चाचा ने माँ की चुत दिलाई

चाचा ने माँ की चुत दिलाई

मेरा नाम संदीप है मेरी उम्र 19 साल है। मै अपनी माँ जिनकी उम्र 40 साल है उनके साथ दिल्ली शहर में रहता हूं. घर में बस मैं और मेरी माँ ही अकेले रहते है। पापा की कुछ वर्ष पहले मौत हो गयी थी।

मेरे पापा एक सरकारी कर्मचारी थे उनके देहांत के बाद उनकी पेंशन से हमारा गुजारा अच्छे से चल जाता था। मेरी माँ गृहणी है। जो अपने घर का अच्छे से ध्यान रखती थी और साथ ही मेरा भी, घर में हम सिर्फ दो लोग ही थे। जिस वजह से हम दोनों एक दूसरे के साथ फ्रेंक रहते थे। माँ बेटे के बीच की मर्यादा के हद तक कि सभी बातें शेयर करते थे।

मैंने कभी अपनी माँ से सेक्स की बातें नही की क्योंकि ये हमारे मर्यादा के बाहर की बात थी। न ही मैंने कभी उनको गंदी नज़रो से देखा था। पापा की मौत के बाद से मैं माँ के साथ ही सोता था। एक दिन मेरे चाचा जी गाँव से हमारे पास दिल्ली आए। वो बीच-बीच में हमारे पास आया करते थे।

रात को हम तीनों ने साथ खाना खाया और कुछ देर तक बातें करने के बाद मैं और माँ एक कमरे में सोने के लिए चले गए और चाचा जी हमारे बगल वाले कमरे में चले गए। लेकिन आधी रात के करीब अचानक कुछ खुसफुसाहट और साथ ही पलंग के हिलने के कारण मेरी आँख खुल गयी। तो मैंने हल्का सा आँख खोलकर माँ की तरफ देखा तो मैं आश्चर्य में पड़ गया।

मैंने देखा चाचा जी माँ के पैरों के पास बैठे हुए है। और उनदोनों में आपस मे कुछ खुसफुसाहट हो रही थी। ऐसा लग रहा था की माँ उन्हें रोक रही थी। फिर जब मैंने माँ के पैरों की तरफ अपनी नज़र घुमाई तो देखा चाचा जी माँ के पैर के निचले हिस्सों से साड़ी हटाकर उनके पाँव को सहला रहे थे। और माँ उनको मेरी तरफ इशारे करते हुए रोक रही थी।

तभी थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि चाचा जी ने माँ की साड़ी को उनके घुटनों तक उठकर ऊपर कर दिया। फिर चाचा जी माँ के पैरों के नीचे बैठ गये और उनके पैरों को पकड़कर उनके पैरों को चूमने लगे. माँ अपने पैरों को पीछे खीचना चाह रही थी, लेकिन चाचा जी ने उनको बहुत ज़ोर से पकड़ रखा था, इसलिए वो ऐसा नहीं कर पाई, अब चाचा जी ने माँ के दोनों पैरों को बारी बारी से चूमा और फिर उठकर माँ की कमर के पास जाकर बैठ गए.

मैं चुपचाप उनलोगों का सारा खेल देख रहा था। उन्हें लग रहा था कि मैं सो रहा हूँ। मैं अब तक ये समझ गया की माँ पहले भी चाचा जी से चुद चुकी है

अब चाचा जी ने माँ के पैरों को फिर जांघो को सहलाना शुरू कर दिया और फिर अचानक से माँ का पेटिकोट खींच कर निकाल फेंका. और फिर अपना हाथ बड़े प्यार से मम्मी की चूत पर फेरने लगे और धीरे धीरे अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले जाने लगे. अब उनका हाथ मम्मी की कमर तक पहुंच गया था और वह कमर पर बड़े प्यार से हाथ फेरने लगे, साथ उनकी कमर को चूमने भी लगे, उनकी नाभि को भी किस करने लगे.

मैं आंखे चुराकर ये सब देख रहा था और मजे ले रहा था। अब चाचा जी ने अपने एक हाथ को माँ की चूत के ऊपर रख दिया और दूसरे हाथ से माँ के बूब्स को पकड़कर धीरे धीरे दबाने लगे. माँ ने थोड़ा बहुत विरोध किया लेकिन फिर भी चाचा जी नहीं माने और उनके बूब्स से खेलते रहे और बाद में उनकी ब्लाउज उतार दिया और फिर उनकी ब्रा को भी उतार दिया. माँ उनको रोकती रही लेकिन फिर भी चाचा जी उनके बूब्स को अपने मुहं में भरकर चूसने लगे.

