लंड की चोट और मां की चुत

मैं रवि दिल्ली का रहने वाला हूं। मेरी उम्र अभी 19 साल की है। आज मैं आप सभी को मेरे साथ हुई एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूं। ये अनापेक्षित घटना दरअसल मेरी और मेरी मां के बीच घटी थी। वो ऐसी परिस्थिती थी की न ही मेरी मां खुद को रोक पाई और न ही मैं।

चलिए अब मैं सीधे मुद्दे पर आता हूं। कैसे मेरी मां मेरा लंड देखकर सिड्यूस हो गई और खुद अपनी चुत मेरे लंड पर मार बैठी। मैं एक शाम अपनी साइकिल से अपने ट्यूशन से लौट रहा था। मैं अपने घर से कुछ ही दूरी पर था। लेकिन उसी वक्त साइकिल पर से मेरा नियंत्रण बिगड़ गया।

लंड की चोट और मां की चुत

मेरे साइकिल की उपर की बीच वाली रोड से मेरे लंड और आंडू पर इतनी जोर से चोट आई की मैं वहीं छटपटाने लगा। मैं अपनी आडुओं को पकड़कर वहीं सड़क पर गिरा पड़ा था। मेरा पूरा शरीर पसीने से तर बर हो चुका था। दोस्तों आपको पता ही होगा हम मर्दों का वहां सबसे नाजुक पार्ट होता है।

दर्द के मारे मेरे गले से आवाज नही आ रही थी। मेरा पूरा चेहरा लाल पड़ चुका था। तभी मेरे कुछ दोस्त जो पीछे से आ रहे उन्होंने मुझे उठाकर मेरे घर पहुंचा दिया। मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा था। मेरे दोस्त मुझे सहारा देकर घर के अंदर ले आए। मेरी मां मुझे ऐसी हालत में देखकर घबरा सी गई।

मां ने मेरे दोस्तों से सारा माजरा पूछा तो उन्होंने बताया की मुझे साइकिल से चोट लगी है। उसके बाद मेरे दोस्त चले गए मां ने मुझे पानी दिया और मेरे पास बैठकर पूछने लगी की तुझे ज्यादा चोट लगी हैं क्या? मैंने इशारे में कहा हां। तो उन्होंने पूछा कहा दर्द है। मैं चुप रहा मुझे उन्हें बताने में शर्म जो आ रही थी।

मैंने उनसे पूछा की अगर घर में पेन किलर है तो मुझे लाकर दे। मां ने मुझे पेन किलर दी। लेकिन दवा खाने के बाद भी मुझे आराम नही मिला। कुछ देर बाद मुझे पिसाब लगने लगी। जैसे ही मैं बिस्तर से नीचे उतरा मुझे मेरी आंडूओ में तेज दर्द हुआ और मैं ज़ोर से कराह पड़ा जब मैंने अपनी पैंट को थोड़ा नीचे सरका कर अपने लंड को देखा।

तो मेरी चिंता बढ़ गई मेरी एक आंडू सुज कर बड़ी हो गई थी। तभी मेरी चीख सुनकर मां मेरे पास आ गई मैंने तुंरत पैंट उपर चढ़ा लिया। मां मेरी हालत देखकर थोड़ी चिंतित हो गई मैं समझ गया की अब मां को सब सच सच बताए बिना इसका कोई हल नहीं निकलेगा।

तो मैंने मां को सब सच सच बता दिया की मुझे कहा चोट लगी है। तभी मां ने पूछा क्या तुझे ज़ोर से लगी है तो मैंने कहा हां मेरी एक गोली बड़ी हो गई है मुझसे चला भी नहीं जा रहा है। उस वक्त तो मां ने सहारा देखकर मुझे बाथरुम में पहुंचा दिया।

जब मां मुझे वापस रूम में ले आई और उन्होंने दर्द के मारे मेरे चेहरे का रंग उड़ा देख लिया। तो वो बोली देखू जरा कितनी चोट आई है। मां के मुंह से “देखू” शब्द सुनकर मैं चौक गया और बोला नही मैं आपको कैसे दिखा सकता हूं। तो वो बोली अरे मां हूं तेरी मैं क्या तू बचपन में नंगा नही रहा करता था। मेरे सामने मैंने कहा मां वो बचपन की बात थी।

पर..इतने में ही मां ने मेरी बात काटते हुए कहा अब क्या अभी भी तू मेरा बच्चा ही है। बेटा जरा देखने दे कोई चिंता वाली बात तो नही है। मां तो मेरी चिंता में जिद कर रही थी। पर मुझे तो शर्म आ रही थी। फिर मां ने कहा ला मुझे देखने दे। तुझे शर्म आ रही है तो तू अपनी आंखें बंद कर लेना।

