फूफा से चुदवाते पकड़ी गई मेरी रंडी माँ

फूफा से चुदवाते पकड़ी गई मेरी रंडी माँ

मेरा नाम मनीष है, और मैं ओडिशा का रहने वाला हूँ। मैं आप सब से ये कहानी इसलिए शेयर कर रहा हूँ। क्योंकि ये बात मेरे मन को खाये जा रही है। मैंने कभी सोचा भी नही था, की मेरी माँ का चरित्र इतना खराब होगा। मैं अपनी माँ के इस रूप को भूल ही नही पा रहा था। जब से मैंने उसे फूफा से चूदते हुए नंगा पकड़ा था।

उस वक़्त से मेरी नज़रो में मेरी माँ के लिए सम्मान खत्म हो गया। मैंने कभी सोचा भी नही था कि मेरी माँ इतनी बड़ी रंडी है। और मैंने अपना बदला उससे उसे चोद के निकाला। चलिए आप सब को कहानी शुरू से बताता हूँ।

मेरे परिवार में बस दो ही लोग थे। मैं और मेरी माँ पिताजी की मौत 10 वर्ष पहले ही हो चुकी थी। अब मैं जवान हो चुका था, मेरे और मेरी माँ के बीच सब कुछ नार्मल सा ही चल रहा था। जैसे एक माँ बेटे के बीच चलता है। मैं कमाता था और अपनी माँ का ख्याल रखता था। हमारी रोजाना की जिंदगी बिना कोई दिक्कत के चल रही थी।

मेरी माँ की उम्र 47 साल है, वो दिखने में ठीक ठाक थोड़ी मोटी और साँवली है। थोड़े मोटे होने के कारण उनकी चुचियाँ और गांड भी काफी उठे हुए थे। उनकी फिगर 40-35-40 है। यानी कि वो थोड़ी मोटी है फिर भी वो ठीक ठाक ही दिखती है। हम घर मे बस दो माँ बेटे ही रहते थे।

एक दिन हमारे घर मेरे फूफा आ गए, वो काफी दिनों बाद हमारे यहाँ आये थे। तो काफी सारी बातें हुईं मैं और माँ भी बहुत खुश थे। हमनें उनका सही से आदर सत्कार किया। हमने एक दूसरे का हाल समाचार लिया। शाम हो चुकी थी तो माँ ने फूफा को आज की रात यहीं रुकने को कहा और फूफा भी मान गए।

रात हुई हम तीनों ने रात का खाना खाया और तीनों अलग अलग कमरे में सोने चले गए। मैंने फूफा के लिए गेस्ट रूम साफ कर दिया और उन्हें गेस्ट रूम में छोड़कर अपने कमरे में चला आया। मेरी माँ पहले ही अपने कमरे में आकर सो चुकी थी। फूफा और मुझे बात करते करते थोड़ा वक़्त हो गया था।

मैं भी अपने कमरे में आकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गयी। रात के करीब 12:30 हो रहे होंगे। मैं नींद में था तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी। ऐसा लग रहा था कि कोई किसी को पीट रहा हो। और ऐसा लग रहा है कि पलंग पर कोई कूद रहा हो बीच बीच में किसी के चीख़ने की हल्की हल्की आवाज भी आ रही थी।

पहले तो मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया। लेकिन काफी देर तक भी वो आवाजें बंद नही हुई, तो मैंने सोचा कि चलो चल के देख लेता हूँ। फिर मैं अपने कमरे से जैसे बाहर निकला तो लगा कि आवाजें माँ के कमरे की तरफ से ही आ रही है। पहले तो मुझे लगा कि कहीं कोई चोर तो नही।

जब मैं माँ के कमरे की तरफ बढ़ने लगा तो आवाजें साफ आने लगी। मैंने कभी सपने में भी कभी सोचा नही था कि मेरी माँ ये सब करेगी। साफ पलंग की ढब…ढब… की आवाज के साथ माँ के कराहने आह.. आह.. की आवाज भी आ रही थी। मैं माँ की कराहें सुनकर हड़बड़ा सा गया और दौड़कर माँ के दरवाज़े के पास पहुँचा और अपने पूरे ज़ोर से दरवाज़े को धकेला जिससे दरवाजे की अंदर की कुंडी टूट गयी

