पड़ोस की विधवा भाभी की चुदाई

मैं ओडिशा का रहने वाला हूं। मेरा नाम समीर है मेरी उम्र 21 साल की है। मैं एक पिछड़ी जाति का हूं और एक छोटी सी बस्ती में रहता हूं। जहां एक भी पक्का मकान नही है। सब लोग छोटी छोटी सी झोपड़ी बनाकर उसमें रहते है।

पड़ोस की विधवा भाभी की चुदाई

मैं अपने मां पापा के साथ रहता हूं। मेरा परिवार एक छोटा सा परिवार है। मैं दिखने में बहुत हटा कट्टा हूं शायद मेरे शरीर की बनावट मेरी उम्र के हिसाब से ज्यादा है। जैसे मेरे पिता हट्टे कट्टे है उसी तरह मैं लंबा चौड़ा हूं।

मेरे बदन का हर हिस्सा मेरी उम्र के लड़को से डबल मोटा और चौड़ा है। जिस कारण मुझे तो कभी कभी अपने दोस्तों के आलोचनों का शिकार होना पड़ता था। वो मुझे मोटा मोटा कहकर चिढ़ाया करते थे। लेकिन जब मेरे दोस्त मेरे साथ पिसाब करते हुए मुझे और मेरे लंड को देखते थे। तो उन्हें मुझसे जलन होती थी।

मेरा लंड उन सब से बहुत मोटा और बड़ा था। मेरे ग्रुप में एक पतला दुबला लड़का था जिसकी कलाई जितनी मोटी थी उतना ही मोटा मेरा लंड था। जिसपर उस पतले लड़के की भी आलोचना होती थी। जब मेरे दोस्त मेरे लंड को देखकर जलते थे। उस वक्त मुझे बहुत खुशी होती थी।

मैं मूतने के वक्त अपने लंड की चमड़ी को बार बार पीछे करके उन्हें अपने गोल और मोटे गुलाबी सुपडे को दिखाकर और जलाता था। या ऐसे भी मुझे मूतने के समय अपने सुपड़े को देखना अच्छा लगता था। एक दिन की बात है। उस वक्त गर्मी की छुट्टियां चल रही थी। मैं अपने घर में अकेला था। क्योंकि मेरे मां और पापा दोनों काम पर जाते थे।

मुझे पीसाब लगी तो मैं अपनी झोपड़ी से निकलकर घर में पीछे वाली जंगल में चला गया। मैंने वहां अपनी पैंट की जिप खोली और अपना तना हुआ लंड निकालकर मूतने लगा। मैं अभी भी अपने लंड की चमड़ी को पीछे खींचकर अपने सूपड़े को निकालकर देख ही रहा था की तभी मेरी नजर मेरी दाईं ओर गई।

मैंने देखा मेरे बगल वाली भाभी वहां हगने बैठी हुई है। उनकी गांड पीछे से पूरी उघार थी। उनकी नाईटी पीछे से उठी हुई थी और उनकी कमर पर चढ़ी हुई थी। वो भी अपने कार्यक्रम के बीच में थी और मैं भी मूत रहा था। दोनों में से कोई वहां से हटने की हालत में नहीं था।

मैं बिना पलके झपकाएं भाभी की गेहूए रंग की उभरी हुई बड़ी गांड को देखे जा रहा था और वो भी बीच बीच में मेरे लंड को देखे जा रही थी। मुझे समझ नही आ रहा था की मुझे क्या हुआ। लेकिन मैं उनकी गांड को देखकर उत्तेजना से भर चुका था।

मुझे इसका भी खयाल नहीं था वो मेरे पड़ोस की भाभी है जिनका मैं हमेशा से सम्मान करता हूं। मेरा मूतना बंद हो गया वो अभी भी हग रही थी। मैं बिना कुछ सोचें समझे वहां उनके पीछे चला गया और उनकी गांड के पीछे खड़ा होकर अपने लंड को मुठ देने लगा।

मैं उनकी गांड को एक टक देखकर अपने लंड को मुठ्ठी में भरकर अपना माल निकालने लगा। कुछ ही देर में मेरे लंड से वीर्य की धार निकली और भाभी की पीठ और गांड पर गिरी। मेरी इस हरकत से भाभी चौंक गई। वो जल्दी जल्दी से अपनी गांड धोकर उठने लगी।

