मेरी बड़ी बहन के साथ मेरे अवैध संबंध

मेरी बड़ी बहन के साथ मेरे अवैध संबंध

मैं कपिल आपको अपनी जिंदगी की एक सीक्रेट कहानी बताने जा रहा हूं। मैं तब 19 साल का था। मैं और मेरा परिवार गाँव में रहते हैं। मुझे बैंगलोर के एक अच्छे कॉलेज में दाखिला लेने का मौका मिला।

क्योंकि मेरी बड़ी बहन की शादी के बाद बैंगलोर में ही रहती थीं। इसलिए मुझें वहाँ रहने खाने की दिक्कत नही होती। मेरी बहन मुझसे 8 साल बड़ी है। मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता था उसका नाम अपूर्वा है, हम बचपन में साथ खेलते थे, वह जहां भी जाती थी मुझे अपने साथ ले जाती थी। इसलिए यह तय हुआ कि जब मेरा दाखिला बैंगलोर के कॉलेज में होगा तो मैं अपनी बहन के घर रहूंगा।

कुछ दिन बाद मैं अपना सामान बांधकर अपनी बड़ी बहन के घर पहुँच गया। अपूर्वा जानती थी। कि मैं आऊंगा क्योंकि पिताजी ने अपूर्वा को पहले ही बता दिया था। अपूर्वा मुझे देखकर बहुत खुश हुई और मुझे गले से लगा लिया। गले लगते वक़्त उसकी चुचियाँ मेरे सीने पर गड रही थी। उसके चुचियों की गर्माहट से मेरे अंदर तूफान सा उठने लगा।

 फिर वो मुझे अपना घर दिखाने लगी। अपूर्वा का 2 कमरों वाला छोटा सा घर था। जिसमें से एक कमरे में कबाड़ जमा था। फिर मैंने जीजा जी के बारे में पूछा तो अपूर्वा ने कहा कि तुम्हारे जीजा जी तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए विदेश गए है। तुम आ गए तो अच्छा ही हुआ मैं अकेली हूँ। तुम्हारे आने से सहारा हो गया। अपूर्वा का एक 9 महीने का बेटा है।

क्योंकि जीजा जी अभी यहाँ नहीं है। और घर छोटा है, मेरी बहन ने मुझे रात में अपने बच्चे के साथ उसी बिस्तर पर सोने के लिए कहा। मैंने बच्चे को हम दोनों के बीच रखा और सो गया। सब कुछ सामान्य चल रहा था।

लेकिन नींद में मैंने अपनी बहन के बारे में सपना देखा कि वह मुझे गले लगा रही है और मुझे चूम रही है। सुबह जब मैं उठा तो मुझे सपने के बारे में सोचकर शर्म आ रही थी।मैंने कभी अपनी बहन के लिए ऐसा नही सोंचा था। मैंने बगल की तरफ देखा तो देखा कि मेरी बहन अभी भी सो रही है

अपूर्वा की साड़ी उसके सीने पर से हट गई थी, और उसका दूध उसकी सांसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहा है। अपूर्वा का दूध उसके ब्लाउज से बाहर आना चाहता था। अपूर्वा ने अंदर कोई ब्रा नहीं पहनी हुई है, ऐसा लगता है कि वह रात में बच्चे को दूध पिला रही थी। अपूर्वा के दूधों को देखते हुए एक अनजान सी कंपकंपी मुझ पर छा गई। मैंने अपनी बहन के शरीर को देखा।

अचानक अपूर्वा की नज़र मुझपर पड़ी। अपूर्वा अपनी नींद से जाग चुकी थी। पर उसे एहसास नहीं हुआ कि मैं उसके शरीर को देख रहा हूँ। मैंने उससे स्वाभाविक रूप से कहा, गुड मॉर्निंग दीदी। अपूर्वा ने भी कहा, गुड मॉर्निंग कपिल, इतनी सुबह उठ गए क्या? 

