मंदबुद्धि भतीजी की चुत की सील टूट गई

हैलो दोस्तों, आज मैं आप सभी को अपनी एक सच्ची आपबीती बताने जा रहा हूं। जिस बात को कभी मैंने अपने सपने में भी नही सोचा था। ऐसी बड़ी घटना हो चुकी थीं। मेरी मंदबुद्धि भतीजी ने अनजाने में मुझे बहका दिया था।

मेरा नाम रमेश है। मेरी उम्र 40 साल है मेरे परिवार में मैं मेरी पत्नी 35 और एक 6 साल का बच्चा है। मेरी एक भतीजी भी है जो अब 19 साल की हो चुकी थी। वो भी हमारे साथ ही रहा करती थी। मेरी भतीजी मंदबुद्धि थी उसका शरीर तो बढ़ गया था। मगर उसकी हरकतें अभी भी बच्चों वाली थी।

मंदबुद्धि भतीजी की चुत की सील टूट गई

उसके मंदबुद्धि होने की वजह से भईया भाभी उसे अपने साथ नही रखते थे और उसे अपनी औलाद का दर्जा नहीं देते थे। वो काफी समय से हमारे साथ ही रहती थी। सब कुछ सही ही चल रहा था। एक दिन मैं घर में चुपचाप बैठकर अपना फ़ोन चला रहा था। तभी घर में एकदम से सोर गुल मचने लगा।

कुछ ही देरी में वो शोर गुल मेरे कमरे में पहुंच गया। मेरा बेटा और मेरी मंदबुद्धि भतीजी आपस में पकड़म पकड़ाई खेलते हुए एक दूसरे के पीछे भाग रहे थे। जाहिर है अब मेरे कमरे की शांति भंग हो चुकी थी। वो दोनों अब मेरे बदन पर लटकने और एक दूसरे से बचने के लिए मेरे शरीर को झकझोरने लगे।

फिर मेरा बेटा मेरी मंदबुद्धि भतीजी से बचने के लिए मेरी गोद में आकर बैठ गया। फिर मेरी भतीजी उसे मेरी गोद में से खींचकर उठाने लगी वो अपनी पूरी ताक़त लगा रहा था ताकि मेरी भतीजी उसे मेरी गोद से न उठा सके लेकिन मेरी भतीजी ने उसे खींचकर मेरी गोद से हटा दिया।

रोहन को मेरी गोद से उठाकर जीत वाले टहाके के साथ वो खुद मेरी गोद में बैठ गई वो इतनी जोर से मेरी गोद में बैठी मेरा लंड पूरा उसकी गांड के नीचे दब गया और मुझे उसकी गांड के बीच की गर्माहट अच्छी तरह से अपने लंड पर महसूस होने लगी। इतने में ही मेरे लंड में हलचल होने लगी।

मेरा लंड तनने लगा मुझे भी अच्छा लगने लगा मैंने एक पल के लिए सोचा की अपनी भतीजी की जांघों के बीच हाथ घुसाकर उसकी चुत को छू लूं पर मैंने खुदपर काबू कर लिया। इसी बीच रोहन ने मेरी मंदबुद्धि भतीजी को मेरी गोद से धकेल दिया। जिससे मेरी भतीजी आगे गिर पड़ी।

जैसे ही मेरी मंदबुद्धि भतीजी मेरी गोद से हटी मेरा लंड स्वतंत्र होकर मेरी पैंट में बिलकुल किसी खंभे की तरह आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा हो गया। लेकिन फिर मेरी मंदबुद्धि भतीजी रोहन को चिढ़ाने के लिए फिर से मेरी गोद में ज़ोर से बैठी इस बार उसके बैठते ही मेरा लंड मेरी पैंट सहित उसकी गांड के बीच धस गया।

जैसे ही मेरा लंड उसकी गांड में धसा वो उचक कर मेरी गोद में आगे सरक गई। उसने मेरी तरफ देखा और मेरे लंड को पैंट पर से पकड़ते हुए पूछा चाचा ये क्या है? मैंने तुंरत उसका हाथ झटक दिया और उसे अपनी गोद से हटा दिया।

