लड़ाकू पड़ोसन आंटी की जबरदस्त चुदाई

मेरा नाम रवि है। मैं कटक का रहने वाला हूं। मेरी उम्र अभी 23 साल है। मुझे ज्यादा हिंदी नही आती लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा की मुझसे इस कहानी को लिखने में कोई गलती न हो। अगर लिखने में कुछ गड़बड़ हो तो प्लीज़ मुझे माफ करें।

मैं अभी कॉलेज में पढ़ता हूं और अपने काम से काम रखने वाले स्वभाव का हूं। मैं ज्यादा किसी से नहीं बोलता। मैं अपने घर के बारे में बताता हूं। मेरे घर में मां , पापा और मैं तीन ही लोग रहते है। मैं दिखने में थोड़ा दुबला पतला और लंबी कद काठी का लड़का हूं।

लड़ाकू पड़ोसन आंटी की जबरदस्त चुदाई

मेरे पिता एक गवर्नमेंट एम्प्लॉय है। जिस वजह से हमे रहने को क्वार्टर मिला हुआ है। हम सब उसी में रहते है। वैसे हम जिस कॉलोनी में रहते है। वहां सब सरकारी जॉब वाले ही रहते है। यहां के सभी लोग क्वार्टर में ही रहते है। हम सभी के क्वार्टर आपस में सटे हुए है।

सरकारी क्वार्टर है पहले ज़माने का जिसमें एक छोटा सा बरामदा , दो कमरे और किचन है और बीच में एक छोटा सा आंगन है जिसमें बाथरुम है। उसी तरह मेरे बगल में भी एक क्वार्टर है। दोनों क्वार्टरों के आंगन में एक दीवार है जो दोनों को बराबर हिस्सों में बांटती है। वो दीवार इतनी कम हाईट की है की अगर कोई इंसान 2 फुट की टेबल पर उस दीवार के पास खड़ा हो जाए। तो दूसरे के आंगन में क्या चल रहा है उसे सब दिख जाए।

मैं अपनी उस पड़ोसन आंटी के बारे में बताता हूं। वो लड़ाकू स्वभाव की है। वो दिखने में ठीक ठाक ही लगती है। जैसी की आधी उम्र की औरतें होती हैं। उनके बदन की बनावट हरी भरी , ऊंची चौड़ी चूतड़ और उनके बूब्स भी बड़े और चर्बी वाले हैं। उनका रंग गोरा और पेट थोड़ा निकला हुआ है मैंने एक आद बार उनकी गोरे पेट की गहरी नाभि देखी थी। जो उनके शक्ल से बिलकुल मेल नहीं खाती है। आंटी की प्यारी चीजों में उनकी एक नाभी थी। जो मुझे चार्ज कर देती थीं।

वो इतने चिड़चिड़े मिजाज की थीं की आस पड़ोस के किसी से भी उनकी नही बनती थी। वो इसी तरह किसी न किसी बहाने से मेरी मां से भी लड़ती थी। उनकी लड़ाई मेरी मां से शुरू होती थी लेकिन वो मां को , पापा को और मुझे भी गालियां देती थी। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था। लेकिन मैं कभी औरतों की लड़ाई में नही पड़ता था। सब कुछ चुपचाप सहन कर लेता था।

लेकिन एक रात कुछ ऐसा हुआ। जिससे उस आंटी की सारी अकड़ मेरे सामने निकल गई और मैंने उनकी उसी गलती का फ़ायदा उठाकर अपनी सारी खुन्नस निकाल ली। कुछ दिन पहले उस आंटी के रिश्तेदारी में का एक लड़का आया था। कुछ दिन से वो लड़का उस आंटी और उनके पति के साथ उनके घर में रह रहा था। कभी कभी मेरे आंगन में उन दोनों की हंसी की खूब आवाजें आती थी।

उसके कुछ दिन बाद एक रात करीब एक बजे मुझे बहुत जोर प्रेशर आया। मैं अपने बरामदे के गेट को खोलकर आंगन में आया और बाथरुम में गया। तब कुछ खनखनाने की आवाज आई लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। जैसे ही मैं बाथरुम से आंगन में आया। एक दबी हुई लेकिन दर्द भरी आवाज आई ” अरे बाप रे ” ये आवाज मुझे अब साफ सुनाई दे चुकी थी।

