चुड़ैल मम्मी की चूत में खुजली

दोस्तों आज की कहानी का शीर्षक “चुड़ैल मम्मी की चूत में खुजली” पढ़कर आप सभी को थोड़ा अजीब लगा होगा। उतना ही अजीब मुझे भी लगा। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था की आखिर मैं इस घटना को क्या नाम दूं।

मेरा नाम सिद्धार्थ है मैं 2 हफ़्ते पहले ही 20 साल का हुआ हूं। मेरे घर में मैं मेरी मम्मी और पापा रहते है। मेरी मम्मी की उम्र 45 साल की और पापा की उम्र 50 साल के लगभग है। ये जो घटना या क़िस्मत का लिखा कहो 2 हफ्तों से मेरे घर में चल रही है।

ये कहानी थोड़ी लंबी और रोमांचित होने वाली है। इस कहानी को पढ़कर आपलोगों के लंड और बुर दोनों से पानी आने लगेगा। तो चलिए मैं आप सभी को सीधे कहानी पर ले आता हूं। लेकिन इस कहानी का मजा बढ़ाने के लिए मुझे आप सभी को सब कुछ शुरू से बताना पड़ेगा।

बात 2 महीने पहले की है मेरे पिता रेलवे के एक उपर दर्जे के अधिकारी है। अचानक से उनका ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया। पिता जी का जहां ट्रांसफर हुआ था। वो एक देहाती और पिछड़ा हुआ इलाका था। लेकिन सरकारी मुलाजिम होने के कारण उनके पास कोई और ऑप्शन नहीं था। पापा के ट्रांसफर होने हमें पहले वाला क्वार्टर खाली करना पड़ा।

मेरा भी कॉलेज में एडमिशन करवाना था। लेकिन पापा का जहां ट्रांसफर हुआ था। उस जगह कोई ढंग का कॉलेज नही था। उस जगह से 2 घंटे की दूरी पर एक शहर में पापा ने क्वार्टर ले लिया जहां हर तरह की सुविधा थी।

लेकिन हमें जहां क्वार्टर मिला था। वो इलाका जंगल के बीच था जंगल के बीच बसे क्वार्टरों को देखकर मैं और मम्मी थोड़े उदास हो गए। क्योंकि सभी क्वाटर्स बहुत ही पुराने थे। सभी क्वार्टरों के दीवारों पर काई जमी हुई थीं और साथ ही उन क्वार्टरों से बड़े उनके बागान थे। जो सही रख रखाव न होने के कारण और भूतिया माहौल बना रहे थे।

हालांकि क्वार्टर अंदर से बिल्कुल किसी नॉर्मल घर की तरह साफ सुथरे दिख रहा था। मुझे और मम्मी को किसी तरह मन मारकर वहां रहना पड़ा और वहां रहना मजबूरी भी थी।

पापा घर का सामान सेट करवाकर अपने ड्यूटी पर चले गए। वो कभी हफ़्ते तो कभी 2 हफ्ते बाद 1 दिन के लिए हमारे पास आते थे। मैंने और मम्मी ने एक दूसरे को किसी तरह वहां एडजस्ट कर लिया। हम वहां किसी को नही जानते थे। तो ज्यादातर मैं और मम्मी घर में ही रहते थे।

इसी तरह कुछ डेढ़ महीने बीत गए। मेरे बर्थडे वाले दिन पापा ने हमें कहा की तुमलोग आधे रास्ते आ जाओ मैं भी आधे रास्ते आ जाता हूं। वहीं होटल में सिद्धार्थ का बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे। मैं और मम्मी तैयार होकर बाइक से पापा की बताई जगह पर पहुंच गए। पापा वहां पहले से ही थे। हमने मेरा बर्थडे सेलिब्रेट किया तब तक शाम हो गई थी।

मैं और मम्मी बाइक से घर के लिए निकल गए और पापा अपने काम पर चले गए। शाम का अंधेरा हो चला था। जैसे ही मैं और मम्मी घर के रास्ते में पड़ने वाले जंगल में पहुंचे मेरी बाइक का टायर फट गया।

टायर के फटने के आवाज से मैं और मम्मी डर गए और बाइक रोक कर उतर गए। एक तो गुप्त अंधेरा उपर से सुनसान जंगल का इलाका मुझे एक तो डर लगने लगा और समझ भी नही आ रहा था की अब घर कैसे जाएं।

