किरायेदार भाभी की बूर की चुदाई

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अमन है। अब मेरी उम्र 25 साल है। मैं एक छोटी सी कंपनी में काम करता हूँ। और अपनी रोजाना जिंदगी जी रहा था। एक दिन की बात है जब हमारे यहां एक नए किरायेदार रहने आये जिसमें एक आदमी, औरत और उनका एक बच्चा था।

मैंने उस औरत को देखते ही उसे चोदने के सपने देखने लगा। वो देखने मे मस्त जिस्म वाली एक सुड़ौल महिला थी। जिसे देखकर मेरा मन मचलने लगा मैं उसकी तरफ हवस की नज़रों से देखे जा रहा था। पर वो मुझे अपने तरफ देखते हुए देखकर अपनी नज़रे झुका ले रही थी।

ऐसे ही कुछ महीने बीत गए हमारे बीच थोड़ी बहुत बात होने लगी थी। कभी कभार हसी मजाक भी हो जाय करती थी। मैं उनको भाभी बुलाया करता था। अब उन्हें यहां आए करीब 6 महीने हो चुके थे। एक दिन उनके पति का ट्रांसफर दूसरे इलाके में हो गया जो हमारे शहर से 80km दूर था।

वो वहां काम करने के लिए चले गए वो हफ़्ते में एक बार आया करते थे। और फिर अपने काम पर लौट जाते थे।

अब भाभी और उनका बच्चा अकेले रह गए थे। भाभी अब थोड़ी अकेली पड़ गयी थी। घर का सामान या कोई जरूरत की चीज के लिए या उनका कुछ भी काम होता तो वो मुझसे ही कहती और मैं उनका काम कर देता था।

भाभी का कमरा आँगन में था तो जब मैं एक दिन सुबह उठकर आँगन की तरफ गया तो मेरी नज़र भाभी पर पड़ी वो नहा कर अपने कमरे की तरफ आ रही थी। उस वक़्त उन्होंने सिर्फ पेटीकोट पहना हुआ था। और पेटीकोट को अपनी बूब्स पर बांधे कमरे की तरफ आ रही थी। जैसे उनकी नज़र मुझपे पड़ी वो मुस्कुराते हुए अपने कमरे में तेज़ी से घुस गई।

मैं समझ नही पाया कि वो शर्म से मुस्कुराई या कोई इशारा था। मैं दिन भर उनकी हँसी के बारे में ही सोचता रहा। कुछ दिन और निकल गए। गर्मियां चल रही थी। मेरी फैमिली के लोग गांव चले गए थे।

अब पूरे घर में भाभी , उनका बच्चा और मैं ही रह गए थे। एक शाम जब मैं कंपनी से आकर खाना खा रहा था। तभी लाइट चली गयी। खाना खाते खाते मैं पूरा पसीने से भीग चुका था। खाना खाने के बाद मैं आँगन की तरफ आया क्योंकि आँगन में हवा चल रही थी।

मैंने देखा भाभी पहले से ही आँगन में चाँद की रोशनी में कुर्सी पर बैठी है। उन्होंने मुझे देखते ही कहा आइये बैठिए और अपने कमरे से एक और कुर्सी निकाल कर अपनी कुर्सी से सटा कर लगा दी।

हम दोनों एक साथ बैठे थे। कुछ देर की चुप्पी के बाद भाभी ने मुझसे पूछा कि आपने खाना खाया मैंने कहा जी भाभी मैंने खा लिया है। और फिर कुछ इधर उधर की बातें होने लगी। भाभी ने हँसते हुए कहा कि आप कंपनी में काम करके थक जाते होंगे तो कोई सेवा करने वाली को क्यों नही लाते।

मैंने कहा कि हाँ भाभी थक तो जाता हूँ। फिर भाभी ने कहा कि मैं भी तो अपने काम आप पर ही लादती हूँ। आपको बूरा तो नही लगता मैंने कहा नही भाभी ऐसी कोई बात नही है। फिर भाभी ने अपना एक हाथ मेरी कंधे पर और दूसरा हाथ मेरी जांघ पर रखते हुए कहा कि अगर आप मेरी मदत नही करते तो मैं अकेली कैसे सब काम कर पाती।

