काली अफ़्रीकन औरत की चुदाई।

ये बात कुछ महीने पहले की है। मुझे लगा कि मुझे इसे आप लोगों से शेयर करनी चाहिए। मेरे साथ हुआ ऐसा की एक रात मुझे अपने प्रोफेसर का फ़ोन आया उन्होंने कहा हम दोनों अफ्रीका जा रहे है।

प्रोफेसर ने बताया कि हमे वहाँ के जंगल में रहने वाले लोगों के बारे में एक शार्ट डॉक्यूमेंट्री बनानी है। उनके वहाँ रहने के तौर तरीकों के बारे में जानने के लिए हमें वहाँ जाना होगा। मैंने अपना सामान पैक किया और अगले दिन हम लोग वहाँ जाने के लिए निकल गए।

मेरा नाम अभिनाश है। मैं इकोनॉमिक्स का स्टूडेंट हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। हम प्लेन में बैठ गए। तभी प्रोफेसर ने मुझे वहाँ के लोगों के बारे में बताया कि कैसे वो सभी सुख सुविधाओं से अलग थलग बस जंगल के सहारे अपना जीवन बिताते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि वहाँ की औरतों और मर्द ज्यादा कपडे नही पहनते।

चाहे वो मर्द हो या औरतें उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा नंगा ही होता है। मुझे भी उनकी बातें सुनकर वहाँ के लोगों के बारे में जानने की लालसा बढ़ने लगी साथ ही दूसरे देश और नये लोंगो से मिलने की उत्सुकता तो थी ही।

अगले दिन हम अफ्रीका पहुँच गए। अभी भी हमें वहाँ के जंगल तक पहुंचने के लिए काफी देर का सफ़र करना था। वहाँ मेरे प्रोफेसर के पहचान के एक आदमी हमारा एयरपोर्ट के बाहर हमारा इंतज़ार कर रहे थे। हम उनके साथ जंगल के लिए निकल गए।

2 घंटो में हम जंगल के बस्ती में पहुँच गए। वहाँ बहुत सारी छोटी झोपड़ी थी। जिसमे वहाँ के लोग रहते थे। वहाँ का नज़ारा ठीक वैसा ही था। जैसा प्रोफेसर ने बताया था। वहाँ के लोग आधे नंगे ही इधर उधर घूम रहे थे।

वहाँ के मर्द बस अपने लंड को ढकने के लिए कपड़े की लंगोट पहने हुए थे। जो सही से उनके लंड को ढक भी नही रही थी। और औरतों की चुचियाँ तो बिल्कुल नंगी थी। वो हमलोगों को बड़े गौर से देख रही थीं। मानो इंसान देखा ही न हो और आपस में हँस कर बातें कर रही थी।

वहाँ औरतों की चूत पर एक कपड़े की पतली सी डोरी जैसी उनके चुत पर से होती हुई उनके बड़े बड़े गाँड़ के दरारों से होती हुई उनके कमर पर बंधी हुई थी। जिससे उनकी चुत की घुंघराली झाँटे बाहर दिखाई दे रहीं थी। उनकी वो काली चुत और उनके बड़ी-बड़ी काली चुचियाँ और उनकी मटकती गोल गाँड़ देख मेरा लंड खड़ा हो चुका था।

मेरे चारों तरफ मस्त मस्त मटकती चुत को देख कर मेरा लंड काबू से बाहर होने लगा। तभी प्रोफेसर के पहचान का जो आदमी था। वो काबिले के सरदार के साथ बात करते हुए झोपड़ी से बाहर आया। उनदोनों की बातें तो समझ नही आ रही थीं। पर वो हमारे बारे में ही बात कर रहा था।

तभी सरदार प्रोफेसर के पास आया और मुस्कुराते हुए प्रोफेसर से हाथ मिलाया। और अपने बस्ती के सभी लोगों को आवाज देकर बुलाया और हमे सम्मानित किया। सभी औरते, मर्द और बच्चे हम तीनों को घेर कर खड़े हो गए।

मैं अपने पॉकेट में हाथ डालकर अपने खड़े और तने हुए लंड को अपने हाथ से दबा कर छुपाने लगा। मेरा ध्यान मेरे लंड पर ही बना हुआ था। कि कही प्रोफेसर न देख ले जैसे ही मेरा लंड संभला मैंने अपनी नज़रे ऊपर की तो देखा कि एक वहाँ खड़ी औरत मुझे घूर रही थी।

