मोटी माँ की मोटी चुत और गांड़

हैलो दोस्तों मैं ऋषभ आज मैं अपने जिंदगी की एक सच्ची आपबीती सुनाने जा रहा हूं। जिसके होने की संभावना कभी थी ही नहीं लेंकिन संयोग से ये सब सच में हो चूका था। मैंने अपने सपने में भी नही सोचा था की कभी मेरी सगी माँ मुझसे चुद जाएगी।

मोटी माँ की मोटी चुत और गांड़

लेकिन शायद भाग्य को यही मंजूर था। मैं जिस चुत से जन्मा था। उसी चुत में अपना लंड घुसा चुका था। अब मैं आप सभी को सब कुछ शुरू से बताने जा रहा हूं। मेरा नाम ऋषभ है मेरी उम्र 25 साल है। मैं देखने में साधारण सा ही लड़का हूं। मेरा शरीर न तो मोटा है न ही पतला 5 फुट 8 इंच की हाइट है रंग गोरा और मेरे लंड का साइज़ थोड़ा मोटा और लंबा है।

मेरी माँ एक कामकाजी महिला है। मेरी माँ एक सरकारी बैंक में काम करती है। उनकी उम्र 47 साल है। वो भी दिखने में गोरी चिट्ठी है। उनका शरीर थोड़ा मोटा झोटा है कम शब्दों में बताऊं तो वो पूरी तरह से प्लंपर मिइल्फ है। उनकी एक एक चूंची का वजन 3 – 3 किलो का होगा। मेरी माँ का बदन शुरू से ऐसा नहीं था। लेकिन सारा दिन बैठकर काम करने से उनपे मोटापा चढ़ गया था।

मेरी माँ का फिगर 34G-40-48 का है। मेरी माँ दिखने में खूबसूरत है। लेकिन उनके शरीर का अधिक मोटापा उनकी सुंदरता को दबा देता है। इसी वजह से शायद मेरी विधवा मोटी माँ को लोग निजी जिंदगी में इग्नोर करते थे। सभी उनको देख पीठ पीछे हंसते है ये बात मुझे पता थी। उनके ऑफिस के बाद न ही उनका कोई कलीग उनसे बात करता था  मर्द तो छोड़ो न ही माँ के कोई फीमेल फ्रेंड्स थे।

लेकिन मुझे मेरी माँ का मोटापा भा गया और मैंने कुछ ऐसा देख लिया की मैं माँ बेटे के बीच के रिश्ते की मर्यादा को लांघ कर बहक गया। एक दिन की बात है मुझे कुछ पैसे की जरूरत थी। मैं माँ के शाम को लौटने का इंतेजार करने लगा। शाम के करीब पांच बजे माँ घर आई और तुंरत फ्रेश होने चली गई।

जब माँ फ्रेश होकर निकली तो मैंने माँ से कहा माँ मुझे कुछ पैसों की जरूरत है। तो माँ ने गुस्से में मुझे पैसे देने से मना कर दिया। मुझे लगा की शायद अभी ऑफिस से आई है इसलिए उनका मुड़ खराब है। मैंने सोचा की चलो बाद में मांग लूंगा। रात के 9 बजे खाना खाने के बाद माँ से फिर पैसे मांगें लेकिन इस बार भी माँ ने मुझे मना कर दिया।

मुझे ये थोड़ा बुरा लगा। मैंने सोचा माँ ने मुझसे बिना कारण पूछे ही मना क्यों कर दिया। मुझे अपनी लैपटॉप ठीक करवाने के लिए पैसे चाहिए थे। क्योंकि मुझे कॉलेज का असाइनमेंट पूरा करना था। फिर मैंने पैसे चुराने के बारे में सोचा की जब माँ सो जायेंगी तो मैं उनके पर्स से पैसे ले लूंगा।

माँ किचन का काम निपटा रही थी। तो मैंने पैसे चुराने का प्लान किया। मैंने माँ के कमरे के दरवाज़े के लॉक में एक पतली सी तार घुसा दी जिससे माँ के कमरे का दरवाजा लॉक न हो पाए। कुछ देर बाद माँ घर की सारी लाइटें बंद करके अपने कमरे में सोने चली गई।