मैं हँसा और कहा कि मैं एक नई जगह पर एक नए बिस्तर पर लेटा हुआ था इसलिए मुझे लगता है कि मैं जल्दी जाग गया।अप्पू ने अपने सीने को देखा उसकी साड़ी का पल्लू उसके सीने से हट गया था। लेकिन बिना किसी जल्दबाजी के उसने अपने कीमती सीने को अपने पल्लू से हमेशा की तरह ढक लिया।

मैंने हाथ-मुंह धोए और फ्रेश हो गया। अपूर्वा ने भी ताजा नाश्ता बनाया, हमने साथ में नाश्ता किया। अपूर्वा घर के कामों में व्यस्त हो गयी। मैं बैठ गया और एक कहानी की किताब पढ़ी। करीब 11 बजे मैं उसके कमरे में उसे देखने गया कि वह क्या कर रही है। मैंने उसे अपने बच्चे को बाथरूम में नहलाते हुए देखा।

अपूर्वा मुझे देखकर मुस्कुराई और कहा, क्या बात है कपिल ?

मैंने कहा, “नहीं, कुछ नहीं। मैं यह देखने आया था कि तुम क्या कर रही हो। मैंने सोचा कि मैं तुमसे बात करूंगा और तुम्हारे काम में तुम्हारी मदद करूंगा।”

अपूर्वा ने कहा, जब तुम छोटे थे तो मैं तुम्हें ऐसे ही नहलाती था। और तुम्हें मेरे सामने कपड़े उतारने में शर्म आती थी।

मैंने कहा, हाँ दीदी, मुझे याद है जब तुम मुझे नहलाते समय रुलाती थी। मुझे अब भी लगता है कि अच्छा होगा अगर आप जैसा कोई मुझे नहला दे। मुझे खुद नहाना पसंद नहीं है।

अपूर्वा दीदी हँसी और कहा, मैं तुम्हें नहला दूंगी, मेरे छोटे प्यारे भाई। 
मुझे यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि मेरी बहन को अब भी लगता है कि मैं बहुत छोटा और प्यारा हूं। मुझे लगा कि अपूर्वा मुझे ऐसा कहने के लिए डाँटेगी।

अपूर्वा ने कहा, “ठीक है कपिल, तुम कमरे जाओ और जब मैं इसे(बच्चें को) नहला लुंगी तो मैं तुम्हें बुलाऊँगी।”

मैं नहीं जानता कि अगर अपूर्वा मुझे नाहलायेगी तो क्या होगा। मैं कमरे में बैठ गया और तरह-तरह की बातें सोचने लगा। अपूर्वा मुझे कैसे नहला सकती है, जो मुझे नहलाने के लिए तैयार हो गयी और अपूर्वा वास्तव में नहीं समझती कि मैं अब छोटा लड़का नहीं रहा। 
फिर मैंने अपनी बहन की आवाज सुनी वो मुझे बुला रही थी जैसे ही मैं उसके पास गया, उसने कहा, बाबू को सुला देती हूं, फिर मैं तुम्हें स्नान कराऊँगी।

मैंने कहा ठीक है दीदी, मैं फिर से मैं सोचने लगा कि क्या अपूर्वा मुझे बचपन की तरह नंगा करके नाहलायेगी? क्या मैं अपनी उत्तेजना को नियंत्रित कर सकूंगा? इन सब विचारों ने मेरे मन को कठिन बना दिया। उसी वक्त मेरी दीदी मुझे आवाज लगाकर बुलाने लगी।

मैंने जाकर देखा कि दीदी बाथरूम में मेरा इंतजार कर रही थी। अपूर्वा ने वह साड़ी सुबह पहनी थी। हालांकि साड़ी भीग न जाये इसलिए उसने साड़ी को नीचे से कमर तक थोड़ा ऊपर उठा रखा था। जिससे अपूर्वा के पैर और जांघ के कुछ हिस्से दिख रहे थे। 

मैं जैसे ही बाथरूम के अंदर गया, मेरी बहन ने बिना कुछ कहे अपने हाथों से मेरी शर्ट खोल दी। फिर उसने मेरा पजामा खोल दिया और नीचे कर दिया। मैं अब अंडरवियर में अपनी बहन के सामने था।
मुझें आश्चर्य और थोड़ी शर्म तब हुई, जब मेरी बहन ने मेरे अंडरवियर को नीचे खींचना शुरू कर दिया। मैंने उसे अंडरवियर खोलने से रोका। अपूर्वा ने हंसते हुए कहा, “अरे कपिल अपनी अंडरवियर खोलो, तुम्हें अभी भी वैसे ही शर्म आती है, मैंने तुम्हें कितनी बार नंगा देखा है?”