उसके बाद उन्होंने माँ को उल्टा लेटने के लिए कहा, चूंकि अब माँ भी गरम हो चुकी थी. तो उन्होंने ज्यादा विरोध नहीं किया और उल्टी लेट गयी और चाचा जी उनकी नंगी पीठ को सहलाने लगे. और कुछ देर बाद अपना हाथ बढ़ाकर उनके बूब्स को पीछे से ही मसलने लगे और अपना मुहं नीचे की तरफ ले जाकर उनकी कमर और कूल्हों पर चुम्मा देने लगे. चूंकि अब माँ पूरी तरह से नंगी हो गयी थी.

तो अब चाचा जी ने भी अपनी शॉर्ट और अंडरवियर को उतार फेंका और माँ के पैरों को फैला दिया और उनकी चूत को अपने हाथों से मसलने लगे. और अपनी उंगली उनकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगे. चाचा जी माँ की चूत में तब तक उंगली करते रहे, जब तक माँ की चूत से पानी नहीं निकाल गया. और इसके बाद चाचा जी माँ की खुली हुए जांघों के बीच में पोज़िशन बनाकर अपने लंड को उनकी चूत पर रख दिया, और अपनी कमर को हिलाकर अपने लंड को माँ की चूत के अंदर डाल दिया.

अब माँ भी अपनी कमर उचकाकर चाचा जी का लंड अपनी चूत की गहराई में लेने की कोशिश करने लगी. चाचा जी ने भी झटके मार मारकर माँ को चोदना शुरू कर दिया. मैं पास में लेटा हुआ था और ये सब देखकर मेरा लंड तनक चुका था। मेरी परवाह किये बिना चाचा जी माँ को पूरा जोर लगाकर लंबे लंबे धक्के देकर चोद रहे थे। जिस कारण पलंग ज़ोर की आवाज के साथ हिल रहा था.

इतनी जबरदस्त चुदाई से माँ भी अब बहुत गरम हो चुकी थी. तो वो सीधा लेट गई और अपने दोनों पैरों को उठाकर हाथो से पकड़ लिया जिससे उनकी चूत और भी खुल कर बाहर आ गई, जिसके बाद चाचा जी गहरे और जोरदार झटको के साथ माँ को चोदने लगे.

थोड़ी देर बाद माँ के शरीर में बेचैनी होने लगी अब उनका पानी झड़ने वाला था। वो अपने होंठो को भींच कर अपनी आवाज़ को दबाने की नाकामयाब कोशिश करने लगी. तभी चाचा जी ने मुझे जागते हुए देख लिया और चौककर बोले संदीप तुम अभी तक सोए नहीं? उनके आवाज में कपकपी थी। वो दोनों मुझे जागा हुआ देखकर डर गए थे। उनकी सारी पोल अब खुल गयी थी।

माँ चाची जी के मुँह से मेरा नाम सुनकर डर गई और तुरंत अपने आप को चद्दर से ढक लिया. मैं बोला कि अचानक से नीद खुल गई, तो उन्होंने पूछा क्यों? तो मैं भी मासूम बनने की कोशिश करते हुए बोला कि पता नही आप माँ के साथ क्या कर रहे हो?

तो चाचा जी और माँ दोनों के चेहरे का रंग उड़ गया उनके गले का थूक सुख चुका था। तो चाचा जी ने कांपते हुए स्वर में पूंछा क्यों तुमको भी करना है? माँ चाचा जी के मुँह से ऐसी बात सुनकर और भी चौंक गयी। और अपनी आँखें बड़ी बड़ी किये चाचा जी को घूरने लगी। मैंने भी दबी जबान में हाँ कर दी।

फिर चाचा जी ने धीमें से बुदबुदाते हुए माँ से कहा देखो भाभी इसने सारा कुछ देख लिया है। भलाई इसी में है कि तुम इसको भी खुश कर दो। और इसे भी अपनी चुत का स्वाद चखा दो। माँ चाचा जी की बात पर सहमत नही थी। दोनों बुदबुदाते हुए बहस करने लगे पर मैंने माँ को ये कहते हुए सुन लिया। माँ कह रही थी कि वो मेरा बेटा है उसके साथ मैं ये कैसे कर लूँ।

