बेटे और उसके दोस्त ने मेरी बुर और गांड ली।

नमस्ते मैं अमृता आज मैं अपने साथ बीती हुई। एक सच्ची घटना को आप सभी के बीच रख रही हूं। मैं अपना पूरा नाम नही बता सकती बाकी सब कुछ मैं आप सभी को डिटेल के साथ बताती हूं। जैसे की मैंने पहले बताया है। मेरा नाम अमृता है और मैं हरियाणा के एक छोटे से पिंड से हूं।

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बेटे और उसके दोस्त ने मेरी बुर और गांड ली। i

मेरी उम्र 48 साल के आस पास है। मेरे पति जो अब इस दुनिया में नही है। कुछ सालों पहले बीमारी के कारण वो चल बसे। मेरे पति के गुजर जाने के बाद अब घर में मैं और मेरा बेटा बस दो ही लोग रहते थे। मेरे बेटे का नाम गुरमीत ( बदला हुआ ) है। वो अब 25 साल का एक मुस्टंडा हो चुका था। दिखने में लंबा चौड़ा और गोरा और उसे जिम जाने की आदत है।

जिससे उसके डोले सोले मज़बूत है। वो अब एक पक्का मर्द लगता था। मैं उसे देखकर खुश होती थी और अपने बेटे के तंदरुस्त बदन पे नाज करती थी। मैं उसके खाने पीने का बड़ा ही ध्यान रखती हूं। ताकि वो हमेशा तंदरुस्त रहे।

मैं भी दिखने में गोरी चिट्ठी लंबी हूं और बच्चन से ही खाते पीते घर की थी जिस वजह से अब भी काफी तंदरुस्त दिखती थी। मेरे शरीर की बनावट कुछ इस तरह की है की। मेरे बूब्स बड़े 38D के है जो मेरी सलवार के गले के बाहर झांका करते हैं। मेरी गांड भी बड़ी है जिसका उभार गोलाई में 40 इंच का है।

मेरे बदन पर हर जगह थोड़ी चर्बी है। जो मेरे अंगों को और बड़ा दर्शाती है। मेरे पति जब थे तो मैं कभी कभार सेक्स किया करती थीं ज्यादातर पहल मेरी ही होती थी क्योंकि मेरा अभी भी सेक्स करने का मन करता था। लेकिन मेरे पति के गुजरने के बाद मेरी फुद्दी में तो एकदम सुखा पड़ गया।

जब मैं कभी घर में अकेली होती थी तो पोर्न देखकर या sexykahani.xyz पर सेक्सी कहानियां पढ़कर अपनी बुर में उंगली डालकर अपनी फुद्दी की आग को बुझाया करती थी। जब भी मैं अपने पिंड के किसी हट्टे कट्टे मर्द को देखती थी तो मेरे अंदर लंड की भूख जागने लगती थी।

लेकिन घर की इज्जत के चलते मैं कभी बहकी नही और अपनी उंगलियों या बेलन को ही अपने हवस का सहारा बना लिया। जब कभी मेरा सेक्स करने का मन करता तो मैं घंटों तक अपनी बुर में बेलन या फिर अपनी उंगलियों को डालकर अपनी बुर का पानी झाड़ती। मैं अपनी बुर को हमेशा क्लीन रखा करती हूं। ये मुझमें शुरू से आदत थी की मैं अपनी झांटों को बढ़ने नही देती थी।

जिस वजह से मेरी बुर हमेशा साफ सुथरी और गोरी रही। हालांकि कभी मेरे मन में मेरे बेटे के लिए ऐसी को नजर नहीं थी। लेकिन मेरे पति के गुजरने के बाद मेरे आस पड़ोस के जवान लड़के मुझपर लाइन मारते थे। जो मुझे भी बहुत अच्छा लगता था। वो मेरे सेक्सी शरीर को देखकर अपने लंड की आग को मेरी बुर में शांत करने के फिराक में रहते थे।