दरवाज़ा एक दम से झन्न की आवाज के साथ खुल गया। और मेरी नज़र सीधे अपनी माँ और फूफा पे पड़ गयी। फूफा मेरी माँ को चोद रहा था। मेरी माँ बिल्कुल नंगी होकर अपनी टाँगे फैलाए लेटी हुई थी और फूफा मेरी माँ के दोनों टाँगों के बीच में लेटा हुआ अपना लंड मेरी माँ की बूर में घुसाए हुए था।

फूफा का लंड मेरी माँ की बूर में आधा अंदर आधा बाहर था। जिसपर सफेद धात लगा हुआ था। वो दोनों मुझे देखकर चौक गये और वो जैसी स्थिति में थे, वैसे ही जम गए वो मुझे देख भौचक्का रह गए थे। फिर फूफा मेरी माँ की बूर से अपना लंड निकालकर साइड में बैठ गया और मेरी माँ अपने हाथ से अपनी बूर ढककर बैठ गयी। और अपनी चुचियों को अपनी साड़ी से ढक लिया।

जब वो दोनों संभल गए तब मेरी माँ ने कहा बेटा ये बात किसी को मत बताना ऐसी गलती फिर नही होगी। फूफा भी गिड़गिड़ाने लगा डर के मारे उन्हें सूझ नही रह था। कि वो मुझसे क्या कहें।

फिर मेरी माँ ने कहा बेटा गुस्सा मत हो इधर आ तभी फूफा ने भी मुझे अपने पास बुलाया पर मैं जहां था, वही खड़ा रहा फिर माँ ने कहा बेटा तू भी आजा तू भी करले मेरे साथ पर ये बात किसी को मत बताना नही तो अगल बगल में हमारे घर की बदनामी हो जाएगी।

मैं ये सुनकर दंग रह गया कि कैसे मेरी माँ उस वक़्त अपनी करतूत छिपाने के लिए मेरे साथ सेक्स करने के लिए भी राजी थी। मेरा तो मन ही बैठ गया मैं इतना सुनते ही बिना कुछ बोले अपने कमरे में आ गया। मेरी नज़रो में माँ के लिए रंडियों वाली छवि बन चुकी थी। मैं समझ नही पा रहा था। कि मेरी माँ ऐसा कैसे कर सकती है।

पूरी रात मुझे नींद नही आई मुझे रातभर मेरी माँ के बूर में घुसा हुआ फूफा के लंड का नज़ारा मेरी आँखों के सामने से हट ही नही रह था। जैसे तैसे रात बीत गयी सुबह हो चुकी थी। उस दिन मेरा मन इतना टूट चुका था। कि मुझे ड्यूटी जाने का मन भी नही कर रहा था। तो सुबह देरी तक अपने कमरे में ही लेटा रहा।

करीब 11 बजे मैं अपने कमरे से निकला देखा कि फूफा कही नही दिख रहा था। न ही रोज की तरह घर में माँ की चहल-पहल थी। मैं उठकर बॉथरूम में गया तो देखा माँ किचन में काम कर रही थी। मैं फ्रेश होकर आ गया। माँ ने मुझे देखा पर कुछ नही मैंने भी कुछ नही कहा माँ को देखकर मुझे रात का वो सारा सीन याद आने लगा।

कैसे फूफा मेरी माँ के ऊपर चढ़कर लंड माँ की बूर में डाले हुए था। मैं गुस्से में अपने कमरे में आ गया। और सोचने लगा कि कैसे मेरी रंडी माँ मुझसे भी रात में चुदने को तैयार हो गयी थी। उस दिन मैंने अपनीं माँ से एक बार भी बात नही की शाम को मैं बार जाकर शराब पीने लगा। बार बार मुझे वो ही नज़ारे दिख रहे थे कि कैसे फूफा मेरी माँ की बूर में अपना लंड डाले हुए था।

