बुढ़िया ने बस में मेरी रात रंगीन की

ये बात कुछ महीने पहले की है। जब मैं किसी काम से दिल्ली से राजस्थान जा रहा था। तो बस अड्डे पर मेरे साथ एक दिलचस्प घटना हो गयी। वो कहते है ना जब देने वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। उसी तरह उसने मेरी झोली में भी एक ऐसा मौका डाल दिया।

बुढ़िया ने बस में मेरी रात रंगीन की

मेरा नाम कौशल है। मैं दिल्ली में रहता हूँ। और प्रोफेशन से अभी तक एक स्टूडेंट हूँ। और कॉलेज में पढ़ाई करता हूँ। एक दिन मुझे अपने भाई का फ़ोन आया और उन्होंने कुछ काम से मुझे अपने पास राजस्थान बुलाया बस कुछ ही दिनों की बात थी। मैं कुछ दिन उनलोगों के पास रहकर वापस दिल्ली आ जाता।

तो मैंने दिल्ली से राजस्थान जाने की टिकट स्लीपर बस में करवाई क्योंकि बस में ऊपर नीचे अब सिर्फ स्लीपर सीट ही थे। एक दम नई बस थी। शाम को 6 बजे मेरी बस दिल्ली से खुलने वाली थी। तो मैं 5:30 बजे तक बस अड्डे पहुँच गया। वहाँ पर बस पहले से ही खड़ी थी।

मैं बस में चढ़ गया और अपनी सीट पर अपना सामान रखकर नीचे उतर गया क्योंकि बस अभी चल नही रही थी। और अंदर काफी भीड़ और गर्मी थी। मैं बाहर आकर बस की टिकट काउंटर के पास बैठ गया। तभी एक औरत आयी जिसकी उम्र 45 से पर लेकिन 50 वर्ष से कम ही होगी।

वो औरत बस की टिकट के लिए काउंटर पर बात कर रही थी। लेकिन काउंटर पर बैठे आदमी ने कहा आप नही जा सकती सीट नही है बस में। तो उस औरत ने कहा वो नीचे बैठकर सफर कर लेगी।ऐसा उस औरत ने कहा तभी काउंटर पर बैठे एक दूसरे आदमी ने कहा कि एक सीट बची है लेकिन ऊपर वाली स्लीपर सीट है। तो वो औरत सीट लेने के लिए राजी हो गयी।

तभी काउंटर पर बैठे आदमी ने कहा कि 1000 रुपये लगेंगे। तो वो औरत थोड़ी सोंच में पड़ गयी। थोड़ा झिझकते हुए उस औरत ने कहा कि मेरे पास तो इतने रुपये नही है। लेकिन मुझे राजस्थान पहुँचना बहुत जरूरी है। ये कहकर टिकिट काउंटर पर बैठे आदमी से आग्रह करने लगी।

पर उस आदमी पर उस औरत की बातों का कोई असर नही पड़ रहा था। वो आदमी उस औरत को काउंटर से हटने को कह रहा था। वो औरत अपना मन दुखी किये उससे आग्रह किये जा रही थी।

मैं ये सब सुन रहा था आखिर में मैंने उस औरत से पूछा की चाची जी आपके पास जो पैसे है दो बाकी के मैं दे देता हूँ। वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी। बोली बेटा भगवान आपका भला करे। मैंने उस औरत के टिकेट के बाकी के पैसे चुका दिये। अचानक से बस का हॉर्न बजने लगा। बस अब खुलने वाली थी।

तो मैंने उस औरत का समान उठाया और बस में चढ़ा दिया वो भी मेरे पीछे-पीछे बस में चढ़ गई। उसकी सीट मेरे बगल वाली सीट थी। तो मैंने उससे पूछा चाची जी आप ऊपर चढ़ पाओगी? तो वो हा कहते हुए सीट पर चढ़ गई। मैं भी अपनी सीट पर चढ़कर बैठ गया।

वो कहने लगी बेटा कितने संयोग की बात है आपने मेरी मदत की और मुझे आपके बगल वाली ही सीट मिल गयी। उसकी इस बात पर मैंने हल्की सी मुस्कान दी और चुपचाप अपने सीट पर लेट गया।

