भिखारी औरत की रातभर सड़क पर चुदाई – 1

दोस्तों मैं सुमीत। आज मैं आप सभी को अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। वैसे तो मेरी किस्मत कुत्तों वाली है लेकिन मेरी खराब क़िस्मत में पहली बार कुछ अच्छा हुआ था। भले ही भिखारी औरत की गंदी ही सही लेकिन चुत तो मिली और सच बताऊं तो दोस्तों उस रात उस भिखारी औरत की चुत को चोदने के बाद से मेरी क़िस्मत ही बदल गई।

भिखारी औरत की रातभर सड़क पर चुदाई – 1

उस भिखारी औरत की चुत चोदने के बाद से मेरे साथ सब कुछ अच्छा अच्छा होने लगा है। मैं आपको सब कुछ शुरू से बताता हूं। मैं मुंबई में काम करने के लिए आया था। मैं काम भी कर रहा था लेकिन कुछ दिनों पहले मेरे मालिक से मेरी अनबन हो गई और उसने मुझे काम से निकाल दिया।

नौकरी छूटते ही मेरी क़िस्मत ने भी मेरा साथ छोड़ दिया। मुझे कही काम ही नहीं मिल रहा था। यहां तक की मुझे अपनी एक कमरे की खोली का किराया देने तक के पैसे नही थे और न ही गांव भेजने के लिए पैसे थे। रोज खोली का मालिक मुझे खोली खाली करने या किराया देने के लिए टोकने लगा था।

मैं एक दम निराश हो चुका था। मैं खोली के मालिक के तगादे से परेशान हो चुका था। एक शाम को खोली के मालिक ने मुझे धमकाया की अगले दिन मैंने उसे पैसे नही दिए तो वो मेरा सामान बाहर फेंक देगा। उस शाम को मेरा दिमाग बहुत ज्यादा डिस्टर्ब था। मेरे पास कुछ पैसे थे जिससे मैंने शराब पी और लड़खड़ाते हुए दारू के अड्डे से घर के लिए निकल गया।

लेकिन शराब के नशे में धुत्त मैं रास्ता भटक गया और किसी सुनसान रास्ते पर पहुंच गया। अब मुझमें चलने की हिम्मत नही थी। मैं उस सड़क के फुटपाथ पर शांत जगह देखकर बैठ गया। वो रास्ता इस कदर सुनशान था। जैसे लोग उस रास्ते को भूल ही चूके हो। मैंने नजर अपनी बांई ओर घुमाकर देखा तो वहां कुछ भिखारी उसी फुटपाथ पर दिखें।

मुझसे कुछ दूरी पर उसी फुटपाथ पर रोड लाईट थी। उसी लाइट के नीचे भिखारियों का बिस्तर और कही कांबलो से बने झोपड़े जैसे तंबू थे। उस रोड लाईट की थोड़ी सी रोशनी मेरे पास पहुंच रही थी। मैं चुपचाप उसी जगह पर बैठा हुआ था।

कुछ देर बाद जब मेरा नशा कम होने लगा तभी एक आधी उम्र की सांवली औरत जिसका पूरा शरीर गंदा था और उसकी उम्र तकरीबन 40 साल होगी। उसने फटी हुई गंदी मैली नाइटी पहनी थी और लड़खड़ाते हुए। मेरे तरफ आने लगी उसे देखकर मुझे ये समझते देर नहीं लगी की ये एक भिखारी औरत है जो शराब के नशे में धुत्त है। वो मुझसे कुछ 5 फिर दूरी पर होगी।

अचानक वो रुक गई और नशे के कारण खड़े खड़े ही झूलने लगी। फिर अचानक उसी फुटपाथ पर अपने आप को संभालते हुए झुककर बैठने लगी। लेकिन शरीर पर कंट्रोल न होने के कारण वो अचानक पीठ के बल धम से फुटपाथ पर उलट गई। जिससे उसकी दोनों टांगें एक बार उपर उठ गई और उसकी नाइटी उसकी टांगों से हटकर उसकी कमर तक आ गई।

वो नशे में बेसुध अपनी टांगें फैलाई बेहोश हो गई। उसकी सांवली टांगें और चुत साफ नंगे दिखने लगे। एक बार तो मैंने उसकी चिंता में उसके पास जाकर उसे देखा। उसे चोट नहीं आई थी वो नशे के कारण बेहोश हो गई थी और सो गई थी।

