पड़ोस वाली मोटी औरत की चुत फाड़ चुदाई।

मेरा नाम रवि है मैं 19 साल का हूं और मांझी का रहने वाला हूं और अभी ग्रेजुएशन में पढ़ाई कर रहा हुं। आज मैं जो कहानी आप सब को बताने जा रहा हूं। वो बात दो तीन दिन पुरानी है। चलिए मैं आप सभी को अपनी पहली चुदाई की कहानी पर ले चलता हूं। हालांकि मुझे अब तक विश्वास नहीं हो रहा है मेरा लंड मेरी पड़ोसी औरत की चुत का भोग लगा चुका है।

पड़ोस वाली मोटी औरत की चुत फाड़ चुदाई।

कुछ दिन पहले मेरे घर वाले गांव चले गए। मैं गांव नही जा सका क्योंकि मेरी परीक्षा चल रही है। तो मैं अपने घर में बिलकुल अकेला था। मैं दिनभर घर में अपनी परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त रहता था। बीच बीच में समय निकालकर मैं पोर्न देखकर मुट्ठ मार लिया करता था। जिससे मेरा मन हल्का हो जाता था और परीक्षा की टेंशन से मेरा ध्यान थोड़ी देर के लिए हट जाता था।

एक दिन दोपहर को पढ़ते पढ़ते मेरा लंड टनक गया और उसी वक्त मुझे जोर का पिसाब आया मैं जल्दी बाजी से बाथरूम में न जाकर अपने घर के आंगन के पिछले दरवाज़े से निकलकर बाहर आकर पीसाब करने लगा। क्योंकि आंगन का पिछला दरवाजा बाथरूम से नजदीक था।

मैंने हड़बड़ी में अपने पैंट की चैन खोली और बिना इधर उधर देखें अपना मोटा और टनका हुआ लंड बाहर निकाला और मूतने लगा। मेरा लंड उस वक्त थोड़ा टाईट भी था क्योंकि मेरे अंदर सेक्स का कीड़ा जाग चुका था। और मैं मुट्ठ मारने की सोच रहा था। लेकिन पिसाब लगने पर मैं खुद को रोक नहीं सका।

मैं बिना इधर उधर देखें जल्दी से अपना मोटा घोड़ा अपनी पैंट से बाहर निकालकर पेशाब की तेज धार मारने लगा। तभी मुझे कही और से भी पानी गिरने टपकने की आवाज आई जब मैंने उस ओर देखा तो मेरे होश उड़ गए और मैं थोड़ा शर्मिंदा हो गया। मैं वहां से जल्दी पिसाब करके भागना चाहता था। मगर पता नही मेरी टंकी आज जल्दी खाली हो ही नही रही थी।

मेरे पड़ोस वाले घर के आंगन की दीवार गिरी हुई थी। जिससे मुझे वहां खड़े खड़े उनका सारा आंगन दिखाई दे रहा था। मेरी पड़ोस वाली मोटी औरत उपर से बिलकुल नंगी थी और अपनी क़मर पर पेटीकोट बांधे नहा रही थी। मेरी नजर जब उसपर पड़ी तो मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।

वो जैसी दिखने में भारी भरखम थी वैसी ही भारी उसकी चूंचियां थी। उसकी बड़ी – बड़ी चूंचियां उसके पेट के नाभि तक लटक रही थी। और जब वो अपने बदन पर पानी डाल रही थी। तो उसकी दोनो चूंचियां उपर नीचे बाउंस कर रही थी। उसके काले काले लंबे निप्पल एक दम किसी भैंस की तरह लंबे लंबे थे।

सच कहूं तो उस वक्त मेरी डर से हालत बिगड़ी हुई थी की कही वो औरत मुझे उसे देखते हुए देख न ले। पर मैं खुद को उसकी तरफ देखने से रोक नहीं पा रहा था। वो मेरी तरफ ध्यान न देते हुए मस्ती से अपने बदन पर पानी डाल रही थी। भींगने की वजह से उसका पेटीकोट उसके बदन से चिपक चुका था।

