दोस्त की माँ की बूर की खुजली मिटाई

दोस्त की माँ की बूर की खुजली मिटाई

दोस्तों आज मैं अपनी सच्ची घटना या आप सब के लिए कहानी कह लो। जो बताने जा रहा हूँ। आज से कुछ 6 महीने पहली बार घटी थी। लेकिन वो सिलसिला अब भी जारी है।

आगे कहानी में बताता हूँ। कि कैसे मुझे मेरे साथ कंपनी में काम करने वाले दोस्त की कामुक माँ की चुत की चुदाई करने का मौका मिला।

दोस्त की माँ की बूर की खुजली मिटाई

हैल्लो दोस्तों मैं संजीव आज मैं आप सब को एक ऐसी कहानी बताने जा रहा हूँ। जिसे पढ़ते पढ़ते आप लोगो का पानी निकल आएगा। मैं एक कम पढ़ा लिखा लड़का हूँ। वैसे तो मैं बिहार का रहने वाला हूँ। लेकिन अभी एक ओडिसा की कंपनी में वेल्डर का काम करता हूँ।

मेरी उम्र 27 साल है अभी तक कुँवारा हूँ। देखने मे लंबा चौड़ा हट्टा कट्टा दिखता हूँ। दिन भर लोहे लकड़ का काम है इसलिए थोड़ी बॉडी बन गयी है।

मुझे मेरी कंपनी ने मुझे रहने के लिए एक कमरा दिया था। वैसे मैं जिस घर में रहता था। वहाँ तो कई कमरे थे लेकिन उन कमरों में भी मेरी ही कंपनी में काम करने वाले लोग रहते थे। सब वहाँ दूसरे शहर से आकर काम करते थे। उस घर में कुल 4 कमरे थे।

जिसमे से 3 कमरों में सिर्फ मर्द ही थे सिर्फ एक कमरा था जिसमें जो मेरे कमरे के ठीक सामने था। उसमे एक माँ बेटा रहते थे। जो बंगाल से आये थे और बंगाली थे। उसका बेटा नवीन हमारी ही कंपनी में काम कर रहा था।

उस पूरे घर मे सिर्फ एक औरत थी। कुछ दिन बाद काम पर ही नवीन से मेरी बात होने लगी। और कुछ ही दिनों में हमारी दोस्ती हो गयी। अब हम एक दूसरे के कमरे में आने जाने लगे। इसी बीच उसकी माँ भी मुझसे घुल मिल गयी।

उसकी माँ का नाम रमा है। देखकर तो कोई कह ही नही सकता था कि वो 50 साल की है। गोरी चिट्टी सुडौल शरीर और काफी हँसमुख किस्म की मस्त माल औरत थी। वो घर में हमेशा ढीली ढाली नाइटी पहने रहती थी।

जिससे मुझे कभी कभी उनकी चुचियों की घाटियों के साफ दर्शन हो जाते थे। कई बार तो वो जब झुककर अपने कमरे में पोंछा लगाती तो उनकी चुचियाँ उनके ढीले नाइटी के गले से बाहर निकल जाती थी।

जिससे मुझे कई बार तो उनके निप्पलों के भी दर्शन हो जाते। लेकिन मैंने कभी उनके बारे में गलत नही सोचा था। मैं ये सब देखकर भी नज़र अंदाज़ कर देता था।

मेरे और नवीन की शिफ्ट एक साथ चला करती थी। हर हफ्ते हमारी शिफ्ट चेंज होती थी। लेकिन हमारी साइट अलग होने की वजह से मैं और नवीन बिछड़ गए। और हमारी शिफ्ट भी अलग अलग चलने लगी जब मेरी नाईट ड्यूटी होती तो नवीन की दिन में और जब मेरी दिन में होती तो नवीन की नाईट।

एक दी जब मैं सुबह नाईट डयूटी से लौट तो देखा नवीन डयूटी के लिए निकल रहा था। उसकी माँ दरवाज़े पर खड़ी थी। हमारे बीच हालचाल हुई और मैं अपने कमरे में गया और कपड़े खोलकर नहाने के लिए बॉथरूम चला गया।

