नसेड़ी बहन की चुत चोद डाली

नसेड़ी बहन की चुत चोद डाली

मेरी बहन की हरकतों का भेद तब खुला जब मैं अपनी दीदी के पास आगे की पढ़ाई पढ़ने के लिए दिल्ली गया। मेरी बहन पूरी बदल चुकी थी। वो भी 2 साल पहले गाँव से दिल्ली अपनी MBA की पढ़ाई के लिए आई थी। पाप ने उसे दिल्ली में एक फ्लैट दिला दिया था।

वो वहीं रहकर अपनी MBA की पढ़ाई करती थी। बीच बीच में कभी माँ कभी पापा दिल्ली चले जाया करते थे। कुछ दिन रहकर गाँव लौट जाते मेरी बहन दिल्ली जाकर मॉडर्न हो गयी थी। बड़े बड़े घर के बच्चे उसके दोस्त बन गए थे। उनकी गलत संगत में रहकर वो शराब भी पीने लगी थी।

वो शराब की इतनी आदि हो चुकी थी कि रोज़ शाम को बिना पिये घर आती ही नही थी। उसकी इसी कमजोरी ने मुझसे उसकी चुत चुदवा दी। आइये अब मैं आप सब को सीधे कहानी पर ले चलता हूँ।

नसेड़ी बहन की चुत चोद डाली

मेरी उम्र 22 साल की है और मेरा नाम कवि है। मैं और मेरा परिवार दिल्ली के पास एक गाँव में रहते है। मेरी दीदी काजल जिसकी उम्र 27 साल की है। परिवार में हम चार लोग ही मैं मम्मी पापा और दीदी 2 साल पहले मेरी दीदी MBA की पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गयी।

क्योंकि गाँव में MBA की पढ़ाई तो हो पाती नही तो पापा ने दिल्ली में दीदी का एडमिशन करवा दिया और एक छोटा सा फ्लैट किराये पर लेकर दीदी का वहाँ रहने का इंतेजाम करवा दिया।

कुछ दिनों के बाद दीदी दिल्ली में रहकर पढ़ाई करने लगी। बीच बीच में कभी माँ कभी पापा दिल्ली चले जाते कुछ दिन रहकर वापस गाँव आ जाते। क्योंकि अकेली जवान लड़की दूसरे शहर में पढ़ाई करती थी। जिसकी उन दोनों को बहुत फिक्र रहती थी। और पापा को बार बार अपना काम छोड़कर आने जाने में दिक्कत होती थी।

तो उन्होंने मेरा भी वहीं के कॉलेज में एडमिशन करवा दिया अब मैं भी अपनी आगे की पढ़ाई दिल्ली में ही करने वाला था। तो माँ , पापा और मैं दिल्ली चले गए दीदी के पास मैं दीदी से बहुत दिनों के बाद मिला था। और पूरा परिवार एक साथ था। तो उस दिन समय कैसे गुजरा पता ही नही चला।

करीब 3-4 दिनों के बाद माँ और पापा वापस गाँव लौट गए। अब मैं और मेरी बहन अकेले रह गए थे। जब तक माँ पापा थे तब तक तो सब ठीक चल रहा था। उसके बाद मेरी बहन ने फिर से घूमना फिरना शुरू कर दिया लेट रात तक घूमकर घर आती।

मैंने एक दो बार उसे टोका भी तो उसने मुझे धमका दिया और कहा आपने काम से काम रखो। मैंने गौर किया कि मेरी बहन पहले से काफी बदल चुकी थी। थोड़ी मॉर्डन और खुले विचारों वाली हो चुकी थी।

कुछ दिनों तक वैसा ही चलता रहा वो रोज़ रात को लेट आती मैं उसका इंतेजार करता रहता। फिर एक रात मैं उसका इंतज़ार कर ही रह था। की तभी दरवाज़ा खटखटाने की आवाज आई मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा दीदी बाहर खड़ी थी। उसकी आँखें लाल लाल थी और दूर से ही उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी।

फिर वो लड़खड़ाती हुई अंदर आ गयी मैंने उसे संभालने की कोशिश की पर उसने मेरा हाथ झटक दिया। और लडखडाती और दीवार पकड़कर अपने कमरे में चली गयी।

मुझे बहुत गुस्सा आया मैं भी चुपचाप अपने कमरे में चला गया। फिर कुछ देर बाद मैं खाना लेकर उसके कमरे के दरवाज़े तक पहुँच और दरवाज़ा खटखटाया तो उसने कोई जवाब नही दिया। दरवाज़ा अंदर से बंद नही था। तो मैं अंदर घुस गया। देखा कि वो जिस हालात में आई थी उसी हालत में बिस्तर पर बेहोश पड़ी थी।

उसने तो अपनी जीन्स और टीशर्ट भी नही बदली थी उसी कपड़ो में वो सो गई थी। फिर मैंने उसके पैर ठीक करके बिस्तर पर कर दिये और वापस अपने कमरे में आकर सो गया।