मैं उसके पास खड़ा था और उसकी मोटी मोटी सांवली जांघों को घूरते हुए उसकी काली चुत को देख रहा था। उसकी चुत की काली छेद उसकी दोनों टांगें फैले होने के कारण थोड़ी सी खुली हुई थी। जिससे मुझे उसकी चुत के अंदर की गुलाबी चमड़ी साफ दिख रही थी। उसकी चुत को उसकी गंदी झांटों ने ढक रखा था पर उसकी झांटे उसकी चुत के छेद पर से हटी हुई थी।

उसकी झांटे देखकर मुझे घिन्न आ रही थी। ऐसा लग रहा था की उसकी चुत चोदकर किसी ने सारा माल उसकी झांटों पर पोंछ दिया हो। उसकी झांटों में जहां तहां मिट्ठी सटी हुई थी और उसकी झांटों में जट्टा बन गया था। कुछ देर तो मैं उसको देखता रहा पर मैं वहा से हट गया। क्योंकि कुछ भिखारी जो उस लाईट के पास थे वो जगे हुए थे।

मुझे उस भिखारी औरत की चुत से बहुत घिन्नं आ रही थी। लेकिन ये भी सच था की उस भिखारी औरत की चुत दर्शन ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया था। मैं उसके पास से हट गया लेकिन मैं उसकी चुत चोदने का फैसला कर लिया था। मैं फिर उसी जगह पर आकर बैठ गया जहां पहले बैठा हुआ था। मैं सब शांत होने का इंतजार करने लगा।

मैं बस उन बाकी के भिखारियों के सोने का इंतजार कर रहा था। करीब एक घंटे बाद सभी भिखारी सो गए और जो भी थोड़ी बहुत हलचल थी। अब उन भिखारियों की सारी हलचल शांत हो चुकी थी। मैं उठकर उस भिखारी औरत के पास गया। मैंने उसकी दोनों टांगों को पकड़ा और उसे खींचकर और थोड़े अंधेरे में ले आया।

अब मैंने एक बार उसे गौर से देखा जब मेरी नजर उसकी छाती पर गई। तो मुझे उसकी नाईटी के अंदर उसकी चुचियों का बड़ा बड़ा आकार समझ आया। मुझे उसकी चुचियों को देखने का मन हुआ लेकिन उसके मुंह से दारू की गंदी बदबू आ रही थी और दूसरी तरफ उसके कपड़े से पसीने की बदबू।

लेकिन किसी भी कीमत पर मुझे उसकी चुचियों को देखने का मन होने लगा। मैंने उसकी गंदी नाईटी के गले को पकड़ा और अपने दोनों हाथों का जोर लगाकर मैंने उसकी नाइटी को उसके पेट तक फाड़ दिया। जिससे उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां नंगी हो गई और मेरी नजर उसकी चूचियों पर अटक गई।

सबसे पहले मैंने अपनी रूमाल को अपनी नाक पर बांध लिया जिससे उसके शरीर से आती बदबू अब थोड़ी कम हो गई। फिर मैं और नजदीक से उसकी चुचियों को देखने लगा। उसकी सांवली चुचियों पर मैल के काले काले धब्बें जमे हुए थे। मैंने उसकी दोनों निप्पलों को अपनी उंगलियों से मीसने लगा।

मैं उसकी काली बड़ी और गोल निप्पलों को कस कस के मिस रहा था। तब भी उसे कोई एहसास नहीं हो रहा था। ये मेरे लिए अच्छी बात थी। मैंने उसकी दोनों निप्पलों को मिस मिसकर उसकी निप्पलों पर जमा सारा मैल साफ कर दिया।

उसकी दोनों निप्पलें लाल और सूझ गई थी। मैंने उसकी चुचियों को दबाते हुए उसकी निपल्लों को अपने मुंह में भर लिया और दांतों से दबा दबाकर अपने मुंह से उसकी चुचियों को टक्कर मार मारकर उसकी निप्पलों को चूसने लगा।

