गर्मी की छुट्टी में बड़ी मां की चुदाई

मैं जब पिछले साल गर्मी की छुट्टियों में अपने गांव गया था। वहां मैंने मेरी बड़ी मां को नंगा नहाते हुए देख लिया और मेरी उनके ऊपर नियत बिगड़ गई। पहली बार मैंने उनको इतने नजदीक से नंगा देखा था। मुझे उनकी फुली और लचीली चुत को देखकर लालच आने लगा और फिर……

गर्मी की छुट्टी में बड़ी मां की चुदाई
गर्मी की छुट्टी में बड़ी मां की चुदाई

दोस्तों मैं अपने बारे में बताता हूं। मेरा नाम सोनू है और मेरी उम्र 22 साल है। मेरे शरीर की बनावट तंदरुस्त किस्म की है। मैं दिखने में लंबा चौड़ा और हट्टा कट्टा हूं। मेरा वजन लगभग 80 किलो का है। मेरा लंड 6 इंच से ज्यादा लंबा और 4 इंच मोटा है। जो की मेरी मुट्ठी में सही से नही अट पता है।

एक और बात जब मैं छोटा था तो मेरे लंड के आगे की चमड़ी आगे से चिपकी हुई थी। जिससे मेरे लंड की चमड़ी खुलकर पीछे नहीं जा पाती थी। बचपन में तो मुझे समझ नही आया। लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ तो पिसाब करने में मुझे दिक्कत होती थी। इसलिए मेरे लंड का ऑपरेशन हुआ।

जिसमें मेरे लंड की आगे की चमड़ी को हटा दिया गया। जिसे दुसरे भाषा में मैं आपको समझाऊ तो मेरा खतना हो चुका था। सालों बाद मुझे उस समस्या से छुटकारा मिला था। अब मेरा लंड बिना छिलके का हो चुका था। ऑपरेशन के बाद से ही मेरे लंड का आकार थोड़ा बड़ा हो चुका था।

मेरा लंड दुसरे लड़को के मुकाबले ज्यादा मोटा और लंबा हो चुका था। धीरे धीरे मेरा शरीर जवान होने लगा और मेरे शरीर के साथ साथ मेरे लंड की मोटाई और लंबाई थोड़ी और बढ़ गई।

चलिए मैं आप सभी को असली कहानी पर ले आता हूं। मैं उस वक्त कॉलेज में पढ़ रहा था। गर्मी की छुट्टियों में मेरा कॉलेज बंद हो चुका था। मैं एक दो दिन घर में रहा। लेकिन मेरा घर में मन नहीं लग रहा था। मैं दिनभर बोर होने लगा एक दिन गांव से मेरी बड़ी मां का कॉल आया हुआ था।

बड़ी मां और मम्मी आपस में बात कर रहें थे। तभी मेरा मन हुआ की क्यों न मैं गांव से घूम आऊं। बड़ी मां को देखे भी काफी दिन हो चुके थे। दोस्तों मेरी बड़ी मां गांव में अकेली रहती हैं। बड़े पापा और उनका बेटा दूसरे शहर में अपनी कपड़ों की दुकान चलाते हैं। जिस वजह से बड़ी मां अकेली रहती हैं।

अगले दो दिन बाद मैं अपने गांव बड़ी मां के पास पहुंच गया। बड़ी मां मुझे देखते ही बड़ी खुश हुई। मुझसे ढेर सारी बातें करने लगी। फिर उन्होंने मेरी पसंद का हर खाना बनाया और मन भर मुझे खाना खिलाया। चुकीं घर में मैं और बड़ी मां ही अकेले थे। तो ज्यादतर हमारा समय एक दूसरे के साथ ही बीतता था।

मैं रोज नाश्ता करने के बाद अपने गांव के दोस्तों के साथ गांव के सैर पर निकल जाता था और सीधा दोपहर को ही आता था। ये मेरे रोज का रूटीन सा बन चुका था। लेकिन एक दिन जब मैं अपने घर लौटा तो वो नज़ारा देख मैं वहीं जम गया। उस नजारे को देखकर मेरे बदन में एक अजीब सी हड़बड़ी होने लगी और मेरे होंठ और गला दोनों सूखने लगा।

