भाड़ेदार बुजुर्ग औरत की चुत चुदाई-2

आप सब ने पिछली कहानी तो पढ़ी ही होगी- भाड़ेदार बुजुर्ग औरत की चुत चुदाई-1, तो आप सब जानते होंगे कि क्या-क्या हुआ था।

उस दिन शाम को मैं जब ऑफिस से घर आया तो मैं यही सोच रहा था, की कहीं उस औरत को मैंने जो उसके ब्लाउज के साथ हरकत की उसके बारे में पता तो नही चला होगा?? मैं यही सब बातें अपने मन में सोंच रहा था, मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी,

फिर मैंने हाथ मुँह धोया और थोड़ी भूख लगी थी, तो मैं खाना खाने लगा करीब शाम के 7 बज रहे होंगे जैसे ही मैं खाना खाकर सोफे पर आराम करने गया वैसे ही लाइट चली गयी, थोड़ी देर मैं वैसे ही चुपचाप कमरे में रहा।

लेकिन गर्मी ज्यादा थी उमस से मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया। मैंने सोचा कि क्यों न छत पर चला जाऊं। छत पर तो गर्मी से राहत मिलेगी।

तो मैंने कमरे से एक प्लास्टिक की कुर्सी उठाई और लेकर छत पर चला गया। उस औरत का कमरा छत के रास्ते में ही था। मैंने देखा कि वो अपने कमरे के दरवाज़े के पास ही बैठी थी, मैं उससे नज़रे चुराता हुआ छत पर चला गया, और एक कोने में कुर्सी लगाकर बैठ गया।

मैं बस ये अंदाजा ही लगा रहा था कि ब्लाउज वाली बात का उस औरत को पता चला होगा या नही, तभी मेरे पीछे से किसी के आने की कदमों की आहट सुनाई दी, पर मैंने पीछे मुड़कर नही देखा,

कुछ ही पलों में वो औरत मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी, ऐसा लग रहा था, की वो भी गर्मी से परेशान थी, वो मेरे बगल में खड़ी होकर अपने साड़ी के पल्लू से खुद को हवा हांक रही थी,

मैं चुपचाप बैठा रहा, वो भी मेरे कुर्सी के बगल में नीचे बैठ गयी, और अपने पल्लू से हवा हांकने लगी। जैसे ही वो नीचे बैठी तो उसके बड़े-बड़े बूब्स के उभार उसके ब्लाउज के ऊपर से दिखने लगे, उसके चुचियों के बीच की सटीक गहराई दिखने लगी।

वो आराम से बैठी हुई थी, उसने अपनी साड़ी को घुटनों तक ऊपर कर लिया था ताकि उसे बैठने में कोई परेशानी न हो, मैं कभी उसकी गोरी टाँगों को देखता तो कभी उसके मदहोश कर देने वाले चुचियों के आकार को निहारता,

जब वो हवा हांक रही थी तब उसकी चुचियाँ हिल डुल रही थी, मैं ऊपर से उसकी चुचियों पर नज़र गड़ाए बैठा था, पर पिछली रात जो मैंने किया था उस बात पर मैं थोड़ा शर्मिंदा महसूस कर रहा था,

तो मैंने अपनी नज़रे नीचे कर ली, पर मेरा लंड अब गरम हो चुका था, मेरी पैंट में तंबू जैसा उभार हो चुका था,

करीब आधे घंटे तक हम दोनों चुपचाप रहे कोई भी एकदूसरे से कुछ नही कह रहा था, फिर उस औरत ने मुझसे कहा आज गर्मी कुछ ज्यादा ही है, तो मैंने हम्म कहके जवाब दिया, उसके बाद फिर दोनों चुप रह गए।

मैं ये सोंच भी नही सकता था कि आगे वो क्या बोलने वाली है, कुछ देर की चुप्पी के बाद उस औरत ने मुझसे कहा ” इतनी कीमती चीज को यूं ही बर्बाद नही करते” मैंने कहा क्या??