मैं अब हवस में इतना अंधा हो चुका था की मैं उसकी निप्पलों को चूसते हुए अपने पैंट को खोलने लगा। मैंने एक हाथ से ही अपनी पैंट को खोलकर अपने एड़ियों तक उतार दिया था। उसकी चुचियों को दबा दबाकर मैंने उसकी चूचियां लाल कर दी थी। फिर भी मैं उसकी निप्पलों को चूसे जा रहा था।

अब मेरा लंड गीला होने लगा था। मैं उठकर उसकी टांगों की तरफ गया मैंने उसकी टांगों को थोड़ा और मोड़ा और फैला दिया। फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत पर रखकर एक धक्के में ही अपना मोटा लंड और 8 इंच लंबा लंड उसकी चुत में घुसा दिया।

मैंने उसकी चुत में अपना लंड इतनी ताक़त से मारा की वो आगे की तरफ घिसट गई। एक ही धक्के में मेरा गोटा 8 इंच का लंड उसकी चुत में समा गया और मेरी गोटियां उसकी चुत पर दब गई।

मैं धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा। अब मेरा लंड उसकी चुत की दीवारों को धकेलता हुआ अंदर बाहर होने लगा। मैं जोर ज़ोर से हा ह… हा. ह…. हुंह..करता हुआ अपनी पूरी ताकत झोककर उसकी चुत फाड़ने लगा। सच में मेरे लंड के मार से 5 मिनट की चुदाई में ही उसकी चुत ढ़ीली ढाली हो गई।

लेकिन वो झड़ चुकी थी इसी कारण से मुझे उसकी चुत ढीली ढाली लग रही थी। लेकिन उसकी गंदी झांटे किसी कटीली तार की तरह मेरे लंड को कुरेद रहीं थीं। जिससे मुझे चुदाई में मजा नहीं आ रहा था। करीब आधे घंटे तक मैं शराब के नशे के कारण टीका रहा और उस भिखारी औरत की चुत को बिना रुके सख्ती से चोदता रहा।

मैं अपने महीनों की भड़ास को उसकी चुत पर निकालता रहा। मैं इतनी बेरहमी से उस भिखारी औरत की चुत को चोद रहा था की अगर वो होश में होती तो न जानें दर्द के मारे उसका क्या हाल होता। अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड उसकी चुत से बाहर निकाल लिया।

मैंने अपना सारा माल उसकी झांटों पर झाड़ दिया। जिससे उसकी झांटे थोड़ी नरम हो गई। मैंने उसकी झांटों को अपने माल से गीला करके उसकी चुत की छेद से दूर हटा दिया। ताकि मैं उसको दुबारा चोदू तो मुझे मेरे लंड पर उसकी झांटे चुभे ना।

मैं थोड़ा थक चुका था। मैं उसकी टांगों के बीच बैठकर अपने लंड को हिलाते हुए उसे ही देख रहा था। अब मुझे उसको पूरा नंगा करके चोदने का मन हुआ। तो मैंने उसकी फटी हुई नाइटी को पकड़ा और जहां तक मैंने पहले फाड़ा था। वहां से उसकी नाइटी को पूरा का पूरा नीचे तक फाड़ दिया।

मैंने उसकी नाइटी को उसके बदन से पूरा का पूरा हटा दिया। अब वो सामने से पूरी नंगी हो चुकी थी। अब उसकी नाइटी उसके बाजू और उसकी पीठ के नीचे ही थी। उसकी चूचियां, पेट और टांगें पूरी नंगी थी। जब मैंने उसकी पेट को छू कर देखा तो उसकी पेट पर भी मैल के काले काले धब्बें जहां तहां जमे हुए थे।

मैंने उस समय उसके बदन की गंदगी को नजरंदाज करते हुए। उसकी चुत पर ध्यान दिया। अब फिर से मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैंने उसकी दोनों टांगों को पकड़ के उपर उठा लिया।

गिर मैंने अपना लंड उसकी चुत में सटाया और एक ही धक्के में अपना पूरा 8 इंच लंबा लंड उसकी चुत में धेकल दिया। मैंने उसकी दोनों टांगों को उसके सीने पर दबाकर उसकी टांगों को अपने सीने से दबा लिया। जिससे उसकी गांड नीचे से थोड़ी उठ गई थी।

