होली के दिन पाँच चूतों का दीदार

दोस्तों ये कहनी लंबी नही लेकिन है। लेकिन एक दिन में मैंने कैसे पांच चूतों में अपना लंड उतार दिया। वो मैं आप सभी को विस्तार से बताता हुं। दरअसल मुझे ये आईडिया मेरे कामिने दोस्त से मिला।

होली के दिन पाँच चूतों का दीदार

मैं पहले से थोड़ा छिछोरा था। क्योंकि मैं अपने घर की औरतों पर गंदी नजर रखता था। मैं मां बड़ी बहन, दादी और दोनों चाचियों को गंदी नज़रों से देखता था। मैंने अपने घर सभी औरतों के किसी की बड़ी किसी की छोटी चूचियों की वादियों में नजारें मारता रहता था।

मेरे घर में अभी मैं सिर्फ इकलौता मर्द था। क्योंकि पापा और दोनों चाचा शहर में रहकर काम करते है।

मैंने तो कई बार अपने घर की औरतों की चड्डी में मुट्ठ मारी थी। लेकिन मैंने कभी सोचा भी नही था की मैं इन्हें कभी चोद भी सकता हूं।

होली के दिन करीब थे। तो मैंने सुना बड़ी चाची और घर की सारी औरतें एक जगह बैठकर बातें कर रही थी की होली के दिन सभी मर्द पीकर अपना दिन इंजॉय करते है। हम औरतों को घर के काम से कभी छुट्टी नही मिलती।

चाची होली के दिन हम भी पीकर आराम करेंगे। तभी मां ने कहा सबसे अच्छा है भांग पीकर चैन की नींद सो जाओ। तभी बड़ी चाची ने हामी भरते हुए कहा। ठीक है दीदी मैं बाजार से भांग वाली मिठाई ले आऊंगी।

होली के दिन सारा काम निपटाकर भांग खाकर हम भी आराम करेंगे। मैं सब चुपचाप सुन रहा था। उसके बाद शाम को मैं अपने दोस्त के साथ घूमने निकल गया।

उसने कहा की होली है परसों मैं तो अपनी चाची को नशे की दवा देकर खूब चोदूंगा। मैं उसकी बातों को सुनकर सन्न हो गया और उसका मुंह देखता रह गया। उसने मुझे मजाक में गाली देते हुए कहा मुंह क्या देख रहा है बहन चोद पिछले साल मैंने अपनी मां को चोदा था। उसकी चूत बहुत ढीली थी मजा नही आया।

इस साल मैं अपनी चाची को चोदने के फिराक में हूं। मैंने कहा साले तू ऐसे क्यों बोल रहा है। तो उसने कहा हां रे मेरी चाची बहुत मस्त आइटम है। देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है।

उसी वक्त मेरे दिमाग़ में भी मेरी दोनों चाचियाँ और मां के लिए कामुकता जाग गई। दोस्त से बात करते करते मेरा लंड मां और चाचियाें की चूत में जाने के लिए बेकरार सा हो गया।

मैंने बातों ही बातों में उससे दवा के बारे में पूछा उसने बता भी दिया और कहा की ये दवा काफ़ी असरदार है। उसने कहा 4 घंटे तक होश नही आता चाहे जितनी भी जोर से चोदो या चूत फाड़ दो उनको जरा भी होश नही आयेगा।

मैंने अपना दिमाग़ लगाया और तभी मुझे याद आया की होली के दिन वैसे भी मेरी घर की सारी औरतें भांग खाने वाली है। क्यों न मैं भांग की जगह उनको यही नशे की दवा दे दूं।

होली के दिन सब कुछ प्लान के हिसाब से गया। मैंने चाची की लाई हुई। भांग वाली मिठाई की जगह नशे वाली दवा मिली मिठाई बदल दी। उस मिठाई के डब्बे में नशे वाली गोलियों का पूरा पत्ता डाल दिया था।

अब बस उनके मिठाई खाने का इंतज़ार था। दोपहर के करीब 1 बजे मां बड़ी बहन, दोनों चाचियां और दादी मिठाई खाने बैठी उन्होंने पंद्रह मिनट में मिठाई का डब्बा खाली कर दिया।

उसके कुछ देर बाद वो सभी सोने अपने अपने कमरे में चली गई। मां और बड़ी बहन एक साथ एक कमरे में दादी आंगन में ही लेट गई और दोनों चाचियां अपने अपने कमरों में लेट गई।

आधे घंटे बाद मैं दादी के पास गया मैंने हल्के से दादी को उठाया लेकिन दादी ने कोई हरकत नहीं की। मैंने उनके दोनों चूचियों पर अपने हाथ को रखा। लेकिन दादी ने कुछ हरकत नही दिखाई तो मैंने दादी के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए।

अब मैं उनकी पानी भरे गुब्बारे जैसे लचीली चूचियों को मसलते हुए उनकी निपलों को चूसने लगा और एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर तैयार करने लगा।

मैंने दादी की साड़ी को ऊपर उठा दिया उनकी साड़ी उठते ही दादी की गोरी गोरी टांगें और बिना बालों वाली गोरी चूत मेरी आंखों के सामने थी।

