भांजे ने मुझे अपनी रखैल बनाया

मैं रेशमी आज मैं आप सभी को मेरे साथ रोज़ घटने वाली वो घटना बताने जा रही हूँ। जिसने मेरी जिंदगी ही बदल के रख दी। और मौसी और भांजे के रिश्ते को ही बदल कर रख दिया।

ये कहानी आपको समझ आये इसलिए मैं आप सब को सब कुछ शुरुआत से बताती हूँ। मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। पर जब मेरे पति को पता चला कि मैं बांझ हूँ। और मुझे कभी बच्चा नही होगा तो मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया था। मेरे पति के छोड़ने के बाद मैं बेसहारा हो चुकी थी। अब न तो मेरा पति मुझे रखने के लिए तैयार था। न ही मेरे माँ बाप अब जीवित थे।

तब मेरी बड़ी दीदी और जीजा ने मुझे सहारा दिया और मुझे अपने घर ले आये। मेरी कोई औलाद नही थी क्यों कि शादी के कुछ सालों बाद ही मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया था। उस वक़्त मैं एक जवान छोकरी लगती थी। मैं दीदी के घर में रहने लगी और मेरे भांजे दीपक जो कि उस वक़्त 10 साल का था उसका ख्याल रखने लगी।

दीपक छोटा था इसलिए मैं अपना ज्यादातर समय दीपक को ही दिया करती थी। उस वक़्त कुछ ही दिनों में मैं और दीपक आपस में घुल मिल चुके थे। वो 10 साल बाद मेरे साथ ये सब करेगा मुझे तो इसका अंदाज़ा भी नही था।

देखते ही देखते मुझे अपनी दीदी के यहाँ रहते हुए 10 साल हो चुके थे। दीपक अब 20 साल का जवान हो चुका था। जिसकी दाढ़ी मूछे निकल आयी थी। पर हमारे बीच दोस्तों वाले रिस्ते थे वो मुझे मौसी कम अपना दोस्त ज़्यादा समझता था मैं भी उसके साथ दोस्तों जैसा ही व्यवहार किया करती थी।

पता नही वो अपने मन में उस रिस्ते का क्या मतलब निकाल रहा था। कुछ दिनों से वो अजीब सी हरकते कर रहा था। शायद शराब भी पीने लगा था। और हमेशा मुझे छूने की कोशिश करता कभी मुझे एकदम टाइट से गले लगा लेता तो कभी मुझे साइड से गले लगाकर अपना लंड मेरी जाँघों पर रगड़ता मैं उसके सभी हरकतों को नज़र अंदाज़ कर रही थी।

मैं कभी ऐसा उसके लिए सोच भी नही सकती थी कि मैं उसपर शक करू पर मेरे बदन पर उसकी छुवन को मैं महसूस कर ही लेती थी। वो मुझे गालों पर बचपन से ही किस किया करता था। अब भी करता है पर अब उसके ढंग थोड़े बदले बदले लग रहे थे। वो कभी कभार मेरे स्तनों को भी दबा देता और अनजान बनने का नाटक करता। मैं उसके सभी हरकतों को नोटिस करने लगी थी।

एक दिन उसने मुझे अपना असली रंग दिखा ही दिया उस रात को जब सब एक साथ नीचे बैठकर खा रहे थे। तो वो मेरे सामने ही बैठकर खाना खाने लगा। मैंने गौर किया कि मैं जब भी निवाला खाने के लिए झुकती तो वो मेरी सूट से झांकती चुचियों को देखने लगता सब घर के ही थे इसलिए मैंने दुप्पटा नही डाला था। वो लगातार किसी भूखे भेड़िये की तरह मेरी चुचियाँ ताड़ने लगा।

मैं वहाँ कुछ बोल भी नही सकती थी तो मैं चुपचाप अपना खाना खाने लगी। उसके बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए। दीपक का कमरा छत पर ही बना हुआ था। और मैं, दीदी जीजा जी सब नीचे ही सोते थे। मैंने सारा काम निपटाया और ठंढी हवा खाने के लिए छत पर चली गयी। दीपक भी अपने कमरे से बाहर छत पर ही खड़ा था।

मैं भी जाकर उसके बगल में खड़ी हो गयी और कुछ कुछ बातें होने लगी। मैं छत की रेलिंग पर हाथ रखे थोड़ी झुकी हुई थी। दीपक मेरी बगल में खड़ा होकर मुझसे बातें कर रहा था। फिर वो थोड़ा पीछे हो गया और उसने पीछे से मेरी कमर पर हाथ रखा और मेरी गांड में लंड सटाने लगा। मैं चौंक कर सीधी हो गयी और उसके तरफ अपना चेहरा करते हुए बोली ये क्या कर राह है?