लेकिन वो किसी ज़िद्दी बच्चे की तरह मुझसे पूछे जा रही थी। इसमें क्या है चाचा?? दिखाओ ना चाचा क्या लाए हो दिखाओ ना!! पर मैंने उसे टालते हुए उसे कमरे से भगा दिया। रात को हम सब खाना खाकर अपने कमरे में आ गए।

हम सब एक ही कमरे में सोते थे। बिस्तर के एक कोने पर मेरी पत्नी और दूसरे कोने पर मैं और बीच में रोहन और मेरी भतीजी बिस्तर पर लेटे हुए मुझे तुंरत नींद आ गई। आधी रात को मुझे लगा कोई मेरे लंड को दबोच रहा है। लेकिन नींद में होने की वजह से मैं अपनी आंख नहीं खोल पाया।

कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ की मेरे लंड को मेरी पैंट के उपर से ही कोई मुट्ठी में कस के कस रहा है। मुझे थोड़ा दर्द हुआ तो मेरी आंख खुली और जो उस वक्त मैंने देखा वो देखकर मैं भौचक्का रह गया। मेरी मंदबुद्धि भतीजी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर टटोल रही थी।

शायद वो मेरे लंड को दबाकर जानने की कोशिश करने की कोशिश कर रही थी की मैंने अपनी पैंट में क्या छुपाकर रखा है। मैं अपनी हल्की सी आंख खोलकर सब देख रहा था। लेकिन मैं उसे उस वक्त डांटता या कुछ बोलता तो शायद मेरी पत्नी या रोहन उठ जाते।

मैंने सोचा करने दो इसे जो करना है। जब उसे बिना देखे तसल्ली नहीं हुई तो वो धीरे धीरे मेरी पैंट को खींचकर नीचे करने लगी मेरा लंड उसके मिसने से ही थोड़ा टाईट हो चुका था। लेकिन जब उसने मेरी पैंट उतारनी शुरू की तभी मेरा लंड फूल टाईट हो गया और एकदम सीधा खड़ा हो गया।

कुछ ही देरी में उसने मेरी पैंट को खींचकर मेरी जांघों तक कर दिया और अपनी बड़ी बड़ी चौंकी नजरों से मेरे विराट आकार के लंड को देखने लगी। वो मेरे लंड को ऐसे देख रही थी जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो। उसका चेहरा मेरे लौड़े के एकदम करीब था। मेरा मन तो कर रहा था अभी उसकी चूंची पकड़के अपना लंड उसको चूसा दूं।

लेकिन मैं हमारे बीच के रिस्तो की वजह से रुक गया। फिर वो अपने हाथ से मेरे लंड को छुने लगी और मेरे चेहरे की तरफ देखा जब उसे लगा की मैं सो रहा हूं। तो वो मेरे लंड से खेलने लगी वो बिल्कुल किसी खिलौने की तरह मेरे लंड से खेल रही थी। वो बार बार मेरे खड़े लंड को दबाकर सुलाने की कोशिश कर रही थी।

लेकिन उसका हाथ हटते ही फिर से मेरा लंड सीधा हो जा रहा था। जिसे देखकर उसे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर वो हुआ जिसकी मुझे कोई उम्मीद नहीं थी। अचानक मेरी पत्नी ने मुझे बिना आवाज किए खोदकर उठाने लगी पर मैंने तुंरत कोई हरकत नहीं की उसके एक दो बार खोदने पर मैंने जब उसकी तरफ देखा।

तो वो मुझे इशारे में बोली देखो वो पागल क्या कर रही है तुम्हारे लंड। के साथ और बिना आवाज किए हसने लगी। मैंने भी अपने लंड की तरफ देखने लगा और अपनी पत्नी के सामने चौकने का नाटक करने लगा। मेरी मंदबुद्धि भतीजी मेरे लंड के साथ खेले जा रही थी। उसने खेल खेल में मेरे लंड का पानी निकाल दिया था।

अचानक पता नही उसे कहा से बुद्धि आ गई की उसने मेरे लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे सरकाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मेरे लंड से तेज वीर्य का फुहारा उड़ा और मेरी कमर और पेट पर फैल गया मेरी मंदबुद्धि भतीजी की मुट्ठी मेरे वीर्य से तथपत हो चुकी थी। उसने अभी भी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था।

