मुनिया को चोदते उसकी मां ने देखा

जब मैं और रवि मुनिया की कोठरी में उसके साथ खेल खेल में उससे कुश्ती करते हुए। हमें मुनिया की टाइट चुचियों को दबाने के कई मौके मिल रहे थे। मुनिया भी कुश्ती करती हुई कभी मुझपर चढ़कर मुझे हराती तो कभी मैं और रवि दोनों मुनिया के उपर चढकर कभी उसकी छाती (ब्रेस्ट) को दबाते तो कभी उसकी दोनों टांगों को फैलाकर बीच में अपनी कमर डालकर अपने टनटनाये हुए लंड को उसकी जींस वाली बूर के उपर रगड़कर खुश हो रहे थें।

दरअसल मैं आप सभी को ये कहानी शुरू से बताता हूं। मैं सुमित उम्र 22 साल और मैं एक पिछड़े हुए गांव से हूं। जहां कोई सुख सुविधा नहीं है। मैं गांव से दूर शहर में रहकर पढ़ता हूं। कुछ दिन पहले मैं छुट्टियां बिताने गांव आया हूं।

इस कहानी में 2 और किरदार है एक तो रवि उम्र 22 साल और दूसरी मुनिया दरअसल मुनिया का नाम नीता है बचपन से लोग उसे मुनियां मुनिया ही कहते है। मुनिया मुझसे लगभग 4 साल छोटी थी।

मुनिया एक ठेठ देशी गंवार लड़की थी। उसमें लड़कियों वाले कोई गुण नही दिखते है। बाल लड़कों के जैसे हमेशा जींस और टीशर्ट पहना करती है और गांव में छोटे बड़े लडको की टोली में उनकी तरह ही आवारा गर्दी करती है।

एक दिन मैंने देखा मुनिया अपने घर से निकली तो मुझे अपने घर के बाहर बैठा देख दौड़ती हुई मेरे पास आई। मैं तो एक टक सिर्फ़ उसकी छातियों को ही देखा रहा था। उसकी दोनों चूचियां उपर नीचे उछलती हुई टीशर्ट के अंदर आपस में टकराती हुई। उसकी टीशर्ट पर उभर रही थी।

मैं देखते ही समझ गया की उसने अंदर कुछ नही पहना है। वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मेरी नजर उसकी चुचियों पर ही थी। सामने से देखने पर मुनिया के दोनों निप्पल उसके टीशर्ट पर साफ़ उभरे हुए थे।

वो बिना मतलब मुझे देख मुस्कुराए जा रही थी। उसने हंसते हुए मुझे मेरे बारे में पूछा मैं उसकी चुचियों को घूरते हुए ही उसके सारे सवालों का जवाब दे रहा था। मुझे उसकी चूचियां देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था।

उसकी चूचियां उसके बदन के हिसाब से काफी बड़ी दिख रही थी। कुछ देर बात करने के बाद वो अपनी चौड़ी से गांड़ मटकाते हुए चली गई और जाते जाते मेरे लंड खड़ा कर गई।

एक दिन की बात है मैं और रवि जो को मुनिया का ही चचेरा भाई है। वो और मैं गांव से दूर खेतों में घूम रहे थे। वहीं एक बहुत घना छोटा सा जंगल था। वहां लड़के बच्चों का शोर हो रहा था। तो रवि ने कहा चल सुमित जंगल की ओर देखा जाए क्या हल्ला हो रहा है।

फिर हम दोनों जंगल की तरफ गए तो वहां छोटे बच्चे आपस में खेल रहे थे। मुनिया भी उनके साथ वही खेल रही थी। मुनिया ने हमदोनो को देखकर कहा हम लोग लुक्का छिपी खेल रहे है। तो रवि ने कहा हमें भी अपने साथ खेलाओ तो वहां का रूल था। जो नया है वो चोर बनेगा।

रवि ने कहा ठीक है मैं चोर बनता हूं। तुम लोग जाकर छिपो सारे बच्चें जाकर छिप गए और मैं भी छिप गया। तभी रवि ने कुछ बच्चों को पकड़ लिया और वो जंगल से बाहर चले गए। रवि बाकी के लोगों को खोजने लगा।