मुझे उस आवाज को सुनकर समझते देर नहीं लगा की ये किसी औरत की आवाज है। तभी एक बार चूड़ी खन खनाने की आवाज के साथ फिर एक बार आवाज आई ” अरे बाप रे ए ” अब मुझे समझ आ चुका था की ये आवाज कहां से आ रही थी। मैंने देखा की बगल वाले आंगन में कुछ लाईट की रोशनी थी। मैंने चुपके से एक टेबल उस दीवार के पास लगाई।

आराम से उस टेबल पर खड़ा होकर उस आंटी के आंगन में झांक कर देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। मैंने जो देखा वो देख मैं दंग रह गया। वो आंटी झुकी हुई थी और वो लड़का उनकी साड़ी को पीछे से उठाकर उनकी कमर को नंगा किए हुआ था और अपना लंड पकड़कर शायद आंटी के गांड या चुत में डालने की कोशिश कर रहा था।

जब वो अपनी एड़ी उठाकर आंटी की गांड पर लंड दबा रहा था। तब आंटी की ” अरे बाप रे ” की कराह निकल जा रही थी। तभी आंटी ने कहा अरे यार गांड में नही। लेकिन वो लड़का जान बूझकर सैतानी करता हुआ बार बार अपने लंड को उनकी गांड में डालने की कोशिश कर रहा था। फिर आंटी को दर्द हुआ और वो उफ्फ.. करती हुई अपने हाथ से उसके लंड को पकड़के अपनी चुत पर लगा देती है।

तूरंत वो लड़का एक धक्का मारता है और गच्च से अपना पूरा लंड आंटी की चुत में डाल देता है। तभी वो लड़का बोलता है। साली तेरा पति तुझे नही चोदता इसलिए मै तेरी चुत की प्यास बुझा रहा हूं। तू रंडी कहीं की मुझे अपनी गांड मारने नही दे रही है मादरचोद कहीं की रंडी वो लड़का उनको गालियां देते हुए। गुस्से से उनकी चुत को बुरी तरह चोद रहा था।

आंटी आवाज न करने को गिड़गिड़ा रही थी बोल रहीं थीं की बिना आवाज के करो नही तो तुम्हारे अंकल जाग जायेंगे। लेकिन वो लड़का उनपर बड़बड़ाते किसी साइकों की तरह कस कस के उनकी चुत में अपना लंड पेल रहा था। आंटी उसके धक्कों से बार बार आगे बढ़ जा रही थी। मैंने चुपके से अपना फ़ोन निकाला और कैमरा चालू करके उनकी सुपर हिट फिल्म रिकॉर्ड कर ली।

मेरी वीडियो में उनका चेहरा और उनके बदन का नंगा हिस्सा साफ साफ नजर आ रहा था। मैं चुपचाप खड़ा हुआ उनकी चुदाई देख रहा था। अंत में आते आते वो लड़का आंटी की गांड को अपने पंजों से कुरेदते हुए जोर जोर के धक्कों से उनकी चुत चोदने लगा। आंटी के समझाने के बाद भी वो नही माना। वो लड़का किसी दरिंदे की तरह उनकी चुत मार रहा था।

आंटी ने अपने ही मुंह को अपने हाथों से ढक रखा था। ताकि उनकी निकलती चिंखे किसी को सुनाई न पड़े। तभी वो लड़का जोर जोर से हांफते हुए। आंटी की गांड पर अपनी कमर चिपकाकर और अपना लंड उनकी चुत में डालें एक दम से स्थिर खड़ा हो गया। फिर वो लड़का झुकी हुई आंटी को अपनी कमर से धकेलने लगा। आंटी भी झुकी हुई उसका लंड अपनी चुत में संभाले आगे बढ़ने लगी और दोनों रेल के बोगी की तरह एक साथ बाथरूम में घुस गए।