भाभी का मेरी जांघो को छूना मुझे थोड़ा अलग और अजीब लगा। काफी देर तक उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघो और कंधो से हटाया नही और ऐसे ही मेरी तरफ देखते हुए बातें करती रही। मैं भी उनकी तरफ देखते हुए बातें कर रहा था।

मैं देख तो भाभी की तरफ रहा था। पर मेरा ध्यान भाभी के बूब्स के बीच की गहराई में लगा था। भाभी के ब्लाउज के गले से उनके बूब्स के उभार और उभारो के बीच की गहराई को देखकर उनके बूब्स के साइज का अंदाज़ा ले रहा था। मस्त सख्त और बड़ी बूब्स थी भाभी की जिसे मैं मन ही मन नीबुओं के तरह निचोड़ रहा था।

पता ही नही चला कि मैं कब उनके चुचियों के गिरफ्त में चला गया और मेरा लंड टाइट होकर आकार लेने लगा मेरा लंड खड़ा हो चूका था और मेरा लंड बड़ा होकर मेरी जांघ तक आ चुका था। मैंने अपने आप पर काबू रखने की बहुत कोशिश की पर मेरा लंड कड़क और सीधा होकर भाभी के हाथ को छू गया। भाभी को भी समझ आ गया कि मेरी पैंट में क्या हो रहा था।

मैंने भाभी को जब से देखा था तब से अपनी इस किरायेदार भाभी के साथ संभोग करना चाह रहा था। हर वक़्त मौके की तलाश में रहता लेकिन उस वक़्त जब ये सब हो रहा था। तब एक अलग सा डर लग रहा था। जैसे ही मेरा लंड भाभी के हाथ से स्पर्श हुआ तो भाभी ने

चौंक कर तरफ देखा और मुस्कुरा कर अपना हाथ थोड़ा नीचे किया मैं वैसे ही चुप चाप बैठा रहा। उसके बाद ऐसा लग रहा था कि मानो एकदम शांति सी छा गयी हो। फिर भाभी ने अपना हाथ ऊपर करते हुए मेरी जांघ पर ले आयी और फिर उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर जमा लिया

मैंने भाभी की तरफ देखा तो उन्होंने अपनी नज़रे नीचे कर ली और पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को अपनी उंगलियों से और मेरी जांघ को अपनी हथेली से सहलाने लगी। उनके लंड सहलाने से मुझमे नशा सा छाने लगा मेरे मुँह से आह,, आह,,हम्म,,मम्म,,, की आवाज़ निकलने लगी ऐसा लग रहा था।

की सालों से लंड की अकड़न और मेरे शरीर से बहुत बोझ कम हो रहा हो। अब भाभी मेरे लंड को सहलाते हुए मुझसे नज़रे मिला रही थी। मैंने भी अपने कांपते हुए हाथों से भाभी के पल्लू को नीचे सरका दिया और अपने दोनों हाथों से भाभी के दोनों बूब्स के ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा।

मन तो कर रहा था कि अभी उनकी ब्लाउज उतार दूँ। पर हिम्मत नही हुई क्योंकि वो भी अभी मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी। तो मैंने भी उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा। जब मैं उनके बूब्स को कसके मसलने लगा तो वो उ ह,,,अ ह,,, आह,, इसस,,, करने लगी।

फिर मैंने सोचा कि क्यों न भाभी की बूर को रगड़ा जाए तो मैंने अपना एक हाथ भाभी की दोनों जांघो के बीच ले गया और एक हाथ से उनकी चुचियाँ बारी-बारी मसलता रहा फिर मैंने भाभी की साड़ी की प्लेट के नीचे से अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उनकी बूर पर ले गया।

जैसे ही मेरा हाथ उनके बूर के दाने पर लगा तो भाभी और ढीली पड़ गयी मैं उनकी बूर को अपनी उंगलियों से रगड़ने लगा। इतना रगड़ा की भाभी बिना चुदे रह न पाए। भाभी अपनी बूर रागड़वा कर मस्त होने लगी और मदहोश आवाज में आह..आआन्ह… उम्म…करने लगी।

