ललिता बुआ की गाँड़

हेलो दोस्तों मेरा नाम अमित है मैं दिल्ली में रहता हूँ मेरा पूरा परिवार दिल्ली में ही रहता है। मैं आर्ट्स का स्टूडेंट हूँ। अभी भी मेरी कॉलेज की पढ़ाई जारी है। मैं अब 22 साल का हो गया हूँ और अभी तक मैंने अपने लंड की मुँह जुट्ठी नही करवाई है।

यानी कि मैं पूरा का पूरा वर्जिन था। पर मुझे चुदाई करने का मन हमेशा करता था। मैं लड़कियों से बात करने में शर्माता था इसलिए मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही थी तो मैं अभी तक अपने हाथ से ही काम चला रहा था। मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश था। पर बुआ और मेरे बीच गलती से घटे उस घटना ने सब मुझे और मेरे लंड को संतुष्ट कर दिया अब बुआ रोज़ मेरे लंड को संतुष्टि देती थी।

ये बात पिछले साल की ही है यही मार्च का महीना था। आप सभी को पता ही है कि कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन हो चुका था। लॉक डाउन से पहले पापा ने दिल्ली में एक नया घर लिया था। जिसके गृह प्रवेश की तैयारी चल रही थी।

हमारी खास रिस्तेदारों में बस एक बुआ ही थी। जो गाँव मे रहती थीं वो मेरे पापा से कुछ साल बड़ी थी। तो पापा ने बुआ को इस खुसी के मौके पर दिल्ली बुलाया था। बुआ अकेली ही दिल्ली हमारे पास आ गयी। बुआ के पति की मौत सालों पहले हो चुकी थी। गाँव मे बस बुआ उनका बेटा और बहू रहा करते थे।

बुआ के आने से हमारी खुसी और भी बढ़ गयी सभी लोग खुश थे। बुआ भी हम सभी से सालों बाद मिलीं थी वो भी बहुत खुश थी। अगले दिन हमारे नए घर का गृह प्रवेश की पूजा थी। पूजा के एक दिन बाद हमलोग वहाँ शिफ्ट हो गए। तब देश मे कोरोना की बीमारी बहुत बढ़ रही थी। तो पूरे देश मे लॉकडाउन लग गया। जिससे सब कुछ ठप पड़ गया।

बुआ की गाँव जाने की टिकट भी कैंसिल हो गयी अब कोई कही नही आ जा सकता था। पापा ने भी कहा चलो ठीक ही हुआ इसी बहाने दीदी हमारे यहाँ कुछ दिन और रुक जाएगी। किसे पता था कि ये सब इतनी जल्दी खत्म नही होने वाला था।

ऐसे ही हमारी जिंदगी चलने लगी। सभी लोग दिनभर घर मे ही रह करते थे। मेरी बुआ शायद 55 साल की होंगी उनका बदन गोरा लंबा पीठ और गाँड़ चौड़ी थी। बस उनके चेहरे और बदन पे कही कही झुर्रियां आ गयी थी। पर वो देखने मे एकदम मस्त किसी माल की तरह लगती थी।

एक दिन दोपहर में सभी अपने कमरों में सो रहे थे। तभी मुझे जोर का पिसाब आया और मैं बाथरूम की ओर बढ़ा बाथरूम का दरवाजा खुला था। तो मैंने हड़बड़ी में बाथरूम के दरवाजे को धक्का देकर अंदर घुस गया। अंदर जो नज़र मुझे देखने को मिला वो देखकर मुझे थोड़ी शर्म आ गयी। बुआ अपनी साड़ी कमर तक उठाये नीचे बैठकर मूत रही थी। और बुआ के दोनों हाथों से अपनी बड़ी गोरी गाँड़ के दोनों हिस्सों को सहला रही थी।

इतने में ही मैं बाथरूम में घुस आया था। दरवाज़े की आवाज से बुआ ने झट से पीछे देखा मैंने तब तक उनकी गाँड़ देखली थी। कुछ पल के लिए हमारी नज़रे आपस मे मिली फिर मैं शर्म के मारे पानी पानी होता हुआ बाथरूम से निकल गया।