2-3 दिन फिर सब ठीक ठाक था। फिर एक रात वो पूरी नशे में घर आई इसबार भी वो इतने नशे में थी कि उससे ठीक से चला भी नही जा रहा था। फिर वो गिरते पड़ते अपने कमरे में चली गयी।

कुछ देर बाद जब मैं खाना लेकर उसके कमरे में गया तो इसबार मैं उसकी हालत देखकर चौक गया। उसकी इस हालत को देखकर मेरा लंड उठने लगा। वो सिर्फ चड्डी और ब्रा में बिस्तर पर मुँह के बल नशे में बेसुध सो रही थी। उसकी चड्डी की पट्टी उसकी गांड की दरार में चली गयी थी। जिससे उसके बड़े गोल गोल चूतड के उभार मेरी नज़रो के सामने थे।

और उसके ब्रा की हुक भी पीछे से खुली हुई थी। उसके पेट के बल लेटे होने के कारण मुझे उसकी चुचियाँ तो नही दिखी पर मेरी नज़र उसकी कमर के नीचे हिस्से पर टिक गई थी। मेरी नज़रे एक टक उसकी बड़ी सी गांड पर टिक गई थी।

उस वक़्त मेरी बहन की फिगर क्या गजब लग रही थी। एक दम सेक्सी माल लग रही थी। मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैं कभी अपने लंड को देखता तो कभी अपनी दीदी की गांड को और फिर मेरी नज़र दीदी की चड्डी की पट्टी पर गयी जिसने दीदी की चुत को ढक रखा था। पर चड्डी की पट्टी उसकी चुत पर से थोड़ी सरक गयी थी।

जिससे उसकी एक तरफ की आधी चुत चड्डी से बाहर झाँक रही थी। मैं उसकी चुत के हिस्से को देखकर उत्तेजना से इतना पागल हो गया कि मेरा लंड मेरी पैंट की इलास्टिक में से सीधा होकर बाहर निकल गया और मेरी नाभि को छूने लगा।

मुझसे अब रहा नही गया और मैं चुपके से उसकी कमर के पास जाकर खड़ा हो गया। फिर मैंने हल्के से दीदी की गांड को छुआ जिससे मुझे एक मादक झटका सा लगा। और मैं आनंद से भर गया दीदी की सॉफ्ट सॉफ्ट गांड छूते ही मेरे लंड से पानी आने लगा।

फिर मेरा मन ज्यादा लालची होने लगा। मैंने धीरे से अपनी एक उँगली उसकी चुत पर चड्डी के ऊपर से ही रख दी। चुत पर उंगली जाते ही लगा किसी गरम चूल्हें की भट्ठी हो मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ गयी। फिर मैं अपनी उंगलियों से उसकी चुत को चड्डी के ऊपर से ही छूने लगा। और अपनी उंगलियाँ फेरते हुए दीदी की चुत की बनावट को अपनी आँखें बंद करके महसूस करने लगा।

फिर मैंने अपनी उंगली की मदत से दीदी की चड्डी की पट्टी को उसकी चुत से हटाकर एक तरफ कर दिया। और मैंने अपनी एक उँगली को दीदी की चुत के अंदर डाला मेरी उँगली आराम से उसकी चुत के अंदर चली गयी। मैं दीदी की चुत में उँगली धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।

मैं उसकी चुत में उँगली करते हुए इतना उतेजित हो गया कि मेरे लंड ने अपना वीर्य पैंट में ही निकाल दिया। अब भी मेरे अंदर की आग सांत नही हुई थी। तो मैंने दीदी की एक टांग को मोड़कर थोड़ा आगे किया और दूसरी टांग को सीधा फैलाकर खोल दिया।

अब मैं बिस्तर पर दीदी के दोनों टाँगों के बीच अपना चेहरा उसकी चुत के नज़दीक करके लेट गया। और धीरे से उसकी चड्डी की पट्टी को अपनी उंगली से हटाकर उसकी चुत से हटाकर अच्छे से एक तरफ कर दिया। जिससे उसकी चड्डी उसकी चुत और गांड की दरार से हटकर एक साइड हो गयी।

फिर मैंने अपने दोनों हाथ दीदी के दोनों बड़े चूतड़ों पर रख दिये और उसकी गांड को फैला फैलाकर मसलने लगा और उसकी गांड की छेद को देखने लगा। उसकी गांड की छेद एकदम साफ सुथरी छोटी सी थी फिर मैंने हल्का सा अपनी जीभ को उसकी चुत पर लगाया। और चाटने लगा।

मेरी जीभ से लार सीधे उसकी चुत पर लगने लगा। दीदी की चुत चाटते हुए मेरा लंड फिर कड़ा होने लगा था। और बिस्तर पर मेरा लंड गड़ने लगा। अब मेरा सब्र टूट चुका था मैंने अपनी पैंट खोल दी और अपना 3 इंच मोटा और 7 इंच लंबा लंड हाथ में लेकर फेटने लगा।

फिर मैं अपनी दीदी की दोनों टाँगों के बीच आ गया और अपनी कमर को उसकी कमर के समानांतर ले आया और अपने शरीर को हवा में रखकर अपने लंड को ठीक उसकी चुत के सीध में कर लिया।