मेरे लंड से निकलते वीर्य के फुहारें को देखकर मेरी पत्नी अपना मुंह दबाकर हंसने लगी। फिर इशारे में बोली देखो पगली ने क्या किया। फिर मेरी पत्नी ने अपना सर मेरे कान के करीब किया और उसने मेरे कान में वो कहा जो मैं करने के लिए पता नही कितने देर से तड़प रहा था। मेरी पत्नी ने मेरे कान में कहा – ये जवान हो गई है। ले लो इसकी चुत का मजा

ये सुनते ही मैं खुश हो गया मैं अपनी भतीजी की ओर अपने लंड से खेलते हुए उसे देखने लगा। अब मेरा लंड उसकी मुट्ठी में ढीला पड़ चुका था। शायद वो मेरे लंड को हिला डूलाकार मेरे लंड में जान लाने की कोशिश कर रही थी।

मैं तूरंत उठा और उसके हाथ को पकड़ लिया वो एकदम हड़बड़ा गई उसका चेहरा ऐसा हो गया था मानों जैसे उसकी चोरी पकड़ी गईं हो। जब मैंने उससे पूछा की ये क्या कर रही है। तो उसने हंसते हुए कहा मैंने देख लिया मैंने देख लिया चाचा आप जो मुझसे छुपा रहे थे। फिर उसने पूछा चाचा ये क्या है मैंने कहा लंड है। फिर उसने पूछा इससे क्या होता है?

तो मैंने कहा की तुझे जानना है। तो वो बड़ी उत्सुकता से बोली हां बताओं न चाचा मैंने कहा चल ठीक है। तुझे इससे खेलना है तो वो तुंरत बोली हां। मैंने कहा फिर मैं जैसा कहता हूं। वैसा ही करना वो बोली ठीक है चाचा।

फिर मैं बिस्तर से उठा और जमीन पर एक गद्दा बिछा दिया और उसे कहा आ जा आज मैं और तू यहीं नीचे सोएंगे। वो तुंरत नीचे गद्दे पर आकर लेट गई मैं भी उसके बगल में लेट गया। मैंने उससे कहा की तुझे लंड से खेलकर कैसा लगा तो उसने कहा मजा आया। मैंने पूछा फिर खेलेगी तो वो झट से बोली हां।

फिर मैंने अपनी पैंट पूरी उतार दी और उससे बोला चल खेल ले वो तुंरत मेरी कमर के पास बैठ गई और मेरे लंड से खेलने लगी। उसे जैसा आ रहा था वैसे मेरे लंड से खेल रही थी। कभी लंड को मुठ्ठी में दबाती तो कभी लंड को हाथ से दबाकर सुलाने की कोशिश करती जब उसका हाथ मेरे लंड से हटता तो मेरा लंड फिर से सीधा खड़ा हो जाता उसे ये सब देखकर मजा आ रहा था।

वो मेरे लंड से किसी डॉल की तरह खेल रही थी कभी मेरे लंड को खूब दुलारती पुचकारती तो कभी अपनी नाक लगाकर मेरे लंड को सूंघती और फिर मुस्कुराकर मेरी तरफ देखती। उसके छुने से अब मेरा लंड एकदम कड़क और सीधा खड़ा हो चुका था। फिर मैंने उससे कहा की लंड को मुंह में लेकर चूसो तो वो झट से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।

मैंने पूछा कैसा लगा लोलीपॉप तो वो बोली अच्छा है चाचा तो मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसे उठाकर अपने चेहरे के उपर और सामने कर दिया। अब उसकी दोनों टांगें मेरे बदन के दोनों तरफ थी और उसकी गांड ठीक मेरे मुंह के उपर अब मैंने उसे अपने ऊपर 69 पोज़ में ले लिया और उससे कहा अब आराम से चूसो लंड। अब मैं जो करूंगा उससे तुम्हें और मजा आयेगा।