रात के 9 बजे मैं घर वापस आया और अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर नशे में झूमता हुआ अपनी माँ को मन ही मन गालियां दे रहा था। और उस वक़्त मुझे अपनी माँ के नंगे रूप मेरी आँखों के सामने आने लगे अब मेरे मन में माँ के नंगे बदन के नज़ारे आने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैं अपनी रंडी नंगी माँ के बदन की छवि बनाने लगा।

अब मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका था। अब मेरे लंड को मुठियाने की जरूरत महसूस होने लगी। मैंने अपनी पैंट उतारी और अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया और कुर्सी पर बैठकर अपने लंड से खेलने लगा। मैं अपना काला मोटा लंड मुठी में पकड़कर मुठ मारने लगा। मेरा लंड बचपन से ही मोटे आकर का है।

पर अब उम्र बढ़ने के साथ मेरा लंड इतना मोटा हो चुका था। कि मेरी ही मुट्ठी में सही से नही आता था। मैं लंड की मुट्ठी मारते हुए उत्तेजना में आने लगा। और अपनी आँखें बंद करके अपनी माँ के नंगे जिस्म उसकी बड़ी बड़ी चुचियों और उसकी बूर की छवि याद करते हुए मुठ मारने लगा।

अब मेरे मन मे मेरी माँ के लिए गंदे खयाल आने लगे और उन ख़यालो के साथ मेरा लंड और भी उत्तेजित होने लगा। फिर मेरे मन में आया कि कल मेरी माँ तो मुझसे चुदने के लिए राजी थी। तो आज मैं उसे चोदकर अपना बदला लूँगा। मैं मन ही मन सोचने लगा कि वो रंडी तो है ही उसे लंड चाहिए भले ही लंड किसी का हो।

अब मेरा लंड तनकर मोटा और 8″ जितना लंबा हो चुका था। और मेरे मन मे अपनी माँ को चोदने का जुनून चढ़ गया था। मैं अपनी माँ को चोदने के इरादे से अपने कमरे से निकल कर अपनी माँ के कमरे में घुस गया। माँ बिस्तर पर बैठी हुई थी मैं पहले से ही बिल्कुल नंगा था। जैसे ही माँ ने मुझे नंगा देखा तो उसकी नज़र मेरे फंफनाते लंड पर गयी।

तो वो लड़खड़ाई जबान में बोलने लगी क्या हुआ बेटा तू ऐसे मेरे कमरे में क्यों?? और पीछे घिसकने लगी पर मैं उसके पास गया वो अपनी अपनी नजरें मुझपर गड़ाए हुए थी। शायद वो समझ चुकी थी कि मैं किस इरादे से उसके कमरे में आया हूँ। वो मेरा ये रूप देखकर एक दम से डर सहम गयीं थी। मैं चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था।

वो मुझे देखकर पलंग के कोने में दुबक गयी और अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके अपनी चुचियों के उभारों को छुपाने लगी। फिर मैंने झट से उसके दोनों टाँगों को पकड़ लिया और उसे खींचकर पलंग के किनारे पर ले आया वो चकित नज़रो से मुझे देखने लगी। मेरा लंड उसकी एक टांग को छू गया।

मैंने फिर उसकी टाँगों को पकड़ के खींचा उसकी कमर पलंग के किनारे आ गयी फिर मैंने उसे पलटकर पेट के बल दबा दिया अब उसकी दोनों टाँगे जमीन पर थी। और मेरा लंड उसकी गांड को दबाने लगा। फिर मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया और अपना चेहरा उसके चेहरे के पास ले गया और उसके कान में बोला क्या हुआ। कल रात तो बड़े मजे से चुद रही थी। वो एकदम चुप हो गयी।

मैंने कहा तुझे लंड चाहिए न अब ले अपने बेटे का मोटा लंड मेरा लंड फूफा के लंड से भी मोटा है। आज तुझे मज़े से चोदूगां साली रंडी इतना कहकर मैं उसके पीछे खड़ा हो गया वो वैसे ही पेट के बल बिस्तर पर अपनी टाँगे नीचे करके पड़ी रही। वो अपनी करतूत के आगे अब कुछ बोलने वाली नही थी।

