सौतेली मां की गरम चुत चुदाई

सौतेली मां की गरम चुत चुदाई

मैं अपनी पहली कहानी आप सभी के बीच ला रहा हूं। उम्मीद करता हूं की ये मेरी कहानी आप सभी को पसंद आएगी। दोस्तों ये कहानी नही बल्कि मेरी जिंदगी की एक सच्ची बात है। जो मेरे साथ घट चुकी है। हालांकि उस घटना को घटे ज्यादा नहीं कोई हफ्ता भर हुआ है।

मेरा नाम नीरज है मैं कॉलेज में पढ़ाई करता हूं और मेरी उम्र 21 साल है। मैं बहुत ही शर्मिला और कम बोलने वाले स्वभाव का हूं। मेरे परिवार में मेरे पिता मैं और मेरी एक सौतेली मां है। जिनका ववहार मुझसे कोई खराब नही है। मैं अकेला संतान हूं। इसलिए शायद वो मुझसे सगी मां जैसा आदर करती है।

हालांकि मैं अपनी सौतेली मां से भी कम ही बात करता हू। कोई ज़रूरी बात हो तभी या उनका कोई काम हो तभी। मेरे पिता ने 10 साल पहले उनसे शादी की थी क्योंकि मैं उस वक्त बहुत छोटा था और मेरा और घर का ख्याल रखने वाला कोई नहीं था।

जब मेरे पिता ने उनसे शादी की थी तो वो कोई कुंवारी लड़की नही थी। बल्कि वो एक विधवा थी जिनका पति गुजर चुका था और वो भी अपनी जिंदगी में अकेली थी। तो उनके घर वालों ने उनकी शादी मेरे पिता जी से करवा दी थी। मेरे मन में बचपन में ही किसी ने सौतेली मां के लिए मेरे मन में एक क्रूर छवि बना दी थी।

शायद वो बात मेरे मन में कही घर कर गई थी। जिस वजह से मैं उनसे अलगाव ही रखता था। अब उनकी उम्र यही कोई 40-42 साल के आस पास हो गई थी। झूठ क्या बोलना वो मुझसे सौतेली मां जैसा व्यवहार नहीं करती थी। मैं ही उनके साथ सौतेले बेटे जैसा व्यवहार करता था। ज्यादा बात न करना या उनकी बातों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेना।

वो मुझपर अपना लाड प्यार लुटाना चाहती थी लेकिन मैं उनको ज्यादा भाव नहीं देता था। मैं उनके बारे में थोड़ा बता दूं। वो दिखने में ठीक ठाक गोरी चिट्ठी और भरी पूरी एक दम रसदार लगती है। मैं पहले उनके बारे में ये सब गंदी बातें नही सोचता था। लेकिन उस दिन के बाद मैं उनके जिस्म का दीवाना बन चुका हूं।

उनकी मोटी गांड उनके चलने पर थिरकती हुई लंड को न्योता देती है। उनकी चुचियों का आकार बड़ा बड़ा है जो उनके पल्लू से हमेशा आधे से ज्यादा बाहर दिखते है। मैं उनकी चुचियों को कई सालों से चोरी छिपे देखकर अपनी नजरें सेंकता था। लेकिन मैंने कभी ये नही सोचा था की मैं जिन गोरी गोरी चुचियों को अपनी नजरों से देख रहा हूं। वो कभी मेरे हातों में आएंगी।

सब कुछ सही जा रहा था। लेकिन एक दिन दोपहर में ये कांड हो गया और मेरा उनको देखने का नजरिया बदल गया। उस दिन मैं बैठकर टीवी देख रहा था। तभी बाथरूम से मेरी सौतेली मां ने आवाज लगाई। मैंने बाथरूम के बाहर आकर उनसे पूछा की क्या हुआ क्यों बुला रही हो। तो उन्होंने मुझसे कहा तुमने जो कपड़े पहने है। वो कपड़े उतारकर दो धोने है।

मैंने उनको कपड़े देने से मना कर दिया। फिर मेरी सौतेली मां ने कहा अभी मैं गंदे कपड़े धोने बैठी हुई हूं और मैं भीग भी गई हूं। तुम प्लीज अपने कपड़े दे दो। मैं अभी धो दूंगी उनके बार बार कहने पर मैं बाथरुम में घुस गया।