तब मैंने हिम्मत की और मम्मी से कहा मम्मी अब बाइक को धकेल कर ले जाना पड़ेगा और अब बचा हुआ रास्ता पैदल ही तय करना होगा। मम्मी थोड़ी परेशान थी और उनको भी उस अंधेरे सुनसान जंगल वाले इलाके में डर लग रहा था।

मैं बाइक को धकेलते हुए आगे आगे चल रहा था और मम्मी मेरे पीछे पीछे चल रही थी। एक जगह ऐसा आया जहां जंगल और भी घना और अंधेरा था। अचानक से एक बर्फ सी ठंडी हवा का झोका आया जो मुझे कांपकपा गया।

लेकिन मैंने सोचा कि जंगल है चारों तरफ पेड़ है। इसलिए ऐसी ठंडी हवा बह रही है। मैं अपनी बाइक को धकेलते हुए थोड़ा आगे आ गया। मुझे ऐसा लगा की मम्मी मेरे पीछे नहीं आ रही है क्योंकि जब वो मेरे साथ चल रही थी। तो उनके पायलों की आवाज थोड़ी सी सुनाई दे रही थी। लेकिन अब उनकी पायलों की आवाज नहीं आ रही थीं।

मैंने रुक कर देखा तो मम्मी ठीक उसी जगह अभी भी किसी मूर्ति की तरह खड़ी थी। जहां ठंडी हवा का झोंका मुझे छूकर गया था। मैं वही रुक गया और मम्मी की तरफ देखा। मैंने हल्की सी आवाज में कहा मम्मी चलों… फिर बोला मम्मी चलों… पर वो बिना कुछ बोले खड़ी रही।

जब मैं उनके करीब जाने लगा। तो वो अचानक से जंगल के अंदर कुछ बड़बड़ाते हुए ऐसे भागी की पलक झपकते ही मेरे नजरों से गायब हो गईं। मैं उनके पीछे मम्मी… मम्मी … कहते हुए भागा लेकिन अंधेरे में वो कही गुम हो गई।

मैं अंदर से पूरी तरह डर चुका था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन अपनी मम्मी को उस जंगल में कैसे छोड़ सकता था। मैंने ध्यान से सुना तो किसी के कुछ बड़बड़ाने की आवाज सुनाई दी। मैं उस आवाज के पीछे गया। कुछ कदम चलने पर लगा की वो आवाज बिल्कुल पास से आ रही है। लेकिन अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था।

मैं तो समझ ही चुका था की वो मेरी मम्मी है। मैंने हिम्मत करके अपने पॉकेट से अपना फोन निकाल कर अचानक से टॉर्च ऑन करके आगे किया। तो मैंने जो देखा उसे देखकर मेरे पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई। मैं शॉक होकर 3-4 कदम पीछे हट गया।

मम्मी ज़मीन पर घुटनों के बल एक पेड़ के नीचे घोड़ी बनी हुई थी उनकी साड़ी पीछे से बिल्कुल उपर उनके पीठ तक चढ़ी हुई थी। उस पेड़ के जड़ से थोड़ा ऊपर एक छोटी सी टहनी निकली हुई थी जो की बिल्कुल किसी लंड आकार की तरह थी। वो आधी टहनी मम्मी की चूत में घुसी हुई थी।

मैं जैसे ही डर के मारे पीछे हटा मम्मी एक डरवानी आवाज में हंसती हुई और कुछ बड़बड़ाते हुए अपनी बड़ी सी गोरी गांड़ को आगे पीछे करके उस लंड जैसी आकर वाली टहनी को अपनी चूत में लेने लगी। मुझे समझ नही आ रहा था की मम्मी ये सब क्यों कर रही है। मैं वहीं डर के मारे कांपता हुआ। मम्मी की चुदती हुई चूत को साफ़ साफ़ देख रहा था।

मम्मी कस कस कर अपनी गांड़ से उस पेड़ को टक्कर मार मारकर उस टहनी को अपनी चूत में घुसाने लगी। मैंने एक बार अपनी पूरी ताकत से झंकझोर कर कहा मम्मी… होश में आओ तो वो रुक गई।

वो मेरी तरफ देख रही थी उतनी ही देर में उनका चेहरा बदल चुका था। उनकी आंखें गहरी काली हो चुकी थी बाल बिखर चुके थे। उनकी साड़ी जहां तहां से फट गई थी। ऐसा लग रहा था की किसी ने उनका बलात/ कार किया हो। लेकिन सच्चाई कुछ और थी।

