32 साल की बुआ की चुत कि सील फाड़ी

मैं सुनील आज मैं आप सभी को जो कहानी बताने जा रहा हूं। वो एक सच्ची घटना है। ये बात आज से 10 साल पुरानी है। आज इतने सालों के बाद मैं ये कहानी आप सभी के बीच ला रहा हूं। क्योंकि जब भी मैं अब बुआ को देखता हूं तो मेरे अंदर एक अलग सी शर्म और लाज घर कर जाती है और ये बात सालों से मेरे मन को कचोटती है।

32 साल की बुआ की चुत कि सील फाड़ी

कैसे मुझे मज़बूरी में अपनी सगी 32 साल की बुआ की चुत कि सील फाड़ी उस वक्त जवानी के जोश में और मेरी दादी और घर वालों के बहकावे में आकर मैंने अपनी बुआ से जबरन सेक्स किया। दोस्तों “जबरन” शब्द को सुनकर मुझे गलत मत समझना ये तो मेरी बुआ ने खुद ऐसे हालात पैदा कर दिए थे की उस वक्त मेरे घर वालों और मुझे जो सही लगा वो हमने किया।

दोस्तों वैसे तो हम बहुत पैसे वाले और अमीर है। लेकिन अभी भी मेरे दादा दादी और मेरे पिताजी थोड़े पुराने खयालातों वाले है। मेरी बुआ मेरे पिताजी के काफी बाद पैदा हुई थी। वैसे तो घर में उनका मान जान किसी राज कुमारी जैसा था। और जब मैं हुआ तो मेरा भी मान जान काफी होता था।

इस तरह के लाड प्यार से मैं काफी बिगड़ गया था और पैसे की कमी नहीं होने की वजह से ढेर सारे पैसे उड़ाता था। मुझे शराब पीने की आदत भी लग चुकी थी। ये घटना जब हुई तो मैं 21 साल का था। एक दिन बुआ के लिए रिश्ता आया था। जिसे बुआ ने ठुकरा दिया और ये पहली बार नहीं था बुआ ने अनेकों अच्छे रिश्ते ठुकरा दिए थे।

दिन पर दिन उनकी उम्र बढ़ती जा रही थी। जिससे घर वाले उनसे थोड़े परेशान रहने लगें थे। खासकर मेरी दादी, दादा और पिताजी हर बार बुआ किसी न किसी बहाने हर रिश्ते को मना कर रही थी। तभी जो बुआ के बारे में भेद खुला जो किसी ने नहीं सोचा था।

एक शाम को बुआ की एक फ्रेंड घर आई और उन्होंने कहा निधि ( बुआ ) मेरी जिंदगी खराब कर देगी। वो मुझसे शादी करना चाहती है। ये बात सुनकर मेरे और मेरे घर वालों के होश ही उड़ गए। तभी बुआ की दोस्त ने कहा अब तक मुझे लगता था की निधि सिर्फ़ मजाक में ये सब बोलती है। लेकिन उसने अब सारी हदें पार कर दी है।

बुआ की दोस्त ने कहा की कल निधि ने मेरे साथ गंदी हरकतें की मेरे घर में वो मेरे कपड़े उतारने की कोशिश करने लगी और मेरे प्राइवेट पार्ट के साथ छेड़खानी करने लगी। लेकिन मैंने जब उसका पागलपन समझ लिया तो आप सभी को बताने आ गई।

हम सभी होश उड़े हुए थे तभी बुआ हमारे पास आई और बड़ी बेशर्मी के साथ उन्होंने सभी के सामने कह दिया की मैं रिया ( बुआ की दोस्त) के साथ ही शादी करूंगी वरना नही करूंगी। बुआ की सारी हरकते सुनकर सभी लोग पहले से ही दंग थे। अब उनके मुंह से ऐसी बातें सुनकर सभी गुस्से में आ गए।

दादी तुंरत अपनी चप्पल खोलकर बुआ को खरी खोटी सुनाते हुए पीटने लगी। बुआ दादी के साथ गली गलौज पर उतर आई थी। रिया के लिए उनका पागलपन एक अलग ही सीमा पर था। बुआ रिया की मर्जी न होने पर भी उससे शादी करना चाहती थी। जो की हमारे सर – समाज के खिलाफ था। इससे हमारी बहुत बदनामी भी होती।