जब मैं नहाकर अपने कमरे में बैठा था। तो नवीन की माँ ने मुझे चाय पीने के लिए बुलाया मैं भी उनके कमरे में चला गया। उन्होंने मुझे चाय दी मैं वही बैठकर चाय पीने लगा। वो मुझे चाय देकर कमरे में पोंछा लगाने लगी। इस बार भी मुझे उनकी नाइटी के गले से उनकी झूलती चुचियाँ और काले निप्पल साफ दिख रहे थे।

फिर भी मेरे मन में उनके लिए कोई गंदी सोंच नही थी। हर बार की तरह इसबार भी मैंने नज़र अंदाज़ किया। और जल्दी से चाय पीने लगा। वो अब कमरे के दरवाज़े की तरफ झुककर पोंछा लगा रही थी। उनका चेहरा अंदर की तरफ था और गांड बाहर की तरफ मैंने जल्दी से चाय खत्म की और कप रखकर कमरे से निकलने लगा।

जैसे ही मैं कमरे के दरवाज़े की तरफ बढ़ा पानी की वजह से मेरा पैर फिसल गया। मैंने आपने आप को संभालने की कोशिश की और खुद को संभालने के चक्कर में मेरा हाथ रमा आंटी की गांड पर पड़ गया।

मैंने रमा आंटी की गांड को अपनी उंगलियों से ऐसे जकड़ा की मेरी एक उँगली नाइटी सहित उनकी बूर में घुस गई। फिर भी मैं अपने आप को संभाल नही पाया और नीचे गिर पड़ा आंटी भी मुँह के बल मेरे बगल में गिर पड़ी।

मैं समझ गया कि मेरी उँगली कहा घुसी थी। झट से मैंने अपने हाथ घीचे और देखा कि मेरी उँगली पर पानी जैसा कुछ लगा है। रमा आंटी ने भी मेरी गीली उँगली देख ली।
और एक अजीब सी मुस्कुराहट के साथ उठकर खड़ी हो गयी।

वो शर्माती हुई मुझे देख रही थी। जब मैं उठकर जाने लगा तो वो आहिस्ते से बोली इतनी जल्दी क्या है? आती हूँ थोड़ी देर में।

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। मैं अपने कमरे में आकर इसी उधेड़बुन में लगा था। कि आंटी ने ऐसा क्यों कहा?

आधे घंटे बाद रमा आंटी मेरे कमरे में आई और तुरंत एक कोने में खड़ी हो गयी। और मुझे भी इशारो में बुलाने लगी।

मैं भी उनके पास जाकर खड़ा हो गया। मैंने पूछा- क्या बात है आंटी?

तो वो गहरी साँसे छोड़ती हुई खामोश रही फिर उन्होंने कहा कि कैसे लगा! मैंने कहा क्या?

तो उन्होंने कहा जहां तुम्हारी उँगली गयी थी वो जगह देखना चाहोगे?

मैं बेसब्द सन्न होकर खड़ा था। वो काँपती आवाज में फिर से बोलने लगी। वो थोड़ी घबराहट और जल्दीबाजी वाले अंदाज में फिर बोली देखनी है वो जगह? ऐसा लग रहा था कि मानो वो कामवासना की आग में जल रही हो। मैं आबक रह गया था। मेरे मुँह से कुछ नही निकल रहा था। मानो मेरी जुबान और शरीर बर्फ से जम गए हो

फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी नाइटी के नीचे से मेरा हाथ अपनी बूर से सटा दिया। 1 इंच दूर से ही मुझे उनकी गरम बूर का एहसास होने लगा था। जैसे ही मेरे हाथ ने उनकी बूर को छुआ मेरे अंदर बिजली सी दौड़ने लगी।

