सगी बुआ को पकड़कर सारी रात चोदा-2

दोस्तों आप सब ने पिछली कहानी में पढ़ा की कैसे मैंने अपनी बुआ को छिपकर नंगा नहाते हुए देखा और कैसे मैंने अपनी सगी बुआ को पकड़कर सारी रात चोदा चलिए अब मैं आगे की कहानी बताता हूं।

उस रात एक बार बुआ को चोदकर मैं उनकी चुत में ही झड़ चूका था। उसके बाद मैं उनके साथ उनके बगल में लेट गया और उनसे गंदी गंदी बातें करने लगा। बुआ अभी भी रोती हुई अपने आंखों से आंसू बहा रही थी और घिंन भरी निगाह से मुझे देखती हुई। बुदबुदाते हुए मुझे गालियां दे रही थी। उनके हाथ अभी भी उनकी पीठ के पीछे बंधे हुए थे।

मुझे उनकी नाराज़गी साफ समझ आ रही थी। पर हाथ आए माल को मैं इतनी आसानी और जल्दी कैसे छोड़ सकता था। मैंने सोच लिया की इसबार बुआ को गरम और कामुक करने की कोशिश करूंगा और तब भी अगर वो चुदने के लिए अपने मन से राजी नहीं हुई तो फिर इसबार भी मैं उनको जबरदस्ती चोदूंगा।

सगी बुआ को पकड़कर सारी रात चोदा-2

मैं उनके बगल में लेटा हुआ तो था ही मैं उनकी तरफ मुड़ गया और अपने होठों को उनके होठों पर रखकर किश करना चाहा पर वो अपना चेहरा हिलाने लगी। फिर मैंने अपने एक हाथ से उनके गालों को दबा दिया और फिर मैंने अपने होंठ को उनके होठों पर कसकर जमा दिए।

फिर मैं उनके होठों को किश करने लगा। मैंने काफी लंबे समय तक बुआ के होठों को किश किया जिससे उनके गुलाबी होंठ लाल हो गए मैं एकदम पेशनेट किश कर रहा था। ताकि बुआ गरम होकर अपनी मर्जी से मेरे साथ सेक्स करे पर उनके होठों से मेरे मेरे होठ हटते ही फिर से उनका विरोध शुरू हो गया।

मैंने फिर से एक चांस लिया अब मैं उनकी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ घुसाकर अपनी दो उंगलियों को उनकी चुत में डाल दिया। फिर मैंने अपने होठों में उनके दोनों निपल्स को लेकर बारी बारी से चूसने लगा और साथ ही मैं उनकी चुत में ऊंगली भी करने लगा।

मैं उनकी मोटी मोटी बूब्स को मसलते हुए उनकी निप्पलों को बड़े प्यार से बुआ को बिना कोई तकलीफ़ दिए चूस रहा था शायद बुआ मेरी नर्मी वाले व्यवहार से मान जाए। बुआ ने मेरी नजरों से अपनी आखें चुराकर अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ रखा था।

मैं तेज़ी से बुआ की चुत में उंगली डाल रहा था। उनकी चुत से अब पच.. पच… की आवाज आने लगी थी। अब बुआ के भी तेवर बदल रहे थे। अब बुआ झड़ने वाली थी तो मैं उनकी चुत में और तेजी से ऊंगली को अंदर बाहर करने लगा। बुआ ने अपनी क़मर को ऊपर उठाना शुरू कर दिया और मैं उतनी ही तेजी से ऊंगली को उनकी चुत के अंदर बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में बुआ आह…आह… करती हुई अपनी क़मर ऐठ ऐठ कर झटकों के साथ झड़ गई। अब मुझे लगा की बुआ अब गरम होकर झड़ी है तो अब शायद अपनी मर्जी से मेरे साथ सेक्स करने के लिए मान जाएगी। लेकिन मेरा यकीन गलत साबित हो गया।