जिससे मुझे उसके पेटीकोट के अंदर का माजरा साफ दिखाई दे रहा था। उसके बदन पर पेटीकोट के रहने ना रहने से कोई फायदा नही था। उसके कमर का निचला हिस्सा उसकी पेटीकोट के अंदर से साफ झलक रहा था।

अब उसका नहाना लगभग खत्म होने वाला था। तो उसने अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया और फिर तौलिया लेकर अपने बदन के ऊपरी हिस्से को पोंछने लगी। उसके नाड़ा ढीला करने से उसकी पेटीकोट का आगे का हिस्सा सरककर थोड़ा नीचे आ गया। जिससे मुझे उसके बड़े से पेट के नीचे का हिस्सा जिसपर काली और घनी झांटे जमी हुई थी। वो दिखाई देने लगा।

मैं उसकी झांटों को देखकर बावला हो गया और साथ ही मुझे ज्यादा डर लगने लगा की कही वो मुझे उसे नंगा देखते हुऐ पकड़ न ले। मैंने जल्दी से अपना लंड अपनी पैंट में डाला और हड़बड़ी चलने लगा। लेकिन मेरी किस्मत !! अचानक मेरे पैरों के नीचे एक सुखी लकड़ी आ गई जिसके चटकने की आवाज उस औरत ने सुन ली।

मैं भी उसकी तरफ घूम गया और हम दोनों की नजरों का आमना सामना हो गया। एक पल के लिए वो भी मुझे देखने लगी और मैं भी उसे देखने लगा। अभी भी उसके हाथों में तौलिया था और उसकी गीली पेटीकोट उसकी कमर से उतर कर उसकी जांघो पर चिपकी हुई थी।

जब उसने गौर किया कि मेरी नजर उसकी जांघों की तरफ है। तो उसने झप से अपनी पेटीकोट को उठाकर अपनी जांघों और झांटों को ढक लिया और मेरी तरफ शर्मिंदगी से मुस्की दी। इससे ज्यादा कुछ नहीं देखा और न सुना मैं सीधे अपने घर के अंदर घुस गया।

सबसे पहले तो मुझे पछतावा होने लगा की आखिर मैंने क्यों उस औरत को गंदी नजरों से देखा आखिर वो मेरी मां से उम्र में बड़ी है। क्या इज़्जत रह गई मेरी!! कुछ देर के अफ़सोस के बाद मेरा लंड उस नज़रे को याद करके खड़ा हो ही गया।

मैंने अपनी पैंट उतारी और अपने लंड पर तेल लगाकर उस मोटी औरत की नाम की मुट्ठ 2 बार मारी। फिर मैं नॉर्मल होकर अपनी पढ़ाई में जुट गया। शाम के करीब 5 बजे मेरे घर के आंगन के दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज आई मैं अभी अभी पढ़ाई करके उठा ही था। दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज सुनकर मैं आंगन की ओर गया।

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला वही पड़ोस वाली मोटी औरत खड़ी थी। उसे उस वक्त देखकर तो मेरी जान ही सुख गई। मैं सोचने लगा की कही ये मुझे थप्पड़ तो नही लगाएगी। डर के मारे वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने ही कह दिया सॉरी आंटी दोपहर में वो गलती से मैं…..

मेरी बात पूरी होती उससे पहले ही उस औरत ने मुझे रोक दिया। ऐसा लग रहा था की वो हड़बड़ी में थी वो सिर्फ इतना बोली.. रवि जरा तुम रात को 9 बजे के बाद मेरे घर आना तुमसे बात करनी है। और किसी से कहना मत और तुम पीछे से ही आना। मैं उससे कुछ बोलता इससे पहले ही वो चली गई।

उसके बाद से मेरे अंदर और डर समा गया की मेरा उसे छुपकर देखना कही इतना तो बुरा नही लगा की ये मुझे अपने घर बुलाकर डांटेगी या मारेगी। उसकी बातें सुनने के बाद मेरा मन आसंत हो गया था किसी चीज में मन ही नही लग रहा था।

