खाला की चूत में उंगली

सभी दोस्तों को मेरा सलाम दोस्तों मेरी ये पहली कहानी है उम्मीद करता हूं की मैं अपनी कहानी को आप सभी लोगों के बीच सही से रख पाऊं। मेरा नाम नसीम अहमद है मेरी उम्र 22 साल है। मैं एक गराज में मिस्री का काम करता हूं।

खाला की चूत में उंगली

आज जो मैं कहानी आप सभी से बताने जा रहा हूं। वो मेरी खाला की और मेरी है। दोस्तों मैं थोड़ा अपने बारे में बताता हूं। मेरा नाम तो आप जान ही गए हैं। मेरी हाईट 5. 7 इंच है मेरी बॉडी बिल्डर की तरह ही है। हालांकि मैं कभी जिम नही गया। लेकिन गराज में लोहे का काम करते करते मेरी बॉडी थोड़ी सॉलिड बन गई है।

मेरा खानपान भी सही है और अच्छी खुराक के कारण मेरी बॉडी एक दम फिट है। मेरा लंड लंबा और इतना मोटा है की मुट्ठी में नही आ पाता। मेरे लंड की ठुकाई से अच्छी अच्छी चूतों की हालत खराब हुई है। यहां तक की मैंने अपनी 50 साल की अम्मी की ढ़ीली ढाली चूत से भी अपने लंड का लोहा मनवा दिया।

मैंने अपने मोटे लंड से अम्मी की चूत और गांड़ ऐसे चोदी थी की उनको अब अब्बा के लंड से कोई असर नहीं होता।

अब मैं सीधा कहानी पर आता हूं। मेरी जो खाला हैं वो मेरी चच्ची (चाची) भी है। करीब 2 साल पहले मेरे चच्चा का निकाह मेरी खाला से हुआ था। मेरा मेरी खाला से दोहरा रिश्ता बन गया था। मैं उनसे बचपन से ही ज्यादा घुला मिला रहता था। जब वो मेरे घर आई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था।

लेकिन एक दिन मुझे गराज में खबर मिली की मेरे चच्चा का एक्सीडेंट में इंतकाल हो गया है। अचानक सब कुछ खत्म हो गया। चच्चा के इंतकाल के बाद मेरी खाला गुमसुम हुई उदास बैठी रहती थीं।

खाला हर वक्त चच्चा को याद करके रोती रहती थी। एक रात को जब मैं गराज से घर आया तो मेरी अम्मी थोड़ी उदास थी। मैंने पूछा तो उन्होंने कहा देख न तेरी खाला ने सुबह से कुछ नही खाया। अम्मी ने कहा मैं उसे मना कर थक गई हूं। वो बिस्तर पर चुपचाप लेटकर रो रही है।

तेरी तो बात मानती है तू जाकर उसे खाने के लिए क्यों नहीं मनाता। मैंने अम्मी से कहा आप सो जाइए काफ़ी रात हो गई है। मैं खाला को खाना खिला दूंगा आप बेफिक्र रहिए।

अम्मी अपने कमरे में चली गईं। मैं खाला के कमरे में अपना और खाला का खाना लेकर गया। मैंने उन्हें बड़े प्यार से बुलाया खाला देखिए मैं आपके लिए क्या लाया हूं। लेकिन खाला थोड़ी भी नही हिली वो अपना मुंह दूसरी तरफ करके लेटी हुई थीं।

तभी मेरी नज़र उनके बड़ी गांड़ पर गई जिसपर से कमीज़ हटी हुई थी और उनकी सलवार बीच में से उनकी बड़ी गांड़ के दोनों हिस्सों के बीच घुसी हुई थी। कुछ पल के लिए मेरी नियत हिल गई।

लेकिन मैंने खुद को संभाला और उन्हें खाने के लिए मनाने लगा। आख़िर में जब मैंने कहा ठीक है खाला अगर आप नही खायेंगी तो मैं भी नही खाऊँगा। इतना मैंने कहा ही था की वो मेरी तरफ मुड़ी और बिस्तर पर उठकर बैठ गई।

मैंने मुस्कुराते हुए रोटी का एक निवाला उन्हें खिलाया और वो खाने लगी। थोड़ी देर में खाला खुद खाने लगी। मैं भी वहीं बैठकर खाने लगा। कुछ देर में हम दोनों ने अपना खाना खत्म कर लिया।

