ठंढी रात में मौसी की गर्म चुत

ठंढी रात में मौसी की गर्म चुत

मैं सतीश बिहार से हूँ। आज मैं आप सभी को एक हकीकत की घटना बताने जा रहा हूँ। जो 2 दिन पहले ही घटी थी। मैं थोड़ा अपने बारे में बताता हूँ। मैं 23 साल का बिहारी लौंडा हूँ। उम्र के हिसाब से मेरी कद काठी लंबी चौड़ी है।

मैं अपनी मौसी के बारे में बता दूँ। मेरी मौसी एक घरेलू महिला है। जो शुरू से ही गाँव में ही रही थी उनकी उम्र वही कोई 40-42 साल के आस पास की होगी। और थोड़े पुराने ख़्याल वाली औरत है। मौसी के शरीर का रंग गोरा चिट्टा है उनका शरीर भरा हुआ है। कुल मिलाकर उनकी शाररिक बनावट बहुत सुंदर है। बड़ी गांड और नुकीली बड़ी बड़ी चुचियों की मालकिन है।

ब्लाउज के ऊपर से ही देखने से उनकी चुचियों का सही माप का अनुमान लगाया जा सकता है। वो थोड़ी टाइट ब्लाउज पहनती है। जिससे उनकी ब्लाउज़ पर उनकी ब्रा के लाइन साफ दिखते है। जब मौसी चलती है तो उनकी चूतड़ों के दोनों ग़ुब्बारे ऊपर नीचे उनकी चाल में चार चांद लगा देते है।

पहले कभी मैंने मौसी के बारे में ऐसा सोच नही था। न ही मेरा नज़रिया उनके लिए कभी गलत था। लेकिन उस रात के बाद मेरा मौसी को देखने का नज़रिया ही बदल गया।

मैं 25 दिसंबर को मौसी के यहाँ पहुँचा मैं काफी सालों बाद मौसी और उनके परिवार से मिला था। मौसी और उनके परिवार ने मेरा अच्छे से स्वागत किया और ढ़ेर सारी बातें होने लगी। उसी दिन मौसा जी और उनके बेटे को शहर जाना था। मौसी ने अपने बेटे के लिए कुछ सामान मंगवाया था। जो मैं लेकर उनलोगों के घर गया था।

कुछ दो घंटे बाद मौसा जी और उनका बेटा शहर जाने के लिए निकल गए। उनदोनों के जाने के बाद मैं भी मौसी से आज्ञा लेकर अपने घर वापस जाने का सोंच ही रहा था। कि मौसी ने पहले ही मुझसे कहा सतीश तू इतने दिनों बाद आया है। आज रात यहीं रुक जा कल चले जाना वैसे भी बहुत ठंढ है। और थोड़ी देर में अंधेरा हो जाएगा।

मौसी की बात बिल्कुल सही थी। उसी वक़्त ठंड बर्दास्त से बाहर थी। अंधेरा होने के बाद ठंढ और बढ़ जाती। मैं भी मौसी का मन रखते हुए उनके यहां रुकने को मान गया।

ऐसे ही इधर उधर की बातों में शाम बीत गयी और रात हो गयी करीब 7 बजे मौसी जी ने मुझें खाना दिया और खुद भी खाने बैठ गयी। ठंढ बहुत थी इसलिए हमनें जल्दी से खाना खा लिया। फिर मौसी ने आंगन में थोड़ी आग जलाई जिसपर बैठकर हम अपने हाथ पैर सेकने लगे।

कुछ देर बाद मौसी ने कहा कि अब रात हो गयी है सोने चलते है। मैंने भी कहा हाँ मौसी ठंढ बहुत है। मैं मौसी से पूछने ही वाला था की मैं कहाँ सोउ? उससे पहले मौसी ने ही कह दिया कि चलो तुम मेरे ही कमरे में सो जाना।