मैं कुछ समझा नही मैंने कहा, तो वो फिर बोली ” इतनी कीमती चीज को ऐसे ही बर्बाद नही करना चाहिए इससे शरीर का नुकसान होता है” मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है। उसे पता चल गया था।

मैं उससे माफी मांगने ही वाला था, की उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया, मैं तो सन्न हो गया कि ये सब कैसे हो रहा था।

मैं कुर्शी पर पहले से ही अपनी टाँगे सीधे पसारे हुए बैठा था। उसने मेरे लंड पर अपना हाथ रखा और मेरी टाँगों के बीच में आकर बैठ गयी। वो अभी भी अपना हाथ मेरे लंड पर जमाये हुए थी।

और बड़ी बेशर्मी से मेरी आँखों मे आंखे डालकर मेरी तरफ देख रही थी, शायद उसे लग रहा था कि मैं कुछ कहूँगा। पर मैं अब समझ चुका था। चुप रहूँगा तो भलाई है अच्छी खासी चुत मिलने वाली थी। मैं चुप रह जब मैंने उसका कोई विरोध नही किया तो उसने मेरी पैंट की इलास्टिक खींची और मेरा खड़ा लंड पैंट से बाहर निकाला।

मेरे लंड को बारीक नज़रो से देखने लगी और अपनी दो उंगलियों से मेरे लंड की मोटाई मापने लगी। फिर उसने मेरे लंड को मेरी पैंट से पूरा निकालने की कोशिश की मगर इलास्टिक टाइट थी। तो मैंने बिना कुछ बोले उसकी मदत की मैंने अपनी कमर उठाई और उसने मेरी पैंट को एक ही झटके में खींचकर मेरी टाँगों से निकाल दिया।

अब मैं नीचे से बिल्कुल नंगा कुर्शी पर उसके सामने बैठा हुआ था। उसने फिर से मेरे लंड को अपनी मुठी में भर लिया और मेरे लंड की चमड़ी को नीचे सरकाते हुए उसने मेरी गोटियों को दबा दिया और मेरे लंड को पूरे आकर में ला दिया।

उसके हाथों के स्पर्श से पहले ही मेरा लंड टनक कर 8″ लंबा और 4″ मोटा हो चुका था, वो बड़े हसरत के साथ मेरे लंड से खेल रही थी, ऐसा लग रहा था, की सालों से उसकी चुदाई की भूखी हो।

पलक झपकते ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और गपा-गप्प मेरे लंड को चूसने लगी। उसके जीभ की गर्माहट ने मेरे लंड पर अपना जादू बिखेर दिया, मैं भी उतेजना के मारे अहह… अहह.. करने लगा।

मैंने अपनी टाँगे और खोल दी और उसके सर को पकड़कर अपना लंड चुसवाने लगा। मैंने उसके बालों को कसकर पकड़ लिया और अपने लंड पर उसका मुंह जोर से दबाने लगा। मेरा लंड थूक-थूक हो चुका था।

मैं भी उसके सर को पकड़कर अपनी कमर उठा उठा कर उसके मुँह में अपना लंड पेलने लगा। मैं एक ही झटके में अपनी गोटियों तक लंड को उसके मुँह में डाल रहा था, मैंने इतनी तेजी से उसके मुँह को चोद रहा था कि उसे खाँसी आने लगी।

और अब तक मेरा लंड एक दम किसी मूसल जैसा सख्त और भारी हो चुका था, जब वो खाँसने लगी तो उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया, मैं समझ गया कि अब ये मेरा लंड अपने मुँह में सहन नही कर पा रही है।

वो चुपचाप पीछे हटकर घोड़ी बन गयी मैं समझ गया कि अब ये चुदवाने के लिए तैयार है। मैं भी कुर्शी से नीचे उतर गया। और पीछे से उसकी साड़ी उठाकर उसे पीठ तक कर दी।

एक ही पल में मुझे उसकी नंगी बड़ी सी गांड और उसकी चुत साफ दिखने लगे। वो घोड़ी बनी अपनी चुत चुदाने को तैयार थी, मैंने अपने लंड को अपने हाथ से संभाला और उसकी मदमस्त चुत पर लगाया।

लंड का सूपड़ा उसकी चुत में घुस चुका था, फिर मैं उसके बालों को पकड़े उसकी गांड पर बैठ गया। और अपना लंड उसकी चुत में दबा दिया। मेरा साबुत लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ अंदर घुस गया।

अब मैं उसकी गांड पर उछल-उछल कर उसकी चुत को चोदने लगा। मैं दम लगाकर उसकी चुत पेलने लगा वो बिना कोई नखरें दिखाए अपनी चुत आराम से मरवाने लगी।