अभी भी मेरा लंड खड़ा था। जैसे ही भाभी झुककर उठी और सही पोजिशन में आई मैंने अपना नंगा लंड तुरंत उनकी गांड पर चिपका दिया। फिर मैंने आगे से हाथ लगाकर उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। भाभी मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी।

लेकिन मैंने उनको वैसे ही उपर उठा लिया उनके पैर जमीन से ऊपर उठ गए। मैं उन्हें एक पुराने पेड़ के पीछे ले गया। मैंने तुरंत अपना लंड उनकी झांटों से भरी चुत में प्रवेश कर दिया। अभी मेरे लंड का मोटा गोल सुपड़ा ही घुसा था। भाभी ने उछलना शुरु कर दिया वो बस भागना चाहती थीं।

लेकिन मैंने जोर ज़बरदस्ती उनका मुंह अपने बड़े पंजों से दबा दिया और एक ज़ोर का धक्का मारा जिससे मेरा आधा लंड भाभी की झांटों वाली चुत में घुस गया। वो छटपटाने लगी मेरा भी लंड उनकी झांटों की वजह से छिल गया। मैंने आधे लंड को ही भाभी की चुत में पेलना चालु किया।

कुछ देर वो मेरी जांघों को अपने नाखूनों से कुरेदती रही फिर अचानक मेरा लंड फिसलकर पूरा का पूरा उनकी चुत में घूस गया। मुझे भी समझ नही आया की इतनी आसानी से बिना ज्यादा ताक़त लगाए मेरा लंड पूरा उनकी चुत में कैसे घुस गया।

मैंने एक दो धक्के मारे तो मेरे लंड और भाभी की झांटों पर चुत का सफ़ेद गाढ़ा पानी लगाने लगा। मैं समझ गया की भाभी की चुत का रस निकल चुका है। अब भाभी मेरे हर धक्के को अपनी चुत में आराम से लेने लगी।

मैं भी अपना पूरा दम लगाते हुए उनकी चुत में अपना मोटा लंबा लंड चोदने लगा। भाभी बोली अरे अब बस करो कोई देख लेगा मुझे जानें दो। मैंने कहा भाभी अभी नखरे मत मारो तुम्हारा तो पानी निकल गया। कम से कम मेरा तो निकलवा दो भाभी चुप हो गई और मैं अपना काम करने लगा।

कुछ 10 मिनट के बाद मेरा पानी निकलने वाला था। मैंने कहा भाभी मेरा अब निकलने वाला है। थोड़ी देर और रुक जाओ तो वो तूरंत बोली अरे अंदर मत गिराना मेरा महीना आने वाला है कुछ हो गया तो लोग कहेंगे विधवा होकर बच्चा कैसे मुझ विधवा पर सवाल उठाने लगेंगे।

मैंने उनकी बात मानी और अपना लंड उनकी चुत से निकालकर उनकी बड़ी गांड की दरार में रगड़ने लगा। कुछ देर बाद मेरे लंड से सफ़ेद गाढ़ा पानी निकला जिससे भाभी की पीठ और गांड की दरार भर गई।

उसके बाद भाभी जल्दी से वहां से चली गई और मैं भी अपने घर आ गया। थोड़ी देर बाद मुझे सुकून की नींद आ गई। उसके हफ़्ते दिन बाद मैं घर में दोपहरी में अकेला था। उसी वक्त मेरी झोपड़ी के दरवाज़े पर किसी ने खटखटाया मैंने जब दरवाज़ा खोला तो वही भाभी झट में मेरे झोपड़े में घुस आई।

मैंने तुरंत दरवाजा बंद किया और जैसे ही अपने उस दिन की हरक़त के बारे में माफ़ी मांगनी चाही। भाभी ने कहा तुम मुझे क्या समझते हो। तुमने जान बूझकर मेरी जख्म को कुरेद दिया। पता है एक तो मैं विधवा जैसे तैसे अपने आप को इन सब बातों से खुद को संभाल रही थी। लेकिन तुमने मेरे साथ उस दिन वो सब करके मेरे अंदर की आग भड़का दी।