फिर मैंने नीचे से उसकी साड़ी उठाई और उसकी कमर के ऊपर रखा दिया। साड़ी उठाते ही मुझे उसकी नंगी बूर और बड़े गोल गांड दिखने लगी। मैं उसकी बूर देखकर बेकाबू होने लगा। मैंने तुरंत अपनी उंगली को उसकी बूर में घुसा दिया और उसकी बूर में अपनी उंगली पेलने लगा। मेरी उंगलियां उसके बूर के पानी से लटलटा गयी।

फिर मैं उसकी बूर को सूंघता हुआ उसकी बूर पर अपनी जीभ फेरने लगा। फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखा और फैलाकर उसकी गांड की दरार में झांकने लगा। उसकी बूर और गांड पर छोटे छोटे बाल थे जो मुझे और लुभा रहे थे। मैंने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाकर उसकी गांड के छेद को भी फैलाकर देखने लगा।

लेकिन माँ की गांड के छेद थोड़ी छोटी थी। उसकी गांड की छेद में बस एक उँगली भर जाने की जगह थी। वो चुपचाप मुझे सब करने दे रही थी। डर के मारे उसके मुँह से चु तक नही निकल रही थी। आखिर उसके फूफा के संग नाजायज रिश्ते को छुपाने की कीमत दे रही थी।

मेरा मन उसकी गांड ने लुभा लिया मैं तो चोदने उसकी बूर आया था। लेकिन मैंने सोचा कि इसकी टाइट गांड को आज अपने लंड से फाड़ के रख दूंगा। मैंने माँ की गांड मारने का मन बना लिया।

फिर मैं अपना लंड उसकी गांड की दरार में ऊपर नीचे करने लगा मेरा लंड फिर से उसकी नरम गांड को छूकर सख्त हो गया। अब मेरे लंड का सूपड़ा खिलकर अपने आकर में और लंड अपने सही औकात में आ चुका था। मैंने अपना लंड उसकी गांड की छेद पर लगाया।

और फिर मैंने अपने लंड को उसकी गांड की छेद पर दबा और जैसे ही लंड के सुपड़े ने उसकी गांड की छेद को फैलाया इतने में ही माँ की चींख निकल गयी आ आ आह … मा आ… पर मुझे उसकी चींख सुनकर सुकून मिल रहा था। मैंने एक दो बार और ज़ोर लगाया वो चींखकर रोने लगी।

मैंने बोला साली रंडी…. अभी तो लंड अंदर भी नही गया और अभी से तेरी ये हालात वो बोली तेल लगाकर कर दर्द हो राह है। मैंने कहा साली… रांड तेल नही लगाऊँगा ऐसे ही अंदर करूँगा। तुझे लंड लेने का बड़ा शौक है ना… मैं फिर उसकी गांड के साथ जबरदस्ती करने लगा। जिससे मेरी माँ को बहुत दर्द हुआ और वो बहुत चीखी चिल्लाई..

पर लंड उसकी गांड में डालने की हर कोशिश नाकाम हो गयी। मैंने अपना लंड हटा लिया और देखा कि उसकी बूर से लार जैसा पानी निकल रहा था। तो मैंने अपने लंड को उसकी बूर के मुँह पर लगाया और उसकी बूर से निकल रहे लार जैसे पानी को अपने लंड पर लपेटते हुए मैंने अपना लंड उसकी बूर में घुसा दिया।

मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसके बूर में उतार दिया मेरा मोटा लौड़ा घुसते ही माँ बिलकने लगी। और अपनी बूर को बचाने के लिए बिस्तर पर आगे घिसटने की कोशिश करने लगी। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और और पूरी तेज़ी के साथ माँ के बूर में अपना लंड घुसाने लगा। वो आ आ.. आ.. ह.. ह.. आह.. धीरररे.. धीरे रर.. बेटा धीरे कर न दर्द हो रहा है।

