विधवा मामी की चूत चूदाई

मैं गौरव आज मैं आप सभी को जो बात इस कहानी के माध्यम से बताने जा रहा हूं। ये बात दरअसल मेरी विधवा मामी और मेरी हैं। मुझे पता ही नही चला कि कब मेरी विधवा मामी ने मुझे वासना की नजरों से देखना शुरू किया और एक दिन वो अपनी सलवार को उतार कर मेरे पास लेटी हुई थी। मेरी उनके लिए कोई ऐसी धारणा नही थी। लेकिन एक जवान लड़के के साथ एक नंगी औरत लेटी हो तो क्या होगा।

विधवा मामी की चूत चूदाई

चलिए मैं आप लोगों को सबकुछ शुरू से बताता हूं। मेरी मामी को विधवा हुए 10 साल हो चुका था। मामा जी के देहांत के 2 साल बाद अकेलापन महसूस करने के कारण उन्होंने कम उम्र में ही अपने इकलौते लड़के की शादी कर दी। 2 साल तो सब ठीक रहा लेकिन उसके बाद उनकी बेटे और बहू से उनकी नही बनती थी।

इस वजह से मम्मी ने उन्हें हमारे घर बुला लिया। क्योंकि हमारे अलावा उनका अपना कोई नही था। मामी करीब 8 साल से हमारे साथ ही रहती थी। मेरे घर में बस तीन ही लोग रहते थे। मैं मम्मी और मेरी मामी। मेरे भी पिता की मृत्यु हुए भी 15 साल हो गए है। मेरी मम्मी को पिताजी की नौकरी मिल गई थी।

मामी के आने के बाद वो मेरा और घर का ख्याल रखने लगी। जिससे मम्मी का बोझ थोड़ा कम हो गया। मैं मामी के सामने ही बच्चे से जवान हुआ हूं। इसलिए मैंने कभी मेरी मामी के लिए अपने मन में कोई गलत धारणा नही रखी।

मेरी मामी का (बदला हुआ) नाम रेखा है उनकी उम्र 45 से 50 के बीच थी। और मेरी उम्र 23 साल है। मेरी मामी दिखने में हरी भरी और लंबी है। कुल मिलाकर उनका बदन कसा हुआ और सुडौल है। उनकी छाती चौड़ी और बूब्स बड़े बड़े है उनका पेट कही से निकला हुआ नही है एकदम सपाट बराबर उनकी कमर उनके सीने से थोड़ी चौड़ी और मसल से भरी है यानी की उनकी गांड़ का साइज बड़ा है।

एक दिन मैंने अपनी मामी की नजरों पर गौर किया पता नही वो मुझे क्यों देखी जा रही थी। मुझे थोड़ा अजीब सा लगा क्योंकि वो मेरी टांगों के तरफ ही देखे जा रही थी। मैं उस वक्त बाथरूम से निकलकर गमछा पहने आंगन में आया और वो आंगन में काम कर रही थी।

मैं भी उनको देख रहा था और ये जानने की कोशिश कर रहा था। आखिर वो मुझे ऐसे क्यों देख रही है। लेकिन वो बार बार तिरछी नजरों से मुझे ही देखे जा रही थी। कुछ देर तक मुझसे ये बर्दास्त हुआ लेकिन मुझे खुद अजीब सा लगने लगा। इसलिए मैं अपने कमरे में आ गया।

अभी तक मैं समझ नहीं पाया की ये सब क्या हो रहा है। मैं अपने कमरे में आकर इसी बात की उधेड़ बुन में लगा रहा। क्योंकि मामी मुझे न सिर्फ देख रही थी। बल्कि उनको देखकर ये भी लग रहा था की वो जो काम कर रही थी। उसमे उनका मन नहीं लग रहा था। वो किसी और ही ख्याल में थी।

मैंने इस बारे में बहुत सोचा लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया। फिर मैं अपने काम में लग गया और इस बात को भूल गया। उसके दो दिन बाद मैं फिर से आंगन में खड़ा होकर गमछा पहने ब्रश कर रहा था। अचानक से मैं जब पीछे मुड़ा तो देखा मामी ठीक मेरे पीछे बैठी हुई थी। मैं उनको देखकर एक दम से चौंक गया। क्योंकि मुझे भनक तक नहीं लगी थी की कब से मेरी मामी मेरे पीछे बैठी हुई थी।