मैं भी अपने कमरे में आ गया और फ़ोन में रात के एक बजे का अलार्म लगाकर सो गया। जब 1 बजे फ़ोन का अलार्म बजा तब मेरी नींद खुल गई और मैं दबे पांव माँ के कमरे के पास आ गया। फिर मैंने माँ के कमरे के दरवाज़े का लॉक हल्का सा घुमाया तो दरवाजा खुल गया। उस वक्त सारा प्लान मेरे हिसाब से जा रहा था।

मैंने हल्के धक्के के साथ माँ के कमरे के दरवाज़े को खोला तो देखा माँ सो रही थी। उनके कमरे में नाईट बल्ब जल रही थी जिससे मुझे सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था। मैं चुपके से माँ के पलंग के बगल वाली दराज के पास गया और जैसे ही मैंने उस दराज को खोला मेरे होश उड़ गए।

उस दराज में वो भी था जिसके लिए मैंने इतनी मेहनत की थी और एक ऐसी चीज़ थी जिसको देख मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। उस दराज में एक रबड़ का लंड था। जो पूरी तरह चिपचिपा था और उस पर जहां तहां सफ़ेद गोंद जैसी चीज से लगी हुई थी। उस रबड़ के लंड और उस पर लगे धात को देखकर मुझे सारा माजरा समझ आ गया।

मैं काफी शॉक्ड था मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था की मेरी माँ ये सब कैसे कर सकती है। लेकिन उनकी सच्चाई अब मैं जान चुका था। मैंने उस रबड़ के लंड को उठाया और उसे नजदीक से देखने लगा। फिर मैंने उस लंड को सूंघना शुरू किया उस लंड से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली गंध आ रही थी। अचानक से अपने आप ही मेरा मुंह खुल गया और मैंने उस रबड़ के लंड को चूसना शुरू कर दिया।

मैं उस रबड़ के लंड को अपने मुंह में लेकर चुभला रहा था और उस रबड़ के लंड पर लगे माँ की चुत की मलाई को चाट रहा था। कुछ ही देर में मैंने उस रबड़ के लंड को चूस चूसकर साफ कर दिया और अपनी माँ के चुत का सारा माल खा गया। अब मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैंने धीरे से अपना लंड अपनी पैंट से निकाला और उस रबड़ के लंड से अपना लंड कंपेयर करने लगा।

रबड़ का लंड मेरे लंड के वजन, मोटाई में बिलकुल मेरे लंड का आधा था। मेरे खड़े लंड की लंबाई करीब 8 इंच थी और रबड़ का लंड 5 इंच का था। मैंने अपने लंड की जीत की खुशी में बुदबुदाते हुए कहा माँ इस रबड़ के लंड से ज्यादा मजा तो मेरा लंड देगा। फिर मैंने चुपके से माँ के रबड़ के लंड को उसी दराज में रख दिया।

फिर मैंने माँ के पर्स से कुछ एक्स्ट्रा पैसे निकाल लिए और चुपचाप अपने कमरे में आ गया। रात भर मुझे नींद ही नहीं आई मैं उस सच्चाई को पचा ही नही पा रहा था। रात भर उसी बात को सोच सोंचकर मेरा लंड बार बार खड़ा होता रहा।

अगले दिन की सुबह 9 बजे माँ अपने ऑफिस चली गई और अब मेरे दिमाग में माँ के लिए गंदे गंदे खयाल आने लगें। अब मुझे मेरी माँ को नंगा देखने का मन करने लगा। मैं दिनभर यही सोंचता रहा की मैं माँ को नंगा कैसे देखूं। तभी मेरे दिमाग में आया की नींद की नशे वाली गोली। मैं तूरंत मेडिकल गया और नींद की हाई पॉवर वाली कुछ गोलियां ले आया।

मेरे मन में माँ को नंगा देख पाने की खुशी थी। अब मैं बेसब्री से माँ के ऑफिस से लौटने का इंतेजार करने लगा। 5 बजे जब माँ घर लौटी तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा मैं अंदर ही अंदर फूला नहीं समा पा रहा था। माँ तुंरत लौटते ही रोज की तरह फ्रेश होने चली गई।

आधे घण्टे के बाद जब माँ बास्थरूम से बाहर आई तो मैं बड़े प्यार से   उनके लिए एक ग्लास में पानी लेकर उनके पास गया। मैंने उनके पानी में नींद की 3 गोलियां पहले से ही मिला कर रखी थी। मैं कोई चांस नहीं लेना चाहता था। इसलिए मैंने नींद की 3 गोलियां पानी में घोल दी थी ताकि जब तक मेरा काम पूरा न हो माँ को होश न आएं।

