तबेले में चुदी मेरी ताईजी

मेरा नाम हरिंदर है मेरी उम्र 25 साल है। मैं चंडीगढ़ का हूं लेकिन कमाने के चक्कर में मेरे पिताजी अपनी जवानी के समय से ही लुधियाना में बस गए थे। मेरा भी जन्म लुधियाना में ही हुआ था।

तबेले में चुदी मेरी ताईजी

वैसे मेरा जो पुस्तैनी घर है वो चंडीगढ़ में है जहां मेरे पिता जी के भाई यानी मेरे ताऊ जी की फैमिली रहती है। कुछ सालों पहले मेरे ताऊ जी का स्वर्गवास हो चुका है। अब चंडीगढ़ यानी की हमारे गांव में मेरी ताईं जी और उनके बहु और बेटे तीन लोग ही रहते हैं।

गर्मियां चल रही थी मैं जिस कपड़े के कारखाने में काम करता था। वहां काम कुछ मंदा चल रहा था। तभी मेरा मन किया की मैं 2-4 दिन के लिए अपने गांव से घूम आऊ। मैंने बैंग पैक किया और अपने गांव जानें के लिए निकल पड़ा।

करीब एक से डेढ़ घंटे का सफर था। मैं उसी दिन की शाम को अपने गांव पहुंच गया। ताई जी और भाई, भाभी ने बड़े आदर प्यार के साथ मेरा स्वागत किया। मेरे पहुंचने के साथ बातों का जो सिलसिला शुरू हुआ रात के 9 बजे तक चलता रहा। उसके बाद सभी ने खाना खाया और सोने चले गए।

रात के करीब 3 बजे जब पेशाब लगने से मेरी नींद खुली और मैं पेशाब करने घर के बाहर निकला तो देखा मेरी ताईं जी तबेले में एक खाट पर सोई हुई थी। उस वक्त मुझे उनको तबेले में देखकर थोड़ी हैरानी हुई।

मैंने सुबह जब भाई से पूछा ताईं जी घर होते हुए तबेले में क्यों सोई हुई थी? तो उसने जवाब दिया की मेरी बीवी और माँ में बनती नही है। इसलिए उन्होनें घर त्याग दिया है। वो हर वक्त तबेले में ही रहती है। कल तुम आए थे इसलिए वो हमसब के साथ घर में आई थी।

नही तो उनका खाना पीना और रहना सब तबेले में ही होता है। मुझे भाई के मुंह से ये सब सुनकर ताई जी के लिए काफ़ी बुरा लग रहा था। और साथ ही उसकी बीवी पर गुस्सा भी आ रहा था पर मैं उनके घर के मामले में कुछ नही बोल सकता था। कही मेरे बीच में पड़ने से बात और न बिगड़ जाए इसलिए मैं चुप रहा।

उसके बाद भाई अपने काम पर चला गया और मैं भी गांव घूमने निकल गया। जब मैं दोपहर में गांव घूमकर घर लौटा तो मैंने देखा ताई जी तबेले में गाय और भैंस के गोबर साफ कर रही थी।

मैं धूप से लौटा था तो तबेले में घुस गया और ताईं जी की खाट पर लेट गया। ताई जी गोबर को साफ करने में लगी हुई थी। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। जब मैंने गौर से ताई जी की तरफ देखा तो मैं देखता ही रह गया।

उस वक्त ताई जी ने सूट सलवार पहना हुआ था। उन्होंने अपनी सूट के पिछले हिस्से को उपर उठाकर लपेट रखा था ताकि उनके कपड़े गंदे न हो जाए। लेकिन उनकी सलवार थोड़ी नीचे हो चुकी थी। जिससे मुझे ताई जी की गांड की उभार और दोनों चूतड़ों के बीच की सीधी रेखा साफ दिखाई दे रही थी।

ताई जी बेफिक्र होकर गोबर साफ करने में लगी हुई थी। मैं उनकी चूतड़ के उभार और उनकी गांड की दरार को देखा रहा था। पता नही उस वक्त मुझे क्या हुआ की मेरी नजर ताई जी की चौड़ी गांड पर से हट ही नहीं रही थी। उनके बैठकर झाड़ू लगाने से उनकी गांड और चौड़ी लग रही थी।