जैसे ही मैं बाथरूम में घुसा तो देखा वो सिर्फ पेटीकोट और काली ब्रा पहने हुई। कपड़े धोने बैठी हुई है और उनका पेटिकोट पूरी तरह से भींग चुका था। उनका पेटीकोट उनकी कमर से उनकी जांघों तक उनके बदन पर चिपका हुआ था और उनके निचले सारे अंग को दर्शा रहा था।

मैं अंदर घुसते ही उनको उस हालत में देखकर बोला जब आप इस हालत में थी। तो मुझे अंदर क्यों बुलाया और मैं जानें लगा। वो हंसकर उठी और बोली अरे कपड़े तो देते जाओ। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ मुझे रोक लिया और मेरे पीछे खड़े होकर अपने हाथ आगे करके मेरे शर्ट के बटन को खोलने लगी। उनकी नियत खराब नही थी वो बस मेरे कपड़े धोने के लिए लेना चाहती थी।

जैसे ही उन्होंने मेरी शर्ट उतारनी शुरू की मुझे एक तेज का करंट लगा। उनकी दोनों चूचियां मेरे पीठ पर चुभ गई और जब तक उन्होंने मेरे शर्ट के सारे बटन नही खोले तब तक उनकी चूचियां ब्रा के उपर से ही मेरे पीठ पर दबी रही। इस एहसास से ही मेरे लंड में जान आने लगी। उन्होंने मेरी शर्ट उतार ली।

मैं जाने लगा तभी उन्होंने कहा अरे तुम्हारी निक्कर भी गंदी है वो भी उतार कर दे दो। मैंने मना किया तो बोली उतारकर दे दो नही तो मुझे अलग से फिर से उसे धोना पड़ेगा। तब भी मैं नहीं माना लेकिन उन्होंने मेरी निक्कर की डोरी खोल दी और निक्कर को खींचकर उतारने लगी।

मैं उनकी जिद्द के आगे अपनी निक्कर नही बचा पाया। अब मेरे खड़े लंड को मेरी चड्डी ने छुपा रखा था। जब वो जिद्द करके कपड़े निकाल रही थी। तब उनकी हाथों में लगे डिटर्जेंट का झाग मेरे पूरे बदन पर लग गया। जिससे मुझे तेज गुस्सा आ गया और मैंने कहा कपड़े ही लेने थे तो आराम से ले लेंती। मुझे भी पूरा गंदा कर दिया आपने इसपर वो हंस पड़ी।

उन्होंने कहा अरे गंदे हो गए हो तो नहा ही लो। तो मैंने भी कहा हां अब तो नहाना ही पड़ेगा। तो उन्होंने कहा अरे एक काम करो अपनी चड्डी भी मुझे उतारकर दे दो। मैं तुम्हारी चड्डी भी धो दूंगी। मैंने थोड़े चिड़चिड़े मिजाज में जवाब दिया अरे आप मांग क्यों रही है। इसे भी उतार ही लीजिए।

तो वो फिर हंस पड़ी। फिर मैंने कहा आप बाहर जाइए मैं नहाऊंगा। तो वो बोली तुम यही नहा लो मैं गीली हूं बाहर जाऊंगी तो हर जगह गीला हो जायेगा। मैं बोला मैं आपके सामने कैसे नहा सकता हूं। वो बोली देखो मेरा भी कपड़ा धोना हो गया है। तुम अपनी चड्डी उतार कर दे दो।

मैंने कहा नही ऐसे आपके सामने कैसे? तो वो बोली मैं दूसरी तरफ घूमकर कपड़े धो लूंगी। तुम दूसरी तरफ होकर चड्डी निकाल दो और नहा भी लेना। मैं तुम्हारी तरफ नही देखूंगी। मैं मान गया वो दूसरी तरफ घूमकर बैठ गई और मैं भी दूसरी तरफ ( ठीक उनके पीछे) खड़ा होकर अपनी चड्डी निकालने लगा।

अपनी चड्डी जैसे ही मैंने उतारी मेरी नजर मेरे खुद के लंड पर टिक गई। मैंने चड्डी अपनी सौतेली मां की तरफ फेंक दी और अपने लंड पर चोरी छिपे अपना हाथ फेरने लगा। उस समय मुझे समझ आ गया की मेरी सौतेली मां को अधनंगे हालत में देखकर मेरे लंड में उबाल आ रहा है।

