बेघर जवान औरत की चूत चोदी

एक दिन मेरी मुलाकात एक ऐसी औरत से हुई जो अपने एक छोटे बच्चें के साथ दर बदर भटक रही थी। मैं एक दो दिन से मार्केट में उसे कभी किसी फुटपाथ पर या किसी बंद दुकान के आगे देख रहा था। वो अपने बच्चे के साथ वहां खुले आसमान के नीचे अस्थाई रूप से रह रही थी।

उसके सर पर कोई छत नहीं थी। लेकिन दुनिया वालों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। मैं भी उसे आते जाते लोगों की तरह देखकर नजर अंदाज कर देता था।

मेरा नाम समीर है और मैं 25 साल का हूं। मैं एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी में इंजीनियर हूं। अच्छा खासा कमा लेता हूं। मुझे मेरी कंपनी की तरफ से हर सुविधा मिली है। एक बंगला जो भीड़ वाले एरिया से जरा हट के है। काम पर आने जाने के लिए एक बाइक भी मिली है।

मैं कंपनी के दिए हुए बंगले में अकेला रहता हूं। मेरा बाकी का परिवार दूसरे शहर में सेटेल्ड है। एक दिन मुझे ऑफिस से घर आने में थोड़ी देरी हो गई और मैंने थोड़ी पी भी रखी थी। वही रात के करीब 10:30 बजे होंगे। जैसे ही मैं मार्केट वाली एरिया में आया तो देखा।

वो बेघर जवान औरत उसकी उम्र यही 28 से 30 साल की होगी। अपने बच्चें को अपने सीने से लगाए फुटपाथ पर सोई हुई थी। दो दिन पहले जो उसके कपड़े साफ सुथरे दिख रहे थी। अब वो मैले हो चुके थे। मैं वही रुककर उन्हें देखने लगा।

मैं थोड़े नशे में था और उनकी हालत देखकर इमोशनल होने लगा। मैं उस औरत की हालत पर तरस खाकर उसके पास गया। मैंने अपनी आवाज संभालते हुए उससे पूछा क्या तुमने खाना खाया है। मैंने यही बात फिर दुहराई। तब वो थोड़ी मेरी तरफ मुड़ी और एक नजर मुझे ऊपर से नीचे तक देखने के बाद बोली नही बाबू नहीं खाया है।

मैंने आजू बाजू के दुकानों की तरफ देखा तो सभी दुकानें बंद हो चुकी थी। मैंने कहा दुकानें तो सभी बंद है। तो वो बोली कोई बात नही बाबू… आपको देर होती होगी आप घर जाइए। मुझे सुबह तक कुछ न कुछ खाने को मिल जायेगा।

उसकी ये बात सुनकर मुझे पता नहीं क्या हुआ मैं भी उससे थोड़ी दूर फुटपाथ पर बैठ गया। मैंने पहले उसकी बात का जवाब दिया की घर में मेरा इंतजार करने वाला है ही कौन…

मेरी बात सुनकर और मुझे फुटपाथ पर बैठा देखकर वो भी उठकर बैठ गई। मैंने उससे पूछा की तुम यहां क्या कर रही हो तुम्हारा घर कहा है। तो उसने बिलखते हुए कहा। मैं एक अनाथ हूं। 1 साल पहले मेरी मुलाकात 1 लड़के से हुई। हम दोनों में प्यार हो गया।

मैंने उससे शादी कर ली और उसके साथ रहने लगी। कुछ दिनों बाद हमे एक बच्चा हो गया हमारी जिंदगी नॉर्मल चल रही थी। एक दिन अचानक उसने कहा कि चलों मेरे घर चलते है। वैसा कहकर वो मुझे अपने साथ ले आया। उसने रास्ते में बताया कि हमे ट्रेन बदलनी पड़ेगी।

क्योंकि ये ट्रेन उसके गांव तक नहीं जाती। यहां स्टेशन में हमलोग ट्रेन से उतर गए। उसने कहा कि मैं गांव जाने वाली ट्रेन की टिकट लेकर आता हूं। लेकिन 2 घंटे तक वापस नहीं आया मैने जब इधर उधर देखा तो वो मुझे स्टेशन में मुझे कही नही दिखा।

उसको ढूँढते हुए रात हो गई अब मुझे समझ आ गया की वो मुझे धोका देकर भाग गया है। उसके बाद मैं इधर उधर भटकने लगी। उसके बाद वो चुप हो गई और मैं भी चुप ही था। पता नही मुझे क्या हुआ मैंने कहा मैं अपनी कंपनी के दिए बंगले में रहता हूं।