दादी बुआ को ये कहते हुए पीट रही थी की लड़की की लड़की से शादी नहीं होती ये बात तुझे पता नही है। औरत की शादी एक मर्द से होती है। तभी बुआ ने दादी को झटक कर गिरा दिया और भागकर अपने कमरे में चली गई।

पीछे से मैं बुआ को समझाने और उनको शांत कराने के ईरादे से उनके कमरे की तरफ़ भागा दादी भी उठकर मेरे पीछे पीछे आई जैसे ही मैं बुआ के कमरे में घुसा और उन्हें समझाने की कोशिश की उन्होंने बिना कुछ सोचें समझें मुझपर एक फूलदान फेंक कर मुझे मारा वो फूलदान मेरे सर में लगा।

फूलदान मेरे सर से टकराते ही मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। तभी बेहोसी की हालत में मुझे मेरी दादी की आवाज सुनाई दी। उन्होंने मुझे उठाया मेरे माथे से थोड़ा खून निकल रहा था। फिर भी बुआ का दिल नहीं पसीजा बुआ ने उनके कमरे में पड़े एक डंडे से मुझपर हमला कर दिया।

अभी मैंने होश संभाला ही था फिर से मेरे ऊपर बिना कसूर के डंडों की बरसात होने लगी। दादी ने मुझे बचाते हुए डंडे का कुछ वार अपने उपर ले लिया। अब मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आया था। मैंने गुस्से में बुआ की तरफ एक मुक्का चलाया जो सीधा बुआ की छाती पर लगा और बुआ बिस्तर पर पसर गई।

तभी दादी ने कुछ ऐसा कहा की ले ले अपना बदला कुत्ती को समझा की एक औरत मर्द की ही जरूरत होती है। चखा दे इसे मर्द के लंड का स्वाद मैंने सोचा भी नही था की मेरी दादी अपनी बेटी के लिए ऐसा भी कुछ बोलेगी। लेकिन उस वक्त मैं गुस्से में था। मुझे कुछ सही गलत समझ नही आ रहा था।

मैं तूरंत कूदकर बुआ पर झपट पड़ा और एक एक करके बुआ के बदन से उनके सारे कपड़े नोंच डाले बुआ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में बिस्तर पर पड़ी थी वो हमें रोकने की कोशिश कर रही थी पर दादी ने उनके हाथों को सिरहाने दबा दिया था। दादी ने कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया ताकि आवाज बाहर न जाए। फिर मैं बुआ के उपर चढ़ गया और उनके गोरे बदन को हर जगह चूमने चाटने लगा।

बुआ मुझसे छूटने के लिए अपने हाथ पैर चला रही थी और मुझे और दादी को गालियां बक रही थी। मैंने बुआ के गालों पर कस कस के थप्पड़ मारे जिससे वो शांत हो गई और बेबस होकर रोने लगी। मैं उनके गालों होठों और गले को चूमे जा रहा था और साथ साथ ही अपना एक हाथ कभी बुआ की ब्रा में डालकर उनकी चूंचियां तो कभी उनकी पैंटी में हाथ डालकर उनकी चुत और गांड़ को रगड़ मसल रहा था।

बुआ मेरे हाथों से बचने के लिए अपना शरीर ऐठ कर मेरा विरोध कर रही थी। तभी मैंने अपने सारे कपड़े निकाले और अपना 8 इंच का लंड बाहर निकाल कर बुआ के मुंह में जबरदस्ती ठेल दिया। फिर मैंने बुआ के बाल अपने दोनों हाथों से पकड़े और अपनी कमर हिलाकर अपने लंड के धक्के बुआ के मुंह में मारने लगा।

बुआ अपने होठों को आपस में चिपका ले रही थी। मैंने उन्हें दो चार थप्पड़ जड़ दिए और उनका मुंह खुलवाकर फिर से अपना लंड उनके मुंह में चोदने लगा। अब मेरा लंड पर बुआ के मुंह का थूक लिपट चुका था और मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था। मैं ये सब अपनी दादी के सामने कर रहा था। दादी ने अभी भी बुआ का हाथ पकड़ कर रखा था।