वो भी मेरे पैरों के बगल में चुप चाप बैठ गयी। फिर कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा कि बेटा आप कहाँ से हो मैंने कहा दिल्ली से और अपने भाई के पास जा रहा हूँ। फिर उसने कहा कि वो राजस्थान से है और दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी करती है। इसीतरह हमारे बीच में बात होने लगी।

मैं खिड़की की तरफ लेटा हुआ था और वो मेरी दूसरी ओर बैठी थी। जिधर पर्दा था। सभी लोग अपने अपने सीट पर बैठ गए थे और सभी लोग अपने अपने तरफ का पर्दा खींच चुके थे। वो देखकर उस औरत ने भी हमारे सीट का पर्दा खींचकर नीचे कर दिया और पर्दे को सीट के गद्दे से दबा दिया।

अब न तो बाहर का कुछ दिख रहा था। और नही बस में बैठे लोग हमें देख पा रहे थे। फिर उसने इधर उधर की बातें शुरू की उसकी बात करने का अंदाज़ थोड़ा राजस्थानी था। पर वो बोल हिंदी रही थी जो मुझे अच्छे से समझ आ रही थी।

मैं भी उससे बातें करने लगा मेरा चेहरा उसकी ही तरफ था। वो थोड़ी गवार किस्म की लग रही थी। उसका शरीर पतली दुबली चौड़ी कमर वाली लंबी कद काठी की गेंहुए रंग की औरत थी। फिर उसने कहा कि वो अपने घर के हालातों के कारण दिल्ली में दिहाड़ी पर काम करती है।

फिर उसने कहा कि बेटा मैं आपका ये एहसान कैसे चुकाऊँ आप मुझे बताओ क्योंकि बस से उतरते ही हम अलग अलग हो जाएंगे। तो मैंने कहा कोई बात नही चाची जी आप पैसो के बारे में ज्यादा मत सोचिये। बस चले जा रही थी। बाहर अंधेरा हो चुका था बस हमारे केबिन की एक हल्की सी लाइट की रोशनी थी।

फिर उसने कुछ देर बाद मुझसे कहा बेटा मैं आपकी मदत हमेशा याद रखूँगी। अगर मैं आपके लिए कुछ कर सकती हूँ तो बताओ। मैंने कोई बात नही चाची जी कहकर बात टाल दी। कुछ देर बाद उसने मेरे पैरों पर अपने हाथ सहलाने शुरू किए। उसके हाथ का स्पर्श पाकर झट से मेरी हाथ खुल गयी।

मैं चुप से उसे ही देखता रहा उसने कहा बेटा अगर आपको कोई अलग सी सेवा दु तो चलेगा? मैं चुप था। वो मेरे पैरों को सहलाती हुई मेरी जाँघों तक पहुँच गयी। मैंने उसके बारे में अब तक कुछ गलत नही सोचा था। लेकिन मैं उसे ऐसा करने से रोक भी नही रहा था। फिर उसने मेरी बेल्ट खोल दी और मेरी पैंट की चैन को नीचे सरका दिया।

फिर वो खिसक कर थोड़ा आगे आयी और बोली बेटा ऐसा करने से आपको कोई दिक्कत तो नही है। मैंने सर हिलाकर कहा जी नही!! अब भला मज़ा भी किसी को बुरा लगता है क्या??

फिर वो हौले-हौले मेरी पैंट में हाथ डालने लगी। अब तक तो मेरा लंड हार्ड होकर तंबू बन चुका था। उसने पैंट में ही मेरे लंड से चड्डी हटाई और मेरा साबुत लंड पैंट से बाहर निकाल लिया। फिर वो मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़े हुए। वहीं घिसट कर लेट गयी और अपनी नज़र उठाकर उसने मुझे देखा और फिर घप से मेरा लंड अपने मुँह में लील गयी।

उसके गर्म होंठो ने मेरे लंड पे ऐसा जादू चलाया की मैंने झट से उसका सर पकड़ लिया। बस चले जा रही थी बाहर और घना अंधेरा हो चुका था। वो मेरे लंड की चुसाइ में लगी हुई थी। उसके होंठ मेरे लंड के इर्द गिर्द अपना कमाल दिखा रहे थे। वो अपने होठों को मेरी लूली पर रखती और पूरा का पूरा लंड अपने होठों से दबाती हुई अपने मुँह में सरका ले रही थी।