मैं उनकी गोरी गांड के उभारों को नाप रहा था ताई जी की दोनों कूल्हों के बीच उनकी सलवार घुसी हुई थी जिससे मुझे उनकी गांड़ के साइज का सही अनुमान लग रहा था। अब मैं अपनी ताई जी को हवस की नजरों से देखने लगा। मैं उठ उठकर ताई जी की गांड झांकने लगा।

मेरा लंड टाईट हो चुका था, और मेरी पैंट से साफ समझ आ रहा था। इसलिए मैंने उस वक्त ज्यादा उछल कूद नही की और शांति से खाट पर ताई जी की पीठ की तरफ मुंह करके लेट गया और ताई जी की गांड के नंगे हिस्से या उभार कहो उसे देखते हुए।

मैं अपनी पैंट में हाथ डालकर अपने लंड की धीरे धीरे मुठ मारने लगा ताई जी की गांड की दरार ने मेरी उत्तेजना को और बढ़ा दिया था। जिससे मैं मुठ मारते हुए जल्दी ही झड़ने को आ गया मैंने जल्दी से अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और खाट की रस्सियों के बीच से अपना लंड निकालकर जमीन पर ही झड़ गया।

मैंने जल्दी जल्दी अपना माल जमीन पर निकाल दिया और अपने लंड को अपनी पैंट में डालकर सोने का नाटक करने लगा। ताई जी झाड़ू लगाते हुए मेरी तरफ ही बढ़ रही थी, मैं सोने का नाटक करते हुऐ खाट की रस्सियों के बीच से हल्का सा अपनी आंख खोलकर जमीन पर गिरे मेरे लठ्ठे जैसे वीर्य को देख रहा था।

कुछ देर में ताई जी झाड़ू लगाती हुई खाट के नीचे झाड़ू लगाने लगी। जब उनकी नजर ज़मीन पर फैले मेरे वीर्य पर पड़ी तो कुछ पल के लिए उन्होंने झाड़ू लगाना रोक दिया और मेरे वीर्य की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगी जैसे ही मुझे लगा की ताई जी मेरे वीर्य को छुने वाली है उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया।

वो समझ चुकी थी की ज़मीन पर क्या गिरा हुआ है और किसने गिराया है। फिर उन्होंने झाड़ू लगाकर मेरा वीर्य साफ़ किया और चुप चाप तबेले को साफ करने लगी। उन्होंने कुछ नही कहा मुझे उसके बाद पता नही क्या हुआ मुझे सुकून और हल्का महसूस होने लगा और मैं वही सो गया। उस रात मैंने ताई जी के नंगे बदन की कल्पना करके दो बार मुठ मारी।

अगली सुबह जब मैं उठा तो फ्रेश होकर फिर से गांव घूमने निकल गया कुछ बचपन के दोस्तों से मिलकर जब मैं दोपहर के 1 बजे घर लौटा तो मेरे मन में आया की चलो चलकर तबेले में देखते है क्या पता आज फिर से ताई जी की गांड का दीदार हो जाए।

ठीक मैंने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ ताई जी तबेले में गोबर साफ़ कर रही थी। जैसे ही मैं अंदर आया उन्होंने मेरी तरफ देखा और पूछा घूम आया गांव मैंने कहा जी ताई जी। लेकिन आज मैं जो देखने आया था वो मुझे नही दिखा मैं थोड़ी देर वहीं खाट पर लेटकर ताई जी की तरफ ही देख रहा था। उनकी पीठ मेरी तरफ थी लेकिन आज उन्होंने अपनी सूट उपर नही की थी।

जब मुझे लगा की ताई जी कल वाली मेरी हरकत को समझ चुकी है इसलिए उन्होंने अपनी गांड को ढक रखा है। मैं निराश होकर खाट पर उठकर बैठ गया और जैसे ही मैंने घर जाने की सोची तभी ताई जी पीछे खिसककर झाड़ू लगाने लगी और उन्होंने अपनी सूट को पीछे से उपर उठाकर लपेट लिया।