और अभी भी चोरी छिपे अपनी नजरों से मेरे पीछे से मेरी टांगों को ही देख रही थी। मैं कुछ देर बिना बोले वही खड़ा होकर ब्रश करता रहा। फिर मैं पानी से अपना मुंह धोकर अपने रूम में आ गया। मैं एक छोटी सी टॉवेल से अपने कमरे के बड़े सीसे के सामने अपना मुंह पोंछने लगा।

तब मेरी नज़र सीसे पर पड़ी मैं ये देखकर हैरान रह गया। तब मुझे सब कुछ समझ आ गया की मामी मेरी टांगों के तरफ इतने दिनों से क्या देख रही थीं। जब मैंने सीसे कि तरफ देखा तो मुझे दिखा मेरे पतले से गमछे के अंदर से मेरा मोटा और लंबा लंड मेरे आधे जांघों तक लटका हुआ था और रौशनी मेरे गमछे के आर पार हो रही थी जिससे मेरा लंड साफ़ झलक रहा था।

मुझे ये देखकर बड़ी शर्म आई और मामी के उपर गुस्सा भी आया। मैं सीसे के सामने खड़ा होकर कभी शर्म से हंसता तो कभी सोच में पड़ता।

दरअसल मुझे शुरू से ही अंदर चड्डी पहने की आदत नही थी। मैं चड्डी नहीं पहना करता था। मुझे खुला खुला रहने की आदत थी। मैं घर में गमछे में ही रहता था। चाहें दिन हो या रात मैं जब बाहर जाता था उसी वक्त पैंट पहनता था और ये बात मम्मी और मामी दोनों को पता थी की मुझे चड्डी पहनना पसंद नहीं है।

मैं वही खड़ा खड़ा मामी के बारे में सोचने लगा। पता नही मामी कब से मुझे ऐसे देख रही थीं। उनको क्या चाहिए। तभी मैंने मामी की नियत जांचने के लिए एक तरकीब लगाई। अगले दिन मैं बाथरूम में उसी पतले से गमछे में नहा रहा था। मैंने नहाते हुए मामी को आवाज लगाई।

कुछ देर बाद मामी बाथरूम में आई तो मैंने कहा मामी जरा मेरी पीठ  रगड़ दीजिए ये कहते हुए मैं उस गिले गमछे में खड़ा हो गया। वो गमछा मेरी जांघों से चिपका हुआ था और सब कुछ साफ साफ़ दिखाई पड़ रहा था। मामी के आने से अब मेरे लंड में जान आने लगी थी।

जैसे ही मैं पूरा उठकर खड़ा हुआ। मामी की नजर मेरे मोटे लंड पर पड़ी जो गमछे को उपर उठाकर तंबू बना चुका था। मामी मेरे लंड को देखकर एक पल के लिए वहीं जम गई। मैं मामी की तरफ अपनी पीठ घुमाकर खड़ा हो गया। मामी मेरी पीठ रगड़ने लगी।

वो बार बार अपने हाथों को मेरी कमर तक लाने लगी। अब मामी के साबुन लगाने के अंदाज में चेंज आने लगा था। वो धीरे धीरे साबुन को मेरी पीठ पर मलने लगी। वो ऐसा कर रही थी की उनके पास पूरा टाइम है उन्हे कोई जल्दी नहीं थी। उनकी गरम सांसें मेरी पीठ पर टकरा रही थी।

मैं मामी से अपना लंड जान बूझकर छुपा रहा था। उनसे अपना लंड छुपाना उनकी वासना की आग को भड़काने का काम कर रहा था। तभी मामी ने कहा लाओ मैं आगे से भी साबुन लगा देती हूं। मैंने जान बूझकर कहा नहीं मामी आगे मैं लगा लूंगा। वो एक दो बार फिर बोली लगा देती हूं क्या हो जायेगा? पर मैंने उनको साफ मना कर दिया।