फिर उसने मेरी गोटियों को भी अपनी जीभ से चाटना शुरू किया जिससे मेरी उतेजना और बढ़ गयी। उसने चूस चूस कर मेरे 5″ के लंड को 8″ का बना दिया था। उसके गोटियां चाटने से मेरा पानी उसकी मुट्ठी में ही निकल गया। फिर उसने अपने कपड़े से मेरे लंड को साफ किया।

फिर वो अपनी साड़ी के पल्लू जो उसने ब्लाउज में पिन से बांधी थी। उसे खोल दिया। और अपना पल्लू हटाते हुए वो अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मैं अंदर ही अंदर बड़ा बेसब्र था लेकिन अपने आप को सांत दिखा रहा था। फिर उसने अपने ब्लाउज का बटन खोल लिया और अपने हाथों से अपनी चुचियों को संभालती हुई मेरे चेहरे की तरफ अपनी छाती करके लेट गयी।

वो मेरे पास लेट गयी और अपनी दोनों चुचियों को मेरे मुँह पर लटका दिया। और एक चूची को अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह पर दबाने लगी। मैंने भी देरी न करते हुए उसकी चुचियों को पीने लगा। वो बारी बारी अपनी दोनों चुचियाँ मेरे मुँह में डालती रही मैं उसके निपल्लों को चबा चबा कर उसके दूध के भंडारों को अपने मुँह और हाथों से मसलता रहा।

मैंने करीब आधे घंटे तक उसकी चुचियाँ रगड़ी और मसली फिर उसने मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और मेरे लंड को फिर से सहलाने लगी। मेरे लंड में फिर से खुद बुदाहट होने लगी। फिर से मेरा लंड तैयार होकर 8″ का हो गया। फिर उसने अपनी साड़ी को आगे से उठा कर अपनी चूत के ऊपर उठा दिया और अपनी एक टांग को मेरी कमर के दूसरी तरफ कर दिया।

अब उसकी साफ सुथरी चिकनी चूत मेरे लंड से मिलने लगी और वो अब पूरी तरह से मेरे ऊपर चढ़ गई थी। हमारे चेहरे आमने सामने आ चुके थे। फिर उसने अपने पेट के नीचे से हाथ घुसाकर मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के हिस्सों पर रगड़ते हुए सीधे चूत की छेद में लगा दी।

उसके बाद उसने अपनी कमर उठाकर थोड़ा नीचे की तरफ धक्का मारा मेरा लंड फिसलता हुआ उसकी टाइट चूत में समा गया। हमदोनों के मुँह से हल्की सी चींख निकली पर उसने मेरे मुँह को अपने हाथ से दबा लिया और उसने खुद की चींख अपने होठों से दबा ली। ऐसा नही था कि उसकी चूत बिना चुदी चूत थी मगर शायद मेरे ही लंड उसे मोटा पड़ गया था। जो उसकी चूत के हिसाब से साइज में थोड़ा बड़ा था।

थोड़ी देर तक लंड उसकी चूत में ही पड़ा रहा फिर वो मेरे ऊपर आराम से लेट गयी। और हल्का हल्का अपनी कमर उठाकर मेरे लंड से अपनी चूत को चोदने लगी। मुझे जन्नत का आनंद मिल रहा था। मैं उसके नीचे लेटा हुआ उसकी चुचियों को पीते हुए चुदाई का भरपूर सुख ले रहा था।

हम ज्यादा ज़ोर से भी चुदाई नही कर सकते थे। नही तो बस में सबको पता चल जाता। फिर भी उसने करीब 15 मिनट तक ऐसे ही मेरे लंड को अपनी चूत का सुख देती रही। मैं बीच बीच में उसकी गांड पर हाथ फेरके उसकी ज़ोश को और बढ़ावा दे देता।

फिर उसने अपनी चूत से मेरा लंड निकाला और उठकर बैठ गयी। मेरे लंड पर उसकी चूत का रस फैल चुका था। और वही रस उसकी चूत पर भी लगा हुआ था। फिर उसने अपनी साड़ी से मेरे लंड और अपनी चूत दोनों को साफ किया। और मेरी पैंट को थोड़ा नीचे सरकाकर अपनी दोनों टाँगों को मेरी कमर के दोनों तरफ करती हुई