मैंने कहा, “अरे दीदी, मैं तब छोटा था, लेकिन अब मैं बड़ा हो गया हूं।”

अपूर्वा ने कहा, “मुझे पता है कि मेरा छोटा कपिल अब बड़ा हो गया है। तुम्हारे लंबे-लंबे पैर, लंबे हाथ हैं, और मुझे यह भी पता है कि तुम्हारी छोटी नुंनी लंबी और बड़ी हो गई है।” मैं चौंक कर बोला क्या।

उतनी ही देर में मेरा लंड उत्साह से कठोर हो गया था। जिसे देख अपूर्वा हँसी और कहा, “कपिल, इसमें शर्मिंदगी या शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है। यह सामान्य है।” फिर मेरे शरीर पर पानी बरसने लगा। फिर उसने मेरे सीने पर साबुन रगड़ना शुरू कर दिया। 

अपूर्वा ने मुझे पीछे मुड़कर खड़े होने के लिए कहा, फिर उसने मेरी पीठ और पैरों पर साबुन लगाया। फिर उसने मेरी गांड पर साबुन मला और अपने हाथों से साबुन को अंदर की तरफ रगड़ने लगी। मेरा लंड उतेजना से खड़ा होने लगा। मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था ताकि मेरी बहन को कुछ भी समझ में न आए।

अपूर्वा ने मुझे फिर से उसकी ओर मुड़ने के लिए कहा और फिर उसने मेरी छाती और सिर पर साबुन लगाया और फिर अपना हाथ मेरे पेट के निचले भाग पर ले आयी। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि मैं अपना हाथ मेरी नूनी पर से हटा लूँ। मैंने वहाँ से हाथ नहीं हिलाया। 

अपूर्वा ने मुझें थोड़ी मजाकिया अंदाज में फटकार लगाई और हाथ हटाने को कहा। जैसे ही मैंने अपना हाथ हटाया, उसने मेरी अंडरवियर नीचे खींच दी और एक हाथ में मेरा लंड ले लिया। और दूसरे हाथ से मेरे गोटियों को उठा-उठाकर साबुन लगाने लगी। मैं अपने लंड पर अपूर्वा के हाथ की पकड़ से मैं अपने आप को नियंत्रण में नहीं रख सका।

मैंने बहुत कोशिश की पर मैं अपने आप पर नियंत्रण नहीं कर सका, मेरे लंड से माल का फ़वारा निकला चूंकि मेरी दीदी बैठकर मेरी गोटियों को साबुन से मल रही थी जिससे मेरा माल उड़कर धारदार पिचकारी के साथ मेरी बहन के चेहरे और कपड़ों पर गिर गया। जिससे अपूर्वा ने क्रोधित होकर कहा, “बेवकूफ, तुम्हारा अपने आप पर कोई नियंत्रण नहीं है?”

अपूर्वा तुरंत खड़ी होकर आइने की तरफ मुड़ी, उसने आईने में खुद को देखा, मुस्कुराई और कहा, देखो कपिल, तुमने मेरे कपड़ों का क्या किया है? मैंने देखा कि मेरा माल उसके चेहरे पर साड़ी और ब्लाउज पर फैला पड़ा है। अपूर्वा ने कहा, “अब मुझे भी नहाना पड़ेगा।”

फिर उसने मेरे शरीर पर पानी डाला और नहलाया, फिर मुझे तौलिया लेकर बाहर जाने को कहा।

मेरे मन में शरारत सूझी फिर मैंने कहा, दीदी, तुमने मुझे नंगा देखा है और मेरे पूरे शरीर को छुआ भी है। मैं तुम्हें भी नहाते हुए देखूंगा।”

तब अपूर्वा को लगा कि मैं बड़ा हो गया हूं। उसने मुझे मना कर दिया। मेरे ज़िद करने पर अप्पू ने कहा, “ठीक है, देखो, लेकिन तुम मुझे छू नहीं सकते।”

इतना कहकर दीदी ने अपनी साड़ी उतार दी। फिर उसने अपना ब्लाउज खोल दिया। जिससे मुझे अत्यंत सुंदर चुचियों के दर्शन हुए। मैं दीदी के चुचियों को अपने मुँह में डालकर चूसना चाहता था। मैंने कहा, दीदी, तुम्हारे दूध बहुत सुंदर है। अगर मैं तुम्हारा बच्चा होता तो मैं चूस-चूसकर इन्हें खा सकता था।