अगर तुम्हे कोई दिक्कत न हो तो तुम मेरे साथ चल चलों मैं जब तक इस शहर में हूं। तब तक तो मैं तुम्हारी मदत कर सकता हूं। जब तुम्हे कोई काम और घर नहीं मिलता तुम मेरे बंगले में रह लेना। मेरी बातें सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कान तो आई मगर उसने कहा नहीं बाबू बेकार में आपको तकलीफ क्यों दू।

मैंने उसे समझाया की कोई बात नही अपने बच्चें का ख्याल तो करो। तब जाकर वो मेरे साथ चलने के लिए मान गई। उसने अपनी छोटी सी बैग ली और बाइक के पीछे अपने बच्चे को लेकर बैठ गई।

मैं उसे लेकर अपने बंगले में आ गया। मैंने घर का दरवाजा खोला और अंदर आ गया। मैं अपने कमरे में चला गया और चेंज करके हॉल में आया। मैंने सिर्फ टॉवेल पहनी हुई थी क्योंकि मैं नहाने जा रहा था। जब मैं हॉल में आया तो देखा वो औरत हॉल के दरवाजे पर ही तब से खड़ी थी।

मैंने हंसते हुए कहा अरे तुम अभी तक यही खड़ी हो। तो वो भी मुझे देख मुस्कुराई मैंने उसे अंदर आने को कहा। मैंने देखा उसका बच्चा उसके कंधे पर ही सो चुका है। तो मैंने एक पतला सा गद्दा बिछाकर एक चादर और एक तकिया दे दिया।

उस औरत ने अपने बच्चें को बिस्तर पर सुला दिया। वो भी बिस्तर पर बैठ गई। उसके बाद मैं नहाने चला गया मैं नहाकर आया और हॉल में सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा। मैंने देखा वो औरत भी टीवी की ओर नजर किए देख रही थी।

मैंने उससे कहा देखना है तो आगे आ जाओ कोई बात नही। वो थोड़ी आगे खिसककर मेरे सोफे के बगल में जमीन पर बैठ गई। वो मेरे बगल में बैठकर एक टक टीवी को घूर रही थी। ऐसा लग रहा था की उसने कभी टीवी देखा ही न हो।

कुछ देर बाद मुझे याद आया की उसने खाना नही खाया था। मैंने फ्रिज से सुबह का बचा हुआ नाश्ता उसे दिया। वो बड़े चाव से खाने को खाने लगी। कुछ ही देर में उसने खाना खत्म कर दिया। तब तक उसका बच्चा जाग गया और रोने लगा।

मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया मैं टीवी देखता रहा। कुछ पल बाद जब मेरी नजर सोफे के बगल में गई तो मुझे बड़ी हैरानी हुई। वो औरत अपने बच्चे को अपनी गोद में लिटाकर अपने बच्चे को दूध पिला रही थी। उसने अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए थे। उसकी दूध से लबलबाई बड़ी बड़ी दोनों चूचियां पूरी नंगी थी।

मुझे ये देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। वो अपनी चूचियां खोलकर टीवी देखने में मगन थी। मैं उसकी चुचियों को घूरे जा रहा था। वो औरत कुछ खास नहीं लगती थी लेकिन उसकी चूचियां ऐसी थी कि किसी भी मर्द का मन डोल जाए।

उतना देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं बार बार अपने आप को संभालने की कोशिश करने लगा। लेकिन मेरा ध्यान उसकी चूचियों पर से जरा भी हट नही रहा था। अब मुझसे बर्दास्त नही हुआ मैंने उससे कहा मैं सोने जा रहा हूं।

उसने कहा ठीक है बाबू मैं अपने कमरे में गया और हल्का सा दरवाजा बंद करके अपनी टॉवेल उतारी और मुट्ठ मारने लगा। मेरा पानी छुटने ही वाला था। मैं इतना मदहोश हो चुका था की मुझे अब किसी का ख्याल नही रहा मैंने जोर जोर से अपने लंड पर मुट्ठी भरकर आ… आ… करने लगा।

एकदम से मेरे लंड से तेज फवारा निकला और आधा मेरी पेट पर तो आधा मेरे अंडुओं पर फैल गया। मैं उसके बाद थोड़ा शांत हुआ लेकिन मेरे दिमाग से उस औरत की चूचियां निकल ही नही रही थी। मैंने जब दरवाजे की ओर देखा तो मुझे सक हुआ की दरवाजा थोड़ा ज्यादा खुला हुआ था।

मैंने झट से अपनी टॉवेल लपेटी और हॉल में आ गया। तो देखा वो औरत अभी भी जाग रही थी। लेकिन उसके चेहरे पर थोड़ी परेशानी दिखाई दे रही थी। मैंने उससे पूछा क्या बात है तो उसने कहा कोई बात नही बस ऐसे ही सब ठीक है। मैं बड़े वाले सोफे पर लेट गया।