मेरे जोर से चींखने के बाद हो शांत हो गई और वहीं अधमरी सी गिर पड़ी। वो अभी भी नीचे से नंगी थी। लेकिन मेरी हिम्मत नही हो रही थी की मैं उनके पास जाऊं। मैं बस टॉर्च की रौशनी से उनको देख रहा था।

जब मैंने उनकी टांगों को तरफ देखते हुए उनकी चूत को देखा तो उनकी चूत से वीर्य बह रहा था। फिर उस टहनी को देखा तो उसपर से भी वीर्य टपक रहा था। लेकिन वो वीर्य इंसानों जैसा नहीं था। किसी पेड़ के चिपचिपे रस की तरह था।

मैंने हिम्मत की और मम्मी के पास गया। मैंने कांपते हुए हाथों से उनकी चूत को छुआ तो अचानक भच्च.. की आज से एक वीर्य का बुलबुला उनकी चूत से बाहर आया। मैंने उनके आस पास देखा तो मुझे एक फटी हुई पैंटी दिखाई दी। जो मेरी मम्मी की ही थी शायद उन्होंने या उनपर जो सैतान हावी था उसने फाड़ी थी।

मैंने अपनी दो उंगली मम्मी की चूत में डाली और मम्मी की चूत से बहते हुए वीर्य को अपनी उंगलियों से निकाल दिया। मैंने पहली बार किसी औरत की चूत में उंगली डाली थी। उस समय भले ही डरवाना माहौल था। लेकिन मम्मी की चूत की गर्माहट ने मेरी नियत हिला दी।

कुछ देर मैं गलत नियत से मम्मी की चूत में उंगली करता रहा। मम्मी बेहोश पड़ी थी। मैंने करीब 10 बार मम्मी की चूत में उंगली अंदर बाहर की होगी। मेरा लंड भी अब टनटना गया। मेरी नियत मम्मी की गोरी बड़ी सी गांड़ और चूत देखकर बहक गई।

मैंने वहीं मम्मी की साड़ी को पेटीकोट सहित पीछे से और उपर उठाकर उनके सर को ढक दिया अब मम्मी की नंगी लंबी टांगे और चौड़ी सी गांड़ और उनके मस्त जांघों के बीच छुपी हुई चूत मेरे आंखों के सामने आ गई।

मैंने एक पेड़ के जड़ पर अपने फोन की टॉर्च ऑन करके रौशनी को मम्मी के टांगों के बीच कर दिया। ताकि मुझे उनकी चूत और गांड़ साफ़ साफ़ दिख सके। फिर मैंने अपनी पैंट उतारी और नंगा हो गया। मैं मम्मी के जांघों के बीच घुटनों के बल बैठकर अपने लंड को ताव देने लगा।

मम्मी की गांड़ उपर की ओर थी मैं उनकी नरम नरम गांड़ को छूते हुए दबाने लगा। फिर अपनी एक उंगली से मम्मी की चूत के दोनों होठों को अलग करते हुए उनकी चूत की छेद पर अपना लंड दबा दिया। मेरा लंड सट से मम्मी की चूत में घुस गया।

मैं दना दन अपनी मम्मी की चूत चोदने लगा। मम्मी की चूत पहले से ही गीली थी। उनकी चूत में लंड घुसते ही गच्च गच्च … फाच्च फच्चर फच्चर्र… की आवाज आने लगी।

धीरे धीरे मम्मी उसी डरावनी हसी और बड़बड़ाते हुए होश में आ गई। मैं समझ गया की मम्मी के उपर कोई लंड की प्यासी चुड़ैल की आत्मा आ चुकी थी। मैंने मम्मी के कंधों को कस के ज़मीन पर दबा दिया। मैं अपनी पूरी ताकत के साथ मम्मी की चूत में लंड पेलने लगा।

मैं उस चुड़ैल का सारा गुस्सा अपनी मम्मी की चूत पर निकालने लगा। लेकिन वो चुड़ैल भारी आवाज में हसे जा रही थी। मैं दरिंदे की तरह मम्मी की चूत में अपना लंड घुसेड़ते जा रहा था। वो चुड़ैल और मजे लेती हुई हस रही थी। मैंने गौर किया को मम्मी की चूत में लंड घुसाना अब मुस्किल होता जा रहा था।