फिर मैंने बुआ की ब्रा निकाल दी और मैं बुआ की चुचियों को बुरी तरह मसलने लगा। ऐसा मसला की शायद कोई पति अपनी बीवी की 10 साल में भी इतनी चूचियां न मसले। मैंने बुआ की चुचियों को मसल मसलकर लाल कर दिया। मुझे उनकी अन छुई हुई सख्त चुचियों से खेलने में बहुत मजा आ रहा था।

बुआ अब भी विरोध कर रही थी और मुझे अपनी चूंचियों को मसलते हुए देखकर रो रही थी। तभी दादी ने कहा बेटा जल्दी से इस रंडी की चुचियों को चूस और इसे मस्त मर्द की ताकत दिखा दे। दादी की बात सुनकर मुझमें ज्यादा जोश आ गया। मैंने अपना मुंह बुआ की सख़्त चुचियों पर लगा दिया और बारी बारी से बुआ की दोनों चूचियों को चूसने लगा।

बुआ का गोरा गठीला कसा हुआ सुंदर बदन मेरी कामुकता को पागलपन में बदल चुका था। उनकी वो सुडौल बड़ी सख़्त चूचियां अब मेरे हाथों और मुंह के गिरफ्त में थी। मैं बुआ के दोनों सख़्त निप्पलों को दांतों से दबा रहा था और खींच रहा था। जब मैं बुआ की चुचियों को दबाता तो किसी रुई की गेंद की तरह दब जाती और जब छोड़ता तो किसी गुब्बारे की तरह फिर से फूल जाती।

अब मैं बहुत गरम हो चुका था। बुआ रो गिड़गिड़ा रही थी और लगातार विरोध दिखा रही थी। तभी दादी ने कहा बेटा अब इसकी चुत को समझा की चुत की गरमी सिर्फ़ लंड से शांत होती हैं। मैं भी उनकी बातें सुनकर ताव में आ गया। मैं झट से उठा और बुआ की पैंटी निकालने के लिए तैयार हो गया।

पर बुआ दादी की बातें और मेरे इरादों के भांप गई और पहले ही अपनी दोनों टांगों और जांघों को बड़ी ताकत के साथ आपस में चिपका लिया। ताकि मैं उनकी चड्डी न उतार सकूं। मैंने गुस्से में 1-2 मुक्के बुआ को फिर जड़ दिए जिससे उनका ध्यान अपनी टांगों पर से हटा मैंने तुंरत बुआ की पैंटी उतार कर फेंक दी।

बुआ अब बिल्कुल नंगी मेरी आंखों के सामने थी। मैंने दादी को कहा की दादी अब आप इनकी टांगें पकड़ो दादी ने बुआ के दोनों टांगों को फैलाया और पकड़ लिया। मैं बुआ की टांगों के बीच आ गया और अपना लंड बुआ की चुत की छेद पर लगा दिया। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से बुआ की कमर को पकड़ लिया।

अब मैं बुआ की चुत में अपना लंड घुसाने को तैयार था। तो मैंने अचानक से बुआ की कमर को ऊपर उठाकर अपनी तरफ खींचा और उसी वक्त एक दमदार धक्का बुआ की चुत में मार दिया। एक ही धक्के में मेरा आधे से ज्यादा लंड बुआ की चुत फाड़ के अंदर घूस गया।

बुआ जोर से चिल्लाई आह्ह्ह्हह…..ह….पर मैंने अपने हाथ से बुआ का मुंह बन्द कर दिया। मेरा लंड बुआ की चुत में अचानक और आधे से ज्यादा एक बार में ही जानें से बुआ की चुत की सील फट गई थी। बुआ की चुत से खून निकल रहा था। बुआ की टांगें दर्द के मारे कांप रही थी। मानों उनकी टांगों को करंट लग रहा हो।

मैंने बुआ के मुंह को दबे रखा और अपनी कमर हिलाकर उनकी चुत चोदने लगा। दादी बोल रही थी ले रंडी आज मेरी आंखों के सामने तेरी सील फटी अब तुझे पता चलेगा की मर्द का लंड लेने का सुख क्या होता है। मैं बुआ के होठों पर किस करते हुए उन्हें बिना आराम दिए उनकी चुत को अपने लंड से फाड़ता रहा।