मैं घर के अंदर गया और चुपचाप बड़ी मां को ढूंढने लगा। लेकिन जब मेरी नजर आंगन में पड़ी तो मैं झट से आंगन वाले कमरे में घुस गया और खिड़की पर छिपकर खड़ा हो गया। मैंने देखा बड़ी मां आंगन में हल्के रंग वाली पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर बैठी थी। उनका आधा शरीर गीला था। उनकी पेटिकोट भी कही कही से गीली हो चुकी थी और उनके बदन पर चिपकी हुई थी।

मैं वही खड़ा होकर वो नज़ारा देखने लगा। फिर उन्होंने अपनी ब्लाउज के हुको को खोल दिया और अपनी ब्लाउज निकालकर बाकी के कपड़ो के साथ अपनी ब्लाउज को भी धोने लगी। अब वो बिना ब्लाउज के अपनी नंगी चुचियों को खुला छोड़कर कपड़े धोने लगी।

मेरी नजर उनकी चूचियों पर अटकी हुई थी। जो उनके दोनों बाजु के बीच दबकर और ज्यादा उभर रही थी। उनकी चुचियों के लंबे काले और गोल मटोल निप्पल देखकर मेरे अंदर एक अजीब सी प्यास जाग गई। साथ ही अब मेरा लंड टाईट होने लगा।

मैं वहीं रुककर इंतजार करने लगा। मैं समझ चुका था की अब बड़ी मां का अगला कार्यक्रम नहाने का ही है। मैं और भी ज्यादा उत्साहित होकर और कुछ ज्यादा देखने की उम्मीद में वहीं खड़ा रहा। करीब 5 मिनट के इंतज़ार के बाद बड़ी मां ने झांककर दरवाज़े की तरफ देखा और फिर खड़ी होकर अपने पेटीकोट की डोरी खोलकर अपनी पेटिकोट पूरी निकाल दी।

अब वो पूरी तरह से नंगी होकर बैठी हुई थी। वो अपने शरीर पर पानी डालकर अपने बदन पर साबुन लगा रही थी। मैं हल्की धुप में उनका चमकता हुआ नंगा बदन देख रहा था। अचानक उन्होंने अपने पेट के नीचे अपना हाथ लगाया और अपनी चुत पर साबुन लगाने लगी।

जब उन्होंने अपनी तोंद को उठाया तो मुझे उनकी बिना बालों वाली चुत दिख गई और झट से मेरे लंड में और तनाव बढ़ गया और एक तेज़ की धार के साथ मेरा माल मेरी पैंट में ही झड़ गया। बड़ी मां अपनी चुत पर अच्छे से साबुन लगाती हुई अपनी चुत को साफ कर रही थी।

जब उन्होंने बैठे बैठे अपनी टांगें खोलकर अपनी चुत पर पानी डालना शुरू किया तो उनकी चुत का मुंह थोड़ा खुल गया जिससे मुझे बड़ी मां की चुत के अंदर वाली गुलाबी रंग की चमड़ी साफ दिखाई देने लगी। बड़ी मां ने एक दो बार अपनी उंगली को अपनी चुत में डालकर साबुन के गाज को निकाला और अपनी चुत को अच्छे से धोने लगी।

बड़ी मां की चुत की गुलाबी चमड़ी को देखकर फिर से मेरे लंड में ताव आ गया। उसके बाद बड़ी मां नहाकर कपड़े पहने लगी और मैं उन्हें तब तक देखता रहा जब तक उन्होंने अपना सारा बदन ढक नही लिया।

अब मेरे मन में अलग अलग विचार आने लगे मैं उस दिन हर समय बड़ी मां को ही देखता और उनके बारे में सोचता रहा रहा। मैं सोच रहा था की इतनी मोटी और बड़े उम्र की औरतों के भी चुत इतने सुंदर कैसे होते है। हालाकि बड़ी मां की चुत न ज्यादा जवान थी और न ज्यादा टाईट थी।

उनकी चुत देखकर ही समझ आ चुका था की उनकी चुत ढीली ढाली थी। फिर भी मेरा दिमाग़ उनकी चुत में ही अटका हुआ था। मैं उनकी चुत को चोदने के फिराक में आ गया। मैंने प्लान बनाया और रात के वक्त उनकी चुत चोदने का समय तय किया क्योंकि मैं और बड़ी मां आंगन में दो खाट पर एक साथ ही सोते थे।

मैं रात होने का इंतजार करने लगा। रोज की तरह खाना खाकर बड़ी मां और मैं सोने की तैयारी करने लगे। बड़ी मां आंगन में दोनों खाट को आपस में सटा लिया। मैं कमरे से हम दोनों के लिए बिस्तर ले आया फिर हमने मिलकर दोनों खाट पर बिस्तर लगाई।