ऐसा लग रहा था की मम्मी की चूत की छेद छोटी होती जा रही थी। लेकिन मैं उस छोटी सी छेद में जबरदस्ती अपना लंड डाल रहा था। मम्मी की चूत टाइट होती जा रही थी जैसे कोई कुंवारी लड़की हो। जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने तेजी से लंड को धक्का देकर पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया और साथ ही उनकी चूत के अंदर झड़ गया।

मेरे लंड में मुझे तेज दर्द का आभास होने लगा। ऐसा लग रहा था की मेरा लंड छिल गया हो। जब मैंने अपना माल मम्मी की चूत में झाड़ने के बाद लंड को उनकी चूत से बाहर निकाला तो देखा मम्मी की चूत और जांघों पर खून लगा हुआ था। शायद उस चुड़ैल की आत्मा ने जो मम्मी की चूत टाईट की थी। इस वजह से उनकी सील टूट गई थी।

जब मैं झड़ा तो शायद उस चुड़ैल को भी थोड़ी बहुत संतुष्टि मिल गई और वो अपनी डरावनी आवाज में हंस पड़ी। फिर उसने अपनी भारी आवाज में कुछ कहा शायद ” वाह जवान लंड से चुदकर मजा आ गया” मैं थोड़ा बहुत ही समझ पाया उसकी बातों को लेकिन उसकी हंसी सुनकर मेरी झांटों में आग लग गई।

एक तो उसने मेरी मम्मी के शरीर पर कब्जा किया हुआ है। उपर से मुझसे ही मेरी मम्मी को चोदवा कर मजे ले रही है। तभी मुझे समझ आया की इस मदरचोद चुड़ैल को जब मजा आ रहा है। तब उसे दर्द भी महसूस होगा।

मैं उसके उपर दुबारा चढ़ गया। क्योंकि झड़ने के बाद भी मेरा लंड मम्मी की गांड़ देखकर सकपकाया हुआ था अभी भी उसमे जान थी। मैं मम्मी के उपर चढ़कर लेट गया। फिर मैंने अपने एक हाथ में थूक लिया और अपने कमर के नीचे से हाथ लगाकर अपने लंड के टोपे पर थूक लगाकर।

मैंने अपना लंड मम्मी की गांड़ के छेद पर लगाया। मैंने अपने लंड को सख़्त करके अपनी पूरी ताकत के साथ अपना लंड मम्मी की गांड़ में एक झटके में डाल दिया। गांड़ में लंड घुसते ही चुड़ैल आआआआह्ह… की आवाज में चिलायी और फिर सब शांत हो गया।

अब उस चुड़ैल की आवाज मेरे मम्मी के अंदर से नही बल्कि कहीं आस पास से आने लगी। वो अभी भी हंस रही थी। मम्मी की गांड़ में लंड घुसते ही वो मेरी मम्मी का शरीर छोड़कर भाग गई और मुझे अपनी मम्मी की गांड़ चोदते हुए देख हंस रही थी।

मैं अब क्या करता मम्मी की गांड़ में मेरा लंड तो घुस ही चुका था। मैं वैसे भी वासना से लिप्त हो चुका था। अब मुझमें से चुड़ैल का डर ख़त्म हो चुका था। मैं अपनी मम्मी की गांड़ मारने लगा। मम्मी कुछ सुगबुग नही कर रही थी। मैं धीरे धीरे अपना लंड मम्मी की गांड़ के अंदर बाहर करने लगा।

आधे घंटे तक मम्मी की गांड़ में लंड अंदर बाहर करने पर मम्मी की टाईट गांड़ अब थोड़ी ढीली हो गई थी। मैं अब छुटने वाला था मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। उस दौरान चुड़ैल की हंसी के साथ साथ जंगल से अजीब अजीब सी आवाजें आ रहीं थीं। मैंने अपना माल मम्मी की गांड़ के ही डाल दिया।

मैं मम्मी को चोदते चोदते थक गया था। क्योंकि उनकी टाईट गांड़ चोदने में बहुत मेहनत लगी थी। जब मैंने मम्मी की गांड़ से अपना लंड निकाला तो मम्मी की गांड़ से हल्का खून आने लगा। जब मैं शांत हुआ तो मुझे मम्मी के साथ गलत काम करके बहुत पछतावा हुआ। लेकिन मजबूरी में मैं करता भी क्या? मैं मम्मी को नही चोदता और वो चुड़ैल शांत नहीं होती तो शायद मम्मी की चूत में टहनी घुसवा घूसवाकर वो मम्मी की जान ले लेती।

