दादी बनी मेरी सेक्स डॉल

मेरी दादी 6 महीनों से मुझसे चुद रही है अब वो मेरी रखैल बन चुकी हैं। आज मैं आप सभी को अपनी एक सच्ची और वर्तमान में जारी अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। दरस्सल मेरी दादी और मेरे बीच नाजायज संबंध बन जानें की घटना दादी निर्लज्ज स्वभाव के कारण हुई।

नमस्कार दोस्तों मैं राज आप सभी का अपनी इस कहानी ( सच्ची घटना ) में स्वागत करता हूं। मेरी उम्र अभी 22 साल है और मैं अब चंडीगढ़ में रहता हूं और यहां की एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूं। वैसे तो मेरा परिवार बिहार में रहता है। मेरे परिवार में मां पिताजी, चाचा चाची और बच्चे दादी है।

दादी बनी मेरी सेक्स डॉल

कुछ महीने पहले गांव में अचानक मेरे दादा जी का निधन हो गया जिनकी उम्र अभी 60 – 62 साल थी। दादा जी के निधन के बाद जैसा हर विधवा औरत के साथ होता है उसी तरह का हाल मेरी दादी के साथ हो रहा था। वो काफी गुमसुम रहती थी ज्यादा किसी से बात नही करती थी। दादी की उम्र 58 साल की थी उनकी  शादी कम उम्र में हो जानें से बाल बच्चे जल्दी हो गए थे।

मेरे पापा और चाचा की शादी भी जल्दी हो गई थी उस वक्त वो दौर ही कुछ ऐसा था। तो दादा जी का क्रिया कर्म होने के बाद मैं वापस चंडीगढ़ आ गया क्योंकि मेरी पढ़ाई पर असर हो रहा था। मेरे पहले जैसा ही रूटीन चलने लगा। एक कमरे के फ्लैट में अकेला बनाओ खाओ और पढ़ाई।

मेरे चंडीगढ़ आने के करीब एक महीने के बाद एक दिन मुझे पापा का फोन आया उन्होंने मेरा हाल चाल लिया और बाद में मुझसे कहा बेटा तुम्हारी दादी तुमसे कुछ बात करना चाहती है। मैंने दादी से बात की तो उन्होंने कहा राज बेटा मेरा यहां मन नही लगता मुझे तेरे दादा की याद आती है। उनकी बातें सुनकर तो मुझे कुछ समझ नहीं आया।

लेकिन फिर दादी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा बेटा क्या मैं कुछ दिन के लिए तेरे पास आ जाऊं। मैंने कहा बिलकुल दादी ये भी कोई पूछने वाली बात है। तो दादी बोली वहां आकर मेरा मन भी लग जायेगा और तुझे खाना बनाने में दिक्कत भी तो होती होगी। मैं एक दो दिन में तेरे पास पहुंच जाऊंगी।

दादी से बात करके मुझे भी अच्छा लगा और मेरे मन में इस बात की ज्यादा खुशी थी की इस अंजान शहर में अपने परिवार का कोई मेरे साथ तो होगा। पढ़ाई के बाद मुझे मेरा एक कमरे का फ्लैट काटने को दौड़ता था।

दो दिनों के बाद दादी मेरे पास आ गई आते ही उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। हम दोनों के बीच काफी सुख दुःख की बातें हुई। उस दिन के बाद से दादी और मैं एक साथ उस एक कमरे के फ्लैट में एक साथ रहने लगें।

दादी को आए करीब एक हफ्ता बीत चुका था। वो पूरी तरह इस नए जगह पर एडजस्ट हो चुकी थी। वो अब थोड़ी खुश रहने लगी थी। दादा जी के ना होने का गम अब भूल रही थी। संडे के दिन मैं घर पर ही था। मैं बिस्तर पर बैठकर फ़ोन देखा रहा था।

उसी वक्त दादी नहाकर बाथरूम से सीधे कमरे में आई और अपने गीले बदन को सूखे कपड़े से पोंछने लगी। दादी ने उस वक्त सिर्फ़ एक पेटिकोट को अपनी चुचियों के उपर बांध रखा था और उनका पैर का निचला हिस्सा घुटनों से नीचे का हिस्सा पूरा का पूरा बिना कपड़े का था।