शाम को जब हम सब एक साथ बैठकर हॉल में टीवी देख रहे थे तो बुआ मेरे सामने ही बैठी थी। मैं उनसे नज़रे नही मिला पा रहा था पर जब अचानक मैंने बुआ की ओर देखा तो बुआ ने मुझे देखते हुए एक अजीब सी मुस्कान दी। मैंने कोई जवाब नही दिया और फिर से टीवी देखने लगा।

अब बुआ जब भी मुझे देखती तो मुझे एक अलग सी मुस्कान देती थी। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। मैं उस बाथरूम वाले घटना के बाद बुआ से ज्यादा बात नही कर रहा था। पर बुआ ऐसा दिखती की कुछ हुआ ही न हो। मैं हमेशा उनसे नज़रे चुराता रहता था।

अगले दिन सुबह बुआ मेरे कमरे में आयी और मेरे गंदे कपड़े लेकर बाथरूम में गयी। कुछ देर बाद बुआ सिर्फ भीगे पेटीकोट और ब्लाउज में मेरे पास आई और मुझे उठाते हुए कहा अमित तूने जो पैंट और चड्डी पहनी है वो निकाल कर दे मैं धो दूंगी। मैंने उन्हें मना करते हुए कहा कि मैं पहनूंगा क्या?? तो बुआ बोली तू थोड़ी देर के लिए टॉवल लपेट लें

मैंने ज्यादा बहस न करके बुआ को अपनी निकड और चड्डी निकाल कर दे दी। बुआ ने मेरी चड्डी मुझे को दिखाते हुए कहा कि ये क्या लगा है तेरी चड्डी में मैंने जब देखा तो मेरी चड्डी में ढेर सारा वीर्य लगा हुआ था। वीर्य इतना गाढ़ा था कि वीर्य चड्डी से चिपक गया था।

उसके बाद बुआ कमरे से चली गयी। फिर एक बार मुझे शर्मिंदा होना पड़ा। मैं तो अब बुआ के सामने जाने में भी घबरा रहा था। सोच रहा था कि कही बुआ ये चड्डी वाली बात घर मे किसी को न बता दें।

दोपहर हो चुकी थी सब लोग अपने कमरों में सो गए थे। मैंने सोचा यही अच्छा मौका है बुआ से बात करने का मैंने सोचा कि बुआ को ये वीर्य वाली बात किसी से न कहने के लिए विनती करूँगा।

मैं हिम्मत करके बुआ के कमरे की तरफ बढ़ा दरवाजा खुला हुआ था बस बुआ ने दरवाज़े को सटा दिया था। मैं चुपके से दरवाज़े के पास पहुँचा और दरवाज़े के फांक से अंदर देखा तो मैं चौक कर हैरान रह गया। बुआ मेरी वीर्य से सनी चड्डी को अपनी साड़ी उठाये अपनी बूर पर मल रही थी। और मेरी चड्डी पर लगे वीर्य को अपनी बूर के फांकों के बीच लगाते हुए।

अपनी आंख बंद करके हल्की से आवाज में आन्ह आ आन्ह आ नह कर रही थी। मैं वही छुप कर उनकी सारी हरकते देख रहा था। वो अपनी बूर को रगड़ने में मस्त थी। मैं समझ गया कि बुआ मुझे वासना की नज़र से देखती है। उनकी वो फूलों सी नाजुक बूर जो बुआ अपनी उँगलियों से दबा और मसल रही थी।

जब बुआ अपनी बूर के बीच अपनी उंगलियां रगड़ रही थी तो उनके बूर के दोनों फांके किसी पाव रोटी की तरह फूलकर अगल बगल हो रहे थे। बुआ की बूर के दर्शन से मेरे लंड ने दस्तक देनी शुरू कर दी। मैं अपने कमरे में आकर मुट्ठ मारने लगा। मैं इतना उत्तेजित हो गया कि 2 मिनट में ही मेरा सारा वीर्य निकल गया।

अभी भी मैं बच्चा था। मैंने ज़्यादा मुट्ठ भी नही मारी थी। जिससे मेरे लंड की चमड़ी अभी भी थोड़ी टाइट थी। मैं भी बुआ को गंदी नज़रो से देखने लगा मैं उन्हें अपनी वासना सांत करने का एक जरिया समझने लगा। पर ये नही समझ आ रहा था कि शुरुआत कैसे करूँ। बुआ अभी भी मुझसे खुली नही थी। अकेले में बुआ ने अपनी बूर को चड्डी में लगे मेरे वीर्य का ही स्वाद चखाया था।