मैं बोला – अब मैं तुम्हें सिखाऊंगा की लंड से क्या किया जाता है। वो बोली ठीक है चाचा और फिर से मेरा लंड चूसने लगी। मैंने उसकी कमर पर अपने दोनों हाथ रख दिया और उसकी पैंट की इलास्टिक को पकड़ते हुए उसकी पैंट को नीचे खींचने लगा। अब धीरे धीरे मुझे उसकी गोरी गांड की दरार दिखाई पड़ने लगी।

जब मैंने उसकी पैंट को ओर नीचे खींचा तो उसकी अनछुई चुत दिखाई देने लगी। जिसपर काली घनी झांटे थी। मैंने उसकी पैंट को खींचकर उसकी जांघों तक उतार दिया। फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और अपनी जीभ से उसकी नरम चुत को छुने लगी। उसकी चुत को जैसे ही मेरे जीभ ने छुआ वो सिहर गई और लंड चूसना छोड़कर आगे बढ़ गई।

फिर मैंने उसकी कमर को पकड़ा और पीछे खींचके बोला तुम लंड चूसो तुम्हें देखना है न लंड से क्या किया जाता है। तो वो बोली हां चाचा। मैंने फिर से अपनी जीभ उसकी नरम चुत पर लगा दी। मैं उसकी चुत के दोनों पट्टो पर बारी बारी अपना जीभ फेरने लगा। वो अब ढीली होने लगी उसका ध्यान अब मेरे लंड से ज्यादा अपनी चुत की ओर आने लगा।

मैं हल्के हल्के अपने दांतों से उसकी चुत की दोनों पट्टी को खींचने लगा फिर मैं अपने जीभ से उसके चुत के दाने को सहलाने लगा इतने में ही उसके मुंह से आवाज आने लगी आह… चाचा…आह…आह… चाचा कुछ हो रहा है आह…. मैं बोला कुछ ही देर में तुम्हें और ज्यादा मजा आने लगेगा।

फिर मैंने अपने जीभ गोलाई में सिकोड़ी और उसकी चुत में डालने लगा इतने में ही कांप गई पर मैंने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ रखा था मैंने उसे टस से मस नहीं होने दिया। मैं 2 मिनट तक अपनी जीभ से उसकी चुत चोदता रहा फिर अचानक उसकी चुत से नमकीन पानी आने लगा। वो मेरे मुंह में ही झड़ गई और जोर जोर की सांसे लेने लगी आह…आह.. ओ… ओ ह…. करने लगीं।

उसकी चुत उसके झड़ने की वजह से गीली हो चुकी थी। फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चुत से हटाई और अपनी एक पतली ऊंगली उसकी चुत में डाली जिससे वो तड़प उठी आह… माआ… मैं समझ गया की इसकी चुत बहुत टाइट है। फिर मैंने उससे कहा तुमने तो लंड चूस के मजा ले लिया अब मेरी बारी तो उसने कहा क्या करू चाचा?

मैंने कहा अपने कपडे उतार दो वो थोड़ा शर्माने लगी लेकिन जब मैंने कहा की तुम्हें देखना है की नही की लंड किस काम आता है। तो उसने झट से अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी होकर बगल में लेट गई। फिर मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और एक दो किस उसके होठों पर कर दिया।

फिर मैंने उससे उसके चुचियों की ओर इशारा करते हुए कहा की अब मैं इसको चुसूंगा तुम मुझे चूसने दोगी अपनी चूंचियां तो बोली हां चाचा फिर मैंने कहा तुम अपनी चूंचियों को मेरे मुंह के क़रीब ले आओ तो उसने अपना सीना मेरे मुंह पर कर दिया अब मैं उसकी छोटी छोटी गरम चुचियों को दबाते हुए चूसने लगा।

वो मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूंचियां मुझसे चुसवा रही थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड पर रख दिए और उसकी गांड को सहलाते हुए अपनी उंगलियों से उसकी चुत को रगड़ने लगा। फिर मैंने उसे कहा की तुम अपने दोनों पैरों को फैला दो उसने वैसा ही किया। मैं उसकी चूंचियां चूसता रहा फिर मैंने अपने मुंह में जमे लार को अपने हाथ पर उगला और अपने लंड और उसकी चुत पर मल दिया।