उस वक्त तक मुझे अपनी दादी के लिए मेरे मन में कोई गंदी सोच नही थी। फिर दादी ने अपनी पेटिकोट की डोरी जो की उनकी चुचियों के उपर बंधी थी उन्होंने उसे खोल दी। डोरी खुलते ही उनकी पेटिकोट सरकती हुई नीचे आकर उनके पेट पर अटक गई।

अब मेरी आंखों के सामने जो था मैं उसे देखकर हैरान हो गया दादी की बड़ी बड़ी चूंचियां मेरे आंखों के सामने नंगी लटकने लगी। मैं भी उनकी चुचियों को घूरने लगा। दादी की नंगी चूचियों को देखते हुए जब मेरी नज़र दादी से मिली तो। मैंने ही दादी को टोक दिया दादी आपको मेरे सामने कपड़े उतारने में शर्म नही आती।

दादी हस्ती हुई और अपनी एक चूंची को पकड़कर मुझे दिखाती हुई बोली क्या इसे देखकर तुझे शर्म आ रही है। अरे पगले बचपन में जब तू रोता था और तेरी माँ काम में व्यस्त होती थी। तो तू इन्हीं को चूसकर शांत होता था।

मैंने दादी को शर्मा कर झुठलाते हुए कहा “धत” वो बोली तूने खूब मेरा दूध पिया है और सच में जब तू बच्चा था तो तेरा रोना चुप करवाने के लिए मैंने हजारों बार अपनी चुचियों को तेरे मुंह में लगाया है।

तभी मैंने शरमाते हुए कहा दादी उस वक्त तो मैं बच्चा था लेकिन अब तो मैं बड़ा हो चुका हूं। तो दादी ने कहा की अभी भी तू मेरे लिए बच्चा ही है। तो मैंने मजाकिया अंदाज में कहा तो अभी भी मुझे चूसने दोगी क्या?

दादी हंसते हुए बोली “हट पगले” फिर हम दोनों चुप हो गए दादी अपनी नंगी चूचियों को खुला छोड़कर अपने गीले बालों को कपड़े में लपेटकर सुखाने लगी। इस दौरान मेरी नज़र उनकी चुचियों पर गड़ी हुई थी। दादी की चुचियों में कड़ापन नही अब वो ढल चुकी थी। लेकिन उनकी चुचियों का आकार बड़ा बड़ा था।

अगर दादी टाईट ब्लाउज पहन ले तो कोई नही कह सकता था की उनकी चूचियां अब ढल चुकी हैं। मैं बार बार दादी की चुचियों को घूरे जा रहा था। अचानक से दादी मेरी तरफ मुड़ी और फिर एक बार हमारी नज़रे एक दूसरे से मिली। उसके बाद मैंने तुंरत अपनी नज़र नीचे कर दी।

दादी अब धीरे धीरे मेरे पास आने लगी। जब वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई तो मेरी नजर फिर से दादी पर गई अब मैं उनकी नंगी चूचियों को सामने से देख पा रहा था। मेरी नजर उनके निप्पलों पर अटक गई। उनकी काली खजूर की तरह नुकीली निप्पले मुझे ललचा रही थी।

तभी दादी ने मुझसे पूछा क्या तू सच में मेरे दूध चूसना चाहता है। मैंने मजाकिया अंदाज में यूं ही हा कह दिया। मैं सच में इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। मैंने सोचा दादी भी मुझसे मजाक ही कर रही है। इसलिए मैंने शरारत में हा कह दिया।

मेरे मुंह से हां सुनते ही दादी तुंरत बिस्तर पर बैठ गई। मुझे देखती हुई बोली देख क्या रहा है पी ले आज एक बार फिर मैं अचरज में पड़ गया। लेकिन जब मैंने दादी को कहते हुए सुना तो मैं भी उठकर दादी के पास बैठ गया।