फिर भी वो साबुन रेख पर रखने के बहाने मेरे आगे आ गई। जिससे मेरा लंड उसकी जांघ से रगड़ गया। जैसे ही मेरा लंड उनकी जांघ से रगड़ा मेरे अंदर वासना भर गई। एक पल के लिए तो लगा कि मैं उन्हें रोक लूं। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि मामी ने मेरा लंड देखने के चक्कर में अपनी जांघ को मेरे लंड से सटाया था।

अब मुझे उनका इरादा समझ तो आ गया था। लेकिन मैंने अभी धैर्य रखने का फैसला किया। उसके दो तीन दिन बाद मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था। उस दिन बहुत भयानक किस्म की गर्मी थी सुबह से 11 बजे की धूप और गर्मी बर्दास्त से बाहर थी। घर में मामी और मैं ही थे। मैं अपने कमरे में एसी चालू करके लेटा हुआ था।

पूरे घर में मेरे ही रूम में एसी था। अचानक मेरे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई। मैंने जब दरवाजा खोला तो देखा मामी खड़ी थी। मामी ने कहा गौरव बहुत गर्मी है पंखे की हवा का भी असर नहीं हो रहा है। क्या थोड़ी देर के लिया मैं तुम्हारे कमरे में आराम कर लूं। देखो ना काम करते करते पसीने से नहा चुकी हूं।

मैंने कहा जी मामी आइए आपका ही घर है। मैंने बड़ी विनम्रता से कहा। मामी मेरे रूम में आई और चटाई बिछाने लगी। मैंने कहा मामी आप यही बिस्तर पर ही लेट जाइए। तो वो आकर बिस्तर के एक किनारे पर लेट गई और मैं दूसरे किनारे पर लेट गया। उन्होंने शूट सलवार पहना था। जो पसीने से पूरा भींगा हुआ था।

मामी दूसरी तरफ मुंह घुमाकर लेटी हुई थी। मैंने कुछ देर उनकी पीठ और गांड़ की तरफ देखा और फिर अपने फोन में लग गया। पता ही नही चला की मैं कब सो गया। दोपहर के करीब 2 बजते होंगे। मेरी बाई हाथ की उंगलियों से कुछ नर्म और मुलायम सा कुछ सट रहा था। मैंने सोते हुए ही उस चीज को अच्छे से छुआ तो मुझे ऐसा लगा की।

मेरी उंगलियां किसी नर्म और टाईट जगह में घुस रही थी। अचानक से मेरी आंख खुली तो मैंने डर के मारे झट से अपने हाथ को खींच लिया। मेरी उंगलियां मामी की चूतड़ के बीच घुसी हुई थी। मैंने अपनी पूरी आंख चौंकते हुए खोली तो देखा। मामी के टांगों पर सलवार नही थी।

उनका कमरे और नीचे का बदन बिलकुल नंगा था। मेरी आंख खुलते ही उनकी बड़ी सी गांड़ मुझे दिखी जिससे मेरा मोटा और लंबा लंड फंफाना गया। मामी अपना मुंह दूसरी तरफ घुमाकर लेटी हुई थी। मुझे समझ आ गया की मामी जागी हुई है क्योंकि उनका पेट तेजी से उपर नीचे हो रहा था।

वो लंबी और गहरी सांसे ले रही थी। मामी हरी झंडी दिखाकर मुझे आगे बढ़ने का रास्ता दे रही थी। तो मैं भला क्यों रुकता मैंने अपने गमछे को खोल दिया और पूरा नंगा होकर मैंने अपना लंड मामी की गांड़ से सटा लिया और उनकी टांग पर अपनी एक टांग चढ़ाते हुए। मैंने उनकी शूट के नीचे के अपना एक हाथ मामी के पेट पर रख दिया।

जैसे ही मैंने मामी के पेट पर अपना हाथ रखा तो मामी में भी अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रख दिया। मामी अपनी गांड़ को पीछे धकेलने लगी और अपनी गांड़ से मेरे 3 इंच मोटे और 8 इंच लंबे लंड दबाते हुए गहरी गहरी सांसे लेने लगी।