मैं जल्दी से 9 बजे का इंतेजार करने लगा मैंने सोच लिया था की मैं उससे गिड़गिड़ाकर माफ़ी मांग लूंगा। और आगे से ऐसी गलती नही होगी ऐसा वादा भी करूंगा। रात के 9:30 हो चुके थे। मैं उसके घर जाऊं या न जाऊं इसी उधेड़ बुन में लगा हुआ था।

की तभी आंगन के दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज हुई मैं समझ गया कि ये वही पड़ोस वाली औरत है। मैंने जाकर दरवाजा खोला तो देखा सच में वही मोटी औरत खड़ी थी। जैसे ही हमारा आमना सामना हुआ उसके कुछ पलों बाद उसने पूछा तुमने खाना खा लिया मैंने धीमी आवाज में कहा जी हां!!

तो वो बोली मुझे तुमसे जरा काम है मैंने कहा जी आंटी वो बोली लेकिन तुम्हें मुझसे वादा करना होगा की तुम ये बात किसी को नहीं बताओगे। मैंने कहा ठीक है आंटी नही बताऊंगा।। तो वो बोली चलो मेरे घर तो मैंने भी अपने आंगन का दरवाजा बंद किया।

फिर हम दोनों ने उसके आंगन की टूटी हुई दीवार लांघ के उसके घर में दाखिल हो गए। वो मुझे एक कमरे में ले गई जिसमें जमीन पर ही बिस्तर लगा हुआ था और एक लकड़ी की कुर्सी रखी हुई थी और कुछ नही था उस कमरे में।

उसने मुझे कुर्सी पर बैठने को कहा और खुद दूसरे कमरे में चली गई। मैं अकेला चुपचाप कमरे की चारों दीवारों को घूरता रहा। करीब 5 मिनट बाद वो मेरे पास उस कमरे में आई। अब उसके बदन पर थोड़े कपड़े कम थे। उसने अपनी साड़ी खोल दी थी और सिर्फ ब्लाउस और पेटिकोट में मेरे सामने आकर खड़ी थी।

मैंने एक पल के लिए उसको देखा फिर जान बूझकर अपनी नज़रे इधर उधर घुमाने लगा। तभी उसने कहा रवि आज गर्मी ज्यादा है मैंने जवाब दिया जी!! फिर उसने कहा रवि तुम भी अपने कपड़े उतार दो तुम्हे गर्मी लगती होगी।

मैंने कहा जी नही आंटी मैं ठीक हूं। तभी वो हल्की सी मुस्कुराती हुई बोली रवि तुमने दोपहर में क्या देखा?? उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा शरमाते हुए बोला गलती से हुआ आंटी! वो बोली चलो कोई बात नही पर बताओ तो तुमने क्या क्या देखा? मैं अपनी नजरे नीचे किए चुप रहा।

फिर उसने अपनी ब्लाउज़ को खोल दिया और मुझसे पूछा अच्छा तुमने ये देखा? उसके प्रशन से मेरी नज़रे ऊपर उठी तो मुझे उसकी नंगी चूचियों के दर्शन हो गएं। ठीक दोपहर वाली नंगी चूंचियां मेरी आंखों के सामने थी पर उस वक्त फिर मेरी नज़रे शर्म से झुक गई।

मैं अपनी नजरे ज़मीन और उसके पैरों की तरफ झुकाए बैठा था। तभी अचानक उसका पेटीकोट नीचे आकर उसकी एडियो के पास गिरा मैंने हल्की सी अपनी नज़रे उठाई तो मुझे घुटनों तक उसकी नंगी टांगें दिखाई दी और तभी उसके मुंह से आवाज आई अच्छा क्या तुमने ये देखा??