मैं जैसे ही पानी का ग्लास उनके पास लेकर गया। माँ ने कहा ऋषभ मैं थोड़ी थक गई हूं। थोड़ी देर सो लेती हूं बाद में उठकर रात का खाना बना दूंगी। उनके मुंह से ऐसी बात सुनकर मेरे चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गई। मैंने मन में ही कहा यही तो मैं चाहता हूं। की आप सो जाओ। माँ ने मेरे हाथ से ग्लास का पानी लिया और बिना किसी शक के सारा पानी पी गई और अपने बिस्तर पर लेट गई।

मैं उनके कमरे में से बाहर हॉल में आ गया। मेडिकल वाले ने कहा था की दवा का असर आधे घण्टे बाद शुरू हो जाएगा। मैंने एक घंटा हॉल में इंतजार किया। फिर मैं माँ के कमरे में गया और मैंने चेक करने के लिए ज़ोर ज़ोर से आवाज लगाई।

“माँ माँ उठिए आपने कहा था। थोड़ी देर सोऊंगी देर हो गई है” माँ उठिए! लेकिन माँ टस से मस नहीं हुई न ही उनपर मेरी आवाज का कोई असर हुआ। मैं उनके पास गया और उनके गालों पर हाथ थपथपाने लगा। लेकिन माँ ने कोई जवाब नही दिया। फिर मैंने एक आखिरी बार चेक करने के लिए माँ के कूल्हे पर एक ज़ोर का तमाचा मारा तमाचे से “थाप्प” की जोर की आवाज हुई।

लेकिन माँ अभी भी सोई हुई थी। अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थीं माँ पर दवा का असर साफ दिख रहा था। मैंने तुंरत अपना हाथ माँ के नाईटी के गले से अंदर घुसा दिया। मेरा हाथ माँ की 34G साइज़ की चुचियों को छुने लगा। मैं धीरे धीरे करके माँ की दोनों चूचियों को मसलने लगा। मेरी माँ घर में ब्रा नही पहनती थी।

जिस वजह से मुझे उनकी नाइटी के अंदर झूलती हुई पहाड़ जैसी चुचियों का आकार साफ साफ उनकी नाइटी के अंदर से झलकता था। मैंने माँ के नाइटी के गले से उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से पकड़कर बाहर निकाल लिया।

अब मैं माँ की दोनों चूचियों को बारी बारी से उनकी एक एक चूंची को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा। क्योंकि उनकी चूंचियां मेरे एक हाथ में नहीं आ रही थी। मैंने उनकी चुचियों को दबाते दबाते उनकी निप्पलों को अपनी उंगलियों से रगड़ना चालू किया। काफ़ी देर मैं माँ की चुचियों से खेलता रहा। उनकी चुचियों और निप्पलो में बदलाव आ रहें थे।

उनकी निप्पलें पहले के मुकाबले अब ज्यादा सख़्त और तन चुकी थी। अब माँ की चुचियों में थोड़ी गर्मी सी आ गई थी। मेरी हथेलियों पर उनकी चुचियों का बढ़ता तापमान साफ महसूस हो रहा था। मैं समझ गया की माँ नींद में बेहोश है लेकिन उनके शरीर को मेरे हाथों का संपर्क अच्छा लग रहा है।

अब मैं अपनी माँ को नंगा करने वाला था। आख़िर मैंने इसी काम के लिए इतनी मेहनत जो की थी। मैंने एक झटके में ही माँ की नाइटी और पेटिकोट को एक साथ पकड़ा और एकदम उपर उठा दिया। माँ एक पल में ही नीचे से पूरी नंगी होकर मेरी आंखों के सामने पड़ी थी।   माँ ने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी। उन्होंने सिर्फ नाइटी और पेटीकोट पहना था। जिसे मैं उपर उठा चुका था।

अब मैंने माँ के पेटिकोट के नाड़े को खोल दिया और जैसे तैसे मशक्कत करके उनकी कमर और उनकी टांगों से पेटिकोट को निकाल दिया। अब मेरी माँ सिर्फ नाइटी में मेरे सामने नीचे से पुरी नंगी हुई पड़ी लेटी हुई थी। फिर मैंने माँ की नाइटी को पूरा उपर उठाकर उनके कंधे तक कर दिया और नाइटी से उनका चेहरा ढक दिया।