भाभी अब गरम हो चुकी थी। उन्होंने मेरा लंड पैंट से बाहर निकाल लिया और अपनी मुट्ठी में लेकर मेरे लंड को फेटने लगी। अब मुझसे भी रहा नही जा रहा था। तो मैंने अपनी कमर थोड़ी उठाई और अपनी पैंट निकाल कर नंगा कुर्सी पर बैठ गया। फिर मैंने भाभी के गांड के नीचे हाथ लगाकर उठने का इशारा किया।

भाभी उठकर खड़ी हो गयी और शरमा कर इधर उधर देखने लगी। ये तो पक्का था कि भाभी का चुदने का मन था। मैं कुर्सी पर बैठकर अपने लंड को सीधा करके पकड़े हुए था। शायद भाभी को समझ नही आ रहा था। कि वो यहाँ कैसे करे फिर मैंने भाभी को गोद मे बैठने का इशारा किया।

तब भाभी ने अपनी साड़ी उठाई और अपने पेट के ऊपर लपेट लिया मैंने अपनी टाँगे सीधी करके फैला दी भाभी मेरी टाँगों के बीच में आकर खड़ी हो गयी। मैं उनकी बूर देखना चाहता था। पर वो मेरी तरफ अपनी गांड घुमा कर खड़ी हो गयी।

मैं उनकी गांड देखकर पागल हो गया। मैंने जितना सोचा था उनकी गांड उससे भी बड़ी थी। मैं उनकी थोड़ी साँवली गांड को अपने हाथ से छूने लगा भाभी की गांड एकदम रुई के तकिए जैसे नरम थी। फिर भाभी ने मेरे लंड को पकड़ा और धीरे से मेरा लंड अपनी बूर में दबाया और झटके से मेरी गोद मे बैठ गयी।

मेरा लंड भी झटके से उनकी बूर में पिल गया। मेरे मुँह से आह.. ओह्ह…. की आवाज निकल आयी फिर भाभी मेरे लंड पर उछलने लगी। अब भाभी अपनी गांड को मेरी जांघो पर पटक-पटक कर अपनी बूर को मेरे लंड से चोदने लगी।

मैंने अपने दोनों हाथों को भाभी के कमर में लपेट लिया और जब भाभी उछाल मारती तो मैं भी अपने हाथों से उनकी कमर को धकेलता खींचता जिससे लंड सही और पूरा उनकी बूर में घुसता कुछ ही देर में भाभी की बूर चिकनी हो गयी शायद भाभी अब झड़ चुकी थी। जब मेरा लंड उनकी बूर में घुसता तो ऐसा लग रहा था कि मानो मेरे लंड पर कोई वैक्यूम लगा हुआ है। जो मेरे लंड को अपने अंदर खींच और जकड़ रहा हो।

भाभी अभी भी अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवा रही थी। कुछ धक्कों के बाद फिर ऐसा लग की भाभी की बूर ने मेरे लंड को कस के जकड़ लिया हो और साथ ही फचड़.. फचड़… फच..फच की आवाज आने लगी। और मेरी लंड और गोलियों पर उनके बूर का पानी बहने लगा।

भाभी शांत पड़ गयी और रुक गयी। पर मेरा लंड अभी भी सख्त था उन्होंने मेरी तरफ देखा और मैं समझ गया कि भाभी थक गई है। अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। तो मैं भी खड़ा हो गया और उन्हें अपनी बाँहों में लेकर खड़े-खड़े किश करने लगा भाभी भी मेरे सर को पकड़ के किश में मेरा साथ देने लगी।

फिर मैंने उन्हें किश करते हुए उनके चुचे दबाने लगा जिससे भाभी फिर गरम होने लगी और गरम गरम सांसे छोड़ने लगी। अब मैंने भाभी के कमर में बंधी हुई साड़ी को खींच दिया साड़ी ज़मीन पर गिर गयी। और उनके होठों को अपने होठों से लॉक करके किश करने लगा।