मेरी थोड़ी आंख लगी ही थी की ऐसा लगा मेरे हाथ को कोई हिला रहा हो। जब मैंने आंख खोली तो देखा चारों तरफ़ घोर अंधेरा था और वो औरत धीमी आवाज में बाबू बाबू कहकर मुझे जगा रही थी। मैंने उससे पूछा क्या बात है तो उसने विराम लेते हुए कहा मुझे वहां जाना है किस तरफ जाऊं।

मैं समझ गया की उसे बाथरूम जाना है। तो मैंने उसे रास्ता बता दिया। लेकिन फिर उसने कहा बाबू आपका घर बड़ा है और काफी अंधेरा है मैं कैसे जाऊं? जरा आप मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए।

मैं उठकर उसके साथ चलने लगा और उसे बाथरूम के बाहर तक छोड़ दिया। मैं बाहर ही खड़ा था। हड़बड़ी में वो दरवाजा बंद करना भूल गई या अंधेरा होने की वजह से उसे जरूरत महसूस नहीं हुई होगी।

उसके अंदर जाते ही मुझे उसके पिसाब की निकलती तेज धार की आवाज सुनाई पड़ने लगी। उस रात शायद किस्मत मुझपर ज्यादा महरबान थी। तुरंत लाइट आ गई और बाथरूम में रोशनी हो गई। जिससे मुझे उस औरत की सावली चौड़ी गांड़ देखने को मिल गई।

मैं अब हवसी नजर से उसकी गांड़ को घूरने लगा। एक बार फिर मेरा लंड टाइट हो गया। जैसे ही वो उठने वाली थी मुझे पीछे से उसकी चूत दिखाई पड़ी मेरा लंड और ज्यादा फंनफाना गया। मैं दरवाज़े से दूर हट गया।

जैसे ही वो औरत बाहर आई उसकी नजर सीधे मेरे टॉवेल पर पड़ी जो अब तंबू बनी पड़ी थी। मैंने अंदर कुछ नही पहना था। मुझे शर्म आने लगी और मैं उससे अपना लंड छिपाने के लिए उससे आगे आगे चलने लगा। लेकिन उसने मेरे टाइट लंड को देख लिया था।

मैं झट से हॉल से होते हुए अपने कमरे में घुस गया और लाइट ऑफ़ करके बिस्तर पर लेट गया। पता ही नही चला मुझे कब नींद आ गई। करीब रात के 3 बजे मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। मैंने सकपका कर अपनी आंख खोली तो अंधेरे की वजह से मुझे कुछ नही दिखा।

मैंने अपनी मोबाइल की टॉर्च ऑन की तो देखा वो औरत मेरे जांघ पर झुकी हुई मेरे लंड को पकड़कर चूस रही थी। मेरी आंख फटी की फटी रह गई। मेरी टॉवेल उतारी हुई थी और मैं बिल्कुल नंगा लेटा हुआ था। जब टॉर्च की रोशनी उस औरत के चेहरे पर पड़ी तो वो हल्की सी मुस्कुराई और फिर से मेरे लंड को चुसने लगी।

मुझे अब मजा आने लगा था इस वजह से मैं कुछ बोल नहीं पाया और चुपचाप लेटे हुए मजे लेने लगा। उस औरत ने मेरे लंड को चूस चूसकर बहुत टाईट कर दिया था इतना की मेरे लंड की नसे तक उभर आई थी।

अब मुझसे लेटे हुए नही रहा गया। मैंने उस औरत के बाल पकड़े और उसे दबोच कर बिस्तर पर सुला दिया। मैं झट से कमरे की लाइट ऑन की और उस औरत के उपर कुद गया। मैंने उसकी ब्लाउज को चीरकर उसकी दोनों दूध से लबलबाई चुचियों को बाहर निकाला और दबा दबाकर उनकी चूचियों का दूध अपनी मुंह में निचोड़ने लगी।

वो हल्का हल्का आह… आए… ओह…. कराह रही थी। मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी और पेटीकोट उतारी अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी। मैंने उसकी झांटों वाली चूत में उंगली करनी शुरू कर दी। वो मादक आवाज में आह… आह्ह्ह्ह… आ आ… करने लगी।

मैंने उसकी दोनों जांघों को अपनी टांगों से दूर दूर फैलाया और अपना मोटा लंबा लंड उसकी चूत पर रगड़ते हुए। किसी भूखे शेर की तरह गुर्राने लगा। फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद में सेट किया और एक ही धक्के में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।

वो आह्ह्ह … ह्ह्ह्ह… आआ… करती हुई चीख पड़ी। मैं अपने लंड की बौछार उसकी चूत में करते हुए उसकी चूचियों को निचोड़ने लगा और उसकी चुचियों के दूध को चुसने लगा। वो चिंखे मारने लगी आह… आह्ह्हह… आ… माआआ…. धीरे ए ए… बाबू आह… आआह्ह… उह्ह्ह्ह… माआआआ… मैं उसे किसी जंगली सांड की तरह चोदता रहा।