खाट पर लेटे हुए मैं और बड़ी मां थोड़ी देर बात करते रहे। बात करते करते ही बड़ी मां हल्की हल्की आवाज में खराटें लेने लगी। उनकी खर्राटों की आवाज सुनकर मैं खुशी के मारे फुले नहीं समा पा रहा था। मेरे अंदर शैतानी आने लगी।

मैंने उसी वक्त अपनी चड्डी और लोअर उतारी और सिर्फ एक पतली सी टॉवल लपेटकर लेट गया। ताकि जब भी मौका मिले तो पैंट और चड्डी होने की वजह से कोई दिक्कत नही हो।

धीरे धीरे रात और गहराई और बड़ी मां के खराटें तेज होने लगी। मैंने जब बड़ी मां की ओर देखा तो वो अपने खाट पर पीठ के बल लेटी हुई थी और उनकी टांगें बिल्कुल सीधी और खाट के दोनों पाओ के तरफ थी। जिससे उनकी टांगों के बीच में जगह बन चुकी थी।

मेरा लंड तो उसी वक्त खड़ा हो चुका था। मैं चुपके से उठकर बड़ी मां की टांगों की ओर बैठ गया। पहले मैंने उनकी एक टांग को हल्के से पकड़कर उपर उठाया और फिर उनकी साड़ी को पकड़कर उपर उठा दिया। अब एक तरफ से बड़ी मां की साड़ी उनकी एक जांघ तक आ चुकी थी। मैंने वैसे ही दूसरी तरफ से भी उनकी साड़ी उनकी जांघ तक उठा दी।

अब बड़ी मां की साड़ी उनकी जांघों तक आ चुकी थी और चांद की रौशनी में उनकी वो गोरी गोरी मोटी टांगें मुझे और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। अब बड़ी मां की चुत पर हाथ लगाना आसान हो गया था। हालांकि मैंने उनकी दोनों टांगों के बीच अपना सर रखकर उनकी साड़ी के अंदर झाँकना शुरू किया।

लेकिन रात के वजह और साड़ी की छाया के चलते मुझे उनकी चुत दिखाई नहीं दी। उस तरह मुझे उनकी चुत देखने के लिए उनकी साड़ी को पूरा उपर उठना पड़ता जो मेरे लिए पॉसिबल नही था। उनकी भारी भरकम जांघों के नीचे से साड़ी निकालना आसान नहीं था।

तो मैंने सोचा भले देख न सकूं लेकिन छू तो सकता ही हूं। मैं चुपके से बड़ी मां के बगल में लेट गया। उनको शक न हो उस तरह मैं धीरे धीरे उनके और करीब जाने लगा। अब मैंने अपना 7 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड अपनी टॉवल के बीच से निकाला और बड़ी मां के पेट पर दबाने लगा।

फिर मैंने अपना एक हाथ बड़ी मां के दोनों जांघों के बीच से उनकी साड़ी के अंदर घुसा दिया। थोड़ा थोड़ा मैं अपने हाथ को आगे करके उनकी चुत की तरफ बढ़ाने लगा। अचानक मेरी उंगलियां उनके नर्म चुत से सट गई। मुझे मेरी उंगलियों पर कुछ कांटों जैसा लगा। उनकी चुत पर छोटे छोटे बाल थे जो मेरी उंगलियों पर चुभ रहे थे।

मैं अपनी एक उंगली उनकी चुत के नरम फलको के बीच ले गया और आहिस्ते आहिस्ते अपनी उंगली से उनकी चुत के होठों के बीच रगड़ने लगा। मेरे उंगली रगड़ने की वजह से उनकी चुत की छेद खुल गई और मेरी उंगली का थोड़ा सा हिस्सा उनकी चुत में घूस गया।

बड़ी मां अभी भी खराटे ले रही थी। मैंने अपनी उस उंगली को धीरे से उनकी चुत में डाल दिया। मेरी उंगली उनकी चुत में घुसते ही मुझमें एक अलग सी बैचैनी आने लगी। मेरा पूरा शरीर थरथराने लगा। मेरी उंगलियां भी कांपने लगी। बड़ी मां पर कोई असर नहीं था।

