सफ़र में मिली आंटी की गरम बुर

हैलो दोस्तों,
मैं सुमेश राजस्थान का रहने वाला हूं। लेकिन मैं अब दिल्ली में रहकर काम करता हूं। मेरी उम्र 26 साल हो चुकी है। लेकिन मैं अभी तक कुंवारा हुं। वैसे तो मैं दिल्ली में बहुतों औरतों और लड़कियों की चूत खोल चुका हूं।

लेकिन सच बताऊं तो मुझे लड़कियों से ज्यादा भाभियों और आंटियों की चूत चोदने में ज्यादा मजा आता है। एक दिन की बात है अचानक मेरे गांव राजस्थान से मेरी मां का फ़ोन आया की मेरा रिश्ता पक्का हो गया है। लड़की वाले जिद्द कर रहे थे की मेरी सगाई 2 दिन के अंदर हो जाए। क्योंकि उनके हिसाब से 2 दिन बाद 1 साल तक कोई सही मुहरत नही है।

सफ़र में मिली आंटी की गरम बुर

रिश्ता अच्छा था तो मेरे घर वाले भी उनकी बात मान गए और मुझे गांव आने के लिए फ़ोन किया। मां के बहुत समझाने के बाद मैं मान गया और अपने ऑफिस से 5 दिन की छुट्टी लेकर मैं उसी दिन गांव जाने को तैयार हो गया।

जब मैं शाम को बस पकड़ने बस अड्डे पर गया तो पता चला बस की सभी सीटें फूल है। बहुत कोशिश करने के बाद मुझे बस के पीछे वाली सीट पर खिड़की के तरफ एक सीट मिली वैसे मैं जानता था की बस की पिछली वाली सीट पर ज्यादा झटके लगते है। पर मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था। तो मैं चुपचाप जाकर पीछे वाली अपनी सीट पर बैठ गया।

मैं चुपचाप अपनी सीट पर बैठे बस खुलने का इंतेजार कर ही रहा था की एक मोटी सी औरत चलती हुई मेरी तरफ आई और मेरे बगल में बैठ गई। उसकी हाइट यही कोई 5 फुट के आस पास की होगी। उसका बदन गेहुआ था। भारी शरीर बड़ी सी गांड और बड़े नुकीले चूचे जिसकी निप्पल के उभार उसके ब्लाउज के उपर से ही दिख रहे थे।

जब वो मेरी तरफ चलकर आ रही थी। तब उसका पल्लू उसके एक तरफ के चूचे से हटा हुआ था जिससे उसकी एक तरफ की बड़ी सी चूची के निप्पल के नुकीली उभार दिखाई दे रही थीं। मैं मन ही मन उसके चूचों के वजन का अनुमान लगाने लगा। करीब अढ़ाई-अढ़ाई किलो की एक चूची होगी।

मैं चुपचाप बैठा रहा हालाकि वही एक आध बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई मैंने भी मुस्कुराकर जवाब दिया। फिर हम दोनों कुछ देर चुप रहें। फिर उसने मुझसे पूछा आप कहा जा रहे है? मैंने जवाब दिया राजस्थान! फिर उसने कहा मुझे भी वही जाना है और मुस्कुराती हुई चुप हो गई।

मैं भी चुपचाप बैठ गया और चोरी चोरी से उसके बदन को निहारने लगा। उसकी उम्र 40 – 45 साल की होगी। मैं अपनी नज़रे चुराते हुए उसके चूचे निहारने लगा। क्या मस्त बूब्स थे उसके बड़े बड़े जिसे उसकी ब्लाउज संभाल नहीं पा रही थी। उसके आधे बूब्स उसके ब्लाउस के बाहर आ रहे थे।

जिनकी बीच की गहराई उसके पसीने से तर बदर थी। उसकी आधी ब्लाउस पसीने से भींगी हुई थी। और उसके सीने पर भी पसीने के बूंद थे जो बहकर सीधी उसके बूब्स की क्लीवेज से होते हुऐ अंदर जा रहे थे।