मैंने मम्मी की फटी हुई चड्डी से मम्मी की चूत, जांघ और गांड़ पर लगे खून को साफ़ कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लंड पर लगे खून और वीर्य को साफ़ किया और मम्मी के सारे कपड़े ठीक करके।

उसके बाद मैं उन्हें बहुत कोशिश के बाद होश में लाया। मम्मी को बहुत तेज दर्द हो रहा था। मैंने उनको सारी बात बताई की उन पर चुड़ैल की आत्मा आ गई थी और आप नंगी होकर उस टहनी को अपने अंदर घूसवा रही थी। मम्मी को थोड़ी शर्म आई लेकिन उन्हें भी मेरी बात पर विश्वास हो गया।

क्योंकि उनको भी शुरू का कुछ कुछ याद था। मैंने उनको ये नही बताया की मैं कबसे उनकी चूत और गांड़ चोद रहा था। मैं उनको उठाकर किसी तरह घर ले आया। मुझे गलत फहमी थी की सब कुछ ठीक हो गया है। अगले दिन की रात को खाना खाने के बाद मैं और मम्मी अपने अपने कमरे में आ गए।

आधी रात को मुझे फिर एक जानी पहचानी भारी आवाज में आअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह…. आह… आआ… की आवाज सुनाई दी। उस आवाज से मैं डर गया और मुझे बीती हुई रात का सारा मंजर याद आने लगा। मैं डरते हुए मम्मी के कमरे के दरवाज़े के पास गया और दरवाजा हल्का सा खोलकर देखा तो मेरे होश उड़ गए।

मम्मी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था और वो अलमारी के उपर बैठकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। फिर से उस चुड़ैल ने मेरी मम्मी के शरीर पर कब्जा कर लिया था। मैं मम्मी की घनी झांटों वाली चूत और बड़े बड़े बूब्स को देखकर वही रुक गया।

एक तरफ मम्मी की हालत देखकर बुरा लग रहा था तो वहीं मेरी पैंट के अंदर मेरा लंड खड़ा हो रहा था। अचानक से मम्मी ने अपनी चूत में उंगली करनी बंद कर दी। फिर अचानक उन्होंने मेरी तरफ देख लिया। उनकी आंखे काली और चेहरा सफ़ेद पड़ा हुआ था।

मैंने जब उन्हें मुझे देखते हुए देखा तो झट से डर के मारे अपने कमरे में भाग आया और चुपचाप लेट गया। डर के मारे मेरी सांसे तेज चल रही थीं। लेकिन मम्मी मेरे कमरे में नही आई और पता नही कब मेरी आंख लग गई।

कुछ देर बाद मुझे नींद में ही अपने बिस्तर पर कुछ हलचल महसूस हुई। जब मैंने अपनी आंख खोली तो मम्मी अपनी आंखें बड़ी बड़ी करके मुझे ही घूर रही थीं। वो अभी भी बिलकुल नंगी थी। उन्होंने अपनी चूत से मेरे एक हाथ को दबा रखा था।

मेरे हाथ में उनकी झांटों से भरी हुई चूत थी लेकिन मैं अपनी उंगलियों तक को नहीं हिला पा रहा था। मेरा शरीर जम गया था। मेरे शरीर का कोई हिस्सा काम नही कर रहा था आंखों को छोड़कर।

मुझे साफ समझ आ रहा था की अभी भी वो चुड़ैल मम्मी के शरीर में थी। फिर मम्मी ने मेरी पैंट चड्डी सहित उतार दी। फिर उन्होंने मेरे लंड को पकड़कर चूसना चालू कर दिया। ये कांड रात के 11 बजे शुरू हुआ था। भोर के 3 बजे तक मम्मी से उस चुड़ैल ने मेरा लंड चुसवाया।

माल झड़ते झड़ते मैं अंत में बेहोश हो गया। जब तक मैंने देखा मम्मी किसी बेसब्र औरत की तरह मेरे लंड को चाट और चूस रही थी। सुबह के 9 बजे जब मेरी आंख खुली तो सब कुछ अपनी जगह पर था। मेरी पैंट मेरी कमर पर थी। मैं भी फ्रेश था बस मेरे लंड में दर्द हो रहा था। जब मैंने अपनी पैंट को हल्के से उठाकर अपना लंड देखा तो।