मैं उस हालत में था की उंगली उनकी चुत से निकालने का मन भी नही कर रहा था और डर के मारे मेरी गांड भी फट रही थी। मैंने हिम्मत की और अपनी उंगली को थोड़ा कड़ा किया और अपनी उस उंगली को सीधा करके पूरा का पूरा उनकी चुत में उतार दिया।

उंगली जैसे ही उनकी चुत में गई मेरे हाथ ने अपने आप ही उनकी चुत को अपने सरन में ले लिया। ऐसा लग रहा था की मेरा खुद के हाथ पर कोई कंट्रोल नही है। मैंने एक दो बार बड़ी तेजी से अपनी उंगली को बड़ी मां के चुत के अंदर धकेला।

जिससे बड़ी मां को शायद गुदगुदी हुई और वो पलटकर दाहिनी ओर लेट गई। मैंने झट से अपनी उंगली उनकी चुत से निकाल ली। मैं बुरी तरह डर गया की कही बड़ी मां को पता न चल गया हो वरना काम बनने से पहले बिगड़ जायेगा। लेकिन अभी भी बड़ी मां शांति से सो रही थी।

जब बड़ी मां पलटकर लेट गई तो मेरा मन छोटा हो गया की आज रात का काम बिगड़ गया। लेकिन कुछ देर बाद मैंने देखा की उनकी साड़ी उनकी गांड से थोड़े ही नीचे थी। जिससे उनकी गांड को देखना और भी आसान हो गया था।

मैंने धीरे से उनकी साड़ी को पकड़ा और धीरे से उनकी गांड पर से साड़ी हटा दी। अब उनकी गांड बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और अपना लंड पकड़कर सीधा उनकी गांड की दरार में डाल दिया। बड़ी मां की गांड इतनी बड़ी और मांस से भरी थी की मेरा आधा लंड उनकी गांड के दरार में कहीं खो सा गया।

मैं अपने लंड को उनकी गांड के दरार में डालकर अंदर बाहर करने लगा। उनकी दोनों चूतड़ों का वजन इतना था की मेरा लंड पूरा दब चुका था और अच्छे उनकी गांड के मज़े लेता हुआ मसाज करवाने लगा। कुछ ही देर में मेरे लंड का माल उनकी गांड की दरार में ही झड़ गया।

जिस वजह से उनकी गांड की दरार में फिसलन हो गई और अब मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी गांड की दरार में घुसने लगा। मैं काफी देर वैसे ही बड़ी मां की गांड के मज़े लेता रहा। मैं फिर से दुबारा उनकी गांड की दरार में झड़ गया।

उसके बाद मैंने बड़ी मां के कपड़े थोड़े ठीक कर दिया और अपनी टॉवल भी सही करके सो गया। अगली सुबह फिर से सब नॉर्मल सा हो गया। लेकिन अभी भी मेरे मन में थोड़ी मायूसी थी की मैं बड़ी मां की चुत को नही चोद पाया।

मैं फिर आज की रात का इंतजार दिनभर इधर उधर समय बिताने के बाद काफी इंतज़ार के बाद वो सोने का समय आया। आज गर्मी बहुत ज्यादा थी। बड़ी मां का काम करते करते सारा बदन पसीने से भीग चुका था। मोटे होने की वजह से उनको कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी। सोने के वक्त उन्होंने मुझसे कहा तुम सो जाओ मैं जरा नहाकर आती हूं।

मेरा सारा बदन लस लस कर रहा है। मैं अपनी खाट पर लेट गया। लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे दिमाग में तो उस वक्त कुछ और ही चल रहा था। 10 से 15 मिनट बाद बड़ी मां खाट के पास आई। उस वक्त उन्होंने सिर्फ पेटीकोट पहनी हुई थी। जो उन्होंने अपनी चुचियों पर बांध रखी थी।

मैं बिना कुछ बोले हल्के सा अपनी आंख खोलकर सब कुछ देख रहा था। तभी बड़ी मां खाट पर बैठी। मेरे दिमाग़ में आया की ये पेटीकोट पहने खाट पर क्यों बैठी है कपड़े क्यों नही पहन रही है? मैं इतना सब सोच ही रहा था की बड़ी मां ने अपने पैर ऊपर खाट पर किया और अपनी पेटिकोट को अपनी टांगों के बीच दबाकर टाईट कर लिया।