वो मेरे लंड को घूर रही थी। और मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। मैंने अपनी नज़र प्रोफेसर के तरफ की तो वो काबिले का सरदार और प्रोफेसर का दोस्त आपस में बात कर रहे थे। जब मैंने अपनी नज़र उस औरत के तरफ की तो वो मुझे अभी भी देख रही थी।

और अपने मोठे निचले होठ को अपनी दांतों से चबाते हुई मेरी ओर आंखों से इशारे कर रही थी। मैं भी उसकी बड़ी-बड़ी काली लटकी हुई चुचियों को घूरने लगा। थोड़ी देर में बस्ती के लोग अपने-अपने कामों में लग गए।

वो औरत भी वहाँ से चली गयी। हम सरदार के झोपड़ी के बाहर बैठ गए। वहीं प्रोफेसर ने अपना कैमरा सेट किया और सरदार का इंटरव्यू लेने लगे। मैं भी वही बैठ इधर उधर देखने लगा। तभी वो औरत भी अपनी झोपड़ी के बाहर बैठकर मुझे देखने लगी।

उसकी झोपड़ी थोड़े कोने में थी। बस मैं जहाँ बैठा था। वही से उसकी झोपड़ी का कुछ हिस्सा दिख रहा था। वो औरत मस्त माल थी। लंबा काला गठीला बदन लंबी चौड़ी और उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ और उसकी गोल बड़ी गाँड़ वो जान बूझ कर अपनी झोपड़ी के बाहर अपनी टाँगो को फैला कर बैठ गयी।

मुझे उसकी काली रशिली चुत दिख रही थी। उसकी चुत को ढकने वाला कपड़ा उसके टाँगे फैलाने से उसकी चुत पर से हट गया था। मेरा तो मानों पसीना छूट रहा था। मुझे चुदाई की तलब होने लगी। तभी उसने अपनी टाँगे और फैलाकर अपनी काली चुत को अपनी उँगलियों से फैलाकर चुत के गुलाबी चमड़ी को दिखाकर मुझे ललचा रही थी।

तभी मैंने प्रोफेसर से पिसाब करने का बहाना बना कर उस औरत के झोपड़ी के तरफ बढ़ने लगा। वो मुझे उसकी झोपड़ी के पीछे जाते हुए देखकर खड़ी हो गयी। मैं उसे देखते हुए उसकी झोपड़ी के पीछे की बड़ी झाड़ियों में चला गया।

और अपना तना हुआ मोटा काला 7″ लंबा लंड निकाल कर पिसाब करने लगा। मैंने पीछे मुड़ के देखा तो वो औरत अपनी झोपड़ी की दीवार से सटी हुई मुझे पिसाब करते हुए मेरे लंड को देख रही थी। मैंने उसे इशारा करके बुलाया तो वो दौड़ कर मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी।

मैं अपना नंगा मोटा लंड अपने हाथ मे लिए उसकी तरफ मुड़ गया। जैसे ही उसने मेरा मोटा नंगा लंड देखा उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशि दिखने लगी। उसने हिचकिचाते हुए मेरा लंड अपने हाथों से पकड़ा और चारों ओर देखने लगी की कही कोई देख तो नही रहा।

फिर वो खड़े-खड़े मेरे लंड पर अपनी मुट्ठी को कस कर मेरे लंड की चमड़ी को आगे पीछे खिसकाने लगी। उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लंड अपने लम्बे मोटे आकार में आ गया। मेरे लंड का ठोपा फूलकर एकदम गोल हो चुका था। और मेरे लंड से निकला चिपचिपा लार उसकी हाथों में टपका रहा था।

वो भी गर्म हो रही थी। उसकी तेज़ और गर्म सांसे मेरे चेहरे और सीने से टकरा रहीं थी। वो फिर चारों ओर नज़रे घुमा कर अपने घुटनों के बल बैठ गयी। और मेरे लंड के ठोपे को अपने होठों से चुसाने लगी। उसकी मोटी मोटी होंठो ने मेरे लंड के ठोपे को अपनी थूक से चिकना कर दिया था।