फिर मैं मौसी के साथ उनके कमरे में चला गया मौसी पलंग के तरफ सो गयी और मै पलंग के दूसरी तरफ सो गया। फिर मौसी ने एक मोटी सी रजाई से हम दोनों को ढक दिया। मैं और मौसी एक ही बिस्तर और एक ही रजाई में सो रहे थे।

मौसी बांयी करवट लेकर दूसरी तरफ मुँह करके सो गई मैं भी चुपचाप मौसी की पीठ की तरफ मुँह करके सो गया। ठंढ की वजह से पता नही कब मेरी आँख लग गयी करीब एक दो घंटे के बाद नींद में ही मुझे ऐसा लगा की किसी का गर्म शरीर मेरे बदन से चिपका हुआ है।

क्योंकि अब ठंढ कम लग रही थी। मुझे भी उनकी शरीर की गर्माहट से अच्छा महसूस हो रहा था। फिर नींद में ही मुझें याद आया कि मैं तो आज मौसी के यहाँ हूँ और उनके बिस्तर पर उनके साथ सोया हूँ। तो झट से मेरी आँख खुल गयी।

मैंने देखा कि मौसी अब खिसककर मुझसे चिपका कर सोई हुई है। उनका सर मेरे चेहरे के आगे था। और उन्होंने अपना शरीर मेरे शरीर से चिपक लिया था। शायद उन्हें भी मेरे शरीर की गर्माहट में आराम मिल रहा था।

मैं चुपचाप लेटा रहा मैं तो समझ रहा था कि मौसी नींद में ही मेरे करीब आकर सो गई है। फिर जो हुआ मुझे समझ ही नही आया कि मौसी की इसमें मौसी की रजामंदी थी या फिर मौसी मुझे मौसा जी समझ कर ऐसा कर रही थी।

कुछ देर बाद मौसी ने अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर अच्छे से चिपका लिया। वो सोते सोते अपनी गांड को मेरी गोद में डाल चुकी थी। उनकी गांड की गर्माहट ने मेरे लंड में आग लगा दी। मैं पीछे भी नही खिसक सकता था। क्योंकि मैं खुद पहले से ही पलंग के छोर पर था। और पीछे होता तो मैं गिर जाता।

फिर मौसी सोते सोते ही अपनी गांड को मटकाने लगी जिससे मेरा लंड उनकी चूतड़ों के उभारो और दरार में दबने लगा। मेरा लंड अब तन चुका था और सीधा होकर उनकी गांड में चुभ रहा था। शायद मौसी लंड खड़ा करने के लिए ही अपनी गांड को मटका कर मेरे लंड को रगड़ रही थी।

मेरे लंड को मेरी पैंट ने रोक रखा था। अब मैं भी मौसी की गांड से मज़े लेने लगा। मौसी ने अपनी गांड मटकाने की रफ़्तार बढ़ा दी और उन्होंने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरी कमर को पकड़ लिया और फिर उन्होंने जोर लगाकर अपनी गांड को मेरी गोद में दबाया जिससे मेरा लंड उनकी गांड की दरार में पैंट सहित धस गया।

अब मैंने सोचा लिया कि अब मैं मौसी को चोदने के इस मौके को नही जाने दूंगा। फिर मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और मौसी की कमर को अपनी बाहों में पकड़ लिया और पीछे से अपने लंड का धक्का मारते हुए मौसी की गांड से अपनी कमर को चिपका दिया

मौसी ने कोई हरकत नही की न ही कुछ बोली बस मेरी कमर को सहलाने लगी। मैं सोच रहा था मौसी मुझें मौसा समझकर मेरे साथ ये सब तो नही कर रही? लेकिन वो खुद मुझें ये मौका दे रही थी।

फिर मैंने अपनी पैंट खोलकर अपनी जांघो तक कर ली और अपना लंड अपनी मुट्ठी में पकड़कर मौसी की गांड पर चुभोने लगा। मौसी की गांड की नर्माहट ने मेरे अंदर और उत्तेजना भर दी।