आधे मिनट तक तो मैंने उनके नाभि के नीचे ही अपने हाथ को रोके रखा हिम्मत ही नही हो रही थी। कि मैं उनकी बूर को छू लूँ। एक अजीब सी स्थिति बन चुकी थी।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ रखा था और अपने बूर की ओर धकेल रही थी। फिर मैंने भी अपने हाथ को नीचे सरकाया और अपनी एक उँगली को उनकी बूर के दो धारियों के बीच घुसा दिया।

फिर मैं बारी बारी से उनके बूर के दोनों पट्टो को हिलोड़ने लगा। मुझे भी मज़ा आने लगा। रमा आंटी के मुँह से ईसीसी….उ..अह… की सीत्कारे निकलने लगी।

फिर उन्होंने मेरे कान में कहा अब अपना नही दिखाओगे। मैंने कुछ नही कहा चुपचाप खड़ा रहा फिर वो अपने आप ही नीचे बैठने लगी और मेरी पैंट नीचे खींचने लगी।

उनकी अब तक कि करामात से मेरा लंड कड़क हो चुका था। जैसे ही मेरा लंड मेरी पैंट से निकला आंटी की आँखे फटी रह गयी। वो धीरे से बोली बाप….रे.. इतना बड़ा और मोटा मैंने कभी नही देखा।

मैं भी अपने लंड की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था। फिर उन्होंने मेरे लंड को हिला डुलाकर देखा और लंड पर एक पप्पी दी और हस्तमैथून करने लगी।

मेरा लंड उनके हाथ के स्पर्श से कड़क सरिये जैसा टाइट हो गया। फिर उन्होंने अपनी नाइटी को अपने कंधों से निकाला और नाइटी को अपनी बड़ी बड़ी चुचियों के नीचे तक सरका दिया अब ऊपर से वो पूरी नंगी हो चुकी थी।

मुझे उनकी नंगी चुचियाँ साफ दिख रही थी। वो मेरे लंड का हस्तमैथून करते हुए अपनी चुचियों को मसलकर मुझे दिखा रही थी। मैं उनकी नंगी चुचियों को देख काबू से बाहर हो रहा था।

फिर वो घुटनों के बल खड़ी हो गयी और अपनी चुचियों के बीच मेरा लंड फंसा दिया। फिर उन्होंने अपनी चुचियों के बीच और मेरे लंड पर ढेर सा थूक उगल दिया और मुझे धक्के मारने को कहा।

मैंने भी उनके कंधो को पकड़ा और उनकी चुचियों के बीच अपने लंड के धक्के मारकर उनकी चुचियों को चोदने लगा। कुछ ही मिनटों में मैं झड़ने को आ गया। मैंने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी और तेज़ी से उनकी चुचियों के बीच अपना लंड रगड़ने लगा।

करीब 5-6 तेज़ धक्कों के बाद मेरे लंड से गरम वीर्य की पिचकारी निकली जो उड़कर सीधे उनके मुँह पर लगी और कुछ माल (वीर्य) उनकी चुचियों पर फैल गया।

उसके बाद मेरे लंड पर बचा खुचा वीर्य आंटी ने चाटकर साफ कर दिया। उसके बाद वो उठकर खड़ी हुई उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और आहिस्ते से मेरे कान में बोली! बगल वालों को काम पर जाने दो उसके बाद आती हूँ। मेरे लंड को पकड़ती हुई बोली आज तुम्हारे इस मोटे घोड़े से खेलना है।

आंटी जा चुकी थी। मैं अपने चमकते हुए लंड को देखकर अंदर ही अंदर खुश और थोड़ा आश्चर्य में था। मैं जानता था कि वो फिर से आने वाली थी और अब की बार मुझे उनकी बूर चोदने को मिलेगी। इसबार तो मैं उनके सामने ज़्यादा खुला नही था।

अब मैं बेचैनी में आंटी की राह देखने लगा। मानो हर मिनट मेरे लिए घंटे जैसा बीत राह था। इसबार मैंने जमीन पर गद्दा बिछाकर बिस्तर तैयार कर लिया था। ताकि मैं आंटी को गढ्ढे पर लिटाकर उनकी चुदाई अच्छे से कर सकूं!