मैंने कांपते हुए हाथों से दादी के दोनों चूचियों को पकड़ लिया आज पहली बार मैंने किसी औरत की नंगी चूचियों को हाथ में लिया था। मेरे अंदर एक अजीब सी बचैनी छा गई। फिर दादी ने कहा देख क्या रहा है मौका है तेरे पास पी ले अपनी दादी की चुचियों को दादी ये सब मुझसे इस लिए कह रही थी। क्योंकि मैं उनका पोता हूं और वो मेरी एक छोटी सी चाहत पूरी कर रही थी।

उनका कोई गलत इरादा नहीं था उनका चेहरा देखकर साफ मालूम पड़ रहा था। लेकिन मेरे मन में अब उनके लिए गंदगी भर चुकी थी। मैंने दादी की एक चूची को अपने मुंह में ले लिया और अपने जीभ और होठों से उनकी निप्पल को चुभलाने लगा।

धीरे धीरे दादी की चूंची पर मेरा जोर बढ़ने लगा दादी अब बीच बीच में कराह देती और मुझे डांटती जब मेरा दांत उनकी निप्पल पर लगता। लेकिन अब मैं हवस में अंधा होने लगा था। मैं दादी की एक चूंची को चूसते हुए किसी हवस के पुजारी मर्द की तरह दादी के एक चूंची को कस के मसलने लगा।

दादी को इस बात का अंदाजा लग चुका था की वो किसी बच्चे को नही बल्कि एक मर्द को अपनी चूंची सौंप चुकी थी। दादी बीच बीच में मुझसे कहती अब हो गया चल हट जा लेकिन मैं उनकी बातों को अनसुना करके उनकी दोनों चुचियों को चूमता और पीने के साथ साथ उनकी निप्पलों पर अपने दांत गाड़ता।

दादी मुझे कह रही चल हट राज अब बहुत पी लिया तूने पर अब मैं दादी के सीने पर अपने सर का पूरा भार डाल रहा था। जिससे दादी बिस्तर पर पीठ के बल झुकती जा रही थी। अंत में दादी पूरी तरह से बिस्तर पर गिर गई और मैं अब दादी पर चढ़ गया।

मैं पैंट के उपर से ही अपना लंड दादी की जांघ पर उनके पेटिकोट के उपर से ही रगड़ रहा था। दादी को पूरा समझ आ गया था की वो अब मुस्किल में आ चुकी थी। वो मुझे अपने ऊपर से  हटने के लिए कहे जा रही थी।

तभी मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और उपर से पूरा नंगा हो गया। फिर मैंने दादी की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ा जिससे उनकी निप्पलें और सख्त हो गई। फिर मैंने उनकी चुचियों के निप्पलों को अपनी निप्पलों से रगड़ा और अपने सीने से दादी के चुचियों को दबाकर उनके उपर चढ़ गया।

अब मैं दादी की चुचियों की गरमी को अपने सीने पर लेने लगा और उनकी कोमल चुचियों को अपने सीने से दबा दबाकर मजा लेने लगा। दादी मेरे दोनों कांख में अपने हाथ डालकर मुझे उपर धकेलती हुई कहने लगी। हट जा बेटा राज पी लिया ना तूने अब जाने दे मुझे अब भी उनकी आवाज में नर्मी ही थी।

वो मुझसे डर नहीं रही थी। बस मुझे समझा रही थी मैंने दादी से कहा दादी अब मेरी उमर चूसने के साथ साथ चोदने की हो गई है। दादी ने कहा तू ये कैसी बातें कर रहा है। तुझे जब मन करे मेरी चूंचियां चूसने का तू चूस लेना मगर ये सब एक पति पत्नी के बीच ही हो सकता है। जैसे आपने मुझे अपनी चूंचियां चूसने के लिए सौंपी उसी तरह आप अपना बच्चा समझ के एक बार मुझे अपनी चुत सौंप दो।

मैंने कहा की दादी अब तुम्हारे पति इस दुनियां में नही रहे आज के लिए तुम मुझे अपना पति समझ लो। दादी ना में सर हिलाते हुए बोली नही पगले ये सब मैं तेरे साथ नही कर सकती। मैंने कहा प्लीज़ दादी एक बार की ही तो बात है। मैंने आज तक किसी लडकी या औरत की बुर नही चोदी।