मैं हम दोनों की प्लेट लेकर बाहर आने लगा। तो खाला ने कहा तू थोड़ी देर मुझसे बात करेगा। अकेले अच्छा नही लग रहा है। मैंने कहा बिल्कुल खाला बोलो ना क्या बात है। उन्होंने कहा इधर आकर बैठ ना मैं भी उनके साथ बिस्तर पर बैठ गया।

उसके बाद खाला मुझसे बात करते करते इमोशनल हो गई और मेरी गोद में सर रखकर रोने लगी। मैं उनका सर सहलाते हुए उन्हें चुप कराने लगा। लेकिन वो चच्चा को याद करते हुए रो रही थीं।

मैं उनको हिम्मत देने के लिए उनका कंधा और सर सहला रहा था। बहुत देर तक रोने के बाद खाला मेरे गोद में सर रखे हुए सो गई। मैंने उनके सर के नीचे तकिया लगा दिया और उन्हें सुला दिया। फिर मैंने सोचा कि मैं थोड़ी देर यहीं रुकता हूं। कहीं खाला जग गईं तो फिर रोने लगेंगी।

मैं उनके बिस्तर पर ही दीवार से सर टिकाए अपनी आंख बंद करके बैठ गया। अचानक रात के 1 बजे मेरी आंख खुली तो मैंने देखा खाला मेरी तरफ अपनी पीठ करके सोई हुई थीं। मुझे लगा मुझे भी अपने कमरे में जाकर सोना चाहिए।

मैंने एक बार सोचा की खाला के चेहरे की तरफ देखा लेता हूं। वो कहीं जाग तो नही रही हैं। मैंने जब खाला के चेहरे की तरफ देखा तो मुझे कुछ ऐसा दिखा जिसने मेरी पैंट में हलचल मचा दी।

खाला की दोनों गोरी चूचियां उनके कमीज के गले से आधे से ज्यादा बाहर आईं हुई थी। यहां तक की उनकी एक चूची के निप्पल का काला गोला भी हल्का सा दिखाई दे रहा था।

इतना देखते ही मेरी पैंट में तम्बू बन गया। मेरी नियत अब हिल गई थी। मुझे एक झटके में ही सब समझ आ गया की अब आगे क्या करना है। मैंने बिना आवाज किए कमरे की लाइट कम की इतनी रौशनी रहने दी की मुझे सब दिखाई दे।

पहले तो मैंने खाला के कमीज के गले को थोड़ा नीचे खींचा जिससे उनकी दोनों चूचियां कमीज के गले से बाहर आ गई उन्होंने ब्रा नही पहनी थी। फिर मैंने खाला के जिस्म से अपना जिस्म सटाकर लेट गया।

खाला की गांड़ मेरी कमर को छू रही थी। मैंने हल्के से अपना एक हाथ उठाकर खाला के सीने के आगे रखा और अपने बड़े पंजे में उनकी एक चूची को भर लिया। खाला की चूची की सख्त निप्पल मेरी हथेली के बीचों बीच चुभ रही थी। मैं बिना उनकी चूंची को दबाए उनकी निप्पल को अपनी हथेली से दाब रहा था।

मैंने बारी बारी से खाला की दोनों चुचियों के साथ ये खेल खेला।
अब मेरा लंड बिल्कुल सख़्त हो गया था और खाला की मखमली गांड़ पर दब रहा था। मैंने अपनी एक उंगली खाला की गांड़ की दरार में सलवार समेत दबाई और अपनी उंगली को धीरे धीरे उनकी चूत के उपर ले गया।

मैं अपनी उंगली से खाला की चूत को सलवार के उपर से ही सहलाने लगा। उनकी चूत पर उंगली फेरते ही मुझे समझ आ गया की खाला ने अंदर चड्डी नहीं पहनी हुई थी। जैसे ही मैंने अपनी उंगली को खाला की चूत पर सलवार के उपर से रखा तो खाला की मखमली झांटों पर उनकी सलवार फिसल गई।

मेरा तो जैसे छुटने को आ गया। मैंने 2 ही मिनट तक खाला की चूत पर उंगली फेरी थी। खाला की चूत और सलवार दोनों गिले हो गए साथ ही मेरी उंगली पर भी उनकी चूत का पानी लग गया।