फिर मां ने मेरी पैंट की इलास्टिक को पकड़ लिया। मैंने मां को रोकने के लिए अपनी पैंट की इलास्टिक को पकड़ लिया ताकि मां मेरी पैंट न उतार सके। पर मां तब भी मेरे पैंट की इलास्टिक को खींच रही थी। जब मेरे रोकने से मां नही रुकी। तो हारकर मैंने अपनी पैंट की इलास्टिक छोड़ दी।

मां ने मेरी पैंट को नीचे खींचना शुरू कर दिया। आख़िर में मैंने भी अपनी गांड बिस्तर पर से उठाकर उनको पैंट निकालने दिया और मैंने शर्म के मारे अपनी आंखें बंद कर ली। कुछ ही पलों में मेरी गोटियों पर मां का ठंडा ठंडा हाथ महसूस हुआ। मां मेरी गोटियों को देखते ही चौंक कर बोली ” अरे बाप रे कितनी सूज गई है और एक तो फूल कर बड़ी भी हो गई है” मां जब मेरी गोटियों को अपने हाथ से छू रहीं थीं।

तब मुझे दर्द हो रहा था। मैं अपनी आंखें बंद किए हुए ही आह..आह..कराह रहा था। तभी मां ने कहा रुक जरा गरम तेल से मालिश कर देती हूं। शायद गरम तेल की मालिश से तेरा दर्द कम हो।इतना कहकर मां बिस्तर से उठी और किचन की ओर भागी। मां के जाने के बाद मैंने अपनी आंखें खोली और अपने लंड को देखने लगा।

मेरा लंड मुरझाया हुआ मेरे पेट पर लेटा हुआ था और मेरी गोटियों का हाल बुरा था। एक बड़ी तो दूसरी छोटी हो गई थी। तभी मां गर्म तेल लिए मेरे पास आई मां को आता देख मैंने फिर से अपनी आंखें बंद कर ली। तुंरत मेरी मां गरम सरसों के तेल से मेरी गोटियों की मालिश करने लगी।

कुछ देर में ही मुझे दर्द से काफी राहत मिली। मां आराम आराम से मेरी दोनों गोटियों की हल्के हाथों से गर्म तेल की मालिश कर रही थी। जब मेरी मां मेरी गोटियों को प्यार से सहलाते हुए मालिश कर रही थी। तभी मेरे लंड में हरकत होने लगी। मेरा मुरझाया हुआ लंड अब मेरे पेट पर से धीरे धीरे उपर उठने लगा था। अब जब जब मुझे मेरी गोटियों पर मां के हाथों का स्पर्श मिल रहा था।

मुझे मां के स्पर्श से अब मजा आने लगा था। यही कारण था की अब मेरा लंड एक दम सीधा खड़ा होकर मां के चेहरे की तरफ उठा हुआ था। उसके कुछ देर बाद जब मां मेरी गोटियों को सहलाती तो मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन जागने लगी और मैं अपने अंतिम चरम सीमा पर आ गया।

मैंने अपने आप पर खूब कंट्रोल किया पर मैं खुद को रोक नहीं पाया। मेरे लंड का पानी निकल गया। मेरे लंड का सारा गाढ़ा सफ़ेद वीर्य मां की कलाई पर फैल गया तभी झट से मैंने अपनी आंखें खोली। मेरे लंड से निकलते वीर्य को देखकर मां अपना मुंह दाबे हुए हंस रही थी।

मैं उनको हस्ता देख शर्मा गया तभी मां ने अपनी कलाई पर निकले मेरे वीर्य को मुझे दिखाया और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी। मैं शर्म से लाल हुआ पड़ा था। मैंने मां को सॉरी कहा और बोला गलती से हो गया। मां ने हंसते हुए कहा कोई बात नही।

तभी मां ने मैं तेरा दर्द कम करने के लिए तेरी गोटियों की मालिश कर रही हूं और तू मजे ले रहा है। मैंने कहा सॉरी मां पता नही कैसे हो गया। फिर मां चुपचाप मेरी गोटियों की मालिश करने लगी। कुछ देर बाद मां ने कहा तुझे मजा आ रहा था न?