मेरा लंड की चमड़ी लाल थी और लंड सुझकर मोटा हो चुका था। इतना मोटा की मेरी मुट्ठी में ही नही आ पा रहा था। जब मैंने मम्मी को देखा तो वो किचन में नस्ता बना रही थी और वो बिलकुल नॉर्मल थी।

दिनभर सब ठीक चला तो मुझे लगा अब सब ठीक हो गया है। अब फिर रात को मैं और मम्मी खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए। आधी रात को जब मेरी नींद किसी हलचल से खुली तो मैंने देखा फिर मेरी मम्मी पूरी नंगी होकर मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लिए चूसे जा रही थीं। मेरा शरीर कोई अंग उस दौरान काम नही कर रहा था सिर्फ़ आंखे खुली हुई थी और मैं सब कुछ देख रहा था।

उस रात भी 3 बजे भोर तक मम्मी ने मेरे लंड को चूसा और सुबह तक सब नॉर्मल था। सिर्फ़ मेरे लंड में दर्द था और वो कल से और ज्यादा मोटा हो चुका था।

दो से तीन दिन तक मेरे साथ यही सब चलता रहा एक रात जब वो फिर मेरा लंड चूस रही थी। तब मैंने हिम्मत की और गले से आवाज निकली और उससे पूछा आखिर तुम चाहती क्या हो। तो वो भारी और डरावनी आवाज में बोली तू पूरा करेगा? मैंने कहा हां करूंगा! लेकिन तुम्हें उसके बाद मेरी मम्मी का शरीर छोड़ना होगा।

वो बोली ठीक है। तू जानता है मैं रोज तेरा लंड क्यों चूसती हूं। मैंने कहा नहीं! तो वो बोली मैं तेरा लंड मोटा करना चाहती थी क्योंकि मुझे मोटा लंबा लंड बहुत पसंद है मोटे लंड से चुदाने में बहुत मजा आता है। तो उसने कहा की अगर तू रोज़ दिन में 7 दिनों तक इसको चोदेगा तो मैं इसका शरीर हमेशा के लिए छोड़ दूंगी।

चुड़ैल ने कहा जब तू इसे ( मम्मी ) को चोदेगा तो मैं इसके शरीर में रहूंगी और मजे लूंगी। मैंने कहा मेरे लंड का साइज देखा है तुमने कितना मोटा कर दिया है। उस रात मैंने अपनी मम्मी की चूत और गांड़ दोनों फाड़ दी। लेकिन अब मेरे लंड को वो बर्दास्त नही कर पाएगी।

अब अगर मैं अपना लंड उनकी चूत में डालूंगा तो उनकी चूत का भोसड़ा बनते देर नही लगेगी और ये बात पापा को पता चल जायेगी। तो वो बोली तू फिक्र मत कर हर रोज मैं तेरी मां के अंदर रहकर अपनी सील तुड़वाऊँगी और खून भी बहेगा।

लेकिन जैसे ही मैं इसके शरीर से निकलूंगी तो सब पहले जैसा हो जायेगा। तेरी मां को कुछ नही होगा। मैंने ठीक है कह दिया।

अगले दिन से हर रोज वो चुड़ैल मेरी मम्मी के शरीर पर आती और मेरी मम्मी की चूत को टाईट करके हर रोज नई नवेली दुल्हन जैसे अपनी सील मेरे मोटे लंड से तुड़वाकर चली जाती। सील तो मेरी मम्मी की ही टूटती थी वो बस मजा लेकर चली जाती थी।

आखिरी दिन जब मैंने उसकी सील तोडी और उसकी चूदाई कर रहा था। तो मैंने उसको उसका वादा याद दिलाया। उस चुड़ैल ने कहा हां मुझे सब याद है। आज के बाद मैं तेरी मां के शरीर पर कब्जा नहीं करूंगी और सब कुछ पहले जैसा कर दूंगी।

मैंने उससे एक गुजारिश की सब कुछ नॉर्मल कर दो। लेकिन मेरे लंड को मोटा ही रहने देना मुझे अपना मोटा लंड देखने और मोटे लंड से चूत चोदने में बहुत मजा आता है। वो मान गई उसने वैसा ही किया और उस दिन के बाद से वो मेरे मम्मी के शरीर पर नही आ रही है।

उम्मीद है दोस्तों आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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