मेरे लंड और गोटी पर और बुआ की चुत के चारों तरफ खून ही खून फैला हुआ था। तभी दादी ने कहा ले बेटा इसकी टांगें ऊपर करके पकड़ और फिर इसकी चुत चोद उससे इसकी चुत की रही सही सील भी टूट जायेगी और ये पक्की औरत कहलाएगी। मैंने वैसा ही किया मैंने बुआ की टांगो को हवा में उठा दिया।

मैं बुआ की टांगों को पकड़कर उनकी चुत में अपना लंड घुसाने लगा। अब मेरा लंड बुआ की चुत में और अच्छे से पूरी गहराई तक जा रहा था। पूरे बिस्तर पर खून लग चुका था। बुआ चुदते हुए काफी सेक्सी लग रही थी। उनका बदन मिया खलीफा जैसा था। उनका वो रोता गिड़गिड़ाता हुआ चेहरा मुझे और कामुक बना रहा था।

बुआ जितना अपनी चुत को मुझसे बचाने की कोशिश करती मैं उतनी ही बेरहमी से उनकी चुत में अपना लंड घुसाता और उन्हें चीखने पर मजबूर कर देता। काफी देर तक बुआ की टाईट बुर चोदने के बाद उनकी चुत में चिकनाहट बनने लगी। मैं समझ चुका था की बुआ कभी भी झड़ सकती है। मैंने दादी से कहा की दादी तुम्हारी बेटी को मजा आ रहा है अब ये झड़ने वाली है।

दादी मेरी बातें सुनकर खुस हो गई और मुझे जोर जोर से बुआ की चुत मारने के लिए उकसाने लगी। मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ा ली और कस कस के बुआ की चुत पेलने लगा। बुआ जबरदस्त धक्कों की चुदाई से बदहवास हो गई। अब मैं भी झड़ने वाला था। तो मैंने दादी को कहा दादी मैं झडने वाला हूं। तो दादी ने कहा बेटा इसकी चुत में मत गिराना नही तो ये कही मां न बन जाए।

मैंने तुंरत अपना लंड निकाला और बुआ के पेट पर बैठकर अपना लंड उनकी दोनों चूचियों के बीच दबाकर उनकी चुचियों की चुदाई करने लगा। अचानक मेरे मुंह से आह्ह्ह… की आवाज़ आई और मैंने अपना सारा माल बुआ की चुचियों के बीच निकाल दिया।

फिर मैं बुआ के उपर से उठ गया। तो दादी ने कहा बेटा अभी तो तू जवान है। तेरा इतने में ही मन भर गया। मैं दादी के इशारे को समझ गया मैंने दादी को कहा तुम अपनी बेटी को मेरे हवाले करके देखो कैसे इसे मैं अपने बच्चें की मां बनाता हूं। दादी बोली बच्चा नहीं तुझे इसको जितना चोदना है चोद ले और रिया का भूत इसके सर से उतार दे।

अब मेरा लंड फिर खड़ा होता जा रहा था। अब मैं फिर से बुआ को चोदने की तैयारी में आ गया। लेकिन मुझे अब इस पोजिशन में मजा नहीं आ रहा था। तो मैंने जबरदस्ती बुआ को कुत्तिया बना दिया और मैं बुआ की गांड के पीछे बैठकर बुआ की चुत में अपना लंड डालने लगा।

मैं बुआ की कमर को पकड़कर बिना रुके धक्के पे धक्के मारे जा रहा था। बुआ कुत्तिया बनी हुई मेरे लंड की मार अपनी चुत में झेल रही थी। अचानक जब मैंने पूरा लंड बुआ की चुत से खींचकर एक झटके में उनकी चुत में डालना चाहा तो मेरा लंड फिसलकर बुआ की गांड में टकरा गया।

अब मेरी नजर बुआ की गांड पर टिक गई मैंने दादी को कहा जाओ अपनी बेटी के मुंह को अच्छे से दबा लो। दादी ने बुआ के मुंह को अपने हाथ से दबा दिया। फिर मैंने बुआ की गांड की छेद पर निशाना लगाते हुए ढेर सारा थूक उनकी गांड की छेद पर उगल दिया।