फिर मैंने उनकी पेटीकोट की डोरी को खोल दिया जिससे उनका पेटीकोट निकल गया और उनकी एड़ियों के पास पहुँच गया। अब भाभी नीचे से बिल्कुल नंगी थी। उनके बदन पर सिर्फ ब्लाउज ही बची थी। फिर मैंने अपने एक हाथ से उनकी बूर को रगड़ने लगा। उनकी बूर के दाने के ऊपर ही थोड़ी सी झाँटे थी। नीचे पूरी तरह साफ सुथरी जैसे ही मैंने अपनी एक उँगली उनकी बूर में डाली तो वो अंगड़ाती हुई।

मुझसे और ज़ोर से लिपट गयी और अपनी चुचियों को मेरे सीने पर दबा कर मुझे अपनी बाँहों में घेर लिया। मैंने भी उनकी बूर में उँगली मारनी और उनकी बूर के दाने को रगड़ना चालू रखा वो मुझसे लिपटी हुई आह.. आह.. ओहो..ओ… हम्म… कर कलपने लगी।

फिर मैं भाभी को आँगन की सीढ़ियों पर ले गया और घोड़ी बना दिया और मैं उनके पीछे खड़ा होकर अपना लंड उनके गांड और बूर के रास्ते पर रगड़ने लगा। जिससे मेरे लंड का टोपे पर उनकी बूर का रस लग गया।

अब मैं अपना लंड भाभी की बूर में डालने को तैयार था और शायद भाभी भी इसी इंतेज़ार में थी। तो मैंने पहले अपनी एक उँगली पर थूक ली और उँगली को भाभी की बूर में घुसाया। भाभी मचल सी गयी मैं भाभी की सूरत देख समझ गया कि ये लंड लेने के लिए तड़प रही है। फिर मैंने उँगली निकाल कर अपना लंड भाभी की बूर के छेद पर रखा और भाभी की कमर को पकड़ के कस कर लंड को उनकी बूर में हुमच दिया।

भाभी तड़पने लगी आह..ह..ह.. मा आ आ…. करने लगी मैं उनकी कमर को पकड़ के अपना लंड उनकी बूर में चलाने लगा। मेरा काला मोटा लंड भाभी के बूर के चमड़े को फैलाता हुआ अंदर बाहर होने लगा। मैं तेज़ी से भाभी कमर को आगे पीछे खींचने लगा। जिससे मेरा लंड तेज़ गति के साथ भाभी की बूर में घुसने लगा।

साथ ही जब मेरी कमर ज़ोर-ज़ोर से भाभी की गांड से टकराने लगी तो ठाप-ठप्प ठप्प की आवाज के साथ हमारी चुदाई भी तेज होने लगी। मैं उस आवाज से इतना उत्तेजित हो गया कि मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। हम दोनों का शरीर पसीने से तथपथ हो चुका था।

मेरे पेट का पसीना मेरे लंड से बहता हुआ भाभी की बूर में जा रहा था और उनकी गांड का पसीना भी बहकर लंड के साथ बूर में जा रहा था। जिससे उनके बूर में इतनी फिसलन हो गयी कि लंड बार – बार उनके बूर से निकल कर उनकी गांड की छेद से अड़ जा रहा था।

मैं थक चुका था और भाभी की हालत भी ठुकवाते ठुकवाते ढीली हो चुकी थी। अब मुझमे और चोदने की हिम्मत नही थी। तो मैंने भाभी की गांड और चुत को देखकर अपने लंड की मुठ मारने लगा अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड भाभी की बड़ी गांड की दरार में धंसा दिया और उनकी कमर को पकड़ लिया।

मेरे लंड ने उनकी गांड की दरार में पिचकारी छोड़ दी जिससे उनकी गांड की दरार मेरे वीर्य से भर गई। और मेरे लंड का माल उड़कर उनकी पीठ तक पहुंच गया था। जब तक मैं पूरा नही झड़ा तब तक भाभी वैसे ही मेरे लंड को गांड की दरार में फंसाए घोड़ी बनी रही।