मैं इतना उत्साहित था कि मैंने पहले से ही अपनी फूल पैंट और चड्डी निकाल दी थी और सिर्फ एक पतली सी हाफ पैंट पहन ली मैं कपड़े उतारने में ज़्यादा वक़्त नही गवाना चाहता था।

करीब एक घंटे बाद मेरे दरवाज़े पर हल्की सी दस्तक हुई मैं समझ गया कि वो आंटी ही थी। मैंने दरवाज़ा खोला और आंटी अंदर आ गयी फिर मैंने अंदर से दरवाज़े को बंद कर लिया।

मैंने तुरंत अपने हाथ आंटी के चुचियों पर रख दिये और उन्हें धकेलता हुआ दीवार से चिपका दिया और तुरंत ही उनकी नाइटी को नीचे से उठाकर उनके पेट तक चढ़ा दिया।

एक दम गोरी चिट्टी माल थी। नाइटी ऊपर करते ही मुझे उनके पेट के नीचे की छोटी छोटी काली झांट और उनकी बूर की धारी दिखने लगी। पहली बार मुझे उनकी बूर के दर्शन हुए थे। मैं काबू से बाहर होने लगा मैंने तुरंत अपनी पैंट निकाली और नंगा होकर उनके सामने खड़ा हो गया

आंटी अभी भी दीवार से चिपके खड़ी थी, मेरा लंड तो पहले से ही टाइट था। आंटी की बूर दिखने के बाद मेरे लंड में और सख्ती आ गयी मैंने तुरंत अपना लंड आंटी की झांटो पर रगड़ने लगा। आंटी मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी।

जब मेरे लंड के सुपड़े पर उनकी झांट के बाल गड़ने लगे तो मुझमें एक अजीब सा नशा चढ़ने लगा। फिर मैंने अपने लंड को अपनी मुट्ठी में कसा और खड़े खड़े ही अपने लंड को आंटी के बूर के नीचे और उनकी दोनों जांघो के बीच दबाने लगा।

मेरा लंड उनकी दोनों जांघो के बीच से उनकी बूर की दोनों धारियों को फैलता हुआ पीछे उनकी गांड के नीचे से निकल गया। अब मैंने आंटी की नाइटी निकाल कर फेंक दी उन्हें भी नंगा कर दिया और उनकी दोनों चुचियों को अपने हाथ से उठाकर बारी बारी अपने मुँह में लेकर चूसते हुए उनकी जांघो के बीच मे लंड के धक्के पेलने लगा।

जब मैं लंड आगे पीछे करके धक्का मारता तो मेरा लंड बार बार उनकी बूर की धारियों के बीच रगड़ता हुआ उनकी बूर के पानी से गिला हो रहा था। उनके बूर से निकलते हुए पानी को देखकर मैं समझ गया कि आंटी अब गरम हो चुकी है। और अब उनके चेहरे के हावभाव भी बदल चुके थे।

मैं उनकी बड़ी चुचियों को काफी देर से पी रहा था। फिर आंटी ने अचानक से अपने दोनों पैर फैला दिए और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसपर थूक लगाने लगी। मैंने पूछा थूक क्यों लगा रही हो ये तो पहले से ही चिकना है तो आंटी ने कहा कि तुम्हारा लौड़ा मेरी बूर के हिसाब से ज्यादा मोटा है। इसलिए थूक लगा रही हूँ ताकि मुझे दर्द भी कम हो और आराम से ये अंदर भी चला जाये।

फिर मैंने मजाक में कहा आप कुँवारी थोड़े ही हो आपकी बूर तो फैली हुई ही होगी। तो उन्होंने कहा नही मैंने सालों से सेक्स नही किया है इसलिए मेरी बूर में सिकुड़न आ गयी है मेरी दो उँगली ही आराम से जाती है।

फिर उन्होंने मेरे लंड पर अच्छे से थूक चपोत दिया और अपनी टाँगे फैलाकर मेरा लंड अपनी बूर की छेद पर अटका दिया। फिर आंटी ने कहा थोड़ा आराम आराम से घुसाना मैंने भी हाँ कहा!