मैंने जोश जोश में खाला की चूची को फिर से अपने पंजे में भर लिया और उनकी निप्पल को अपने हथेली से हल्का हल्का सहलाने लगा। खाला की निप्पल टाईट हो रही थी। एक बार मेरी हथेली खाला की चूंची पर कुछ ज्यादा दब गई। जिससे शायद उनको गुदगुदी हुई और वो पेट के बल लेट गई।

मुझे अपना हाथ उनकी चूंची पर से हटाना पड़ा। अब मेरी खाला अपनी गांड़ उपर किए अपने मुंह को तकिए पर दबाए लेटी हुई थीं। अब मुझे कुछ करने को नही मिल रहा था। कुछ देर इंतजार करके मैंने अपना हाथ सीधा उनकी गांड़ पर रख दिया।

उनके गांड़ के दोनों हिस्सों को मैं हौले हौले अपनी उंगलियों से दबता रहा। अचानक मैंने देखा खाला के कमर के नीचे से उनकी सलवार की डोरी मेरी तरफ बाहर निकली हुई थी।

उनकी सलवार की डोरी को देखकर मुझे इतनी खुशी हुई की मैं बता नहीं सकता। मैंने अपनी दो उंगलियों से खाला की सलवार की डोरी को पकड़ लिया और धीरे धीरे डोरी को खींचने लगा।

अचानक खाला की सलवार की डोरी ढीली हो गई। मैं समझ गया की खाला की सलवार का नाड़ा अब खुल चुका था। अब मैंने सलवार को धीरे धीरे उनके कमर के पीछे से उनकी गांड़ देखने के लिए नीचे उनकी जांघों के तरफ खींचने लगा।

क्योंकि सलवार तो ढ़ीली ढाली होती है इसलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। कुछ ही देर में खाला की गोरी गोल मटोल गांड़ मेरी आंखों के सामने नंगी थी। मैं इतनी देर से कामुकता में लिप्त था। तो मुझसे और अब रहा नही गया।

मैंने अपनी पैंट नीचे की और अपना मोटा और लंबा लंड बाहर निकाला खाला की गांड़ के नीचे उनकी जांघों के बीच थोड़ी जगह थी। जहां से उनकी झांटों वाली चूत साफ़ दिखाई दे रही थी।

मैंने अपना लंड उनकी जांघों के बीच डालकर उनकी चूत पर सटा दिया। वाह्ह क्या गर्मी थी खाला की चूत में मैं खाला की चूत में अपना लंड डालना चाहता था। लेकिन उनके उठने के डर से मैंने अपना लंड उनकी चूत में नही डाला।

मैंने उनकी चूत पर कुछ देर अपने लंड को सटाए रखा उसके बाद मैंने अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया। फिर मैं खाला की गोरी गांड़ को देखकर मुट्ठ मारने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं अपने ख्यालों में खाला को चोद रहा था और अपने आंखों से उनकी नंगी गांड़ को देखकर मुट्ठ मार रहा था।

खाला की दोनों टांगें सीधी थी। मैं उनके दोनों टांगों के बगल में अपने घुटनों पर बैठा हुआ था। खाला की नंगी गांड़ ठीक मेरे लंड के नीचे थी। मैं खाला को चोदने के ख़्याल में खोया अपने लंड की मुट्ठ मारे जा रहा था। तभी अचानक मेरे लंड से वीर्य की फुहार निकली जिससे खाला की गांड़ और गांड़ की दरार भर गई।

ये शायद मैंने सोचा नहीं था। जैसे ही मेरा गरम वीर्य खाला की गांड़ पर गिरना शुरू हुआ। खाला तुरंत लेटे हुए ही मेरे तरफ देखने लगी। बस उन्होंने ये कहा नसीम हराम के जने ये क्या कर रहा है। वो गुस्से में बोली। उनके मुंह से सुनते ही मैं खाला को चोदने के सपने से बाहर आया।

मैंने आंख खोली तो खाला ने मुझे देखकर हल्ला करना चाहा लेकिन उससे पहले मैं उन्हपर लपक पड़ा और कसकर उनका मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया। अब मैं खाला के उपर चढ़ा हुआ था। मेरा लंड ठीक खाला की जांघों के बीच उनकी चूत पर सटा हुआ था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