फिर मैं भी अपनी टाँगे फैलाकर सीढ़ियों पर बैठ गया और गहरी गहरी सांसें लेने लगा। भाभी उठकर अपनी बूर को कपड़े से पोंछने लगी। मैं उनकी ब्लाउज में कैद हिलती हुई चुचियाँ देख रहा था। भाभी भी मेरी तरफ देख रही थी और वो समझ गयी थी कि मैं क्या देख रहा हूँ। पर वो कुछ बोली नही

फिर मैंने भाभी को अपने पास बुलाया और उनकी चुचियों को पीने की इच्छा जताई तो भाभी फिर से मेरी गोद मे बैठ गयी इसबार हम दोनों के चेहरे सामने थी। भाभी अपनी बूर से मेरे लंड को चाप कर बैठ गयी।

और अपनी ब्लाउज के सारे हुक खोलकर अपनी एक चूची को अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुंह पर रख दिया। मैंने भी झट से उनकी चूची को अपनी मुँह में भर लिया। भाभी ने मेरे सर को अपने सीने से सटा लिया और मेरे बालों को सहलाती हई बारी-बारी अपनी दोनों चुचियों को मेरे मुँह में देने लगी। मैं के उनके निप्पलों को चूस-चूस कर लाल कर चुका था।

मैंने उनके दोनों दूधों को जब तक मेरा मन नही भरा तक चूसा। भाभी मेरी गोद में ऐसे बैठी थी कि मेरा लंड उनकी बूर के दोनों पट्टो के बीच लेटा पड़ा था। और उनकी बूर की भट्ठी जैसी धधक रही थी। मेरा लंड उनकी बूर की गर्मी से जल रहा था। भाभी फिर गरम हो चुकी थी। पर मुझे नींद आ रही थी। तो मैंने भाभी से कहा मुझे नींद आ रही है। तो उन्होंने भी कहा कि जाइये सो जाइये काल आपको ड्यूटी भी तो जान है।

भाभी ने थोड़ी निरासा के साथ कहा लेकिन वो मेरी हालत समझ रही थी। फिर भाभी ने मुस्कुरा कर मुझे किस किया और मेरे लंड को निहारते हुए अपने कपड़े उठाकर अपने कमरे में चली गयी। मैं भी अपने कमरे में आकर जिस हालात में था उसी हालत में सो गया।

अगली सुबह उठकर जल्दी से ड्यूटी के लिए निकल गया और सारा दिन बस भाभी को ही याद करके अपना लंड गरम करता रहा बस मैं यही सोच रहा था। कि जल्दी से बस छुट्टी हो जाये कि मैं फिर से भाभी को अपने लंड का स्वाद चखा सकूँ।

शाम 7 बजे मेरी छुट्टी हुई करीब 8 बजे रात को मैं घर पहुँचा और जल्दी से खाना खाने के बाद मैंने सेक्स की एक टेबलेट खा ली और आँगन की तरफ आया तो देखा भाभी के कमरे का दरवाजा बंद था। और लाइट भी बंद थी मेरा तो मूड ही खराब हो गया।

मैं फिर भी उनके दरवाज़े के पास गया और हल्की सी आवाज लगाई भाभी… भाभी उन्होंने हूँ… करके अपने अंदर होने का संकेत दिया मैं दरवाज़ा धकेल कर अंदर गया तो देखा कि भाभी और उनका बच्चा बेड पर सो रहे थे। मैं भाभी के बगल में जा कर बैठ गया और उनके कंधे पर हाथ रखा पर उन्होंने कोई हरकत नही की।

वो थोड़ी नींद में थी तो मैंने प्यार से उनके होठों को चूम लिया जिससे उनकी नींद खुल गयी और उन्होंने मुझे दूर झटक दिया। और अपने बच्चे की तरफ इशारा करते हुए बोली ये देख लेगा आज नही फिर कभी पर मैं तो सेक्स की गोली खा कर आया था। मेरा लंड तनकर मूसल जैसा सख्त हो चुका था।

