गांव में सगी दादी की चुदाई

नमस्ते दोस्तों मेरा नाम अर्जुन है। इस कहानी में मैं आप सभी को मेरी और दादी के बीच हुई चुदाई की सारी पोल खोलने जा रहा हूं। मैं आप सभी का अपने इस कहानी में स्वागत करता हूं। उम्मीद है की इस कहानी को पढ़ते हुए लंड वालों का लंड और चुत वालियों की चुत गीली हो जाए।

गांव में सगी दादी की चुदाई

चलिए अब सीधा उस रात की कांड पर आते है और शुरू से समझते है। गांव में मेरे दादा दादी अकेले पुराने मकान में रहते है। मैं और मेरा परिवार शहर में रहते है। मेरे बचपन में जब हमें गर्मी की छुट्टियां मिलती थी तो हम सब अपने दादा दादी के पास जाते थे। लेकिन मैं कुछ सालों से अपने गांव नही गया था।

अब मैं कॉलेज में पढ़ता हूं। इस बार की गर्मी छुट्टी में पापा ने कहा अर्जुन तुम्हारे दादा दादी के पास गए बहुत दिन हो गए है। मेरे ऑफिस का वर्क लोड ज्यादा है। इसलिए मैं तो नही जा सकता एक काम करो तुम अब बड़े हो गए हो।

तुम अकेले ही गांव चले जाओ और अम्मा और बापू ( दादा और दादी) का हाल चाल लेकर आओ और अपने साथ कुछ पैसे ले जाना और उनको दे देना। पहले तो मुझे पापा की बात ठीक नही लगी। लेकिन उनकी आंखों में अपने मां बाप के लिए चिंता देखी तो मैं मान गया।

अगले दिन मैं अपने गांव के लिए निकल गया। उसके अगले दिन मैं अपने गांव पहुंच गया। घर पहुंचते ही देखा तो घर का आधा हिस्सा ढह चुका था। कुछ सालों तक घर का वो हिस्सा सही सलामत था और हम जब यहां आते थे। तो उसी कमरे में रहते थे। लेकिन अब वो एक मलबे में बदल चुका था।

वहां सिर्फ एक कमरा और छोटा सा बरामदा ही सलामत बचा हुआ था। जैसे ही मेरी नजर दूसरी तरफ पड़ी तो मैंने देखा मेरे दादा एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। मैंने उनकी तरफ अपने कदम बढ़ाएं। उनके पैर छुए लेकिन उन्होनें मुझे पहचाना नहीं। जब मैंने अपना नाम बताया तो वो बहुत खुश हो गए।

फिर उन्होंने कहा बेटा अब मेरी नजर कमज़ोर हो गई है। कुछ भी साफ साफ दिखाई नही देता। मैंने कहा की डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया। तो उन्हे शायद सुनाई नही दिया मैंने ज़ोर से फिर वही बात दोहराई तो उन्होंने जवाब दिया। मैं समझ चुका था की दादा जी को न तो साफ दिखाई देता है और न ही सुनाई देता है। आखिरकार उनकी उम्र 70 के उपर हो चली थी।

कुछ देर मैं और दादा जी बैठे रहे तब उन्होंने कहा की तू अपनी दादी से मिला या नहीं मैंने जोर से पूछा उनसे नहीं मिला कहा है दादी तो उन्होंने कहा घर में या फिर आंगन में होगी। देख लो जाकर मैंने कहा ठीक है। मैं उठकर दादा दादी के कमरे में गया। तो वहां कोई नहीं था। फिर मुझे पानी के गिरने की आवाज आई।

तो आंगन की तरफ गया। तो देखा मेरी दादी अपने सारे कपड़े निकालकर नहा रही थी। वो बिल्कुल नंगी होकर बैठी हुई थी। उनके बड़े बड़े बूब्स उनके घुटनों से दबकर और बड़े बड़े लग रहे थे। चमकते सूरज की रोशनी में उनका सावला बदन चमक रहा था। मैं वही बिना हिले डुले छिपकर खड़ा हो गया।