अगले दिन शाम को लाइट चली गयी गरमी के दिन थे तो सभी लोग छत पर आ कर बैठ गए। सभी आपस मे बातें और हसी मजाक कर रहे थे। बुआ भी उनके साथ बैठी हुई थीं। मैं एक कोने में बैठा हुआ सभी को देख रहा था। जब मेरी नज़र बुआ पर पड़ी तो बुआ ने भी मेरी तरफ देखा और मुस्कुराती हुई हसने लगी।

कुछ देर बाद लाइट आ गयी तो सब नीचे चले गए पर बुआ नही गयी। मम्मी ने बुआ को चलने को कहा तो बुआ ने कहा वो थोड़ी देर में आ जाएंगी। अब छत पर मैं और बुआ ही थे बुआ कुछ देर वही बैठी रही मैं उठकर छत के घेराव से सट कर खड़ा हो गया। बुआ भी कुछ देर बाद मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी।

बुआ ने कहा मैं देख रही हूँ तू कुछ दिनों से मुझसे बात नही कर रहा है। क्या बात है बता?? मैंने कहा ऐसी बात नही है पर मुझे लगता था कि आप मुझसे नाराज़ हो।। बुआ बोली किसलिये मैंने कहा उसदिन बाथरूम वाली बात के चलते। बुआ बोली तुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैं उस बात को लेकर तुझसे नाराज़ हूँ। मैंने कहा मैंने आपका वो देख लिया था इसीलिए।।

बुआ हँसते हुए बोली क्या?? तूने ऐसा क्या देख लिया था। मैं घबराते हुए बोला आप साड़ी उठाकर बैठी थी उसी वक़्त मैं बाथरूम में घुस गया तो मैंने आपको उस हालत में देख लिया था। बुआ चुप हो गयी।

थोड़ी देर बाद बुआ ने कहा अच्छा बता तूने क्या देखा था। साथ ही बुआ अब भी मुस्कुरा रही थी। मैंने उनकी गाँड़ की तरफ देख इशारे में बताया ये देखा था मैंने। बुआ बोली कैसा लगा देख के मज़ा आया कि नही मैं चुपचाप ये सोच रहा था कि बुआ ऐसा कैसे मेरे सामने बोल रही है।

बुआ ने हँसते हुए कहा अच्छा, मैं भी तो तेरा देख सकती हूँ न।। इतना कहके बुआ ने अपना हाथ मेरी पेट पर रखा मैं समझ नही पा रहा था कि बुआ क्या करना चाहती है। फिर बुआ ने अपना हाथ सरकाते हुए मेरी पैंट में डाल दिया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया। बुआ मेरे लंड की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी।

मुझे दर्द हो रहा था क्योंकि मेरे लंड की चमड़ी अभी भी आगे से खुली नही थी मेरी चमड़ी अभी फ्री नही हुई थी। और बुआ लंड की चमड़ी को ज़ोर से सरकाने की कोशिश कर रही थी मैं दर्द से आह… आह…बुआ आ… आ… बुआ करता रहा तब बुआ ने मेरी पैंट नीचे करके मेरी जांघो तक खींच दी।

और मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर देखती हुई बोली है “हाय रामा” अमित तेरी तो चमड़ी भी नही खुली है। क्या तू अपने हाथों का इस्तेमाल नही करता मैंने कहा नही बुआ मैं ये सब ज्यादा नही करता चमड़ी के खिंचाव से चमड़ी में जलन हो रही थी। और मैं बुआ से अपनी लंड को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था।

बुआ मेरी तकलीफ समझ गयी और झट से बुआ ने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और मेरी लंड की लुल्ली पर अपनी थूक से लबलबाई जीभ फेरने लगी। बुआ के ऐसा करने से मेरे लंड को आराम मिल रहा था। बुआ की ठंढी जीभ ने लंड की जलन मिटा दी।