फिर चाचा जी ने माँ को बहुत समझाया और उसके बाद उन्होंने माँ के शरीर पर से कपड़े को खींचने लगे। माँ ने भी झिझकते हुए अपनी मुठ्ठियों को ढीला कर दिया और कपड़े को छोड़ने लगी। कुछ ही देर में माँ के शरीर के ऊपर से कपड़ा हट चुका था।

शरीर पर से कपड़ा हटते ही माँ चकित होकर चाचा जी की तरफ देखने लगी तो चाचा जी ने उन्हें मेरी तरफ देखने का इशारा किया! तो माँ ने थोड़ा चाचा जी को ग़ुस्से से देखा शायद माँ उन्हें ये जताना चाहती थी की ये सब उनकी ही वजह से ही हो रहा है। और उन्हें अपने बेटे के साथ ही अब पति पत्नी वाला संबंध बनाना पड़ेगा।

चाचा जी को गुस्से से देखती हुई माँ मेरी तरफ पलटी और अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुए मुझे अपने करीब आने का इशारा किया जैसे ही माँ मेरी तरफ पलटी तो मेरी नज़र उनकी वीर्य/धात से ढकी हुई चुत पर पड़ी उनकी चुत के ऊपर ही शायद चाचा जी ने अपना लंड का माल झाड़ दिया था।

माँ की चुत की बालों की सफाई थोड़े दिनों पहले ही हुई थी क्योंकि उनकी चुत पर छोटे-छोटे पर घने बाल थे जो कि पूरी तरह चाचा जी के वीर्य से सने हुए थे। माँ की चुत को देखते-देखते मेरा लंड फिर से टाइट हो गया। फिर मैंने अपनी माँ की ओर देखा जो अपने हाथों को खोले मुझें अपने पास बुला रही थी।

मैं तुरंत ही उनके पास जाकर उनके सीने से लिपट गया माँ ने भी मुझे अपनी बांहों के घेरे में भर लिया। थोड़ी देर उनके सीने की गर्माहट लेकर मैंने अपना मुँह थोड़ा नीचे किया और माँ के एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में भरकर उनकी चूची चूसने लगा। माँ अब मेरे साथ थोड़ी कंफर्टेबल होने लगी। माँ आराम से मुझे अपनी चुचियों को चूसने दे रही थी।

मैं अब गरम हो चुका था मैं अपनी माँ के सीने पर गरम-गरम साँसे छोड़ता हुआ उनकी चुचियों को चूसे जा रहा था। माँ भी अपने हाथों से मेरा सर दबाकर अपनी चुचियों पर दाब रही थी। मैं अपनी माँ के गोरे-गोरे चुचियों के काले निप्पलों को किसी बछड़े की तरह अपने मुँह में भरकर चूस रहा था।

मैं अब उतेजना में चूर हो चुका था मुझसे रुका नही गया और मैंने माँ की चुचियों को चूसते-चूसते ही अपना 7″ इंच के कड़क लंड को अपनी पैंट से बाहर निकल लिया, जिसे मैंने तुरंत अपनी माँ के चूत से सटा दिया. मेरा लंड जैसे ही चूत से सटा तो मैंने माँ के मुँह से आवाज सुनी ( ” जाओ यहाँ से माँ शायद चाचा जी को जाने को कह रही थी। जिसके बाद चाचा जी वहां से चले गये”)

मैं गहरी-गहरी सांसें अपनी माँ के सीने पर छोडता हुआ उनकी दोनों चुचियों को बारी बारी से अपने हाथ से मसलते हुए उनको चूस रहा था। और दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़कर माँ की चुत और चुत के चारों ओर रगड़ रहा था। जिस वजह से माँ भी बहुत गरम हो चुकी थी और वो भी लंबी लंबी गरम साँसे छोड़ रही थी।

माँ की चुत तो पहले से ही गीली थी पर अब मेरे लंड रगड़ने के कारण फिर से पानी पानी हो गयी थी। मैं बौखलाहट में माँ की चुत पर अपना लंड रगड़े जा रहा था। माँ की चुत पर उगी छोटी छोटी झांट मेरे लंड में चुभ रही थी। जिससे मुझे भी मज़ा आ रहा था। कुछ देर मैंने माँ की चुचियों को चूसते हुए ही उनकी चुत पर अपना लंड रगड़ता रहा।

फिर अचानक माँ ने अपनी एक टांग को उठाया और मेरी कमर पर रख दिया जिससे उनकी चुत के पास धक्के मारने और लंड को उनकी रसीली चुत में पेलने लायक जगह बन गयी। मैं भी समझ गया कि अब मेरी माँ को मेरा लंड अपनी चुत में लेना है। तो मैं धीरे से अपना लंड माँ की चुत के ऊपर से रगड़ते हुए नीचे उनकी चुत की छेद तक ले आया।