मैं दादी को नहाते हुए देखने लगा। जब दादी के बूब्स उनकी घुटनों और जांघों से दबते तो मेरे मन में एक अजीब से पीड़ा होती। मैं सोचता दादी कितनी जालिम है की अपने नर्म और मुलायम बूब्स को बेरहमी से अपने घुटनों से दबा रही है। मेरी दादी की उम्र तकरीबन 60 साल है।

उनके शरीर का रंग सांवला और बूब्स बड़े है। आज मैंने उनकी कमर और गांड भी देख ली थी। उनकी गांड भी काफी मोटी और चौड़ी थी। वही मेरे दादा अब एक मारियल की तरह लगते थे तो मेरी दादी बिलकुल गिल्फ माल लगती है। मैं सोंचने लगा की क्या दादा दादी अभी भी सेक्स करते होंगे।

अब दादी नहाकर उठने लगी। मैं झट से आंगन में घुस गया। दादी अब खड़ी हो चुकी थी और मैं उनके सामने खड़ा था। तभी उन्होंने कहा अर्जुन तू कब आया। मैंने कहा दादी अभी अभी आया हूं। मेरी नज़रे नीचे पर उनकी चुत पर थी। वो भी बिल्कुल आराम से मेरे सामने नंगी खड़ी होकर अपनी चुचियों को सूखे कपड़े से पोंछ रही थी।

मेरी दादी की चुत पर एक भी बाल नही थे। बिलकुल साफ सुथरी उनकी चुत के दोनों पट्टे आपस में चिपके हुए साफ साफ दिखाई दे रहे थे। मुझे और भी अच्छे से उनकी चुत के दर्शन होते लेकिन उनके पेट की चर्बी से उनकी चुत आधी ढकी हुई थी। मेरा लंड फूल टाईट हो गया।

कुछ देर बाद दादी पीछे पलटी तो मुझे उनकी बड़ी गांड के दर्शन के दर्शन हो गए। अब मैं सीधा बिना शर्म के उनकी गांड को निहार रहा था। क्योंकि दादी अब दूसरी तरफ मुड़ी हुई थी। फिर दादी ने अपने बदन पर एक लूंगी को जैसे तैसे लपेट लिया।

फिर वो बोली तू कमरे में बैठ मैं अभी आती हूं। मैं उनके कमरे में बैठ गया। थोड़ी देर बाद दादी वही लूंगी लपेटे हुए कमरे में आई। मुझे मिटाई और पानी देते हुए बोली खा मैं थोड़ी देर में खाना बना देती हूं। मैं मिठाई खाने लगा।

तभी दादी उनके कमरे में पड़ी एक पुरानी अलमारी के पास गई और जो लूंगी उन्होंने लपेट रखी थी। उसे खोलकर नीचे गिरा दिया अब वो फिर पूरी नंगी हो चुकी थी। मैं तिरछी नजर से उनकी कमर के नीचे के हिस्से को नंगा देख पा रहा था। उससे उपर नजर उठाने की हिम्मत नही थी।

दादी अलमारी में से कपड़ा निकालकर पहनने लगी। थोड़ी देर में उन्होंने सारे कपड़े पहन लिया और अपना नंगा बदन ढक लिया। फिर वो मेरे पास पलंग पर आकर बैठ गई और समाचार पूछने लगी। फिर उन्होंने बताया की अब घर का यही हिस्सा सलामत बचा हुआ है। ठंड के मौसम में उस तरफ का हिस्सा ढह गया।

फिर उन्होंने कहा की तू भी नहा धो ले। मैं खाना बना देती हूं। मैं उसी आंगन में नहाने लगा और दादी उसी आंगन में दूसरी तरफ बैठकर खाना बनाने लगी। कभी वो मुझे नहाते हुए देखती तो कभी मैं उन्हें खाना बनाते हुए देखता। मेरा लंड तो अब उनकी चुत के ख्याल में मोटा और खड़ा हो चुका था।

