनकी चुचियों में झांकने की कोशिश करता।

जब किसी दिन उनका पल्लू उनकी चुचियों पर से हटा हुआ होता था। तो मुझे उनकी चुचियों के बीच की गहराई और उनकी चुचियों का उभार दिख जाता था। उस दिन तो मेरी लॉटरी लग जाती थी। ऐसे ही दिन बीत रहे थे। मैं उनको चोदने के सपने देखते हुए न जाने कितनी बार अपना लंड उनके खयालों में खोकर झाड़ चुका था।

शर्दियां आ गई अब वो और मां छत पर जाकर घंटों तक बातें किया करती थी। कभी कभी जब मां को काम होता था तो दीदी अकेले छत पर चटाई पर लेटती थी। क्योंकी उनका घर छप्पर वाला था तो वो धूप सेंकने के लिए मेरे छत पर लेट जाया करती थीं। जब वो अकेली होती तो मैं छत पर चला जाता था और उनके साथ बातें करते हुए उनके बदन को घूरता था।

वो मेरी नीयत से अनजान मुझसे बातों में लगी रहती थी। एक दिन के लिए मेरे मां और पापा कही बाहर गए थे। मैं उस दिन घर पर अकेला था और टीवी देख रहा था। करीब सुबह के 9 बजे थे। शिल्पी दीदी मेरे घर आई। मैं उनको देखकर मन ही मन खुश हुआ। मैंने उनकी चिकनी गोरे पेट और उनकी गांड को अपनी नजरों से सहलाता हुआ बोला दीदी मां तो नही है।

वो बोली मैं जानती हूं तुम्हारी मां बाहर गई है मैं चुप हो गया। फिर उन्होंने मुझसे पूछा नितिन तुमने नाश्ता किया की नही? मैंने कहा हां दीदी मैंने नाश्ता कर लिया है। उसके कुछ देर बाद फिर दीदी बोली कितनी ठंड है यहां! चलो छत पर चलते है।

मैंने भी कहा ठीक है दीदी चलिए। हम दोनों छत पर चले गए। वो चटाई बिछाकर धूप में लेट गई। मैं भी वही उनके बगल में उनके सर से थोड़ा दूर छत पर नीचे ही बैठ गया। वो धूप में लेट गई मैं उनका धूप में चमकता गोरा पेट देखने लगा। वो चुपचाप अपनी आंखों पर हाथ रखकर लेटी हुई थी।

काफ़ी देर से मैं उनके धुप में चमकते बदन की हर बारीकी को अपनी आंखों से देख रहा था। लेकिन वो चुपचाप लेटी हुई थी। मैं बैठे बैठे बोर होने लगा। तभी मैंने अपना फ़ोन निकाला और सेक्सी कहानियां पढ़ने लगा।

कहानी पढ़ते पढ़ते मैं उस कहानी में इतना खो गया था की बाकी सब कुछ भूल गया था। अब मेरा लंड खड़ा हो चुका था और किस्मत से मैंने अपनी चड्डी उस दिन नही पहनी हुई थी सिर्फ़ एक शॉर्ट निक्कड़ पहनी थी जो मेरे जांघों तक आती थी। मैंने अपनी टांगें आगे सीधी करके घुटनों से थोड़ी मोड़ रखी थी।

मैं दीदी के चेहरे से सीध में बैठा हुआ था। मुझे इस बात का ख्याल ही नही था की मैंने आज अंदर चड्डी नहीं पहनी थी। मैं कहानी में पूरा डूब चुका था। अब धीरे धीरे मेरा लंड टाईट होने लगा था। मुझे कहानी पढ़ने में मजा आ रहा था। पता नही कब मेरा लंड सीधा होकर मेरे जांघ के बगल से होकर मेरी हॉफ पैंट से थोड़ा बाहर आ गया।

मुझे इस बात का तो पता था की मेरा लंड अब खड़ा हो चुका था। लेकिन मैं उस वक्त तक ये नही जानता था की मेरा लंड पैंट से बाहर दिख रहा है। अचानक कहानी पढ़ते पढ़ते जब एक बार दीदी की ओर झांकने का ख्याल आया तो मैंने बिना हिले डुले अपनी नजरे दीदी पर डाली। तो मैंने देखा वो अब अपनी एक आंख को अपने हाथ से ढककर दुसरी आंख से मेरे पैरों के तरफ कुछ देख रही थी।