मुनिया ठीक मुझसे 10 फिट आगे एक झाड़ी के पीछे छिपी हुई थी। मैं मुनिया की गांड़ को देख रहा था। तभी रवि मुनिया के आस पास पहुंच गया। मुनिया अभी भी छिपी हुई थी। तभी रवि ने पीछे से आकर मुनिया को दबोच लिया।

एक पल में मानों मैं वो देखकर निसब्द हो चुका था। रवि मुनिया को पीछे से जकड़े उसकी चुचियों को अपने पंजों में कसकर दबाते हुए मुनिया को पटककर उसके उपर चढ़ गया था।

मुनिया उसका विरोध नहीं कर रही थी। बस मुस्कुराते हुए उसके पंजे अपनी चुचियों पर से हटाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन जब रवि मुनिया को पटककर उसके उपर चढ़ा तो मैंने देखा वो बिना कपड़े खोले ही उसको चोद रहा था।

वो उसकी गांड़ पर अपने लंड को रगड़ रहा था। रवि का लंड खड़ा हो चुका था और मुनिया की गांड़ पर महसूस भी होता होगा। इतने में ही वो एकदम से मुनिया के उपर से हटा और मुनिया को सीधा लेटा कर झट से उसने उसकी टीशर्ट को एक झटके में ही उपर उठा दिया।

अब रवि के मुनिया की एक चूंची थी और दूसरी चूंची को रवि बड़ी बेरहमी से निचोड़ रहा था। मुनिया ने अपने मुंह को अपने ही हाथ से दाब रखा था। रवि हड़बड़ी में ही मुनिया की दोनों चुचियों को चूसकर मुनिया की टीशर्ट ठीक की और झट से उठकर खड़ा हो गया और बाकी के लोगों को खोजने लगा।

मैंने देखा मुनिया के चेहरे पर कोई शिकायत नहीं थी। वो पहले की तरह ही हंसते मुस्कुराते हुए ही खेल रही थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं आश्चर्य से भरा हुआ कभी मुनिया की तो कभी रवि के चेहरे को देख रहा था।

अगले दिन मुनिया मेरे घर आई मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था। वो मेरे बिस्तर पर झुककर मेरी तरफ अपना चेहरा किए मुझसे बातें करने लगी। लेकिन मैं तो मुनिया के टीशर्ट के गले से उसकी लटकती हुई चुचियों के नज़ारे ले रहा था।

मैं थोड़ा और आगे उसके पास चला गया अब नजदीक से मुझे मुनिया की दोनों हल्की काली दोनों निप्पलें दिखाई दे रही थीं। मुनिया की चुचियों ने मेरे लंड को खंभा बना दिया।

मैंने बात के बीच में ही मुनिया को कहा तू यही रुक मैं 1 मिनट में आता हूं। मैं बिस्तर से उतरा और अपना तना हुआ लंड जानबूझकर मुनिया की गांड़ में रगड़ता हुआ कमरे से बाहर आ गया।

मुझे कुछ काम नही था मैं तो बस उसकी गांड़ में अपना लंड सटाना चाहता था। मुनिया की गांड़ बहुत चौड़ी थीं। मैं अपने लंड को छुपा भी नही सकता था। वो तंबू बनाए हुए मेरी पैंट के अंदर ही लस लसा रहा था।

मैं वापस रूम में आया और मुनिया से बोला तुझे याद है बचपन में हम कैसे लुक्का छुपी और पटका पटकी खेला करते थे। तो मुनिया ने गंवार जैसी हसी हंसते हुए कहा हां याद है। मुनिया बोल पड़ी की चल कल की तरह लुक्का छिपी खेलते हैं।

तो मैंने कहा नहीं रे कल तो लुक्का छिपी खेला ही था। आज पटका पटकी खेलते है। तो मुनिया ने कहा ठीक है। चल खेलते है। वो बोली मैं तुझे पटका पटकी में हरा दूंगी। तू मुझसे जीत नही पाएगा। मुझे मुनिया की ये बात थोड़ी ललकार लगी।

मैंने कहा देखा जायेगा कोन किसको पटकता है। मुनिया ने कहा की तू अपना शरीर देखा पिलपिला सा है। मेरी बॉडी देख मैं पहलवान की तरह हूं। मुनिया के चिढ़ाने से मेरी झांटों में आग लग गई।