प्लीज़ दादी मैं अभी तक वर्जिन हूं। अगर आप मुझे नही सिखाओगी। तो मैं अपनी पत्नी को कैसे खुस रखूंगा आज करने दो दादी आपको भी मजा आयेगा। आज के लिए अपनी चुत मुझे दे दो। दादी बड़ी मुस्कील से मानी। मैंने तुंरत अपनी पैंट उतारी और दादी की पेटीकोट उतारी अब दादी और मैं पूरे नंगे हो चुके थे।

मैंने पहले कभी किसी औरत को नही चोदा था। लेकिन पोर्न फिल्में देखकर मैं चुदाई करने के सारे तरीके जानता था। मैंने सोच लिया अगर आज मैं दादी को खुश कर पाया तो ये चुत हमेशा के लिए मेरे लंड की दासी बनी रहेगी। इसलिए मैंने उस वक्त अपनी खुशी और हवस मिटाने से ज्यादा ध्यान दादी को खुश करने में लगा दिया।

मैं दादी को ऐसा चोदना चाहता था जैसा पहले कभी मेरे दादा ने उन्हें नही चोदा होगा। मैंने तुंरत अपनी दादी की दोनों टांगें फैला दी और फिर मैं उनके दोनों टांगों के बीच लेट गया। पहले मैंने एक उंगली उनकी चुत में डाली और उनकी चुत का जायजा लेने लगा।

दादी की चुत मेरी उम्मीद से ज्यादा सुंदर और टाईट निकली उनकी चुत के अंदर की गुलाबी चमड़ी गीली थी शायद मैं जो इतनी देर से दादी को गरम करने की कोशिश कर रहा था। उससे दादी की चूत ने पानी छोड़ दिया था और उनकी चुत के बाहर निकली चमड़ी एकदम काली मैं उसकी चुत की बाहरी लटकती चमड़ी के साथ खेलने लगा।

मैं दादी की टाईट चुत के अंदर उंगली डालकर अपनी उंगली चुत के अंदर बाहर कर रहा था। साथ ही उनकी चुत के अंदर का सारा गीला पानी बाहर निकाल रहा था। दादा जी 6 – 7  सालों से बिस्तर पर थे उनके अंदर चुदाई करने की ताकत नहीं थी इसलिए दादी की चुत काफ़ी सालों से न चुदने के कारण टाईट हो गई थी।

मैंने दादी की दोनों मोटी और सुडौल जांघों को पकड़ा और अपनी जीभ भिड़ाकर उनकी चुत को चाटने लगा। दादी तुंरत चौंक गई और बोली ये क्या कर रहा है छी छी…  मैंने कहा दादी आप बस मजा लो कुछ मत बोलो दादी बोली मेरे पिसाब के रास्ते को चाट रहा है और तुझे मजा आ रहा है। मैंने कहा दादी आप चुपचाप लेट जाओ आपको भी बहुत मजा आयेगा।

मैं पूरे मन से दादी की चुत को चाटने लगा। मैं दादी के चुत के दाने से लेकर उनकी चुत के छेद तक अपनी जीभ दौड़ने लगा। कुछ ही देर में दादी आन्हे भरने लगी और आह…आह… उफ्फ… ओ ओ… करके अपनी कमर उठा उठाकर मुझसे अपनी चुत को चटवाने लगी।

तभी मैंने दादी के चुत के दाने को अपनी दोनों होठों से दबा लिए दादी एकदम से मचल गई और उन्होंने मेरे सर को पकड़ लिया। मैं उनके चुत के दाने को चूसने लगा दादी की सिकरियां तेज़ होने लगी पूरे कमरे में आंह… आँह… आन्ह… इश श… इश श… की आवाज़ आने लगी। दादी सीतकारे लेती हुई कह रही थी मेरे बच्चे जल्दी शांत कर मैं तड़प रही हूं। आह … अन्ह….

