जंगल में बुआ जी की गांड मार दी

जंगल में बुआ जी की गांड मार दी

बात कुछ दिनों पहले की है। मैंने जंगल में बुआ जी की गांड में अपने लंड की ऐसी छाप छोड़ी की न मैं उस बात को कभी भूल पाऊँगा और न ही बुआ जी कभी अपनी उस दिन की उनकी गांड की ज़बरदस्त चुदाई की बात कभी भूल पाएगी।

अब जब भी हमारा आमना सामना होता है। तब तब मुझे वही नज़ारा याद आता है। कि कैसे मेरा 4 इंच मोटा और 9 इंच लंबा लंड पहली बार उनकी गांड की छेद को चीरता हुआ उनकी गांड में दाखिल हुआ था। उनकी वो पहली चींख मुझे आज भी मदहोश कर देती है।

मैं अपनी बुआ जी की गांड को अपने लंड से खोद चुका था। जिसके बाद बुआ जी शायद मुझसे नाराज़ हो गयी थी। जब भी वो मेरे सामने आती तो वो अपनी नज़रे चुराकर चली जाती। उन्होंने अभी तक उनकी गांड के साथ हुए हादसे के बारे में किसी को नही बताया था।

मैंने कभी सपने में नही सोचा था। कि मैं कभी भी बुआ जी के साथ ऐसा करूँगा। लेकिन मैंने जो बुआ जी की गांड के साथ किया उसकी जिम्मेदार थोड़ी बुआ खुद थी और थोड़ी परिस्थिति। तो दोस्तों मैं आप सब को सीधा कहानी पर लेकर चलता हूँ।

जंगल में बुआ जी की गांड मार दी

मैं रविंदर हरयाणा से हूँ। और आज मैं आप सभी को अपनी बुआ जी की गांड चुदाई की सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। जो एकदम सच्ची है पहले मैं थोड़ा अपने बारे में बता दूँ। मैं 26 साल का एक हट्टा कट्टा जाट जवान लड़का हूँ। मेरी कद काठी 6 फुट के आस पास है। मेरा लंड का साइज भी मेरे शरीर के हिसाब से ही है। मेरे लंड का आकर भी मोटा और लंबा है।

मेरी बुआ जी एक घरेलू महिला है। जिनकी उम्र कोई 50 – 55 साल की होगी। उनके बाल थोड़े थोड़े सफेद हो चुके थे। लेकिन अभी भी वो दिखने सूंदर आकर्षक लगती थी। उनका शरीर भरा और गदरीला था। लंबी हट्टी कट्टी और बड़ी गांड और बड़ी-बड़ी चुचियों की मालकिन थी।

तो दोस्तों बात ऐसी है। कि कई सालों बाद हमारा परिवार एक साथ हुआ था। उस वक़्त चाचा जी की फैमिली भी हमारे यहाँ आयी हुई थी और बुआ जी भी आई हुई थी। तो एक दिन अचानक पिकनिक पर चलने का प्लान बन गया।

हम सब बहुत उत्साहित थे पिकनिक पर जाने के लिए पूरी फैमिली मिलाकर लोग बहुत ज्यादा हो रहे थे और कार सिर्फ दो थी। तो एक छोटी कार में चाचा जी की फैमिली बैठ गयी और दूसरी कार में मम्मी पापा और दादाजी दादी बैठे हुए थे। अब बस कार में पिछली सीट खाली थी जिसपर उसमे से भी आधी सीट पर पिकनिक का सामान रखा हुआ था।

कार की पिछली वाली सीट पर मुश्किल से एक आदमी के बैठने की जगह बच रही थी। और बैठने वाले दो लोग मैं और बुआ जी सारा सामान जरूरी था इसलिए हम समान काम नही कर सकते थे।

तो घर वालो ने कहा कि तुम दोनों इसी में एडजस्ट करके बैठ जाओ तब दादी ने कहा कि अवनीत तुम बैठ जाओ और रविंदर तुम्हारी गोद में बैठ जाएगा। अवनीत मेरी बुआ का नाम है। सभी ने इसबात पर हामी भरी पर बुआ जी हँसते हुए बोली नही मेरी टाँगे इसका वजन नही संभाल पाएंगी।