उसकी होंठो ने मेरे लंड पर ऐसा जादू किया कि मेरा हाथ भी उसके सर पर चला गया फिर मैंने उसके बालों को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी मुँह में अपना लंड और थोड़ा अंदर बाहर करने लगा। 4-5 शार्ट ही अपना लंड उसके मुँह में डाला था। तभी कुछ बच्चे खेलतें हुए झाड़ियों की तरफ आ गए। मैं कुछ और करता उससे पहले वो डर कर वहाँ से उठकर भाग गई।

मेरा तो मानो दिमाग़ ही खराब हो गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो किसी भूखे से कोई निवाला छीन लिया गया हो। मैं भी अपना प्यासा लंड अपनी पैंट में ड़ालकर वापस प्रोफेसर के पास चला गया। प्रोफेसर अभी भी कबीले के सरदार के साथ बातें कर रहे थे।

कुछ ही देर में एक औरत हमारे लिए भुनी हुई मछली और कुछ फल लेकर आई वो औरत भी उसी तरह की पोशाक में थी। जिससे मेरा लंड और भी तन कर अकड़ने लगा। उसकी लंगोट का बीच का धागा उसकी काली चुत के दोनों पट्टों के बीच मे फंसा हुआ था। जिससे उसकी चुत के दोनों पट्टे फूल कर बाहर आ गये थे।

मेरा लंड मेरी पैंट में ही पानी पानी हो गया। उस औरत ने हमारे लिए नास्ता परोसा सरदार ने भी हमे बड़े आदर से नास्ता करने का आग्रह किया। नास्ता करने के बाद हमने थोड़ा आराम किया। करीब दोपहर का समय हो चुका था। बाहर काफी गर्मी थी। उसी समय कुछ छोटे बच्चों हमारे पास आये पीछे से सरदार भी आये।

और मेरे प्रोफेसर के दोस्त से अपनी भासा में बात करने लगे। प्रोफेसर के दोस्त ने हमसे कहा कि ये आप लोगो को जंगल घुमाना चाहते है। प्रोफेसर ने मुझसे कहा तुम घूम आओ तब तक मैं यह का काम कर लूंगा।

मैं भी झट से मान गया और झोपड़ी से बाहर आ गया। मैंने देखा कि पहली वाली औरत जिसने मेरा लंड चूसा था। वो भी बाहर हाथ मे टोकरी लिए खड़ी थीं। और सरदार से कुछ बात कर रही थी। शायद वो भी हमारे साथ जंगल जाना चाहती थी। सरदार ने भी सर हिला कर इजाज़त दे दी।

उसके बाद वो औरत मैं और तीनों बच्चे जंगल की तरफ बढ़ने लगे। जैसे ही हम बस्ती से थोड़ी दूर जंगल मे पहुँचे वो औरत मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। बच्चे आगे आगे दौड़ने लगे और हमदोनों पीछे साथ चल रहे थे। वो मुझे तरह तरह के झाड़ और फल से लदे हुए पेड़ दिखाने लगी। चलते चलते अचानक उसने अपना हाथ मेरी पैंट में डाल दिया। मैं भी चौंक कर रुक गया। वो मेरा लंड टटोलने लगी।

फिर हम एक तालाब के पास पहुंचे जहाँ बच्चे पानी से खेल रहे थे। उस औरत ने भी अपनी टोकरी नीचे रखी और तालाब के पानी मे उतर गई। उस औरत ने अपनी लंगोट को पानी के अंदर खोल दिया। और अपनी चुत और चुचियों को रगड़-रगड़ कर धोने लगी। साथ ही मेरी तरफ देख अपनी चुत दिखा कर नशीले इशारे कर रही थी।

थोड़ी देर में वो औरत पानी से बाहर आयी और मेरे सामने अपने नंगे शरीर से पानी पोछने लगी। फिर उसने दूसरे कपड़े से अपनी चुत को ढक लिया। और बच्चों से अपनी भाषा मे कुछ कह कर मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे आगे और अंधेरे और घने जंगल की ओर लेकर चल पड़ी।

