रात में चुत की गरमी का सहारा

तो बात उस वक़्त की है जब मैं अपनी B.A फाइनल की परीक्षा देने के लिए गाँव से दूर शहर गया हुआ था। वो ठंढ की रात आज भी मुझे बहुत अच्छे से याद है।

दोस्तों मेरा नाम किशन है मैं एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ मेरी पढ़ाई लिखाई गाँव के ही सरकारी स्कूल में ही हुई है। यहाँ तक कि मैंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई भी गाँव से ही कि है। मैं एक गाँव का सीधा साधा लड़का हूँ।

मैंने उस घटना से पहले कभी किसी औरत की चुत ना इतने नज़दीक से देखी थी न ही कभी चोदी थी। उस वक़्त मेरे पास एक फ़ोन था उसीपर बस चुदाई की वीडियो देखा करता था। और अगल बगल की आंटियों की बड़ी बड़ी चूतड़ों को ताड़ता रहता था। ज्यादा से ज्यादा कभी कभार मुझे उन आंटियों की बूब्स ब्लाउज के ऊपर से ही दिख जाती थी।

मैं बस इतना देखकर ही अपने आप को संतुष्ट कर लेता था। अकेले में उन हसीन आंटियों की वो बड़ी बड़ी चूतड़ों को और उनकी ब्लाउज के अंदर छुपी उनकी चुचियों के बीच की उन गहराइयों को अपने मन मे बसा कर मुट्ठ मार लिया करता था।

मेरी B.A की फाइनल परीक्षा आ चुकी थी। वैसे तो मेरा कॉलेज गाँव में पास में ही था। लेकिन परीक्षा का जो सेंटर था वो गाँव से दूर शहर में था। मैं रोज रोज गाँव से शहर परीक्षा देने अपनी बाइक पे जाया करता था। और रोज शाम के 5 बजे तक गाँव वापस लौट जाता था।

परीक्षा के दिनों में मेरा यही दिनचर्या था मेरी आखिरी वाली परीक्षा 2nd शिफ्ट में थी अब बस यही एक पेपर बचा हुआ था उस दिन मैं बहुत खुश था। मैं तैयार होकर घर से बाहर आया और अपनी बाइक स्टार्ट करके शहर की ओर निकल पड़ा मैं टाइम पर परीक्षा में पहुँच गया। परीक्षा देने के बाद मैं हॉल से बाहर आया शाम के करीब 5 बज चुके थे।

मुझे अभी दूर का सफर करके गाँव पहुंचना था मैंने सोचा कि आज यही कही रुक जाऊ क्योंकि गाँव के रास्ते मे बहुत सुनसान जंगल पड़ता था। पर मेरे पास इतने पैसे नही थे कि मैं किसी लॉज में रुक जाऊ फिर मैंने गाँव की तरफ निकलने का फैसला किया।

मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और गाँव के लिए निकल पड़ा ठंढ का मौसम था जल्द ही अंधेरा होने लगा साथ ही ठंढ लगने लगी थी। मेरे हाथ ठंढ से बुरी तरह से कापने लगे थे। पर मैंने अपना सफर जारी रखा कुछ देर बाद शाम के 6 बज गए और जंगल का इलाका शुरू हो चुका था। जंगल की वजह से ठंड और भी बढ़ गयी थी।

जंगल से अजीब आवाजे आ रही थी। मुझे बस मेरी बाइक की लाइट की ही रोशनी नज़र आ रही थी। पर मैं आगे बढ़ता रहा कुछ दूर जाने के बाद अचानक मेरी बाइक का पिछला टायर तेज़ आवाज के साथ फट गया। मैं उस तेज़ आवाज से डर गया।

अब मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। कि मैं अब क्या करूँ जंगल के उस रास्ते पर कोई इंसान नही दिख रहा था। अब मेरे घर पहुंचने की आशा खत्म हो गयी मैं जंगल के उस सुनसान रास्ते पर अपनी बाइक को धक्का देकर आगे बढ़ने लगा।