मैं वही दीवार के पास खड़ा होकर उनके बाहर निकलने का इंतजार किया। वो दोनों काफी देर बाद निकलें पहले वो लड़का बाथरुम से बाहर आया और सीधे घर में घुस गया। थोड़ी देर बाद आंटी लड़खड़ाती हुई बाथरूम के बाहर आई। उनकी साड़ी कही से कमर में बंधी तो कही से खुली हुई ज़मीन पर घसींटती हुई हालत में थी। उनकी एक साइड की ब्लाउज़ उतरी हुई और एक चूंची उनकी ब्लाउस के बाहर थी।

ऐसा लग रहा था। आंटी के बदन में जान ही नहीं थी वो बहुत थकी हुई थी। वो जैसे तैसे अपनी साड़ी समेटते हुई आंगन में ज़मीन पर बैठ गई। उनके चेहरे पर दर्द के साथ साथ एक अजीब सी खुशी की चमक थी। उस रात मुझे नींद ही नहीं आई मैं सारी रात उस लडके की जगह खुद को समझ के न जाने कितनी बार मुट्ठ मार चुका था।

जब मेरे लंड में दर्द होने लगा तो मैं थक कर सो गया। उसके बाद से मेरे दिमाग में प्लान चलने लगा। मैं उस आंटी से अपने और अपने घर वालों के सारे अपमान का बदला लेने का मेरे पास उस आंटी के खिलाफ सबूत भी था।

मैं रोज आंटी की नंगी बड़ी गांड को याद करके अपने लंड का पानी निकालने लगा। मैं बस सही मौके के तलाश में था। कुछ दिनों बाद वो लड़का चला गया। अब आंटी और उनके पति घर पर फिर से अकेले हो गए। मैंने अंकल की ड्यूटी सिफ्ट का पता लगाने लगा।

कुछ दिनों के बाद मेरा इंतजार सफल हो गया। अंकल की नाईट शिफ्ट ड्यूटी शुरू हो गई। अब रात को आंटी अकेली रहती थीं। तो मैंने अपने फोन से उनको उनका और उस लडके का चुदाई वाला वीडियो भेजा। तभी से मुझे आंटी के नंबर से लगातार फ़ोन आने लगा जो मैंने नही उठाया।

फिर मैंने मैसेज किया की अगर तुम चाहती हो की तुम्हारी विडियो तुम्हारे पति के पास न पहुंचे तो आज रात अपने आंगन में मिलना। मैं आऊंगा। झट से उनका रिप्लाई आया। ” ठीक है लेकिन प्लीज ये विडियो मेरे पति या किसी को मत भेजना “
उस रात मैं जल्दी खाकर सो गया और मां को बोला मेरी तबियत ठीक नहीं मुझे कोई डिस्टर्ब न करें।

जब रात के 11 बजे मैं चुपके से उठकर अपने कमरे से निकला और फिर से अपना दरवाजा बंद कर दिया। ताकि किसी को शक न हो की मैं अपने कमरे में नही हूं। मैं आहिस्ते से आंगन में गया और टेबल लगाकर आंटी के आंगन में देखा तो वो टेंशन में अपने आंगन में इधर से उधर टहल रहीं थीं।

मैं दीवार पर चढ़कर उनके आंगन में कूद गया। वो मुझे देखकर चौक गई। और बोली तुम ” मैंने उनसे बात करनी चाही लेकिन उन्होंने कहा अंदर चलो प्लीज़। मैं उनके कमरे में आ गया। उन्होनें कहा विडियो डिलीट कर दो प्लीज मैंने कहा जी नही करूंगा। मैंने कहा आपने जो मेरे घरवालों अपमान किया है। उसका हिसाब बराबर करना है।

वो कुछ देर तो मेरे सामने सीधी साधी औरत बनी रही लेकिन जैसे ही मैंने विडियो डिलीट करने से मना किया। वो जोर जबर्दस्ती मेरी पॉकेट में हाथ डालने लगी। मैंने उन्हें रोका तो वो मुझे थप्पड़ मारने लगी। मैंने उनसे कहा एक बार मुझे भी करने दो हिसाब बराबर तो भी वो नही मानी।