फिर मैंने मामी के गाल पर अपने होठ रखे और उनको चूमते हुए मैंने उनके पेट से हाथ हटाया और अपने हाथ से अपना लंड पकड़ लिया। मैंने अपने लंड को सीधा करते हुए। मामी की गांड़ के नीचे से उनकी चूत पर दबाया और मामी के उपर वाले जांघ को थोड़ा उठाया। मामी ने भी अपनी टांग को उठाकर जगह दी।

फिर मैंने अपना मोटा लंड मामी की चूत पर उपर से नीचे तक बहुत देर तक रगड़ा मामी की चूत से पानी आने लगा। मैं समझ गया की अब सही मौका है। तो मैंने इसबार अपना लंड मामी की चूत के छेद वाली जगह पर दबाया।

मामी को थोड़ी तकलीफ़ हुई मामी मादक आवाज आ. आ… आआ… करने लगी। धीरे धीरे मेरा मोटा 8 इंच लम्बा लंड मामी की चूत में घुसने लगा। 2 से 3 मिनट में मैंने अपना पूरा लंड मामी की चूत में डाल दिया। अब मामी थोड़ी टेढ़ी होकर पेट के बल हो गई ।

मैं उनकी जांघों पर अपनी जांघ चढ़ा कर अपना लंड उनकी चूत में ठूसे हुए उनके उपर आ गया मैंने अपनी जांघों से उनकी जांघों को दबाकर अपनी कमरे को उपर से उनकी गांड़ पर दबाते हुए अपना मोटा लंड उनकी चूत में उतारने लगा।

मैंने उस वक्त थोड़ी जबरदस्ती करके अपना पूरा लंड उनकी चूत में ठेल दिया। मामी सिसकारियां निकलने आआ.. आह… ममआआ… दर्द हो रहा है आ आ आ आह्ह… गौरव आ आआआह्ह…. मैंने अपनी पोजीशन ले ली और अपनी कमर को उपर उठा  उठाकर उनकी चूत में अपना लंड नापने लगा।

मामी आह… आह… आई….. मआहह्ह… हह्ह … करती हुई सीतकारे मारने लगी। मैं किसी गुस्सैल सांड की तरह अपनी मामी की चूत मारने लगा। रुक रुक कर मैंने डेढ़ घंटे तक मामी की चूत को चोदा और आखिरी बार जब मैं मामी की चूत को चोद रहा था। तो मैं झड़ने वाला था। तो मैंने अपना लंड मामी की चूत से निकाला लेकिन पता नही फिर मुझे क्या हुआ।

मैंने सुपाड़े तक अपना लंड मामी की चूत में फिर से डाला और झटके ले लेकर मामी की चूत में ही झड़ गया। फिर मैंने मामी की चूत से अपना लंड निकाला और अपनी दो उंगलियों को उनकी चूत में डालकर उनकी चूत को गिंजने लगा।

मामी मजे से मदहोश होती हुई सितकारे लेती हुई आअंह्ह आआआह्न… उफ्फ…  मम्म्म्म…. आह… गौरव आह…. कर रही थी। मेरा लंड झड़ चुका था और शांत हो चुका था। लेकिन मेरे नॉर्मल लंड की मोटाई भी 2.5 इंच के आस पास और लंबाई 6 इंच ही रहती है।

मामी ने अपने हाथ से मेरे लंड पकड़ा और फिर से उसे मुठ देने लगी। मैं समझ गया की मामी की एक दो बार से प्यास नहीं बुझेगी। मेरे दराज में मैनफोर्स की सेक्स वाली टेबलेट थी और साथ ही एक जेल भी पड़ा था। जिससे मैं अपने लंड की मालिश किया करता था। मैंने टेबलेट खा ली और जेल को अपने लंड पर लगा लिया।

मैं फिर से बिस्तर पर मामी के पास आया और उनकी शूट उतारकर नंगा कर दिया। टेबलेट लेने की वजह से मेरा लंड इतना टाईट हो चुका था की लंड पर की नसे उभर आई थी। अब मामी के बदन पर सिर्फ़ ब्रा बची हुई थी। मैंने हड़बड़ी में मामी की ब्रा फाड़ डाली और उनकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियों पर हवसी जानवर की तरह टूट पड़ा।