फिर बुआ की गांड की छेद पर अपना लंड जमाकर एक धक्के में ही अपना लंड उनकी गांड में पेल दिया। मेरा लंड दो इंच तक बुआ की गांड में घुस गया। बुआ जोर से अःह्ह्ह्ह अःह्ह्ह्हह चिलाई पर दादी ने संभाल लिया। चिल्लाते ही बुआ मुंह के बल बिस्तर पर गिर गई।

बुआ का सर बिस्तर पर झुकते ही उनकी उठी हुई गांड खुलकर और चौड़ी हो गई। मैंने उसी वक्त एक कस के धक्का मारा और अपना पूरा लंड दो धक्कों में ही बुआ की गांड में घुसा दिया। मैंने बुआ के सर को बिस्तर पर दबा दिया और पीछे से उनकी गांड में दनादन लंड चोदने लगा। उसी तरह आधी रात तक बुआ की चुत और गांड़ की जबर्दस्त चुदाई हुई।

उसके बाद मैं और दादी बुआ को कपड़े पहनाकर उनको बिस्तर पर लेटाकर अपने अपने कमरे में आ गए। अगली सुबह दादी ने सभी घर वालों के सामने कहा की कल रात मैंने और सुनील ने निधि को अच्छे से समझा दिया है। मैं सोच रही थी की कुछ दिन के लिए सुनील और निधि को हम अपने बैंगलोर वाले घर में भेज देते है।

निधि रिया से कुछ दिन दूर रहेगी तो उसे भूल पाएगी और सुनील निधि की अच्छे से देख भाल कर लेगा। सभी इस बात पर राजी हो गए। तभी दादी ने अकेले में मुझसे कहा अब तुम दोनों अकेले रहोगे। कोई तुम्हें रोकने वाला नही होगा।

तुम निधि को तब तक चोदना जब तक उसको लंड लेने का चस्का न चढ़ जाए। मैं और बुआ अपने बैंगलोर वाले घर में आ गए वहां हम दोनों के आलावा कोई नही था। मैंने बुआ को कपड़े उतारने को कहा तो वो फिर से नखरे दिखाने लगी और सेक्स करने के विरोध में प्रदर्शन करने लगी।

तभी मुझे गुस्सा आया मैं समझ गया की ये भूत बातों से नही मानने वाला है। मैंने बुआ को बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया और खींच फाड़ कर उनके कपड़े उतार दिए और उनके दोनों हाथ और दोनों पैर पलंग के पायो से बांध कर लिटा दिया। उस दिन करीब 11 बजे सुबह से लेकर शाम 7 बजे तक बारी बारी से कभी उनकी चुत और कभी उनकी गांड की ठुकाई चलती रही।

करीब 3 से 4 दिनों तक मुझे बुआ को बांधकर ही उनके साथ सेक्स करना पड़ा। लेकिन उसके बाद जब मेरा लंड खड़ा हो जाता था। वो मेरे ईरादे को समझ जाती थी। भले मज़बूरी में ही सही वो अपने कपड़े अपने आप ही उतार कर पलंग पर लेटकर चुदने के लिए तैयार हो जाती थी।

करीब हम दोनों 2 महीनों तक बैंगलोर में रहे डेढ़ महीने लगातार उनकी चुदाई करने के बाद मैंने अचानक से उनको चोदना बंद कर दिया। उसके बाद वो खुद ही सेक्स करने के लिए बेताब होने लगी। मुझे रिझाने के लिए मेरे सामने ही कपड़े उतारने लगा करती थी। उन्होंने 2 – 3 दिन तक मुझे रिझाने की कोशिश की उसके बाद मैं भी खुद को रोक नहीं पाया।

मैंने उनकी मन मुताबिक़ उनके साथ सेक्स किया। बुआ लंड का सुख समझ गई थी। अब वो रिया को भूल चुकी थी। वापस घर लौटते ही उन्होंने शादी के लिए हां कर दी। अब वो 2 बच्चों की मां है वो जब हमारे घर आती है तब मुझे वो सारे मंजर याद आ जाते है। बैंगलोर से लौटने के बाद आज तक मेरे और बुआ के बीच कभी बात नही हुई।

शायद वो अब भी मुझसे नाराज़ है। तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी उम्मीद है पसंद आई होगी।

error: Content is protected !!

DMCA.com Protection Status