तेज़ हवाओं से चड़चड़ाती टहनियों और पट्टो की आवाज भी उस वक़्त मुझे डरा रही थी। पर मैं आगे बढ़ते हुए बस यही सोच रहा था कि कही कोई आज रात के लिए गुजारा मिल जाये मैं चुप चाप आगे बढ़ता रहा आगे जाते हुए मुझे एक दो दुकान दिखे पर बंद थे।

मुझमे जो मदत मिलने की उम्मीद जगी थी वो भी टूट गयी। मैं फिर ठंढ से कांपते हुए अपनी बाइक लेकर आगे बढ़ने लगा। तभी मुझे जंगल के अंदर एक आग की रोशनी दिखाई पड़ी मुझे बहुत खुशी हुई मैं उस रौशनी की तरफ बढ़ने लगा। जब मैं सामने पहुँचा तो सामने एक टूटी फूटी मिट्टी की झोपड़ी थी।

उस झोपड़ी के बाहर मैंने अपनी बाइक खड़ी की और झोपड़ी की तरफ बढ़ा झोपड़ी की हालत एक दम जर्जर ही झोपड़ी के दरवाजे और छत टूट चुके थे बस चारो दीवारें ही बची हुई थी। दरवाजे के पास जाकर मैंने आवाज लगाई “कोई है कोई है” पर किसी ने जवाब नही दिया।

ठंढ बढ़ चुकी थी और करीब रात के 8 बज रहे थे। मैंने अंदर की ओर झांक कर देखा तो कोई पतली सी चादर ओढ़े हुए जमीन पर ही लेटा हुआ था। बिस्तर से कुछ दूरी पर आग जल रही थी। कोई जवाब नही मिलने पर मैंने सोचा कि आज यही रुक जाता हूँ। तो मैं झोपड़ी के अंदर दरवाजे के पास ही बैठ गया।

पर दरवाजे के पास बैठे होने से तेज़ हवा के कारण मुझे बहुत ठंढ लग रही थी। सामने आग जलता हुआ देख मैं झोपड़ी के अंदर आग के पास आकर बैठ गया। जो उसके बिस्तर के सामने जल रही थी। मैं आग के पास बैठकर अपने हाथ सेक ही रह था कि मेरी नज़र बिस्तर पर पड़ी तो मैंने देखा कि उस बिस्तर पर एक औरत सोई हुई थी।

जिसके कपड़े मैले थे और बाल बिखरे हुए हल्की सावली सी मध्यम उम्र की वो औरत बेसुध गहरी नींद में सोई हुई थी। मैं उसके तरफ ही देखे जा रहा था उसके चेहरे पर थोड़ी झुर्रियां थी और बाल थोड़े सफेद हो चुके थे। उसका शरीर भरा भरा सा था। फिर मैं अपने हाथ सेकने लगा और सोचा कि रात भर यह रुक कर सुबह इस औरत को सब बात बता कर यहाँ से निकल जाऊँगा।

पर फिर मेरी नज़र उसके चेहरे पर पड़ी वो सोई हुई थी मैं उसके बदन को आग के पास बैठे बैठे मैं उस औरत के शरीर को देखने लगा उसकी चौड़ी कमर और गहरी नाभि को देखते हुए मेरी नज़र उसके छाती पर पड़ी वो मेरी तरफ मुँह करके सोई हुई थी और उसके बूब्स उसके हाथ से दब कर उसके ब्लाउज से आधे बाहर आने को हो चुके थे।

वो बस देखने मे ठीक ठाक ही थी। पर उस वक़्त तक मेरे मन मे उसके लिए कोई गलत सोच नही थी। पर जब मैंने उसके पैरों को देखा तो उसकी वो बालों से भरी पैर देखकर पता नही क्या हुआ मेरा लंड मेरी पैंट में टाइट होकर खड़ा होने लगा मुझे समझ नही आ रहा था। कि क्या करूँ