तुम्हारे लंड ने मेरी चुत ऐसी फैलाई की अब गाजर बैंगन से भी मुझे सुकून नहीं मिल रहा है। इतने दिनों से मैं अपने महीने के ख़त्म होने का इंतजार कर रही थी। हर वक्त अब तुम्हारे मोटे लंड का खयाल ही मेरे मन में रहता है।

अब तुम मेरे साथ उसी दिन की तरह जबरदस्ती करो तभी मुझे सुकून आएगा। मैं उनकी बातें सुनकर समझ नही पा रहा था की खुश होऊं या अपनी गलती पर पछताऊँ। लेकिन वो उस समय ख़ुद चाहती थी की मैं उनको जबरदस्ती चोदू।

मैं तुरंत उनके पास गया और अपने हाथों से उनके बालों को पकड़ लिया। फिर मैंने उन्हें घुटनों के बल बैठा दिया और अपना मोटा लंड निकालकर चूसने को कहा। वो ऐसा नाटक कर रही थी की वो मुझसे डरी हुई मेरी हर बात मान रही हो।

वो तुरंत मेरा लंड अपने हाथों में लेकर चूसने लगीं। कुछ ही देर में उन्होंने मेरे लंड को खड़ा कर दिया अब मैंने देर न करते हुए उनकी नाइटी उतार दी। देखा तो उन्होंने काली ब्रा और काली चड्डी पहनी थी। मैंने उनको बिस्तर पर पटक दिया।

और उनके उपर चढकर उनकी ब्रा और चड्डी को फाड़ने की कोशिश करने लगा। वो भी मुझसे अपनी ब्रा और चड्डी को बचाने का नाटक ऐसे कर रही थी की सचमुच जोर ज़बरदस्ती वाली फील आ रही थी। मैंने एक झटके में उनकी ब्रा फाड़ दी और अपना एक हाथ उनकी चड्डी में घुसकर उनकी चड्डी को भी एक झटके में फाड़ डाला।

मैं उनकी चुचियों को अपने हाथों में लेकर मिसने लगा। मेरी बड़ी बड़ी हथेलियों में उनकी चुचियां लाल हो गई थी। मैं उनकी दोनों चुचियों को मसल मसलकर बारी बारी दोनों को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था। मैंने उनकी फटी हुई ब्रा और चड्डी दोनों को उनके मुंह में ठूंस दिया था ताकि उनकी चीख न निकले।

मन भर भाभी की चुचियों को चुसने के बाद मैं उनकी कमर के पास आ गया। फिर मैंने उनकी दोनों सुडौल जांघों को पकड़ा और उनकी कमर को ऊपर अपने मुंह के क़रीब उठा दिया। फिर मैंने अपना मुंह उनकी दोनों जांघों के बीच डालकर उनकी चुत को चूसना चालु कर दिया।

वो अभी भी मुझसे बचने का नाटक करते हुए मेरे सर को पीछे ठेलकर मुझे अपनी चुत से दूर करने की कोशिश कर रही थी और साथ ही मेरे बालों को नोच रही थी। मैंने उनको छोड़ा और उनकी टांगों को फैलाकर उनकी टांगों के बीच लेटना चाहा। लेकिन बार बार वो अपनी दोनों टांगों को चिपका ले रही थी।

वो बार बार अपनी जांघों को चिपकाकर अपनी चुत को ढक ले रही थी। मेरी नाकाम कोशिश को देखकर वो हल्की मुस्कुरा रही थी और मेरा मजाक उड़ा रही थी। मैंने थक हार कर उनकी दोनों टांगों को फैलाकर बिस्तर के दोनों कोनो से बांध दिया।

अब मैं उनकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया और अपना मोटा लंड उनकी चुत पर रखा और एक जोर का झटका देकर अपना पूरा लंड एक बार में ही उनकी चुत में घुसा दिया। भाभी हल्की चीख पड़ी और अपनी आंखें बंद कर ली। उनकी बंद आंखों से आंसू बह रहें थे।

मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्का देकर उनकी चुत को चोदना चालु किया। मैं अपने शरीर की सारी ताकत झोंक कर अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा रहा था और अपने लंड को उनकी चुत में डाल रहा था। भाभी अब सच में रोने लगीं।