मुझे थप्पड़ मारे जा रही थी। मैंने भी गुस्से में एक ज़ोर का धक्का मारा और वो जमीन पर चित हो गई। उस धक्के से उनका पल्लू उनके सीने पर से नीचे हट गया। फिर मेरी नज़र उनकी ब्लाउस के गले पर गई। कुछ छन के लिए मेरी नजर उनके ममों के उभार पर पड़ी जो उनकी ब्लाउज़ के गले से आधे बाहर आ चुके थे।

जब वो मुझसे हांथाबाई कर रही थी तो उनके बड़े बड़े मम्मे भी उनकी ब्लाउज़ में उछल रहें थे। जब वो मुझसे काबू नहीं हो पाई। तब मैंने गुस्से से उनके ब्लाउज के गले को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और एक ही झटके में उनकी ब्लाउस खींचकर उनकी ब्लाउज़ की सारी हुक खींचकर तोड़ दी।

ब्लाउस फटते ही उनके बड़े बड़े मम्मे बाहर मेरी आंखों के सामने लटकने लगें। मैंने तुरंत उनको बिस्तर पर पटक दिया और उनके उपर चढकर एक हाथ में उनकी चुंची को पकड़कर पीने लगा। तो दूसरे हाथ से उनकी साड़ी खोलने लगा। वो अभी भी मेरे उपर अपने हाथों से हमला कर रही थी।

लेकिन मैं कस कर उनकी चूंचीयो को मसल और पी रहा था। अब तक उनकी साड़ी खुल चुकी थी। मैंने साड़ी को उनके बदन पर से नोचकर नीचे फेंक दिया। अब मैं उनकी पेटिकोट को खोलने लगा। जैसे जैसे उनकी पेटिकोट उनके कमर पर ढीली पढ़ने लगी। वैसे वैसे उनके हमले बढ़ने लगें।

मैंने गुस्से में एक दो थप्पड़ मारे जिससे वो अब शांत हो गई। मैंने उनकी पेटिकोट को भी निकाल कर नीचे फेंक दिया। अब वो मेरे सामने फटी हुई ब्लाउस में बिस्तर पर बिल्कुल नंगी पड़ी थीं। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और नंगा हो गया। मेरा खड़ा लंड देखकर आंटी के होश उड़ गए थे। मैंने अपना लंड उनके हाथ में दिया लेकिन उन्होनें मेरे लंड को झटककर अपना हाथ हटा लिया।

फिर मैंने उनको उल्टा करके लिटा दिया और उनके दोनों टांगों को फैला दिया। मैं आंटी के दोनों टांगों के बीच बैठकर अपना मोटा लंड उनकी गांड पर पटकने लगा। जिससे चट चट, की आवाज आती और आंटी की गांड फट जाती। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया।

फिर मैंने उनकी बड़ी गांड के दोनों फांकों को अपने हाथों से फैला दिया और उनकी गांड की छेद पर निशाना लगाते हुए थूक गिराया। फिर मैं अपने लंड का निशाना उनकी गांड की छेद पर लगाकर घुटनों के बल आकार अपना लंड उनकी गांड में दबाने लगा। आंटी चींखने लगी ” अरे बाप रे ए ” नही ” आह आह ना आ ” फिर मैंने एक ज़ोर का दबाव बनाया।

जिससे मेरे लंड का अगला हिस्सा आंटी की गांड में घुस गया। आंटी की हालत खराब हो गई। थोड़ा ही लंड गांड में गया था की वो चींख पड़ी आ आ आह्ह्ह्ह्ह.. बापप्प रे.. ए.. मैंने एक बार फिर दबाव डाला और धम से उनकी पीठ पर गिर गया। जिससे मेरी कमर उनकी गांड पर चिपक गई और मेरा मोटा लंड पूरा उनकी गांड में घूस गया।

वो रोने लगी और रहम करो प्लीज मेरी चुत में कर लो गांड में दर्द हो रहा है। प्लीज़.. मैं किसी को नही बोलूंगी। मैं बोला गांड भी मारूंगा तो किसी को क्या बोलोगी। रांड कहीं की उस लड़के का लंड मजे से खा रही थी अब मेरे लंड से तुम्हारी गांड फट रही है। उनके घर में कोई नहीं था। जो उनकी चीख और कराहेँ सुन सके। मैं उसकी का फायदा उठाकर बिना किसी डर के अपनी कमर उनकी गांड पर मारने लगा।