अब मेरी अपनी सौतेली मां के लिए नियत बिगड़ने लगी। मैं चोरी चोरी अपनी सौतेली मां की नंगी पीठ जिसपर सिर्फ एक ब्रा की काली पट्टी थी। उस नंगे पीठ को देख रहा था। फिर मेरी नज़र उनकी गोरी कमर पर गई जिसपर हल्के रंग की गीली पेटीकोट उनके कमर पर चिपकी हुई थी और सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था।

फिर वो झुककर खड़ी होकर कपड़े खंगालने लगी। जिससे मेरी तो लौटरी ही निकल पड़ी। उनकी गांड की दरार साफ साफ उनके पेटीकोट के अंदर से झलकने लगी। बस नाम के लिए ही उन्होंने पेटीकोट पहन रखा था। मुझे तो उनके पीछे का हिस्सा साफ साफ दिखाई पड़ रहा था।

तभी मैंने अपने शरीर पर पानी डालकर नहाना शुरू किया और अपने नंगे बदन पर साबुन रगड़ने लगा। मैंने अपने शरीर के साथ साथ अपने लंड पर भी खूब साबुन लगाया और एक हाथ से अपने लंड को मुठ्ठी में लेकर हल्का हल्का मुठ मारने लगा। मैं नहाते हुए अपनी सौतेली मां के तरफ देख रहा था।

इसबार जब मेरी नजर उनके तरफ पड़ी तो मैं और ज्यादा हिल गया। वो अभी भी झुककर कपड़े खंगाल रही थी। लेकिन अब उन्होंने अपने दोनों टांग थोड़ी फैला दी थी। जिससे उनकी पेटीकोट उनकी टांगों पर एकदम चिपक चुकी थी। अब उनकी बड़ी गांड की गहरी दरार साफ दिखाई दे रही थी। साथ ही उनकी गांड के नीचे और उनकी दोनों जांघों के बीच उनकी झांटें भी पेटिकोट के उपर से साफ दिखाई पड़ रही थीं।

मेरा दिमाग उस नजारे को देखकर हिल चुका था। तभी मेरी सौतेली मां ने अपनी ब्रा निकाल दी। उनका कपड़े धोने का काम खतम हो गया था। अब वो भी नहाने की तैयारी में थी। जैसे ही उनका ब्रा उनके बदन से अलग हुआ। वैसे ही उनकी बड़ी बड़ी दोनों चूचियां हेंगर पर टांगे किसी कपड़े की तरह उनकी छाती से लटकने लगे।

मुझे उनकी चुचियों का कुछ कुछ हिस्सा साफ नजर आने लगा। मैं चोरी छिपे उनको मुड़ कर देख रहा था। तभी उन्होंने अपनी पेटीकोट की डोरी को खोल दिया और अपनी पेटीकोट को अपनी कमर पर ही छोड़ दिया। मैंने सोचा की डोरी के खुलते ही उनका पेटिकोट नीचे आ जायेगा। लेकिन पेटीकोट गीली होने की वजह से उनके कमर पर ही चिपकी रही।

अब उन्होंने अपने बदन पर पानी डालना शुरू किया और मैंने किसी भूखे मर्द की तरह उनके बदन को ताड़ना शुरू कर दिया। वो अपने बदन पर पानी डालते हुए अपने बदन पर अपने हाथ चला रही थी। जिससे उनके चूड़ियों की खनखनाहट साफ सुनाई दे रही थी। फिर वो अपने बदन पर साबुन रगड़ने लगी।

वो खड़ी होकर नहा रही थी। फिर उन्होंने अपनी पेटीकोट के अंदर अपना हाथ डाल दिया और अपनी जांघों पर साबुन रगड़ने लगी। मुझे उनकी पेटिकोट में घुसा उनका हाथ साफ दिखाई दे रहा था। वो अपने हाथ से जिस जिस अंग पर साबुन लगा रही थी। मैं सब देख रहा था।

मैं भी अपने लंड पर साबुन लगाते हुए अपने लंड पर और ज्यादा झाग बनाने लगा। अब वो साबुन छोड़कर अपने बदन पर पानी डालने लगी तभी उनका पेटीकोट उनकी कमर से सरककर उनकी गांड के नीचे आ गया। उसी वक्त वो फिर से खड़े खड़े झुककर अपने पैरों में साबुन लगाने लगी।