फिर मैंने उनका चेहरा मोड़कर अपनी तरफ किया और उनके होठों को अपने होठों में दबा कर चूमने लगा। मैंने उनके होठों को ऐसे कसा था कि वो कुछ बोल नही पाती मैं बाएं ओर से उनके शरीर पर चढ़ चुका था। और उनको किस करते हुए उनके ब्लाउज के हुक खोलकर उनके दूधों को मसलने लगा था। वो थोड़ा बहुत विरोध कर रही थी। क्योंकि उनका बच्चा बगल में सोया हुआ था।

मैं सब कुछ बिना आवाज किये कर रहा था जिससे भाभी धीरे धीरे लाइन पर आ रही थी। किश में वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उनके एड़ियों के पास से उनकी साड़ी पकड़ी और साड़ी को उनके पेट के ऊपर ले आया अब उनकी बूर बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। फिर मैंने अपना एक हाथ उनकी बूर पर लगाया।

तो भाभी ने भी अपनी एक टांग मोड़ ली और दोनों पैर खोलकर फैला दिए ताकि मैं अच्छे से उनके बूर को अपनी उंगलियों से कुरेद सकूँ। कुछ देर मैंने उनकी बूर में उँगली की अब चोदने का समय आ चुका था मैंने भाभी की ब्लाउज को पूरा निकाल कर उनके शरीर से अलग कर दिया। अब मैं भाभी के ऊपर पूरा चढ़ गया था। भाभी पूरी तरह मेरे नीचे आ गयी थी। उन्होंने अपनी टाँगे सीधी करके फैला दी थी।

ताकि मैं उनके टाँगों के बीच में आ सकूँ। अब मेरा लंड ठीक भाभी की बूर के ऊपर टकरा रहा था। तो मैंने अपनी पैंट नीचे खिंची और अपना फौलादी लंड भाभी की योनि(बूर) में घुसा दिया लंड आराम से उनकी बूर में पिल गया। उनको थोड़ा दर्द हुआ लेकिन वो ठीक थी।

अब मैं उनके ऊपर लेटे हुए ही अपनी कमर को ऊपर नीचे घसटने लगा जिससे मेरा लंड भाभी की बूर में अंदर बाहर जाने लगा। मैं उनकी बूर चोदते हुए उनको किश कर रहा था। साथ ही उनकी चुचियों को दबा रहा था।

किश करते हुए भाभी की चुदाई चल रही थी तभी ने मुझे कस के जकड़ लिया और अपने सीने से दबाने लगी शायद वो अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। उनके जकड़ने से मुझमे भी जोश समा गया मैंने भी उनकी बूर में ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने शुरू कर दिए जिससे बेड चर्चराने लगा। और चुदाई से फचड़.. फचड़.. फच..फच की आवाज आने लगी मेरे धक्के इतनी तेजी से भाभी की बूर में लग रहे थे कि।

भाभी का बदन भी बिस्तर के साथ हिलने लगा। भाभी को डर होने लगा कि कही उनका बच्चा ये सब न देख ले। मैं भाभी के ऊपर लेट कर ही उनकी बूर को चोद रहा था। तभी अचानक मेरा लंड फिसलकर उनकी बूर से बाहर आ गया और मैंने बिना हाथ की मदत लिए जब लंड को भाभी की बूर में पेलने के लिए एक ज़ोरदार धक्का मार तो मेरा लंड मुड़ गया और किसी हूक के आकार में मुड़कर भाभी की योनि में लगा जिससे उनको बहुत दर्द हुआ।

तेज़ धक्का देने से बिस्तर भी जोर से चचर र रर…की आवाज के साथ हिला भाभी ने मुझे रोक लिया और अपनी बूर को टटोलती हुई नीचे जमीन पर बैठ गयी। मैं भी बिस्तर से उठकर जमीन पर बैठ गया। भाभी को अभी भी दर्द हो रहा था। मैंने उनका ध्यान भटकाने के लिए उनको किश करने लगा।

5 मिनट उनको किश करने के बाद उनका दर्द से ध्यान हटा मैंने उनको किश करते हुए ही जमीन पर लिटा दिया और मैं भी उनपर लेट गया फिर अचानक भाभी ने मुझे नीचे किया और खुद मुझपर सवार हो गयी। और मेरा लंड पकड़ के अपनी बूर की छेद में लगाया और मेरा लंड पूरा अपनी बूर में लेकर आगे पीछे होकर अपनी बूर चुदवाने लगी।