मैं उसकी गांड पर ज़ोर-ज़ोर से उछलकर उसकी चुत में जड़ तक अपना लंड चोद रहा था। मैं इतनी तेजी से उसकी चुत में लंड अंदर बाहर कर रहा था। कि उसकी चुत की पाद. पररर.. फ़ररर… निकल रही थी।

कुछ देर बाद मेरा लंड बिना ज़ोर लगाए हुए ही बड़ी आसानी से उसकी चुत के अंदर बाहर होने लगा, और मेरे लंड पर कुछ गरम-गरम से महसूस होने लगा। जब मैंने देखा कि जब लंड उसकी चुत से बाहर आ रहा था। तब उसकी चुत का पानी बाहर निकल रहा था, वो अब झड़ चुकी थी।

उसके बाद मैं भी अहह…अहह करने लगा और तेज़ी से उसके बूर में अपना लंड चोदने लगा। मैं भी झड़ने वाला था उसे पता चल गया कि मैं अब झड़ने वाला हूँ। तो उस औरत ने अपना एक हाथ पीछे किया और अपनी चुत के पास ले आयी और जैसे ही मेरा पानी छूटने वाला था। उसने मेरा लंड अपनी चुत के बाहर खींच लिया।

मैं भी उसके गांड के पीछे बैठकर अपना लंड पकड़े अपने लंड का पानी निकालने लगा। मेरे लंड का पूरा माल जमीन पर निकल गया।

फिर कुछ देर बाद मैं वापस कुर्शी पर टाँगे फैलाये बैठ गया, और उसकी चुत के पानी से सने लंड को देखने लगा। फिर वो भी मेरे पैरों के बीच आकर बैठ गयी।

मेरे लंड का आकार अभी भी बड़ा था लेकिन उसमें कड़ापन नही था, मेरा लंड मेरी टाँगों के बीच कुर्शी पर लटक रहा था। उस औरत ने फिर से मेरे लंड को अपनी मुठी में लिया और मेरे लंड को चाटने लगी वो मेरे लंड पर लगे अपनी चुत के पानी को चाट गयी।

मैं भी उसके ब्लाउज की हुके खोलने लगा और उसके बड़े-बड़े दूधों को अपनी उंगलियों से मिसने लगा। फिर से मेरे लंड हरकत में आने लगा मेरा लंड अपना सर उठाने लगा। और मैं उसकी दोनों लटकी हुई चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा।

जब मेरा लंड कड़क होने लगा तब वो घुटनों के बल मेरे दोनों पैरों के बीच में खड़ी हो गयी और मेरे लंड को अपनी दोनों बड़ी चुचियों के बीच में दबा लिया। और अपनी चुचियों के बीच में ढेर सारा थूक उगल दिया जो मेरे लंड पर भी लग गया।

फिर उसने अपनी चुचियों के बीच में दबे मेरे लंड को चोदना शुरू किया, उसके कोमल कोमल चुचियों को चोदते हुए मेरा लंड फिर से टनक कर टाइट मूसल जैसे हो गया। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड किसी रुई के तकियों के बीच में कुचल रहा हो।

मुझे बहुत आनंद आ रहा था, मेरे मुंह से मादक ध्वनि आह..आ..आ.. निकल रही थी, जब मेरा लंड तैयार हो गया तो उसने मेरे लंड अपनी चुचियों के बीच से हटाया और फिर से घोड़ी बन गयी।

मैं भी कुर्शी से उतर गया और उसकी गांड के पीछे घुटनों के बल खड़ा हो गया। मैंने उसकी साड़ी उसकी गांड से हटा कर उसकी पीठ पर कर दी।

और फिर अपना लंड पीछे से उसकी चुत पे दबा दिया और उसकी कमर को पकड़कर थोड़ा ज़ोर लगाया। मेरा लंड उसकी चुत के अंदर की हवा को निकालता हुआ पच्च.. की आवाज के साथ उसकी चुत में घुस गया।

मैं फिर से उसकी चुत मारने लगा जब मेरी नज़र उसकी हिलती हुई बड़ी गांड पर गयी तो मेरे मन मानो उसकी गांड मारने को मचल सा गया। उसकी बड़ी गांड झटके देने पर कमाल की थिरक रही थी। मेरा मन उसकी गांड देखकर ललच गया।