दादी के चूत के दोनों होठ आपस में चिपके हुए थे। मैंने जैसे ही दादी की दोनों टांगों को हल्का सा फैलाया। उनकी चूत हल्की से खुली। मैं उनकी टांगों के बीच बैठ गया और अपना लंड जैसे ही दादी की चूत में दबाया।

बिना कोई मेहनत के मेरा लंड आराम से दादी की चूत में चला गया। ऐसा लग रहा था की मैंने किसी गरम भट्टी में अपना लंड डाल दिया है। हालांकि मुझे ज्यादा मजा नही आ रहा था क्योंकि दादी की चूत काफी ढीली थी।

मैंने दादी की करीब 15 मिनट चोदा और अपना माल़ उनकी चूत में डालकर उनके कपड़े ठीक किए और नंगा ही बड़ी चाची के कमरे में चला गया।

मैं अब कॉन्फिडेंस में था की ये सभी बेहोश है और उठने वाली नही हैं। मैंने बड़ी चाची की दोनों टांगों को पकड़ा और उन्हें खींचकर बिस्तर के किनारे किया।

चाची की कमर अब बिस्तर के किनारे थी। मैंने उनके दोनों टांगों को ऊपर उठाया। जिससे उनकी साड़ी ख़ुद पे खुद सरकती हुई नीचे आ गई ।

मैंने चाची की कमर उपर उठाई और उनकी साड़ी को उनकी गांड़ के नीचे से उठाकर उनकी साड़ी को ऊपर उठाकर उनके चेहरे को ढक दिया।

मैंने चाची के दोनों टांगों को हवा में उठाकर पकड़ लिया और अपना लंड उनकी चूत में डाला और थोड़ा सा जोर लगाया। तो मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी काली काली झांटों से भरी चूत में घुस गया।

मैंने चाची की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। अब पूरे कमरे में चाची की चूत को चोदने की फच्चर फच्चर… आवाज के साथ चाची के पायलों की आवाज आने लगी। चोदते चोदते मैंने अपना माल चाची की चूत में डाल दिया।

मुझे काफी संतुष्टि मिली लेकिन मेरी बड़ी चाची की गांड़ काफी बड़ी और चौड़ी थी। मैंने उनकी दोनों टांगों को ऊपर उठा रखा था जिससे मुझे चाची की गांड़ की छेद दिखाई दे रही थी।

मेरे लंड पर वीर्य की परत जमी हुई थी जिससे अच्छी खासी चिकनाई थी। मैंने अपनी उंगलियों पर अपने मुंह से ठुक निकाला और चाची की गांड़ की छेद पर लगाकर अच्छे से लगा दिया।

फिर मैंने अपने लंड को चाची की गांड़ की छेद पर रख दिया और हल्के से धक्के पर मेरे लंड का सूपड़ा चाची की गांड़ में घुस गया। चाची की गांड़ अभी भी टाईट थी। मैंने धीरे धीरे करके अपने लंड को उनकी गांड़ के अंदर डाल दिया।

मैं उनकी टांगों को पकड़कर अपना लंड उनकी गांड़ में डालने लगा। चाची की गांड़ टाइट होने की वजह से मुझे अपना लंड अंदर बाहर करने में बड़ी कठिनाई हो रही थी। मेरे लंड उनकी टाइट गांड़ में जल्दी ही झड़ गया।

मैंने बड़ी चाची को चोदकर उनके सारे कपड़े ठीक किए और उनके कमरे से निकलकर सीधा छोटी चाची के कमरे में गया। तो देखा वो औंधे मुंह लेटी हुई थी। उनकी गांड़ उपर थी और चेहरा नीचे और उनकी साड़ी उनकी एक टांग पर से हटी हुई थी।

छोटी चाची को देखकर मेरे लंड में फिर जान भर गई। मैं तुरंत चाची के पास उनके बिस्तर पर गया। मैंने तुरंत चाची की साड़ी को ऊपर उठा दिया और उनकी गोरी गांड़ की फांकों के बीच अपना लंबा लंड डालकर उनकी गांड़ की फांकों में रगड़ने लगा।

चाची को गांड़ की दरार में मेरे लंड पर लगा हुआ वीर्य फैल गया। मैंने चाची की कमर के नीचे तकिया लगाया। जिससे उनकी गांड़ उपर उठ गई। फिर मैंने चाची के गांड़ के दोनों हिस्सों को फैलाकर अपना मूंह उनकी गांड़ की छेद पर लगा दिया।

मैंने चाची की गांड़ को मन भर चाटा और अपने मुंह का सारा थूक उनकी गांड़ की छेद पर थूक दिया। फिर मैंने अपने लंड के टोपे को चाची की गांड़ की छेद पर दबाया। काफी ज़ोर लगाने के बाद उनकी गांड़ से हवा निकालते हुए मेरा लंड उनकी गांड़ में घुस गया।