दीदी ने शरमाते हुए कहा, “अगर तुमने ये सब बात करना बंद नहीं किया, तो मैं तुम्हें यहाँ से निकाल दूँगी।” तब अप्पू ने अपना पेटीकोट उतार दिया और पूरी तरह से नग्न हो गई।

मैंने अपनी आँखें चौड़ी कीं और अपनी बहन के नग्न शरीर देखने लगा। दीदी को ऐसी हालत में देखकर मैं थोड़ा लज्जित हुआ। पर मैं ऐसा मौका छोड़ने वाला नही था।

मैंने कहा, “दीदी, अगर आप मुझे अनुमति दें तो मैं आपकी तारीफ में कुछ कहूं। दीदी मान गयी। मैंने कहा कि मेरी बड़ी इच्छा है कि तुम्हारी बड़ी गांड पर सिर रखकर सोना चाहता हूँ। और दीदी आपकी योनि,चुत के बाल बहुत सुंदर, पतले और रेशमी हैं।”

जैसे ही मैंने बोलना समाप्त किया, उसने कहा, “अब तुम यहाँ से चले जाओ।” उसने मुझे बाथरूम से बाहर धकेल दिया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।

मैं निराश होकर बाथरूम के बाहर खड़ा हो गया। मुझे लगा कि कुछ किया जाना चाहिए। मैं किचन में गया और नंगा खड़ा हो गया। किचन से बॉथरूम में देखने के लिए एक जगह थी जहां से मैं दीदी को बॉथरूम में नहाते हुए देख सकता था। शायद दीदी मेरी बातों से उत्तेजित हो गयी थी।

दीदी बॉथरूम में अपने ही चुचियों को चूस रही थी। उनकी चुचियाँ इतनी बड़ी बड़ी थी कि उनके मुँह तक पहुंच जा रही थी। अपनी खुद की चुचियाँ चूसने के बाद, दीदी नहाने लगी और अपनी चुचियों को पेटीकोट ऊपर चढ़ा के ढक लिया।जिससे उनकी जाँघों को पुरा देखा जा सकता है। दीदी मुझे किचन में नंगा देखकर उनको नहाते हुए देखकर हैरान रह गयी और बोली, “ओ बेवकूफ, तुम यहाँ क्या कर रहे हो, कमरे में जाओ और कपड़े पहनो।”

मैंने कहा, “क्या मैंने तुम्हें परेशान किया नही ना?” नंगा रहना ह अच्छा लग रहा है।”

दीदी ने कहा, “ठीक है, जो अच्छा लगे वही करो।” उसके कुछ देर बाद अपूर्वा किचन में खाना बनाने लगी। मैं पीछे खड़ा होकर उसकी हिलती हुई गांड को निहार रहा था। जब से मैंने अपनी दीदी की नंगी गांड देखी थी। मैं उसकी गांड का दीवाना हो गया था। मेरा लंड उसकी गांड देखते-देखते सख्त हो गया था।

मैं जाकर अपनी बहन के पीछे खड़ा हो गया। और मैं अपने खड़े लंड को अपनी बहन की गांड पर दबाने लगा।

मुझे ऐसा करते देख दीदी चिल्लाई, “क्या कर रहे हो कपिल?”

मैंने कहा क्यों? अगर मैं तुम्हें अपने हाथ से छूता हूं, तो आपको कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मैं आपको अपने लंड से छूता हूं, आप चिल्ला रही हो।”

दीदी ने कहा, “लेकिन तुम अभी मेरी गांड को छू रहे हो, चाहे वह हाथ हो या तुम्हारा लंड, मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा।”

इस बार मैंने जानबूझ कर अपने लंड को उसके हाथ से छुआ।दीद ने महसूस किया कि मैं उसके साथ खेल रहा हूं, उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और जोर से निचोड़ा। जिससे मैं चीख उठा।

दीदी ने कहा, “अगर तुम मेरे पास फिर आओगे, तो मैं इसे फिर से निचोड़ दूँगी।” फिर दीदी फिर से खाना बनाने में लग गया।

मैं फिर अपनी बहन के पीछे खड़ा हो गया और फिर मैंने उसकी साड़ी को पेटीकोट सहित उठा दिया और उसकी गांड देखने लगा। दीदी ने झट से अपना पेटीकोट नीचे कर लिया और अपनी गांड को ढक लिया।

मैंने कहा, “नहाते वक्त मुझे अपना नंगा शरीर दिखाओ, लेकिन अब तुम्हें लाज क्यों आ रही है?”