मेरे लंड को अपनी उंगलियों के सहारे पकड़ कर मेरे लंड पर बैठने लगी। अब मैं उसकी चूत में घुसते हुए अपने लंड को देखकर मज़े ले रहा था। जैसे जैसे मेरा लंड उसकी चूत में अंदर घुसता उसकी चूत के दोनों वक्ष फैलकर बड़े होते जा रहे थे। जब वो मेरे लंड पर उछलती तो उसके चूत के दोनों वक्ष मेरे लंड के जड़ पर सट जाते।

वो कमाल का नज़ारा देखने लायक होता जब उसकी चूत का दान सीधा मेरी नाभि के नीचे पेट से टकरा रहा था। वो उसकी चूत का गर्म दान….आह….आह वाह क्या मज़ा आ रहा था। दोस्तों…

मैं भी उसकी गांड के नीचे से हाथ लगाकर उसकी गांड को उछालने में उसका साथ दे रहा था। फिर मैंने उससे कहा की चाची जी अब आप उल्टी होकर बैठ जाओ मुझे आपकी गांड देखनी है इतना सुनते ही वो उठ गयी और पलट कर अपनी गांड मेरे चेहरे की तरफ घुमा दी और अपनी दोनों टाँगों के बीच से हाथ बढ़ा कर उसने मेरे लंड को फिर से अपनी चूत में ले लिया।

अब वो आगे पीछे होकर मेरे लंड को पीछे से अपनी चूत में लेने लगी और मैं उसकी बड़ी गांड के दोनों हिस्सों पर अपने हाथ जमाये उसे अपने लंड पर उठाने बैठाने लगा। फिर मैंने उसकी गांड के दोनों हिस्सों को हाथ से मसलने लगा उसकी मस्त मखमली गांड पर मेरी हाथों ने ऐसा जादू किया कि उसकी चूत से गर्म लावा बहने लगा।

जैसे ही उसकी चूत ने अपना लावा निकाला वो रुक गयी उसने धक्के लगाने रोक दिए और अपनी चूत में मेरा लंड घुसाये अपनी चूत का लावा बाहर झाड़ने लगी। मैंने ही उसकी चूत से अपना लंड निकाल दिया। जिससे उसकी चूत से वीर्य की धार तेज़ हो गयी और सारा वीर्य उसकी चूत से निकल कर सीट पर फैल गया।

फिर मैंने उससे कहा चाची जी आप लेट जाओ मैं पीछे से डालूँगा। वो भी चुप चाप मेरे आगे बाई करवट लेकर लेट गयी। फिर मैंने पीछे से उसकी साड़ी उठाकर उसकी गांड को पूरा नंगा कर दिया और उसकी गांड के नीचे से हाथ लगाकर थोड़ी जगह बनाई और फिर अपना लंड उसकी टाँगों के बीच से घुसाता हुआ उसकी चूत में डाल दिया।

एक बार में ही मेरा लंड उसकी चूत में उतर गया। फिर मैंने उसकी कमर को थोड़ा पीछे खींचा और उसकी एक टांग को थोड़ा आगे करके चूत में धक्का लगाने की जगह बनाई। उसके बाद मैं ठीक उसकी गांड को पकड़कर उसकी चूत पेलने लगा। इसबार धक्का मेरे अनुसार लग रहा था। तो उसकी थोड़ी थोड़ी चींख निकल जा रही थी

पर मैंने जब धक्के मारने शरू किये तब मैंने उसके मुँह को अपने हाथ से दबा लिया था। ताकि कही कोई न सुन ले। मैंने खूब दबा दबा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल रहा था। चोद चोदकर मैंने उसकी चूत के पट्टो को फैला दिया था। उसकी चूत में अब लचीलापन आ चुका था। अंतिम में मैं जब झड़ने वाला था। जब मैंने एक ज़ोर का शार्ट उसकी चूत में मारा और अपना सारा लावा उसकी चूत में झाड़ दिया।

मैं उसकी चूत में लंड डालकर उसको अपनी बाँहों में लिए हुए लेट गया उसके पेट का निचला चूत वाला हिस्सा वीर्य से सन चुका था। वो थक कर ज़ोर से सांसे ले रही थी। मैं भी थक चुका था। आधी रात को मैंने उसे उठाया और अपने लंड और उसकी चूत को साफ करके मैं फिर से सो गया।

उम्मीद है दोस्तों आपको मेरी ये कहानी पसंद आयी हो यही थी मेरी आज की कहानी। मेरी पिछली कहानी भिखारन ने मेरी नियत बिगाड़ी पढ़े

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