मैं जब भी मार्केट जाती तो 4 – 5 लड़के हमेशा मेरे पीछे पीछे आते थे और मेरी तारीफ़ में कॉमेंट भी करते थे। मैं मुझे पटाने की कोशिश करते थे। मेरा भी मन करता था की मैं उनको हां कहूं और अपने बिस्तर में बुलाकर उनके लंड को अपनी बुर में निचोड़ डालूं। लेकिन  पिंड में बदनाम होने के डर से मैं हमेशा उनको इग्नोर करती थी।

एक शाम को मेरा बेटा अपने दोस्त लाखन ( बदला हुआ ) के साथ घर आया और उनको देखकर मैं समझ गई की आज वो अपने साथ पार्टी का सारा सामान लेकर आए थे। थैले में दारू की 2 बोतल और साथ में चखने में नमकीन के कुछ पैकेट थे।

हमारे यहां पीने पर कोई रोक टोक नही है। यहां तक की मेरे पति जब जिंदा थे और कभी घर पर पीते थे तो मुझे भी अपने साथ पीने बैठा लेते थे। मुझे भी दारू पीने की आदत थी लेकिन अब मैं कभी कभार ही पीती थी। मेरा बेटा और उसका दोस्त घर में आ गए। मेरा बेटा तूरंत अपने दोस्त को अपने कमरे में ले गया।

मैं किचन में काम कर रही थी तभी गुरमीत ने आवाज लगाई। मां.. मां.. जरा कुछ नमकीन लेकर आओ। मैं जब नमकीन लेकर उसके कमरे में गई तो देखा की गुरमीत और लाखन ज़मीन पर बैठे हुए थे और उनके सामने दो ग्लास में पेग बनाकर रखी हुई थी।

मैंने उनको नमकीन दिया और जैसे ही कमरे से निकलने को हुई। गुरमीत ने कहा मां आप भी आओ ना बैठो हमारे साथ। मैंने कहा की नहीं बेटा मुझे काम है तो वो कहने लगा बस एक पेग पी लो फिर चली जाना। गुरमीत पहले से जानता था की मैं दारू पीती हूं। तभी लाखन भी बैठने को कहने लगा।

वो दोनों थोड़ी जिद्द करने लगे। मैं उनकी बात मान गई और उनके साथ ही जमीन पर बैठ गई। गुरमीत ने एक ग्लास लिया और मेरे लिए एक पेग बना दिया। फिर हम तीनों ने एक साथ पेग उठाया और पीने लगे। एक साथ उस पेग को खत्म करने के बाद हम तीनों बात करने लग गए।

मैंने काफी दिनों बाद पी थी इसलिए पहले ही पैग में मुझे चढ़ने लगी। तभी गुरमीत ने पूछा मां एक और पैग बनाऊं आपके लिए। मैंने जोश जोश में कह दिया हां। तो उसी तरह मैंने दूसरा पैग भी पी लिया। अब मुझे नशा हो चुका था। मैंने जोश में आकर गुरमीत से तीसरा पैग बनाने को कहा।

इसी तरह 4 से 5 से 6 पैग मैं गटक चुकी थी। अब मेरी आवाज और आंखें भारी होने लगी थी। मैं अब शायद अंड संड बड़बड़ाने लगी थी। तभी सामने रखी पैग भी मैंने उठाकर पी ली। उसके बाद मेरी आंखों के आगे अंधेरा हो गया और चारों तरफ सन् हो गया।

उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं लेकिन आधी रात को ऐसा लगा की मेरी दोनों टांगों के बीच मेरी फुद्दी में कुछ रेंग रहा है। मैं होश में नहीं थी अब बस मुझे सब एहसास हो रहा था। कभी कभी मेरी फुद्दी में तेज़ी से कुछ रेंगता तो कभी रुकता। फिर ऐसा लगा की मेरी फुद्दी में पहले से ज्यादा मोटा कुछ रेंग रहा है जिससे मुझे थोड़ा दर्द सा हुआ।