मैं उसके आपस में चिपके बड़े बड़े बूब्स को ताड़ ही रहा था की मेरा लंड उफान मारने लगा। मेरा लंड खड़ा होकर मुड़ा और मेरी बाई जांघ पर चढ़ गया। देखने पर साफ मालूम चल रहा था। की मेरा लंड खड़ा है मेरी पैंट की थाई पर मेरे लंड का बड़ा सा उभार बन चुका था। मैंने उसे छुपाने की लाख कोशिश की पर 8 इंच लंबे लौड़े को छुपाना आसान नहीं था।

मैं अगर जरा भी इधर उधर करता तो उस औरत का ध्यान मेरी तरफ आ जाता और वो सब समझ जाती और न ही वो अपनी चुचियों को सही से ढक रही थी। जिससे मेरी नजर उसके चुचियों पर से हटे और मेरा लंड शांत हो।

अब अंधेरा होने वाला था बस की डिम लाइटें चालू हो गई थी। तभी अचानक बस तेज़ी से ब्रेकर पर उछली और वो औरत मेरी तरफ उछल गई उसने अपने आप को संभालने के लिए अपना एक  हाथ मेरी बांई जांघ पर रख दिया। अभी भी मेरा लंड खड़ा था और मेरी बांई जांघ पर चढ़ा हुआ था। मेरी जांघ पर जैसे ही उसने हाथ रखा

उसका हाथ सीधे मेरे लंड पर गया जिससे मैं एकदम हड़बड़ा गया फिर मुझे महसूस हुआ की उसने मेरे लंड को एक बार दबाकर चेक किया की आखिर इतनी मोटी चीज है क्या? लेकिन उसने जल्दी से अपना हाथ मेरी जांघ पर से हटा लिया।

मैं जानता था की वो समझ चुकी है की अभी उसके हाथ मैं क्या चीज आई थी। फिर उसने मुस्कुराते हुए कहा सॉरी अचानक से बस उछली तो मैं खुद को संभाल नहीं पाई। मैंने कहा कोई बात नही आंटी!

हम दो लोग ही पीछे की सीट पर बैठे हुए थे। फिर उसके बाद हम दोनों के बीच बात बंद हो गई। मैंने गौर किया की अब वो अब आधी मेरी तरफ मुड़कर बैठी हुई थी। उसने अपने पल्लू को पतला करके अपने कंधे पर अटकाया हुआ था जिससे अब मुझे सामने से उसकी दोनो चूचियां जो आधी उसके ब्लाउज के बाहर  दिखाई दे रही थी।

वो मेरी तरफ देखते हुए ही अपने सीने और अपनी चूचियों के उपर के पसीने को अपनी उंगलियों से पोंछ रही थी। उसने अपने दोनों पैर सीट पर चढ़ा लिए थे। वो मेरी तरफ ही देखते हुए अपने सीने पर आए पसीने को पोंछ रही थी। जिससे मेरा ध्यान भी उसी की ओर जा रहा था।

आखिर मैंने शर्माकर अपना ध्यान उसके बूब्स के उपर से हटाया और अपने फ़ोन पर वीडियो देखने लगा। जब मैं उसे इग्नोर करके अपने फ़ोन को देख रहा था। तो थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ खिसककर बैठ गई। वो भी मेरी फोन में वीडियो देखने लगी। वीडियो देखते देखते वो मुझसे चिपक गई।

वो अपनी बूब्स को मेरी बाए हाथ पर दबाने लगी पहले तो मैंने इग्नोर किया लेकिन उसकी चुचियों का दबाव मेरे हाथ पर ज्यादा आने लगा। तो मुझे सब कुछ थोड़ा अजीब सा लगने लगा पर मैं कुछ नहीं बोला वो अपनी चुचियों को कसकर मेरे हाथ पर दबाने लगी।

उसके करीब आने और ऐसी हरकत करने से फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया और मेरी पैंट में 8 इंच लम्बा हो गया जिससे फिर से मेरी पैंट में मोटा और 8 इंच लम्बा उभार आ गया। मैं चाह कर भी उसे छुपा नहीं सकता था।

उसकी सांसे मेरे गाल पर टकरा रही थी। उस वक्त मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की उसने मुझे चारों ओर से घेर लिया है। फिर उसने अपना हाथ मेरी जांघ पर रखा और उसके ऐसा करते ही हमारी नज़रे एक दूसरे से कुछ पल के लिए मिली।