अब मेरी माँ का बदन उनके गले से उनकी एडियो तक पूरा नंगा हो गया था। मेरी आंखों में मेरी माँ के नंगे बदन की चमक साफ़ झलक रही थी। मैं अपनी माँ के शरीर पर अपना हाथ फेरने लगा। मैं उनके गले , चुचियों से लेकर उनकी जांघों तक अपना हाथ फेरने लगा। उनके बदन पर हाथ फेरते हुए मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी कोमल गद्दे पर अपना हाथ फेर रहा हूं।

माँ के नंगे बदन और उनकी बेहोशी वाली हालत देखकर मेरी नीयत बदल गई। अब मुझे अपनी माँ को चोदने के खयाल आने लगे। मैं मन ही मन सोंच रहा था की अगर मैं इनको अभी चोद लूं। तो इन्हें कभी इस बात का पता भी नही चलेगा। माँ को चोदने की नीयत मेरे मन में आते ही मेरा हाथ मेरी माँ के पेट के नीचे उनकी दोनों मोटी मोटी जांघों के बीच चला गया।

जब मैंने थोड़ा ज़ोर लगाकर अपना हाथ माँ की जांघों के बीच दबाया तो मेरा हाथ मेरी माँ की चुत पर सट गया। उनकी गरम चुत को छूते ही मेरा लंड फुल कड़क हो गया और पानी छोड़ने लगा। मैं माँ की पेट को सहलाता हुआ उनकी चुत को अपने हाथ से रगड़ रहा था। अब मैं काफ़ी गरम हो चुका था और माँ की चुत से भी चिपचिपा बेरंग रस निकल रहा था।

मैंने अपने सारे कपड़े खोल दिए और बिलकुल नंगा हो कर बिस्तर पर चढ़ गया। फिर मैंने माँ की दोनों भारी और मोटी मोटी जांघों को अपने पैरों से ठेल कर फ़ैला दिया। फिर मैं माँ की एक जांघ पर अपनी एक जांघ रखकर चढ़ गया और अपना लंड उनकी चुत पर लगा दिया।

मैं धीरे धीरे अपनी माँ की जांघ से फिसलकर उनकी दोनों जांघों के बीच आने लगा और धीरे धीरे मेरा लंड माँ की धधकती हुई चुत के अंदर घुसने लगा। मैं उनकी चुत की गरमी पाकर तो मानों जन्नत की सैर पर था। मेरे होठ कांपने लगे और शरीर में एक अजीब सी बेचैनी होनी शुरू हो गई।

अभी मेरा आधा ही लंड माँ की चुत में समाया था की मेरा लंड झटके खाने लगा और अपना सारा माल माँ की चुत में ही निकाल दिया। मेरा लंड माँ की चुत में ही सिकुड़ गया और मैंने माँ की चुत में अपना लंड धकेलना बंद कर दिया क्योंकि मेरे लंड में अब सख्ती नही थी। लेकिन फिर माँ की चुत की गरमी ने ही मेरे लंड को खड़ा कर दिया।

मोटी माँ की मोटी चुत और गांड़

अब मैं धीरे धीरे अपना लंड माँ की चुत में धकेलने लगा अब लगभग मेरा लंड 5 इंच अंदर तक माँ की चुत में घुस चुका था। माँ की चुत की गरमी मुझे मदहोश कर रही थी। पर मैंने खुद को संभाला और अपने दोनों हाथों से माँ की दोनों चूचियों को पकड़कर उतने ही लंड से माँ की चुत में धक्के लगाने लगा।

कुछ देर वैसे ही धीमी रफ़्तार के साथ मैं माँ की चुत मारता रहा माँ को कोई फरक नहीं पड़ रहा था। मैं बिना किसी रोक टोक के उनकी चुत में अपना मोटा लंड चोदे जा रहा था। माँ की चुत ज्यादा तो नहीं पर टाईट थी। मैं उनकी चुत चोदते चोदते ज्यादा जोश में आ गया। मैंने अपनी जांघों की ताक़त लगाकर उनकी भी दोनों टांगें फैला दी और उनकी चुत में अपना पूरा दम लगाकर धक्के मारने लगा।

कस कस के धक्के पेलने से मेरा 8 इंच का लंड पूरा का पूरा माँ की चुत में घुसने लगा। मैं तो आराम आराम से ही उनकी चुत मार रहा था। लेकिन मेरे लंड के साइज़ के चलते उनकी चुत के साथ जबरदस्ती हो रही थी। माँ की चुत इतनी जल्दी मेरे 8 इंच के लंड को पचाने के काबिल नही थी। मैं जबरदस्ती अपना 8 इंच का लंड उनकी चुत में डालने लगा।