जैसे ही मेरा लंड माँ की चुत की छेद पर टच हुआ मैंने अपनी कमर उचकाकर एक धीमा धक्का मारा जिससे मेरा थोड़ा सा लंड माँ की चुत को भेदता हुआ अंदर घुस गया। माँ की चुत में लंड घुसते ही मुझमे एक अजीब सा सुकून महसूस होने लगा। फिर जब मैंने अपनी माँ की तरफ देखा तो वो अपनी आँखें बंद किये अपने दांतों से अपने होठों को दबाकर मेरे लंड को फील कर रही थी।

माँ को भी मेरे लंड का काफी देर से इंतजार था अब मेरा लंड उनकी चुत के दरवाज़े को खोल चुका था। फिर मैंने अपने लंड की और देखते हुए और माँ की कमर को अपने दोनों बांहों में कसते हुए एक और धक्का मारा जिससे मेरा लंड माँ की चुत में आधा अंदर घुस गया। माँ के मुँह से थोड़ी से कराह निकली आ..अ… ह… पर उन्होंने मुझसे कुछ कहा नही।

माँ ने जिस टांग को मेरी कमर पर चढ़ाया था मैंने उनकी उस टांग को मेरी कमर पर ठीक से और चढ़ा लिया जिससे उनकी चुत मेरे लंड के और करीब आ गयी। फिर मैंने एक कसकर लंड का धक्का उनकी चुत में लगाया जिससे मेरा पूरा लंड माँ की चुत में घुस गया। मैं उसी पोजीशन में धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके माँ की चुत में धक्का मारने लगा।

माँ भी मुझे अपनी बांहों में कसकर मुझें अपने सीने और पेट पर दबाने लगी। मैं उनकी चुत में धक्के मारता रहा चुदाई के जोश में मुझे पता ही नही चला कि मैं कब माँ की चुत में ही झड़ गया। लेकिन नई-नई जवानी के जोश और माँ की चुत की गरमी ने मेरे लंड को नरम नही होने दिया। झड़ने के बाद भी मैं माँ की चुत में अपने लंड से धक्के पे धक्के पेलता रहा।

मेरा सारा वीर्य माँ की चुत में ही निकल गया था। मेरे वीर्य से माँ की चुत भारी हुई थी जिस वजह से मैं जब भी लंड से धक्के देकर लंड को उनकी चुत के अंदर बाहर कर रहा था। तो चुदाई के साथ साथ चपड़. चपड़.. चप.. फच्च..फच्च की मधुर आवाजें निकल रही थी।

मैं काफी देर से माँ की चुत को चोद रहा था। पर मेरी गरमी सांत नही हो रही थी मैं झड़ के भी माँ की चुत को चोदना नही छोड़ रहा था। अब मेरी कमर में भी दर्द शुरू हो चुका था। तभी मेरी माँ अपनी एक जांघ से मेरी कमर को दबा लिया और मुझे अपनी बांहों में लपेटती हुई मुझें पीठ के बल पलटती हुई मुझपर चढ़ गई।

अब माँ मेरे ऊपर चढ़ चुकी थी और उनकी भारी भरखम चुचियाँ लटककर मेरे सीने पर झूलने लगी थी। मैं उनकी चुचियों का वो अवतार और आकार देखकर अपने आप को संभाल नही पाया और मैंने उनकी दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी दोनों चुचियों को अपने पंजो से मसलने लगा।

मैं माँ की चुचियों को मसलते हुए एक एक करके चूसने लगा। माँ मेरे शरीर पर घोड़ी बन चढ़ी हुई थी फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरे लंड के ऊपर ले जाकर लंड को पकड़ा और मेरे लंड को अपनी चुत में फसाया और धीरे धीरे करके मेरे लंड के ऊपर बैठने लगी। और मेरा पूरा लंड अपनी चुत के अंदर ले लिया। फिर माँ मेरे लंड पर बैठकर ऊपर नीचे उछलने लगी और मेरे लंड से अपनी चुत ठुकवाने लगी।

माँ को चुदाई का कई सालों का एक्सपेरिंस था जिसका जादू मुझें साफ साफ महसूस हो रहा था। माँ उछल उछलकर मेरा लंड अपनी चुत में ले रही थी जिससे मेरी सालों की प्यास बुझ रही थी। माँ ज़ोर ज़ोर के धक्के मारती हुए मेरे लंड को अपनी चुत से अच्छे से निचोड़ रही थी। मैं मदहोशी में अपनी टाँगे फैलाये माँ की चुत को चोदने का आनंद ले रहा था।