दर्द से मेरी आंख खुली मैंने चारों ओर देखा तो जमीन के अलावा कुछ नही दिखा। लेकिन अचानक मेरे शरीर पर मुझे भार महसूस हुआ और मेरी बुर में तेज़ी से वो मोटी सी चीज रेंगने लगी और साथ ही किसी की हु..हु.. म्ह.. ह.. ह. मेरी बुर में रेंगती हुई वो चीज मुझे मजा दे रही थी

उन आवाजों को सुनकर जब मैंने अपनी कमर की तरफ देखा तो मैं चौंक गई। मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था मैं ज़मीन पर लेटी हुई थी। मैं समझ गई की मेरे साथ क्या हो रहा है। जब मैंने अपनी नजर उठाई तो धीरे धीरे मुझे साफ साफ दिखने लगा की मेरी जांघों को नीचे दाबे किसी की भारी भरखम नंगी जांघें थी।

उसकी कमर तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी और उतनी ही स्पीड में मेरी बुर में उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था। जब मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो उसका चेहरा मुझे धुंधला दिखा लेकिन धीरे धीरे उसका चेहरा साफ होने लगा और जिसे मैंने देखा मेरे होश ही उड़ गए।

मेरे उपर गुरमीत चढ़ा हुआ था उसने मुझे होश में आते देखा कहा मां आप उठ गई और उसने मेरे होठों को अपने होठों में दबा लिया और किश करने लगा। उसके बाद उसने अपना सीना मेरी पीठ पर दबा दिया और अपनी कमर को जोर जोर से मेरी गांड पर पीटने लगा जिससे उसका लंड मेरी बुर को तेज़ी से रगड़ता हुआ अंदर बाहर होने लगा।

जब गुरमीत मेरी बुर में ज़ोर ज़ोर से अपना लंड मेरी बुर में धकेलने लगा। तब मुझे मजा आने लगा और मैं लंड के मज़े लेने लगी और मेरे अंदर का सारा गुस्सा मर गया। तभी गुरमीत ने मेरे मुंह के नीचे अपना हाथ रखकर मेरा मुंह बन्द किया और अपनी पूरी ताक़त से मेरी बुर में अपना लंड डालकर अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड पर दबाने लगा।

वो ऐसे मेरी बुर को चोदने लगा की जैसे की वो जबर्दस्ती मेरा रे // प कर रहा हो और उसे सब जल्दी करना हो। लेकिन ऐसा कुछ नही था। मैं तो कब से लंड की भूखी थी और उसके आगे अपना हथियार डालकर उसके नीचे दबी हुई थी। उसके इस अंदाज़ में चुदाई करने से मेरी बुर का पानी निकलने लगा और मैं झडने लगी।

गुरमीत कुछ देर वैसे ही धक्के मारता रहा आखिर में वो अपना बीज मेरी बुर में छोड़कर मेरे उपर से उठा गया। तभी एक दूसरा हाथ मेरे सीने के नीचे घुसा और मेरी चुचियों को दबाने लगा। मैं जानती थी की ये गुरमीत नही हो सकता था। जब मैंने अपना सर उठाकर देखा तो मैं थोड़ा चौंक गई। लाखन भी मेरे सर के दूसरी ओर नंगा बैठा हुआ था।

लाखन ने मेरे चेहरे को देखते हुए कहा चाची अब मेरी बारी है। तो मुझे थोड़ी शर्म सी होने लगी। मैंने सोचा अगर गुरमीत को मेरी बुर चाहिए थी तो ले लेता इसे बुलाने की क्या जरूरत थी। तभी लाखन अपना लंड पकड़कर मेरी जांघों को अपनी जांघों के नीचे दबाते हुए मेरे उपर चढ़ गया।

