खाट पर मौसी की जबरदस्ती चूदाई

ये बात 2 महीने पहले की है जब मेरी विधवा मौसी मेरे भाई की सादी में मेरे घर आई थी। उनकी बदन की गर्माहट से मेरे अंदर वासना की आग भड़क गई और मजबूरन जबरदस्ती मैंने उनकी चूत में अपना गरम वीर्य भर दिया।

खाट पर मौसी की जबरदस्ती चूदाई

मेरा नाम बिपिन है मैं 25 साल का हूं। मेरा पढ़ाई लिखाई से कोई लेना देना नही है। मैं सच बताऊं तो मैं अपने गांव का सबसे आवारा लड़का हूं। जिसे सारे नशे की लत है। मैं दारू से लेकर गुटका सब कुछ खाता पीता हूं।

इस वजह से मेरे घर वाले मुझे ज्यादा पसंद नही करते। सच बताऊं तो मेरे मां बाप और भाई अपना मानते ही नहीं है। जिसके कारण मुझे अपने घर में अपने भाई के जैसे इज्जत नहीं मिलती थी।

मुझे एक कबाड़ रखने वाले पतले से कमरे में एक पतली सी खाट पर सोना पड़ता था। वैसे हमारा घर कुछ खास बड़ा नही है। लेकिन मेरे मां बाप ने मुझे अपना औलाद नहीं मानते थे। बस उनका ही खून होने के कारण वो मुझे बस झेल रहे हैं।

मेरे कमरे में एक खाट बिछने के बाद जगह ही नहीं बचती थी। मैं अपना सारा काम ख़ुद ही किया करता था। कभी मन करता तो ईट के भट्ठे पर काम करने जाता तो कभी गांव में दिन भर इधर उधर घूमता रहता।

भाई की शादी के दो दिन पहले मैं बहुत खुश था। लेकिन मेरे मां बाप ने कहा की तू न इस घर का सदस्य है और न ही तुझे सादी में कही दिखना है। ये सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ मेरे अंदर का सारा उत्साह मानो मर गया।

मैंने सोच रखा था की भाई की शादी तक कोई नशा नहीं करूंगा। लेकिन जब मेरे मां बाप ने मुझे शादी में सामिल होने से मना ही कर दिया तो मैं निराश होकर शराब पीने लगा। पीते पीते रात हो गई और मैं घर आकर अपने कमरे में सो गया।

अगली सुबह मैं जल्दी काम पर निकल गया और जान बूझकर ओवरटाइम काम में रहा और अंत में अपनी दिहाड़ी लेकर मैं शराब पीने बैठ गया। रात को मैं लड़खड़ाता हुआ अपने कमरे में आकर सो गया।

आधी रात को जब मुझे हल्की सी ठंड लगी। तो मैंने अपनी आंख खोली तो देखा एक औरत अपनी गांड़ मेरे कमर से सटा कर सोई हुई थी। उसकी गांड़ गोल और चौड़ी दिख रही थी। जब मैंने उसकी चेहरे को देखा तो वो मेरी मौसी थी।

मैं एक टक उनको देखता रह गया। फिर मेरी नजर उनकी छाती पर गई। उनकी दोनों चूचियां उनके दोनों बाजुओं से दबकर उनकी ब्लाउज से आधे बाहर आई हुई थी।

मौसी की चूचियों को देखते ही मेरे लंड में खलबली मच गई। मैंने अपने लंड को मौसी की गांड़ से एकदम चिपका दिया। मौसी बहुत लंबा सफ़र करके आई थी और थकान के मारे धीमे खराटे मारकर सोई हुई थी।

मेरे लंड बिल्कुल टाइट हो चुका था और मौसी की गांड़ में चुभ रहा था। मैंने बचपन से अब तक बहुत सी औरतों को और लड़कियों को चोदा था। लगभग मेरे आस पड़ोस की सारी भाभी , चाची बूर और उनकी लड़कियों की सील मैंने ही तोड़ी थी।

मुझे बहुत तजुर्बा था की औरतों को चोदने के समय कैसे वश में किया जाता है। मैंने मौसी को चोदने का मन बना लिया था। मेरा लंड पानी फेंक रहा था। मैंने धीरे से मौसी की पेट पर एक हाथ रखा और साड़ी की प्लेटों को अपनी मुट्ठी में पकड़कर धीरे धीरे उनकी कमर से निकालने लगा।