बड़ी मां पेटीकोट पहनकर ही लेट गई थी। मेरे मन में उस वक्त जो खुशी हुई मैं बता नहीं सकता। उन्होंने मेरा काम आसान कर दिया था। उन्हें लगा की मैं सो गया हूं। इसलिए वो भी बिना मुझे टोके सो गई। 1 घंटे बाद उनके खर्राटों की आवाज आने लगी।

उनकी खर्राटों की आवाज सुनकर ही मुझे उनकी चुत का खयाल आने लगा और मेरा लंड खड़ा हो गया। लेकिन मैंने और एक घंटे इंतज़ार करने का सोचा।

रात के 1 बजे बड़ी मां जोर के खर्राटों ले रही थी। जाहिर सी बात थी की वो गहरी नींद में है। मैंने जब उनकी तरफ देखा तो वो पीठ के बल अपनी टांगें खोलकर चैन की नींद सोई हुई थी। उनकी टांगें फैली होने के कारण बीच में जगह थी। लेकिन मेरा काम तब आसान होता जब उनकी टांगें मुड़कर खुली होती।

तो मुझे एक तरकीब सूझी मैंने उनकी पैर के तलवे में थोड़ी गुदगुदी की जिससे उन्होंने अपनी उस टांग को मोड़ लिया। फिर मैंने उनकी दूसरी टांग के साथ भी वैसा ही किया। अब उनकी दोनों टांगें उन्होंने एक दूसरे से दूर दूर मोड़ ली। अब वो सही पोजिशन में आ चुकी थी।

मैं अपने सारे कपड़े उतारकर पूरा नंगा हो चुका था। फिर मैं धीरे से बड़ी मां के दोनों टांगों के बीच बैठ गया। फिर मैंने उनकी पेटिकोट उनके घुटनों तक उठाया और छोड़ दी जिससे उनकी पेटिकोट उनकी जांघों पर से सरकते हुए उनकी कमर पर गिरी।

फिर मैंने बड़ी मां के दोनों घुटनों को धीरे से पकड़ा और आहिस्ते आहिस्ते फैलाने लगा। मैंने उनकी दोनों टांगों को फैलाकर खाट के दोनों पाटो पर कर दिया। अब बड़ी मां की दोनों टांगें चौड़ी हो चुकी थी। जिससे उनकी चुत का छेद भी खुल चुका था।

मैं थोड़ा आगे हुआ और अपना लंड पकड़कर बड़ी मां की बूढ़ी चुत में जैसे ही डाला मेरे लंड का मोटा और गोल सुपाड़ा उनकी चुत में घुस गया। फिर मैंने अपना लंड थोड़ा सा दबाया आगे दबाया मेरा लंड बिना किसी मशक्कत के बड़ी मां की चुत में घुस गया।

अब बस लंड के पीछे का 2 इंच का हिस्सा ही उनकी चुत के बाहर था। मैंने बड़ी मां के कंधों के बगल में खाट के पाटो पर अपने हाथ जमा लिया। फिर मैं अपने शरीर का भार बिना उनपर डाले अपने लंड को उनकी चुत में दबाने लगा।

मैं अपने पूरे लंड के लगभग 2 इंच के हिस्से को ही उनकी चुत से खींचकर वापस अंदर धकेल रहा था। ताकि ज्यादा हलचल न हो और बड़ी मां न जागे। बड़ी मां की चुत ढीली थी जवान औरतों जैसी टाईट नही थी। जिससे उनके जागने का डर कम था। लेकिन अभी भी उनकी चुत में काफी आग थी जो मेरे लंड को और मेरे मन को पिघला रही थी।

मैं काफी देर तक वैसे ही धीरे धीरे उनकी चुत को चोदता रहा। उनकी चुत की गर्माहट ने मेरे लंड और मेरे दिमाग़ पर ऐसा जादू चलाया की मैं न चाहते हुए भी अपने धक्के तेजी से मारने लगा। मेरे धक्कों से बड़ी मां का पूरा शरीर हिलने लगा और खाट से चर्र … चर.. की आवाज आने लगी। मेरी गोटिया बड़ी मां की चुत पर चोट करने लगी।

साथ ही मेरा लंड गच्चा गच्च … बड़ी मां की चुत में घुसने लगा। बड़ी मां धीरे धीरे जागने लगी। लेकिन मैं नहीं हटा मैं ज़ोर ज़ोर से बड़ी मां की पाव रोटी जैसी नरम चुत में अपने घोड़े जैसा मोटा लंड डालता रहा। बड़ी मां की चुत से पच्च पच्च …. की आवाज आने लगी।