मैं मामी की चुचियों को कभी आराम से चूसता तो कभी दोनों चुचियों को कस कसकर अपने हाथों से दबाता और कभी उनकी निप्पलों को अपने मुंह में भरकर उपर खींचता। अब मेरा लंड बिल्कुल पत्थर की तरह शक्त हो चुका था।

मैंने मामी को उनकी दोनों टांगों को उपर उठाकर पकड़ने को कहा। मामी ने अपने दोनों पैर ऊपर उठाकर पकड़ लिया। अब उनकी चूत थोड़ी सी खुल चुकी थी। मैंने अपना लंड मामी की चूत पर दो तीन बार रगड़ा और अचानक झटके से अपना पूरा लंड मामी की चूत में डाल दिया।

अचानक चूत में लंड जाने से मामी सकपका गई और दर्द के मारे चिंखने लगी। मैंने भी अपने हाथ से उनके उपर उठा हुए पैरों को दबाते हुए उनके उपर चढ़ गया। उनको किस करते हुए अपनी कमर टाप टाप कर उनकी चूत में चोदने लगा। मामी सिसकती बिलकती रही और आह… आह…  माह.. ओह्ह्ह…. आ..आ..आ..ह्ह्ह्ह।

मैं मामी को चोद चोदकर बेहाल कर चुका था। उनकी चूत से फच फ़च तेज आवाज उठने लगी। अचानक उनकी चूत सिकुड़ने लगी मेरे लंड पर उनकी चूत दबाव डालने लगी और अचानक मामी ढ़ीली पड़ी मैं समझ गया की अब वो झड़ चुकी है। मैं उनकी चूचियां चूसते हुए। उनकी चूत में धक्के लगाए जा रहा था।

आधे घंटे तक मैंने उनकी चूत चोदी उनको चोदते हुए मुझे 2 घंटे हो चुके थे और टेबलेट का असर कम हो रहा था। मैं अब झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड उनकी चूत में और अंदर तक धकेला और रुक गया। 1 मिनट बाद मैं झटका ले लेकर उनकी चूत में ही झड़ गया।मेरा गरम माल उनकी चूत में छुटते ही मामी की चूत फिर अकड़ने लगी।

मामी ने मुझे अपने बांहों में जकड़ लिया और अपने टांगों से मेरी गांड़ को दबाकर मेरे बचे लंड को भी अपनी चूत में धकेल लिया। फिर शाम के 6 बजे तक नंगे ही लेटे रहे। अब मम्मी के आने का वक्त हो चुका था। तो मैंने और मामी ने कपड़े पहने और रूम से बाहर आ गए।

अब मामी के चेहरे पर ताज़गी थी। वो अपने घर के कामों में लग गई। रातभर मैं मामी के बारे में ही सोचता रह गया। मैं अगले दिन मम्मी के ड्यूटी पर जाने का इंतजार करने लगा। 10 बजे मम्मी ड्यूटी के लिए निकल गई।

मैं मामी को चोदने के फिराक में था और तैयारी में मैं अपने लंड को तेल की मालिश दे रहा था। थोड़ी देर बाद मामी खुद ही मेरे रूम में आई और मेरे तेल से चमचमाते लंड को देखकर शर्मा गई।

मैं उठकर उनके पास गया और उनकी सलवार का नाडा खोलते हुए मैंने उन्हें दीवार की तरफ मूंह करके घुमा दिया। फिर मैं मामी के पीछे घुटनों के बल बैठ गया। मैं अपना मुंह मामी के जांघों के बीच से डालकर अपनी जीभ से उनकी चूत और गांड़ को चाटने लगा।

मामी भी मेरा सर पकड़कर अपनी एक टांग उठाकर मुझसे अपनी गांड़ और चूत चटवाने लगी। फिर मैंने मामी को बिस्तर पर चलने को कहा और वो राजी हो गई।

मैंने मामी से कहा मैं आपकी गांड़ चोदूंगा आज! वो बोली आगे ही कर लो ना मैंने जिद्द की नही आज पहले गांड़ मरूंगा। फिर आपकी चूत को चोदूंगा।

वो मान तो गई। वो बिस्तर पर पेट के बल अपनी दोनों टांगें फैलाए लेट गई। मैं उनकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया। फिर मैंने उनके चूतड़ के दोनों हिस्सों को फैलाकर चाटना और अपनी जीभ से उनकी गांड़ की छेद पर थूक मलना शुरू किया।