तो मैंने अपना लंड उसकी चुत से निकाला और अपना लंड उसकी गांड की दरार के बीच रगड़ने लगा। उसने कोई आपत्ति नही जताई फिर मैं उसकी गांड के ऊपर हवा में अपना लंड लहराते हुए उसकी गांड की दरार में अपना लंड फिराने लगा।

फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड की छेद पर टिकाया और लंड को अंदर करने की कोशिश की मगर मेरा लंड उसकी गांड की छेद में नही घुसा उसकी गांड की दरार थोड़ी तंग थी, उसके दोनों कूल्हे आपस मे सटे हुए थे, जिससे उसकी गांड की छेद पर लंड सही से सेट नही हो पा रहा था।

तो मैंने उसके सीने को नीचे की तरफ दबाया वो भी मेरा इशारा समझ गयी उसने अपने सीने को जमीन से सटा लिया और अपनी गांड को थोड़ा पीछे करके और फैला दिया जिससे उसकी गांड की दरार फैला गयी और उसकी गांड की छेद साफ दिखने लगी।

फिर मैंने अपने लंड के अगले हिस्से को पकड़ा और आराम से उसकी गांड की छेद पर जमा दिया और अपने लंड को उसकी गांड में दबाते हुए उसकी गांड पर चढ़ गया।

पहले तो लंड पर बहुत जोर पड़ रहा था, पर जैसे ही लंड का अगला हिस्सा उसकी गांड में घुसा तो लंड का पीछे का हिस्सा भी घप्प से उसकी गांड में घुस गया। वो एकदम से आह…हहह…कराही और फिर शांत हो गयी।

उसकी गांड की छेद मेरे लंड के पिछले हिस्से को कस रही थी, फिर मैंने धीरे से अपने लंड का थोड़ा सा हिस्सा उसकी गांड से बाहर खींचा और फिर धीरे से अंदर किया,

मैं ऐसे ही करता रहा जिसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूं। फिर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ाई और उसकी गांड पर बैठे उसकी गांड में सीधा अपना लंड चोदने लगा। वो आआन्ह.. आआन्ह कराहने लगी, जो मुझे सुनकर मज़ा आ रहा था,

मैं उसे कुत्ते और कुतिया जैसे चुदाई करते है वैसे ही पोजीशन में उसकी गांड मार रहा था, मैं उसकी गांड पे चढ़कर उसकी गांड में अपना लंड दे रहा था, वो कराह रही थी, आआन्ह… आआन्ह… मा हहह..आह मआ हह… एकदम जैसे कोई दुल्हन पहली चुदाई के वक़्त आवाजे निकलती है एक दम वैसे ही

आधे घंटे तक मैंने उसकी गांड पर चढ़कर उसकी गांड चोदी और अपने लंड का स्वाद चखाया फिर मैं उसकी गांड में ही झड़ गया और हाँफता हुआ उसकी गांड से अपना लंड निकाला वो अभी भी घोड़ी बनी हुई थी,

मैं पीछे से उसकी गांड को निहारते हुए उसकी चुत में उँगली कर रहा था, और अपने लंड की मुट्ठ मार रहा था, कुछ ही मिनटों में मेरे लंड का पानी निकलने को आया तो मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया और उसे पेट के बल जमीन पर लिटाते हुए मैं उसपर पीछे से चढ़कर लेट गया।

मैं नीचे से हाथ लगाकर उसकी चुचियों को मसलने लगा और अपने लौड़े का पानी उसकी चुत में छोड़ने लगा उसने भी अपनी टाँगे पसार कर मेरे लंड को अच्छे से अपनी चुत में घुसवा लिया और मेरे नीचे लेटकर मेरे लंड का पानी अपनी चुत में सोखती रही।

आधी रात तक मैं और वो औरत वैसे ही छत पर चुदाई का नंगा खेल खेलते रहे उस रात तो दोनों की हवस शांत हो चुकी थी, अब उसे मेरे घर मे आये 2 महीने हो चुके है। और मैं अभी भी उसके हफ्ते में तीन दिन रात भर चोदता हूँ ।

तो दोस्तो कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी उम्मीद है, आप सभी को पसंद आई होगी।

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