बुआ जी ने कहा कि रविंदर तू ही पहले बैठ मैं बैठ गया और फिर बुआ जी कार में चढ़ी और मेरी टाँगों पर अपने दोनों चूतड़ रखकर बैठ गयी। उसके बाद कार चलने लगी। बुआ जी ने सूट सलवार पहनी थी। बुआ जी के भारी भारी चूतड़ मेरी टाँगों पर वजन तो डाल रहे थे। पर उनकी गांड में बहुत मांस था। जिससे बुआ जी का भार मेरी टाँगों को ज्याद तकलीफ़ नही दे रहा था।

जब कार चलते हुए गड्ढो से गुजर रही थी। तब बुआ जी का शरीर भी उछल रहा था। जिससे वो थोड़ी फिसलकर इधर उधर हो रही थी। फिर बुआ जी ने अपनी कमर को और अंदर की तरफ मेरी गोद में सरकाया और अपने दोनों चूतड़ मेरी दोनों जांघो पर जमाकर बैठ गयी।

बुआ जी ऐसे बैठी की उनकी चुत ठीक मेरे लंड के ऊपर आ गयी। और उनकी चुत का भांप मेरे लंड को गरम करने लगा। उन्होंने सलवार के नीचे चड्डी नही पहनी थी। जिससे उनकी गरम चुत का भाप उनकी सलवार को भेदता हुआ मेरे लंड पे लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड के ऊपर किसी ने गरम कपड़े का सेक रख दिया हो।

अब मेरा लंड उतेजित होने लगा था। और बार बार मेरी पैंट में ऊपर नीचे हो रहा था। मैं भी कामुक हो चुका था मेरा मन भी बुआ जी की चुत और गांड से मज़े लेने का करने लगा। मैं भी कार के हिलने डुलने का फायदा उठाते हुए बुआ जी की गांड और जांघो पर अपने हाथ लगाने लगा।

बुआ जी मेरी हरकतों पर ध्यान नही दे रही थी। वो समझती होंगी की कार के झटकों से शायद मेरे हाथ इधर उधर को हो रहे है। मैं बिना किसी डर के कार के झटकों का फायदा उठाकर उनकी गांड और जांघ को हल्का हल्का सा दबाने लगा। क्या नरम नरम जाँघे और गांड थी जहां दबाव एक दम रुई जैसी नरम।।

कुछ देर बाद कार रुकी सब पानी और वेफर लेने के लिए कार से उतरे बुआजी भी उतर गई। उन्होंने मुझे भी चलने के लिए कहा पर मैं नही गया। मैं कार में ही बैठा रहा मेरी जाँघे पूरी तरह पसीने से भींग गयी थी। तभी मुझे एक तरकीब सूझी जिससे मैं अच्छे से बुआ जी की चुत और गांड के मज़े अपने लंड को दे सकता था।

मैंने अपनी पैंट में हाथ डाला और अपना लंड अपनी चड्डी से निकाल दिया अब मेरा लंड सिर्फ मेरी पैंट की कैद में था, पर वो आराम से ऊपर नीचे अपनी गर्दन उठा सकता था और बुआ जी की चुत को छू सकता था।

फिर कुछ देर में सभी कार में आकर बैठ गए और बुआ जी फिर आकर मेरी गोद में अपनी पीठ मेरे पेट मे सटाये और अपने दोनों चूतड मेरी दोनों जाँघों पर रखकर बैठ गयी। इसबार बुआ एक दम मेरे लंड के पोजीशन में बैठी थी। मेरा लंड का अगला हिस्सा उनकी चुत के नीचे और लंड का पिछला हिस्सा उनकी गांड की दरार के नीचे था।