थोड़ी दूर जाकर वो एक फल के पेड़ के पास रुक गयी। और उस पेड़ पर चढ़ने लगी। उसे पेड़ पर चढ़ते हुए मैं नीचे खड़ा होकर उसकी गाँड़ और चुत को निहारने लगा। उसने पेड़ पर चढ़ कर मुझे इशारे में टोकरी ऊपर फेंकने को कहाँ। मुझे बहुत पिसाब आ रहा था। तो मैंने वही जान बूझ कर अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और मूतने लगा।

वो भी ऊपर से मेरे लंड को घूरे जा रही थी। वो अपनी फलो से भरी टोकरी लेकर नीचे उतरी मैं उसके पास अपना तना हुआ लंड हाथ मे लेकर गया। और उसके शरीर से जाकर चिपक गया। उसने भी अपना हाथ नीचे कर मेरा लंड अपने हाथ मे ले लिया। अब उसकी चुचियाँ मेरे सीने से दबने लगी।

फिर मैंने उसकी जांघो के बीच हाथ डालकर उसकी जांघों को फैलाया और अपने लंड को अपने हाथों से उसकी चुत पर रगड़ने लगा। वो आशहह… उहह… ओह्ह… आहह… करने लगी। वो चुदाई की भूखी थी। उसकी चुत के छोटे छोटे बाल मेरे लंड पर गड रहे थे।

मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसके निप्पलों को अपने दांतों से काटने लगा। वो भी अपनी गाँड़ ऊपर नीचे करके मेरे लंड को अपनी चुत पर रगड़ने लगी। फिर मैंने उसकी लंगोट खोल दी। लंगोट खोलते ही उसकी लंगोट जमीन पर आ गिरी।

अब मेरा लंड उसकी चुत के फांकों के बीच लटकती हुई काली गीली चमड़ी से टकराने लगा। जिससे वो और भी जोश में आ गयी। अब मुझसे रहा नही जा रहा था। वो भी चुदाई के लिए तैयार थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और झुक कर अपनी लंगोट उठायी।

मेरा हाथ पकड़ मुझे एक पुराने मोटे पेड़ के पास ले गयी। वो पेड़ पर चढ़ने लगी। मैं भी ऊपर चढ़ गया। उस पेड़ के ऊपर काफी समतल जगह थी। कि कोई इंसान वहाँ आराम से सो सके और किसी को पता भी नही चलता। मैं एक कोने में बैठ गया वो औरत भी मेरे सामने बैठ गयी।

और अपना हाथ मेरी कमर में ड़ालकर मेरी पैंट को उतारने लगी। उसने मेरी पैंट उत्तार कर अपनी लंगोट के साथ रख दिया। मैं भी अपनी टाँगे खोलकर आराम से बैठ गया। वो भी मेरे पैरों के बीच लेट कर मेरे लंड से खेलने लगी। उसने मेरे लंड को थोड़ा कड़क होने तक अपने हाथों से छेड़ा उसके बाद उसने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और लंड चूसने लगी।

मैं भी उसका सर अपने लंड पर दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं मेरा कड़ा लंड उसके गले तक उतारने लगा। मेरा लंड उसकी थूक से भर गया था। फिर मैंने उसे लेटने का इशारा किया वो लेट गयी और अपनी टाँगे खोलकर फैला दी। अब मैं घुटनों के बल उसके पैरों के बीच आ गया।

मैं उसकी चुत से लटकते काली चमड़ी की लंड के ठोपे से मालिश करने लगा। वो मदमस्त होकर अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगी। उमहह… आह.. आह… की आवाज निकालने लगी। मैंने अपने लंड के अगले हिस्से को उसकी चुत में धकेल दिया।

वो अपनी भारी आवाज में आह… उफ्फ्फ…. आहह… फोक… फोक करने लगी। मैं समझ गया कि वो चोदने को कह रही है। फिर मैंने अपने लंड को धीरे धीरे पूरा उसकी चुत में अंदर कर दिया। उसकी चुत में मेरे लंड पर बहुत कसाव महसूस हो रहा था। मेरा लंड अंदर जाते ही उसने अपनी आंखें बंद कर ली और मेरी पीठ को सहलाने लगी।

फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत से बाहर निकाल लिया और फिर से मैंने उसकी चुत पर अपना लंड रखा और अपनी गांड ज़ोर से उछाल कर सारा दम उसकी चुत में लगा कर एक बार मे ही अपना लंड उसकी चुत में घुसेड़ दिया। मेरे दमदार धक्के से उसे ऑर्गेसम का सुख मिला और उसकी चुत ने अपना पानी छोड़ दिया।

ज़ोर के धक्के से वो चिल्लाने लगी आआआह… आआआह…. ओह्ह… उम्मह…. ओह्ह… मैं उसके ऊपर लेट कर उसकी मोटी मोटी चुचियों को चूसने लगा। जब वो शांत होने लगी। तब मैंने धीरे धीरे अपने कमर को उठा उठा कर अपना लंड उसकी चुत में पेलने लगा। उसके चुत का पानी मेरे लंड पर लग गया था।

जब मेरा लंड फिसल-फिसल कर उसकी चुत में घुस रहा था। तो उसकी चुत से फच्च फच्च पूच और मेरी कमर उसकी कमर से टकराने की “ठाप ठाप ठप” की आवाज आ रही थी। उसकी चुत से निकली हुई चमड़ी भी मेरे लंड पर रगड़ खा रही थी। मुझे गजब का एहसास हो रहा था। फिर उसने अपनी कमर उठा कर मेरे लंड को अपनी चुत में सोखने लगी।

मेरे लंड पर और भी ज़्यादा कसाव होने लगा। जिससे मैं भी उसकी चुत में ही झड़ गया। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चुत से निकाला उसकी काली चुत से गाढ़ा वीर्य बाहर बहने लगा। गजब का नज़ारा था। उसकी काली चुत से सफेद पानी निकलता हुआ देखकर।

मैं अपना लंड पकड़ कोने में बैठ गया मैं थक गया था। बस उसकी चुत को निहारे जा रहा था। थोड़ी देर में वो भी उठ कर बैठ गयी। और मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी। वो मेरे लंड पर लगा सारा वीर्य चाट गयी। फिर वो मेरी गोद मे बैठ गयी। और अपनी चुचियों बीच मे मेरा चेहरा फंसाकर मेरे गालो पर अपनी चुचियों को रगड़ने लगी।

मैंने भी खूब उसकी चुचियों को मसलकर दुहाई की मेरा लंड थोड़ा ढीला ही था। उसने अपनी गाँड़ उठाई और मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ा और मेरा लंड अपनी चुत में घुसाकर मेरे लंड पर बैठ गयी। उसकी चुत में कुछ खास बात थी। चुत की गर्मी से मेरा लंड भी उसकी चुत में कड़क होकर चोदने के लिए तैयार हो चुका था।

वो मेरे लंड पर उछलने लगी। और मुझे चोदने लगी जब उसकी बड़ी बड़ी गोल गाँड़ मेरी जांघो से टकरा रही थी। जिससे ठाप्प ठाप्प की आवाज आने लगी। वो जोर से लंड पर उछलने लगी और मेरा लंड जड़ तक अपनी चुत में सामने लगी। अब उसकी चुत के बाल मेरी झाँटो में फंसने लगे। और ज़ोरदार आवाज में आआआह.….आआआह….आआआह…..ओह्ह ओह्ह…. चिल्ला रही थी।

वो उछल कर मेरे लंड को अपनी चुत से चोद रही थी। चोदते चोदते वो मेरे लंड पर ही झड़ गयी। पर उसने लंड पर उछलना जारी रखा मैं भी झड़ने वाला था। तो मैंने उसे ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी चुत में झड़ गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत से बाहर किया और उसकी मुँह में अपना लंड उसके मुँह में दे दिया।

वो मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में डालकर चूसने और चाटने लगी। उसने मेरा लंड अच्छी तरह चाट कर साफ कर दिया। और उसने अपनी लंगोट पहनी मैंने भी अपनी पैंट पहन ली। फिर हम लौटकर बस्ती आ गए।

हमलोगों 2-3 दिन यहीं रहने वाले थे। तो अभी बहुत मौके थे। उस औरत की चुदाई करने के आज की चुदाई के बाद वो मेरे लंड की दीवानी हो गयी थी। शाम हो चुकी थी वहाँ सब लोग जल्दी सो जाते थे। हमने भी रात का खाना खाया और मैं अपने टेंट में जाकर लेटकर मोबाइल देखने लगा। जगह की कमी के वजह से मेरा टेंट प्रोफेसर के टेंट से थोड़ा दूर था।