फिर मैंने दादी के चुत के दाने को अपनी ऊंगली से सहलाना चालू किया और अपनी होठों से दादी के चुत के बाहर लटकती चमड़ी के दोनों हिस्सों को बारी बारी से अपने होठों से चबाते हुए खींचने लगा। दादी अब बिल्कुल गरम हो चुकी थी। अचानक से मैंने अपनी एक उंगली दादी की चुत में डाल दी।

दादी आआंह आह… करती हुई मेरे बालों को पकड़ ली और अचानक एक फरर की चुत की पाद के साथ दादी झड़ गई मैंने उनका सारा माल पी लिया। अब मैं अपना लंड अपनी मुट्ठी में फेटते हुए उनके दोनों टांगों के बीच बैठ गया।

मैंने दादी को कहा दादी अब मैं लंड आपकी चुत में डालने वाला हूं। दादी ने कुछ नही कहा फिर मैंने अपना लंड दादी की चुत पर रखा और एक हल्का सा धक्का मारा मेरा आधा लंड दादी की चुत में घूस गया। दादी को कुछ असर नहीं हुआ। लेकिन अब मेरे लंड का मोटा हिस्सा दादी की चुत में जाने वाला था।

तो मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और दादी की चीख के साथ ही मेरा लंड उनकी चुत में समा गया। ऐसा लगा की दादी की चुत फट गई  उनकी चुत ( अछूता ) कुंवारी नही थी। लेकिन इतनी सालों से न चुदने के कारण अप्राकृतिक रूप से सिकुड़ गई थी। जो मेरे लंड के अंदर जाने से अचानक खुल गई थी।

दादी को उसी से दर्द हो रहा था। मैंने अपना लंड दादी की चुत में घोपना चालू कर दिया। दादी आह.. अन्ह… करती हुई कराह रही थी।उनकी कराह सुनकर मेरे अंदर और जोश आ गया। मैंने दादी के गले को पकड़ लिया और जोर जोर से उनकी चुत में धक्के लगाने लगा।

जब दादी से दर्द सहन नही हुआ तो दादी ने कहा कुत्ते धीरे कर दर्द हो रहा है। मैंने दादी को कहा देखा रांड कैसे मेरा लंड तेरी चुत को रौंद रहा है। ले मेरा मोटा लंड खा अपनी बूढ़ी चुत में ले रांड रण्डी चुद अपने पोते के लंड से। दादी मेरे मुंह से गालियां सुनते ही आग बबूला हो गई।

बोली कुत्ते तूने चुत मांगी मैंने अपनी चुत तुझे सौंप दी। फिर क्यों गालियां दे रहा है। मैंने दादी को समझाया दादी ये एक तरीका है इससे चुदाई में मजा आता है। दादी मेरी बातें समझ गई और शांत हो गई।

मैंने फिर से दादी को गालियां देकर उनको चोदना शुरू किया मैंने कहा रंडी छिनाल कही की ले अब मेरा लंड खा दादी कराह कराह कर मेरा लंड अपनी चुत में ले रही थी। तभी मैंने कहा रंडी अगर आज तू मुझे अपनी चुत देने से मना भी करती तो मैं तुझे जबर्दस्ती चोदता। अब मैं तेरी इस प्यारी चुत का भोसड़ा बना दूंगा।

दादी ने हंसते हुए कहा अगर मैं मना करती तो भी तू कैसे चोदता क्या तू मेरा बला T कार करता। मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा हां। मैं दादी की चुत को तेज तेज धक्कों से चोद रहा था। मेरा लंड खाने के बाद दादी की चुत फिर से हरी भरी हो गई थी। अब मेरी दादी की चुत में सुखा नही था। आज सालों बाद उनकी बंजर चुत पर हरियाली खिल उठी थी।

अब मैं रुक रुककर धक्के लगा रहा था। जब मेरा लंड पूरा का पूरा दादी की चुत में होता तो दादी की चुत की झूरिया भी मिट जाती और जैसे ही लंड उनकी चुत से बाहर निकलता फिर से उनकी चुत के होठों पर थोड़ी झुरियां आ जाती। अब दादी की चुत का होल बड़ा हो गया था।