कार चलने लगी फिर से बुआ की चुत की गर्मी मेरे लंड को उकसाने लगी। मैं भी अपने लंड पर जोर लगाकर लंड को ऊपर उठाने लगा। मेरा लंड पैंट सहित बुआ जी की चुत से सट गया और लंड का पिछला हिस्सा उनकी गांड की दरार में भर गया।

मेरे लंड का अगला छोर बुआ जी की चुत के होंठों को चूमने लगा। मैं उतेजना में अपनी आँखें बंद किये अपने लंड के छोर से उनकी चुत की बनावट और चुत की लंबाई को जाँचने लगा। मेरे लंड का अगला छोर बुआ जी के चुत के दोनों फलकों के बीच था। तो जब भी कार हिलती तो बुआ जी की चुत के दोनों होठ को मेरा लंड रगड़ के रख देता।

बुआ को कोई शक नही हो रहा था क्योंकि उस वक्त वो मेरी गोद मे बैठकर सफर कर रही थी। कार हिलने डुलने की वजह से उनका ध्यान इनसब बातों पर नही जा रहा था। बुआ की चुत की गरमी से मेरा लंड पानी पानी हो रहा था। मैं झड़ा तो नही था पर उत्तेजना के मारे मेरे लंड से रस निकल रहा था।

वो तो मेरे लंड को मेरी पैंट ने और बुआ जी की चुत को उनकी सलवार ने धक रखा था नही तो वो जिस पोजीशन में मेरी गोद में बैठी थी आसानी से मेरा लंड उनकी चुत में घुस जाता।

फिर अचानक कार एक बड़े गड्ढे से गुजरी जिससे बुआ जी सरक कर थोड़ी आगे हो गयी और मेरा लंड उनकी चुत पर से हटकर सीधा उनकी गांड के दरार के बीच फंस गया। मेरा लंड उनकी दोनों चूतड़ों के बीच दबा हुआ था। उस छन मेरे अंदर ऐसी लहर दौड़ी की मेरे मुँह से हल्की से आह.. निकल गयी।

पर मैंने अपने आप पर काबू रखा और धीरे धीरे अपने लंड को उनकी गांड के दरार के बीच लंड हल्का हल्का इरेक्ट करने लगा और बुआ जी के कमर पर दोनों हाथ रखकर आराम से अपने लंड को उनकी गांड की गर्माहट के मज़े देने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड चूतड़ों के बीच नही बल्कि किसी नरम रुई के दो तकियों के बीच पड़ा हो।

रास्ते भर मैं ऐसे ही बुआ जी से मज़े लेता रहा और बुआ जी को मेरे इरादे की भनक भी नही लगी। रास्ते का सफर खत्म हो गया और हमलोग जंगल पहुँच गए। वहां हमने सारा सामान सेट किया। कुछ लोग इधर उधर घूमने चले गए। मम्मी पापा और चाची ख़ान बनाने में जुट गए।

तभी बुआ जी ने कहा कि मैं भी थोड़ा घूमकर आती हूँ। मैं उन्हें जंगल की तरफ जाता देख उनके पीछे चला गया। जब मैं बुआ जी के पास पहुँचा तो उन्होंने मुझे देखकर कहा रविंदर चल थोड़ा अंदर की तरफ जंगल से घूमकर आते है। मैंने कभी जंगल को अंदर से नही देखा।

उसके बाद मैं और बुआ जी जंगल के अंदर की तरफ टहलते हुए जाने लगे। बुआ जी थोड़ा आगे आगे चल रही थी। और मैं उनके पीछे मैं उनकी मटकती गांड को निहारता हुआ चल रहा था। क्या मस्त गांड थी यार!! जब वो चलती रही थी। तो उनके दोनों चूतड़ बारी बारी ऊपर नीचे होकर मटक रहे थे।

मैं और बुआ जी जंगल में अंदर तक करीब घरवालों से 1 km दूर आ चुके थे। मेरा ध्यान बस बुआ जी की मांस भरी गांड पर था। और उतेजना से मेरा लंड सख्त हो चुका था। तभी मुझे कुछ शैतानी सूझी वहाँ जंगल में हम दोनों के अलावा दूर दूर तक कोई इंसान नही था।