मैंने लंड को और अंदर डालने की कोशिश की लेकिन चाची की कुछ दो साल पहले शादी हुई थी। जिससे उनकी गांड़ कुछ ज्यादा ही टाइट थी। मैंने थोड़ी जबरदस्ती से अपना लंड चाची की गांड़ में डाला जैसे ही और एक इंच लंड चाची की गांड़ में गया। उनकी गांड़ की छेद से हल्का खून आने लगा।

मैंने जल्दी से अपना लंड उनकी गांड़ से निकाला और उनकी गांड़ से थोड़ा नीचे आते हुए मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया।

मैं चाची की चूत में लंड डालने के बाद उनके उपर लेट गया और लेटे लेटे ही धक्के मारते हुए चाची की चूत चोदने लगा। आधे घंटे तक मैंने चाची की चूत की जबरदस्त चूदाई की और अपना माल उनकी चूत में छोड़कर शांत हो गया।

उसके बाद मैं मां के कमरे में गया जहां मां और मेरी बड़ी बहन सोई हुई थी। मां और बहन दोनों ने नाइटी पहनी हुई थी। पहले मैंने मां की नाइटी ऊपर उठाई और उनकी चूत को देखने लगा। मैंने अपनी दो उंगलियों को मां की चूत में घुसाया।

मेरी दोनों उंगलियां बड़े ही आराम से मां की चूत में घुस गई। जब मैंने एक साथ तीन उंगलियों को मां की चूत में डाला तो मुझे थोड़ी परेशानी लगी। मैंने अपनी तीनों उंगलियों को मां की चूत के अंदर बाहर करने लगा।

मां की चूत गीली हो चुकी थी और चपड चपड़ आवाज कर रही थी। फिर मैंने अपना तना हुआ लंड मां को चूत के छेद पर रखा और मुझमें जितनी ताकत थी उतनी ताकत के साथ मां की चूत और मेरी कमर के बीच के फासले को तय कर गया।

एक ही झटके में मैंने मां की चूत में अपना पूरा लंड ठेल दिया। मैंने उनकी दोनों जांघों को पकड़ लिया और कस कस कर अपने लंड को धक्का दे देकर अपनी मां की चूत को चोदने लगा। मां की चूत बहुत गरम थी और उनकी झांटों के बाल जब मेरे लंड पर घिस रहे थे।

तब मेरे अंदर एक कामुकता की अलग ही एहसास को जगा रहे थे। मैंने थोड़ा जोर लगाया और जल्दी जल्दी मां की चूत को चोदने लगा और अंत में मैंने अपना वीर्य मां की चूत के अंदर ही छोड़ दिया।

फिर मैंने मां की चूत से अपना लंड बाहर निकाला। मां की चूत और झांटों पर मेरा और मां का माल फैला हुआ था।

मैं अपनी बहन के पास उसकी दोनों टांगों के बीच आकर बैठ गया। जैसे ही मैंने उसकी नाइटी उठाई तो देखा उसने अंदर चड्डी पहनी हुई थी। मैंने उसकी चड्डी को बड़ी मेहनत लगाकर नीचे खींच लिया।

अब उसकी चड्डी उनकी घुटनों तक थी। अब उसकी चूत देख मेरी हालत खराब होने लगी। उसकी चूत एकदम साफ सुथरी जैसे उसकी चूत पर कभी झांट आती ही न हो। गुलाबी होठों वाली चूत देखकर मेरे अंदर का जानवर जाग गया।

उसकी चूत के दोनों होठ आपस में ऐसे चिपके हुए थे जैसे उनके बीच हवा भी न जाती हो। मैंने एक उंगली लगाकर देखा तो उसकी चूत एकदम कुंवारी थी क्योंकि मेरी एक उंगली भी बड़ी मुस्किल से उसकी चूत में जा पाई थी।

मैंने अपने हाथों से अपनी बड़ी बहन के दोनों जांघों को फैला दिया और अपने लंड को उसकी चूत के दोनों होठों के बीच लगा दिया। जैसे ही मैंने धक्का मारा तो मेरे लंड का गोल सूपड़ा उसकी चूत की छेद में घुस तो गया। लेकिन मुझे ऐसा लगा की मानों मेरे लंड को किसी पतली सी पाइप में डाला गया हो।

मुझे भी दर्द होने लगा। लेकिन मैंने थोड़ा और जोर लगाकर अपना लंड उसकी चूत में डाला तो उसकी चूत से खून आने लगा। जिसे देख मैं डर गया और जल्दी से अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया।

मैंने उसकी चूत के खून को साफ किया और उसकी चूत को देखते देखते अपना माल निकलने लगा। अब मेरी बहन की चूत की छेद गुलाबी से लाल हो गई थी और उसकी चूत की छेद थोड़ी सी बड़ी हो गई थी।

मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना वीर्य अपनी बहन की चूत के उपर ही निकाल दिया और कुछ देर मां और बहन को नंगा देखता रहा उसके बाद मैंने उन दोनों के कपड़े ठीक किए और वहां से बाहर निकल गया।

फिर मैं अपने दोस्तों के साथ गांव में होली खेलने में व्यस्त हो गया। तो दोस्तों उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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