अब मैंने धक्के लगाने बंद कर दिए और मैं अपना लंड दादी की चुत में डाले हुए उनके उपर लेट गया और उनकी दोनों चुचियों को बारी बारी से मसलते हुए अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। दादी मेरी मर्दाना ताकत के आगे घुटने टेक रही थी। मैं पूरी ताक़त के साथ उनकी चुचियों को मसल रहा था।

अब मेरा लंड फिर से दादी की चुत में ही टाईट होने लगा। मैंने फिर से  दादी की चुत में धक्के लगाने को तैयार था। मैंने अपना सीना दादी के चुचियों पर दबा दिया और उनकी दोनों टांगों को फैलाकर जगह बना ली। फिर मैंने अपने मोटे घोड़े को उनकी चुत में दौड़ना शुरू किया।

मैंने दादी को अपने सीने से दबाते हुए उन्हें अपनी बांहों में कस लिया और उनकी दोनों टांगों के बीच अपनी कमर को उछाल उछाल के उनकी बुढ़ी चुत में अपना लंड डालने लगा। मेरा लंड अंदर जाते ही दादी का पेट ऊंचा हो रहा था। एक बार फिर से दादी चुदाई के दौरान कराहने लगी।

आह…आआह्ह्ह्हह… कुत्ते तूने मेरी जान ले ली आराम से कर बेटा आह… साले…. मादर… चो…. मैंने दादी को कहा अरे रण्डी चुप कुतिया नही तो तेरी चुत को इतनी बेरहमी से चोदूंगा की कभी चुदाने लायक नही रहेगी। आज तेरी चुत को ऐसा चोदूंगा जैसा पहले कभी तेरे पति ने नही चोदा होगा।

मैं एक हाथ से दादी के चुत के दाने को रगड़ते हुए अपना लंड उनकी चुत में डालने लगा। कुछ ही देर में दादी अपनी कमर उठाकर उल्टा मेरे लंड को चोदने लगी। मैंने कहा रांड देख कैसे एक जवान मर्द का लंड तेरी चुत को माल से भरता है। आज तेरी चुत मेरे माल को नही निगल पाएगी।

ऐसा कहते हुए मैंने तेज़ी से दादी के चुत के दाने को रगड़ते हुए उनकी चुत में धक्के लगाना चालू रखा 5 मिनट के अंदर दादी झड़ गई और उनकी चुत का पानी मेरे लंड के साथ अंदर बाहर होने लगा। उनका माल चावल के गाढ़े माड़ जैसा लग रहा था।

कुछ देर बाद मैं भी झड़ने को आ गया मैंने दो चार धक्के कसकर उनकी चुत में लगाए। उसके बाद मैं उनकी चुत में लंड डालें हुए ही उन्हें बिस्तर पर से खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया। मेरा लंड सिकुड़ और फूलकर उनकी चुत में ही पिचकारी मारने लगा। जब मेरे लंड से दादी की चुत में पिचकारी निकलती तब तब दादी के बदन में करेंट लगता।

मैं उन्हें अपनी गोद में बैठकर प्यार करने लगा और अपना माल उनकी चुत में झाड़ने लगा। उस वक्त मैंने पहली बार दादी को लिप लॉक किश किया। मैं उन्हें अपनी गोद में बैठकर उनकी चौड़ी और सुडौल गांड सहला रहा था। लेकिन तभी दादी ने कहा बेटा अगर हम एक साथ एक ही बिस्तर पर सोए तो कैसा रहेगा।

मैंने कहा बढ़िया दादी आप जैसा कहो। तभी दादी ने कहा जिस बात के लिए मैं तुमसे अलग सोती थी। वो तो आज हो चुकी तुमने मुझे नंगा देख लिया मैंने तुम्हें नंगा देख लिया अब बचा ही क्या है। मुझे चोद भी लिया तुमने अब हमारे बीच शर्म करने जैसी कोई चीज बची ही नही। उस वक्त मेरे दिमाग में दादी की गांड लेने का प्लान था।

