दीदी ने चुत दिखाकर जल्दी झड़वाया

दोस्तों आज मैं आपको ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं। जो मेरी और मेरी बड़ी दीदी की हैं। मेरी दीदी बचपन से ही मेरी बहुत देखभाल करती थी। वो मुझे मेरी मां से ज्यादा प्यार करती थी। जब मैं छोटा था तब मैं ज्यादातर दीदी के साथ ही रहता था। मेरी दीदी ही मेरा इतना ख्याल रखती थी की मुझे मेरी मां की जरूरत कम पड़ती थी।

लेकिन अब मैं बड़ा हो गया हूं। मेरी उम्र 22 साल है और मेरी दीदी जो की अभी 27 साल की है। लेकिन आज भी मैं पुरी तरह से अपनी दीदी पर ही निर्भर हूं। दीदी ही मेरी पढ़ाई लिखाई और मेरी जरूरतों का ध्यान रखा करती है। जैसे की मेरे कपड़े मेरी चीज़े कहा कहा पड़ी होती है। वो दीदी से अच्छा कोई नही जानता है।

दीदी ने चुत दिखाकर जल्दी झड़वाया

वो मेरा इतना ख्याल रखती है की मेरी हर चीज जैसे मुझे अगर बाहर जाना है तो मेरे कपड़े प्रेस करके रखती है। जब तक मैं घर नही लौटू तब तक वो जागती होती है और हमेशा मेरे साथ ही खाना खाती है। मैं और दीदी एक ही कमरे में रहते है लेकिन हमारे बिस्तर अलग अलग है।

सब कुछ ठीक ही चल रहा था। जब तक उस रात को दीदी ने मुझे उस हालत में नहीं देखा था। कुछ दिनों पहले हमारे सोसाइटी के सीनियर लोगो ने 2 दिन के टूर पर घूमने जानें का प्लान किया। हमारे मां पापा भी उनके साथ जानें वाले थे। उस दिन शाम को मां पापा और हमारे सोसाइटी के सीनियर लोग घूमने के लिए निकल गए।

अब मैं और दीदी ही घर में अकेले रह गए थे। मां पापा के जाने के बाद मैंने और दीदी ने टीवी पर फिल्में देखीं उसके बाद दीदी उठकर रात का खाना बनाने चली गई। करीब रात के 8 बजे दीदी ने मुझे खाना खाने के लिए बुलाया और मैंने और दीदी ने साथ ही खाना खाया।

खाने के बीच में ही दीदी ने कहा छोटू आज मैं मां पापा के कमरे में ही सो जाऊंगी तो मैंने कहा ठीक है दीदी! उसके बाद मैं हमारे कमरे में और दीदी मां पापा के कमरे में चली गई। मैं हमारे कमरे में अपने बिस्तर पर आकर लेट गया। मैं इधर उधर करवट बदलता रहा मुझे अकेले नींद नहीं आ रही थी।

रोज मैं और दीदी सोने से पहले बात किया करते थे पर आज मैं अकेला था। नींद भी नही आ रही थी। तभी मेरे दिमाग़ में आया की क्यों न कोई पोर्न देखा जाए वैसे भी मैं हमारे कमरे में अकेला था। आज पूरी आज़ादी थी। तो मैंने अपने फ़ोन पर पोर्न चला कर हल्की आवाज़ में पोर्न देखने लगा।

मैंने कई पोर्न देखी अब मेरा लंड खड़ा हो चुका था मेरे लंड को मेरे हाथ का सहारा चाहिए था। तो मैंने अपनी पूरी पैंट निकाल दी क्योंकि मैं कमरे में अकेला था और अपनी आज़ादी का लुत्फ उठा रहा था। मैं अब नीचे से पूरी तरह नंगा हो गया था और अपने बिस्तर पर अपने एक हाथ में फ़ोन पकड़े हुए पोर्न देख रहा था। तो अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को सहला रहा था।

मैं वासना में इतना मशगूल हो चुका था की मूझसे एक गलती हो गई थी। मैं हमारे कमरे का दरवाजा लॉक करना भूल गया था। मैं और दीदी हमेशा से रात को अपने कमरे का दरवाजा लॉक नही करते थे बस ऐसे ही सटा कर बंद करते थे और हमे लाइट चालू करके सोने की आदत थी। शायद इसी वजह से मैं आज कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गया था। मैं बेखौफ अपने लंड को मुठ्ठी में लेकर सहला रहा था।