फिर उसने अपना लंड मेरी गांड के नीचे से मेरी बुर में लगाया और फिसलकर मेरे उपर लेट गया। जिससे उसका लंड एक बार में ही मेरी बुर में घुस गया। लाखन तो किसी भूखे जानवर की तरह मेरा शिकार करने लगा। वो तेज़ी तेज़ी से मेरी बुर में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। वो मेरी चुचियों को जानवरो की तरह मसलने लगा।

उसके चुदाई का अंदाज कही न कही मेरी बुर को खुश कर रहा था। लेकिन मेरी चुचियों का हाल खराब कर रहा था। गुरमीत के चुदाई और लंड को मैं अपनी बुर में फिल करके चुदाई का मजा ले रही थी। लेकिन लाखन सिर्फ अपने मज़े के बारे में सोच रहा था। वो जबर्दस्ती वाले अंदाज में मेरी चुदाई कर रहा था। मानो मूझपर अपनी पूरी भड़ास निकाल रहा हो। लेकिन मेरी बुर पूरे मज़े ले रही थी और झडने वाली थी।

गुरमीत से जल्दी लाखन ने मेरी बुर का पानी निकाल दिया। लाखन ने भी अपना बीज मेरी बुर में ही छोड़ दिया और मेरे ऊपर लेटे हुए ही मेरी बांहों और पीठ को सहलाते हुए वो मुझे किस करने लगा। तब उसका लंड मेरी बुर के बाहर था। लेकिन कुछ देर बाद फिर से उसका लंड टाईट होने लगा। उसका लंड धीरे धीरे हार्ड हो रहा था और मेरी जांघ पर लग रहा था।

मुझे समझ आ गया की लाखन फिर से मुझे चोदने को तैयार है। तभी उसने कहा चाची अब तो तेरी गांड में जायेगा मेरा लंड तभी उसके बात को काटते हुए गुरमीत ने कहा नही गांड नही मां को दर्द होगा। गांड छोड़ दे फुद्दी ही मार जितनी मारनी है। मुझे भी गुरमीत की बात सही लगी।

तभी लाखन ने गुरमीत को गालियां देते हुए कहा कुत्ते हरामी जब कल तूने मेरी अम्मा की गांड में जबरदस्ती लंड डाला तो तुझे समझ नही आया आज तेरी मां की बारी आई तो दर्द समझ में आ रहा है। मेरी अम्मा आज दिनभर लंगड़ाती हुई चल रही थी। उनकी बातों को सुनकर मैं भौचक्का रह गई। मैंने मन ही मन सोचा क्या गुरमीत लाखन की अम्मा को चोदता है।

लाखन ने बड़बड़ाते हुए कहा आज तेरी मां की भी वैसी ही हालत होगी हिसाब बराबर। इतना कहते हुए ही लाखन ने मेरी गांड पर थूका और अपना लंड थूक समेत मेरी गांड की छेद पर दबा दिया। मैं चींखी तभी लाखन ने गुरमीत को कहा की अपनी मां का मुंह बन्द कर नही तो सारे पिंड को पता चल जायेगा।

गुरमीत ने मेरा मुंह दबा लिया मैं अपना सर न में हिलाते हुए गांड में लंड डालने को मना ही कर रही थी की तभी लाखन ने एक ज़ोर के धक्के से मेरी गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया। मैं एकदम से चीख पड़ी मेरी आंखों से दर्द के मारे आंसू बहने लगे। लेकिन वो जुल्मी लाखन मेरी गांड पर अपनी कमर पटक पटककर मेरी गद्देदार गांड को मारने लगा।

कुछ ही देर में मेरी गांड का दर्द और जलन कम हो गया और अब मुझे गांड मरवाने में मजा आने लगा। चुदाई तो लाखन मेरी गांड कि कर रहा था। लेकिन मेरी बुर से लगातार पानी झड़ रहा था। कुछ देर के बाद लाखन का माल मेरी गांड में निकल गया और वो मेरे उपर से उठ गया।