जब वो पूरी तरह झड़ कर शांत हो गई तो फिर से उनका विरोध शुरू हो गया। इसबार वो मुझे और गंदी गंदी गालियां और जली कटी सुनाने लगी। और उन्होंने मुझे एक लात मारी जो मुझे काफी जोर से लगी। जब मेरा दर्द कम हुआ तो मुझे बुआ पर बहुत तेज़ गुस्सा आया।

मैं उनकी तरफ देखते हुए बोला साली… मादरचोद… रंडी… देख अब मैं तेरी कैसे लेता हूं। मैंने उनके दोनों टांगों को पलंग के दोनों पौवो से बांध दिया और उनकी चुत के वीर्य को कपड़े से पोंछ कर साफ किया और कपड़े का थोड़ा हिस्सा उनकी चुत में घुसा दिया ताकि उनकी चुत के अंदर का सारा वीर्य कपड़ा सोंख ले।

अब उनकी चुत एकदम अंदर और बाहर से साफ हो गई। फिर मैंने उसी कपड़े से अपने लंड को भी साफ कर लिया। जिससे मेरे लंड पर की चिकनाई पूरी तरह हट जाए। अब मैं अपना लंड पकड़कर बुआ के दोनों फैले हुए टांगों के बीच बैठ गया।

मैंने अपने लंड को बुआ की चुत पर लगाया और हल्का सा अंदर ठेला पर लंड और चुत में चिकनाई न होने के कारण मेरा लंड बुआ की चुत के अंदर नही गया लेकिन दर्द से बुआ सिहर उठी और थोड़ी चिल्लाई भी पर मैं उस रंडी की चुत में बिना थूक लगाए लंड घुसाना चाहता था की ताकि उसे भी तेज दर्द का एहसास हो।

मैंने अपने लंड को अपनी मुठ्ठी में कसकर पकड़ा और बुआ के उपर लेट गया। फिर मैं अपनी मुट्ठी को ढीला करते हुए अपने लंड को बुआ की चुत में दबाने लगा। बुआ रोने लगी और दर्द के मारे चिंखने लगी पर मैंने अपने हाथ से बुआ का मुंह दबा रखा था। ताकि उनकी चीख न निकले पर दर्द के मारे बुआ की आंखे बड़ी बड़ी और मुंह लाल हो गया था।

बड़ी तकलीफ के बाद मेरे मोटे लंड का सुपाड़ा बुआ की चुत में घुस गया। अब मैंने उनके मुंह पर कसकर अपना हाथ रखा और एक दमदार धक्का मारा जिससे मेरा लंड बिना किसी चिकनाई के उनकी सुखी चुत को फाड़ता हुआ अंदर तक घुस गया। उस दर्द और शॉक के मारे बुआ बेहोश सी हो गई।

अब मैं बुआ के उपर चढ़ा अपनी कमर उपर नीचे करके अपना मोटा लंबा लंड उनकी चुत में पेलने लगा। मुझे भी उनकी सुखी चुत में लंड घुसाने में दिक्कत हो रही थी मुझे ज्यादा ज़ोर लगाना पड़ रहा था और बुआ की चुत की अंदर की चमड़ी भी मेरे लंड से चिपककर अंदर बाहर खींच रही थी।

मैं अभी भी बुआ के मुंह को दबा कर जितनी तेजी में उनकी चुत मार सकता था मार रहा था। बुआ मेरे नीचे बेहोश पड़ी थी। मेरे लंड के रफ्तार से उनकी चुत चरमराने लगी थी। फिर कुछ तेज धक्कों के बाद उनकी चुत गीली होकर चुदाई की ताल में ताल मिलाकर पच… पच….. की आवाज करने लगी।

बुआ बेहोशी में ही झड़ चुकी थी अब मुझे उनकी चुत में लंड घुसाने के लिए कम ज़ोर लगाना पड़ रहा था। मैं उनकी चुत में धक्के पर धक्का मारता रहा और बुआ के बदन को झकझोरता रहा। कुछ मिनटों बाद मैं झडने को आ गया और मैंने कस कसकर दो – चार धक्के लगाए और फिर बुआ को कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया

अब मेरा लंड अपना वीर्य निकालकर बुआ की चुत में भरने लगा। जब मेरे लंड का गरम वीर्य बुआ की चुत में गिरने लगा तो बुआ को होश आने लगा। बुआ अभी भी मुझे गुस्से से देख रही थी फिर उन्होंने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया और अपनी नाकामी का शोक मनाते हुए आंसू बहाने लगी।

अब मैं थक चुका था और उस वक्त चुदाई का कीड़ा मुझमें शांत हो गया था। फिर मैंने अपना लंड बुआ की चुत से निकाला और पलटकर उनके बगल में लेट गया। मैंने बुआ के हाथ और पैर खोल दिया। जैसे ही बुआ आजाद हुई वो तुंरत उठी और मुझे फिर से एक बार लात मारती हुई नंगी बिस्तर से कूदी और मुझे गालियां देती हुई अपने कपड़ों को जमीन पर से उठाने लगी।

मैं मुस्कुराते हुए उनकी तरफ जंग जीतने वाली मुस्कान के साथ अपने खड़े लंड की मुट्ठ मारता हुआ उन्हें दिखाने लगा। बुआ जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी। फिर उन्होनें अपनी चड्डी उठाई तो देखा उनकी चड्डी फटी पड़ी थी और पहनने लायक नहीं थी। गुस्से में उन्होंने अपनी फटी चड्डी को मेरे मुंह पर फेंक दिया।

मैं मुस्कुराता हुआ उन्हें अपना खड़ा और मोटा लंड दिखा रहा था। उसके बाद वो हल्की लंगड़ाती हुई मेरे कमरे से चली गई। अगली सुबह हम सभी को एक रिश्तेदार के यहां शादी में जाना था। मैं मन ही मन बहुत खुश था क्योंकि मैं अब बुआ की चुत जीत चुका था और अपनी सालों की चुदाई की भड़ास बुआ की चुत पर निकाल चुका था।

भोर होने वाली थी और मुझे काफी तेज नींद आने लगी उसके बाद मैं सो गया। अगली सुबह जब मैं उठा तो 8 बज रहे थे। मुझे मेरे कमरे के बाहर कुछ आवाजें सुनाई दी। मैंने ध्यान देकर सुना तो मेरी मम्मी हड़बड़ाहट में बुआ को जल्दी तैयार होने को कह रही थी। तभी बुआ ने मम्मी को कहा की नही भाभी आप लोग जाओ मैं नहीं जाऊंगी।

मम्मी ने बुआ से पूछा की क्यों अचानक शादी में जानें से मना क्यों कर रही हो। तो बुआ ने कहा नही भाभी बस थोड़ी तबियत ठीक नहीं है। मैं मन ही मन सोंच रहा था की मम्मी कही खोद खोदकर बुआ से उनकी तबियत के बारे में न पूछे नही तो बुआ अगर कल रात की सच्चाई बता देगी तो न जाने मम्मी, पापा मेरी क्या हालत करेंगे।

मैं समझ चुका था की बुआ का कल रात वाली बात से मुड़ खराब है। इसलिए वो शादी में जानें से मना कर रही है। तभी मम्मी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया फिर मैंने दरवाजा खोला मम्मी ने कहा की अभी तक तू सो रहा है। जल्दी तैयार हो जा हमे जल्दी निकलना है नही तो रास्ते में ज्यादा ट्रैफिक मिलेगा।

तभी मैंने मम्मी से कहा मम्मी मुझे कॉलेज के जरूरी प्रोजेक्ट पर काम करना है। और मेरे पास टाइम कम है मैं नहीं जा पाऊंगा। मेरी बात सुनकर बुआ चौंक कर सहम गई और मेरी तरफ देखने लगी। मम्मी ने कहा क्या है सभी अहम वक्त पर मना कर रहे है।

फिर मम्मी ने कहा ठीक है तेरी बुआ भी नही जा रही है। तू जरा सही से घर की देख भाल करना। ज्यादा देर बाहर मत रहना मैंने कहा ठीक है मम्मी उसके आधे घंटे के बाद मम्मी,पापा और बुआ का बेटा कार से चले गए।