मेरा लंड पानी पानी होने लगा था मेरी मुट्ठी में मेरे लंड का बेरंग रस भर ही रहा था की तभी अचानक दीदी कमरे के दरवाज़े को धकेल कर अंदर आई और बोली छोटू मुझे वहां नींद नहीं आ…. इतना ही बोली थी की दीदी की नजर सीधे ही मेरे कड़क और लस लसाए लंड पर पड़ी। उसके बाद वो एकदम चुप हो गई।

मैं भी हड़बड़ी में अपने लंड को अपने दोनों हाथों से छुपाए बिस्तर के एक कोने में बैठ गया। हम दोनों की नजरे अब झुक चुकी थी। मुझे उस वक्त ऐसी शर्म आ रही थी की मैं बता नही सकता हूं। तभी दीदी अपनी नज़रे नीचे किए मेरे बिस्तर पर अपना चेहरा दूसरी ओर करके बैठ गई। मैं दीदी की ओर देख रहा था। वो मेरी तरफ अपनी पीठ घुमाकर बैठी हुई थी।

मेरी पैंट बिस्तर के नीचे ज़मीन पर पड़ी थी। मैं जाकर अपनी पैंट भी नही उठा सकता था। तभी दीदी बोली छोटू ये सब करना गलत है इससे शरीर खराब होता है। तभी मैं बोल पड़ा दीदी क्या करूं मूझसे बर्दास्त नहीं होता जब भी मैं लड़कियों को देखता हूं तो मेरा मन नहीं मानता और ऐसे ही अपना मन बहलाता हूं।

दीदी और मेरी बातें हो रही थी पर हमारी नज़रे एक दूसरे से बचने की कोशिश कर रही थी। दीदी बोली तुम्हें पता नही है। तुम अपने शरीर से कितनी अनमोल चीज बाहर निकालकर व्यर्थ कर रहे हो। मैंने कहा दीदी अब ये (लंड) बिलकुल टाईट हो चुका है अब मुझे दर्द हो रहा हैं। अब इससे बाहर निकाले बिना मूझसे रहा नही जायेगा।

दीदी इस बात को समझ गई और दया के भाव से मेरी तरफ मुड़ी और मेरी जांघों के बीच देखने लगी। फिर उन्होंने मेरे लंड पर से मेरे हाथों को हटाया और मेरे लंड को देखने लगी। मैंने कहा दीदी बहुत दर्द हो रहा है। अब बिना बाहर निकाले मुझे चैन नहीं आयेगा। तो दीदी ने कहा ठीक है तुम निकालो जल्दी से ये कहकर फिर से वो मेरी तरफ अपनी पीठ घुमाकर बैठ गई।

मैं अपने दीदी के पीछे बैठकर अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा पर काफी देर तक मुट्ठ मारने के बाद भी मेरा माल नही निकल रहा था। मेरे लंड की नशे फूल चुकी थी। अब लंड में दर्द असहनीय होता जा रहा था। मैं मुट्ठ मारते हुए दर्द से कराह रहा था। तभी दीदी मेरी कराह सुनकर फिर मेरी तरफ मुड़ी और मेरे लंड को देखते हुए पूछने लगी क्या बात है छोटू क्या हुआ?

मैंने कहा दीदी अब बहुत दर्द हो रहा है(लंड) इसमें जल्दी बाहर नहीं निकल रहा है। दीदी के चेहरे पर चिंता की भावना आ चुकी थी। तभी दीदी ने कहा ठीक है। मैं कुछ करती हूं। जिससे तुम्हारा जल्दी झड़ जाए। लेकिन तुम मुझे छुना मत मैंने कहा ठीक है दीदी।

दीदी मेरी तरफ अपना चेहरा कर लिया और ठीक से बिस्तर पर बैठ गई और थोड़ी संकोच वाली अदा के साथ उन्होंने अपना t-shirt अपनी ब्रा के सहित उपर उठा दिया। मेरी आखें खुली की खुली रह गई। अब मैं अपनी दीदी की नंगी और बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था। तभी दीदी ने कहा लो इन्हें देखकर जल्दी जल्दी अपना माल निकाल लो।

मैं तो दीदी की चुचियों को देखकर पहले से ही चौंका हुआ था। दीदी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर मैं होश में नहीं था। मैं सेक्स के नशे में अपनी खुलती बंद होती आंखों से दीदी की नंगी चूचियों को देखकर जल्दी जल्दी अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा। कुछ देर बाद दीदी ने पूछा छोटू हुआ क्या और कितना टाइम लगाओगे।