मैंने दरवाजे से बाहर झाँका और देखा तो बाहर और भी अंधेरा हो चुका था। और ठंढी हवाएं चल रही थी कोई इंसान नही दिख रहा था। मैं अपना हाथ पैंट के अन्दर डाल कर अपने ही लंड को अपने हाथ से मसलने लगा। मेरे लंड से पानी आने लगा था और मेरा लंड अकड़ कर सीधा एक गरम रॉड की तरह हो चुका था।

मैंने सोचा अच्छा मौका आस पास कोई है भी नही!! वैसे भी इतनी ठंढ में गरम चुत में लंड की प्यास सांत करने का अच्छा मौका कैसे जाने दू। फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और सिर्फ चड्डी में होकर उसके पास खड़ा हो गया। और अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल कर अपने लंड को हिलाने लगा देखते ही देखते मेरा लंड का साइज बढ़ने लगा।

मैं आहिस्ते से उस औरत के पीछे उसकी गांड से अपना लंड सटा कर सो गया और अपना लंड पकड़ कर उसकी गांड पर दबाने लगा। वो अभी भी गहरी नींद में थी। उसके मुँह से अजीब बदबू आ रही थी मैं समझ गया कि उस औरत ने शराब पी रखी थी। मैं समझ गया कि मुझे इसे चोदने में कोई रुकावट नही आएगी।

मैं उसकी गांड में अपना लंड रगड़ते और उसकी गांड पर अपना लंड दबाते हुए मैंने अपनी एक जांघ उसकी कमर पर रख दी। और अपनी कमर को अच्छे से उसकी चूतड़ों पर दबाने लगा। उसके बड़ी बड़ी चूतड़ों को मैंने अपनी कमर से दबा रखा था। अभी भी उसने कोई हरकत नही की

फिर मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर रखा और उसके नर्म नर्म पेट को सहलाने लगा। फिर मैंने हिम्मत की और अपना एक हाथ उसकी ब्लाउज में डाल दिया और उसकी चुचियों को बारी बारी से मसलने लगा। उसकी वो काली काली चुचियाँ मैंने उसके ब्लाउज से बाहर निकाल दी।

फिर मैं उठकर बैठ गया और उसके पैरों को सहलाते हुए मैं उसकी साड़ी को ऊपर उठाने लगा। उसके पूरे पैरो में काले काले बाल भरे थे धीरे धीरे करके मैंने उसकी साड़ी को उठाकर उसकी जांघो तक ले गया। मैं उसकी भरी भरी जांघो को देखकर अपने काबू से बाहर होने लगा। मैंने अपना लंड निकाला और उसकी जांघो पर रगड़ने लगा।

उसकी जांघ का स्पर्श होते ही मेरे लंड ने अपना लार उसकी जांघ पर टपकाने लगा। मैंने पीछे से उसकी गांड के नीचे से उसकी चुत पर हाथ लगाया तो उसकी चुत के लंबे लंबे बाल मेरी उँगलियों में उलझने लगे। उसके चुत के बाल इतने लंबे थे मानो उसने कई सालों से अपनी चुत के बालों को छीला ही नही था।

मैं फिर से उसके गांड से अपना लंड सटा कर उसके पीछे लेट गया और अपना लंड उसकी गांड की दरार और उसके दोनों जांघो के बीच रगड़ रहा था। उसके झाँटो के लंबे बाल मेरे लंड पर लिपट कर जकड़ रहे थे। मैंने अपने कमर को उसकी गांड से अच्छे से चिपका दिया। जिससे मेरा लंड उसकी चुत के होंठो को छूने लगा।

जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चुत के होठों को छुआ मेरे अंदर एक अजीब सी खुसी और तेज़ी आ गयी मैंने उसकी साड़ी को उसके पेट पर लपेट दिया और उसकी एक जांध कोअपने हाथ से उठाकर उसके दोनों जांघो के बीच अपनी एक जांघ को घुसा दिया।