अब पूरे घर में बुआ और मैं हम दोनों ही थे। मैं कल रात की थकान और नींद पूरी न होने की वजह से बुआ की चुत चुदाई के नजारे याद करते हुए फिर सो गया। करीब 11 बजे मेरी आंख फिर खुली तो मैं अपने कमरे से बाहर आया तो देखा मेरी बुआ किचन में काम कर रही थी। मैं कुछ देर खड़े होकर काम करती बुआ की हिलती हुई बड़ी गांड को ताड़ता रहा।

उसके बाद मैं फ्रेश होने बाथरुम में चला गया जब बाथरुम में मेरा ध्यान मेरे लंड पर गया तो देखा अभी भी बुआ की चुत का वीर्य मेरे झांटों पर सुखा हुआ है। फिर से मेरे मन में कल रात वाली बुआ की चुदाई का सारा सीन याद आ गया।

देखते ही देखते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तभी मुझे याद आया की बुआ और मैं घर में अकेले है नही हमें कोई रोकने वाला है न ही कोई देखने वाला है। मैंने बाथरुम में ही अपने सारे कपड़े उतारे और बिलकुल नंगा हो गया।

मैं बिना कपड़ो के बिलकुल नंगा किचन की तरफ बढ़ने लगा। बुआ अभी भी किचन में काम कर रही थी। मैं थोड़ी देर चुपचाप उनके पीछे खड़ा होकर उनकी मटकती हुई बड़ी गांड को निहारता रहा। मैं बुआ की नंगी गांड को बाथरुम में नहाते वक्त देख चुका था। आज मौका था उस बड़ी गांड को चोदने का।

मेरा लंड खड़ा होकर बिलकुल सीधा हो चुका था और बुआ की गांड की तरफ इशारा कर रहा था। मैंने अचानक पीछे से जाकर बुआ को पकड़ लिया। जिससे बुआ बुरी तरह डर कर चौंक गई और मुझसे छुटने के लिए धक्का मुक्की करने लगी।

लेकिन मैंने एक हाथ से उन्हें किचन की रेख पर दबा दिया और एक हाथ से पीछे से उनकी नाईटी को उपर उठा दिया। अब मुझे बुआ की आधी गांड दिखाई देने लगी। बुआ अभी भी छुटने की कोशिश कर रही थी। मैंने उनकी चड्डी को पीछे से उनकी क़मर से पकड़ा और उनकी चड्डी को एक झटके में खींचकर उनकी जांघों तक उतार दिया।

अब मुझे बुआ की बड़ी सी नंगी PAWG गांड साफ नंगी दिखाई पड़ने लगी। मैंने उन्हें आगे से किचन की रेख़ पर दबा रखा था पीछे उनकी कमर ऊंची होने की वजह से उनकी गांड के दोनों हिस्से थोड़े एक दूसरे से अलग अलग हो चुके थे। मुझे अब बुआ की गांड के दोनों फांकों के बीच की गुफा और उनकी गांड की छेद साफ दिखाई पड़ रहे थे।

अब मैं अपना नंगा खड़ा लंड उनकी गांड की गुफा में घुसाकर मज़े लेने लगा। अब मैं उनकी गांड की दरार में अपना लंड रगड़ रहा था जिससे मेरे लंड की चमड़ी आगे पीछे सरकती हुई उनकी गांड की छेद को रगड़ रही थी। फिर मैंने अपने मुंह से ढेर सारा थूक उगला और अपने लंड के टोपे पर मलते हुए अपना लंड बुआ की गांड की छेद पर लगा दिया।

मैंने थोड़ा जोर लगाकर अपना लंड बुआ की गांड में धकेला जिससे बुआ चीख पड़ी और फुट फुटकर रोने लगी। मैं समझ गया की थूक से काम नहीं चलेगा। तो मैंने किचन में पड़ी सरसों की तेल की डब्बी उठानी चाही पर बुआ पर से मेरी पकड़ ढीली हो गई।