खाला अपनी कमर उठा उठाकर मुझे अपने ऊपर से झाड़ना चाहती थी। मैंने सोचा अगर मैं इन्हें नही चोदूंगा तब भी ये हल्ला करेंगी और अभी चोद डालूं तो भी बाद में हल्ला करेंगी।

मैंने एक हाथ उनके मुंह पर दबाए रखा और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को खाला की चूत के छेद पर सेट करने लगा। जैसे ही मेरे लंड ने खाला की चूत को चूमा खाला और फड़फड़ाने लगी। लेकिन मैंने खाला को हिलने तक नही दिया।

मैंने एक तेज धक्का लगाया और मेरा लंड आधा खाला की चूत में समा गया। खाला दर्द से छटपटाने लगी। क्योंकि खाला की चूत मेरे लंड के हिसाब से छोटी और टाईट थी। शायद मेरे चच्चा का लंड पतला होगा ।

मैंने एक और धक्का मारा जिससे मेरा बचा हुआ लंड भी खाला की चूत फाड़ते हुए अंदर घुस गया। खाला रोने लगीं लेकिन मैंने अपने हाथ से खाला के मुंह को दाब रखा था। बस उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे और घुटी घूटी रोने की आवाज आ रही थी।

मैंने अपने एक हाथ की मदत से खाला की सलवार को उनके घुटनों के नीचे किया और फिर अपने पैर से खाला की सलवार को उनके पैरों से निकाल दिया। अब खाला की दोनों टांगें भी नंगी हो गई थी। मैं अब उनकी टांगों को फैला सकता था।

मैंने खाला की दोनों टांगें फैला दी और उनके मुंह को दबाकर अपने लंड से उनकी टाईट चूत में बौछार लगा दी। खाला आआआआहहहहह… हाहहहह…. अमामामा आआआआआ….. की घुटि हुई आवाज में रोए जा रही थीं।

मैंने कस कसकर खाला की चूत को अपने मोटे लंड से पेला। एक घंटे की चूदाई ने खाला की चूत अच्छे से खोल दी। अब मेरा लंड आराम आराम से खाला की चूत में अंदर बाहर होने लगा। मैं जब भी झड़ने को आता तब मैं खाला की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लेता था। थोड़ी देर बाद फिर से अपना लंड खाला की चूत में डालकर चूदाई करता।

ऐसा करने से मेरा माल नही निकलता रहा था और फिर से मैं उसी एनर्जी से खाला की चूत को चोदता। मैंने सुबह से 5 बजे तक खाला को चोदा और अपना माल खाला की चूत में डाल दिया।

अब अम्मी के उठने का वक्त हो चुका था मैंने अपना लंड खाला की चूत से निकाला और अपने कपड़े पहनकर खाला के कमरे से निकल गया। खाला वैसे ही नंगी पड़ी थी। उनकी चूत सूझकर फुल गई थी। और रो रोकर उनकी आंखें लाल हो चुकी थी।

अगले दिन की रात को मैं फिर खाला के कमरे में गया और उस रात भी मैंने जबरदस्ती करके उनकी चूदाई की और ये सिलसिला चलता रहा कुछ दिनों बाद खाला खुद तैयार रहती थी। मैं उनके कमरे में जा रोज रात को उनको चोदने लगा।

अब खाला को भी मुझसे चुदवाना अच्छा लगता था। क्योंकि उनके शौहर के इंतकाल के बाद उनकी जिस्मानी ताल्लुक़ात और जरूरत मुझसे पूरी होती थी। आख़िर है भी तो एक औरत ही न कितने दिन अपने शौहर का शौक मनाएंगी। भरी ज़वानी में एक लंड की प्यास हर औरत को रहती है।

कुछ दिनों बाद पता चला की मेरी खाला पेट से है मुझे और खाला को कोई शक नही था की ये हमारी औलाद थी। लेकिन घर के बड़े उसे चच्चा की आख़िरी निशानी समझ कर बहुत खुश थे।

तो दोस्तों ये थी मेरी और मेरी खाला की कहानी उम्मीद है आप सभी को पसंद आई होगी।

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