पहले मुझे समझ नहीं आया की वो क्या देख रही हैं। लेकिन जैसे ही मैंने दीदी की नाभी को देखा मेरे लंड को ताव आ गया। जैसे ही मेरे लंड ने अपना सर उठाया। मेरा लंड मेरी जांघ से रगड़ गया। जब मेरा ध्यान मेरे लंड पर गया। तो मुझे ऐसा लगा की मैं शर्म से मर जाऊं। मेरा लंड मेरी जांघ के बगल से 2 इंच बाहर निकला हुआ था।

मेरे लंड का मोटा और गोल सुपाड़ा पूरा बाहर निकलकर लपलपा रहा था। लेकिन दीदी मुझसे नज़रे चुराकर गौर से मेरे लंड को देखे जा रही थी। अब मेरे अंदर की शर्म हवा हो गई। मैंने सोचा जब ये खुद देखना चाहती है तो मैं शर्म क्यों करूं। मैं भी वैसे ही बैठा रहा और अपना फ़ोन देखता रहा।

हालांकि मैं फ़ोन की आड़ में दीदी को ही देख रहा था। तब मुझे एक तरकीब सूझी की जब ये मेरा लंड देखना ही चाहती है। तो अच्छे से लंड के दर्शन करवा देता हूं। मैंने बिना हिले डुले अपना एक हाथ धीरे से अपनी कमर पर ले गया। मैंने धीरे धीरे मैंने अपनी पैंट को जांघ के उपर खींचना शुरू किया।

कुछ ही देर में मेरे लंड का काला मोटा हिस्सा भी बाहर आ गया। अब लगभग मेरा आधा लंड उनको दिखाई पड़ रहा था। मुझे ये सब करते हुए एक अलग सी गुदगुदी हो रही थी। जिससे अचानक मेरे लंड पर लगा कुछ बह रहा हो। जब मैंने हल्का सा झांका तब मुझे दिखा की मेरे लंड के सुपाड़े पर से लार जैसा पानी धीरे धीरे बहते हुए मेरी पैंट के अंदर तक जा रहा था।

जब मैंने दीदी की ओर देखा तो वो अब भी मेरे लंड को उसी तरह देख रही थी। लेकिन उन्हें अब कुछ होने लगा था। उनका पेट तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था। शायद अब उनकी सांसे तेज हो चुकी थी। उसी वक्त दीदी ने पलक झपकते ही अपना पल्लू पकड़ा और अपने सीने पर से हटा दिया और फिर एक दम स्थिर हो गई।

पल्लू हटते ही उनकी चूचियां जो उनके लेटे होने की वजह से उनके ब्लाउज़ से आधी बाहर आ गई थी। मैं उस नजारे को देखकर एकदम स्न्न् हो गया। मेरे सब्र का बांध टूट रहा था। लेकिन मैंने अपने आप को जैसे तैसे रोक रखा था। उसका नतीजा ये हुआ कि मेरे लंड से वीर्य भरभरा कर छूट गया।

वीर्य से मेरी जांघ लसफस हो गई थी और नीचे भी गिर रही थी। झडने के बाद मुझे हल्का महसूस हो रहा था। लेकिन दीदी की चूचियां देखकर मेरे लंड जैसे का तैसा तना हुआ था। दीदी ने मेरे लंड से टपके वीर्य को तिरछी नजर से देखा और फिर अपना एक हाथ अपने सीने पर ले गई।

मैंने देखा दीदी ने अपनी ब्लाउस का उपर का एक बटन हल्के से खोला और फिर शांत हो गई। कुछ देर बाद दूसरा बटन भी खोला ऐसे करते करते आखिरी का बटन बचा हुआ था। लेकिन अब उनकी चूचियां उनके आखिरी बटन पर तनाव डालकर तोड़ने की कोशिश कर रही थी। दीदी की लगभग पूरी चूचियां ब्लाउज़ के बाहर आ चुकी थी।