अब मैं आंटी की गांड चोदने लगा। उनकी गांड पहले से चुदी हुई थी लेकिन अभी भी टाईट थी। मैं अपनी कमर उपर उठा उठाकर अपना लंड आंटी की गांड में पेलने लगा। आंटी की दर्द भरी कराह निकल रही थी वो आआह्ह्ह्.. आह हा हा माआआ… उह्ह्ह्ह्ह… नही …. आ आअह्ह्ह… माआ..आह कर रही थी।

उनकी टाईट गांड की छेद ने मेरे लंड का सारा रस 10 मिनट में ही अंदर झाड़वा दिया। जब मैंने आंटी की गांड से अपना लंड निकाला तो उनकी गांड में भरा वीर्य बुलबुले छोड़ता हुआ उनकी गांड से बाहर बहने लगा।

अब आंटी नरम स्वभाव में आ गई थी। उन्होंने कहा जो तुम्हारा मन था वो तुमने कर लिया न अब मुझे छोड़ दो। मैंने कहा आंटी इतनी जल्दी कैसे अभी तो पूरी रात बाकी है। मैंने कहा तुम चुपचाप मेरा लंड मुंह में लेकर चूसो तो वो नखरे दिखाती हुई मना करने लगी। लेकिन जब मैंने विडियो के बारे में याद दिलाया। तो वो झट से मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

आंटी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी जीभ और होठों से अपना जादू दिखा रही थी। मैं नीचे खड़ा था और वो बिस्तर पर बैठकर मेरे लंड को चूस रही थी। तभी मैंने अपना एक हाथ उनके जांघों के बीच डाला और अपनी दो उंगलियों को उनकी चुत में डाल दिया। वो अचानक उछल पड़ी जैसे उनकी बॉडी में करेंट दौड़ गया हो।

वो मेरा लंड चूसती रही और मैं उनकी चुत में अपनी दो उंगलियां डाले और अपने अंगूठे से उनकी चुत के दाने को रगड़ते हुए अपनी उंगलियों को उनकी चुत के अंदर बाहर कर रहा था। उनकी चुत किसी गरम चूल्हे की तरह गरम थी। वो डर के कारण मेरे लंड को चूसते हुए मुझे देख रही थी।

मैं उनकी चुत में घपाघाप उंगलियों को पेल रहा था। आंटी अब मेरी उंगलियों के हरकत पर नाचने लगी। आंटी लंड चूसते हुए सिसकारियां भरने लगी आह… उच्च… उफ्फ… आन्ह्हह…. कुछ ही देर में उंगलियों पर ही आंटी की चुत का रस निकलने लगा वो गरम होकर झड़ चुकी थी।

तभी मैंने उनको बिस्तर के किनारे पर लिटा दिया और उनकी दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधों पर रख लिया। मैं नीचे खड़ा उनकी चुत पर अपना लंड सेट कर रहा था। फिर मैं उनकी चेहरे की तरफ झुका जिससे उनकी टांगें और उपर हो गई। वो दर्द से कराहने लगी। मैंने एक हल्का सा धक्का मारा जिससे मेरा लंड एकबार में ही उनकी चुत में घुस गया।

उनकी दोनों टांगें मेरे कंधों पर थी और मैं उनकी उपर झुका हुआ था जिससे उनकी दोनों जांघें उनके सीने को छू रही थी। उनकी टांगें ऊपर ज्यादा होने की वजह से नीचे से उनकी गांड उपर हो गई थी। मेरे लंड को उनकी चुत तक का रास्ता खुला मिल रहा था। जिस वजह से मेरा लंड जड़ तक उनकी चुत में समाया हुआ था और मेरी गोटियां उनकी गांड की छेद पर झूल रही थीं।

वो कराह रही थी। मैंने अपना एक घुटना बिस्तर के कोने पर रखा और ताकत लेकर उनकी चुत में बिना लंड बाहर निकाले धक्के लगाने लगा। आंटी की कराह अह्ह्हह…. आह्ह्…. माआआ…. आह.. निकल रही थी।