थोड़ी ही देर में उनकी गांड़ की छेद पर अच्छी खासी फिसलन हो गई। फिर मैंने अपना लंड मुट्ठी में पकड़कर उनकी गांड़ की छेद पर लगाया। जैसे ही मैंने अपने लंड को मामी की गांड़ की छेद पर दबाया। तो उनकी गांड़ की छेद थोड़ी खुल गई और सुपाड़े का कुछ भाग उनकी गांड़ में घुसा। तो वो दर्द के मारे रोने लगीं।

वो मुझे अपनी गांड़ मारने से रोकने लगी। पर अब बाजी मेरे हाथ में थी। मैंने मामी का दोनों हाथ बिस्तर पर दबा दिया और अपनी टांगें उनकी टांगों पर चढ़ा लिए। अब मामी अपनी जगह से हिलने वाली नही थी। मैंने अपनी कमर और लंड को मामी की गांड़ में दबाना शुरू किया।

मामी जोर ज़ोर से फुट फुटकर रोने लगी और साथ ही आआआह्ह…. आअह्ह्ह…. नह्हई…. ननआ नना.. करने लगी। लेकिन तब तक मेरा आधा लंड मामी की गांड़ में घुस चुका था।

मेरा लंड उस वक्त देख कर ऐसा लग रहा था जैसे की कोई मोटा सांप छोटे से बिल में आधा घुसा हुआ हो। मामी की गांड़ अब फट चुकी थी। क्योंकि मेरे लंड पर उनकी गांड़ की छेद का कसाव साफ मालूम हो रहा था। मैंने एक दो धक्के में मेरा पूरा का पूरा लंड मामी की गांड़ में ओझल हो गया।

उसके बाद मैंने एक घंटे तक बिना रुके अपनी मामी की गांड़ मारी। अब मामी की गांड़ का छेद फैल चुका था और मामी अब आराम से मेरा मोटा गठीला लंड अपनी गांड़ में ले रही थी। उसके बाद मैंने अपना लंड मामी की गांड़ से निकाला और अपने माल को उनकी गांड़ की दरार में भर दिया।

अब मैं रोज अपनी मामी को चोदता हूं। चूदाई के दौरान मामी ने मुझे बताया की मैं चोरी छिपे कब से तुम्हारे लंड को गमछे के अंदर से देखती थी। तुम्हारे लंड के साइज़ ने मुझे तुमसे अपनी चूत चोदवाने को मजबूर कर दिया था।

मैं तुमसे चुदाने से पहले तुम्हारे लंड को अपनी चूत लेने की कल्पना कर करके न जानें कितनी बार झड़ चुकी हूं। अब मुझे जो चाहिए मुझे मिल ही गया। 2 महीनों से मैं अपनी मामी की चूदाई कर रहा हूं। अब मैंने अपनी मामी की चूत फाड़ दी है। बातों ही बातों में मामी ने बताया। मेरी मम्मी भी मेरे लंड को घूरती रहती है।

मैंने मजाक में ही मामी से कह दिया की क्या अब मैं अपनी मम्मी को चोदूं क्या? तो मामी का झट से जवाब आया की तुम जब चाहो तब चोद सकते हो। वो भी तुमसे चुदाने को तैयार बैठी है। सिर्फ़ मां बेटे के रिश्ते को लेकर रुक जाती है। मैं ये सब सुनकर स्तब्ध हो गया।

तभी मामी उठकर बाथरूम में गई और मम्मी की उतारी हुई चड्डी लेकर आई और मेरे हाथों में पकड़ाती हुई बोलीं देख लो कल रात भी तुम्हारी मां ने अपना पानी निकाला था। जो अभी भी चड्डी में लगी हुई थी। मैं वासना भरी नजरों से मम्मी की चड्डी पर लगे हुए उनके वीर्य को सूंघने लगा।

अगली कहानी में बताऊंगा की मेरी मम्मी ने मुझसे चूदवा कर कैसे मुझे मम्मी ने चूत का रस पिलाया। उम्मीद है दोस्तों आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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