मैं समझ चुका था की वो मुझे क्या दिखाने की कोशिश कर रही है। मैं भी मर्द चुत का लोभी तुंरत अपनी नज़रों को उसकी क़मर की तरफ़ उठा दिया। अब मुझे उसकी पेट के निचले हिस्से और दोनों जांघों के बीच घुंघराले बालों का गुच्छा दिखाई देने लगा।

जिसे देखते ही मेरे लंड टनक गया अब मेरे अंदर का डर हवा हो चुका था। अब मैं किसी लोभी मर्द की तरह उसके मोटे नंगे बदन को ताड़ रहा था। फिर वो चलती हुई मेरी तरफ आई और पलटकर मेरी गोद में बैठ गई। उसका वजन तो ज्यादा था। पर उसकी बड़ी मखमली गांड मेरे लंड को सुकून दे रही थी।

मैं उस माहौल में ढलने लगा और मैंने हिम्मत करके अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसके बड़े बड़े चूतड़ों को छुने लगा। मैं उसके गांड पर अपने दोनों हाथों को फेरते हुए उसकी दोनों जांघों को भी सहलाने लगा। अब मैंने समय न गवाते हुए अपना चेहरा उसकी पीठ पर सटा दिया और हलके हलके से अपने होठों से उसकी पीठ चूमने लगा।

मैं उसकी दोनों जांघों को सहलाता हुआ अपने हाथों को उसके पेट के नीचे ले आया। वो भी मदमस्त होकर तेज़ सांस लेने लगी। फिर मैंने अपने एक हाथ को उसकी दोनों मोटी मोटी जांघो के बीच घुसा दिया और अपनी उंगली से उसकी चुत टटोलने लगा। वो आ… स..स की आवाज निकालने लगी।

फिर मैंने अपने हाथ की एक उंगली को जैसे ही उसकी चूत के अंदर घुसाना चाहा उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली इतनी जल्दी क्या है रवि अब तुमने तो मुझे पूरा का पूरा नंगा देख लिया है। मुझे भी तो तुम्हें नंगा देखने दो। मेरे अंदर चुदाई की आग लगी थी और उसने मूझे ऐसे वक्त पर रोक दिया।

आज मैं पहली बार किसी औरत की चुत को अपने हाथों से छुने वाला था इससे पहले मैंने औरतों और लड़कियों की चुत की मात्र कल्पना ही की थी। मैंने सोचा थोड़ी देर और सही।

फिर वो मेरी गोद से उठी और पलटकर खड़ी हो गई पहले तो उसने मेरी t-shirt निकाल दी और फिर मेरी पैंट को चड्डी सहित खींचकर निकाल दिया। अब मैं बिल्कुल नंगा होकर उसके सामने बैठा हुआ था। उसकी नज़रे मेरे टनके हुए लंड से हट ही नहीं रही थी।

मैं उसकी मोटी मोटी चुचियों और उसके भैंस जैसे लंबे काले निप्पलों की ओर देख रहा था। मैं उसकी चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबाना चाहता था। लेकिन मैंने उसकी अगली चाल का इंतज़ार किया। फिर उसने अपने मोटे हाथ में मेरे मोटे लंबे हथियार को जकड़ लिया।

वो अब मेरे लंड की हल्की हल्की मुट्ठ मारती हुई। मेरे लंड को अपनी लालची भरी निगाहों से देखने लगी। जब वो इतना खुलकर ये सब कर रही थी तो मैंने भी अपने दोनों हाथ आगे किए और उसकी दोनों झूलती हुई चुचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा।

उसकी चूचियां इतनी बड़ी थी की उसकी चूंचियों का कुछ ही हिस्सा मेरे पंजों में आ पा रहा था। फिर मैंने उसकी चूंचियों को थोड़ा ऊपर लाकर अपने मुंह में डालना चाहा तो वो शायद मेरी ईच्छा समझ गई और खड़ी होकर थोड़ी मेरी तरफ झुक गई।