एक तरफ मैं उसकी चूंचियों को चूस रहा था तो दूसरी ओर अपने लंड को उसकी चुत में डालने को तैयार था। मैंने अपने हाथ से अपना फिसलन भरा लंड पकड़ा और उसकी चुत पर रगड़ने लगा। उसकी चुत गीली थी और उसपर थूक लगा हुआ था जिस कारण उसकी चुत पर लंड रगड़ने से चपड… चपड़… चपड… की आवाज़ आ रही थी।

उसकी गीली चुत पर लंड रगड़ते ही उसकी चुत की दोनों पट्टे खुल गए और उसकी चुत की छेद लंड के सुपाड़े से रगड़ खाने लगी। फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत कि छेद पर रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़ लिया और उसकी चुत पर लंड से दबाव डाला। जिससे मेरी भतीजी तड़प गई बोली चाचा दर्द हो रहा है।

मैंने कहा थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन उसके बाद तुझे बहुत मज़ा आएगा। मैंने कहा अगर तुझे मजा नही लेना है तो बोल मैं लंड हटा लेता हूं। तो वो थोड़ी दबी आवाज में बोली नहीं मत हटाओ मजा लेना है। उसके बाद मैंने फिर एक धक्का मारा जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चुत की छेद में आधा घुस गया।

आधा सुपाड़ा घुसते ही उसकी चुत में मानो भूचाल आ गया। वो दर्द से कराह उठी चाअचा आह… आह..दरर द…. हो रहा है। बहुत दर्द हो रहा है चाअ चा… ओ ह ह ह….. कर कराहने लगी। मैं समझ चुका था की मेरे लंड ने सही रास्ता पकड़ा है। अब एक दो चोट में उसकी चुत में घुस जायेगा।

वो कराह ही रही थी की मैंने उसकी दोनों जांघों को कसकर पकड़ लिया और नीचे से हुमचकर एक धक्का मारा जिससे मेरा आधा लंड मेरी भतीजी की चुत में घुस गया। एक बार वो जोर से कराही आ.. आ.. ह ह ह ……चा आ चा.. अह ह ह…. और दर्द के मारे वो बेहोह होने लगी। मेरा लंड आधा उसकी चुत में घुसा हुआ था।

मेरा आधा लंड उसकी चुत में घुसने से उसकी चुत की सील फट गई थी। मेरे लंड और मेरे पेट पर उसकी चुत का खून निकलकर टपक रहा था। वो दर्द से बेहोश होकर मेरे सीने पर पड़ी थी। मैंने 15 मिनट तक कोई हरकत नहीं की अब उसे थोड़ा थोड़ा होश आने लगा था। वो संभल रही थी। तो मैंने धीरे धीरे अपना बाकी का लंड उसकी चुत में ठेलने लगा।

कुछ ही देर में मैंने अपना पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया। अब मैं उसकी कमर को अपनी बांहों में लपेटकर नीचे से अपनी क़मर उठा उठाकर उसकी चुत को चोदने लगा। अब वो भी अपनी चुत चुदने पर औरतों जैसे हरकत करती हुई मज़े लेने लगी उसी तरह मैंने उसे अपने ऊपर लेटाकर उसकी चुदाई करता रहा।

लेकिन वो ज्यादा देर तक मेरे लंड के आगे टिक नही पाई तुंरत ही उसने अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन मैं उसे चोदता रहा। झड़ने के वक्त उसकी चुत ने मेरे लंड को कसना शुरू किया पर मैं तजुर्बे वाला था। मैं उसकी चुत में अपना लंड तेज़ी से डालते हुए उसे कस कस कर चोदने लगा। अब उसकी कराहने की आवाज एक सुकून भरी कामुक आवाज में बदल चुकी थी।

उसके कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था। तो मैंने अपना लंड अपनी भतीजी की चुत से निकाल लिया और अपना लंड उसकी गांड की दरार में छोड़कर उसकी गांड की दरार में ही झड़ गया।

अब मैंने उसको सीधा बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी टांगें फैला कर खोल दिए। फिर मैंने उसकी चुत में लगे खून को साफ़ किया और फिर अपना लंड भी साफ़ कर लिया। उसके बाद मैं उसकी दोनों टांगों के बीच आकर बैठ गया और अपना लंड उसकी चुत में डालकर उसके उपर चढ़ गया।