बड़ी मां की नींद अब खुल चुकी थी। वो भौचक्का होकर मेरी तरफ देख रही थी। मैं अभी भी उनकी चुत में लंड अंदर बाहर करता रहा। अचानक उनके मुंह से निकला “सोनू ये क्या कर रहे हो….?” मैं बिना रुके और ताकत के साथ बड़ी मां की चुत में अपने लंड का प्रहार करने लगा।

बड़ी मां आ न ह.. आह… उम्म्ह… करती हुई सीतकारे लेने लगी। थोड़ी ही देर में बड़ी मां ने मेरे लंड के धक्के से कराहना चालू कर दिया। वो मेरे सीने को अपने दोनों हाथों से धकेलने लगी और मुझे दूर धकेलने लगी। लेकिन मैंने खाट के दोनों पाटों को पकड़ लिया था। जिससे उनकी लाख कोशिशों के बावजूद मैं टस से मस नहीं हुआ।

वहां से जब वो हार मान गई तब उन्होंने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत से निकलना चाहा। लेकिन मैंने अपनी कमर को बड़ी मां के चुत पर चिपका लिया और अपना लंड पूरा जड़ तक उनकी चुत में छुपा दिया। जिससे मेरा लंड उनके हाथ नही लगा।

अब मैं अपने लंड को बिना बड़ी मां की चुत से निकाले उनकी चुत में धक्के लगाने लगा। मैं उन्हें थोड़े पुराने स्टाइल में चोदने लगा। अब बड़ी मां हार मान चुकी थी और अब वो शांत होकर लेटी हुई थी। फिर मैंने अपने दोनों हाथ उनकी सर के नीचे लगाएं और उनके होठों को चूमने हुए अपने सीने से उनकी दोनों चुचियों को दबाने लगा।

मैं एक पक्के मर्द की तरह उनके उपर हावी था। थोड़ी देर बाद मैंने बड़ी मां के होठ चूमने छोड़ दिए और उनकी पेटिकोट की डोरी जो उनके चुचियों के उपर बंधी हुई थी उसे खींचकर खोल दी। फिर मैंने बड़ी मां की चुचियाँ पर से पेटीकोट हटा दी और बड़े ही आराम आराम से उनकी चुचियों और काले और लंबे निप्पलों को चुसने लगा।

जब मैंने बड़ी मां की निप्पलों को चूसना चालू किया। तो मैंने एक बात गौर की बड़ी मां अब धीरे धीरे काबू में आ रही थी। वो अपनी टांगों को कैंची करके मेरी गांड को अपनी कमर पर दबा रही थी।

मैं समझ गया की अब ये कही नही जानें वाली है अब इनकी चुत की आग भी जल चुकी है। मैंने उनकी चुचियों को चूसते हुए ही अपने दोनों हाथों से उनके घुटनों को पकड़ा और खाट के दोनों पाटो पर दबा दिया। अब बड़ी मां के दोनों टांगें खुली हुई थी और अब मेरा रास्ता साफ था।

मैंने उनके होठों को अपने होठों में कस लिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उपर उछाल उछालकर उनकी चुत में अपना लंड चोदना शुरु किया। बड़ी मां मेरी लंड के आगे नतमस्तक हो रही थी। मेरा मोटा लंड उनकी ढ़ीली और बूढ़ी चुत को भी अच्छे से निचोड़ और मूसल की तरह कुट रहा था।

मेरे धक्के इतने तेज़ थे की बड़ी मां उम्म… उम्म्ह्ह अअह्हह… करती हुई कराह रही थी। उसके साथ ही खाट बहुत तेज चरमरा रही थी। मेरे धक्कों के कारण खाट का अगला पाउवा टूट गया। जिससे बड़ी मां और मेरे सर नीचे और हम दोनों के कमर उपर हो गई।

वैसे ही मैंने दो तीन धक्के और मारे और मेरा माल बड़ी मां की चुत में ही निकल गया। थोड़ी देर बड़ी मां पर वैसे ही चढ़े रहने के बाद मैंने उन्हें उस टूटे हुए खाट पर से उठाया और कमरे में ले गया। बड़ी मां और मैं दोनों ज़ोर से सांस ले रहे थे।