रात के 7 बज चुके थे बाहर एकदम अन्धेरा पसरा हुआ था। पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी। अचानक मुझे एहसास हुआ कि मेरे पैरों पर कोई चीज रेंग रही है। मैं झट से उठा और देखा तो वही औरत मेरी कमर से अपनी मुँह को सटाये मेरी जांघो पर अपने हाथों को फेर रही थी। मैं चुपचाप लेट गया फिर उसने मेरी पैंट उतार दी।

और मेरे लंड के गोलों अपने हाथ से सहलाने लगी। मेरा लंड उत्तेजना से टाइट होने लगा। फिर उसने मेरे लंड के गोलों को अपने मुँह में भरकर उन्हें चूसने खींचने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। वो मेरे गोलो को अपनी जीभ से सहलाने लगी जिससे मेरा लंड और उत्तेजित होकर बड़े मोटे आकार में आ गया।

फिर वो मेरे चेहरे की तरफ अपनी पीठ करके लेट गयी। मैं उसके नर्म-नर्म चूतड़ों में अपना लंड दबाने लगा। और उसकी चूतड़ों के दरार में अपना लंड ऊपर से नीचे रगड़ने लगा। वो मज़े में दबी आवाज में आह.. आह.. हम्म.. कर रही थी। फिर मैंने अपने लंड के पिछले छोर को अपने हाथ से पकड़ा और लंड को उसकी दोनों जांघो के बीच से उसकी चुत में पेलने लगा।

मेरा लंड 2″ तक उसकी चुत में घुस चुका था। पर अभी भी 5″ लंड बाहर ही था। तो मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर के नीचे से निकाल कर उसके पेट को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसकी कमर को पकड़कर मैंने एक और धक्का मारा जिससे मेरा पूरा लंड फिसल कर उसकी चुत में घुस गया।

वैसे ही मैंने 15 मिनेट तक उसकी चुत को चोदा साथ ही मैं बड़ी बेरहमी से उसकी चुचियों को मसल रहा था। वो दर्द के मारे तड़प रही थी। पर ज्यादा आवाज नही निकाल रही थी। फिर मैंने उसकी चुत में लंड डाले हुए ही उसे पेट के बल कर दिया। अब मैं उसकी जांघो पर बैठकर उसकी चुत में अपना लंड पेलने लगा।

कुछ देर में वो झड़ गयी और उसकी चुत में चिकनाहट हो गयी और मेरा लंड उसकी चुत से फिसल कर बाहर आ गया। कुछ देर मैं वैसे ही उसकी जांघो पर बैठा था। और अपने लंड को कड़ा करने के लिए मुठ मारने लगा। तभी उसने अपने दोनों हाथ पीछे किये।

फिर उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपनी गाँड़ में लगाने लगी। मैं समझ गया कि उसे अपनी गाँड़ मरवाने की इच्छा हो रही थी। मैंने देरी न करते हुए उसके गाँड़ के दोनों हिस्सो को हाथों से फैला दिया। और ढेर सारा थूक उसकी गाँड़ में लगा दिया।

फिर मैंने उसे गाँड़ के दोनों भागों को फैलाने को कहा वो तुरंत अपनी गाँड़ फैला कर मेरा लंड लेने को तैयार हो गयी। फिर मैंने धीरे से उसकी गाँड़ की छेद पर लंड को लगाया। पहली कोशिश में लंड छिटक कर चुत पर आ गया। फिर उसने अपना ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगाया।

दूसरी बार मैंने अपने लंड के अगले हिस्से हो अपने अंगूठे और उँगलियों से पकड़ उसकी गाँड़ की छेद पर लगाया। वैसे ही मैं अपने लंड को उसकी गाँड़ में दबाया जिससे मेरा लंड का अगला हिस्सा उसकी गाँड़ में घुस गया।

फिर मैं वैसे ही उसके पीठ पर लेट गया और उसके दोनों कंधे पकड़ लिए। और धीरे धीरे अपना लंड उसकी गाँड़ में दबाने लगा। हर पल मेरा लंड थोड़ा थोड़ा उसकी गाँड़ में सरकने लगा। उसे बहुत दर्द हो रहा था। पर उसने अपने दोनों होठो को अपने दांतों से दबा लिया था।