लेकिन मैं उस समय रुक गया तभी दादी ने कहा बेटा अगर तुम चाहो तो मेरे साथ सेक्स कर सकते हो लेकिन हफ़्ते में दो से तीन बार तुम चुदाई करने में अपने दादा से निपुण हो। तभी मैंने दादी से कहा दादी आप अपनी गांड मारने दो ना तो दादी ने कहा नही मैंने कभी अपनी गांड नही मरवाई। जब मैं शादी करके नई नई आई थी तो तेरे दादा ने अचानक से अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया था।

मैं उस रात बहुत रोई 2 दिनों तक हगने में भी तकलीफ होती थी। उसके बाद मैंने तेरे दादा से कसम ले लिया की वो कभी मेरी गांड नही मारेंगे उस रात के बाद मैंने कभी अपनी गांड में लंड नही लिया और न कभी लूंगी। लेकिन मुझे अपनी दादी की बड़ी सुडौल गांड भा गई थी। अब मुझे उनकी गांड मारे बिना चैन नहीं आने वाला था।

मैंने उस रात का इंतेजार किया दादी अब से मेरे साथ ही सोने वाली थी। तो मैंने रात के खाने में नशे की टैबलेट मिलाकर उनको दे दी। जब दादी बिस्तर पर सोई हुई थी। आधी रात को मैं उठा और अपने सारे कपडे खोलकर नंगा हो गया। फिर मैंने अपने लंड पर नारियल का तेल लगा लिया।

मेरा लंड तेल के कारण चमक रहा था और गठीला दिख रहा था। मैंने दादी को पलटकर पेट के तरफ से लिटा दिया। फिर पीछे से उनकी साड़ी उठाकर उनकी दोनों टांगें फैला दी। फिर मैंने अपना मोटा लंड उनकी चूतड़ों के बीच फंसाया और एक झटके में ही आधा लंड उनकी गांड में पेल दिया। दादी नशे में थी लेकिन अचानक हुए दर्द से तड़प गई। मैंने उनके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया।

फिर मैंने दादी की गांड में लंड की बौछार करनी शुरू कर दी। दादी चिल्लाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए और हवा में अपनी कमर उठा उठाकर उनकी चूतड़ों पर पटकते हुए मैं अपना 8 इंची का हथियार उनकी गांड में डालने लगा। आज वाकई में मैंने अपनी दादी की गांड की सील तोड़ी थी। उनकी गांड से खून निकल रहा था।

मैंने भोर तक 4 से 5 राउंड दादी की गांड मारी और उनकी टटी निकाल दी। अगली सुबह दादी बिस्तर छोड़कर उठी ही न सारा दिन अपनी गांड पकड़कर रोती रही। लेकिन जब मैंने उनको पैन किलर दिया तो उनकी हालत में सुधार आया और मानने के बाद दादी का गुस्सा गायब हो गया।

अब मुझे अपनी दादी को चोदते हुए 6 महीने हो गए है। अब मेरी दादी मुझसे चुत और गांड़ दोनों मरवाती है। मैंने एक हफ़्ते दादी की सिर्फ़ गांड चोदी जिस दौरान दादी गांड चुदते वक्त खूब चींखी चिल्लाई मगर अब  उनकी गांड का होल बड़ा हो गया और उन्हें गांड चुदवाने से डर नहीं लगता है। अब मेरा लंड दादी की गांड आराम से गटक जाती है।

दादी बनी मेरी सेक्स डॉल अब मैं दादी के साथ मन चाहा सेक्स करने लगा। कोई सीमा या रोक टोक नही थी इन 6 महीनों में दादी जैसी चुत लेकर मेरे पास आई थी। अब उनकी चुत वैसी नहीं रही अब उनकी चुत का भोसड़ा बन चुका है। लेकिन अब भी मेरी रांड की चुत मुझे संतुष्ट करती है। रोजाना लंड खा खाकर दादी की चुत की दशा खराब हो गई है लेकिन उनकी खूबसूरती बढ़ चुकी है वो और ज्यादा आकर्षक और जवान दिखने लगी है।

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