और इस बार जो नजारा मैंने देखा उसकी मुझे कतई उम्मीद नहीं थी। ताई जी की सलवार उनकी गांड पर से आधी नीचे सरकी हुई थी। मुझे लगभग उनकी आधी नंगी गांड दिखाई पड़ रही थी। मैं बिना हिले डुले ताई जी की गांड निहारता रहा। ताई जी पीछे खिसक खिसककर झाड़ू लगा रही थी।

वो मेरे नजदीक आती जा रही थी मैं उनकी मेरी तरफ बढ़ती गोरी गांड पर अपनी नज़रे गड़ाए हुए था। तभी ताई जी झाड़ू लगाती हुई थोड़ी आगे की ओर झुकी जिससे उनकी सलवार उनकी गांड़ के बिलकुल नीचे आ गई जिससे मुझे ताई जी की गांड की सुर्ख काली छेद और उनकी बुर के बाल दिख गए।

ताई जी की बुर पर बहुत घनी और एक दम काली झांटे थी जिससे उनकी बुर पूरी तरह से ढकी हुई थी। इतना सब देखकर मेरा लंड और ज्यादा टाईट हो चुका था। फिर मेरा ध्यान ताई जी की सलवार की डोरी पर गया जो की खुली हुई थी। मैं समझ चुका था की ताई जी जान बूझकर मुझे अपनी गांड और बुर दिखा रही है।

मैं लार टपकाते किसी भूखे की तरह हवसी भारी नजरों से ताई जी की नंगी गांड और बुर के बालों को निहार रहा था। ताई जी अब भी पीछे खिसकती हुई झाड़ू लगा रही थी और मेरे करीब पहुंच चुकी थी मेरा लंड मेरी पैंट में से ही ताई जी की गांड और बुर को सलामी दे रहा था।

ताई जी मेरे और करीब पहुंच गई और अचानक घुटनों के बल घोड़ी बनकर झाड़ू लगाने लगी। जिससे उनकी बची खुची सलवार भी सरकती हुई उनकी घुटनों तक आ गई, अब ताई जी की बड़ी सी गांड और उनके बुर पर जमी पूरी झांटे दिखाई देने लगी। फिर ताई जी ने मेरी तरफ अपना चेहरा घुमाया और हल्की सी मुस्कान दी। ये उनकी मुस्कुराहट नही बल्कि उन्होंने मुझे अपनी बुर में अपना हथियार डालने का न्यौता दिया था।

मैं झट से ताई जी के पीछे अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी कमर को ताई जी की गांड पर सटा दिया, और जल्दी बाजी में मैंने अपना मोटा तगड़ा और 8 इंच लम्बा लंड अपनी पैंट से बाहर निकाल कर उनकी गांड पर रगड़ने लगा।

मैंने हड़बड़ी में अपने उंगलियों पर अपना थूक निकाला और ताई जी की बुर की झांटों को किनारे करते हुऐ अपनी एक उंगली को ताई जी की बुर में डाल दिया। ताई जी बिना कुछ बोले चुप चाप घोड़ी बनी रही और अपनी बुर में मेरी ऊंगली का मजा लेने लगी।

मैंने एक दो बार ही अपनी उंगली को उनकी बुर के अंदर बाहर किया ही था की मेरे लंड ने बिना रंग वाला पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैंने वक्त न गवाते हुए अपना लंड पकड़ा और ताई जी की बुर पर रगड़ रगड़ कर उनकी झांटों को हटाने लगा। जैसे ही मुझे ताई जी की बुर की छेद दिखी मैंने अपना मोटा हथियार उनकी बुर की छेद पर लगा दिया।

फिर मैंने अपना लंड उनकी बुर में दबाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा सा अंदर गया पर ताई जी को शायद दर्द हुआ इसलिए वो थोड़ा आगे खिसक गई। फिर मैंने ताई जी की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उन्हें पीछे खींच लिया।

फिर से मैंने अपना लंड ताई जी की बुर में दबाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी बुर के अंदर चला गया। ताई जी की बुर मुझे थोड़ी टाईट लग रही थी, पर मैंने एक हल्का सा धक्का मारा जिससे मेरा आधा लंड उनकी बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया। उस धक्के से ताई जी थोड़ा बिदुक सी गई।