वो आन्ह.. हुनन.. आहह.. की आवाज निकाल रही थी। और अपना सर हिलती हुई मेरा लंड अपनी गाँड़ से निकलने की कोशिश कर रही थी। पर मैंने उसे लंड निकालने नही दिया और आराम आराम से लंड को जड़ तक उसकी गाँड़ में घुसा दिया। उसकी गाँड़ को मेरे मोटे लंड ने फाड़ डाला किसी की भी गाँड़ में इतना मोटा लंड जाना आसान बात नही थी।

करीब 10 मिनट में पूरा लंड गाँड़ में घुस गया था। कुछ देर में मैं भी उसकी गाँड़ में लंड डाले उसके शरीर पर अपना शरीर ऊपर नीचे सरकाने लगा ताकि मेरा लंड उसकी गाँड़ में थोड़ी जगह बना ले। फिर मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गाँड़ में ऊपर नीचे करके उसकी गाँड़ मारने लगा। उसकी गाँड़ बहुत टाइट थी।

मैं उसके गाँड़ में झटके देने लगा वो दर्द से आह…आआआह..आह..आआआह…. चिलाने लगी। पर मैंने उसके मुँह पर हाथ रख उसकी आवाज दबा दी। और उसकी गाँड़ पर टूट पड़ा मैं ज़ोर ज़ोर से उसकी गाँड़ को चोदने लगा। अब उसकी गाँड़ की छेद का घेरा फैल चुका था। वो भी अब ज्यादा चिल्ला नही रही थी।

मैंने भी अब अपने दोनों पंजे जमीन पर टिका दिया और तेज़ी में मैं अपने लंड को उसकी गाँड़ में अंदर डालने लगा। जब मेरी कमर उसकी मखमली चूतड़ों पर टकराती तो एक अजीब आवाज निकलती मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर में मैंने उसकी गाँड़ में अपने लंड का गर्म लावा भर दिया। जैसे ही मेरे लंड ने उसकी गाँड़ में अपनी गर्म पिचकारी मारी उसने आनद में आआआह…. की आवाज निकाल दी।

फिर मैंने उसे सीधा लिटा दिया और उसकी मोटी-मोटी बड़ी चुचियों पर बैठ गया। और अपने हाथ मे अपना लंड पकड़ कर मुठ मारने लगा। उसने भी अपना मुँह खोल रखा था। दुबारा मेरे लंड अपना लावा निकालने वाला था। मैंने तुरंत अपना लंड उसके मुँह डाला और उसके मुँह में ही झड़ गया।

फिर वो चली गयी मैं भी सो गया। जब अगले दिन मेरी नींद खुली तो वो बाहर नही दिखी। मैं टेंट के बाहर उसे ढूंढने लगा। जब उसकी झोपड़ी के तरफ पहुँचा तो देखा कि वो अपनी झोपड़ी में अपने बच्चे के पास नंगी लेटी हुई थी। उसकी गाँड़ से वीर्य निकल कर उसकी चुत पर भी फैला हुआ था।

मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। आखिर मैंने जमकर उसकी चुदाई जो कि थी। दोपहर में वो जब अपनी झोपड़ी के बाहर बैठी हुई थी। मैं भी उसे देख रहा था। तभी एक उसी बस्ती की लड़की उसके पास बैठ गयी वो लड़की अभी अभी जवान हुई थी। मस्त टाइट चुत और गाँड़ थे उसके छोटी छोटी सी चुचियाँ जो मुठी से मसला जाए ऐसी वो शायद 18-19 साल की होगी।

अभी अभी उसकी झाँटे उसकी चुत पर उग रहे थे। मैंने उस लड़की को भी उस औरत की मदद से चोदा वहां मेरे लंड को हर दिन खुराक मिल रही थी। उस अफ़्रीकन लड़की को मैंने कैसे चोदा आप सभी को अपनी दूसरी कहानी में बताऊँगा।

ये कहानी सेक्सी कहानी वेबसाइट पर लिखी गयी है। कैसी लगी आप सभी को काली अफ़्रीकन औरत की चुदाई की ये कहानी।

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