दीदी ने कहा, “कपिल, प्लीज यहाँ से चले जाओ। तुम मुझे उत्तेजित कर रहे हो। मुझें हमारे बीच की सीमा याद है।  मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं कर सकती। और अगर तुम ऐसा करना जारी रखते हैं, तो मैं अब खुद को नियंत्रित नहीं कर पाऊंगी, इसलिए यहां से चले जाओ।”

मैंने दीदी को गले से लगा लिया और उसके होठों पर किस करने लगा। दीदी मुझे दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी। मैंने अपनी बहन का पेटीकोट उठाया और अपना लंड उसकी योनि से रगड़ने लगा। ऐसा करते ही दीदी मेरे ऊपर चढ़ गयी, मुझे गले लगाया।

उसने मुझे किश करना शुरू कर दिया। मैंने अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल दिया वो भी मेरे होंठ और जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने अपना हाथ उसकी पीठ पर रख दिया। फिर मैंने उसकी पेटीकोट का रिबन खींचकर पेटीकोट को साड़ी सहित नीचे खींच दिया। मैंने उसे कसकर गले लगाया और फिर से किस करने लगा।

फिर मैंने अपनी बहन का दूध निचोड़ना शुरू किया और उसके निपल्लों को अपने मुँह में डालकर करके चूसने लगा। मैं क्या कहूँ, मेरी बहन की चुचियों को हल्का सा दबाने के साथ ही उसकी चुचियों से दूध की धारे निकल रही थी। और मैं उसकी चुचियों को चूस-चूसकर उसका दूध पीने लगा। 

मैंने उसे दोनों हाथों से उठाया और किचन की टेबल पर बिठाया और उसकी योनि के चारों ओर किस करना शुरू कर दिया। फिर मैंने अपनी जीभ उसकी योनि में डाल दी और चूसने लगा। अपूर्वा दीदी की योनि बहुत गर्म और रस से भरी हुई थी। 

जैसे ही मैंने अपनी जीभ से उसकी योनि को चाटना शुरू किया, उसने थोड़ी देर बाद अपनी योनि का रस मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसकी योनि को अपनी जीभ से खोदने लगा और उसकी योनि का पूरा रस चाट गया। फिर मैंने अपना फुला हुआ मोटा लंड दीदी की योनि के द्वार में लगा दिया ताकि दीदी अपनी योनि में मेरा लंड खुद से डाल सके।

तब अपूर्वा दीदी ने कहा, नहीं कपिल, मेरी योनि तुम्हारे जीजा के लिए है। बेहतर होगा कि तुम मेरी गांड में घुसा दो। मैंने उसके मन की स्थिति को समझा पर मेरा मन उसकी योनि को चोदने का बड़ा मन था। तो मैंने दीदी को समझाया कि मैं अपना माल उनकी योनि में नही गिरने दूंगा।

थोड़ी ज़िद करने के बाद वो मान गयीं। फिर अपना लंड दीदी चूत में डालने के लिए अपने लंड को उनकी योनि के मुँह पर रखा। और फिर लंड को थोड़ा दबाते हुए थोड़ा कसकर धक्का दे दिया। जिससे एक धक्के में ही मेरा गोटा मोटा लंड उनकी योनि में घुस गया, वह चिल्लायी, “अरे गधे, आराम से करो भागी थोड़ी जा रही हूँ। आराम आराम से घूसा…

मैं आराम आराम से दीदी की योनि में अपना लंड अंदर बाहर कर उनकी योनि को भेदने लगा। दीदी आह आ आह… करने लगी। फिर मैंने दीदी से कहा दीदी मेरा निकलने वाला है ये कहकर अभी 2-4 धक्के ही मारे थे कि दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़कर अपनी योनि के बाहर कर दिया

मेरा लंड उनकी योनि से बाहर आते ही झड़ गया मेरा माल धार मारता हुआ कुछ उड़कर उनकी पेट पर पड़ा और कुछ माल उनकी योनि के आस-पास लग गया। अब मुझे दीदी की गांड मारने की इच्छा होने लगी दीदी ने तो पहले ही गांड मारने की इजाज़त दे दी थी।

फिर मैंने अपना लंड पकड़ा और सीधे ही दीदी की गांड की छेद पर लगा दिया और थोड़ा ज़ोर का धक्का मारा। जिससे दीदी फिर से चिल्लाई और बोली पागल “पहले खिसक जाओ, नहीं तो लंड अंदर नहीं जाएगा।”