मैंने मन ही मन कहा की साली शरीर पतला है लेकिन लंड रवि के मुकाबले मोटा है। मुनिया ने वही मुझपर चढ़ाई शुरू कर दी। मैंने भी उसके दोनों चूचे अपनी मुठियो में भर लिया। मुनिया बस अपनी जीत पर ध्यान लगाए हुए थीं।

मुझे उसके मम्मे मसलने में बहुत मजा आ रहा था। लेकिन कमरे में आवाज बहुत हो रही थीं। मैंने मुनिया को रोका कहा की यहां बहुत शोर हो रहा है। कही और जगह है खेलने की तो वो झट से बोली चल मेरे घर चल मैंने कहा की तेरी मां होगी और डॉट देगी।

तो मुनिया ने कहा की मां अभी गायों को चराने गई होगी और शाम तक लौटेगी। मैं तुरंत मुनिया के साथ साथ उसके घर आ गया। मैं और मुनिया उसकी कोठरी में पहुंचे ही थे। मुनिया ने मुझे पीछे से धकेल दिया।

मुनिया अब मेरे उपर थी सच पूछे तो मुझे मुनिया की बूर का भाप मेरे पेट पर महसूस हो रहा था। लेकिन मैंने मुनिया को पटकने के लिया अपना जोर लगाया और अगले पल मुनिया मेरे नीचे दबी हुई थी और मैं मुनिया के उपर चढ़ा हुआ था।

मेरा लंड टाइट होकर मुनिया की बूर को हम दोनों के कपड़ों के उपर से ही रगड़ रहा था। सच बताऊं तो यार पहली बार मैंने की लड़की की बूर के इतने करीब गया था।

मुनिया मेरे नीचे दबी हुई अपने हाथ से मेरे पेट में गुदगुदी करने लगी। मैंने मुनिया का हाथ उसकी कमर से पकड़ा और गलती से मेरी मुट्ठी में मुनिया की हाथ के साथ साथ मुनिया की टी शर्ट आ गई और जैसे ही मैंने मुनिया के हाथ को ऊपर खींचकर उसके कंधे तक उठाया।

मुनिया की टी शर्ट एक तरफ से उपर खींच गई जिससे मुनिया की एक चूंची टी शर्ट के अंदर से बाहर आ गई। मुनिया अपनी चूंची को मेरे सामने नंगी देखकर थोड़ी शर्मा गई और बोली अब बस अब बाद में खेलेंगे।

मुनिया की नंगी चूची को देख मेरी नजर मानों उस पर अटक सी गई थी। मैंने मुनिया की बातों को अनसुना करके उसकी काली निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। मुनिया बोली सुमित क्या कर रहा है? मैंने कहा मुनिया आज तेरा दूध पीने दे।

बहुत मजा आ रहा है। मुनिया मुझे धक्का देने लगी। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने मुनिया की दूसरी चूंची भी टी शर्ट के बाहर निकाल दी। अब मुनिया थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली की सुमित मैं तेरी मां से कह दूंगी।

मैंने मुनिया की बातें सुनते हुए उसकी चुचियों की अच्छे से दुहाई कर रहा था। उसकी बातों का मुझपर कोई असर नहीं हो रहा था न ही उसकी धमकी से मुझे कोई फर्क पड़ता था क्योंकि रवि और उसका राज मैं जानता था।

मैंने अपना एक हाथ बढ़ाकर मुनिया की जींस की चैन खोल दी। फिर मैंने अपनी दो उंगलियों को अपनी डाला तो मुझे मुनिया की धधकती और लसलसाई बूर छूने को मिली।

मुनिया की बूर से पानी बह रहा था। उंगली अंदर डालने के बाद मुझे पता था की आगे क्या करना है। मैंने अपनी दोनों उंगलियों को मुनिया की बूर में ठेल दिया। मुनिया आआआह्हह… करके आगे सरकी मैंने अपनी उंगलियों से मुनिया की बूर को चोदना शुरू कर दिया।

मुनिया आह… उह्ह्ह्ह… आह… कर रही थी। मैंने मुनिया को कहा कुत्तीया तू रवि का लंड अपने बूर में लेती है तब तुझे दर्द नही होता। मेरी दो उंगली से तू दर्द से तड़प रही है।