जिससे बुआ मेरी पकड़ से भागी लेकिन उनकी टांगों में चड्डी फंसे होने के कारण वो तेज़ी से भाग नही पाई और मैंने उनको किचन के दरवाज़े पर ही पकड़ लिया उनके भागने से मुझे बहुत गुस्सा आया और वो फिर से मुझसे छुटने के लिए धक्का मुक्की करने लगी। मेरा गुस्सा और तेज हो गया जिससे मैंने अपने एक पैर से उनकी जांघों पर फंसी चड्डी को दबाकर पूरा निकाल दिया।

फिर मैंने गुस्से में उनकी नाईटी को पूरा उपर उठाकर उनके बदन से पूरा निकालकर दूर फेंक दिया और अपने दोनों हाथों से उनकी ब्रा को एक झटके में चीर फाड़ कर उनको उपर से भी बिलकुल नंगा कर दिया। बुआ अब तेज़ आवाज़ में रोने गिड़गिड़ाने लगी। पर उनका रोना सुनने वाला वहां कोई नहीं था। वो मुझे छोड़ दे… रोहित…प्लीज…. मुझे छोड़ दे…. कुत्ते… मादरचोद…. छोड़ दे।

मैंने उनको कहा मैं मादरचोद नही बुआचोद हूं। फिर मैंने उनको आगे से किचन की रेक पर झुकाकर दबा दिया और अब सरसों की तेल की डिब्बी लेकर अपने लंड पर सरसों का तेल लगाने लगा। फिर मैंने तेल से लिपटी हुई अपनी एक उंगली को बुआ की गांड की छेद में डाल दिया।

बुआ की गांड में उंगली डालते ही मैं समझ गया की साली की गांड कितनी टाईट है। इतना मोटा लंड कैसे सहेगी गांड में पर उस वक्त मुझे बुआ की टाईट गांड मिली थी मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती थी। मैंने अपना लंड पकड़ा और सीधे बुआ की गांड की छेद पर लगा दिया।

अब मैं बुआ की गांड की छेद पर अपने लंड का पूरा ज़ोर लगाकर लंड को उनकी गांड में डालने में जुट गया। बुआ की गांड इतनी टाईट थी कि मेरे लंड पर जोर पढ़ने लगा और मेरे लंड की सभी नसें फूल गई।

मैंने और ज्यादा ज़ोर लगाया जिससे मेरे लंड के टोपे के दबाव से बुआ की गांड की छेद थोड़ी खुली और घप्प की आवाज के साथ मेरे लंड का टोपा बुआ की गांड में घुस गया। मैंने थोड़ी देर सांस लेने के बाद अपने दोनों हाथों से बुआ को आगे से पकड़कर किचन की रेख पर दबा लिया।

फिर मैं धीरे धीरे अपनी कमर को बुआ की गांड पर दबाने लगा और मेरा मोटा तगड़ा लंड धीरे धीरे बुआ की गांड में सरकने लगा। इतने में ही बुआ की गांड की मां चुद गई बुआ का चेहरा दर्द से लाल हो चुका था और आंसू से पूरा चेहरा गीला हो चुका था। उनके मुंह से लार थूक निकालकर उनके चेहरे और किचन की रेक़ पर फैल रहा था।

जैसे ही मेरे लंड का बीच वाला मोटा हिस्सा बुआ की गांड में गया बुआ आह…ह.ह… ह आह… माआआ… आ.. चिलाने लगी मैंने देखा बुआ की गांड की छेद से थोड़ा सा खून निकल रहा था। और अब उनकी गांड की छेद 1 सेंटीमीटर से फटकर 4 इंच की हो चुकी है।

अब मैं बिना रुके आधे लंड से ही बुआ की गांड मारने लगा। बुआ की कराह निकल रही थी साथ ही वो रो रही थी और मुझे कोसती हुई अपनी बेबसी पर रोए जा रही थी।

मैंने करीब 20 मिनट तक मैं आधा लंड घुसकर उनकी गांड को चोदता रहा उनकी गांड काफी टाईट थी। अब मैं झडने वाला था जिससे मेरे अंदर तेज उत्तेजना आ गई और मैं हुमच हुमच कर अपनी कमर चलाने लगा और पता ही नही चला की कब मेरा लंड बुआ की गांड में पूरा जाने लगा। मैं तेज़ी से बुआ की गांड में धक्के मारने लगा। और एक ज़ोर की कराह के साथ ही बुआ की गांड में ही ढेर हो गया।

