मम्मी की मालिश

नमस्कार दोस्तो।

मेरा नाम नवीन है। मैं लुखनऊ का रहने वाला हूँ। मैं आनेवाली १२वी की परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ। मेरे पिताजी व्यापारी हैं जो अक्सर देश भर में घूमकर १-२ हफ़्तों के बाद घर लौटते है।

कुछ दिन रूककर वह फिर से अपने काम के सिसिले में निकल जाते हैं। मेरी माँ एक गृहिणी और वह हमारे घर की दूकान चलाती हैं। मैं भी कभी-कभी दूकान सँभाल लेता हूँ।

दोपहर के वक़्त, कुछ समय के लिए माँ दूकान को बंद रखती थी क्यूँकि उसे आराम करना होता है। मैंने ही माँ से कहा था कि दोपहर के वक़्त दूकान पर मैं बैठता हूँ ताकि कमाई भी हो जाए और माँ आराम भी कर ले।

वैसे तो मेरा असली उद्देश्य दूकान में आने वाली लड़कियों और औरतों को ताड़ने का होता था। एक दिन पापा का फ़ोन आया और वह बोल रहे थे कि २ दिन बाद वह घर लौटने वाले हैं। माँ और मैं दोनों खुश हो गए थे।

उस दिन दोपहर के समय, मैं जब दूकान पर बैठा था तब माँ आकर मुझसे बोली कि कुछ देर दूकान बंद करदे और मेरे कमरे में आ मुझे कुछ काम है। मैंने ठीक वैसा ही किया और माँ के कमरे में चला गया।

माँ आईने के सामने बैठकर अपने खुले बालों पर कंघी घुमा रही थी। मैं माँ से पूछने लगा कि उसका कौन सा काम करना है?

[माँ:] देख बेटा, तेरे पापा परसों आने वाले हैं और तू तो जानता ही है कि मेरा काम पापा को ख़ुश रखना है। मैं नहीं चाहती कि तेरे पापा जब रात को मुझपर टूट पड़ेंगे तब मेरे पैर के दर्द की वज़ह से मुझे उन्हें रोकना पड़े। तू ज़रा गरम तेल की मालिश कर देता तो मुझे अच्छा लगता।

मैं वैसे सुनहरे मौक़े को हाथ से निकलने देने वाला नहीं था। तुरँत रसोई-घर जाकर मैंने नारियल की तेल को छोटे-से बरतन पर गरम करने रखा। मैं गुनगुना नारियल तेल लेकर माँ के कमरे में पहुँचा। माँ बिस्तर पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर उसपर लेटी हुई थी।

मैं हाथ में नारियल तेल लेने ही वाला था कि माँ बोल पड़ी, ”बेटा तू ज़रा अपनी शॉर्ट्स निकाल दे वरना उसमें तेल का दाग़ लग जाएगा।” मैंने अपनी शॉर्ट्स निकालकर ज़मीन पर फ़ेंक दी और अंडरवियर में अपनी माँ के सामने खड़ा हो गया।

[माँ:] (शर्माते हुए) देख बेटा मैंने अंदर कुछ पहना नहीं है इसलिए अपने हाथों को एकदम ऊपर तक लेकर मत जाना, ठीक है?

मैंने अपनी गर्दन हिलाई और गुनगुना तेल हाथों में लगाकर माँ के पैरों पर लगाया। अच्छी तरह से उसके पैर दबाते हुए मैं अपने हाथों से माँ की पिंडली की मांसपेशी (काफ मसल्स) का मसाज करने लगा था।

माँ अपनी आँखें बंद करके मेरी मालिश का मज़ा ले रही थी। मैंने मौक़े का फ़ायदा उठाया और अपने हाथों को ऊपर घुटनों तक लेकर गया। मैंने माँ की मैक्सी उसके घुटनों तक उठा दी और मालिश को जारी रखा।

कुछ देर बाद, मैंने हिम्मत जुटाकर मैक्सी उठाई और अपने हाथों को माँ की जाँघों पर रख दिया। मैंने माँ की गरम जाँघों को सहलाना शुरू किया और माँ मदहोश होकर मालिश का मज़ा लेने लगी।

माँ मस्त होकर हल्की-हल्की सिसकियाँ लेने लगी थी। तभी मैं अपने हाथों को माँ के जाँघों के नीचे ले जाकर मालिश करने लगा। मैंने मैक्सी पेट तक उठाकर माँ की साफ़ चूत को ताड़ने लगा।

पहले मुझे थोड़ा अज़ीब लगा क्यूँकि मैं उसी चूत से बाहर आया था, लेकिन फिर हवस की गर्मी ने मेरे जज़्बातों को बदल दिया। मैंने अपना अंडरवियर निकाल दिया और अपने लौड़े को आज़ाद कर दिया। माँ मेरे खड़े हुए लौड़े को देखकर अपने होंठ काटने लगी।

[माँ:] बेटा अब मुझे इतना गरम कर ही दिया है तो बाकी का काम भी कर दे जल्दी से। मेरी गीली चूत और इंतज़ार नहीं कर सकती।