कुछ ही देर में मैंने मौसी की साड़ी उतार दी अब मौसी पेटीकोट और ब्लाउज में सोई हुई थी। मुझे पता था की मौसी की उम्र की गांव की औरतें चड्डी वगैरह नही पहनती और मौसी 45 की उम्र में क्या चड्डी पहनती होंगी।

मैं खाट पर से उठकर मौसी की टांगों के नीचे खाट के किनारे बैठ गया। फिर मैंने मौसी की दोनों टांगों की एड़ियों को पकड़ा और मौसी की दोनों टांगों को खाट के दोनों पाटो पर फैला दिया।

अब मौसी खाट पर बीचों बीच सोई हुई थी और उनकी दोनों टांगें फैली हुई थी। उनकी चूत की दर्शन में देर थी तो बस उनकी पेटीकोट हटाने की मैंने वो भी कर दी।

मैंने मौसी की पेटीकोट उनके जांघों के उपर तक उठा दी। मौसी की वो मोटी मोटी सांवली जांघें और उससे भी काली घनी झांटे जो मौसी की चूत को अपने अंदर समाए हुए थी। मैं नशे में था न तो मुझे ये करने में शर्म आ रही थी और न ही डर लग रहा था।

मैंने अपनी पैंट उतारी और अपना 5 इंच गोलाई वाला मोटा लंड अपने हाथ में लेकर मौसी की जांघों के बीच लेटने लगा। जैसे ही मेरा लंड मौसी की चूत के पास आया। मैंने एक ऊंगली से मौसी की चूत की छेद के पास से उनकी झांटों को साइड किया और अपना मोटा लंड उनकी चूत की छेद में लगा दिया।

मौसी की चूत में मेरा सूपड़ा फंस गया तो मैंने एक धक्का मारा मौसी हड़बड़ा कर जाग गई। मैंने एक और धक्का मारकर अपना मोटा लंड मौसी की चूत में ठेल दिया और मौसी के दोनों हाथों को खाट के पाटो पर दबा दिया।

फिर मैंने मौसी के मुंह को अपने होठों से दाब लिया। ताकि उनकी आवाज न निकले। मौसी अपने दोनों टांगों को फड़फड़ा रही थी और अपने हाथ मेरी गिरफ्त से छुड़वाना चाहती थी। उनकी जांघों के बीच में मेरी कमर थी।

मेरा लंड उनकी चूत में मैंने अपना लंड एक बार बाहर खींच लिया और एक कस का धक्का मौसी की चूत में जड़ दिया। इस बार मेरा बचा खुचा हुआ लंड भी मौसी की चूत के अंदर पिल गया।

मौसी दर्द के मारे चिलाना चाहती थी। क्योंकि उनकी होठ हरकत में थी लेकिन मैंने उनको अपनी होठों से दाब रखा था। मैं मौसी पर पूरी तरह से काबू कर चुका था। मैं मौसी की चूत में कसकर धक्के मारने लगा।

खाट मेरे हर धक्के पर चर्र चर्र…. कर रही थी। मैंने मौसी को करीब आधे घंटे तक लगातार चोदा मेरे हर धक्के पर मौसी के चूचे उनकी ब्लाउज से बाहर उछल रहे थे।

मौसी की चूत को चोदते हुए मैं अपने पेट को उनके पेट से रगड़ रगड़कर अपना मोटा और लंबा लंड उनकी चूत में पेल रहा था। कुछ ही देर में मौसी की चूत से गरम रस रिसने लगा। मौसी झड़ चुकी थी। लेकिन मैं उनको दनादन चोद रहा था।

मौसी की चूत झड़ने के बाद उनके गरम लावे ने मेरे भी लंड को झड़ने पर मजबूर कर दिया। मैं तेज़ तेज़ धक्के मारते हुए उनकी चूत में ही झड़ गया। मैं मौसी की चूत में लंड डालें हुए अपने लंड का बूंद बूंद वीर्य उनकी चूत में झड़ता हुआ।