मैंने कहा नही मां ऐसी बात नहीं है। मां बोली अगर मजा नही आ रहा था तो ये कैसे निकला। मां मुझे छेड़ रही थी। मैं शर्म से लाल हुआ पड़ा चुप था। फिर मां ने कहा अगर तुझे मजा चाहिए तो मैं तुझे अच्छे से मजा दूंगी। मैं कुछ बोलता इससे पहले ही मेरी मां ने अपने तेल से लतपत हाथ में मेरा मुरझाया हुआ लंड पकड़ लिया।

तुंरत मां ने मेरे लंड को मुट्ठ देना शुरू कर दिया मैं कुछ बोल पाता इससे पहले ही मां ने मेरे लंड पर ऐसा जोश दिखाया की मुझे भी मजा आने लगा और मैंने मां को नही रोका। मां गचा गच मेरे लंड की मुठ मारने लगी। अब मेरा लंड फिर से कड़क और अपने सही मोटाई और लंबाई में आ गया।

मां इतनी तेज़ी में मेरे लंड की मुठ मार रही थी की उनकी तेल से चुपड़े हाथ से एक अजीब सी पच…पच… की आवाज आने लगी। तभी मां एक अजीब सी कामुक आवाज में बोली बेटा मजा आ रहा है। मैंने आह… माआ हा आ राहा है। आह.. आह… मां के चेहरे के हाव भाव और उनके हाथ के मेरे लंड पर चलने की स्पीड को देखकर ऐसा लग रहा था की मां एक दम एक भूखी शेरनी हो।

अब मेरी आंखें खुली हुई थी। मैं बस मां को ही देखे जा रहा था। अब मेरा लंड एक दम उफान पर आ चुका था। मां के हाथ ने मेरे लंड को बिलकुल गरम कर दिया था। तभी मां ने अपने ब्लाउस के बटन खोलने शुरू कर दिए फिर उन्होंने अपनी ब्रा को अपनी चूंचियों पर से ऊपर उठा दिया।

फिर मां ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और फिर उन्होंने अपनी साड़ी को अपनी जांघों तक उठा लिया और मेरे कमर के दोनों तरफ अपने दोनों पैर करके मेरे लंड पर चढ़ गई। फिर उन्होंने अपनी चुचियों को मेरे सीने पर दबाया और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत में सेट करने लगी।

फिर मां मेरे शरीर पर अपना बदन उपर नीचे घसीटने लगी। तभी मुझे एहसास हुआ की मेरा लंड किसी गीली गरम चीज में घूस गया है। मैं समझ चुका था की मेरा लंड अब मेरी मां की चुत में जा चुका है। जब तक मेरा लंड जड़ तक मां की चुत में नही गया तब तक मां अपना बदन मेरे शरीर पर उपर नीचे घसीटती रही।

अचानक मां ने अपनी चूंचियों को मेरे सीने पर जोर से दबाया और मुझे अपनी बांहों में दबोच कर अपनी कमर को उठा उठाकर मेरा लंड अपनी चुत में गाड़ने लगी। मां तेज तेज सांसें लेती हुए ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड को मेरी जांघों पर पटक रही थी और मेरा लंड गचा गच अपनी चुत में ले रही थी।

मां इस कदर ताकत लगा रही थी जैसे आज वो मेरे लंड को तोड़ ही डालेगी। मैं मां के नीचे लेटा हुआ आह… आह… मां… आ…. तभी मां बोली बस मेरे बच्चे थोड़ी देर बर्दास्त कर ले। मां भी आह आह करती हुई मेरे लंड पर कूदने लगी। मुझे तो पहले पहले लंड के टोपे पर जलन हो रही थी।

लेकिन अब जब मां जोर जोर से मेरे लंड पर उछलकर मेरा लंड अपनी चुत में ले रही थी तब मुझे मजा आ रहा था और मेरा हाथ अपनी मां के गांड पर चला गया और मैं मां की गांड को सहलाने लगा। मां एक इंच लंड भी नही छोड़ रही थी। पूरा का पूरा लंड अपनी चुत में ले रही थी।

मैं इतना कामुक हो चुका था की मेरे अंदर की सारी शर्म हवा हो गई थी। मैं भी मां की गांड को पकड़कर नीचे से अपनी क़मर उठा उठाकर मां की चुत पेलने लगा। कुछ देर तक दोनों तरफ से धक्के चले मां मेरे लंड पर उछल रही थी और मैं भी नीचे से धक्के लगाए जा रहा था।