माँ अभी भी कूद कूदकर मेरे लंड को अपनी चुत के अंदर बाहर कर रही थी माँ को मेरे ऊपर चढ़े करीब 20 मिनट हो चुके थे 20 मिनट से माँ लगातार मेरी लंड पर उछल रही थी।तभी अचानक मेरे मुँह से एक अजीब सी कराह निकली और मैंने पलंग पर बिछी चादर को अपनी दोनों मुठियो में जकड़ लिया। और अपने लंड से वीर्य की फुहार मारता हुआ मैं माँ की चुत में ही झड़ गया।

माँ भी अब थक चुकी थी जैसे ही मैं झड़ा माँ मेरे लंड को अपनी चुत से बाहर निकाल कर मेरे ऊपर से हट गई और मेरे बगल में निढाल होकर लेट गयी। मैं भी माँ के चुदाई के सालों के एक्सपेरिंस के कारण संतुष्ट हो चुका था। शायद माँ मुझे संतुष्ट करने का तरीका जानती थी।

मैं आज करीब 3 बार तक झड़ चुका था। 2 बार तो मैं माँ को चोदते चोदते झड़ा पर मैं उस वक़्त संतुष्ट नही हुआ और न ही मेरा लंड नरम पड़ा था। पर जब माँ ने मेरे लंड पर उछल उछल अपने हिसाब से मेरे लंड की चुदाई और उस बारी जो मेरा माल निकलवाया उसके बाद मैं सांत हो गया और मेरा लंड भी नरम पड़ गया।

पता ही नही चला कि माँ के बारे में सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी करीब सुबह के 6 बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा माँ अभी भी पूरी नंगी मेरे बगल में लेटी हुई थी। फिर मुझें थोड़ी शरारत सूझी मैंने थोड़ा लाड़ दिखाते हुए माँ को पीठ के बल पलटा और उनके ऊपर चढ़ गया। एक दो बार तो मैंने उनके होठो और फिर उनकी चुचियों को किश किया। अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था।

तो फिर मैंने उनके आपस में चिपके दोनों जांघो के बीच अपना लंड घुसकर सीधा उनकी चुत से सटा दिया। इतने में ही माँ के मुँह से धीमी सी आवाज आई ” इस बार मेरी चुत में मत गिरना ” उनकी आवाज सुनकर मैंने उनकी ओर देखा तो उनकी आँखें अभी भी बंद थी। पर मुझे तो चुदाई करने की इजाजत मिल गयी थी।

तो मैंने उनकी दोनों चिपकी हुई जांघो के बीच अपने लंड को और दबाया जिससे मेरा लंड उनकी चुत की छेद तक पहुंच गया। फिर मैंने अपने लंड पर दबाव डाला जिससे मेरा लंड उनकी जांघो के बीच अपनी जगह बनाता हुआ सीधा उनकी चुत में घुस गया। मैं माँ के ऊपर समानांतर होकर लेट गया और फिर अपनी कमर को ऊपर नीचे करके मैं माँ की चुत में अपने लंड की बौछार करने लगा।

मेरे धक्कों से माँ का पूरा शरीर हिल रहा था। उनकी चुचियों किसी गेंद की तरह ऊपर नीचे उछल रही और मेरी जांघो की उनकी जांघो पर टकराने की आवाज़ ठाप..ठाप….ठप.. ठप…. हमारे पूरे कमरे में गूंज रही थी। करीब 15 मिनट माँ की चुत चोदने के बाद मैं झड़ने को आ गया और अपना लंड उनकी चुत से बाहर निकाल कर अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा। 4 से 5 बार अपने लंड की मुट्ठ मारने के बाद मेरे लंड से तेज़ी से वीर्य की फुव्हार निकली जो सीधे उड़ती हुई माँ की चुचियों और उनकी चुत के ऊपरी भाग तक सीधी रेखा में फैला गई।

उसके बाद मैं उठकर नंगा बॉथरूम में फ्रेश होने चला गया माँ अभी भी आँखे बंद किये हुए बिस्तर पर पड़ी रही।
तो दोस्तों कैसी लगी आप सब को मेरी और माँ, चाचा जी की चुदाई की कहानी उम्मीद है आप सब को पसंद आई हो कृपया , comment करके अपना विचार बताए।

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