अब नहाकर टॉवल लपेटने की बारी थी। तो मैं जान बूझकर दादी की तरफ मुड़ गया। मैंने टॉवल को अपनी कमर के पीछे से घुमाकर उसके दोनों सिरों को आगे से पकड़ लिया। जान बूझकर मैंने टॉवल को बांधा नही और एक हाथ से दोनो सिरो को पकड़कर दूसरे हाथ से अपनी चड्डी निकाल दी।

मैंने ये जान बूझकर किया ताकि टॉवल के दोनों सिरों के बीच से दादी को मेरे मोटे लंड के दर्शन हो जाए। दादी मेरी ओर लगातार पहले से ही देख रही थी। मैं वैसे ही अपने टॉवल को पकड़कर टॉवल के सिरों से अपनी जांघो के पानी को पोंछने लगा। जिससे मेरा टाईट खड़ा लंड बाहर दिखाई दे रहा था।

दादी फिर भी मेरी ओर देख रही थी। कुछ देर मैंने अपनी टांगों को पोंछने के बहाने ऐसे ही दादी के सामने अपना लंड प्रदर्शन करता रहा। अब मैं नहाकर दादी के कमरे में आ गया। कुछ देर में दादी खाना लेकर आई उसके बाद मैं खाना खाकर सो गया।

थकावट के मारे कब मुझे नींद आई पता ही नही चला। अचानक नींद में मुझे किसी की आवाज सुनाई दी। फिर किसी ने मेरे शरीर को हिला डुलाकर मुझे जगा दिया। जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा की दादी थी। उन्होंने कहा रात हो गई है खाना खाकर सो जा।

मैंने देखा तो रात के 8 बज रहे थे। मैं थोड़ी देर बाद खाने बैठ गया। मैं बहुत देर तक सोया था माइंड फ्रेश हो चुका था। मैं दादा और दादी साथ खाना खा रहे थे। खाने के बाद मैंने सोचा की दादा दादी इस कमरे में सोते होंगे मैंने दादी से कहा दादी एक बिस्तर दे दो। मैं बाहर बरामदे में खाट पर सो जाऊंगा।

तो दादी ने कहा नही तुझे बाहर सोने की आदत नही है। तू इसी कमरे में सो जा। वैसे भी तेरे दादा को कमरे में नींद नहीं आती। वो बाहर ही सोते है। मैं उसी कमरे में पलंग के एक किनारे सो गया।

दादी भी उसी वक्त दूसरे साइड लेट गई। मुझे पता नही कब मेरी आंख लग गई। लेकिन मेरी आंख तब खुली जा मुझे अचानक गर्मी महसूस हुई। मैंने देखा मेरी दादी मुझसे सट कर सोई हुई थी। मैं अपने ही साइड सोया हुआ था। लेकिन वो मेरी तरफ आ चुकी थी।

उनकी पीठ मेरी तरफ थी और उनकी कमर मेरे पेट से सटी हुई थी। कमरे में लाइट ऑन थी। इसलिए सब मुझे साफ दिखाई पड़ रहा था। मैंने जब उनकी कमर की तरफ देखा तो मैं थोड़ा चौक गया। उन्होंने अपनी साड़ी उतारी हुई थी और ब्लाउज और ग्रे रंग की पेटीकोट पहनकर सोई ही थी।

ऐसा मौका देखकर मेरा लंड और मेरा मन खुशी से उछल पड़े। मैंने बिना डरे अपना हाथ दादी की कमर पर रख दिया। फिर मैंने धीरे से दादी की पेटीकोट की डोरी को खोल दिया। अब मैंने अपनी एक जांघ को दादी की जांघ पर चढ़ा दिया।

मैंने अपना पैंट खिसका कर अपनी गांड से नीचे कर दिया था। मेरा लंड अब बाहर आ चुका था और लटलटे पानी से दादी की पेटीकोट को गीला कर रहा था। मैंने धीरे धीरे दादी की कमर पर से उनके पेटीकोट को नीचे करना शुरू किया।