जब मैंने कुछ नहीं कहा और फिर से वीडियो देखने लगा। तब उस औरत ने अपनी उंगलियां मेरी पैंट की चैन की तरफ बढ़ाने लगी। जब मैंने कोई आपत्ति नहीं जताई तो उसने धीरे से मेरी पैंट की चैन को खोल दिया। फिर उसने मेरी पैंट में अपनी उंगलियां डाल दी।

फिर उसने अपनी उंगलियों से पैंट के अंदर ही मेरे लंड को मेरी चड्डी से बाहर खींच लिया और अपनी उंगलियों से मेरे लंड की चमड़ी को आगे पीछे सरकाने लगी। उसके  हाथ का स्पर्श पाकर मेरे लंड में एक अलग सी ही खुजली आने लगी।

करीब उसने 5 मिनट तक मेरे लंड की चमड़ी को आगे पीछे सरकाया तो मेरे अंदर भी चुत चोदने की आग लग गई। मैंने भी मोबाइल में वीडियो देखते देखते अपना एक हाथ उसकी क़मर की तरफ बढ़ाया और उसकी कमर पर इधर उधर छुने लगा।

मेरा मन उसकी चुत में उंगली करने का कर रहा था। मैंने उसकी तरफ देखा और हमारी नज़रे मिली और वो समझ गई की मैं क्या चाहता हूं। तो वो मेरी और करीब आकर सट गई और एक गहरी सांस लेकर उसने अपने पेट को अंदर किया जिससे उसकी क़मर पर बंधी साड़ी ढीली हो गई।

फिर उसने इशारे में मुझे अपना हाथ उसके साड़ी के अंदर डालने का इशारा किया। मैंने भी तुरंत अपना हाथ उसकी कमर के उपर से उसकी साड़ी में घुसा दिया। मेरा हाथ उसकी साड़ी में घुसते ही मेरी उंगलियां उसकी चूत की झांटों में फस गई।

फिर मैने धीरे धीरे अपनी उंगलियों को उसकी झांटों से निकालते हुए आगे बढ़ाया और उसकी चुत पर पहुंच गया। उसका पेट बड़ा था जिससे उसकी चुत उसके पेट के नीचे दबी हुई थी। मैंने जैसे तैसे अपनी उंगलियों को उसकी चुत तक पहुंचा दिया।

फिर मैंने अपनी दो उंगलियों को खोला और सीधे उसकी चुत की छेद में घुसा दिया। उसकी चुत में ऊंगली घुसते ही वो उचक गई। उसकी चुत पहले से ही गीली थी और पानी छोड़कर लस – फस पड़ी थी। मैंने तुंरत ही अपनी दोनों उंगलियों को उसकी चुत के अंदर बाहर करने लगा।

मैं अपनी उंगलियों को उसकी चुत के अंदर डालकर अच्छे से कुरेद रहा था और उसकी चुत के दाने को भी रगड़ रहा था। वो मेरे कान के पास आहिस्ते आवाज में आह…आह..आ…।।। करे जा रही थी 10 मिनट तक उसकी चुत को उंगली से चोदने के बाद वो कस के झड़ गई।

उसकी चुत से ढेर सारा माल बहने लगा थोड़ी देर तो मैंने उसकी चुत में उंगली डाले रखी इसी बीच वो 2-3 बार झटके देकर झड़ी उसकी चुत का गरम माल मेरी उंगलियों पर आने लगा। फिर जब मैंने उसकी चुत से उंगली निकालकर देखा तो मेरी दोनों उंगली उसकी चुत के गाढ़े पानी से लिपटी हुई थी।

वो अभी भी मेरी पैंट में अपना हाथ डाले हुए थी और मेरे लंड की चमड़ी को सरकाये जा रही थी। मेरे लंड ने भी बिना रंग वाला चिपचिपा पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, पर लंड पैंट में होने की वजह से वो अच्छे से मेरे लंड को सेवा नही दे पा रही थी। जिससे मेरा लंड अभी तक झड़ा नहीं था। न ही चूत चोदने की मेरी लालसा काम हुई थी।