बुआ मेरे लंड को मुँह से निकाल कर बोली तूने कभी हस्तमैथून भी नही किया है?? मैंने कहा किया है पर ज्यादा नही बुआ बोली इसीलिए अभी तक तेरे लंड की सील नही खुली है। फिर बुआ अपने घुटनों के बल बैठ कर घोड़ी बन गयी और अपनी साड़ी पीछे से उठाकर अपनी गोरी चिकनी बड़ी सी गाँड़ मुझे दिखाती हुई बोली देख ले जी भरके देख अपनी बुआ की गाँड़

मैं उसदिन अच्छे से बुआ की गाँड़ नही देख पाया था आज बुआ ही मुझे अपनी गाँड़ दिखा रही थी। बुआ ने कहा दूर क्यों खड़ा है सामने आ मैं भी बुआ की गाँड़ के पीछे बैठ गया। फिर मैंने घबराते हुए बुआ की गाँड़ पर हाथ रखा जैसे ही मेरे हाथों ने बुआ की गाँड़ को छुआ मैं अंदर ही अंदर बिखरने लगा। बुआ की गदे जैसी मुलायम गाँड़ छूने का जो एहसास था वो मैं बता नही सकता

मैं उनकी गाँड़ को छूते ही उनके गाँड़ बनावट को जांचने लगा। मैं उनकी गाँड़ को बड़ी बारीकी से देखने लगा मैंने उनकी गाँड़ के दोनों हिस्सो को अलग करके उनकी गाँड़ की काली छेद को अपनी कांपती उँगलियों से टटोलने लगा। और बुआ की बूर पर जमी छोटी छोटी झाँटो पर अपने हाथों को फेरने लगा।

बुआ ने पूछा क्या तुझे इसका मज़ा लेना है? तो मैंने काँपते स्वर में कहा हाँ। तो बुआ ने मुझे लेट जाने को कहा मैं लेट गया फिर बुआ ने मेरी पैंट को और नीचे कर दिया और अपनी साड़ी उठाकर बुआ भी अपनी बूर को ठीक मेरे लंड के ऊपर ले आयी। फिर बुआ ने मेरे लंड पर और अपनी बूर पर अपना थूक लगा दिया।

बुआ बोली देख अमित शुरू में शायद तुझे दर्द होगा। लेकिन बाद में तुझे भी मज़ा आएगा मैंने कहा ठीक है। फिर बुआ ने अपने दोनों पैर मेरी कमर के अगल बगल करके अपनी बूर को मेरे लंड के नजदीक ले आयी। फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी बूर के मुँह पर लगा दिया

फिर बुआ ने धीरे धीरे अपनी गाँड़ नीचे करके मेरे लंड को अपनी बूर के छेद में दबाने लगी। जिससे मेरे लंड की चमड़ी पीछे सरकाने लगी और मुझे दर्द होने लगा मैं दर्द के मारे बुआ को अपने लंड से हटाने लगा पर बुआ ने और ज़ोर से अपनी कमर को मेरे लंड पर दबा दिया। मैं ज़ोर से चींखने ही वाला था कि बुआ ने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और एक ज़ोर का धक्का लगाते हुए अपनी कमर को मेरी कमर से चिपका दिया।

मैंने दर्द के मारे बुआ की मोटी मोटी जांघो को अपने हाथों से पकड़ लिया अब मेरा पूरा लंड बुआ की बूर में जा चुका था। हमदोनों की झाँटे आपस मे मिल गयी थी। और बुआ की झाँटे मेरे लंड के अगल बगल गड रही थी। फिर बुआ घुटनो के बल होकर मुझपर लेट गयी। और अपनी कमर चलाने लगी।

बुआ अब ऊपर तक अपनी कमर उठा उठा कर मेरे लंड पर अपनी बूर को पटकने लगी। अब मुझे भी मज़ा आ रहा था। मेरे लंड की सील खुल गयी थी अब लंड की चमड़ी आसानी से खुल बंद रही थी। मैं थोड़ी ही देर में बुआ की बूर में झड़ गया। जिससे मेरा लंड ढीला होकर बुआ की बूर से बाहर आ गया।