अब दादी की पेटीकोट उनके उपर वाले कूल्हे के नीचे आ चुकी थी। अब दादी की आधी गांड दिखने लगी थी। मैंने अपना हाथ दादी की पेटीकोट के अंदर डाल दिया और हिम्मत करके उनकी पेटिकोट को ताकत लगाकर और थोड़ा नीचे कर दिया। अब दादी की गांड का आधा से ज्यादा हिस्सा दिखाई देने लगा।

अब भी उनकी पेटीकोट से उनका निचला कूल्हा थोड़ा सा ढका हुआ था। अब इससे ज्यादा उनकी पेटिकोट नीचे नही जा रही थी। लेकिन अभी भी उनकी चुत में लंड डालने के लिए काफी जगह बन गई थी। मैंने अपनी जांघ को दादी की जांघ से नीचे किया और अपने घुटने से उनकी उपर वाली जांघ को धकेलकर थोड़ा आगे किया ताकि उनकी चुत की छेद दिखे।

वैसा करके उनकी चुत की छेद थोड़ी खुल सी गई। मैंने अपना लंड पकड़ा और उनकी चुत की चेदपार रखकर कसकर धक्का मारा जिससे मेरा 3 इंच मोटा और 7 इंच लंबा लंड उनकी लचीली और ढीली ढाली चुत में समा गया। अपना लंड उनकी चुत में डालकर मैंने उनके कंधों को पकड़ लिया।

फिर मैंने उनको पेट के बल पलटते हुए उनकी चुत में लंड डाले उनके उपर चढ़ गया। ताकि अगर वो मेरा विरोध करे तो मैं उनके उपर काबू कर पाऊं और बिना किसी परेशानी के उनकी चुत की चुदाई कर पाऊं।

जैसे ही मैंने दादी को पलटा और उनके उपर चढ़ा दादी हल्का हल्का कराहने लगी। मैं उनके उपर चढ़ा हुआ था। जिससे मेरा लंड उनकी चुत में अंदर तक घुस गया था। मैं उनके कंधों को पकड़े हुए उनकी दोनों टांगों को अपने पैरों से फैलाकर दादी को चोदने लगा।

मैं काफी गरम हो चुका था। मैं दादी के कान के पास काफी तेज और हवस से बाहरी सांसे छोड़ रहा था। दादी आह… हुउ…. हम्म्म… आ… कर रही थी। लेकिन मैंने एक बात पर गौर किया की वो मुझे ये सब करने के लिए न डांट रही थी ना ही रुकने को कह रही थी।

वो बस उम्म्ह्… आन्ह्ह्ह… मैं जितनी जोर से उनकी चुत चोदता उतनी ही तरह तरह से आवाजें निकाल कर वो शायद मजे ले रही थी। करीब आधे घंटे तक मेरी उनकी चुत में अपना मोटा लंड घिसता रहा और मैं अचानक से उनके कान के पास आह आह करते हुए शांत पड़ गया। मेरा लंड उनकी चुत के अंदर माल छोड़ रहा था।

उनकी चुत के अंदर लट लटलटाहट हो चुकी थी। माल झड़ने के बाद उनकी चुत की छेद सिकुड़ और खुल रही थी और मेरे लंड के अगल बगल से मेरे लंड का माल बाहर निकल रहा था। दादी भी अब चुप हो गई थी।

मैं फिर से वैसे ही अपने कमर को उपर नीचे करने लगा। मेरा लंड फिर से उनकी चुत में अंदर बाहर रेंगने लगा। इसबार मैंने दादी के सीने के नीचे हाथ लगाया और उनकी ब्लाउज खोलकर उनकी दोनों चुचियों को साइड से उनके सीने के नीचे से निकाल लिया।