अब मेरा लंड ठीक से उसकी चुत के छेद को मलने लगा मेरा पूरा लंड उसकी झाँटो से ढक चुका था। मैंने अंदाजे से अपना लंड उसकी चुत की छेद में धकेल दिया। अचानक मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया और मेरे अंदर गुदगुदी होने लगी। ये मेरा पहला चुदाई का एहसास था उसकी चुत इतनी गरम थी कि लंड उसकी चुत में घुसते ही मेरा पानी निकल गया।

मैंने डर के मारे झट से अपना लंड उसकी चुत से बाहर किया पर लंड पर चिकनाहट होने की वजह से मेरे लंड पर उसकी झाँटे लिपट गयी थी। मेरे लंड ने सारा गाढ़ा पानी उसकी चुत के होंठो पर उगल दिया उसकी झाँटो पर भी सारा वीर्य फैल चुका था। उसकी झाँटो पर वीर्य लगने से उसकी झाँटे आपस मे सट गयी थी अब उसकी चुत का रास्ता साफ दिखने लगा था।

मैंने थोड़ी मसक्कत के बाद अपना लंड उसकी झाँटो से छुड़ा लिया और मैंने उसे सीधा लिटा दिया अब उसका चेहरा ऊपर आसमान की तरफ हो गया। मैंने अपनी चड्डी भी उतार दी अब मैं नीचे से पूरा नंगा हो कर बैठ गया। वो अभी भी गहरी नींद में थी।

मैंने उसकी टाँगो को मोड़कर उसकी जांघो को फैला दिया और उसके शरीर पर से चादर को हटा कर उसके चेहरे को चादर से ढक दिया मुझे अब उसकी पेट के निचले हिस्से यानी कि नाभि के निचले हिस्से से टाँगो तक नंगी वो मेरे सामने पड़ी थी।

फिर मैंने उसकी फटी पुरानी ब्लाउज के बटन खोल दिये अब उसकी नंगी बड़ी चुचियाँ उसके सीने के दोनों तरफ लटक गई मैंने एक दो बार उसके दोनों निप्पलों को अपनी चिमटी में भरकर ऊपर खींच कर देखा वाहहह।। क्या मुलायम चुचियाँ थी उसकी फिर मैं देर न करते हुए उसके जांघो के बीच बैठ कर उसकी उस मांस से भरी मोटी चुत को निहारने लगा।

मैंने उसकी झाँटो को अपनी उंगलियों से उसके चुत के अगल बगल करके उसकी चुत का रास्ता साफ किया फिर एक बार मेरा लंड कड़ा होकर गरम रॉड की तरह बन चुका था। मैं आहिस्ते से उसके ऊपर लेट गया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़कर उसकी चुत का रास्ता दिखाने लगा। जैसे ही मेरा लंड उसकी चुत की छेद पर सटा मैंने अपना हाथ हटा लिया।

और अपने दोनों हाथों से उसके कंधों को पकड़ कर धीरे धीरे अपना 3″मोटा 7″ लंबा लंड उसकी चुत घुसाने लगा। दबाव के साथ ही मेरा लंड उसकी चुत के अंदर घुसता गया मुझे आनंद आने लगा। पूरा लंड उसकी चुत में घुस चुका था। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके बूब्स के निप्पलों को बारी बारी करके चूसने लगा।

और अपनी कमर उठा उठाकर उसकी चुत में अपना लंड घुसाने लगा जब मैं अपना लंड चुत में घुसाकर उसकी चुत को चोद रहा था। तो लंड के उसकी चुत में घुसने पर ”फच्च फच्च फच फच्चर फच्चर पुच पुच” आवाज आती साथ ही जब मैं उसकी चुत में लंड डालता तो उसकी चुत से हवा बाहर आने की आवाज आती।