कुछ देर उसी तरह आंटी की चुत चोदने के बाद मैं अपने लंड को उनकी चुत के अंदर बाहर खींच खींचकर लंबे लंबे धक्के मारने लगा। उनका पलंग चरमराने लगा। सारे कमरे में ठप.. ठप…. चर्र .. चर्र की आवाज भर गई।

मैंने चुदाई के जोश में इतनी गजब तरीके से आंटी की चुत चोद रहा था की अचानक उनकी चुत की दीवारें टाईट होने लगी। उसी वक्त मैंने गौर किया की आंटी के थोड़े हाव भाव बदल गए है। पहले तो वो दर्द भरी आवाज निकल रही थी। लेकिन अब उनके मुंह से मादक आवाज आह.. आह… मम्.. अम्म… ओह्ह.. निकल रही थी।

ध्यान देने पर पता चला की अब आंटी ने अब अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर जमा दिया है और हल्का हल्का अपनी कमर उठाकर मेरे लंड को अपनी चुत में धकेल रही थी। लेकिन मैंने उनको उस वक्त टोका नही। मैं समझ गया था की इस रंडी को भी अब मजा आ रहा है और इसको अब सही से लंड देना पड़ेगा।

मैं लय में हल्के हल्के धक्कों के साथ ही उसकी चुत में चोदता रहा अब मैं और शायद वो भी झडने वाली थी। मुझे पता न चले इसलिये धीरे धीरे अपनी क़मर उपर उठा उठाकर वो भी मेरा लंड अपनी चुत में डलवा रही ही थी की अचानक से मेरे लंड के सुपाड़े पर कुछ गरम लगा। मैंने धक्का चालू रखा। अब उसकी चुत का पानी मेरे लंड पर लगकर मेरे लंड के साथ ही उसकी चुत के अंदर बाहर होने लगा।

5 से 6 धक्कों के बाद मैं भी चोदते हुए उसकी चुत में ही झड गया अब जब मैं उसकी चुत में लंड अंदर बाहर करता तो उसकी चुत से चप्प.. चप्प, फच्च.. फच्च की आवाज आने लगी। मैंने कुछ धक्के लगाएं। उसके बाद मैंने अपना लंड उसकी चुत से निकाल लिया।

मैं गहरी सांसें लेता हुआ बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और आंटी भी लंबी लंबी सांसे लेती हुई अपनी टांगें फैलाकर लेटी रही। उसने अपने एक हाथ से अपनी चुत के दोनों फांकों को फैला रखा था और अपनी पेट को तेज़ी से फूला और सिकोड़ रही थी। जिससे उसकी चुत से मेरा और उसका वीर्य बाहर निकल रहा था।

मैंने उसकी ओर देखा और चुपचाप उसके बगल में लेट गया। मैं उसके चेहरे को देख रहा था। वो भी कभी कभी मेरी आंखों में देख रही थी। मैंने उसकी एक चूंची पर हाथ रखा उसने कुछ नहीं कहा। मैं धीरे से अपना मुंह उसकी चूंची तक ले गया और उसकी चूंची को अपने मुंह की तरफ खींचकर चूसने लगा।

वो सीधी लेटी हुई थी जिससे मुझे उसकी निप्पल चूसने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी। कुछ देर बाद वो मेरी तरफ मुड़ गई और अपनी उस चूंची को अपने हाथ में ले लिया। फिर उसने अपनी निप्पल को मेरे मुंह के तरफ बढ़ा दिया। वो अब मेरा खुद साथ दे रही थी। मुझे बहुत खुशी हुई।

मैंने उसकी चूंची को जी भरकर पिया आधे घंटे बाद मैंने फर्नसे उसकी चुत में उंगली करनी शुरू कर दी। वो भी शरमाते हुए मेरे लंड को कभी कभार छू रही थी। लेकिन खुलकर मेरे लंड को पकड़ नही रही थी। फिर मैंने उसकी आंखों में देखा और उसकी चुत को दोनों उंगलियों से फैलाकर उसे इशारा किया तो वो समझ गई।