दोस्तों मुझे इतना आनंद आ रहा था कि मैं क्या कहूँ। मैं उनकी मोटी जांघो और कभी उनकी बड़ी सी गांड को दोनों हाथों से सहलाकर उनका साथ देता तो कभी उनके दोनों चुचियों को पकड़ के कस के मसलते हुए उनके दूधों को चूसता

करीब 20 मिनट तक भाभी ने मेरे लंड की सवारी की वो अंत मे तेज़ तेज़ करने लगी मैं समझ गया कि भाभी अब झड़ने वाली है। तो मैंने भाभी को नीचे लिटा दिया और उनके दोनों टाँगों को फैलाकर उनके जिस्म पर लेट गया और अपना लंड उनकी बूर में डालकर तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा। मेरे तेज़ धक्कों से भाभी भी मेरे नीचे उछलने लगी।

लगातार बूर में लंड के घिसाव से भाभी की बूर झड़ गयी। जिससे उनकी बूर में चिकनापन हो गया। अब मेरा लंड किसी माखन में लिपटे चीज की तरह चिकना होकर आराम से भाभी की बूर में पिलने लगा। मैंने धक्के इतने तेज़ किये की हम दोनों के जांघ के पट्टे आपस में टकराकर ठाप…ठाप…. की आवाज करने लगे। और भाभी की बूर से फच..पच..पच फच…की आवाज आने लगी।

भाभी मेरे हर धक्के पर आह… आह… नई ई ई… आह..मा अह… करने लगी। हर धक्के के साथ उनकी बूर से उनका वीर्य मेरे लंड पर लगकर बाहर निकलने लगा। मैं बहुत देर से उनको चोद रहा था। मैं भी अपनी चरम सीमा तक आ चुका था। तो मैंने 10-15 तेज़ धक्के मारे उसके बाद निढाल होकर भाभी के ऊपर लेट गया।

मेरे लंड ने भाभी की बूर में वीर्य की फुहार भर दी। जब जब मेरे लंड से गर्म वीर्य फुहार निकल रही थी। तब तब भाभी मुझे अपने सीने से कस के चिपका ले रही थी। भाभी मुझे मेरे गालों होठों पर किश दिए जा रही थी। फिर मैंने अपना सर उनके सीने पर रखकर उनके दूधों को पीने लगा। कुछ देर बाद जब मेरे लंड का पानी निकलना बंद हो गया तब भाभी ने मेरा लंड अपनी बूर से निकाल दिया।

भोर के तीन बजे रहे थे। हम दोनों वैसे ही उनके कमरे में नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे जब सुबह होने लगी। तो मैंने भाभी को जगाया और अपने कमरे में जाने लगा। पर भाभी गहरी नींद में थी। मैं उनको वैसे ही जमीन पर नंगा छोड़कर अपने कमरे में आ गया। क्योंकि मुझे काम पर भी जाना था।

उसके बाद तो हमारा रोज का हो गया। कभी कभी तो हम पूरी रात आँगन में चुदाई करते है। तो कभी कभी भाभी मेरे कमरे में आकर मुझसे चुदती है। अब तक मैंने भाभी की बूर को सैकड़ों बार अपना लंड से चोद चुका हूँ। दोस्तों मुझे शुरू से ही भाभी की गांड भा गयी थी। मैंने कई बार कोशिश की की मैं भाभी की गांड मारू पर वो हमेशा मुझे मना कर देती है।

लेकिन मैंने भी मन में ठान रखा है कि कभी न कभी मैं भाभी की बड़ी और गहरी गांड मार के रहूँगा। और अगली कहानी में आप सभी को बताऊँगा की कैसे मैंने किरायेदार भाभी की गांड मारी। तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी उम्मीद है कि आप सभी को मेरी और मेरी किरायेदार भाभी की चुदाई की कहानी पसंद आई होगी।

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