फिर मैंने अपने दोनों हाथ आंटी के दोनों चूतड़ों पर रखे आंटी ने भी अपने दोनों हाथ मेरी चूतड़ों पर रखें। अब चोदन की बारी आ चुकी थी तो मैंने हल्के से अपनी कमर उछाल दी और मेरा लंड थोड़ा सा आंटी की बूर में समा गया आंटी की चींख निकल गयी आ…औह….उम्मह…आह..

मुझे भी ऐसा लगा कि मैंने छोटी सी जगह में अपना मोटा लंड डाल दिया था। आंटी की बूर मेरे लंड पर कसाव बना रही थी और मेरा लंड भी टेड़ा हो गया था। तो मैंने अपना लंड आंटी की बूर से निकाला और ठीक से मैंने अपना सूपड़ा उनकी बूर में घुसा दिया।

अपना लंड सीधा रखते हुए मैंने अचानक से ज़ोरदार कमर ऊपर उछाल दी जिससे मेरा पूरा लंड आंटी की बूर में समा गया। आंटी आ..ह..अऊ… औ…मम… करती हुई तड़पने लगी मैंने एकदम से अचानक धक्का पेल दिया था। जिसके लिए वो तैयार नही थी। उन्हें इतना तेज का झटका लगा कि उन्होंने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को कसकर जकड़ लिए

आह…..आ….धीर र र रे…से करते यार र दर्द हो रहा है। मैं खड़े-खड़े उनके गालों पर किश करते हुए उन्हें नॉर्मल कर रहा था। जब उनका दर्द कम हुआ तो मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर उछालनी शुरू की और अपने लंड को उनकी टाइट बूर में डालने लगा।

अब मैं उन्हें उनके होठों पर किश करने लगा वो भी मेरा साथ देने लगी नीचे मैं अपनी कमर उछाल कर उनकी बूर चोद रहा था। ऊपर वो अपनी चुचियों को मेरे हाथों से मसलवाते हुए मुझे किश कर रही थी।

बीच – बीच मे आंटी अपनी चुचियों के निप्पलों को मेरे निप्पलों पर रगड़ती जिससे मुझे अजीब सा करंट लगता और मैं और तेज़ धक्कों के साथ उनकी बूर चोदता वो अब झड़ चुकी थी लेकिन मैं अभी भी तेजी में था और धक्के पे धक्का मारे जा रहा था। उनकी बूर का पानी लगातार बूर में लंड जाने से मट्ठे की छाली की तरह दानेदार होकर पूरा मेरे लंड और उनकी बूर पर लग चुका था।

मैं करीब आधे घंटे से खड़े-खड़े आंटी की बूर को चोद रहा था। मेरी टाँगों में दर्द होने लगा था। लेकिन मेरा लंड झड़ने को तैयार नही था। तो मैंने ये बात आंटी को बताई तो उन्होंने कहा अभी झाड़ती हूँ। तुम्हारे लंड का पानी… मैं पूछने ही वाला था। की वो मेरी निप्पलों को अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगी।

मुझे बहुत मज़ा आने लगा अब मुझे लगने लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। तो मैंने कस कस के दो चार धकके उनकी बूर में लगाये और मैं उनकी बूर में ही झड़ गया।

उसके बाद हम दोनों बिस्तर पर आकर लेट गए। उसके बाद मैं उनको किश करने लगा और उनकी चुचियाँ दबा कर मज़े लेने लगा। उसके बाद फिर से आंटी ने मेरा लंड पकड़ लिया। और मुझे चुपचाप लेटने को कहा वो मेरे लंड की मुट्ठ मारने लगी और चूसकर मेरे मोटे लौड़े को तैयार करने लगी।

कुछ ही देर में उन्होंने मेरे लंड को फिर सख्त कर दिया और मेरे लंड को पकड़कर अपनी बूर की छेद पर लगाकर मेरे लंड पर बैठ गयी। आंटी अपनी गांड उछाल-उछाल कर अपनी बूर को मेरे लंड से चुदवाने लगी।