उनकी हल्की सी चींख निकल गई पर उन्होंने अपने ही हाथों से अपना मुंह बंद कर लिया। मैंने फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा जिससे मेरा लंड अब पूरा का पूरा ताई जी की बुर में घुस गया। और उनकी आंखें दर्द के मारे बंद हो गई और उन्होंने अपनी चींख को दबाने के लिए कस के अपने मुंह को दबा लिया। अब मेरा लंड ताई जी की बुर के पानी से अच्छे से लिपट चुका था।

पर मैंने उनकी बुर में लंड डाले थोड़ी देर इंतेजार किया जब सब नॉर्मल हुआ और मैंने उनकी बुर में धक्के मारकर उनकी बुर चोदने की सोची तभी हमें किसी के आने की आहट हुई। आहट सुनकर ताई जी झट से उठकर खड़ी हो गई, और मेरा लंड उनकी बुर से बाहर निकल गया।

मैं भी तुंरत खड़ा हो गया और हम दोनों अपने कपड़े ठीक करके एक दूसरे से दूर हो गए। ताई जी का बेटा आज जल्दी लौट आया था। मेरा तो मूड ही खराब हो गया। क्या क़िस्मत थी मेरी बुर में लंड होते हुऐ भी मैं अपनी ताई जी की बुर को चोद नही पाया।

ताई जी भी भूखी और अफसोस की नजरों से मुझे देख रही थी। मुझे बुर चोदने की तलब लगी थी। ऐसा लग रहा था की किसी ने मेरे हाथों से कोई कीमती चीज छीन ली हो। मैं मन मारकर घर चला गया और बिस्तर पर पड़े पड़े ताई जी की बुर और गांड चोदने के सपने देखता हुआ सो गया।

आधी रात को जब मेरी नींद खुली तो देखा घर में चारों तरफ़ अंधेरा था। रात के दो बज रहे थे। भाई और भाभी अपने कमरे में सो रहे थे। मैं दबे पांव उठकर घर का मेन गेट खोलकर बाहर निकला और सीधे ताई जी के पास तबेले में पहुंच गया।

चांदनी रात थी जिससे थोड़ी रोशनी आ रही थी। जब मैं ताई जी के पास तबेले में पहुंचा तो देखा ताई जी मुंह के बल खाट पर सोई हुई थी उनकी गांड उपर की ओर थी। पहले तो मैंने एक दो बार ताई जी को धीमी आवाज में उठाने की कोशिश की पर वो नहीं उठी मैंने उनको हिला डुलाकर उठाने की कोशिश भी की पर वो तब भी नही उठी।

तब मैंने उनको उसी हालत में चोदने का सोच लिया और बड़ी मुस्किल से अपना एक हाथ उनके पेट के नीचे ले जाकर उनकी सलवार की डोरी को खोल दिया। फिर मैंने ताई जी की क़मर से उनकी सलवार को पकड़ा और धीरे धीरे खींचकर सलवार को उनकी टांगों से पूरा निकाल दिया।

अब ताई जी नीचे से बिलकुल नंगी हो चुकी थी अब मुझे उनकी बड़ी नंगी गांड और उनके नंगी लंबी टांगे साफ दिख रही थी। फिर मैंने उनकी दोनों टांगों को फैलाकर एक दूसरे से अलग किया। जिससे उनकी बुर में लंड डालने का रास्ता साफ हो जाए।

फिर मैंने अपनी भी पैंट उतारकर फेंक दी और बिलकुल नंगा हो गया अब मैं खाट पर ताई जी की दोनो टांगों के बीच अपने पैर करके उनके उपर लेट गया। अब मैं ताई जी के उपर लेटकर अपनी कमर हिला हिलाकर अपना मोटा लंबा लंड उनकी गांड पर रगड़ने लगा। जिससे मेरा लंड फूल टाईट होकर अपने सही रूप में आ गया।