क्योंकि मुझे अब उनकी एक चूची की निप्पल का काला घेरा दिखाई देने लगा था। अब उनकी सख़्त निप्पल का आकार भी साफ साफ उनकी ब्लाउस पर छप रहा था। मैं उपर वाले से गुजारिश करने लगा की वो अपनी ब्लाउस का आखिरी बटन भी जल्दी खोल दे। लेकिन दीदी धीरे धीरे अपनी टांगें मोड़ने लगी।

उन्होंने अपनी टांगों को मोड़ लिया और अपने दोनों हाथों को सीधा करके मेरी नजरों से बचते हुए। अपने कमर के पास ले गई हालाकि मैं उनकी सारी हरकत देख रहा था। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपनी कमर पर की साड़ी को मुट्ठियों में कसा और बहुत ही धीमी गति से अपनी साड़ी को ऊपर खींचने लगी।

वो अपनी मुट्ठियों को कस कसकर अपनी साड़ी ऊपर करती जा रही थी। धीरे धीरे उनकी साड़ी उनकी एंडियो से उपर उठकर उनके घुटनों के नीचे तक पहुंच चुकी थी। अब मुझे उनकी गोरी गोरी टांगों पर के छोटे छोटे रोएं दिखाई पड़ने लगे थे और साथ ही उनकी तगड़ी टांगें।

मेरा हाल बुरा होने लगा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड के सुपाड़े को ठंडी हवा ने छू लिया हो। मेरा लंड टनटना कर फटने को तैयार था। मैं वासना के मारे कांप रहा था। मन कर रहा था की अभी उनकी साड़ी उतार के सीधा अपना काला मोटा लंड उनकी चुत में उतार दूं।

अभी भी वो धीरे धीरे अपनी साड़ी ऊपर खींच रही थी। थोड़े ही देर में उनकी साड़ी उनके घुटनों के उपर आ गई और उनकी टांग का निचला हिस्सा उघर गया। उनकी टांगें उन्होंने पहले से ही मोड़ रखी थी। जैसे ही उनकी साड़ी उनके घुटनों पर आई। उन्होंने अपनी टांगें धीरे से फैलाई। जिससे उनकी साड़ी अचानक से नीचे गिरी और उनके पेट तक आ गई।

अब उनकी दोनों गोरी और मोटी जांघें खुले हवा में आकर बिलकुल नग्न होकर मेरी आंखों के सामने आ गई। मैं अपनी आखों से उनकी दोनों जांघों के बीच उनकी घनी और काली झांटों को साफ देख पा रहा था। तभी उन्होंने अपनी टांगें और खोल दी।

वो जानती थी की मेरा ध्यान कैसे खींचना है। तभी उन्होंने अपनी छाती पर हाथ रखा। फिर अपनी ब्लाउज़ का आख़िरी बटन भी खोल दिया। जिससे उनकी बड़ी बड़ी दूध से लबलबाई चुचियां उनकी छाती पर बिल्कुल गोलाई में फैल गई।

अपनी ब्लाउज़ का आखिरी बटन खोलकर अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया। अब मुझसे बर्दास्त नही हुआ मैं समझ गया था की वो मुझे अपनी चुत की खुजली मिटाने का मौका दे रही थी। मैं झट से खड़ा हुआ और अपनी हॉफ पैंट को उतारकर नंगा हो गया।

मैं उनकी दोनों टांगों के बीच में जाकर बैठ गया। फिर मैंने उनकी एक जांघ को पकड़ के अपने एक हाथ से अपना लंड उनकी घनी झांटों के बीच रगड़ते हुए। उनकी चुत में सेट किया और जैसे ही मेरे लंड को उनकी चुत का छेद मिला। मैंने हुमचकर एक ही धक्के में अपना मोटा लंड उनकी चुत में डाल दिया।

लंड चुत में घुसते ही वो आ…आह्हह .. की आवाज में जवाब देती हुई फिर से शांत हो गई। मैं उनकी चुत में अपने लंड को पूरा ठेल चुका था। मेरा लंड उनकी चुत में खो गया। मैं दीदी के उपर लेट गया और उनकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से मिसने लगा।