फिर आंटी मेरे ऊपर चढ़कर लेट गयी और अपनी चुचियों को मेरे सीने पर दबाती हुई मेरे होठों को किश करने लगी। और अपनी कमर को उछाल कर अपनी बूर में मेरा लंड भी खा रही थी। इतने में ही उनकी बूर मेरे लंड को अंदर ही जकड़ने खींचने लगी मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है। उसके बाद ही उनकी बूर का पानी मेरे लंड से होता हुआ मेरे आनडूऔ पर बहने लगा।

मैं भी अब झड़ने वाला ही था तो मैंने तुरंत आंटी को पलटकर अपने नीचे कर दिया और उनकी दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रखकर उनकी बूर में तेज़ तेज़ धक्का मारने लगा। कुछ 7-8 धक्कों में ही मेरे लंड का पानी आंटी की बूर में ही निकल गया।

फिर मैं उनपर लेट गया और मैंने उनसे कहा कि आंटी आज भी आपकी बूर एकदम कसी हुई किसी जवान औरत की तरह है। तो उन्होंने कहा ऐसा नही है। मेरी बूर सेक्स न करने की वजह से सिकुड़ गयी है। लेकिन तुम अगर अपने मोटे लंड से मेरी बूर 10 दिन चोद दोगे तो ये ढीली हो जाएगी।

मैंने कहा आंटी अब आपकी बूर को आराम नही मिलेगा मैं कई सालों की आपकी चुदाई की प्यास मिटाऊंगा। बस आप मेरे लंड का ख्याल रखना और मैं आपकी चुत का …

आंटी और मैं बातें करने लगे ढेर सारी बातें हुईं काफी देर तक हम नंगे साथ लेटे रहे फिर आंटी पेट के बल लेट गयी तो मेरी नज़र उनकी बड़ी सी मांसल गांड पर गयी। मेरा मन लालची होने लगा क्योंकि मैंने पहले कभी किसी औरत की गांड नही मारी थी।

तो मैं चुप से उनकी मांसल गांड के बगल में बैठ गया वो अभी भी पेट के बल लेटकर आराम कर रही थी। तो मैंने अपनी एक उँगली पर थूक लगाया और उँगली को सीधा उनकी गांड की छेद पर लगा दिया।

जब मैंने उँगली को आंटी की गांड में धकेला तो आंटी चिहुँक कर उठी और अपनी गांड पीछे सरकाती हुई भागने लगी। मैंने कहा क्या हुआ तो आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा नही यहाँ नही तुम जितनी मर्ज़ी चाहो मेरी बूर चोद लो लेकिन गांड में नही।

मैंने कहा आंटी बहुत मज़ा आता है। तो उन्होंने कहा मुझे नही करवाना गांड में तुमसे अभी भी कहती हूँ। जितनी बार चाहो मेरी बूर में कर लो कभी मना नही करूँगी।

मैंने अपने पति को भी कभी नही छूने दिया अपनी गांड को एक बार उन्होंने जबरदस्ती मारी थी मेरी गांड बहुत दर्द हुआ था। दो दिन तक मैं ठीक से चल नही पाई थी। उसके बाद से मैंने अपने पति को भी अपनी गांड चोदने नही दी।

तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा देख लेना आंटी मैं एक दिन आपकी गांड मार ही दूंगा देख लेना। आंटी ने भी मुस्कुराते हुए कहा ठीक है देखती हूँ। तुम मेरी गांड कैसे मारते हो। उस दिन के बाद हर रोज़ मैं उनकी चुदाई करता रहता हूँ। लेकिन मेरी तमन्ना है कि मैं उनके गांड को अपने मोटे लौड़े से चोदू।

तो दोस्तों अगर मैं आंटी की गांड मार पाया तो आप लोगों को अगली कहानी में जरूर बताऊँगा। उम्मीद है ये कहानी आप लोगों को पसंद आई होगी।

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