बुआ जी जंगल के नज़ारे इंजॉय कर रही थी। तभी हम चलते चलते एक चट्टान के पास पहुँच गए। मेरे अंदर वासना जाग चुकी थी। तभी मुझे बुआ को चोदने की एक तरकीब सूझी मैं वासना में इतना लिप्त हो चुका था मैंने उस वक़्त मुझे हमारे रिश्ते, उम्र और अंजाम के बारे में सोचा ही नही।

उस वक़्त बुआ जी मुझे सिर्फ एक औरत नज़र आ रही थी जिससे मैं अपने लंड की खुजली मिटा सकता था। तो जैसे ही हम चट्टान के पीछे पहुँचे मैंने एक तरकीब लगाई। मैंने अचानक बुआ जी को कहा कि बुआ जी मुझे पिसाब लगी है। उन्होंने कहा ठीक है करलो

मैंने जान बूझकर वही उनके नज़दीक दूसरी तरफ मुड़ा और अपनी पैंट की चैन खोलकर अपना 9 इंच का लंबा लंड निकाला और हाथ में पकड़ते हुए मूतने की एक्टिंग करने लगा। जब मैंने मूतते हुए पीछे पलट कर देखा तो बुआ जी मुझे मूतता हुआ देख अपना चेहरा घुमाकर चट्टान की तरफ करके खड़ी थी।

मैं अपना लंड पैंट के बाहर निकाले दबे पांव बुआ जी की तरफ मुड़ा और उनके पास पहुँच गया। अभी भी मेरा 9 इंच का लंड मेरी पैंट से बाहर लटक रहा था। और बुआ जी अभी भी चट्टान की तरफ मुँह करके खड़ी थी मैंने अपना हाथ उनके पेट के नीचे ले गया और झट से उनके सलवार के नाड़े को खींचकर खोल दिया और एक झटके में उनकी सलवार को खींचकर उनके चप्पलों के पास नीचे गिरा दिया।

बुआ जी को कुछ समझ आता इससे पहले मैं अपना लंड बुआ जी के दोनों चूतड़ों के बीच अपना लंड फांस चुका था। बुआ जी हड़बड़ाहट…में रविंदर ये क्या…क्या… कर रहा है।

नही हट छोड़… रविंदर गलत है ये मैं तेरी बुआ हूँ।. बुआ उस वक़्त असब्द हो गयी थी। मैंने बुआ जी को अपने एक हाथ के ज़ोर से चट्टान पर दबा दिया और अपने लंड के सुपड़े के पीछे भाग को अपने अंगूठे और उँगली से पकड़ लिया और अपने लंड को बुआ जी की गांड की छेद से सटा दिया।

फिर मैंने सही निशाना लगाकर बुआ जी की गांड की छेद पर ढेर सारा थूक उगल दिया। और अपने लंड के सुपड़े से थूक को बुआ जी की गांड के छेद पर फैलाने लगा। बुआ जी लगातार रवि..रविंदर नही मैं तेरी बुआ हूँ रे… मत कर ये सब.. गलत है…

अब बुआ जी की गांड की छेद अच्छे से थूक से लबालब गयी थी। और उतेजना के मारे मेरे लंड का सूपड़ा फूलकर गोल मसरूम की तरह हो चुका था। मेरे सुपड़े का साइज मेरे लंड की मोटाई से भी ज्यादा गोल हो चुका था।

फिर मैंने अपने लंड के सुपड़े के पीछे वाले हिस्से को अपने अंगूठे और उंगलियों से समेटकर पकड़ लिया और हाथ और अपनी कमर का जोर लगाकर बुआ जी की गांड की छेद में अपना लंड दबाने लगा।

धीरे-धीरे सूपड़ा बुआ जी की गांड में सरकने लगा। जैसे जैसे सूपड़ा उनकी गांड में घुस रहा था बुआ जी आह… आह… अरे..आ.. चींख रही थी। कुछ ही देर में सुपड़े तक मेरा लंड बुआ जी के गांड में घुस गया और मैंने धीरे-धीरे करके अपना लंड 6 इंच तक लंड बुआ की गांड में डाल दिया।