ज्यादा जोश में आकर मैंने अपना पूरा लंड एक बार में उनकी चुत से बाहर खींच लिया और एक ही धक्के में अपना पूरा लंड माँ की चुत में पेल दिया। मेरी माँ एक दम से आह….ह….. चींख पड़ी मैं एक दम से सहमकर रुक गया। अभी भी मेरी माँ की आंखें बंद थी। लेकिन वो चिंखी थी। शायद दवा के असर से उनकी आंखें नही खुल रही थी। लेकिन उन्हें महसूस सब हो रहा था।

मैंने तेज धक्कों के साथ उनके चुत में लंड की बौछार करनी शुरू कर दी। मैं अपनी पुरी ताक़त के साथ उनकी चुत में अपने लंड का वार करने लगा। माँ आह…आह….. अःह्ह्ह करती हुई कराह रही थी। लेकिन उनकी आंखें बंद थी। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ी हुई थी मुझे दवा के असर पर पूरा यकीन था। माँ अपनी चुत के दर्द से लगातार कराह रही थी और मैं लगातार उनकी चुत में अपना लंड पूरी रफ़्तार के साथ अंदर बाहर कर रहा था।

अब मैं माँ की चुचियों को बारी बारी से चूसने लगा और साथ ही उनकी चुत में धक्के जड़ने लगा। अब मैं झडने वाला था। तो मैं एक दो जबर्दस्त धक्के मारकर अपना लंड माँ की चुत की गहराई में घुसाकर रुक गया और अपने लंड के झड़ने का इंतेजार करने लगा। कुछ देर में मेरे लंड का लोड माँ की चुत में खाली हो गया।

उसके बाद मैंने अपना लंड माँ की चुत के बाहर निकाल लिया और माँ के नंगे संगमरमर जैसे चमकते बदन को घूरने लगा। माँ की चुत से मेरे लंड का रस निकल रहा था। मैं माँ की चुत पर अपना मूंह रखकर उनकी चुत चाटने लगा। मैं अपनी जीभ को उनकी चुत के अंदर डालकर अपनी जीभ से उनकी चुत को चोदने लगा।

कुछ ही देर में माँ के मुंह से मीठी सिसकारियां आह.. आह… उम्म्म… उम्म्… आह… जैसी आवाजें निकलने लगी। अचानक माँ की चुत की छेद सिकुड़ने फूलने लगी और फिर माँ की चुत से पाद की आवाज़ के साथ उनकी चुत से माल झड़ने लगा। मुझे उनकी चुत का झड़ना तसल्ली और खुशी दे रहा था।

फिर मैंने अपना पूरा दम लगाकर माँ को पलट के पेट के बल कर दिया अब मैं उनकी विसाल आकर की गांड़ देख पा रहा था। माँ की गांड़ मेरे अंदाजे से ज्यादा बड़ी और चौड़ी थी। मैंने उनकी गांड़ पर थप्पड़ मारना चालू कर दिया। माँ बेहोशी में ही हर थप्पड़ पर आह ह… अःह्ह्ह्हह … आह… कर रही थी। मुझे उनकी गांड़ से खेलने में मजा आ रहा था।

मैंने उनकी गांड़ की पीट पीट कर लाल कर दिया था। फिर मैंने अपने दोनों हाथों की ताकत से माँ के भारी भरकम गांड़ के दोनों हिस्सों को फैलाया और उनके गांड़ की दरार में अपना मुंह घुसाकर उनकी गांड़ की छेद को चाटने लगा। जब मेरी जीभ उनकी गांड़ की छेद पर फिरती तो चपड़ चपड़ की आवाज आती।

काफ़ी देर माँ की गांड़ चाटने के बाद मैंने बड़ी मुस्कील से माँ की एक टांग को आगे करके घुटनों से मोड़ दिया अब फिर मुझे उनकी चुत दिखने लगी। मैंने अपना मुंह उनकी चुत पर रखा और उनकी चुत चाटने लगा। साथ ही मैं अपनी जीभ नुकीली करके माँ की चुत में डालने लगा। मुझे उनकी चुत को जीभ से चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था। मैं उठकर माँ की गांड़ के पीछे बैठ गया। फिर मैंने अपना लंड माँ की गांड़ के पीछे से उनकी चुत पर लगा दिया और धीरे धीरे अपना लंड उनकी चुत के अंदर सरकाने लगा। अब मैं माँ के पीठ के उपर लेट चुका था और उनकी गांड़ को अपनी कमर से मसलते हुए मैं अपना लंड माँ की चुत में डालने लगा।