अब मैं जिस तरह अपनी पत्नी को कस कसकर चोदता था ठीक उसी तरह से मैं उसको चोदने लगा। अभी अभी उसकी चुत की सील टूटी थी और मैं अपना लंड उसकी चुत में जड़ तक घुसा रहा था। जिससे वो दर्द से कराह रही थी। सारी रात मैं उसकी चुत को ठोकता रहा।

रात भर अपनी भतीजी की चुत चोदने का मजा ही अलग था। उसको चोदते चोदते सुबह हो गई और पता ही नही चला की कब मेरी आंख लग गई। सुबह जब मेरी पत्नी ने मुझे उठाया तो मैं बिल्कुल नंगा था और अपनी नंगी भतीजी के साथ सोया हुआ था।

तभी मेरी पत्नी ने कहा कैसी रही तुम्हारी सुहागरात अपनी भतीजी के साथ मैंने मुस्कुराते हुए कहा अच्छी थी जवान चुत की सील तोड़ने का मजा ही अलग है। फिर मेरी पत्नी ने मेरी भतीजी की चुत को देखते हुए कहा लगता है तुमने जमकर इसकी चुत ली है। देखो कैसे अभी भी लाल है।

मैंने कहा हां रातभर चुदाई के दौरान कराहती रही। मेरी पत्नी बोली कराहे भी क्यों न पहली बार चुत में लंड गया था। देखो कैसे बेसुध होकर पड़ी है। चलो इसे नींद से जगाओ। मैंने कहा छोड़ो सोने दो। मेरी पत्नी बोली अरे जरा प्यार से रात के जैसे जगाओ। मैं समझ गया।

मैंने फिर से उसकी दोनों टांगों को फैलाकर खोला और उसकी चुत को देखते हुए अपना लंड तैयार करने लगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत में लगा दिया और एक धक्का मारा जिससे आधा लंड उसकी चुत में घूस गया और उसकी भी नींद खुल गई।

वो मुझे मुस्कुराती हुई देखते हुऐ अपनी चुत के दर्द को नजर अंदाज़ करने की कोशिश कर रही थी। मैंने बाकी का बचा हुआ लंड ठेलकर उसकी चुत में घुसा दिया। उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनो कंधों को पकड़ लिया। जब मैंने उसकी चुत में धक्के लगाने शुरू किए तो उसने अपने दोनों टांगों को मेरी कमर पर कस लिया।

फिर चुत चुदाई का खेल शुरू हो गया। वो एक ही रात में चुदाई का भरपूर मजा लेना सीख गई थी। चुदाई के दौरान मैंने उससे पूछा की कैसा लग रहा है। तो वो बोली चाचा रात से ज्यादा मजा अभी आ रहा है। मैंने कहा समझ गई लंड से क्या होता है। तो उसने हां में सर हिलाया। फिर अपनी चुत चुदाई का मजा लेने लगी।

मैंने उसे सुबह के 10 बजे तक ब्रेक ले लेकर कई बार चोदा मैंने चोद चोदकर उसे बुरी तरह थका दिया। वो सारा दिन मेरे कमरे में नंगी पड़ी सोती रही। अब तो वो मेरी मंदबुद्धि भतीजी चुदाई की इतनी भूखी है। उसे रोज रात को लंड चाहिए।

मैं उसे सिर्फ उसके महीने के दिनों में ही छोड़ता हूं नही तो हर रात उसकी चुत का भरपूर मजा लेता हूं। अब तो उसकी चुत मेरी पत्नी की जिनती बड़ी और ढीली हो चुकी है। 3 महीनों की लगातार चुदाई से उसकी चुत का अब भोसड़ा बन चुका है। उसकी चुत अब ब्याही औरतों जैसा हो चुका है। जिसमे 4 मोटा लौड़ा बड़े आराम से घूस सकता है।

तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी और मेरी मंदबुद्धि भतीजी की धमाकेदार चुदाई। मंदबुद्धि भतीजी की चुत की सील टूट गई । उम्मीद करता हूं की आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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