ऐसे ही उंगली और हाथों के खेल में रात के 8 बज चुके थे। बस में डिम लाइटें चालू थी। और वो अभी भी मेरे लंड से खेल रही थी। तभी उसने मेरे कान में हल्का सा कहा की क्या बात है तुम्हारा लंड झड़ ही नही रहा है? मैंने कहा आंटीजी मेरा लंड अब सही खुराक लेकर ही झड़े गा। तो उसने मुस्कुरा दिया।

और बोली ठीक है अपने लंड को खुराक दे दो। फिर वो बोली मैं तुम्हारे तरफ अपनी गांड करके लेट रही हूं। उसने ऐसा ही किया वो मेरी बांई जांघ से अपनी गांड सटाकर बांई करवट लेकर लेट गई। मैंने पीछे से उसकी साड़ी ऊपर उठाकर खिंच दिया।

अब उसकी बांई जांघ और गांड, चूत बिलकुल नंगे दिख रहे थे
फिर मैं भी बांई ओर थोड़ा टेढ़ा होकर सीट पर बैठ गया और अपनी पैंट के बटन को खोलकर अपना 8 इंच लम्बा लंड बाहर निकाला और अपना लंड पकड़कर उनकी चूत की छेद पर लगा दिया और फिर उसके साड़ी के पल्लू को खींचकर उसकी गांड,जांघ और अपने लंड को ढक लिया।

उसकी गरम चुत की भाप से मेरा लंड जैसे जल रहा था इसी आग के चलते मुझसे और रहा नही गया। मैंने उसकी कमर को हल्के से पकड़ा और हल्के से अपनी कमर को उचका कर अपने लंड को उसकी चुत में चोद दिया।

एक ही धक्के में मेरा लंड उसकी चुत में समा गया मैं धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करके उसकी चुत को चोदने लगा। साथ ही मैं अपने हाथ से उसकी बड़ी गोल गांड को सहलाने लगा। फिर मैंने अपनी एक उंगली पर थोड़ा सा थूक लगाया और अपनी एक उंगली को उसकी गांड की छेद में डाल दिया।

अब मैं उसकी चुत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था साथ ही उसकी गांड में अपनी उंगली को अंदर बाहर करके उंगली से उसकी गांड को चोद रहा था।

उसकी चुत तो ढीली थी और गीली होने की वजह से मेरा लंड आसानी से उसकी चुत में सरपट अंदर बाहर हो रहा था। मैं रुक रुक कर उसकी चुत में धक्के लगा रहा था। अचानक उसके चूत में गरमी बढ़ने लगी और मेरा लंड उस गरमी को झेल नहीं पाया मैं झडने को हुआ जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चुत से बाहर निकालना चाहा पर बहुत देर हो चुकी थी। मेरे लंड ने अपना सारा माल उसकी चुत में ही उगल दिया।

मुझे लगा मेरा माल उसकी चुत में निकालने पर वो एतराज जताएगी पर उसने कुछ नहीं कहा मैंने अपना लंड उसकी चुत से खींच लिया। तुंरत उसने अपने हाथ में रूमाल लिया और अपनी चुत में रूमाल ठूंस कर अपनी चुत का सारा माल रूमाल में सोंखने लगी। फिर उसने उसी रूमाल से अपनी चुत को साफ किया और सीधी होकर बैठ गई।

कुछ देर तक वो मेरी तरफ मुस्कुराकर देख रही थी मैंने भी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया। फिर उसने आहिस्ते से मेरे कान में कहा अब तुम्हारे लंड को खुराक मिल गई अब तो खुस हो? मैंने कहा खुराक तो मिली आंटी जी पर चोरी छिपे करने में मजा नही आया। तो उसने मजाकिया अंदाज में कहा की क्या अब मैं अब पूरी नंगी होकर सीट पर लेट जाऊं।

मैंने कहा नहीं ऐसी जगह ये सब करना ठीक नहीं तो वो बोली ठीक है तुम जगह खोज लो फिर तुम जैसे चाहो वैसे चोदना। मैंने कहा जब तक ठीक जगह नहीं मिलती तब तक तो कुछ और तरीकों से मेरे लंड की सेवा करो! मेरी बातें सुनकर वो मुस्कुरा दी। और वो समझ भी गई की मैं क्या कह रहा हूं.