मैं अब उनकी नंगी गांड देखकर पगला सा गया। अब मुझसे बर्दाश्त नही हुआ मैं दबे पांव अपनी सौतेली मां की गांड के पीछे खड़ा हो गया और अचानक से अपना लंड उनकी बुर पर दबाकर उनकी कमर को पकड़कर खड़ा हो गया। मेरा लंड उनकी बुर को छूता हुआ उनकी दोनों जांघों के बीच में था।

वो सकपका चुकी थी। जब तक उनको कुछ समझ आता तब तक मैंने उनका पेटिकोट पकड़ा और उनकी जांघों पर से हटाकर नीचे गिरा दिया। अब उनका पेटिकोट जमीन पर उनकी एड़ियों में फंसा हुआ था।

मैंने एक और बार अपनी कमर को उनकी गांड पर दे मारा जिससे वो आगे हो गई और उन्होंने गिरने से बचने के लिए सामने वाली दीवार पर अपने दोनों हाथ रख दिए। फिर मैंने अपना हाथ अपनी कमर और उनकी गांड के बीच डालकर अपने लंड को पकड़ लिया। फिर मैंने अपने लंड को पकड़कर उनकी जांघों के बीच से उनकी बुर पर लाने लगा।

अब वो समझ चुकी थी। अब वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैंने उनकी कमर के नीचे से अपना हाथ डालकर उनकी कमर को अपनी बांह अच्छे से लपेट रखा था। साथ ही उनके थुलथुले पेट को अपनी मुट्ठी में दबा रखा था। वो बोल रही थी नीरज क्या कर रहे हो मैं तुम्हारी मां हूं मैंने जवाब दिया सौतेली मां हो।

इतना बोलकर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी बुर पर सेट किया और एक ही धक्के में सट से अपना लंड उनकी बुर में उतार दिया। साबुन की वजह से मेरा लंड एक झटके में उनकी बुर में गोटा समा गया। मैंने जिस ताकत के साथ अपना लंड उनकी बुर में पेला वो आआह्ह्हह.. कर एक बार जोर से चिलाई और उस धक्के के साथ उनके बदन की सारी चर्बी थरथरा गई।

मैं ठीक उसी पोजिशन में था। जैसे जब कोई कुत्ता कुतिया को चोदता है तो कैसे उसपर चढ़ा रहता है। मैं ठीक वैसे ही अपनी सौतेली मां के उपर चढ़ा हुआ था। मैं उनकी बुर में धक्के नही मार रहा था। लेकिन अपनी कमर को उनकी गांड और लंड को उनकी बुर में और दबा रहा था।

मैं पीछे से इतना ताक़त लगा रहा था की अब उनका सर और एक गाल दीवार पर चिपक गए थे। वो अपनी बुर में मेरे लंड के बढ़ते दबाव के साथ आह्ह्ह्ह.. आआह्हह… नीरज क्या कर रहे हो आह्ह्हह पागल हो मुझे दर्द हो रहा है। मैं तुम्हारी सौतेली ही सही मां हूं। लेकिन मैंने उनकी बुर में और कसकर अपना लंड दबा दिया।

वो आह्ह्ह्ह्ह.. आआह्ह्ह्ह… कराहती हुई अपनी दोनों हाथों से मेरे कमर को पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन ठीक से उनके हाथ मेरी कमर तक नही पहुंच रहे थे। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से उनकी चुचियों को मसलने लगा।

वो और जोर जोर से आह आह्ह्ह्ह्… कराहने लगी। कराहती हुई बोली आह.. आह कराहती हुई बोली नीरज नही मत करो प्लीज मैंने बोला अभी किया क्या है। वो बोली मां बेटे के रिश्ते में ये सब गलत होता है तुम्हें किसी और के साथ ये सब करना चाहिए। मैं उनकी बातों को अनदेखा किया।

मैंने एक बार में ही अपना लंड सुपाड़े तक उनकी बुर से बाहर किया। फिर मैंने एक झटके में ही उनकी बुर में डाल दिया। लंड अंदर घुसते ही उनकी बुर से हवा बाहर निकली और फुच की आवाज आई । वो लंड अंदर घुसते ही आह.. आआह्ह… की आवाज में कराहने लगी।

मैं उनकी कमर को पकड़कर बिना रुके उनकी बुर में अपने लंड के धक्के लगाने लगा। साबुन की वजह से उनकी बुर और लंड की घिसाव से झाग बाहर निकल रहा था। मैं धक्के पर धक्के लगाने लगा और वो आह…आह… ओह्ह्ह… की कराहें भर रही थी।