मैं दादी के लंबे काले निप्प्लों को मिसने लगा। दादी करहाने लगी। आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्हह… इस्सश.. मैं झट से अपना लंड दादी की चुत से निकलकर उनकी टांगों को पकड़कर उनको पलटकर पीठ के बल लेटा कर उनकी दोनों टांगें चौड़ी कर दी।

फिर मैंने उनके कंधों से उनकी ब्लाउज को निकालकर दूर फेंक दिया। फिर मैंने अपना लंड दादी की चुत में डालकर उनके चुचियों पर अपना सर रखकर उनकी निप्पलों को अपने होठों से चूसते हुए उनकी चुत में अपने मोटे लंड से दमदार धक्के मारने लगा।

करीब रात के 3 बजे तक मैं दादी को चोदता रहा। सच में चुत चाहें किसी भी उम्र की हो मजा वही देती मैं हर बार दादी की चुत में ही अपना माल झाड़ता रहा। दादी को मन भर चोदने के बाद मैं और दादी 1 घंटे तक साथ में नंगे लेटे हुए थे।

उसके बाद 3 दिन तक मैं यही सोचता रहा की फिर दादी से चुदाई के लिए कैसे बात करूं। शायद मन तो उनका भी था लेकिन शर्म के मारे वो भी मुझसे खुलकर ये बात नही कर रही थी।

4 दिन रात की बात मैं गांव में बारात आई हुई थी। रात के वक्त भी गांव में हलचल थी। गांव के सारे लोग बारातियों के सेवा में लगे हुए थे। मेरी दादी और मैं खाकर घर आ चुके थे। उसके 1 घंटे बाद दादी ने कहा तुम सो जाओ मैं जरा बाहर से आती हूं। मैंने पूछा कहा जा रहीं हैं तो उन्होंने संकोच मन से कहा सौच करने जा रही हूं।

मैंने कहा ठीक है। दादी को गए लगभग एक घंटा होने वाला था। मुझे शक हुआ मैं घर से बाहर निकाला और खेतों के तरफ गया तो मुझे दादी नही दिखी। मैं थोड़ा और आगे गया तो मुझे लगा की वही पास की झाड़ी में कुछ हलचल हो रही है।

मैं चुपके से झाड़ी के करीब गया तो देखा। चार पांच लड़के किसी औरत को दबोचे हुए है। जब मैंने झाड़ियों में ध्यान से देखा तो समझ में आया की ये मेरी दादी है। उन लड़कों ने मेरी दादी के सारे कपड़े निकाल दिए थे। एक ने दादी के हाथ पकड़े थे। तो एक दादी के मुंह में अपना लंड डाल रहा था। दो लड़को ने दादी के दोनों टांगों को फैला रखा था।

एक लड़का मेरी दादी की चुत में लंड डालकर लंबे लंबे झटकों से मेरी दादी की चुत में अपना लंड पेल रहा था। वो सब आपस में बातें कर रहे थे। जो लड़का दादी को चोद रहा था। वो बोला यार इस बुढ़िया की बुर में मजा नहीं आ रहा है। मादरचोद इसकी चुत है या कोई गुफा है।

तभी उसमे से एक लड़के ने कहा यार को चुत छोड़ इसकी गांड घुमाकर उपर करते है तू इसकी गांड मार उन्होंने दादी को किसी चादर की तरह उल्टा जमीन पर बिछा दिया और वो लड़का दादी की गांड के दोनों हिस्सों को फैलाकर अपने मुंह से उनकी गांड की छेद पर थूकने लगा।

फिर उसने अपना लंड दादी की गांड में दबाया और दादी के बदन पर चढ़ गया। दादी चिल्ला रही थी। लेकिन शादी में बज रहे गानों की आवाज में उनकी चींखे दब जा रही थी। 10 मिनट तक उस लड़के ने दादी की गांड मारी फिर उसने अपना माल उनकी गांड में झाड़ दिया। फिर दूसरे लड़के ने अपना लंड दादी की गांड में डाला। फिर तीसरे, फिर चौथे और आखिरी लड़के ने भी दादी की गांड चोदने का मजा लिया।