कुछ ही देर में मां झड़ गई और थक गई उन्होंने धक्के लगाने बंद कर दिए और अपनी चुत में से मेरा लंड बाहर निकाला और मेरे ऊपर अपने हाथों के सहारे अपनी चूंचियां लटकाए हुए थी। मैंने मां की चुचियों को छूना शुरू किया और बाद में मैंने उनकी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया।

अभी भी मैं झड़ा नहीं था न ही मेरा मन संतुष्ट हुआ था। मैंने जैसे ही अपनी कमर उठाकर अपना लंड मां की चुत में धकेलना चाहा तो मां तुंरत मेरे उपर से हट गई और हंसने लगी। मां बोली चल हट अब हो गया। मैं मायूस हो गया। ये तो खड़े लंड पर धोखा था।

मां मुझसे मस्ती कर रही थी। वो मुझे जान बूझकर तड़पा रही थी। शायद वो इस लिए नखरे दिखा रही थी। मैं उनसे मिन्नते करू और मैं भी इस गलती में बराबर का भागीदार बन जाऊ। पर मैंने उसका उल्टा किया और अपनी पैंट चढ़ाने लगा।

तभी मां ने अपने हाथ से मौका जाते देख कहा रुक जा मैं तुझे अच्छे से मजा दूंगी। लेकिन आज हमारे बीच जो हुआ वो अगर तू किसी से कहेगा नही तो? मैंने हां में सर हिलाया। मैं जानता था की मां जैसे शुरू में किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड को हिला रही थी। वो इतनी जल्दी शांत नहीं होने वाली थी।

फिर मैंने मां की साड़ी उठाकर उनकी चुत देखने लगा तो मां ने तुंरत साड़ी से अपनी चुत को ढक लिया। बोली अभी नहीं जब मुझे पक्का यकीन हो जायेगा की तू हमारे बीच हुई इस घटना को किसी से नहीं कहेगा। तब तक मैं तुझे अपनी चुत नही दिखाऊंगी।

फिर मां ने अपनी साड़ी को अपनी जांघों तक उठाया और उल्टी दिशा में मेरे लंड पर बैठ गई। उन्होंने अपनी पीठ और गांड मेरी तरफ की और मेरे लंड को अपनी चुत में घुसाकर मेरे लंड पर उछलने लगी। फिर से मां वही मजा देने लगी। उनकी गरम चुत मेरे लंड पर एक अलग सा जादू कर रही थी।

कुछ देर बाद मां ने अपनी साड़ी पीछे से उठा लिया और मुझे अपनी गांड दिखाते हुए। मेरे लंड की सवारी करने लगी। मैं भी मां की गांड को सहलाते हुए मां की चुत का आनंद लेने लगा। मेरा लंड मां की चुत के पानी से पूरा गीला हो चुका था। जिससे मेरा लंड फ्च फच… फाच की आवाज के साथ मां की चुत की दीवारों को रगड़ रहा था।

मैं मां की गांड को सहलाते हुए उनकी गांड की छेद के चारों बगल अपनी एक उंगली फेर रहा था। फिर मैंने अपनी उस उंगली पर थूक लगाया और मां की गांड के नीचे लगा दिया। जैसे ही मां मेरे लंड को अपनी चुत में डालने के लिए उपर उछलकर नीचे बैठी मेरी एक उंगली मां की गांड में घुस गई।

मां आ..आआआह्ह … आवाज के साथ जोर से चिल्लाई और मेरी तरफ मुड़ी और मुझे एक टक देखने लगी। बोली तू बड़ा शैतान है रे गांड में उंगली करता है। रुक तुझे सबक सिखाती हूं। मां मुझे मजा चखाने के लिए ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड पर उछलने लगी। मेरी कराह निकल गई मैं जोर से कराहने लगा आह्ह्ह्ह मां रुक जा आ..!

लेकिन एक तरफ मुझे मजा भी आ रहा था। तभी मेरे लंड ने मां की चुत में ही अपना सारा पानी निकाल दिया। जैसे ही मां को अपनी चुत में मेरे लंड का झड़ना महसूस हुआ तब मां ने मेरा लंड अपनी चुत से निकाला और बोली पागल तू बता नही सकता था। मेरी चुत में कभी मत निकालना।

क्योंकि तू अब जवान हो गया है और मुझे अभी भी बच्चा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी होगी। फिर उन्होंने पूछा की अब तू संतुष्ट है या और चाहिए उस वक्त तो मैंने हां कह दिया पर आधी रात को मैं फिर से मां के कमरे में पंहुचा गया।

उनके कमरे की कहानी और आगे की कहानी अगले भाग में बताऊंगा। उम्मीद है आप सभी मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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