फिर अपने लंड को पकड़कर उसकी गांड के नीचे से उसकी चुत की छेद पर लगा दिया और हौले से अपने लंड को उसकी चुत में दबाया आसानी से मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया मुझे लगा था कि चुत में लंड डालने के लिए मुझे मसक्कत करनी पड़ेगी पर मेरा लंड आराम से उसकी चुत में घुस गया। इसका मतलब वो पहले ही अपनी चुत फड़वा चुकी थी।

मैं उसकी चुत में लंड अंदर बाहर करके उसकी चुत चोदने लगा। मुझमे एक अजीब से हड़बड़ाहट होने लगी। मेरा लंड उसकी गरम चुत में गोते लगा रहा था। उसकी गरम चुत की गर्माहट मुझपर जादू कर रही थी। मैं आनंद के मारे हल्की आवाज में अह… अह… करता हुआ उसकी चुत में लंड मारे जा रहा था।

कुछ देर में मेरा लंड गिला हो गया और उसकी चुत से भच्च..भच्च..पच्च.. पच्च.. की आवाज आने लगी मैं पूरे जोश में उसकी चुत चोद रहा था। मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चुत में पिल रहा था। मैं पूरा लंड बाहर खींचकर पूरा अंदर जड़ तक घुसाकर उसकी चुत पेल रहा था।

कुछ देर तक मैं उसकी चुत में धक्का पेल मचाता रहा और अचानक मेरी चुत चोदने की गति बढ़ गयी मैं अंतिम पर आ चुका था। मैं समझ गया कि अब मेरा पानी झड़ने वाला है तो मैंने अपना लंड दीदी की चुत से निकाल दिया और अपने लंड पर अपनी पैंट को लपेटकर सारा माल पैंट पर गिरा दिया।

फिर मैंने अपने लंड को पैंट से पोंछकर साफ किया और वही बैठकर थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने देखा दीदी की चुत से सफेद पानी बह रहा था। लेकिन दीदी अभी भी बेसुध वैसे ही पड़ी थी। मेरा फिर से मन मचल गया और दीदी की चुत की हालत देखकर फिर से मेरा लंड टाइट होने लगा।

अब मैंने दीदी को आराम से पलटकर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी टाँगे सीधी कर दी और फिर मैंने धीरे धीरे करके उसकी चड्डी को नीचे खींचने लगा। धीरे धीरे करके मैंने उसकी चड्डी उसके टाँगों से निकाल दी।

फिर मैंने उसकी दोनों टाँगों को मोड़कर फैला दी और फिर से मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच बैठकर अपना लंड उसकी चुत में फंसा दिया और फिर मैं अपने हाथों के सहारे मैं दीदी के ऊपर आ गया। और अपनी कमर चलाने लगा। मेरा लंड फिर से उसकी चुत के अंदर बाहर होने लगा।

मैंने बहुत देर तक वैसे ही उसकी चुदाई की इसबार मैं काफी देर तक उसकी चुत चोदता रहा क्योंकि मैं पहले दो बार झड़ चुका था तो इसबार जल्दी मेरा माल निकल ही नही रह था। मेरे लंड पर उसकी चुत की पानी लग चुका था। और हर धक्के के साथ उसकी चुत से फच्च… पच्च..पुच…फच्च… की चुदाई की आवाज आ रही थी।

मैं थोड़ी थोड़ी देर का विराम ले लेकर उसकी चुत चोदता रहा करीब 45 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। फिर से मैंने अपने लंड का पानी उसकी चुत के बाहर निकाल दिया। पूरी चुदाई के दौरान दीदी बेहोसी में भी 3 बार झड़ चुकी थी। और उसे पता ही नही चला कि वो आधी रात तक चुदी है।

फिर मैंने उसकी चुचियों पर से उसकी ब्रा हटाई और थोड़ी देर उसकी चुचियों को चूसने दबाने के बाद मैंने अपनी पैंट से उसकी चुत को पोंछकर साफ किया और फिर उसकी चड्डी उसे पहना दी और उसकी चुचियों को उसकी ब्रा से ढक दिया और फिर मैं अपने कमरे में आकर सो गया।

जब मैं सुबह उठा तो मेरा मन तरो ताजा महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था। कि शरीर की सारी अकड़न दूर हो गयी हो। फिर मैं नाहा धोकर मार्केट गया और मेडिकल से कंडोम की बड़ी पैक खरीदी उसके बाद जब भी मेरी बहन शराब पीकर घर आती थी तो मैं कंडोम पहनकर सारी रात उसकी चुत चोदता अब प्रेग्नेंसी का कोई ख़तरा नही था। तो मैं सारी रात उसकी चुत बजाता और उसके होश में आने से पहले वहाँ से भाग जाता हूँ।

तो दोस्तों कैसी लगी आप सब को मेरी बहन की चुत चुदाई की कहानी उम्मीद है आप सब को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। प्लीज अपनी सलाह कॉमेंट करके दे।

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