जब मैं उनको चोद रहा था तब वो मुझे रुकने और उनको छोड़ने के लिए ढाढस बंधाते हुए रोनी आवाज़ में मुझसे गुहार लगा रही थी। मैं बिना रुके घोड़े जैसे उनकी गांड पर अपनी कमर पर चोट मारते हुए उनकी बुर में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था।

मैंने उनको घोड़ी बनाकर करीब 20 मिनट तक चोदता रहा। अब मैं झडने वाला था। तो मैंने अपना लंड उनकी बुर से बाहर निकाल लिया और उनकी गांड की दरार में रखकर अपनी कमर को आगे पीछे करके अपना लंड रगड़ने लगा। कुछ ही देर में मेरा लंड का सारा वीर्य उनकी कमर पर और उनकी गांड की दरार में भर गया।

मैं थोड़ा हांफ रहा था। मैं पीछे हट गया तब मेरी सौतेली मां भी अजीब तरीके से मुझे देखती हुई अपनी टांगें फैलाए बैठ गई और मग में पानी लेकर अपनी बुर में से साबुन के झाग और अपनी गांड पर लगे वीर्य को साफ करने लगी।

मैं थक गया था लेकिन मेरा उनकी बुर को चोदने का मन था। तो मैंने उन्हें फिर आगे धक्का दिया लेकिन इसबार वो सब जानती थी। उन्होंने अपने आप को संभाल लिया और मुझे पीछे धकेलती हुई । मुड़कर मुझे देखने लगी। मैंने कहा प्लीज़ आप मुझे करने दो नही तो पता नही मुझे क्या हो जायेगा। प्लीज प्लीज़.. कहकर मैं अब उनके सामने गिड़गिड़ाने लगा।

मैं उनके सामने ऐसे गिड़गिड़ा रहा था। जैसे कोई बुखा रोटी के लिए गिड़गिड़ाता है। मैं उनकी बुर के लिए उनके सामने रोने गिड़गिड़ाने लगा। मैंने उनसे कहा अगर आप मुझे करने दोगी। तो मैं अब से आपकी हर बात मानूंगा। आपका हर कहा करूंगा प्लीज आप मुझे करने दो।

शायद वो मेरी बातें सुनकर पिघल गई और शायद न चाहते हुए भी मन मारकर वो बाथरूम के बीचों बीच आकर लेट गई और अपने मुंह पर अपने हाथ को रखकर अपना मुंह ढक लिया। अब मैं समझ गया की वो मान गई है।

मैं उनकी तरफ गया और उनके पास जाकर उनके बगल में लेट गया। फिर मैंने उनकी टांगों पर अपनी एक टांग चढ़ा दी। फिर मैं अपने हाथों को उनके पेट और उनकी छाती पर चलाते हुए उनके बदन के हर हिस्से को सहलाने लगा। फिर मैंने उनकी एक एक निप्पल को पिंच करना शुरू कर दिया और बारी बारी से उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर उनके निप्प्लों को चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी उंगली उनकी बुर के अंदर करने लगा। बुर में उंगली जाते ही वो लंबी गहरी सांसे लेने लगी और धीरे धीरे अपनी टांगें खोलने लगी। अब मेरा लंड बिलकुल तैयार था तो मैं धीरे से अपनी सौतेली मां के उपर चढ़ गया और अपना लंड उनकी बुर में डालकर अपनी टांगें सीधी करके अपनी कमर आगे पीछे करके अपना लंड उनकी बुर में चोदने लगा।

मेरे हर धक्के से उनकी दोनों चूचियां और उनके बदन की चर्बी ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे हिलने लगी। साथ ही मेरे धक्कों से उनका थुलथुला पेट उपर नीचे थिरकने लगा। साथ ही चुदाई की आवाज के साथ वो आह.. आह.. ओह ओह्ह्ह्ह…. करने लगी। मैं उनकी बुर चोदते हुए उनके उपर लेट गया। मैं उनकी चुदाई करते हुए ही उनकी दूधो को पी रहा था।