वो बस में आगे की ओर नज़रे दौड़ाकर माहौल देखने लगी जब उसे लगा की सब ठीक है। सभी लोग चुपचाप बैठे है। तो वो फिर से लेट गई और इस बार उसने अपना सर मेरी गोद में रख लिया और अपने पल्लू से अपने सर को ढककर मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चुभलाने लगी।

मैं उसकी ब्लाउस में हाथ डालकर उसकी चुचियों और निप्पलों को रगड़ने लगा। उसे चुदाई का कुछ ज्यादा ही एक्सपीरियंस था। वो बिलकुल रंडियों की तरह मेरे लंड को चूस रही थी। 10 मिनट में ही उसने मेरे लंड को चूस चूस कर झाड़ दिया और मेरे लंड का सारा माल अपने मुंह में ही गिरवा लिया।

उसके बाद उसने मेरे लंड का सारा माल बस की फर्श पर उगल दिया। अब रात के करीब 10 बजने वाले थे। कुछ ही देर में बस होटल पर पहुंच गई। कंडेक्टर ने सभी को खाने के लिए आवाज लगाई और बस के अंदर की सारी लाइटें चालू कर दी।

सभी पैसेंजर्स के साथ हम दोनों भी बस से नीचे उतर गए। सभी लोग होटल में खाना खाने चले गए। मैंने इस औरत को अलग आने का इशारा किया वो मेरी तरफ आ गई। फिर मैंने कहा की आंटी जी होटल के पीछे खेत की झाड़ियों से अच्छी जगह नहीं मिलेगी।

वो भी हंसते हुए मान गई, मैं उसे लेकर खेत में उन झाड़ियों के बीच ले गया। झाड़ी के बीच में पहुंचकर मैं अपनी पैंट को उतारने लगा। मैंने अपनी पैंट को अपने घुटनों से नीचे तक कर दिया। मेरा 8 इंच का मोटा लंड अभी भी खड़ा था। वो मुझे नंगा होता देख चुदने के लिए तैयार हो गई और अपनी साड़ी को अपने घुटनों तक उठाकर रेडी हो गई।

फिर मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा वो अपनी साड़ी को अपनी क़मर के उपर तक उठाकर घुटनों पर आ गई। जैसे ही उसने घोड़ी वाली पोज ली। मैं उसकी गांड देखकर पागल हो गया। इतनी बड़ी गांड मैंने कभी नहीं देखी थी। उसकी गांड लगभग मेरी क़मर के दोगुना चौड़ी हो चुकी थी।

उसकी चुत खुलकर मेरी नज़रों के सामने थी। जिसपर काली बाल के घने झांटों के गुच्छे जैसे हुए थे। मैंने समय बरबाद न करते हुए उसकी गांड के पीछे अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपने लंड को पकड़कर उसकी चुत पर सेट किया। फिर उसकी क़मर को पकड़कर एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चुत में पेल दिया।

इस बार मैंने उसकी चुत में तेज का धक्का कसा था। जिससे उसकी भी हल्की सी चीख निकल गई। मैं उसे तेज धक्के दे देकर उसकी चुत को चोदने लगा। इसी बीच वो फिर से झड़ गई और उसकी चुत का सारा माल उसके दोनों घुटनों के बीच ज़मीन पर टपकने लगा।

मैं जल्दी नही झडने वाला था। क्योंकि मैं दो बार पहले ही झड़ चूका था। इस बार मेरा माल जल्दी नही गिरने वाला था। मैं उसे तेज धक्के लगाए जा रहा था। वो आह…आह… उह उह…।। कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी।

फिर मैंने उसकी चुत को चोदते चोदते अपनी एक उंगली पर थूक लगाई और अपनी उंगली को फिर से उसकी गांड की छेद में डाल दिया जिसपर वो बिचकने लगी। मैंने उससे पूछा आंटी जी क्या मैं आपकी गांड में एक बार लंड घुसा लूं?