मैंने उसकी टाँगो को फैलाकर उसके चूत के पास अपना मुँह ले गया। अपनी ज़ुबान को उसकी काली चूत के अंदर घुसाकर उसे चूसने लगा। माँ सिसकियाँ निकालते हुए मेरे बालों को पकड़कर खींचने लगी थी।

उसकी काली चूत को चाटते हुए मैंने उसकी मैक्सी का बटन निकाल दिया। फिर उसकी मोटी चूचियों पर अपना हाथ घुमाने लगा। माँ की चूत को गीला करने के बाद, मैंने अपनी ज़ुबान को उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दी।

मैं उसकी गाँड़ की छेद को इस तरह चाट रहा था कि वह उत्साहित होकर चीख़ रही थी। माँ की चूत के अंदर दो उँगलियाँ घुसाकर ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने की वज़ह से उसने अपनी टाँगे मेरे गले के इर्द-गिर्द रख दी थी।

माँ अपनी काँपती हुई जाँघों के बिच मेरा गला फ़साकर उसे दबाने लगी। उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलना शुरू हुआ तब जाकर मैंने अपनी उँगलियाँ बाहर निकाली। मैंने अपनी गाँड़ को उसके मुँह के ऊपर रख दिया और उसपर चढ़कर लेट गया।

माँ मेरे लौड़े को हिलाते हुए मेरी गोटियों को चूस रही थी। मैंने अपनी उँगलियों से उसकी झाँटो वाली काली चूत को फ़ैलाकर फिरसे चूसने लगा। माँ कभी मेरी गाँड़ चाटती, तो कभी मेरे लौड़े को।

मेरा लौड़ा इतना कड़क पहली बार हुआ था। मैंने जैसे ही माँ की गाँड़ की छेद में अपनी उँगली गुसाई, वह गुदगुदी के कारण अपनी मोटी गाँड़ हिलाने लगी।

माँ को मैंने अपने ऊपर चढ़ाकर लेटा दया। अपने लौड़े को उसकी काली चूत पर थोड़ी देर घिसकर अंदर घुसा दिया था। शरु में धीरे-धीरे करके लौड़े को उसकी काली चूत के अंदर घुसाने लगा।

माँ की गाँड़ की दरार में अपनी उँगलियाँ फसाकर उसके चुत्तड़ों को फैलाया। उसकी सिसकियाँ सुनकर मैं उत्तेजित हो रहा था। फिर उसके चुत्तड़ों को पकड़कर मैं माँ को अपने लौड़े पर उछालने लगा।

मैं पूरी ताकत से अपने लौड़े को उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा। माँ के काले निप्पल को मैं एक-एक करके चूसकर उसे और ताकत लगाकर चोदने लगा।

थोड़ी देर बाद, मैंने माँ को बिस्तर पर कुतिया बनाकर लेटा दिया था। उसके चुत्तड़ों को फैलाकर मैं उसकी गीली चूत और गाँड़ को चूसने लगा था। अपने लौड़े को माँ की चूत में घुसाकर कुछ देर अंदर ही दबाकर रखा।

माँ की चूचियों को पकड़कर मैंने ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत के अंदर धक्के मारना शुरू किया। जब मेरे लौड़े का पानी छूटने को आ रहा होता, तब मैं धक्के मारना बंद करके माँ की गाँड़ में अपनी उँगली घुसाकर उसकी चीख़ें निकालता।

कुछ देर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारकर माँ को चोदने के बाद मेरा लौड़े का पानी निकलने वाला था। मैंने तब माँ को सीधा लेटा दिया और उसकी छाती पर बैठ गया।

अपने लौड़े को उसकी चूचियों के बिच में दबाकर उसे हिलाने लगा। माँ मेरी गाँड़ में उँगली डालकर मुझे उकसाने लगी थी। आख़िरकार, मैंने अपने लौड़े के पानी को माँ के मुँह के ऊपर छिड़क दिया था।

[माँ:] वाह मेरे बेटे। अब मुझे तेरे पापा का इंतज़ार करना नहीं पड़ेगा। जब वह घर पर नहीं होंगे तब ऐसे ही तू मेरी चूत बजा देना।

[मैं:] लेकिन माँ तुमने इतने दिनों तक अपनी हवस कैसे रोककर रखी थी?

[माँ:] अरे बेटा, इतने दिन मैं दूकान पर आनेवाले मर्दों को अपनी हरक़तों से उकसाती थी। मगर सभी मर्द मुझे रंडी समझने लगे थे, इसलिए मैंने उन्हें उकसाना छोड़ दिया।

[मैं:] माँ तू तो घरेलू रंडी है। इतने दिन सिर्फ़ पापा की थी और अब से मेरी भी। तुझे तो मैं अब रोज़ पेलुँगा।

दोस्तो, इस तरह मैंने अपनी माँ को चोदा और आगे भी उसकी चुदाई करता रहा। आप ये कहानी सेक्सी कहानी पर पढ़ रहे है।

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