और उनका हाथ उनके चेहरे से हटकर उनके होठों को अपनी होठों में भरकर चूसने लगता। आधे घंटे तक मैं रुक रुक कर उनको चोदता रहा। कभी कभी मैं उनकी बुर पर ध्यान देकर अपना लंड उनकी बुर में चोदता तो कभी उनके बदन के दुसरे हिस्सों से खेलता। मैं कस कसकर उनकी निप्पलों को अपने होठों में दबकर मसलता जिससे वो एकदम तड़प जाती।

रुक रुक के उनकी बुर की चुदाई करने के कारण मैं जल्दी नही झड़ रहा था। बाद में मैंने उनको अपनी बांहों में अच्छे से जकड़ लिया। फिर मैंने उनकी बुर में लम्बे लम्बे धक्के लगाने शुरू कर दिए। उसके थोड़ी देर बाद मेरी सौतेली मां ने भी मुझे अपनी बांहों में घेर लिया और अपनी टांगों को मोड़कर फैलाते हुए।

मेरे हर धक्के के जवाब में आन्ह्ह्ह… आन्ह्ह्ह्ह… कराहती हुई आवाज निकल रही थी। उनकी कराहें सुनकर मुझे अपनी मर्दानगी का एहसास हो रहा था। उनकी चूचियां मेरे सीने पर दबी हुई थी और उनकी गर्म सांसें मेरे कान पर आ रही थी। मेरे तेज धक्कों पर वो अपने हल्के नाखून मेरे पीठ पर गाढ़ रही थी।

अंत में मैं अब झड़ने वाला था। मैंने उनकी बुर से अपना लंड निकालना चाहता था लेकिन उन्होंने मुझे उस वक्त अपनी बांहों में जकड़ रखा था। जिससे मैं उनके ऊपर से हट नही पाया और धक्का मारते हुए मैं उनकी बुर में ही झड़ गया। कुछ देर मैं वैसे ही उनकी बुर में लंड डाले लेटा हुआ था। अब उनकी पकड़ ढीली हो गई थी और उनकी टांगें सीधी हो गई थी।

अचानक से मुझे उनकी बुर में अपने लंड पर कुछ गरम जैसा लगा। मैं समझ गया की वो भी में साथ ही झड़ गई थी। फिर मैं उनके ऊपर से हट गया और उनके बगल में लेट गया। हम दोनों गहरी गहरी सांसें ले रहे थे। थोड़ी देर हम दोनों चुपचाप एक साथ लेटे रहे।

थोड़ी देर बाद मैने अपना एक हाथ उनकी चूची पर रखा और हल्का हल्का दबाने लगा। उन्होंने कोई जवाब या रोक टोक नही किया। मेरा लंड फिर उतावला होने लगा। मैंने आगे देखा तो मेरी नजर साबुन पर पड़ी तभी मुझे एक आईडिया आया। मैंने अपनी सौतेली मां के बदन को फिर से छुने और उनके बदन को चूमने चाटने लगा।

मैं फिर से उनका मूड बनाने लगा। वो बिना कोई रुकावट बने मुझे सब कुछ करने देने लगी। मैं जिधर चाहे उनको घूमता और उनके बदन के हिस्सों, कूल्हों और उनके बगलें चूमने चाटने लगा। वैसे ही मैंने उनको चूमते चाटते हुए उल्टा कर लेटा दिया। वो अब पेट के बल अपनी गांड उपर घुमाकर लेटी हुई थी।

उनका चेहरा नीचे होने के कारण वो कुछ देख नही पा रही थी। मैंने चुपके से साबुन उठा ली और एक हाथ से उनके पीठ और गांड को सहलाते हुए चुपके से एक हाथ से अपने लंड पर फिर साबुन लगाकर अपने लंड पर चिकनाहट बनाने लगा।

उनको कोई भनक नहीं थी मैं क्या करने वाला था। मैंने उनकी दोनों टांगों को सीधा करके आपस में चिपका दिया। और मैं उनकी जांघों के दोनों तरफ घुटनों के बल बैठ गया। फिर मैंने अपना एक हाथ उनकी चूंची के बगल में रखकर अपने शरीर का भार संभाला और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ के अपनी सौतेली मां के गांड की छेद पर निशाना साधने लगा।

फिर मैंने एक झटके में अपनी कमर नीचे दबा दी। पहले मेरा लंड मेरी सौतेली मां की गांड की दरार के बीच में घुसा और फिर मेरा लंड उनकी गांड की छेद पर लगा। मैंने समय न देते हुए धोखे से अपना लंड उनकी गांड में ताकत के साथ दबा दिया। वो एकदम से चीख पड़ी आ.. आ आह…आआह्हह … उनको इतना तेज दर्द हुआ की उन्होंने पीछे से अपनी पूरी टांग और कमर के उपर के बदन को हवा में उठा लिया।