फिर मैंने अपना लंड बुआ की गांड से निकाल लिया बुआ की 4 इंच की गांड की छेद अब धीरे धीरे सिकुड़ने लगी और मेरा वीर्य बाहर निकालने लगी। मैंने जैसे ही बुआ को छोड़ा बुआ लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गई और दर्द से हल्की आवाज में कराहने लगी।

बुआ की गांड चोदने में मेरी भी बहुत एनर्जी लॉस हो चुकी थी मैं भी वही बुआ की टांग पर अपनी टांग चढ़ाकर उनके चुचियों को पीते हुए लेट गया। करीब दोपहर के दो बजे जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा बुआ अभी भी वही मेरे बगल में अपनी पीठ मेरी तरफ करके लेटी हुई थी।

कुछ देर मैं उनके नंगे बदन को निहारता रहा फिर से मेरे लंड में खलबली मच गई। मैंने बुआ को अपनी गोद में उठाया और अपने कमरे में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। बुआ फिर समझ गई की मैं उनको फिर से चोदने की तैयारी में हूं। दर्द और थकान के मारे वो कुछ बोल नहीं पा रही थी।

बस अपने हाथों से अपनी चुत और अपनी चूंचियों को ढकते हुए न में सर हिला रही थी। पर मेरा लंड बिना चुदाई किए शांत नहीं होने वाला था। तो मैंने बुआ की दोनों टांगों को फैला दिया और उनकी टांगों के बीच आकर मैं बुआ के उपर लेट गया और धीरे से अपने लंड को बुआ की चुत में डालकर धीरे धीरे बड़े आराम से अपनी कमर ऊंची नीची करके उनकी चुत में अपना लंड डालने लगा।

मैं उनके उपर लेटा हुआ था जिससे मेरा चेहरा उनके चेहरे के पास था मैं उनके गालों और होठों को आराम से किश करते हुए आहिस्ते आहिस्ते अपनी कमर उपर नीचे करके अपने लंड को बुआ की चुत में चोद रहा था। थकी होने के कारण वो मेरा विरोध भी नही कर रही थी। मैं बड़े जेंटल और सॉफ्टकोर तरीके से बुआ को चोद रहा था।

इस बार बुआ जल्दी जल्दी दो बार झड़ चुकी थी। उनकी चुत गीली होने की वजह से मैं भी तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा और 5 मिनट के बाद मैं भी बुआ की चुत में ही झड़ गया। जब मेरे लंड का सारा वीर्य बुआ की चुत में निकल गया तो मैंने अपना लंड उनकी चुत से निकाल लिया।

उसके बाद मैं उठकर बाथरूम में चला गया और नहा धोकर बाजार घूमने चला गया। कुछ दोस्तों से मिला और बाजार में सैर सपाटा करने के बाद जब घर लौट रहा था। तब मैंने मेडिकल से सेक्स की टेबलेट्स ले ली और शाम के करीब 7 बजे तक मैं घर आ गया।

घर पहुंचते ही मैंने इधर उधर बुआ को खोजा पर बुआ कही नही मिली। फिर जब मैं अपने कमरे में गया तो देखा मैं जिस हालत में बुआ को छोड़कर गया था। बुआ उसी हालत में बिस्तर पर अभी भी नंगी पड़ी सोई हुई थी। मैंने जब करीब जाकर देखा तो बुआ के चेहरे पर सूखे आंसू के निसान थे।

उनकी चुत के छेद से अभी भी सफ़ेद वीर्य की बूंदे बाहर आ रही थी। और बुआ बहुत कमज़ोर और थकी लग रही थी। मैं किचन में गया और उनके लिए खाना निकालकर लाया जिसमें मैंने पहले से ही सेक्स की टेबलेट्स मिला दी थी।