अब उसकी चूचियों से दूध निकालना बंद हो चुका था। मैं उसका सारा दूध निचोड़ चुका था। मैंने उसकी दोनों टांगों को उसकी जांघो से पकड़ा और उपर करके अपने लंड को उसकी चूत के और अंदर तक पेलने लगा। वो हर धक्के पर मजे लेती हुई चिंखे निकाल कर कराह रही थी।

अचानक मेरा लंड उसकी चूत के ही भरभरा कर छूट गया। मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में चला गया। लेकिन वो एक शादी शुदा औरत थी उसने वीर्य का हर एक बूंद अपनी चूत से निकाल लिया। उसके बाद मैं और वो दोनो शांत हो गए। फिर उसने कहा मेरा बच्चा बाहर अकेला है।

तो मैंने उस औरत को गोद में उठाया और हॉल में उसके बच्चे के बगल में बिस्तर पर उसे लिटाकर मैंने फिर से उसकी दोनो टांगें फैला दी और अपना लंड उसकी चूत में डालकर मैं फिर से उसके उपर चढ़ गया। करीब रेस्ट ले लेकर मैंने 45 मिनट तक उसकी चूत की चोदाई की उसके बाद मैं झड़ने को आ गया।

उसने लंड बाहर निकालने को कहा मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसके नाभी पर मैंने अपना सारा वीर्य झाड़ दिया। उसके बाद हम दोनों गुत्थम गुत्था होकर एक दूसरे को अपनी बांहों में कसकर सो गए।

अगले दिन मेरी छुट्टी थी तो जल्दी उठने का कोई टेंशन नहीं था। और उसकी बांहों में सोने का सुकून ही अलग था। सुबह 9 बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा उसकी गांड़ मेरे लंड से सटी हुई थी। कुछ देर मैंने उसकी गांड़ को देखा और अपने हाथ से उसकी गांड़ सहलाने लगा।

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। पहले तो मैंने उसे पलटकर पेट के बल लिटा दिया। फिर मैंने उसकी गांड़ के दोनो हिस्सों को फैलाकर मैंने उसकी गांड़ की छेद देखी। उसकी गांड़ पहले भी चूद चुकी थी। लेकिन मेरे मोटे लंड को आसानी से गटक ले उतनी ढीली नही थी।

मैं चुपके से उठा और कमरे से तेल की सीसी लेकर आया और उसके पैरों के पास बैठकर अपने लंड पर और अंडुओ पर खूब सारा तेल लगाने लगा। फिर मैंने उसकी गांड़ और और उसकी गांड़ की छेद को भी तेल से भर दिया।

फिर मैंने उसकी टांगों को सीधा करके फैला दिया। मैंने अपना लंड उसकी गांड़ की छेद में लगाया। जैसे ही मैंने पहली बार उसकी गांड़ में लंड दबाया। वो दर्द से कराहती हुई जाग गई और लंड के नीचे से अपनी गांड़ हटाने लगी।

लेकिन मैं उसके उपर लेट गया। मैंने अपने हाथों से उसके हाथ अपने सीने के उसकी पीठ को दबा दिया और अपने होठों से उसके गाल पर चूमने लगा। उसके उपर लेटते ही मेरा पूरा लंड फिसलकर उसकी गांड़ में घुस गया। उसकी कराहे और चिंखे मेरे कान को सुन कर रही थी।

वैसे तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड़ में घुस चुका था लेकिन मैं एक इंच लंड को ही उसकी गांड़ से बाहर खींचकर वापस अंदर डाल रहा था। जब मैं अपने लंड को उनकी गांड़ में वापस डाल रहा था। तो तेल की वजह से मेरी कमर और उसकी गांड़ चिपक जा रही थी।

हल्की चोदाई पर ही उसकी गांड़ और मेरी कमर के टकराने की फच्च फच्च…. आवाज आ रही थी। कुछ ही देर में उसकी गांड़ की टाइट छेद में मेरे लंड को झाड़ दिया। मैंने अपना सारा माल उसकी गांड़ में ही निकाल दिया।

दोस्तों आज तक वो औरत मेरे ही साथ रहती है। अब उसका बच्चा थोड़ा बड़ा हो गया है। लेकिन आज भी मैं और वो औरत साथ ही सोते है और मैं रात को उसकी खूब चोदाई करता हूं। अब वो एक साल से मेरी रखैल बनकर मेरी चूदाई की हवस पूरी करती है। और एक बात दो बार मैंने उसको प्रेगनेंट भी कर दिया था। अब इस बार वो तीन महीने से प्रेगनेंट है।

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी ये कहानी उम्मीद है आप सभी को पसंद आई होगी।

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