अब मैंने उनकी दोनों चूंची के काले लंबे लंबे निप्पलों को बारी बारी अपने मुंह में डालकर चूसने लगा। जिससे वो भी मस्त होने लगी और मैंने भी पहली बार किसी गैर औरत की चूची पी रहा था। मैं शब्दों में व्यक्त नही कर सकता हूं की उस समय मुझे कितना सुकून और काम सुख मिला रहा था। वो मेरे लंड की मुट्ठ मार मारकर मेरे लंड को फ़ौलाद बना चुकी थी।

अब चुदाई का सही समय आ चुका था। तो वो फिर से पलटकर खड़ी हो गई और अपनी पीठ मेरी तरफ करके मेरे लंड को पकड़ा और धीरे से अपनी गांड को मेरी गोद में झुकाकर मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी गांड के नीचे से अपनी चुत पर टिकाने लगी।

मेरा लंड उसकी भारी भरकम गांड के नीचे मेरी नजरों से ओझल होकर कही खो सा गया था। अब मुझे अपने सुपाड़े पर उसकी चुत की नर्म चमड़ी और उसकी चुत की गर्मी महसूस हो रही थी। उसकी गांड और जांघों की चर्बी के कारण मेरा लंड सही जगह पर नही जा पा रहा था।

पर उसने कोशिश करके जैसे तैसे मेरा लंड अपनी चुत में घुसा लिया उस वक्त पहली बार मेरे लंड को किसी औरत की चुत की गर्मी का एहसाह हुआ था। मेरे बदन में जैसे तेज बिजली कौंध गई हो। मेरा लंड छोड़कर अब वो धीरे धीरे मेरे लंड पर उठक बैठक करने लगी।

करीब 2 से 4 बार में ही मेरे लंड ने उसकी चुत के द्वार के अंदर ही अपना पानी निकाल दिया। मैं बहुत देर से गरम था इसलिए मेरा लंड उसकी चुत की गर्मी को ज्यादा देर झेल नहीं पाया। उसकी चुत मेरे वीर्य से अच्छे से लसफसा गई थी।

मेरे झड़ने के बाद वो उठी उसका चेहरा देखकर मुझे लगा की मैं शायद उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा पर मैंने सोच लिया की अगर इस बार वो मुझे मौका देगी तो मैं अपनी पूरी क्षमता से उसको संतुष्ट करूंगा।

वो मुझे जमीन पर लगे बिस्तर पर ले गई और मुझे लेटने को कहा मैं लेट गया। अब वो मेरी कमर के पास बैठ गई और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़कर फिर से मुट्ठ मारकर खड़ा करने लगी। वो अपनी चूंचियों को मेरी जांघ पर दबा रही थी। मैं भी अपना हाथ बढ़ाकर उसकी चूंचियों को मसल रहा था।

उसकी नर्म मुलायम चुचियों ने मेरी जांघ को छूते ही मेरे अंदर आग लगा दी। मेरा लंड फिर से टनक कर फ़ौलाद हो गया। अब चुदाई करने की बारी आ गई थी। मैंने शर्म लिहाज के बंधन को तोड़ते हुए मुंह खोलकर उसे पीठ के बल लेटने को कहा।

वो चुपचाप मुस्कान देती हुई बिस्तर पर लेट गई और अपनी मोटी-मोटी टांगें फैलाकर अपनी चुत का रास्ता देने लगी। अब मुझे पहली बार उसकी चुत का दीदार हुआ था। मैं किसी खिसियाए सांड की तरह उसकी दोनों टांगों के बीच आकर उसपर चढ़ गया और ताव ताव में मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चुत में घुसा दिया।

फिर मैंने दनादन उसकी चुत में अपना लंड दौड़ाना चालू कर दिया मैं किसी पगलाए सांड की तरह उसकी चुत में अपना लंड चोदने लगा। शुरू शुरू में तो उसको थोड़ा दर्द हो रहा था। जिससे वो कभी कभी चींख रही थी मैं जैसे चाहें आढ़ा टेढ़ा लंड उसकी चुत में पेल रहा था।