लाखन गुरमीत से बोला यार तेरी मां की गांड बहुत मस्त है कम से कम एक बार मारनी ही चाहिए। लगता है तेरी मां ने गांड में बहुत कम ही लंड खाया है। अभी भी तेरी मां की गांड टाईट है। देख तेरी मां की गांड की गोरी चमड़ी लाल हो गई है। उसके बाद वो हमारे घर से चला गया।

गुरमीत उसे बाहर छोड़कर वापस अपने कमरे में आ गया। मैं अभी भी नंगी नीचे लेटी हुई थी। वो मेरे पास बैठा और मुझे देखते हुए अपना हाथ मेरी गांड पर फेरने लगा। अचानक से उसने अपने हाथ की एक उंगली मेरी गांड़ की छेद में डाली। मेरी गांड की छेद उसकी ऊंगली को कसने लगी।

उसे भी समझ आ गया की सच में मेरी गांड की छेद टाईट है तो वो अपने लंड को सहलाते हुए मेरी टांगों को फैलाकर अपने घुटनों के सहारे मेरी टांगो के बीच बैठ गया। फिर उसने अपना लंड मेरी गांड की छेद पर लगाया। फिर धीरे धीरे अपने लंड को धक्का देकर अपना लंड मेरी गांड में धकेलने लगा।

मुझे उसके लंड की मोटाई के कारण दर्द होने लगा। लेकिन समय लेते हुए उसने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। अब उसका मोटा लंड मेरी गांड में घुस चुका था। मुझे थोड़ा मजा आने लगा और थोड़ा दर्द होने लगा। फिर वो धीरे धीरे मुझपर लेटने लगा।

वो मेरे उपर लेट चुका था। फिर वो अपनी कमर से मेरी गांड को धीरे धीरे दबाने लगा। वो मेरी गांड को अपनी कमर से हल्का हल्का दबाते हुए। अपना थोड़ा थोड़ा लंड मेरी गांड के अंदर बाहर करने लगा। मुझे अब मजा आने लगा।

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गुरमीत मेरी गांड को अपनी कमर से मसाज देते हुए मेरी गांड को चोद रहा था। उस तरीके की चुदाई में न मेरी गांड को तकलीफ हो रही थी और न ही गुरमीत की ताक़त लग रही थी। जिससे वो काफी देर तक वैसे ही मेरी गांड में अपना तगड़ा मोटा लंड डालकर मुझे चोदता रहा। आहिस्ते आहिस्ते अपनी कमर हिलाने से वो जल्दी नही झड़ रहा था।

वो मुझे प्यार करते हुए थक नही रहा था और मैं उसके लंड को अपने गांड में लिए उसके लंड के मज़े लेती रही। करीब उसने वैसे ही मेरी गांड मारते हुए सुबह कर दी। लेकिन वो झड़ा नहीं आख़िर में उसने मुझे सीधा करके लिटाया और मेरी बुर में अपना मोटा तगड़ा लंड डालकर पूरी ताकत लगाकर मेरी बुर चोदने लगा।

उसके वो बदन तोड़कर रखदेने वाले धक्कों से मेरे बूब्स मेरे मुंह तक उछलने लगे। मैं आह… आह… मम्म अ.. आह.. करती हुई। उसके लंड के धक्के अपनी बुर में लेने लगी। कुछ ही देरी में उसके लंड ने पानी छोड़ दिया। जिससे मेरी बुर में उसके वीर्य की बाढ़ आ गई। उसका वीर्य मेरी बुर से ओवर फ्लो होकर उसके लंड पर लगकर वापस उसके धक्के के साथ मेरी बुर में जाने लगा।

उसके बाद मैं और मेरा बेटा दोनों सेक्स के लिए एक दुसरे का इस्तेमाल करने लगें। तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी- बेटे और उसके दोस्त ने मेरी बुर और गांड ली।

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