उसने फिर से मुझे पलट दिया और रेलिंग पर झुका दिया और मेरी सलवार को पीछे से पकड़ के चड्डी सहित नीचे खींच दिया जिससे मेरी आधी गांड दिखने लगी मैं उसे ठेलने लगी और अपनी गांड को ढकने की कोशिश करने लगी। पर तब तक उसने अपना लिंग बाहर निकाल लिया था। मैं कुछ नही कर पाई और वो अपना लंड मेरी गांड में धकेलता हुआ मेरी ऊपर से रेलिंग पर झुक गया।

मैं उसके नीचे दबी हुई थी और अपनी गांड को बचाने के लिए मसक्कत कर रही थी। और धीमी आवाज में उसे मना कर रही थी। पर वो जैसे मेरी गांड मारने पर तुला हुआ था। उसने फिर से मेरी सलवार को पीछे से पकड़ा और ताकत के साथ नीचे कर दिया अब मेरी गांड पूरी नंगी होकर उसके लंड के आगे आ गयी।

उसका बड़ा लंड मेरी गांड के बीच से झूलता हुआ मेरी बूर को चूमने लगा। जैसे ही मेरी बूर पर उसका लंड सटा मैं रोने लगी मैं समझ गयी कि आज ये मुझे चोद डालेगा। मैंने एक आखिरी ज़ोर लगाया और दीपक को अपने पीछे से धकेलती हुई उसे अपने से दूर कर दिया। फिर मैं अपनी सलवार ऊपर चढ़ाने लगी कि उसने झट से मेरी सलवार को पकड़ लिया और एक ही झटके में सलवार की डोरी को तोड़ दिया।

जिससे मेरी सलवार नीचे मेरे एड़ियों के पास पहुंच गई फिर उसने मुझे छत पर पटक दिया और मेरी दोनों टाँगों को पकड़कर अपने छाती पर रखा मैं रोने लगी थी पर ज्यादा आवाज नही निकाल रही थी। फिर उसने अपनी पैंट को घुटनों तक नीचे किया और अपना मोटा लंड मेरी बूर पर थप थपाने लगा। मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा था। कि मैं क्या करूँ मैं अपने हाथ से अपनी बूर को ढकने की कोशिश करने लगी।

पर मैं नाकाम हो रही थी। उसने मेरे दोनों पैरों को ऊपर करके पकड़ रखा था। मेरी बूर के पास बैठकर एक हाथ से मेरी बूर में अपना लंड घुसाने की तैयारी कर रहा था। मेरी इज्जत लूटने वाली थी मैं लाचार थी क्यों कि वो मेरा भांजा था मैं ज्यादा शोर नही मचा सकती थी। वो अपने लंड को मेरी बूर पर पटककर अपनी उतेजना को बढ़ा रहा था।

उसके लंड से मेरी बूर पर चोट लग रही थी पर उसे लंड बूर के टकराव से निकलती आवाज अच्छी लग रही थी। फिर उसने मेरी बूर में लंड का अगला हिस्सा धसाने लगा मैं उसके लंड को अपनी बूर में घुसते हुए देख रही थी। कुछ ही पल में उसका सूपड़ा मेरी बूर में घुस गया फिर उसने मेरी दोनों टाँगों को अपने कंधों पर ले लिया और अपना चेहरा मेरे मुँह के बराबर में ले आया।

मैंने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली थी मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे पर उस पर उसका कोई असर नही हो रहा था। मेरी टाँगे फैली हुई उसके कंधो पर थी और मेरी गांड और बूर उसके लंड के निशाने पर फिर उसने एक लंबा शर्ट मारा जिससे उसका लंड पूरा का पूरा एक ही झटके में मेरी बूर में उतर गया।

मेरी तो चींख ही निकल गयी इतने सालों बाद लगा कि फिर से मेरी सील टूट गयी हो वैसा ही दर्द मेरी बूर में हो रहा था। मैंने अपने ही हाथों से अपने मुँह को दबा लिया ताकि कोई सुन न ले फिर उसने मेरी बूर में अपना लंड दौड़ाना चालू किया और अपनी कमर को दबा दबा कर मेरी बूर में अपना लंड पेलने लगा।