फिर मैं धीरे से मौसी के पेट पर हाथ फेरते हुए अपना हाथ उनकी नाभि के नीचे ले गया। और मैंने उनकी साड़ी की प्लेटें खोल दी। जिससे मौसी की साड़ी ढ़ीली पड़ गयी। अब मुझे मौसी के पेटीकोट की डोरी खोलनी थी। मैं उनकी पेटीकोट का बंधन खोजने लगा। थोड़ा इधर उधर हाथ लगाने के बाद मुझे उनकी पेटीकोट की डोरी मिल गयी।

मैंने उनकी पेटीकोट की डोरी को खींचकर खोल दिया फिर मैंने मौसी की कमर पर हाथ रखा और उनकी साड़ी और पेटीकोट को एक साथ पकड़कर नीचे खींचने लगा। मौसी ने भी कमर उठाकर थोड़ी मदत की फिर मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को खींचकर उनकी जांघो से नीचे तक खींच दिया।

साड़ी नीचे करते ही मुझे मौसी की बड़ी सी गोरी गांड दिखने लगी। उनकी गांड काफी चौड़ी थी जिसे देखते ही मेरे लंड से पानी आने लगा। मैं उनकी कमर और उनके कूल्हों पर अपना हाथ फेरने लगा। उसके बाद मैं अपना लंड मौसी की चूतड़ पर और गांड की दरार में रगड़ने लगा।

फिर मैंने अपना हाथ मौसी की कमर के ऊपर से उनके पेट पर ले गया। फिर मैंने उनके पेट को सहलाते हुए उनकी गांड पर अपने लंड से दबाव बनाने लगा। दबाव लगाने से मेरा लंड फिसलकर मौसी की चुत के नीचे पहुंच गया।

फिर मैंने अपने हाथ को मौसी के पेट के नीचे बढ़ाया और सीधे उनकी चुत के ऊपर ले गया। फिर मैं अपनी उंगलियों का जादू उनकी चुत पर दिखाने लगा। उनकी चुत पहले से ही गीली थी जब मैंने उनकी चुत में और उँगली की तो उनकी चुत से पानी निकल गया।

अब मैं मौसी की चुत पेलने को बेकरार हो रहा था मौसी मेरे आगे बायीं करवट लेकर सोई थी। और मेरा लंड मौसी की गांड के नीचे दरार में घुसा हुआ था। तो मैंने धीरे से मौसी की एक जांघ को पकड़ा और थोड़ा सा खोलकर आगे किया जिससे उनकी चुत का रास्ता साफ हो गया।

फिर मैंने अपने लंड को मुट्ठी में पकड़ा और एक दो बार मुठिया दिया जिससे लंड फिर सख्त हो गया। फिर मैंने आराम से मौसी की चुत पर अपने लंड को रखा और उनकी जांघ को पकड़ के हल्के सा धक्का देकर उनकी गांड पर चढ़ गया।

जिससे एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लंड मौसी की चुत में समा गया। मौसी की चुत में लंड घुसते ही उनके मुँह से हल्की सी आ..ह..ह.. की सीत्कार निकल गयी।

फिर मैं धीरे धीरे अपना लंड मौसी की चुत में धकेलने लगा और उनकी चुत चोदने लगा। मौसी भी चुदाई का मज़ा लेने लगी। वो भी मेरे गांड को अपने हाथ से दबाने लगी जिससे मेरा जोश और बढ़ने लगा। मैं भी मौसी की चुत की दोनों पट्टों को अपनी उंगलियों से फैलाकर दनादन उनकी चुत में लंड अंदर बाहर करने लगा।

मौसी की कोमल कोमल चूतड़ों पर मैं अपनी कमर पिट पीटकर उनकी चुत को चोद रहा था। कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था। तो मैंने अपना लंड मौसी की चुत से बाहर निकाल दिया और सारा माल उनकी गांड की दरार में भर दिया।