जब लंड बुआ जी की गांड में घुसने लगा तो वो दर्द से तड़पते हुए चींख कर आह…आह…. माह…रविंदर तू ठीक नही कर रहा है… आह… मत कर न रे… मआ.. मैंने कोशिश की पर लंड बुआ जी की गांड में 6 इंच से ज्यादा अंदर नही जा रहा था। और ज्यादा जबदस्ती करके अंदर घुसाने पर बुआ दर्द से छटपटा जा रही थी।

फिर मैंने बुआ जी को कसकर चट्टान पर दबा दिया वो अपने सीने के बल चट्टान पर औंधे मुँह झुकी हुई थी। फिर मैंने अपने दोनों हाथ बुआ जी के पेट के नीचे लगाकर उनके कमर को पकड़ लिया।

और अपना लंड धीरे धीरे करके उनकी गांड के अंदर बाहर करने लगा शुरू शुरू में बुआ चींख रही थी। पर मैंने उनकी गांड मारनी बंद नही की वो आह… आह… न… मा रे… मतकर…रवि…र..आह..आआन्ह.. पर मैंने उनकी एक नही सुनी

मैं जब अपना लंड उनकी गांड से बाहर खींचकर फिर से ठेलकर उनकी गांड में डालते हुए अपनी कमर को उनके चूतड़ों पर मारता तो फट फट की लयभरी आवाज आती जो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। अभी भी मेरा लंड बुआ जी की गांड में टाइट जा रहा था। वो आ..आ..आह..आह.. कर मेरा लंड अपनी गांड में खा रही थी।

करीब 10 मिनट आराम आराम से उनकी गांड चोदने के बाद मैंने अपनी गति बढ़ा दी। और फिर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ानी शुरू की और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को उनकी गांड पर पटकने लगा। अब आसानी से बुआ जी की गांड में मेरा लंड 8 इंच तक उनकी गांड में समा रहा था।

मैंने गौर किया कि बुआ जी के तेवर बदल रहे थे। अब वो एक बार भी रुक जाने को नही कह रही थी। और उनके मुंह से आह.. आह…. की जगह उन्ह…उन्ह…ऊंह… ओह… की आवाज आ रही थी।

मैं भी अब बिना रोक टोक के बुआ जी की गांड मारने लगा। और उनके मुँह से उन्ह.उन्ह.. इस्स …ऊंह… की आवाज सुनकर और ज़ोर ज़ोर से उनकी गांड मारने लगा। मैंने उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसकर पकड़ा ताकि ज़ोर के धक्के से बुआ जी आगे न सरके और पीछे से पूरा जोर लगाकर अपना लंड उनकी गांड में पेलने लगा।

तभी मुझे और बुआ जी को किसी के इधर आने की भनक लगी। तब गांड में मेरा लंड खाती हुई बुआ जी ने थोड़े नसीले अंदाज में कहा कोई आ रहा है जल्दी हट.. पर मेरा लंड अभी तक पूरे उफान पर था। अभी तक मेरा लंड सांत नही हुआ था। और पकड़े जाने के डर से मैंने बुआ जी की गांड से लंड निकाल लिया।

भच्च… की आवाज के साथ मेरा लंड बुआ जी की गांड से बाहर आ गया। फिर मैंने अपने लंड को जल्दी से झाड़ कर सांत करने के लिए अपना लंड बुआ जी की चुत में डाल दिया और एक ही झटके में 8 इंच लंड बुआ जी की चुत में पेल दिया।

बुआ जी आह..आ.. चींख पड़ी लेकिन फिर सांत हो गयी और मैं जल्दी जल्दी अपना लंड बुआ जी की चुत में दौड़ाने लगा। बुआ जी की चुत की गर्माहट ने 2 मिनट में ही मेरे लंड को झाड़ दिया। मैं जैसे ही झड़ने को आया मैंने तुरंत अपना लंड बुआ जी की चुत से निकाला और अपना लंड उनके दोनों चूतड़ों की दरार के बीच फंसाकर