मुझे दर्द हो रहा था पर उस जालिम को उससे कोई फर्क नही पड़ रहा था। उसने और मेरी दोनों टाँगों को आपस में चिपका दिया जिससे मेरी बूर मेरी जाँघों से दबकर और टाइट हो गयी और फिर उसने मेरी बूर में अपना लंड पेल दिया। इतने सालों बाद चुदने से मेरी टाइट चुत की दशा खराब हो गयी थी। वो भी मूझे दरिंदो की तरह चोद रहा था।

कुछ देर दर्द के कारण मैं उसका विरोध कर रही थी मगर कुछ देर बाद मेरे अंदर की भी चुदाई की सालों की भूख जाग गयी। पर मैं दिखा नही रही थी मुझे भी उसके मोटे लंड से चुदने में मज़ा आ रहा था कुछ देर बाद मेरे सारे नखरे गायब हो गए बस उसके लंबे लंबे धक्कों पर ही मैं आह..आह.. माई… म अ.. बस इतना ही आवाज निकाल रही थी।

वो अपना लंड मेरी बूर में सरपट दौड़ाए जा रहा था मेरी बूर से वीर्य बहने लगा था जिससे उसका लौड़ा सटासट मेरी बूर के अंदर बाहर हो रहा था। मैं मन ही मन उसकी चुदाई की कायल हो रही थी मेरे होंठ मस्ती में आपस में एक दूसरे को दबाने लगे।

अब मैं खुलकर अपनी बूर उसे सौप चुकी थी और अपनी दोनों टाँगों को उसके कंधो से हटाकर हवा में लहराते हुए खोलकर उसे अपनी बूर को चुदवा रही थी। फिर मैंने झिझकते हुए उसके पीठ पर अपना हाथ फेरने लगी जिससे उसने अपनी रफ्तार बढ़ दी और एक बार में ही अपना पूरा लंड बूर के बाहर और अंदर मारने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसको अपनी बाँहों में भरते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया उसने भी मेरी छाती पर अपना सर रखकर अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों जांघो को पकड़कर दनादन मेरी बूर को चोदने लगा। इतनी देर से हम आपस मे बिना बात किये चुदाई कर रहे थे। काफी देर तक ऐसे ही उसने मेरी बूर की चुदाई की उसके बाद उसने कहा मौसी तू तो कभी माँ बन नही सकती तो मैं तेरी बूर में ही लंड झाड़ रहा हूँ।

इतना कहते ही उसने मेरी बूर को अपने गर्म लावे से भर दिया और निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गया। उसका माल बून्द बून्द करके मेरी बूर से बाहर बहने लगा। कुछ देर मैं भी उसे पकड़कर लेटी रही फिर उसे उठाया और अपनी सलवार उठाकर अपने कमरे में चली आयी

उसके बाद रोज़ वो मेरी बूर चोदता है मैं कभी माँ नही बन सकती इस बात का फायदा उठाकर हर रात वो मेरी बूर पेलता है। जब सब सो जाते है तब वो मुझे गोद मे उठाकर अपने कमरे में ले आता है और सारी रात मेरे साथ चुदाई का नंगा खेल खेलता है। वो मुझे लगातार इतना चोदता है कि रोज़ चुदने से मेरी बूर की चमड़ी भी काली होने लगी है।

जो बूर 20 सालों से साफ सुथरी रहती थी। उस बूर में रोज़ रात को वो अपना माल गिरा कर उसे भर देता है। वो मुझे 2 सालों से लगातार चोदता है। मैं भी उसका इशारा समझ गयी हूँ तो वो जब भी चुदाई के मूड में होता है तो मैं खुद को उसको सौप देती हूँ। मैंने भी अपनी जवानी में चुदाई का सुख खो दिया था। लेकिन अब अपने भांजे की रखैल बनकर चुदाई का पूरा सुख लेती हूँ।

तो दोस्तों कैसी लगी आप सब को मेरी ये कहानी। जो भी औरतें मेरी कहानी पढ़ रही है क्या? उन्होंने कभी अपने बेटे, भांजे, भाई, भतीजे से चुदाई करवाने की सोची है?

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