वो अपने आप ही बिस्तर पर अपनी टांगें खोलकर मुझे बीच में आने का रास्ता देते हुए लेट गई। मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया। फिर मैं अपना लंड उसकी चुत के दोनों फांकों के बीच उपर दानों तक से नीचे छेद तक रगड़ने लगा। वो तेज गहरी सांसें लेने लगी। जिससे उसका पेट तेज़ी में फुल और सिकुड़ रहा था। मैंने अपने घुटनों पर आते आते उसकी चुत में धीरे धीरे अपना लंड उतारने लगा।

कुछ ही देरी में लंड उसकी चुत में पूरा का पूरा समा गया। वो सिसकियां लेने लगी और मैं उसकी चुत में लंड डालकर उसके उपर अपनी कमर उछालने लगा। उसने एक हाथ से मेरी एक हाथ को पकड़ लिया और आन्ह्ह… आन्ह्ह्… करती हुई मोन करने लगी। मैं चोदते चोदते थकने लगा। मेरी कमर दुखने लगी थी। जिस कारण मैं रुक रुककर धक्के मार रहा था।

तभी उसने करवट ली और मुझे नीचे करती हुई मुझपर चढ़ गई। फिर उसने मेरी कमर पर से अपनी गांड थोडी उठाई और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत में सेट करके धम से मेरी कमर पर अपनी भरी भरी चूतड़ रखकर बैठ गई। फिर उसने मेरे दोनो हाथों को अपने हाथों से दबा दिया। फिर वो अपनी कमर को मेरी कमर पर सरकाते हुए धक्का लगाने लगी।

मेरा लंड उसकी चुत के अंदर बाहर होने लगा। कुछ देर तक वो वैसे ही चुदाई करवाती रही। फिर उसने अपने दोनों चूचियां मेरे मुंह पर लटका कर मुझपर झुक गई। मैं मज़े से उसकी दोनों चूचियों के निप्पलस को बारी बारी चूसने लगा साथ ही उसकी दोनो चुचियों को दबाने लगा।

वो मुझे पूरा चुदाई का मजा देने लगी। अब मुझे असली चुदाई का सुख मिलने लगा था। उसकी चुत थोड़ी ढीली थी। जिस कारण मैं जल्दी झड़ नही रहा था और बुरी तरह थक चुका था। मैंने जल्दी झडने के लिए अपना लंड उसकी चुत से निकाला और लंड को उसे अपनी गांड में लेने को कहा। उसने अपनी गांड उठाई मैंने अपना लंड उसकी गांड की छेद में लगा दिया।

फिर वो धीरे धीरे समय लेती हुई मेरे लंड पर बैठने लगी। जब लंड पूरा उसकी गांड में चला गया। तब उसने आहिस्ते आहिस्ते धक्का मारना शुरू किया। मुझे उसे अपने लंड पर बैठकर उसकी गांड चोदने में ज्यादा मजा आ रहा था। उसकी कसी गांड में मेरा लंड फिर उबलने लगा और उसकी गांड की गुफा को वीर्य से भरकर मेरा लंड मुरझाकर उसकी गांड से निकल गया।

लंड मुरझाने के बाद भी वो मुझपर बैठी रही और मुझे बारी बारी से अपनी दोनों चूचियां बदल बदलकर चूसने को देती रही। मुझमें ताकत न होते हुए भी मैं बड़े मज़े से आराम आराम से उसकी चूचियां चूसता रहा। फिर से उसके काले निप्पलस फिर सख्त और लंबे हो चुके थे। आंटी फिर से गरमा गई थी। उसके बाद मुझे जितने पोज आते थे। सभी पोज में उसकी चुत और गांड रातभर लेता रहा।

मुझे ताजुब्ब हुआ की साली इस उम्र में भी हार नही मान रही थी। शायद इस रांड की चुदाई इसके पति ने करनी बंद कर दी थी। जिससे वो चुदाई की भूखी हर वक्त लंड लेने को तैयार हो जा रही थी। मैंने सुबह तक करीब 4 – 4 बार उसकी चुत और गांड चोदी। सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं अभी भी उसपर चढ़ा हुआ था। और मेरा लंड उसकी गांड की दरार में घुसा हुआ था।

उम्मीद है दोस्तों आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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