लंड को आगे पीछे सरकाने लगा एकदम से मेरे लंड से तेज़ वीर्य की पिचकारी निकली और मेरा वीर्य उड़ता हुआ बुआ जी की पीठ पर गया और बाकी का वीर्य उनकी गांड की दरार में भर गया।

कोई हमारे बहुत नजदीक पहुंच गया था। उनकी आवाजे साफ सुनाई दे रही थी। तो बुआ जी ने बिना वीर्य पोंछे झट से उठी और अपनी एड़ियों के पास से अपनी सलवार उठाई और अपने कमर में बांध ली मैंने भी अपने लंड को जस का तस अंदर किया और अपनी पैंट ठीक कर ली।

देखा कि जो लोग हमारे करीब आ रहे थे वो हमारे ही परिवार के लोग थे और वो भी जंगल घुम रहे थे। मैं और बुआ जी भी उनमें सामिल हो गए। बुआ जी ने जो मैंने उनके साथ किया वो सब अपने आप तक ही रखा और नार्मल होकर उनके साथ सैर करने लगे। दिन भर हमने खूब मौज मस्ती की और खाना खाया और पिकनिक का आनंद उठाया।

शाम हो गयी थी और अब अंधेरा होने वाला था तो सब घर जाने के लिए तैयार हो गए। और जो जैसे जिस कार में बैठकर आया था वैसे ही जाकर सब अपनी अपनी जगह पर बैठ गए।

फिर से बुआ जी और मेरे लिए कार की पिछली सीट पर थोड़ी सी ही जगह बची थी जिसपर कोई एक ही बैठ सकता था। दूसरे को उसकी गोद में ही बैठना पड़ता। मैं जान बूझकर पहले जाकर बैठ गया बुआ जी थोड़ा सोचने लगी। और कोई चारा न होने पर वो आकर मेरी गोद मे बैठ गयी।

मैंने पहले से ही योजना बना ली थी। मैं कार में इस तरह आगे सरक कर बैठा की बुआ जी को मेरी गोद में बैठने के लिए अपने दोनों पैर मेरे दोनों पैरों के बाहर फैलाकर रखने पड़े। जिससे उनकी टाँगे खुली रहे और उनकी चुत उनके टाँगों के पीछे छुप न सके।

बुआ जी ठीक वैसे ही बैठी जैसा मैंने सोचा था। अब कार चलने लगी थी। और मैंने अपने हाथ बुआ जी की चुत और गांड पर चलाने लगा। बुआ जी बार बार मेरे हाथ जब उनकी चुत और गांड के संवेदनशील हिस्से को छूते तो वो मेरे हाथों को झटक देती।

मैं फिर से उनकी चुत और गांड पर हाथ लगाने लगता कार में अंधेरा था। और हम सबसे पिछली सीट पर थे। तो कोई हमे देख नही पा रहा था। और जो भी खेल था वो नीचे चल रहा था।

मैंने फिर से बुआ जी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और अपना एक हाथ बुआ जी की सलवार के अंदर डालकर उनकी चुत को रगड़ने लगा। मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा था। और नीचे से बुआ जी की गांड में चुभने लगा था।

बुआ जी बार बार मेरा हाथ पकड़ कर सलवार से बाहर निकाल रही थी। पर मैं बार बार हाथ उनकी सलवार में डालकर उनकी चुत के दोनों पट्टो की मालिश कर रहा था।

फिर मैंने बुआ जी की कमर के पीछे से उनकी सलवार को खींचकर नीचे करने लगा। बुआ जी धीरे से बड़बड़ाते हुए मुझे रोक रही थी। पर मैंने जैसे तैसे उनके सलवार को खींचकर उनकी गांड के नीचे से निकालते हुए उनकी जाँघों तक कर दिया। अब बुआ जी नंगी मेरी गोद मे बैठी थी।