उनकी चुचियों को दबाते ही उनकी चुचियों से दूध का फवारा उड़ा और मेरे मुंह पर लग गया। मैं उसी वक्त समझ गया की ये दुधारू माल है। मैं उनकी चूची को मुंह में लेकर उनकी चुचियों का रस अपनी मुंह में खींचने लगा और साथ ही धक्के भी देने लगा।

जब मैं ज्यादा जोश में धक्के मारता तो दीदी भी उह..आह.. उऊ.. की आवाज में धक्कों का जवाब देती। थोड़ी देर में उन्होंने मेरा सर अपनी चुचियों पर दबाना शुरू किया। फिर वो मेरा सर सहलाती हुई मेरे गालों को चूमने लगीं और अपना दूध पिलाते हुए मेरे लंड के धक्कों से अपनी चुत की खुजली मिटवाने लगी।

मैं उनके चुचियों का पौष्टिक दूध पीते हुए उनकी चुत में अपने लंड की बौछार करने लगा। कुछ ही देर में उनकी चुत से फचफचाहट की आवाज आने लगी और मेरा लंड बिना मशक्कत के अंदर बाहर जाने लगा। आहिस्ते से वो मेरे कान में बोली नितिन मेरा निकल गया है। पहले मेरी चुत साफ करले। फिर अपना लंड डाल अब मजा नही आ रहा है।

मैंने कहा दीदी इतनी जल्दी आपका निकल गया। तो उन्होंने कहा अरे नही एक तो इतने महीनों बाद मेरी चुत में लंड गया है। मैं तो तेरा लंड एक घंटे से देखकर गरम हो रही हूं। इसलिए जल्दी ही झड़ गई। एक काम कर पहले मेरी चुत का पानी साफ करले। अब वो पहले वाली शख्ती से तेरा लंड चोट नहीं कर रहा है बड़ा ढीला ढीला जा रहा है। मैं एक बार और तेरे लंड से झड़ना चाहती हूं।

मैंने कहा ठीक है दीदी मैंने उनकी चुत का पानी उनकी पेटिकोट से साफ किया और अपना लंड भी पोंछ लिया। अब न मेरे लंड पर चिकनाहट थी और न ही उनकी चुत में अब ज्यादा गीलापन था। मैंने फिर से अपना लंड उनकी चुत में दबाया और इस बार सच में मेरा लंड उनकी चुत में नही जा रहा था।

मैंने थोड़ा सा थूक अपने सुपाड़े पर लगाया और फिर अपना लंड उनकी चुत की छेद पर लगाया और एक हल्का धक्का दिया। जिससे मेरा लंड आधा दीदी की चुत के अंदर गया और दीदी आह… आह.. ऊऊ.. आऊ… आ… करने लगी। लेकिन मैंने तुरंत उनके चुत के दाने को रगड़ना चालु किया। जिससे वो थोड़ी शांत हो गई और मदहोश होने लगी। मैंने दूसरा धक्का मारा जिससे मेरा लंड पूरा का पूरा उनकी चुत में घुस गया।

अब मैं उनके ऊपर लेटकर अपनी कमर उनकी दोनों जांघों के बीच उनकी चुत पर पटकने लगा। अब मेरा लंड रफ़्तार में उनकी चुत में घिसने लगा। मैं दीदी की चुत में धक्के मारते हुए उनको किस करने लगा साथ ही अपने दोनों हाथों से उनकी दोनों चूचियों को दबाने लगा। लेकिन फिर इस बार दीदी ज्यादा देर नहीं टिकी और उनकी चुत से फच.. फ़च… आवाज आने लगी।

मैं धक्के मारता रहा वो बोली नितिन फिर मैं झड़ गई। पता नही तू मुझे चोद रहा है तब मैं जल्दी कैसे झड़ जा रही हूं। एक मेरा पति मुझे एक बार भी नही झाड़ पता है। तेरा लंड भी मेरे पति से डबल साइज़ का है। जिससे मेरी चुत की सारी कसर निकल रही हैं। मैंने कहा दीदी आप तो झड़ गई हो लेकिन मैं अभी नही झड़ा हूं।