इस पर वो थोड़ा न नुकुर कर टालने लगी। मैंने उससे फिर पोटने लगा। प्लीज आंटी जी मुझे अपनी चौड़ी गांड पसंद आ गई है। प्लीज आप एक बार अपनी गांड मारने दो। वो बोली ठीक है पर मुझे दर्द होता है इसलिए तुम आधा ही लंड मेरी गांड में डालना मैंने कहा ठीक है आंटी जी!

फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत से निकाल लिया और अपने लंड और उसकी गांड की छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया। फिर मैंने अपने लंड को उसकी गांड की छेद पर लगा दिया और धीरे धीरे उसकी गांड पर अपने लंड का दबाव डालने लगा।

उसके मूंह से सिसकियों के साथ हल्की चिंखे आने लगी ईस्स..ईस्स…आह.. उई… मां..आ की सिसकारियों के साथ वो अपनी गांड को एक हाथ से पकड़कर फैलाने लगी ताकि जिससे उसकी गांड की छेद थोड़ी खुल जाए और मेरा लंड आसानी से उसकी गांड में घुस जाए।

कुछ ही देर में मेरा लंड आधा उसकी गांड में चला गया मैं आधे लंड को ही उसकी गांड के अंदर बहार करके उसकी गांड चोदने लगा। वो आह…आह… उई… आ… ह की सीतकारे ले रही थी। फिर मैंने ठीक निशाना लगाकर अपने आधे बचे हुए लंड पर अपने मुंह से थूक टपकाया जिससे मेरे लंड का पिछला मोटा हिस्सा भी थूक से भीग कर चिकना हो गया।

फिर मैंने अपने आधे बचे हुए लंड को भी उसकी गांड में जबरदस्ती ठेल दिया। जिससे उसे काफी दर्द हुआ और वो दर्द के मारे अपने मुंह को दबाकर चींखने लगी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी क़मर को पकड़ लिया और तेज तेज धक्के मारकर उसकी गांड को चोदने लगा।

मेरे 8 इंच के मोटे लंड ने उसकी गांड और उसकी हालत खराब कर दी थी। मैंने 15 मिनट तक उसकी गांड मारी और उसकी चिंखे निकलवाता रहा अंत में मैं उसकी गांड में ही झड़ गया और अपना लंड उसकी गांड में से बाहर निकाल दिया।

वो हाफती हुई नीचे ज़मीन पर बैठ गई और तेज धार मारते हुए मूतने लगी। मैंने अपने लंड को साफ किया और उसने भी अपनी गांड और चुत को  साफ किया और हमदोनो वापस बस में आकर बैठ गए। वो मुझसे बोली पहले किसी ने इतनी बेदर्दी से मेरी गांड नही मारी तुमने तो आज मुझे तारे और चांद दोनों दिखा दिया।

अगर मैं तुम्हारे साथ एक रात रुक जाऊं तो तुम मुझे इस उम्र में भी माँ बना दोगे क्या तुम कभी थकते नहीं। मैंने कहा आंटी जी अगर आप मुझे अभी भी चोदने दोगी तो मैं अभी भी तैयार हूं। उसने मेरी बात पर मुस्कुरा दिया और कुछ नही बोली कुछ देर चुप चाप बैठी रही। फिर मैंने ही उससे पूछा की आंटी जी अगर फिर मुझे आपकी चुत लेने का मन हो तो कैसे मिलेगी।

इस बात पे वो बोली अगर मैंने तुम्हे अपना चुत दिया तो तुम मेरी चुत का भोसड़ा बना दोगे इसलिए अब बस रहने दो। ये बात सुनकर मुझे लगा वो मुझसे नाराज़ हो चुकी है। मैं चुपचाप बैठ गया तभी उसने हंसकर कहा अरे मैं मजाक कर रही हूं। ले लो मेरा नंबर अब मैं कुछ दिन राजस्थान में ही रहूंगी।

तुम जब बुलाओगे तब मैं आ जाऊंगी। तुम अब मुझे चाहो तो राजस्थान में और दिल्ली में भी चोद सकते हो। मैं यहां कुछ दिन रहकर वापस दिल्ली चली जाऊंगी। तो दोस्तों उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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