फिर मैंने उसकी गर्दन को अपने दोनों हाथ लगाकर पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चुत के मुहाने तक लेकर आ गया फिर मैंने एक लंबी टान ली और अपनी पूरी ताकत के साथ मैंने उसकी चुत में दमदार धक्का मारा जिससे उसके मुंह से दर्द भरी आवाज उई.. आ… मा… उई… मा… उई… आह… आह…।

मैंने करीब 10 से 15 वैसे ही दमदार धक्के उसकी चुत में मारे जिससे मैंने उसकी चुत की सारी कसर पूरी कर दी। मेरे धक्कों से उसका मूत निकल गया वो मेरे हर धक्के के साथ अपनी चुत से मूत की फुहार छोड़ रही थी। उसने सारा बिस्तर गीला कर दिया अब उसकी चुत और भी फट गई थी। क्योंकि उसकी चुत पहले के मुकाबले अब ज्यादा ढीली हो गई थी।

उसकी बुर फाड़ के भी मैं नहीं रुका था मैं दनादन उसकी चुत में अपने लंड के धक्के लगाए जा रहा था पर अब मेरी रफ़्तार धीमी हो गई थी। उसको भी अब अपनी बुर फड़वा कर मजा आ रहा था। वो अपनी दोनों टांगों को कैंची करके मेरी कमर को अपनी चुत पर दबा रही थी।

जिससे मेरा लंड उसकी चुत की और गहराई में उतरने लगा। मैं उसको चोदते वक्त यही सोच रहा था की इस उम्र में भी इसके अंदर चुदाई की इतनी आग कैसे हो सकती है। मैं थक चुका था तो मैंने उसके सीने पर अपना सर रखकर उसकी एक चूची को चूसते हुऐ अपनी क़मर को धीरे धीरे चलाकर उसकी चुत में लंड अंदर बाहर कर रहा था।

उसकी भारी भरकम टांगों के कसाव के कारण मेरी रफ्तार धीमी हो चुकी थी। अब मैं झडने वाला था। तो मैंने उससे कुछ कहा नहीं क्योंकि मैं उसकी चुत में ही झड़ना चाहता था। मैं चुपचाप अपना लंड उसकी चुत चोदता रहा अंत में जब मैं झडने वाला था। तो मैंने कसकर उसकी दोनों चूचियों को अपनी मुठियो में जकड़ लिया और एक तेज आह.. ह.. ह के साथ मैं उसकी चुत में ही झड़ गया।

अब मैं उसके उपर से पलटकर उसके बगल में लेट गया। वो भी मेरे सीने से अपनी चूंचियां लगाकर लेट गई और उसने अपनी एक जांघ को मेरे लंड पर रख दिया। तो मैं भी अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकी जांघ को सहलाने लगा।

मैं उसकी जांघ सहलाते हुए जान बूझकर अपना हाथ उसकी कमर पर फेरा फिर अपने हाथ को उसकी गांड के पीछे ले जाकर उसकी गांड सहलाने लगा। मैंने जान बूझकर अपनी उंगलियों को उसकी गांड के दोनों हिस्सों के बीच डाल दिया। मैं उसे ये जताना चाहता था की मुझे अब उसकी गांड मारनी है।

कुछ देर तो उसने कुछ नहीं कहा पर जब मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियों को अंदर तक घुसा दिया और उसकी गांड की छेद को छुने लगा तो तब वो शायद मेरे इरादे समझ गई अब वो भी फिर से मेरे लंड से खेलने लगी। कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से टनक कर मोटा हो गया।

फिर मैंने उसे मुंह के बल लेटने को कहा तो वो तुंरत लेट गई और मैं भी तुंरत उसकी जांघों पर बैठ गया और अपना मोटा लंड उसकी गांड की दरार में डालने लगा। उसकी गांड इतनी बड़ी थी की मेरा लंड उसकी गांड की छेद तक पहुंच ही नहीं पा रहा था।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी गांड के दोनों हिस्सों को अलग किया जिससे उसकी गांड की छेद दिखाई देने के साथ थोड़ी ऊपर हुई मैंने अपने मुंह से उसकी गांड की छेद का सटीक निशाना लगाकर ढेर सारा थूक उगल दिया।