मैं माँ की गांड़ पर अपनी कमर पटकते हुए उनकी चुत में अपना लंड घुसा रहा था। करीब 15 मिनट तक माँ की चुत पेलने के बाद मैंने अपना लंड उनकी चुत से निकाल लिया। अब मैंने अपनी एक उंगली माँ की गांड़ में डाल दी और उस उंगली को माँ की गांड़ के अंदर बाहर करने लगा। मेरी माँ की गांड़ काफी टाईट थी अब मेरे मन में उनकी गांड़ चोदने की इच्छा होने लगी।

तो मैंने माँ की ड्रेसिंग टेबल पर से वेसलीन की डब्बी उठाई और अपने पुरे लंड पर वेसलीन पोतने लगा। तभी मेरी नजर ड्रेसिंग टेबल के साइड में टंगे एक कैलेंडर पर गई और ध्यान देने पर मुझे समझ आया की माँ का मासिक चक्र आने वाला था। माँ ने कोड वर्ड में 28 तारीख को तय किया था की उस दिन तक उनको पीरियड्स आ जायेंगे।

अब मैं अपने पूरे लंड पर वेसलीन पोत चुका था अब मेरा लंड चमक रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों में थोड़ी वेसलीन ले ली और माँ के पास आ गया। मैंने उनके गांड़ के दोनों हिस्सों को फैला दिया और अपनी उंगलियों से उनकी गांड़ की छेद पर अच्छे से वेसलीन लगा दिया।

माँ की गांड़ में वेसलीन लगाने के बाद मैंने अपना लंड माँ की गांड़ के छेद पर लगा दिया और एक ज़ोर का दम लगाया माँ थोड़ी हिली पर मैंने रुककर थोड़ा और कस के मैंने अपना लंड दबाया और मेरा सुपाड़ा माँ की गांड़ में घुस गया और वो बेहोशी में ही चीखने लगी। आआह्ह… आआह्ह्हह…. माआआआ…. आह…  पर मैंने एक ज़ोर का धक्का माँ की गांड़ में घुस गया।

माँ बेहोशी में चिंख चिल्ला रही थी। लेकिन मैंने उनकी चींखो को नजरंदाज करके मैंने अपना लंड घुसाकर थोड़ी देर के लिए रुक गया। जब माँ शांत हो गई मैं फिर माँ की पीठ पर लेट गया और अपनी कमर उठा उठाकर अपने लंड को माँ की गांड़ में पेलने लगा। माँ अभी भी कराह रही थी। लेकिन मैं बड़े आराम आराम से उनकी गांड़ मार रहा था।

मैंने धीरे धीरे अपना लंड घुसा घुसाकर माँ की गांड़ की छेद को फैला दिया। अब माँ की गांड़ में मेरे लंड के लिए अच्छी तरह जगह बन गई थी। अब मेरा लंड पूरा का पूरा उनकी गांड़ में घुसने लगा। मैंने उनकी गांड़ चोदने के वक्त कोई हड़बड़ी नही की मैं काफी आराम आराम से माँ की गांड़ चोदता रहा।

अंत में मैं झडने वाला था। तो मैंने अपना लंड निकाल दिया और आराम से अपना लंड माँ की चुत में घुसा दिया और अपना सारा माल माँ की चुत में निकाल दिया। उसके बाद मैंने माँ की चुत को साफ किया और उन्हें उनकी नाइटी पहनाई। फिर मैंने उन्हें उनकी पेटिकोट पहनानी चाही पर मैं उनके भारी भरकम कमर को उठा नही पाया।

मैंने उनकी पेटिकोट वही बिस्तर पर छोड़ दी उन्हें सिर्फ नाइटी में ही छोड़कर भाग गया। उसके अगले दिन सब कुछ नॉर्मल था। अगले दिन मैंने अपनी माँ को सब बता दिया पर वो जान नही पाई की उन्हें रात में कौन चोद रहा है। उसके बाद भी मैं माँ को चोदता रहा कैसे ये मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा।

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