मुनिया मेरे मुंह से इतना सुनते ही शांत हो गई अब पूरे कोठरी में बस उसकी गीली बूर में घुसती हुई उंगलियों की चप्प चाप्प… आवाज थी। मैंने अपनी पैंट उतार दी और चड्डी की इलास्टिक के उपर से अपना मोटा और 7 इंच लंबा लंड लटका दिया। अब मेरा मोटा लंड मुनिया की आंखों के सामने था।

मैंने मुनिया की जींस की बटन को खोला और बिस्तर से उतर कर मुनिया की जींस को उसके जांघों तक खींच दिया। फिर मैंने मुनिया की कमर में हाथ डालकर मुनिया को बिस्तर के किनारे खींच लिया।

मैंने मुनिया की दोनों टांगों को अपने दोनों कंधों पर टांग दिया। फिर मैंने अपना मोटा लंड मुनिया की गीली बूर पर रगड़ते हुए मुनिया की बूर में धकेल दिया। मुनिया कराह गई। मुनिया पहले चोदवा चुकी थी लेकिन शायद रवि के लंड में इतना जोर नही था की मुनिया की बूर को फैला सके। जब मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा लंड मुनिया की बूर को फैलाते हुए अंदर घुस गया।

मुनिया सिसक गई और एक मधुर आआह्हह में कराह उठी। मैंने अपने पैर जमीन पर अच्छे से जमा लिए और मुनिया की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर मैंने अपना लंड मुनिया की बूर के अंदर बाहर करने लगा।

कुछ देर मुनिया की वैसे ही मैं चूदाई करता रहा। उसके बाद अचानक से मुनिया अजीब सी अंगड़ाई लेने लगी और उसकी बूर में मुझे मेरे लंड पर गीला गीला और गरम सा कुछ महसूस हुआ । जब मैंने अपना लंड मुनिया की बूर से बाहर निकाला तो देखा

उसकी बूर से गाढ़ा और सफ़ेद पानी निकल रहा था। मुनिया अब मस्ती में अपनी बूर को अपनी उंगलियों से रगड़ रही थी। वो मुझे अब ऐसे देख रही थी जैसे वो मुझे अपने लंड को अपनी बूर में डालने को कह रही हो।

मैंने भी जोश में आकर मुनिया की दोनों टांगों को और अधिक फैला दिया और अपनी एक टांग को मुनिया के कमर के पास रख लिया और दूसरी टांग को जमीन पर ही रहने दिया।

मैंने ऐसी पोजीशन बना ली थी। जिससे मैं मुनिया की बूर में और गहराई तक अपना लंड उतार सकू। मैंने पोजीशन लेकर मुनिया की बूर में अपना लंड ठांस दिया और अपने लंड को मुनिया की बूर में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में मुनिया की बूर से फस्स फस्स… की आवाज आने लगी। साथ उसकी बूर से सफेद दानेदार पानी मेरे लंड पर लगते हुए मुनिया की बूर से बहने लगा। मैं चूदाई में इतना खो गया था की मुझे ये भी नही पता चला की कब मुनिया की मां घर आ चुकी थी।

मैं मुनिया चूदाई के आग में आआह्हह्ह… आह्ह्ह्ह… उफ्फ किए जा रहे थे। लेकिन तभी अचानक से मुनिया की मां कोठरी में आ गई और अपनी बेटी की बूर में मेरा लंड घुसा देख सकपका गई।

मैंने अपना लंड मुनिया की बूर से जैसे ही निकला मुनिया को उसकी मां ने चप्पल से पीटना चालू किया और अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को पकड़कर ऐसे खींच रही थी जैसे उखाड़ ही देगी। मुनिया की मां मुझे भी धीमी आवाज में गालियां दे रही थी।

लेकिन मैंने मुनिया की मां को धक्का देकर गिरा दिया और वहा से अपने कपड़े पहनते हुए भाग गया। मुझे पक्का यकीन था की मुनिया की मां गांव में इस बात का पता चलने नही देगी क्योंकि उसकी ही बदनामी होगी।

लेकिन दो दिन बाद मुनिया की मां ने मुझे जंगल में पकड़ लिया और आगे की कहानी मैं आप सभी को अगली कहानी में बताऊंगा। उम्मीद है आप सभी को ये मुनिया को चोदते उसकी मां ने देखा की कहानी पसंद आई होगी।

error: Content is protected !!

DMCA.com Protection Status