मैंने उनको जगाया वो जाग गई लेकिन जब मैंने उनको खाना खाने को कहा तो वो मुझे देखते ही फुट फुटकर रोने लगी बहुत समझाने पर उन्होंने खाना खाया और फिर ताकत की कमी होने के कारण वही उसी नंगी हालत में लेट गई।

मैं जानता था की सेक्स की टेबलेट एक घंटे में अपना असर दिखाना चालू कर देगी। इसलिए मैं पहले से तैयार हो गया। मैं भी जल्दी जल्दी खाना खाकर अपने कमरे में आकर अपने सारे कपड़े उतारे और बिलकुल नंगा होकर बुआ के बगल में लेट गया।

ठीक एक घंटे में बुआ के माथा और पूरा बदन पसीना पसीना हो गया। बुआ की नींद भी खुल गई थी। मैंने जान बूझकर अपना एक हाथ बुआ के सीने पर रखा जिससे बुआ मेरी तरफ पलटी फिर हम दोनों की नज़रे आपस में मिली मैं अपना चेहरा उनके चेहरे के पास ले गया। और अपने होठों को उनके होठों पर रखकर उन्हे किश करने लगा बुआ भी मेरा साथ देने लगी।

उन्हे देखकर साफ समझ आ रहा था वो गरम हो चुकी थी लेकिन वो सिर्फ मेरे सेक्स की टेबलेट की असर से मुझे चोदने दे रही थी। बुआ अब अपनी मर्जी से मुझे चोदने दे रही थी। मैंने उनको उस रात भी सारी रात चोदा और अपना बीज उनकी चुत में डालता रहा।

चार दिन तक मेरे मम्मी,पापा और बुआ का बेटा नहीं आने वाले थे। मेरे पास अब चार दिन और चार रातें थी। मैंने बुआ को बिना बताए सेक्स की टेबलेट खिला खिलाकर चार दिन तक चोदा इन चार दिनों में मैंने अनगिनत बार अपना लंड बुआ की चुत और गांड़ में झड़ा लगातार चार दिन की चुदाई के बाद बुआ का पूरा बदन टूट चुका था।

मैंने चुदाई के वक्त उनके बूब्स को दांतों से बहुत दबाया और खरोंचा था। जिसके लाल लाल निशान उनके चुचियों पर थे। और उनके नाखूनों के निशान मेरी पीठ पर थे। मैंने उनकी निप्पलों को चूस चूसकर लंबा कर दिया था।

जब हमारे घर वाले वापस आ गए तब सब कुछ बंद हो गया और सब कुछ पहले जैसा हो गया। उसके बाद बुआ और मैं दूर दूर रहने लगें। करीब 20 दिनों बाद बुआ फिर एक रात बुआ चुपके से मेरे कमरे में आई और बोली रोहित मेरा इस बार महीना नही आया।

मैंने कहा – तो? बुआ बोली – तेरा बचा मेरी कोँख में ठहर गया है। मैं मां बनने वाली हुं।
बुआ बोली – जल्दी ही हमें कुछ करना होगा वरना लोग सवाल उठाएंगे की बिना पति के मैं मां कैसे बन गई। रोहित प्लीज मुझे इस बदनामी से बचा लो मैं जिंदगी भर तुम्हारी रखैल बनकर रहूंगी। तुम जब चाहे मेरे साथ सेक्स करना मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी।

अगर मेरे पति जिंदा होते तो ये बचा गिराने की नौबत नहीं आती न ही लोग सवाल करते। मैं उनकी सारी बातें समझ गया और उनका ऑफर भी अच्छा था। हमने चुपके से वो बचा गिरवा दिया और बुआ ने अपनी नसबंधी भी करवा ली।

उसके बाद जब भी मुझे बुआ को चोदने का मन होता तो मैं अपनी कॉलेज बंक करके बुआ को भी घर में कोई बहाना बनाकर बाहर आने को कहता और सारा दिन मैं और बुआ नंगा चुदाई का खेल खेलते है। आज भी मैं अपनी बुआ को oyo में बुलाकर सारा दिन चोदता हूं।

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