मौसी भी आराम से मेरे माल को अपनी गांड पर निकलवा रही थी। जब मेरा लंड उनकी गांड पर झड़कर सांत हो गया तो मौसी कुछ देर वैसे ही लेटी रही मैं सोच ही रहा था कि मौसी अब चोदने को देगी या उनका मन भर गया होगा?? मैं इसी उधेड़बुन में था कि तभी मौसी ने करवट बदली और पेट के बल लेट कर अपने दोनों टाँगों को सीधा करके फैला दिया।

मुझे भी लगा कि शायद मौसी अब इस पोजीशन में चुदवाना चाहती है। तो मैं आराम से मौसी के ऊपर चढ़ गया। मैं अपने शरीर का पूरा भार देकर मौसी के ऊपर चढ़ गया था। मेरे दोनों टांग मौसी के दोनों टाँगों के बीच में थे।

और मेरा लंड मौसी की गांड के नीचे झूलता हुआ उनकी चुत पर टकरा रहा था। फिर से मैंने मौसी की चुत में लंड डालने की तैयारी कर ली। फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा एडजस्ट करके अपने लंड को सीधे मौसी की चुत की छेद पर अड़ा दिया।

फिर मैंने अपनी कमर से थोड़ा दबाव डाला जिससे मेरा लंड उनकी चुत के दोनों पट्टों को खोलता हुआ सीधा उनकी चुत में समा गया। फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर को उनकी गांड पर पटकना स्टार्ट किया जिससे मेरा लंड उनकी चुत के अंदर बाहर होने लगा।

कुछ देर बाद मैंने अपनी रफ़तार बढ़ा दी और मौसी की गांड को अपनी कमर से कुचलने लगा। मेरा लंड दनादन मौसी की चुत में उतरने लगा। मौसी ने बीच चुदाई में ही अपनी चुत से पानी छोड़ दिया। जिससे उनकी चुत और भी चिकनी हो गयी लगातार लंड अंदर बाहर होने से उनकी चुत और मेरे लंड पर वीर्य के दानेदार झाग बनने लगे।

करीब आधे घंटे तक मैंने किसी पागल सांढ़ की तरह मौसी की चुत मारी अगर कोई नई नवेली दुल्हन होती तो शायद दर्द के मारे उसकी चींखें नही रुकती पर मौसी आराम से मेरा लंड गटक रही थी। अंत में मैं उनकी चुत चोदते चोदते उनकी चुत में ही झड़ गया।

फिर मैं अपना लंड उनकी चुत से निकाला और अपनी पैंट पहनकर सो गया। मैं रात भर यही सोचता रहा कि कही मौसी मुझे मौसा समझकर तो मुझसे नही चुद रही थी। क्योंकि चुदाई के वक़्त नही तो हमनें एक दूसरे से बात की न ही हमने एक दूसरे की सकल देखी थी।

सुबह जब मैं उठा तो देखा मौसी बिस्तर पर नही थी। मैंने रजाई हटाकर देखी तो रात में चुदाई के वक़्त का वीर्य बिस्तर पर लगा हुआ था। जो अब सुख चुका था बिस्तर पर वीर्य के धब्बे देखकर मैं मन ही मन मुस्कुराया और कमरे से बाहर आया।

देखा कि मौसी आंगन में झाड़ू लगा रही थी। और उन्होंने मुझे देखते ही एक अजीब सी शर्मीली मुस्कान दी। मैं समझ गया कि मौसी जान बूझकर मुझसे चुदी है। तो मैंने भी एक अच्छी सी मुस्कान दी। फिर मैंने मौसी से कहा कि माँ ने आपको नए घर की पूजा में बुलाया है।
आप आओगी न? मौसी ने कहा हाँ जरूर आऊंगी! मैं उनकी हाँ सुनकर काफी खुश हुआ। मैं मन ही मन तय करने लगा कि जब मौसी मेरे यहाँ आएगी। तब मैं खुलकर मौसी से चुदाई की बात करूंगा और उनकी चुदाई करके अपनी वासना सांत करूँगा।

अगले महीने मौसी मेरे यहाँ आने वाली है। क्योंकि हमारे नये घर की पूजा है।

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