फिर मैंने अपनी कमर और ताई जी की गांड के बीच में हाथ घुसाकर अपना लंड पकड़ा और ताई जी की बुर की छेद पर रखा। मेरे शरीर के वजन से मेरा लंड अपने आप उनकी बुर में धसने लगा। कुछ ही पल में मेरा पूरा लंड उनकी बुर में घुस गया।

अब मैंने अपनी कमर को हल्का हल्का उपर नीचे उछालने लगा जिससे मेरा लंड ताई जी की बुर में अंदर बाहर होने लगा। मेरे धक्के लगाने से खाट चरचराने लगी और ताई जी की भी नींद थोड़ी थोड़ी खुलने लगी। ताई जी की बुर में पानी आने लगा और वो आधी नींद में ही आह… अह… अह… उम्ह्ह… उम्ह्ह.. ऊ ह… की आवाजें निकालने लगी।

अब ताई जी की बुर में फिसलन बढ़ने लगी और मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी थी। जिससे मेरा लंड उनकी बुर में पच्छ… पच्च.. फच… फ़च की आवाज के साथ अंदर बाहर होने लगा। अब ताई जी की नींद खुल चुकी थी। उन्होंने अपनी चुदती बुर का जब एहसाह हुआ तो झट से उन्होंने मेरी तरफ देखा।

उसके बाद वो शांति से मेरे नीचे पड़ी रहीं और मैं उनकी बुर में अपना लंड चोदता रहा 15 से 20 मिनट तक उनकी बुर चोदने के बाद अचानक उनकी बुर थोड़ी सिकुड़ने सी लगी। ऐसा लग रहा था की उनकी बुर मेरे लंड को मसलना चाहती है। ताई जी ने अचानक मेरे हाथ को कसकर पकड़ लिया।

मेरे हाथ को पकड़कर ताई जी आ… ह… आह… उम्म्म्… आंह… करने लगी। मैं समझ चुका था की ताई जी अब झड़ने वाली है। तो मैं कस कसकर अपनी क़मर को उनकी गांड पर पटकने लगा और तेज़ी में अपना लंड उनकी बुर में घुसाने लगा। आख़िर में ताई जी ने मेरे हाथ को अपनी मुट्ठी से कस के दबा दिया।

और एक लंबी आहहह…अह.आह…सीत्कार के साथ अपनी बुर का पानी निकाल दिया। मैं उनकी बुर चोदता रहा ताईं जी खुद झडने के बाद मुझे रुकने को कहने लगी। मैंने उनसे कहा ताई जी आपका निकल चुका है पर मेरा तो नही निकला हैं न! अब आप मुझे मन भर करने दो।

तो ताई जी ने कहा चलो अब हटो कोई देख लेगा। मैंने कहा वाह ताई जी जब तक आपको जरूरत थी तब तक कोई नही देख रहा था। अब लोग देख लेंगे। तब ताई जी ने कहा अच्छा चल कर ले जितना तेरा मन करें। मैंने ताई जी को भोर होने तक कई बार चोद दिया।

5 बजे भोर तक जब तक उजाला नही हुआ। मैं उनकी बुर ठोकता रहा मैंने ताई जी को 4 ट्रिप चोद चुका था। जिससे ताई जी की बुर सूज गई थी और मेरा लंड भी जहा तहां छिल गया था। थोड़ी सूजन भी आ चुकी थी। मैं चुदाई करने में नौसिखिया था। जिस वजह से मैं आधा टेढ़ा ताई जी की बुर को चोद रहा था। जिससे मेरे सुपाड़े के कभर वाली चमड़ी सूजकर लाल हो चुकी थी।

मुझे ताई जी की गांड चोदने का भी मन था पर लंड में सूजन आने और दर्द के कारण मुझे ताई जी की गांड चोदने की हिम्मत नही हुई। लेकिन मैंने सोच लिया था की लुधियाना वापस लौटने के पहले मैं ताई जी की गांड को अपने मोटे हथियार से फाड़ कर ही जाऊंगा।

दोस्तों इसी तरह तबेले में चुदी मेरी ताई जी, उम्मीद करता हूं। की आप सब को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। कमेंट करके अपना महत्वपूर्ण सुझाव दे।

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