मैं मुस्कुराया और अपनी बहन की गांड को चूमा और उसकी फिर से उसकी योनि को चूसने लगा और कभी-कभी मैं धीरे से एक उंगली भी डालने लगा। फिर मैं अपनी जीभ को उसकी योनि के छेद पर लपकाने लगा। 

थोड़ी देर बाद अपूर्वा दीदी बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। साथ ही दीदी अपने एक हाथ की उंगली को अपनी योनि के छेद में डालने लगी। मैंने कहा, दीदी, रुको, ऐसे चुसोगी तो मेरा माल निकल जाएगा।

दीदी ने चूसना बंद कर दिया मैंने दीदी की दोनों टाँगों को उठा दिया जिससे उसकी गांड की छेद थोड़ी खुल गयी। फिर मैंने अपने लंड का सिरा अपनी बहन की गांड की छेद पर रख दिया और धीरे से उसे दबाने लगा। लंड का सिरा अंदर जाने के बाद, मैंने जोर से धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड दीदी की गांड में डाल दिया। 

फिर मैंने अपनी बहन की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और ज़ोर- जोर से दीदी की गांड मारना शुरू कर दिया। अपूर्वा दीदी अपनी बाहों में मेरे गले को लपेटकर मुझे गले लगाकर मेरे चेहरे और होठों को चूम रही थी और मैं खड़ा होकर उनकी गांड में अपना लंड अंदर बाहर दौड़ा रहा था।

थोड़ी देर बाद फिर से मेरा माल निकलने का समय हो गया। मैंने कहा, दीदी मेरा माल निकलने वाला है तो दीदी ने कहा कि गांड में माल निकलने से उसे कोई दिक्कत नही है। ये सुनकर मैं भी बेफिक्र होकर गांड में धक्के जड़ने लगा। धक्के मारते मारते ही मैं उनकी गांड में ही झड़ गया।

दीदी की गांड में लंड डाले हुए। हमदोनो एक दूसरे को चूमने लगे। दीदी गांड में से माल निकलकर गांड की छेद के आसपास फैल गया था। फिर हम दोनों साथ में बाथरूम गए।अपूर्वा दीदी ने मेरे लंड को पानी से धोया और खुद को साफ किया।

मैंने उससे कहा, तुम थोड़ा बाहर जाओ, मैं पेशाब करूंगा।अपूर्वा दीदी हँसी और बोली,तुमने मेरे साथ चुदाई का पूरा खेल खेल लिया अब मेरे सामने पिसाब करने में शर्मिंदगी क्यों? क्या यह मेरे लिए देखना कोई नई बात है?

मैंने कहा, अच्छा तो तुम्हें कोई आपत्ति नहीं है, फिर मैंने मस्ती में उसके शरीर पर पेशाब करना शुरू कर दिया। दीदी तुरंत मेरे सामने आयी, मेरे खजाने को अपने हाथ में लिया और मेरी ओर कर दिया।

 कुछ समझ में आने से पहले ही मेरा पेशाब मेरे शरीर में आ गया। फिर मेरी बहन ने मेरी एक जांघ को अपने दोनों जांघो के बीच दबाया और मेरी जांघ पर पेशाब करने लगी। अपूर्वा दीदी गरम पेशाब का मेरी जांघ पर बहना अब मेरी जांघ पर महसूस होने लगा।

मैंने कहा, दीदी तुम मेरे बदन पर पेशाब कर रही हो, दीदी ने कहा, क्यों? तुम्हें अच्छा नहीं लगता, यह कहकर दीदी ने मुझे पकड़ लिया और मुझे पटककर कर मेरे चेहरे पर पेशाब करने लगी। मैं चिल्लाया दीदी तुम क्या कर रही हो, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर हम दोनों फिर से नहा-धोकर तरोताजा हो गए। फिर मैंने खाना खाया और सो गया।

मेरा अपनी बहन के साथ तब से अवैध संबंध रहा है। जब भी मौका मिलता है हम सेक्स करते हैं अपूर्वा दीदी को मैंने चोद-चोदकर पहले से कहीं ज्यादा कामुक कर दिया है। जब भी मुझे उसकी चुदाई करने का मन करता है मैं बस उसकी गांड को सहला देता हूँ। वो समझ जाती है कि मुझे उसकी योनि और गांड का भोग लगाना है।

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