मैंने कहा दीदी कुछ फायदा नही हो रहा है। तो दीदी थोड़ी निराश स्वर में बोली तुम कोशिश तो करों मैंने कहा दीदी मैं कोशिश कर रहा हू। अगर मैं इन्हें (चुचियों) को छू कर देखू तो शायद जल्दी से हो जाए। थोड़ी देर सोंचने के बाद दीदी ने कहा ठीक है छू लो मैं दीदी की दोनों चूचियों को बारी बारी से छुने लगा और अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा।

लेकिन पता ही नही चला की सेक्स की आग में मैं कब दीदी की चुचियों को छूते छूते उनकी चुचियों को पीने लगा। अब दीदी के दोनों चूचियों के सख़्त काले निप्पल बारी बारी से मेरे होठों के बीच मसलाने लगे। मैं दीदी की चुचियों को किसी बछड़े की तरह दबोच दबोचकर पीने लगा।

दीदी ने मुझे कुछ नही कहा न ही रोका लेकिन अब मेरा ध्यान अपने लंड से हट चुका था। मैं पूरी तरह दीदी की जवान गरम चुचियों पर टूट पड़ा था। मैं वासना की आग में इतना जल रहा था की मैं दीदी की चुचियों को पीते हुए उन्हें मसल रहा था और अपनी दीदी को धकेलकर बिस्तर पर लिटाने की कोशिश कर रहा था।

लेकिन जब दीदी ने देखा की मैं अपने लंड को नही हिला रहा हूं। और उनकी चुचियों के साथ सेक्स कर रहा हू। तब उन्होंने मुझे रोका और कहा रुको छोटू तुम अपना माल निकालने में ध्यान नहीं दे रहे हो लगता है इससे भी तुम्हें कोई असर नहीं हो रहा है। मैं पीछे हट गया और तभी दीदी बिस्तर पर पीठ के सहारे लेट गई।

फिर उन्होंने अपने दोनों टांगों को हवा में ऊपर उठा लिया मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन तभी दीदी ने अपनी टांगें ऊपर करके अपनी कमर भी हल्की सी उठाई और अपनी कमर के नीचे अपने दोनो हाथों से अपनी लेगिंस को अपनी चड्डी सहित पकड़ा और अपनी लेगिंस को उठाकर अपनी जांघों तक चढ़ा दिया।

जैसे ही दीदी ने अपनी लेगिंस को अपनी जांघों तक उठाया मुझे दीदी की बड़ी सी गोरी गांड दिखाई देने लगी। तभी दीदी ने हवा में उठाए अपनी टांगों को थोड़ा सा फैला दिया अब जो मैंने देखा मेरे गले का थूक ही सुख गया। मैं दीदी की जांघों के बीच दबी उनकी साफ सुथरी चुत को देख सकता था।

दीदी की चुत को देखते ही मेरे लंड में घोड़े जैसी ताक़त आ गई और मेरे शरीर में न जानें कितनी वोल्ट का करेंट दौड़ पड़ा। दीदी मुझे अपनी चुत दिखाती हुई पीठ के बल लेटकर अपनी आंखों को अपनी बांह से ढके हुए थी। दीदी बिना कुछ बोले लेटी रही मैंने जोश जोश में आकर अपना खड़ा कड़क लंड सीधा ही दीदी की चुत पर रख दिया।

लेकिन दीदी ने मेरा लंड अपनी चुत पर से दूर झटक दिया बोली छोटू इसमें घुसाने की सोचना भी मत तुम मेरी चुत को देखकर ही जल्दी से अपना माल बाहर निकालो मैं दीदी की चुत देखते हुए तेज़ी से अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा। मैं अपने लंड को ठीक दीदी की चुत के पीछे सटीक निशाना लगाए चुत से दूरी बनाकर अपने लंड की मुट्ठ मार रहा था।

मैं दीदी की वो नशीली गुलाबी चुत को देखकर तरस रहा था। सोच रहा था की काश दीदी मुझे कहे की मैं उनकी चुत में अपना लंड डाल सकता हूं। लेकिन दीदी का ऐसा कोई मूड नहीं था। जब मूझसे बर्दास्त नही हुआ हो मैंने ही कहा दीदी क्या मैं इसको (चुत) को छू लूं शायद इससे मेरा जल्दी निकल जाए।

थोड़ी देर सोंचने के बाद दीदी ने कहा ठीक है छू लो पर याद रहे अंडर मत डालना मैंने कहा ठीक है दीदी और इतना कहकर मैंने अपने हाथ का अंगूठा दीदी की चुत में डाल दिया। जिससे दीदी को शायद दर्द हुआ और वो थोड़ी सी हुचकी पर कुछ बोली नहीं।