उस लड़के ने कहा इस साली के गांड में भी अब मजा नही आ रहा इसकी गांड की छेद भी बड़ी हो गई है। तभी एक लड़के ने कहा ये बात तो है लेकिन अभी भी लंड शांत नही हो रहा है। चलो इसकी चुत में एक साथ दो लंड डालकर इसे चोदा जाए।

वो सब इस बात पर राजी हो गए। उसमे से एक लड़का जमीन पर लेट गया। बाकी के चारों लड़को ने दादी को उठाकर उस लड़के के उपर लेटा दिया। उस लड़के ने दादी के गांड के पीछे से अपना लंड पकड़कर दादी की चुत में डाला पीछे से दूसरे लड़के ने अपना लंड भी दादी की चुत में डाला।

अब दादी के साथ दो लड़के एक साथ चुदाई कर रहे थे। उनकी चुत में एक साथ दो लंड अंदर बाहर हो रहे थे। नीचे वाला लड़का दादी की बड़ी बड़ी चूचियों को चूसते हुए नीचे से अपनी कमर उछाल रहा था। तो दूसरा लड़का उपर से दादी की चुत में धक्के दे देकर अपना लंड उनकी चुत में डाल रहा था।

वैसे ही सारे लड़कों ने 2 – 2 की जोड़ी में दादी को खूब चोदा। उसके बाद दादी को वो उसी हालत में छोड़कर भाग गए। मैं दादी के पास गया तो देखा वो दर्द में तो थी लेकिन उनको सेक्स बहुत चढ़ा हुआ था। वो अब लंड की चाह में अपनी चुत रगड़ रही थी।

ऐसा लग रहा था की वो पागल हो गई है। उन लड़कों ने उनको लंड का चस्का चढ़ा दिया था। दादी अभी भी पेट के बल जमीन पर पड़ी हुई थी। मैंने अपनी पैंट से फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला और दादी की गांड में लंड डालकर 1 घंटे तक उनकी गांड मारता रहा। दादी अब मस्त हो चुकी थी।

मैंने दादी की चुत में लंड लगाया और धमा धम उनकी चुत में अपने लंड की बौछार कर दी। 15 मिनट में मैं दादी की चुत में ही झड़ गया। फिर मैंने दादी के बदन पर जैसे तैसे साड़ी लपेटी और उनके बाकी के कपड़े उठाकर उन्हें घर ले आया।

उनको कमरे में लिटाकर मैं बाहर झांक आया तो देखा दादा अभी तक बारात से नही लौटे थे। मैंने कमरे के दरवाज़े को लॉक किया और फिर से दादी की साड़ी निकाल दी।

मैं अपने मोटे लंड से कभी दादी की चुत मारता तो कभी उनकी गांड मारता सारी रात यही खेल चलता रहा। उन लड़कों ने दादी की चुत और गांड चोदकर ऐसी फैलाई की उनको घंटा दर्द नही हो रहा था। वो बस हल्का हल्का आह… ईश श… अन्ह्ह्ह.. उह्ह्ह… कर रही थी।

मैंने उस रात जी भर दादी की चुत और गांड की चुदाई की और मज़े लुटता रहा। सुबह दादी देर तक सोती रही क्योंकि सारी रात मैंने उनको जगा रखा था। रात को दादी पर वासना का भूत सवार था। जितना भी चोदो उनके लिए कम था।

शायद उन लड़कों ने दादी के साथ जो जबर्दस्ती की उस वजह से उनकी वो हालत हुई थी। लेकिन अगले दिन शाम तक दादी नॉर्मल हो चुकी थी। उसके अगले दिन मैं शहर आ गया।

लेकिन मैं आज भी उस हफ्ते भर बीते लम्हों को याद करता हूं। तो मेरा लंड टाईट हो जाता है। उम्मीद है दोस्तों आपको मेरी और दादी की ये sexykahani पसंद आई होगी।

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