मैंने बड़ी मां को पलंग पर झुका दिया उनकी टांगे ज़मीन पर थी और मैं उनके पीछे खड़ा था। मैंने अपना लंड पकड़कर बड़ी मां की गांड के नीचे से उनकी चुत में डाला और फिर से मैंने बड़ी मां की चुत चुदाई चालू कर दी।

इस बार बड़ी मां खुलकर लंड के मज़े लेने के साथ साथ कामुक और तकलीफ़ से भरी आवाजें भी खुलकर निकाल रही थी। जो मुझे सुनकर और मजा आ रहा था। इस बार भी मैंने अपना माल बड़ी मां की बड़ी सी चुत में निकाल दिया।

मैं और बड़ी मां थककर चूर हो चुके थे। इसलिए नंगे फंगे ही पलंग पर सो गए। सुबह जब करीब 8 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा बड़ी मां पेट के बल अपनी गांड उपर किए सो रही थी। मैं उनकी गांड का साइज देखकर सन् रह गया।

मैं उनकी गांड पर हाथ फेरने लगा। बड़ी मां घोड़े बेचकर सो रही थी। मैंने पास पड़ी नारियल तेल वाली सीसी उठाई और बड़ी मां की गांड और कमर पर तेल उडल कर अच्छे से उनकी गांड और कमर की मालिश करने लगा। साथ ही मैंने चालबाजी से उनकी गांड की गहरी दरार में खूब सारा तेल उड़ेल दिया।

उनकी गांड की दरार तेल से भर आई थी। फिर मैंने चुपके से अपने लंड पर तेल मल लिया। फिर मैंने अपनी बड़ी मां की गांड के दोनों हिस्सों को फैलाकर उनकी गांड की छेद का पता लगाया। फिर मैंने अपना तेल से लबलबाया हुआ लंड उनकी गांड की छेद पर रखा और दबा दिया।

बड़ी मां जाग गई और जोर से चींख पड़ी लेकिन मैंने अपने सुपाड़े को जैसे तैसे उनकी गांड में डाल दिया। फिर मैंने अपने एक हाथ से उनके मुंह को दबा लिया। फिर मैंने अपनी टांगों को बड़ी मां के टांगों के बाहरी तरफ करके सीधा कर दिया। ताकि मेरी कमर का पूरा भार उनकी गांड पर लगे।

मेरा लंड धीरे धीरे उनकी गांड में सरकता हुआ अंदर जा रहा था। उनकी बुढ़ी गांड की छेद अभी तक टाईट थी। लेकिन मेरे लंड के आगे टिक नहीं पाई। मेरा लंड उनकी गांड की छेद को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। जब मेरा लंड उनकी गांड में जरूरत भर घूस गया तब मैंने उनकी गांड की चुदाई करनी चालू कर दी।

उनकी गांड काफी टाइट थी जिस वजह से मुझे उनकी गांड चोदने में बहुत मजा आ रहा था। करीब करीब आधे घंटे तक मैं उनकी गांड में लंड डाले उनपर सवार रहा उसके बाद मैं बड़ी मां की बड़ी सी गांड में ही झड़ गया।

उस दिन दोपहर एक बजे तक कभी उनकी गांड तो कभी उनकी चुत चोदता रह गया। बड़ी मां तो अगले ही दिन बिस्तर से उठी उनकी गांड में बहुत दर्द था। लेकिन वो अब मेरे साथ पूरी खुल चुकी थी। अब उनके अंदर मां बेटे वाली सीमा और लिहाज खत्म हो चुकी थी। जब अगले दिन की रात मैं और बड़ी मां आंगन में सोए हुए थे। तो उन्होंने कहा की “अरे सोनू तेरा इतना मोटा कैसे हो गया है जरा अपनी बीवी को आराम से चोदना नही तो डर के मारे भाग जायेगी”

मैंने भी मजाक से कहा क्यों आप तो नही भागी तो वो बोली ” अरे मेरी बात छोड़ मेरी बुर तो अब ढीली ढाली है फिर भी मुझे इतनी तकलीफ हुई तेरे लंड के चक्कर में तूने जब मेरी गांड मारी तो ऐसा लगा की अब मैं मर जाऊंगी इसलिए बेटे अपनी बहु के साथ आराम से करना”

मैं बड़ी मां के पास 20 दिनों तक रहा और हर रात मैं उनको चोदता था। वो भी मज़े लेकर मुझसे चुदवाती हूं। मैं अब किसी न किसी बहाने गांव आकर बड़ी मां को खूब चोदता हूं।

तो दोस्तों उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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