माँ के मुँह से निकलती तड़पती आवाज मूझे और जोश दे रही थी। मैं घपघप अपना लौड़ा उसकी बूर में चोदते जा रहा था। उत्तेजना के मारे मेरे लंड की नसें फूल गयी थी। मैं माँ के बूर को रगड़ रगड़ के चोद रहा था। साथ ही अपने दोनों अंगूठो से उसके चूतड़ों को फैलाकर उसके गांड की छेद को फैलता हुआ उसकी बूर की छेद में अपना लंड दौड़ा रहा था।

कुछ ही देर में मेरा लंड एकदम से चिपचिपा और उसके बूर के पानी से फिसलन भरा हो गया था। मैंने तुरंत अपना लंड उसके बूर से निकाला और उसकी गांड की छेद पर लगा दिया और अपनी कमर को उसकी गांड से चिपकाकर उसके ऊपर चढ़ गया।

वो चीख़ने लगी…नही बेटा न नही यहाँ नही बूर में कर ले नही बेटा… मैं तुझे मना नही करूँगी पर गांड में मत कर नही…आह आह… न.. तू जब तक चाहे मेरी बूर चोद ले लेकिन गांड छोड़ दे बेटा न.. पर मैं उसकी बातें पर ध्यान नही दे रहा था। मैं अपना लंड लिए उसकी गांड पर जमा रहा।

वो मुझसे अपनी गांड नही मारने की विनती करती रही पर मैं नही सुन रहा था। वो नही रे बेटा मत कर गांड में बहुत दर्द हो रहा है आह..इस्स..आह नही न.. तू जब तक चाहेगा मैं खुशी खुशी अपनी बूर तुझसे चुदवा लुंगी पर मेरी गांड मत मार… प्लीज बेटा…

पर मेरे मोटे लंड ने माँ की हालत खराब कर दी थी। मैंने अपनी कमर को उसकी गांड पर चिपकाए रखा मेरा लंड गिला होने के कारण माँ की गांड में अपनी जगह बनाते हुए धीरे-धीरे माँ की गांड में दाखिल हो रहा था। दर्द के मारें माँ का बुरा हाल था। उसकी दोनों टाँगे काँपने लगी थी।

आधे घंटे तक मैंने उसकी गांड से अपनी कमर चिपकाए रखी जब तक मेरा पूरा लंड माँ की गांड में नही उत्तर गया। अब मेरे लंड के पिछले हिस्से पर माँ की गांड की छेद का कसाव महसूस होने लगा। मैं समझ गया कि अब पूरा लंड माँ की गांड में घुस चुका है।

माँ अभी भी दर्द से कराह रही थी। फिर मैंने धीरे धीरे माँ की गांड को को अपने कमर से धकेलने लगा। मेरा लंड भी थोड़ा अंदर बाहर होने लगा। फिर मैंने माँ के दोनों चूतड़ों को पकड़ लिया और अपना लंड उसकी गांड के अंदर बाहर घसीटने लगा।

वो कराहने के साथ-साथ रो भी रही थी। और मुझसे लंड निकालने की विनती भी कर रही थी। पर मैं उनकी गांड मारने लगा। थोड़ी देर तो मैं धीरे धीरे उसकी गांड में लंड के झटके दे रहा था। फिर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी मैं ठीक उसकी तरह उछल उछल कर अपनी माँ की गांड चोदने लगा जैसे पोर्न फिल्मों में चोदते है।

मैं शराब के नशे में था इसलिए जल्दी झड़ भी नही रह था। मैं माँ की गांड में अपने मोटे लंड से चोट पे चोट किये जा रहा था। मेरी माँ की टाँगे बुरी तरह से काँपने लगी थी। मैं अपनी कमर लहराते हुए अपने लंड को माँ की गांड में डाल रहा था। करीब 1 घंटे की धमाकेदार चुदाई के बाद मैं झड़ने को आ गया।

तो मैंने अपनी रफ्तार और तेज़ कर दी 5-6 दमदार धक्कों के साथ में माँ की गांड में ही झड़ गया। मैं माँ पीठ के ऊपर लेट गया और उसके गालों कंधो को चूमने लगा और अपने दोनों हाथ उसके सीने के नीचे लेजाकर उसके दोनों चुचियों को मसलने लगा। इधर मेरा लंड मेरी माँ की गांड में रह रह कर वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था। आधे घंटे मैं माँ की गांड में लंड डाले रहा।