मैंने अपनी पैर की उंगलियों की ताकत से अपनी कमर को ऊपर उठा लिया और अपने दोनों हाथों को उसके चेहरे के दोनों ओर रखा। अब मैं अपने हाथों और पैरों के सहारे उसकी चुत में अपना मोटा लंड सीधा डालने लगा। मेरी गोटियां उसकी चुत पर दबकर बड़ी बड़ी हो रही थी।

मैं कस कसकर उसकी चुत में अपना लंड डालने लगा। इस बार पहले बार से भी ज्यादा मजा आ रहा था। जब मैं उसकी चुत में अपने लंड का धक्का मार रहा था। तो चुदाई से ठप्प ठप्प… और उसकी चुत गीली होने की वजह से उसकी चुत से फच्च फच्च… की आवाज आ रही थी।

मैं अपने लंड को जड़ तक उसकी चुत में डालकर चोदे जा रहा था। ऐसी ताकत मैंने पहले कभी महसूस नहीं की थी। अचानक उसकी चुत फरररर…. फरररर और पिसस्सस्स…. की आवाज आई और उसकी चुत से मूत की फुहार मेरे लंड और मेरी गोटियों को भिंगोते हुए उसकी चुत से बाहर निकलने लगी।

उसकी गरम मूत लंड पर पढ़ने से मैं और जोश में आ गया और मैंने उसका मूतना शुरू होते ही अपने लंड को उसकी चुत की और गहराई में जोर जोर से चोदने लगा। जिससे जब मैं अपना लंड उसकी चुत से बाहर खींचता तो उसकी चुत से उसका मूत और प्रेसर के साथ निकलता और साथ ही उसकी चुत का गाढ़ा सफ़ेद पानी भी उसके मूत के साथ बाहर बहने लगा।

मैं उसे करीब 20 – 25 मिनट से उसकी चुत चोद रहा था। अब मैं झडने वाला था। लेकिन मैं उस वक्त ऐसे मदहोशी में घिरा हुआ था की मुझे उसकी चुत से लंड निकालने का होश देर से आया तब तक मैं उसकी चुत में झड़ने लगा था। मैंने आलस और थकान के मारे उसकी चुत से लंड नही निकाला। मेरे लंड का बीज पूरा का पूरा उसकी चुत में निकल चुका था।

करीब एक घंटे बाद मेरे अंदर फिर से ताक़त आने लगी और इस बार मैंने अपनी पैंट और शर्ट पूरी निकाल दी। मैं बिल्कुल नंगा होकर उसके नंगे शरीर पर फिर से चढ़ गया। अब आधी रात का समय हो चुका था। मैं फिर से उसकी चुत में लंड डालकर उसके उपर लेट गया। मैंने उसकी चुचियों को अपने हाथों में जकड़ लिया और उसकी चुचियों को दबाते हुए चूसने लगा।

और सांप की तरह उसकी बदन पर अपना लंड उसकी चुत में डालकर उपर नीचे अपने शरीर को घिसटने लगा। मेरे उपर नीचे होने से मेरा लंड उस भिखारी औरत की चुत के अंदर बाहर होने लगा। उस वक्त मैं फिर उसकी चुत में झड़ गया और थका मंदा उसके नंगे बदन पर उसकी चुत में अपना लंड घुसाए लेटा रहा।

अचानक मुझे किसी के खांसने और चलने की आवाज आई मैं उस आवाज़ को सुनकर फुर्ती में उस भिखारी औरत के नंगे शरीर पर से उठा और अपने कपड़े उठाकर अंधेरे में झाड़ियों के बीच भाग आया। वो भिखारी औरत अभी भी नंगी फटे हुए कपड़ों में बेहोश पड़ी थी। मुझे उसको ढकने का मौका ही नही मिला।

मैं अंधेरे में झाड़ियों के पीछे छिपकर खड़ा हो गया और उस भिखारी औरत की तरफ ही देख रहा था। मुझे बेहद अफसोस हो रहा था की मैं उसका नंगा बदन ढक नही पाया। ये कहानी पूरी नहीं है आगे उस भिखारी औरत के साथ क्या हुआ। वो मैं आप सभी को कहानी के दुसरे – भिखारी औरत की रातभर सड़क पर चुदाई – 2 भाग में बताऊंगा।

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