तो वो बोली तू जब तक चाहें तब तक चोद मैं तुझे नही रोकूंगी। लेकिन कभी ये बातें किसी को मत कहना। मैंने कहा नही कहूंगा दीदी। मैंने कहा दीदी मुझे भी अब झड़ना है। आप कुछ करो न। वो हंसते हुए बोली क्यों थक गया है क्या? वो बोली ठीक है।

उन्होंने कहा नितिन तू अपना लंड निकाल। मैंने अपना लंड उनकी चुत से निकाल दिया। दीदी ने कहा नितिन तू अब मेरी दोनों टांगों को आपस में सटाकर अपने हाथ से पकड़कर उपर उठा। मैंने वैसे ही किया। मैंने उनकी दोनों टांगों को आपस में चिपका दिया और उपर उठाकर अपने एक साइड के कंधे पर उनके दोनों टांगों को रखा।

अब उन्होंने कहा चल अब शुरू हो जा। मैं उनकी गांड़ के पीछे से अपना लंड उनकी चुत के बीच में दबाते हुए उनकी चुत की छेद पर ले गया। मैंने पहले जितना जोर लगाकर लंड को उनकी चुत के अंदर डालना चाहा पर मेरा लंड अंदर नही गया। दीदी हंसने लगीं मैंने कहा दीदी ये तो पहले से टाईट हो गया है।

दीदी ने कहा हां अब तू जल्दी झड़ जाएगा। मैंने पूछा कैसे? तो वो बोली अब मेरी चुत मेरे दोनों जांघों के बीच अच्छे से दब गई है जिससे तेरा लंड मेरी चुत में टाईट जायेगा और अब तुझे कसी हुई चुत का मजा मिलेगा। मैंने ज्यादा दम लगाकर एक धक्के में ही अपने लंड को उनकी चुत में डाल दिया।

वो आह.. आह… उई… आऊ… करते हुए मेरा लंड अपनी चुत में गटक गई। मैं धक्के पे धक्के लगाने लगा। अब सच में मुझे उनकी चुत किसी कुंवारी लड़की की चुत की तरह कसी हुई लगने लगी। इससे दीदी को दर्द हो रहा था। लेकिन मैं धक्के पर धक्का देकर अपना लंड उनकी चुत के अंदर बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में मैं झडने लगा तो मैंने अपना लंड उनकी चुत से बहर निकाला और अपने लंड को अपनी मुट्ठी में सहलाते हुए। मैंने उनकी चुत पर ही अपना सारा वीर्य निकाल दिया। अब मैं थक चुका था तो मैंने दीदी से कहा की दीदी अब मुझे आपका जूस पीना है। तो उन्होंने अपनी दोनों बांहे फैलाकर मुझे अपने सीने पर ले लिया।

दीदी अपनी चूचियों को पकड़ पकड़कर बारी बारी से मुझे अपनी दोनों चूचियों का रस पिलाने लगी। कुछ ही देरी में मेरे अंदर ताकत आ गई। तो मैंने उनको कहा दीदी एक बार फिर से हो जाए। तो वो हंसती हुई बोली अभी नही रे बहुत देर हो गया मुझे यहां आए। कही मेरी मां मुझे खोजती हुई यहां न आ जाए।

तू दुखी मत हो मैं एक बार अपने घर हो आती हूं। फिर थोड़ी देर में तेरा खाना बनाने के बहाने से तेरे घर आ जाऊंगी। तू जी भर मेरी चुत में अपना मूसल कूटना। मैं भी तो महीनों से लंड की भूखी हुं। अब मेरी चुत तेरे लिए हमेशा खुली हैं। तू चाहें जब मैं हाज़िर हूं तेरा लंड अपनी चुत में लेने के लिए। उसके बाद रोज मैं शिल्पी दीदी की चुत चोदने लगा।

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी और मेरी पड़ोस वाली दीदी की चुदाई की ये कहानी – लंड देखकर चुद गई पड़ोस की दीदी उम्मीद है आप सभी को पसंद आई होगी।

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