उसके बाद मैंने अपना लंड माँ की गांड से बाहर निकाल लिया। अब माँ की गांड का नज़ारा कुछ ऐसा था कि उसकी गांड की छेद फटकर 4 ” की गोलाई में फैल चुकी थी। उसकी गांड के छेद की अगल बगल की चमड़ी लाल हो गयी थी और थोड़ा सा खून भी निकल रहा था जो उसकी गांड से निकलते वीर्य से मिल चुका था।

उसके बाद मैं उसे वैसे ही छोड़कर अपने कमरे में चला आया और सो गया अगली सुबह जब मैं उठा तो देखा कि माँ किचन में काम कर रही है। मैं भी किचन में घुस गया और पीछे से माँ को पकड़ लिया और उसकी चुचियों को दबाने लगा। वो कुछ नही बोली फिर मैंने उसकी ब्लाउज के हुक को खोल दिया और उसकी नंगी चुचियों को मसलने लगा। और उसके निप्पलों को अपनी उंगलियों से बटन की तरह दबाने लगा।

अब फिर मेरा लंड सनक चुका था। तो मैंने माँ की साड़ी की गांठ उसके कमर से खोल दी और उसकी साड़ी को निकाल दिया अब वो मेरे सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी जिसके हुक मैंने पहले ही खोल दिये थे। अब मैंने उसके पेट को सहलाया और उसके पेटीकोट के नाड़े को भी खींचकर खोल दिया। जिससे उसका पेटीकोट सरकता हुआ जमीन पर आ गया।

अब मेरी आँखों के सामने उसकी नंगी गांड थी। मैंने उसके दोनों चूतड़ों के हिस्सों को अपने हाथ से मसलने लगा। और उसके पेट को सहलाते हुए अपने हाथ को उसकी बूर पे ले गया। फिर मैंने अपनी एक उँगली माँ के बुर में घुसा दी। और कुछ देर बूर में उँगली करता रहा।

मेरा लंड खड़ा होकर माँ की गांड में चुभने लगा था। अब मुझसे नही रह गया। मैं पीछे से ही माँ की गांड के नीचे से अपना लंड उसकी बूर में घुसा दिया और खड़े खड़े ही अपना लंड माँ की बूर में पेलने लगा। मैं माँ के पेट को पकड़कर पीछे से उसकी बूर में धक्के मारे जा रहा था। उसकी बूर से लंड घुसने पर फच्च… फचड़ फच्च… की आवाजें आ रही थी। उसकी बूर गीली हो चुकी थी।

माँ चुपचाप अपनी बूर चुदवा रही थी। फिर मैं किचन में ही जमीन पर सीधा लेट गया। और माँ को अपने लंड पर बैठने को कहा वो बिना कुछ कहे मेरे लंड को अपनी बूर में घुसाकर लंड पर बैठ गयी। और उछल उछल कर अपनी बूर चुदवाने लगी। पता नही माँ की बूर ने मेरे लंड पर क्या जादू चलाया की मेरा लंड झड़ने को आ गया।

वो मेरे लंड को अपनी बूर में ऐढने लगी मैं झड़ने को आ गया तो मैंने तुरंत माँ को अपनी बाँहों में जकड़कर अपने सीने पर दबा लिया और अपनी कमर उछाल उछाल कर तेज़ी से अपनी माँ की बूर में अपना लंड अंदर बाहर करके चोदने लगा। 10-15 धक्कों में मेरे लंड ने अपना पानी माँ की बूर में ही निकाल दिया।

उसके बाद माँ मेरे लंड पर से उठकर नंगी बॉथरूम की ओर चल गई। उसके बाद भी मैंने लगातार कई रातों तक माँ को सोने नही दिया जब भी मेरा मन करता मैं अपनी माँ रगड़ रगड़ के जमकर चोदता हूँ। तो दोस्तों उम्मीद है आप सब को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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