दीदी की चुत में अपना अंगूठा घुसाते ही मेरे लंड से बेरंग का पानी निकलने लगा। मेरी मुट्ठी और मेरा पूरा लंड चिपचिपा हो चुका था। तभी मैंने अपनी एक उंगली दीदी के चुत के दाने पर चलानी शुरू की पर दीदी ने अपनी चुत को अपनी उंगलियों से ढक लिया और बोली ये सब नहीं।

मैं दीदी की चिकनी चुत को देखते और छूते हुए तेज़ी से अपने लंड को हिलाए जा रहा था। अब मैं अपना लंड दीदी के चुत के उपर ले आया था। अब मेरा लंड उनकी जांघों के बीच आ चुका था। मैं तेज़ी से अपने लंड को मुठियाने लगा। अब मैं झडने वाला था कस कस के दो चार बार मैंने मुठ मारी जब मेरा लंड अपना बीज बाहर निकालने को तैयार हो गया।

और जब मुझे लगा की अब मेरा माल निकलने वाला है तब मैंने अपने लंड को छोड़ दिया मेरा लंड मेरी मुट्ठी से छूटते ही सीधे दीदी की चुत पर गिरा जिससे मेरे लंड और दीदी की चुत के टकराने की थप…की आवाज आई। मेरे लंड का सुपाड़ा सीधे दीदी के चुत के दाने से टकराया जिससे दीदी के बदन में सिहरन दौड़ पड़ी।

मैंने अपने लंड को छोड़ते ही दीदी की दोनों जांघों को पकड़ लिया था। जिससे दीदी अपनी जगह से हिल भी नहीं सकती थी। हालांकि उन्होंने जरा भी हटने की कोशिश नही की जब की वो जानती थी की मेरे लंड का सारा माल उनकी चुत पर ही निकलने वाला है। कुछ ही देर में मेरे लंड से गाढ़ा सफ़ेद माल बहने लगा।

मेरे लंड के गाढ़े सफ़ेद माल से दीदी की पूरी चुत ढक चुकी थी। मैं अब भी चाहता था की मैं दीदी की चुत के अंदर अपना लंड डाल दूं। मगर मैं जानता था की अगर आचनक से मैंने ऐसा किया तो दीदी बुरा मान जायेंगी।

उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के माल का आखिरी बूंद तक बड़े प्यार से अपनी चुत पर निकलवाया। मेरे लंड से निकलते गाढ़े सफ़ेद वीर्य ने दीदी की चुत को पूरी तरह ढक रखा था और मेरा वीर्य अब उनकी चुत के नीचे से बहता हुआ दीदी की गांड की दरार को भर रहा था।

जब मेरे लंड से वीर्य झड़कर खतम हो गया तो दीदी ने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ मुझे हटने को कहा और वो अपनी चुत और गांड़ की दरार में फैले वीर्य को साफ करने लगी। मेरी दीदी अपनी चुत साफ करती हुई मेरे लंड को देखकर मुस्कुरा रही थी। मुझे भी अब उनके सामने शर्म नही आ रही थी।

मैं नंगा बैठकर अपनी दीदी को उनकी चुत के उपर से मेरे लंड के वीर्य को हटाते हुए देख रहा था। तभी मैंने मजाक में कहा दीदी अब ये(चुत) और ज्यादा चमक रही है। दीदी ने मेरी बात पर बिना कुछ कहे मुस्कुरा दिया। फिर दीदी बोली की छोटू अब तो तेरा शांत हो गया न मैंने कहा हां दीदी पर अभी भी इसकी हसरत पूरी कहा हुई!

दीदी ने हंसते हुए कहा इसकी हसरत किसी और बिल (छेद) में पूरी कर मुझसे इतना ही होगा और ज्यादा की उम्मीद मत रख हाहहा… हंसते हुए अपनी पैंट उपर चढ़ाकर अपने बिस्तर पर चली गई।

दोस्तों ये था मेरी और मेरी दीदी के बीच का प्यार जिससे अपने भाई की तड़प को देखकर रहा नही गया और एक बहन के रिश्ते को भुलाकर एक लड़की का फर्ज निभाया और अपने छोटे भाई के मन को शांत करने में उसकी मदत की ये कहानी इतनी ही नही थी। कहानी के अगले भाग में बताऊंगा की दीदी को कैसे मैंने हम दोनों के पहले सेक्स के लिए मनाया।

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