मैंने करीब 20 मिनट तक उसको चोदा उसके बाद मैं झड़ने वाला था तो मेरे अंदर जोश बढ़ गया मैं तेज़ी से उसकी चुत में लंड अंदर बाहर करने लगा मेरा खुद पे काबू नही था मैं आआआह!! की आवाज के साथ उसकी चुत में ही झड़ गया।

1 घंटे बाद फिर मेरा लंड तैयार हो गया मैंने फिर से उसकी चुदाई करने का मन बनाया इसबार मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी बिल्कुल नंगा हो गया फिर से मैंने उसकी चुत में अपना मोटा तगड़ा लंड घुसाया और उसे चोदने लगा पर इस बार वो नींद में ही आ आन्ह आन्ह की हल्की आवाजे निकाल रही थी।

शायद मेरे तेज़ तेज़ धक्के लगाने से उसकी नींद खुलने लगी थी पर मैंने अपने धक्के तेज़ रखे मेरे धक्कों से उसका पेट और उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी जब जब मेरा लंड उसकी चुत में अंदर बाहर हो रहा था तब तब उसकी चुत से वीर्य बाहर आ रहा था शायद उसकी चुत भी अपना पानी झाड़ रही थी। उसकी चुत से निकला वीर्य उसकी चुत से बहते हुए उसकी गांड की दरार में बह रहा था।

मैंने उस औरत को सुबह तक तीन बार चोदा उसके बाद मैं उसके बगल में ही लेट गया सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो अभी भी मेरे बगल में लेटी हुई थी पर अब वो जागी हुई थी और हमदोनों के नंगे शरीर और वीर्य से लिपटी हुई अपनी चुत और झाँटो को देखकर वो सब समझ गयी थी।

पर उसने मुझे कुछ नही कहा और वो पलट कर पेट के बल लेट गयी जिससे उसकी नंगी गांड ऊपर हो गयी मैं उसकी बड़ी गांड को देखकर फिर कामुक हो गया और अपने हाथों से उसकी गांड को मसलने लगा। इतने में मेरा लंड फिर गरम हो गया। मैं उठकर उसकी जांघो पर बैठ गया और पीछे से उसकी चुत में लंड घुसा दिया और अपनी कमर को उसके चूतड़ों पर पटक पटक कर उसकी चुत मारने लगा।

फिर से दो बार उसकी चुत चोदने के बाद मैंने इशारे में उसे पीठ के बल लेटने को कहा वो चुपचाप वैसे ही लेट गयी मैं फिर से उसकी जांघो पर बैठ गया और उसकी बड़ी गांड से खेलने लगा। मैंने उसे मस्त कर दिया फिर मैंने अपना खड़ा लंड उसकी गांड में डालने लगा वो चींखने लगी आआआह आआआह मआआ आ आ आ मैंने जबरदस्ती उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया।

और एक बार जब मेरा लंड उसकी गांड में पूरा घुस गया अब बस मैं उसकी गांड मारने में लग गया अब उसका चींखना चिल्लाना बंद हो गया था अब बस उसकी गांड चुदाई करते हुए जब मेरी कमर उसकी गांड से टकराती तो “ठप ठप ठाप ठाप” और लंड जब उसकी गांड में घुसता तो उसके गांड से निकलती हवा की “फररर फररर” की ही आवाज आ रही थी। तो दोस्तों इस तरह मैंने पहली बार किसी औरत की चुत और गांड मारी और मैं एक लड़के से मर्द बन गया।

पहले मैं औरतों से शर्माता था पर उस रात उस औरत को चोदने के बाद मेरे अंदर की सारी शर्म निकल गयी। मैंने तो अब अपनी बगल वाली आंटी को पटाकर रखा है। और अब तक कई बार मैंने उनकी चुत चोद ली है। बगल वाली आंटी की कहानी मैं किसी और दिन बताऊँगा।

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