पर बुआ मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बूर में डाल रही थी। कुछ ही देर में मेरा लंड दुबारा सख्त हो गया। अब बुआ मुझे किश करते हुए अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरे लंड से अपनी बूर चोद रही थी। मैं भी उनकी गाँड़ को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए उनका साथ देने लगा। फिर मैंने अपनी एक उंगली बुआ की गाँड़ में डाल दी जिससे उनका जोश और बढ़ गया।

ऐसा लग रहा था कि बुआ की बूर में मेरे लंड को कोई खींच रहा हो हमदोनों के पेट आपस में चिपके हुए थे। और बुआ दनादन अपनी कमर मेरे लंड पर पटक पटक कर मुझे चोद रही थी। कुछ देर बाद बुआ झड़ गयी पर मैं अभी नही झड़ा था तो बुआ ने अपनी चुदाई जारी रखी करीब 5 मिनट में मैं भी बुआ की बूर में ही झड़ गया।

फिर हमदोनों उठकर बैठ गए बुआ मेरे लंड को और अपनी बूर को अपनी साड़ी से पोंछकर साफ करने लगी। बोली हम ज्यादा देर तक यहाँ चुदाई नही कर सकते कोई आ जायेगा। तो बुआ ने कहा जब सब सो जायेगे तब मैं तेरे कमरे में आऊंगी।

उस रात 12 बजे बुआ मेरे कमरे में आई और इस बार मैं पहले से ही तैयार था। मैंने खुद बुआ के सारे कपड़े उतारे और खुद भी नंगा हो गया। मैं उनकी गाँड़ पर चाटे मारने लगा जिससे बुआ और भी गरम हो गयी। इस बार मैंने बुआ को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उनकी टाँगो के बीच खड़ा होकर बुआ की बूर में अपना लंड डाल दिया। फिर मैं उनसे चिपक कर लेट गया।

फिर उन्हें चूमता चाटता हुआ बुआ की बूर में दनादन अपना लंड चलाने लगा। कुछ देर ऐसे उन्हें चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा बुआ घोड़ी बन गयी। फिर मैं तेल लेकर आया और ढेर सारा तेल बुआ की गाँड़ में लगा दिया और अपने लंड पर भी लगाया। मैंने धीरे धीरे करके अपना लंड बुआ की गाँड़ में घुसा दिया।

बुआ को दर्द हो रहा था पर उन्होंने मुझे रोका नही और अपनी गाँड़ मारने दी जब लंड बुआ की गाँड़ में घुस रहा था। तो बुआ आ….आ…उम्मह.. ह..ह करती हुई अंगड़ाइयां ले रही थी। मैं ज़ोर ज़ोर से बुआ की गाँड़ पर अपनी कमर मार रहा था। लंड तेल की वजह से जड़ तक फिसल कर उनकी गाँड़ में घुस रहा था। और बुआ की बड़ी गद्दे जैसी गाँड़ के दोनों हिस्से मेरी जांघो से टकराकर ऊपर नीचे फुटबॉल की तरह उछल रहे थे।

अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड बुआ की गाँड़ से निकाल कर उनकी बूर में डाल दिया और 4 से 5 झटकों में मेरा सारा वीर्य बुआ की बूर में भर गया। तो दोस्तों मैंने ऐसे जिस पहली औरत के साथ शारिरीक वो मेरी अपनी सगी बुआ थी। बुआ ने मेरे लंड को एक फौलाद बनाया था। 3 महीने लगातार मैं और बुआ एक दूसरे की चुदाई करके एक दूसरे को संतुष्ट करते थे।

जब बुआ आयी थी तब के मुकाबले अब उनकी बूर और गाँड़ दोनों की छेद मैंने चोद चोदकर फैला दी थी। बुआ को बहुत सालों बाद शारीरिक सुख मिला था। मैंने उनको संतुष्ट करने में कोई कसर नही छोडी अब बुआ अपने गाँव मे है पर हमारे फ़ोन पर बात होती है और हम एक दूसरे से सेक्सी बातें करते करते अपने हाथ से ही काम चलाते है। फिर जल्द ही बुआ हमारे पास आने वाली है।

इस बार भी मैं उनको खूब चोदूगाँ और बुआ और मेरी चुदाई की अगली कहानी आप सभी से इसी वेबसाइट सेक्सी कहानी के माध्यम से बताऊँगा।

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