मैं ऐसे ही काफी देर तक भाभी को चोदता रहा वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी। मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने इसबार उनको बिना बताएं उनकी चुत में ही झड़ गया। जैसे ही मैं झड़कर शांत हुआ मैंने अपना लंड भाभी की गरम चुत से निकाला और उनकी चूचियों पर अपनी गांड रखकर बैठ गया।

मैंने अपना लंड फिर से उनको चुसने को कहा उन्होंने तुरंत मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया। फिर कुछ देर में भाभी ने मेरा लंड तैयार कर दिया। अब मैंने भाभी के पैरों की रस्सियों को खोल दिया और उन्हें बिस्तर पर पेट के बल लेटाकर उनके उपर लेट गया।

मेरा लंड भाभी की गांड की दरार में घुसा हुआ उनकी चुत तक पहुंच रहा था। मैं भाभी की पीठ और गर्दन को चूम रहा था। मैंने अपनी कमर हल्के से उठाई और अपना एक हाथ अपनी कमर के नीचे डालकर अपने लंड को पकड़ा।

फिर मैंने अपने लंड को भाभी की गांड के पीछे से उनकी चुत पर रगड़ने लगा। भाभी की चुत पर लंड रगड़ने से एक अजीब पक… पक.. की आवाज आ रही थी। भाभी को लग रहा था की मैं पीछे से उनकी चुत चोदना चाहता हूं।

लेकिन मैंने अपने लंड के सुपाड़े पर ढेर सारा थूक मला और अपने लंड के सुपाड़े को भाभी की गांड की छेद पर लगा दिया। भाभी ने पहले अपनी गांड अपने पति से चुदवाई थी। लेकिन मेरा लंड काफ़ी मोटा था। भाभी चौंक चुकी थी मैंने हल्का सा अपने लंड को भाभी की गांड में दबाया।

भाभी नखरे करने लगी ना ना.. नही.. यहां नह्हह…. ई.. लेकिन मैं अपने लंड को उनकी गांड में दबाने लगा। जैसे ही मैं अपने लंड का जोर उनकी गांड में बढ़ाने लगा। वो सचमुच रोने लगीं। आधा घंटा लगा मुझे उनकी गांड में अपना लंड डालने में वो आह.. आह… नहीई…. ममामा आ… छोड़ दो आआह्ह्हह…. ह.. ह.. ह… ह…

लेकिन मैंने उनकी एक नही सुनी मैंने अपनी कमर को उनकी मखमली गांड के उपर पटकना चालू कर दिया। मेरा लंड उनकी टाईट गांड में अंदर बाहर होना शुरू हो गया। वो छटपटाती और रोती रही मैं उनकी गांड मारता रहा।

मैं उनकी गांड चोदता हुआ उनकी गांड में ही झड़ गया। फिर भी मेरा लंड शांत नही हुआ मैं झड़ने के बाद भी उनकी गांड मारता रहा। अब उनकी गांड से मेरे लंड के साथ साथ वीर्य भी बाहर निकलता रहा दूसरी बार मुझे झड़ने में 25 मिनट का समय लग गया।

तब तक भाभी की गांड फट चुकी थी अब उनकी गांड आसानी से मेरा लंड निगल रही थी। अब मैं झड़ने को आ गया मैंने अपना लंड उनकी गांड से निकाला और उनके मुंह से उनकी ब्रा और चड्डी निकालकर अपना लंड उनके मुंह में दे दिया।

मैंने अपना सारा वीर्य भाभी के मुंह के निकाल दिया। वो भी मेरा सारा वीर्य निगल गई। कुछ देर भाभी हाँफती हुई अपनी गांड को सहलाती हुई बिस्तर पर नंगी पड़ी रही बाद में उठकर खुशी मन से मेरे गालों पर पप्पी देती हुई। अपने कपड़े पहनने लगी और अपनी फटी हुई ब्रा और चड्डी मुझे गिफ्ट के रूप में देती हुई अपने घर चली गई।

उसके बाद से मैं और मेरे पड़ोस की विधवा भाभी की चुदाई हर हफ़्ते चलती है। आज भी भाभी मुझसे खूब चुदवाती है। तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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