मैं अपने दोनों हाथों से उसकी गांड के दोनों हिस्सों को अलग किए हुए था। और अपने कमर से उसकी गांड की छेद पर लंड का निशाना लगाकर अपना लंड उसकी गांड की छेद पर दबा रहा था। उसकी गांड की चुदाई बहुत हुई थी जिससे उसकी गांड की छेद बड़ी थी। जिसमे आसानी से मेरे लंड का टोपा घुस गया।

और मैं अपनी कमर हिला हिलाकर उसकी गांड में अपना लंड चोदने लगा, पर जैसे ही मैंने अपने हाथों से उसकी गांड के दोनों हिस्सों को छोड़ा उसके गांड के दोनों हिस्से आपस में सट गए और मेरा लंड तुंरत उसकी गांड से बाहर आ गया।

मैंने फिर से उसकी गांड में लंड डालना चाहा पर उसने मुझे रोक लिया और बोली ऐसे मत करो मैं जैसा कहती हूं वैसे करो नही तो बार बार लंड बाहर निकलेगा। मेरी गांड इतनी बड़ी है की मेरी गांड की छेद काफी अंदर पड़ जाती है। इस तरह मेरी गांड चोदने के लिए 10″ लंबा लंड चाहिए।

फिर वो उठी और कुर्सी पर उल्टी बैठी यानी वो कुर्सी पर बैठकर घोड़ी बन गई उसने अपनी गांड थोड़ी पीछे फेंकी और अपने चेहरे को कुर्सी पर सटा दिया। जिससे उसकी गांड फैल गई और उसकी गांड का छेद साफ नजर आने लगा।

मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी कमर पर अपना एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़कर उसकी गांड की छेद पर लगा दिया। उसके बाद मैंने थोड़ा सा लंड उसकी गांड में दबाया जिससे मेरा लंड आराम से उसकी गांड में घुस गया।

अब मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर जमा लिए और अपनी क़मर से धक्के मारते हुए उसकी गांड में अपना लंड देने लगा। शुरू शुरू में मैंने धीरे धक्के मारे पर जब मेरे लंड ने उसकी गांड में जगह बना ली तो मैं तेज़ धक्कों से उसकी गांड मारने लगा।

इस बार मैंने अपनी पूरी ताक़त फिर झोंक दी और अपना लंड जड़ तक उसकी गांड में पिलाने लगा। वो अब ज्यादा चिंख चिल्ला रही थी पर मैं जानता था की साली रांड है कुछ देर चिल्लाने के बाद मज़े से मेरा लंड खाने लगेगी। इसलिए मैंने कोई दया मया नही दिखाई और पागल सांड की तरह उसकी गांड मारने लगा।

इस बार मैं ज्यादा देर टिक गया क्योंकि मैं पहले दो बार झड़ चूका था। मैंने उसकी गांड मार मारकर लाल कर दी और फिर से उसकी गांड में ही झड़ गया। उस रात सारी रात मैं उसके घर में ही रुका रहा और सारी रात उसकी चुत फाड़ चुदाई करता रहा। उसकी चुत में अपना लंड रगड़ रगड़कर उसकी चुत फुला दी।

उस रात को मैंने उसकी चुदाई की प्यास को शांत कर दिया अंत में जब उससे मेरे लंड का मार अपनी चुत में झेला नही गया। तब वो छोड़ने की मिन्नते करने लगी। लेकिन मैंने अपना पानी जब तक उसकी चुत को नही पिलाया तब तक मैं उसकी चुत को चोदता रहा। सुबह जब मैंने देखा तो उसकी चुत और चुत के होठ फुलकर लाल हो चुके थे।

मैं उसकी चुत की हालत देखकर तुंरत अपने घर भाग आया और सारे दिन बदन में दर्द और सुस्ती के कारण सोता रहा। तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को पड़ोस वाली मोटी औरत की चुत फाड़ चुदाई। की कहानी उम्मीद है आप सभी को पसंद आई हो।

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