और जोर जोर से रो रोकर आह… आह्ह्ह्ह्ह…. कराहने लगी। मैंने उनकी टांगों को अपनी टांगों से दबा दिया और उनके पीठ को अपनी छाती के भार से दबा दिया। मेरे कमर के भार से मेरा लंड धीरे धीरे उनकी गांड में घुसता गया। कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ को अब लंड पूरा का पूरा उनकी गांड में जा चुका है।

मैंने अपनी कमर उठा उठा उनकी गांड को चोदना शुरू कर दिया। वो ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी। लेकिन मैं नही रुका और उनकी गांड में अपना लंड नचा नचाकर डाल रहा था। सच कहूं मुझे अपनी सौतेली मां की गांड मारने में जितना मजा आ रहा था। उतना मजा उनकी बुर चोदने में भी नही आ रहा था।

मैं 15 मिनट तक बिना रुके उनकी टाईट गांड मारता रहा। फिर मैं उनकी गांड में ही झड़ गया। पता नही उस दिन मुझमें इतनी ताक़त कहा से आ रही थी की झड़ने के बाद फिर मेरा लंड खड़ा हो जा रहा था। मैंने तीन बार उनकी गांड मारी पहली बार धोखे से, दूसरी बार जबरन और तीसरी बार तक वो थक कर मुरझा गई थी,

आखिरी बार उनकी गांड चोदने के बाद मैं उनकी हालत देखकर रुक गया वो एकदम बेजान सी बाथरूम में पसरी हुई थी। उनकी गांड की छेद बड़ी हो गई थी और लाल हो गई थी। मैं उठकर अपने रूम में चला गया और दिनभर उनके सामने नहीं आया। रात को उनका मैसेज आया जिसमे लिखा था।

” आज जो हुआ वो गलत था। लेकिन इस बात का ज़िक्र कभी किसी के साथ मत करना। मुझे पता है को तुम अब बड़े हो चुके हो और तुम्हें बार बार ये सब करने का मन करता होगा। लेकिन प्लीज आगे से ये सब करने से पहले मुझसे पूछ लेना। मुझसे सही से चला नही जा रहा है मेरी गांड में दर्द हो रहा है प्लीज़ दर्द की दवा ला दो और वादा करो ये बात हमदोनो के बीच ही रहेगी।”

मैंने जवाब दिया ठीक है मां “
उनका जवाब आया क्या मां। बहुत अच्छा लगा तुमने मुझे मां कहा तो अब जल्दी से दर्द की दवा ला दो बेटा!
मैंने कहा अब जब मुझे आपसे सेक्स करने का मन करेगा। तो मैं पहले आपसे बात करके अपनी सहमति लूंगा। तब ही कुछ करूंगा और आज की जोर जबर्दस्ती के लिए सॉरी मां।।
उनका जवाब आया ठीक है बेटे!! कोई बात नही आज कैसा लगा तुमको मेरे साथ सेक्स करके? मर्द बन गए न बच्चे।

मैंने कहा ‘ जी ‘ आज समझ आया की औरत की बुर में लंड डालने से मन और बदन को कितना सुकून मिलता है।
उनका जवाब आया:- 😉😉😄😄
इस तरह मैंने अपनी सौतेली मां को चोदा और सारी घटना को सौतेली मां की गरम चुत चुदाई के नाम से आप सभी के सामने ला दी। दोस्तों मैंने हफ़्ते भर पहले अपनी सौतेली मां को चोदा था तब से दो तीन दिन तक उनकी गांड में दर्द था। तो मैंने उनको सेक्स के लिए नही टोका लेकिन उसके बाद ही उनका महीना चालू है और उनकी तबियत भी अभी ठीक नही है। जिस वजह से मैं उनको उस दिन के बाद से दुबारा अभी तक चोद नही पाया हूं।

दोस्तों उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। पहली कहानी है इसलिए भूल चूक माफ करिएगा। मैं इस website का नियमित पाठक हूं। मेरी कहानी आप सभी के सामने लाने के लिए मैं इस website:- sexykahani का धन्यवाद करता हूं।

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