फिर मैंने बुआ जी की जांघो के बीच से और उनकी चुत के नीचे हाथ लगाकर अपने पैंट की चैन खोली और अपना लंड बाहर निकाला मेरा लंड ठीक बुआ जी की चुत के नीचे था। फिर मैंने अपने लंड को पकड़कर बुआ जी की चुत के छेद पर लगाया।

और धीर धीरे अपनी उंगलियों से ठेलते हुए अपने लंड को बुआ जी की चुत के अंदर करने लगा। कार में धक्के मारने की जगह नही थी और मैं अगर धक्के मारता तो सब लोगो को पता चल जाता इसलिए मैंने उंगलियों से ठेल ठेल कर ही अपना लंड उनकी चुत में घुसाने लगा।

करीब आधा लंड लंड बुआ जी की चुत में घुस चुका था। और आधा लंड चुत के बाहर मुड़ा हुआ था। फिर अचानक कार एक गड्ढे में गयी और बुआ जी थोड़ी उछली जिससे मेरा मुड़ा हुआ लंड एकदम से सीधा हो गया। और बुआ जी की चुत में पूरा 9 का 9 इंच घुस गया।

लंड पूरा बुआ की चुत के अंदर तक चला गया था। अब मेरा लंड बुआ की चुत की गर्माहट में फलने फूलने लगा था। वो बुआ की चुत में अपनी मोटाई धारण करने लगा। मुझमे एक अजीब सा नशा छाने लगा।

मैं उनकी चुत में धक्का तो नही मार सकता था। पर उनकी चुत के तापमान ने मेरे लंड को ऊपर जड़ तक गरम कर दिया था। मैं उनकी पेट के नीचे हाथ लगाकर उनके चुत में लंड डाले उनके चुत के दाने को रगड़ने लगा। कुछ ही देर में उनकी चुत से पानी निकलने लगा जो मेरी आड़ूओ को गिला कर रहा था।

अभी वो झड़ी नही थी ये तो शुरुआत में जो बेरंग पानी निकलता है वो था। मैं अपनी गांड को सिकोड़ सिकोड़कर अपना लंड उनकी चुत में चलाने लगा। और एक हाथ से लगातार उनके चुत के दाने को रगड़े जा रहा था।

फिर अचानक अधिक गरम होने के कारण मेरे लंड ने उनकी चुत में ही वीर्य निकाल दिया पर मैं उनकी चुत को रगड़ता रहा जिससे बुआ जी भी गरम हो गयी थी। उनकी चुत मेरे लंड पर एक अलग सा कसाव बनाने लगी। ऐसा लग रहा था कि मानो उनकी चुत मेरे लंड को पकड़कर निचोड़ रही हो

बुआ जी की सांसे तेज़ हो गयी थी अभी भी मेरा लंड उनकी चुत में था और मैं उनके चुत के दाने पर अपने हाथों का जादू चला रहा था। अचानक बुआ जी की चुत के अंदर मेरे लंड पर कुछ गिला गिला और महसूस होने लगा। फिर कुछ देर बाद उनकी चुत से रिसता हुआ वीर्य मेरी आड़ूओ पर बहता हुआ मेरी पैंट के अंदर जा रहा था।

अब घर नजदीक आने वाला था। तो मैंने अपना लंड बुआ जी की चुत से निकाला और फिर बुआ जी ने अपनी सलवार जल्दी से ठीक कर ली मैंने उनकी चुत से पास हाथ लगाकर चेक किया तो उनकी सलवार चुत में से वीर्य रिसाने से गीली हो चुकी थी।

हम लोग घर पहुंच गए और बुआ जी तुरंत बॉथरूम की ओर गयी और काफी देर बाद निकली मैं समझ गया कि ये जरूर अपनी चुत में से वीर्य साफ करने गयी है। उसके बाद बुआ जी मुझसे नज़रे चुराती फिरती थी। और एक दो दिनों बाद वो अपने घर वापस चली गयी।

तो दोस्तों कैसी लगी आप सब को मेरी बुआ जी की चुदाई की कहानी उम्मीद करता हूँ। कि आप सभी को पसंद आई होगी।

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