उनके उपर लेट गया और अपने एक हाथ से मौसी की ब्लाउज का सारा हुक खोलकर मैंने उनकी दोनों निप्पलों और गोल गोल चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। मौसी की मखमली चूचियों को चूसते हुए मेरा लंड उनकी चूत में फिर से धीरे धीरे टाईट होने लगा।

शायद मौसी को मेरे लंड के अकड़ने से तकलीफ हुई वो हल्की सी आवाज में कराह दी। आह… मैं अब मौसी के उपर रेंगते हुए अपना लंड उनकी चूत में डालने लगा।

मौसी के होठ अब आजाद थे जिससे उनकी सिसकियों की आह.. आआ… ऊओओओ… की हल्की आवाज निकल रही थी। इतनी चूदाई के बाद मौसी के अंदर की भी वासना जाग रही थी। वो ना चाहकर भी मेरा साथ देने पर मजबूर थी।

मेरा मोटा लंड उनकी चूत को अच्छे से रगड़ते हुए चोद रहा था। इसबार मैंने मौसी को खूब चोदा और फिर मैं मौसी के उपर से उठ गया और उनकी कमर के नीचे हाथ लगाकर उनको पलटकर मुंह के बल लिटा दिया।

फिर मैंने उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया और उनकी दोनों टांगों को खाट के दोनों तरफ फैलाकर उनके उपर चढ़ गया। फिर मैंने उनकी गांड़ के नीचे से अपना मोटा लंड उनकी चूत में डाला और अपनी कमर को उनकी गांड़ पर अच्छे से दबाकर लेट गया।

मैं मौसी की मखमली गांड़ को अपने कमर से दाब रहा था। जिससे मेरा लंड भी उनकी चूत में हल्का हल्का अंदर बाहर हो रहा था। मैं मौसी की चूचियों के नीचे अपने हाथ घुसाकर उनकी चूचियों को अच्छे से दबा रहा था। साथ ही साथ उनकी निप्पलों पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए।

मौसी के मुंह से मधुर आह… ओह… उम्म्म… की आवाजे निकालने पर मजबूर कर रहा था। थोड़ी देर बाद मैं अपनी कमर को मौसी की गांड़ पर रफ्तार में पटक पटककर अपने लंड को उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा।

ऐसे ही रुक रुककर मैंने मौसी को करीब एक घंटे तक चोदा और फिर से अपना गरम वीर्य मौसी की चूत में डालकर लेट गया।

मौसी की जबरदस्त ठुकाई के कारण उनका और मेरा सारा बदन पसीना पसीना हो चुका था।
उनकी चूत से मेरे लंड का रस रिस रहा था। मैंने अपना लंड मौसी की चूत से निकाला और फिर से अपनी पैंट पहनकर सो गया।

अगली सुबह जब मेरी नींद खुली तो मौसी गायब थी। जब मैं कमरे से बाहर गया तो देखा वो आंगन में बैठकर औरतों के झुंड में बातें कर रही थी। उन्होंने एक नजर पलटकर मुझे देखा फिर वो बातों में बिजी हो गई।

उस रात को वो मेरे कमरे में फिर से आई और खाट पर बैठकर थोड़ी देर वो मुझसे किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शर्माती रही। फिर कुछ देर बाद वो लेट गई और अपनी गांड़ को मेरे लंड से सटाने लगी।

ये उनका खुला इशारा था मैंने उनके सारे कपड़े खोल दिए। आज कुछ बदलाव था। उनकी सांवली चूत पर एक भी बाल नहीं थे। आज मैंने उनकी गांड़ और चूत दोनों को अपने लंड का मजा चखाया।

शादी के बाद मौसी ने मेरे घर वालों से बात की को मैं वहां अकेली रहती हूं। मेरे घर के पास ही बड़ी बड़ी फैक्ट्री है। मैं इसका काम वही लगवा दूंगी। मेरे मां बाप अपना बोझ झड़ने के चक्कर में मान गए।

मैं भी हसी खुशी मौसी के साथ उनके घर चला गया और रोज मौसी की गांड़ और चूत चोदने लगा। आगे की कहानी मैं अपने अगली कहानी में बताऊंगा।

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